हज़रत मोहसिन की शहादत

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हज़रत मोहसिन की शहादत

शिया और सुन्नी स्रोतों में मौजूद ऐतिहासिक दस्तावेज़ों से पता चलता है कि हज़रत मोहसिन इमाम अली (अ.) और हज़रत फ़ातेमा ज़हरा (स.) की संतान थे जो दूसरे ख़लीफ़ा उमर या क़ुनफ़ुज़ द्वारा हज़रत फ़ातेमा ज़हरा (स.) को दरवाज़े और दीवार की बीच दबा दिए जाने के कारण शहीद हो गए थे। (1) यहां पर इस नुक्ते पर ध्यान देना आवश्यक है कि हज़रत फ़ातेमा ज़हरा (स.) के घर का घेराव और उन पर हमला चाहे जिसके द्वारा भी किया गया हो लेकिन इस कार्य के करने वालों का उस समय की सत्ता से संबंध अवश्य था।

हम आपके सामने नमूने के तौर पर शिया और सुन्नी पुस्तकों से कुछ ऐतिहासिक दस्तावेज़ पेश कर रहे हैं ताकि पढ़ने वालों को इस घटनाक्रम और इसमें लिप्त लोगों के बारे में फैसला करने में आसानी हो सके।

शिया स्रोत

आगे जो भी रिवायतें बयान की जाएंगी उनसे पता चलता है कि हज़रत मोहसिन फ़ातेमा ज़हरा (स.) की औलाद थे जिनके शहीद कर दिया गया था।

  1. अमीरुल मोमिनीन हज़रत अली (अ) ने फ़रमायाः अगर तुम्हारे सिक़्त (पेट में मर जाने वाले) होने वाले बच्चे तुम को क़यामत में देखें जब कि तुमने उनका कोई नाम न रखा हो तो सिक़्त हुआ बच्चा अपने पिता से कहेगाः मेरा कोई नाम क्यों नहीं रखा जब कि पैग़म्बर (स.) ने मोहसिन का नाम पैदा होने से पहले ही रख दिया था। (2)
  2. पैग़म्बरे इस्लाम (स.) ने फ़रमायाः ... फ़ातेमा ज़हरा (स) को मारा जाएगा जब कि वह गर्भवती होगी, इस मार से उसका बेटा पेट में मर जाएगा और वह ख़ुद भी उसी मार के कारण इन दुनिया से चली जाएंगी। (3)
  3. स्वर्गीय तबरेसी कहते हैः अबूबक्र ने क़ुनफ़ुज़ को आदेश दिया कि फ़ातेमा को मारो, इस आदेश के साथ ही शोर शराबा बढ़ गया और उन (फ़ातेमा) को अली से दूर कर दिया गया और क़ुनफ़ुज़ सामने आया उसने पूरी संगदिली और बर्बरता के साथ पैग़म्बर की बेटी को दरवाज़े और दीवार के बीच पीस दिया, उसका यह कार्य इतना तेज़ था कि उनका पहलू टूट गया और उनका बच्चा पेट में ही सिक़्त हो गया। (4)

सुन्नी स्रोत

  1. इब्राहीम बिन सय्यार नेज़ाम मअतज़ेली ने बहुत सी किताबों में फ़ातेमा ज़हरा (स) के घर पर लोगों के आने के बाद की घटनाओं के बारे में लिखा है। वह कहता हैः अबूबक्र के लिए बैअत लिए जाने के दिन उमर ने फ़ातेमा ज़हरा (स.) के पेट पर मारा जिसकी वजह से उनका बेटा जिसका नाम उन्होंने मोहसिन रखा था सिक्त हो गया। (5)
  2. अहमद बिन मोहम्मद जो इब्ने अभी दारम के नाम से प्रसिद्ध हैं और जिनको मोहद्दिस कूफ़ी कहा जाता है (357 निधन) जिनके बारे में मोहम्मद बिन अहमद बिन हम्माद कूफ़ी कहते हैं: “वह अपने पूरे जीवनकाल में केवल सही रास्ते पर चले” कहते हैं: मेरे सामने यह ख़बर दी गई किः उमर ने फ़ातेमा को लात मारी और उनका बेटा मोहसिन उनके पेट में सिक़्त हो गया। (6)
  3. इब्ने सअद अपनी पुस्तक तबक़ात और बलाज़री अनसाबुल अशराफ़ में लिखते हैं: वह संताने जिनकी माँ पैग़म्बर की बेटी हज़रत फ़ातेमा ज़हरा (स.) हैं उनके नाम यह हैं: हसन, हुसैन मोहसिन, ज़ैनब कुबरा, उम्मे कुलसूम। और मोहसिन हज़रत फ़ातेमा ज़हरा (स.) के घर पर हमले वाली घटना में सिक़्त हो गए।

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  1. अलमग़ाज़ी, इब्ने अभी शैबा जिल्द 8, पेज 572
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