
رضوی
मौलाना वलीयुल हसन रिज़वी के निधन पर मेलबर्न के इमाम ए जुमआ का शोक संदेश
हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन मौलाना वलीयुल हसन रिज़वी एक अत्यंत साधारण, विनम्र और मेहमान नवाज़ आलिम-ए-दीन थे वे आलिम, शायर, अदीब, ख़तीब, मुफक्किर-ए-इस्लाम और मुफस्सिर-ए-क़ुरआन भी थे इतनी सारी खूबियां एक ही शख्सियत में जमा थीं।
एक रिपोर्ट के अनुसार , मेलबर्न ऑस्ट्रेलिया के इमामे जुमआ हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन सैयद अबुल क़ासिम रिज़वी ने बुज़ुर्ग आलिम-ए-दीन हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन मौलाना वलीयुल हसन रिज़वी की रहलत पर गहरे रंज और ग़म का इज़हार करते हुए ताज़ियती पैग़ाम जारी किया है।
शोक संदेश कुछ इस प्रकार है:
बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम
इन्ना लिल्लाहि व इन्ना इलाही राजी'उन
हाय, एक बार फिर यतीम हो गया वह शख्सियत जो बाप जैसी मोहब्बत और शफ़क़त दिया करती थी आज हमसे जुदा हो गई। हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन मौलाना वली हसन रिज़वी एक अत्यंत साधारण, विनम्र और मेहमाननवाज़ आलिम-ए-दीन थे वे आलिम, शायर, अदीब, ख़तीब, मुफक्किर-ए-इस्लाम और मुफस्सिर-ए-क़ुरआन भी थे।
इतनी सारी खूबियां एक ही शख्सियत में जमा थीं। मरहूम से मेरे कई रिश्ते थे, मगर सबसे बड़ा रिश्ता सरपरस्ती का था। वे हमेशा दुआएं दिया करते थे आज हम उनके लिए दुआ-ए-मग़फ़िरत करते हैं।यह एक अत्यंत अफ़सोसनाक हादसा है।
क़ौम व मिल्लत का बड़ा नुक़सान है। हम बारगाह-ए-इलाही में दुआ करते हैं कि अल्लाह तआला मरहूम के दरजात बुलंद फरमाए और अहल-ए-ख़ाना को सब्र-ए-जमील अता करे। आमीन
मौलाना सैयद वलीयुल हसन मरहूम की ज़िंदगी इल्मी सरगर्मियों में बसर हुई
भारत के महान आलिम ज़फरुल मिल्लत अल्लामा सैयद ज़फरुल हसन रिज़वी (रह.) के बेटे हुज्जतुल इस्लाम मौलाना सैयद वलीयुल हसन साहब रह. की ज़िंदगी पूरी तरह इल्मी सरगर्मियों शैक्षिक गतिविधियों में सारी जिंदगी व्यस्त रही।
लखनऊ आयतुल्लाहिल उज़्मा सिस्तानी के प्रतिनिधि, हुज्जतुल इस्लाम मौलाना सैयद अशरफ़ अली अलग़रवी ने प्रसिद्ध आलिम और मुबल्लिग़ मौलाना सैयद वलीयुल हसन के इंतेक़ाल पर निम्नलिखित ताज़ियती पैग़ाम जारी किया हैं।
बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम
बेहद अफ़सोसनाक ख़बर मिली कि मौलाना सैयद वलीयुल हसन इस फ़ानी दुनिया से रुख़्सत होकर बारगाहे इलाही में पहुँच गए भारत के महान आलिम ज़फरुल मिल्लत अल्लामा सैयद ज़फरुल हसन रिज़वी (रह.) के बेटे हुज्जतुल इस्लाम मौलाना सैयद वलीयुल हसन साहब रह. की ज़िंदगी पूरी तरह इल्मी सरगर्मियों शैक्षिक गतिविधियों में सारी जिंदगी व्यस्त रही।
मौलाना सैयद वलीयुल हसन ने अपनी पूरी ज़िंदगी क़ौम की रहनुमाई हिदायत और तालिब-ए-इल्मों की तालीम व तरबियत में गुज़ारी।मौलाना मरहूम के तमाम पसमानदगान, वाबस्तगान, शागिर्दान और अक़ीदत मंदों, और अहले ख़ानदान की ख़िदमत में ताज़ियत पेश करते हैं और बारगाहे इलाही में उनकी मग़फिरत और बुलंद दर्ज़ात की दुआ करते हैं।
लोगो से मौलाना मरहूम के बुलंद दर्ज़ात के लिए सूरह फ़ातिहा की दरख़्वास्त है।
वस्सलाम
सैयद अशरफ़ अली अलग़रवी
अलमुस्तफा फाउंडेशन ट्रस्ट द्वारा मौलाना सैयद वलीयुल हसन रिज़वी के निधन पर शोक संदेश
अलमुस्तफा फाउंडेशन ट्रस्ट के प्रतिनिधि मौलाना सैयद जौहर अब्बास रिज़वी ने मौलाना सैयद वलीयुल हसन रिज़वी के निधन पर गहरा दुःख व्यक्त करते हुए कहा,आह! 'क़हतेर रिजाली के इस दौर में ज्ञान और साहित्य का एक और दीपक बुझ गया।
अलमुस्तफा फाउंडेशन ट्रस्ट के प्रतिनिधि मौलाना सैयद जौहर अब्बास रिज़वी ने मौलाना सैयद वलीयुल हसन रिज़वी के निधन पर गहरा दुःख व्यक्त करते हुए कहा,आह! 'क़हतेर रिजाली के इस दौर में ज्ञान और साहित्य का एक और दीपक बुझ गया।
शोक संदेश इस प्रकार है:
बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम
इन्ना लिल्लाहि व इन्ना इलाही राजी'उन।
قال الإمام الصادق عليه السلام :
( إذا مات العالم ثلم في الإسلام ثلمة لا يسدها شيء إلى يوم القيامة )
हज़रत इमाम सादिक़ (अ.स.) की हदीस,जब कोई आलिम चल बसता है, तो इस्लाम में ऐसी दरार पड़ जाती है जो क़यामत तक नहीं भर सकती।
उन्हेंने अहलेबैत (अ.स.) के प्रति समर्पित, कर्मठ विद्वान, परहेज़गार, दयालु शिक्षक, विनम्र स्वभाव वाला, और उत्कृष्ट नैतिक चरित्र का धनी थे।
मैं अल्लाह ताला से दुआ करता हूं कि परिवार वालों को सब्र आता करें और मरहूम की मग़फिरत करें और उन्हें जवारे अहलेबैत अ.स. में जगह करार दें।
सैयद जौहर अब्बास रिजवी
अल-मुस्तफा फाउंडेशन ट्रस्ट
मौलाना सय्यद वलीयुल हसन रिज़वी के निधन पर मुंबई के इमाम ए जुमा का शोक संदेश
मुंबई के इमाम ए जुमआ हुज्जतुल इस्लाम मौलाना सैयद अहमद अली आबदी ने हुज्जतुल इस्लाम मौलाना सैयद वलीयुल हसन रिज़वी के निधन पर गहरा दु:ख और संवेदना प्रकट की है।
मुंबई के इमाम ए जुमा हुज्जतुल इस्लाम मौलाना सय्यद अहमद अली आबदी ने हुज्जतुल इस्लाम मौलाना सय्यद वलीयुल हसन रिज़वी के निधन पर गहरा दु:ख और संवेदना प्रकट की है।
शोक संदेश कुछ इस प्रकार है:
बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम
इन्ना लिल्लाहे व इन्ना इलैहे राजेऊन
हुज्जतुल इस्लाम जनाब सय्यद वलीयुल हसन रिज़वी जिन्हें आज अत्यंत दुख के साथ ‘मरहूम’ और ‘ताब सराह’ कहना पड़ रहा है, ख़ानदान-ए-ज़फ़र-उल-मिल्लत के एक चमकते और रौशन चिराग़ थे,जो बुझ गया। उन्होंने इल्मी क्षेत्र में महत्वपूर्ण सेवाएँ दीं ।
शिक्षा और प्रचार के क्षेत्र में सक्रिय रहे और अपनी मिलनसारिता, अच्छे आचरण, धार्मिकता और परहेज़गारी के कारण छात्रों और आम जनता के बीच समान रूप से प्रिय थे। उनका निधन धार्मिक और बौद्धिक जगत के लिए एक अपूरणीय क्षति है।
मौलाना सय्यद अहमद अली आबदी ने आगे कहा,मैं ख़ानदान-ए-ज़फ़र-उल-मिल्लत के मुखिया हुज्जतुल इस्लाम मौलाना सैयद शमीम हसन की सेवा में संवेदना व्यक्त करता हूँ। यह उनके लिए एक बड़ा दुख है कि उन्होंने अपने भाई भतीजे और न जाने कितने प्रियजनों को खो दिया है।
मैं तमाम दीनी विद्यार्थियों और मरजय ए इकराम और विद्वानों और परिवार के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त करता हूं।
और अल्लाह ताला से दुआ करता हूं कि मरहूम के दरजात को बुलंद फरमाए परिवार वालों को सब्र अता करें मरहूम की मगफिरत करें।
महदी महदवीपुर की 15 वर्षो की सेवा को ख़ेराजे तहसीन और नए प्रतिनिधि का स्वागत
नई दिल्ली स्थित ईरान कल्चर हाउस में सराहना और स्वागत का एक शानदार आध्यात्मिक और ऐतिहासिक सम्मेलन आयोजित किया गया, जिसमें सुप्रीम लीडर, अयातुल्ला सैय्यद अली ख़ामेनेई (म) के पूर्व प्रतिनिधि हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लेमीन महदी महदीपुर की पंद्रह साल की शानदार सेवा को श्रद्धांजलि दी गई और सुप्रीम लीडर के नए प्रतिनिधि डॉ. अब्दुल मजीद हकीम इलाही का भव्य स्वागत किया गया।
नई दिल्ली स्थित ईरान कल्चर हाउस में सराहना और स्वागत का एक शानदार आध्यात्मिक और ऐतिहासिक सम्मेलन आयोजित किया गया, जिसमें सुप्रीम लीडर, अयातुल्ला सैय्यद अली ख़ामेनेई (म) के पूर्व प्रतिनिधि हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लेमीन महदी महदीपुर की पंद्रह साल की शानदार सेवा को श्रद्धांजलि दी गई और सुप्रीम लीडर के नए प्रतिनिधि डॉ. अब्दुल मजीद हकीम इलाही का भव्य स्वागत किया गया।
कार्यक्रम की शुरुआत कुरान की तिलावत से हुई, जिसके बाद हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लेमीन महदीपुर ने सभी मेहमानों का गर्मजोशी से स्वागत किया और उनका शुक्रिया अदा किया।
अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि उन्होंने लगभग पंद्रह वर्षों तक भारत में आयतुल्लाह खामेनेई के प्रतिनिधि के रूप में कार्य किया और इस महान जिम्मेदारी के लिए वे अत्यंत आभारी हैं। उन्होंने कहा कि पिछले कई वर्षों में उन्होंने भारत के विभिन्न भागों का दौरा किया है और यहां लोगों के बीच केवल प्रेम, भाईचारा और एकता ही देखी है। उनका प्रयास हमेशा लोगों को एक-दूसरे के करीब लाने और सभी मतभेदों को कम करने का रहा है।
इस्लामी गणतंत्र ईरान के राजदूत श्री इराज इलाही ने भी अपने वक्तव्य में महदीपुर की कड़ी मेहनत, सेवाओं और लोगों को जोड़ने के प्रयासों की ईमानदारी से प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि महदीपुर ने भारत में न केवल कूटनीति की है बल्कि धार्मिक और सांस्कृतिक संबंधों को भी मजबूत किया है।
आयतुल्लाह खामेनेई के नए प्रतिनिधि डॉ हकीम इलाही ने भी बात की और कहा कि वह अल्लाह के शुक्रगुज़ार हैं और जनाब महदीपुर की कड़ी मेहनत की सराहना करते हैं। उन्होंने कहा कि वह भारत में धार्मिक, शैक्षणिक और सांस्कृतिक गतिविधियों को और बढ़ाने का प्रयास करेंगे।
कुवैत से आए अतिथि जनाब मुस्तफा गुलाम ने भी कार्यक्रम में अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि जनाब महदीपुर ने हर समुदाय और वर्ग के साथ काम किया तथा लोगों के बीच प्रेम और एकता को बढ़ावा दिया।
इस कार्यक्रम के विशेष अतिथि, अंतरराष्ट्रीय मामलों के लिए सुप्रीम लीडर के कार्यालय के सहायक, आयतुल्लाह महसिन कुमी (सेवानिवृत्त) थे। उन्होंने शजनाब महदीपुर की 15 वर्षों की सेवा पर भी प्रकाश डाला और उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि दी। उन्होंने कहा कि जनाब महदीपुर ने भारत में धार्मिक, सामाजिक और सांस्कृतिक स्तर पर बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और उनकी बदौलत ईरान और भारत के बीच शैक्षणिक और सांस्कृतिक संबंध और मजबूत हुए।
इस कार्यक्रम को मौलाना कल्बे जवाद नकवी, मौलाना कल्बे रुशैद, मौलाना मोहसिन तकवी और ऑस्ट्रेलिया से आए मौलाना अबुल कासिम रिजवी और मुंबई से मौलाना हुसैन मेहदी हुसैनी जैसे प्रसिद्ध विद्वानों ने भी संबोधित किया। उन्होंने जनाब महदीपुर की सेवाओं की सराहना की और कहा कि उन्होंने हर संप्रदाय के बीच भाईचारा और सद्भाव कायम किया, जो एक मिसाल है।
अन्य वक्ताओं में प्रोफेसर अख्तर अल-वासी, मौलाना हुसैन मेहदी हुसैनी, मौलाना गुलाम रसूल कश्मीरी, कश्मीर के प्रतिष्ठित व्यक्ति, जनाब हुनैफा और रुहुल्लाह साहब, शाही इमाम फ़तेहपुरी मस्जिद और मुकर्रम साहब शामिल हैं।
अंततः आयतुल्लाह मोहसिन कुमी ने आधिकारिक तौर पर जनाब हकीम इलाही को भारत में अयातुल्ला खामेनेई का नया प्रतिनिधि घोषित किया और उनके लिए दुआ की। समारोह का समापन सभी अतिथियों के प्रति धन्यवाद प्रार्थना के साथ हुआ।
हज और उमराह यात्रियों के लिए 16 भाषाओं में डिजिटल गाइड जारी
सऊदी हज और उमराह मंत्रालय ने दो पवित्र मस्जिदों के तीर्थयात्रियों की सुविधा और मार्गदर्शन के लिए 16 विभिन्न भाषाओं में एक डिजिटल गाइड जारी करके एक अभिनव कदम उठाया है। यह मार्गदर्शिका मंत्रालय की वेबसाइट पर ऑडियो प्रारूप में भी उपलब्ध है।
दोनों पवित्र मस्जिदों में तीर्थयात्रियों की सुविधा और मार्गदर्शन के लिए, सऊदी हज और उमराह मंत्रालय ने एक अभिनव कदम उठाया है 16 विभिन्न भाषाओं में एक डिजिटल गाइड जारी किया है। यह मार्गदर्शिका मंत्रालय की वेबसाइट पर ऑडियो प्रारूप में भी उपलब्ध है और आगंतुक इसे डाउनलोड कर आसानी से उपयोग कर सकते हैं।
हज और उमराह मंत्रालय ने विभिन्न देशों से आने वाले तीर्थयात्रियों की सुविधा के लिए उर्दू, अंग्रेजी, अरबी, तुर्की, फारसी, उज्बेक, इंडोनेशियाई और अन्य भाषाओं में महत्वपूर्ण जानकारी उपलब्ध कराई है। इस गाइड में साइबर सुरक्षा, कानूनी और प्रशासनिक मामले, वित्तीय मामले (बैंकिंग) और स्वास्थ्य मार्गदर्शन सहित विभिन्न विषयों पर विस्तृत निर्देश शामिल हैं।
यह मार्गदर्शिका हज और उमराह के महत्वपूर्ण चरणों और स्थानों के बारे में भी जानकारी प्रदान करती है, जिसमें जमरात (मिना), मुजदलेफा, क़ुरबानी के दिन, अराफा के दिन और एहराम के प्रतिबंधों के बारे में दिशा-निर्देश शामिल हैं। यह आधुनिक गाइड न केवल हज और उमराह की रस्में निभाने में तीर्थयात्रियों को सुविधा प्रदान करेगा, बल्कि उन्हें किसी भी कानूनी या प्रशासनिक जटिलताओं से बचने में भी मदद करेगा।
डिजिटल गाइड मदीना और मक्का के विभिन्न स्थानों के साथ-साथ मस्जिद अल नबी और मस्जिद अल नबी में प्रदान की जाने वाली सेवाओं के बारे में पूरी जानकारी प्रदान करता है। हज और उमराह मंत्रालय द्वारा दी गई जानकारी पीडीएफ प्रारूप में उपलब्ध है जिसे डाउनलोड किया जा सकता है, और ऑडियो भी उपलब्ध कराया गया है।
गाज़ा में शरणार्थी शिविर पर हमले में 4 शहीद, 20 घायल
इज़राईली सेना द्वारा गाज़ा के विभिन्न क्षेत्रों पर क्रूर हवाई हमले जारी हैं जिनमें कई नागरिक घायल हुए हैं।
इज़राईली सेना ने गाज़ा के विभिन्न इलाकों पर हवाई हमले किए, जिसमें कई नागरिकों के घायल होने की खबर है। अलजज़ीरा के संवाददाता के मुताबिक, शनिवार शाम को इजरायली युद्धक विमानों ने दक्षिणी और दक्षिण-पूर्वी गाज़ा को निशाना बनाया, जबकि राफाह, खान यूनिस और अज़ज़ैतून सहित कई आवासीय क्षेत्रों पर बमबारी की गई।
सूत्रों के अनुसार, खान यूनिस के पश्चिमी इलाके में एक शरणार्थी शिविर और एक आवासीय भवन पर इजरायली हमले के परिणामस्वरूप कम से कम 4 फिलिस्तीनी शहीद हो गए और 20 घायल हो गए। अभी तक इन हमलों की और जानकारी सामने नहीं आई है।
हाल के हमलों में बढ़ती हिंसा गाज़ा में इजरायली हमलों की तीव्रता बढ़ गई है 13 नवंबर 2024 को हुए हमलों में 62 फिलिस्तीनी शहीद हुए और 4 इजरायली सैनिक मारे गए ।
शरणार्थी शिविरों पर लक्षित हमले दीर अलबलाह में एक शरणार्थी शिविर के पास हुए हमले में 4 लोग शहीद हुए, जिनमें बच्चे भी शामिल थे इजरायली सेना ने कमाल अदवान अस्पताल पर हमला किया, जिससे कई मरीज और कर्मचारी शहीद हुए ।
ईरानी जनता दुश्मन के किसी भी बाहरी हमले या आंतरिक फितनों का मुंहतोड़ जवाब देगी
हुज्जतुल इस्लाम सैयद हसन फाज़िलियान ने कहा,आज दुश्मनों के मुकाबले में ईरान पहले से कहीं अधिक शक्तिशाली है याद रहे कि मुक़ावेमत की रणनीति ही दुश्मनों और साम्राज्यवादी ताकतों के खिलाफ सफलता का एकमात्र रास्ता है।
ईरान के शहर हमदान के इमाम ए जुमआ हुज्जतुल इस्लाम फाज़िलियान ने जुमा के खुतबे के दौरान कहा,पूरी दुनिया इस्लामी क्रांति के रहबर (सुप्रीम लीडर) के बयानों को महत्व देती है वास्तव में रहबर दुनिया के लिए एक नेमत और बरकत हैं।ईरान की ताकत 'विलायत' की अनुसरणशीलता से जुड़ी हुई है।
उन्होंने रहबर के ईद-उल-फितर के भाषण का हवाला देते हुए कहा,दुश्मन का बाहर से हमला करना मुश्किल है क्योंकि वह जानता है कि उसे यक़ीनन मुंहतोड़ जवाब मिलेगा।
ट्रंप की धमकियाँ खोखली हैं दुश्मन यह भी जानता है कि अगर वह ईरान के अंदर फितना (अशांति) फैलाने की कोशिश करेगा तो उसे निराशा ही हाथ लगेगी।पिछले मौकों की तरह, इस बार भी ईरानी जनता उनके षड्यंत्रों का मुंहतोड़ जवाब देगी।
बाक़ी क़ब्रिस्तान की विध्वंस की निंदा,उन्होंने 8 शव्वाल वहाबियों द्वारा मदीना के बाक़ी क़ब्रिस्तान में इमामों की क़ब्रों के विध्वंस की तारीख का जिक्र करते हुए कहा,वहाबियों ने बाक़ी क़ब्रिस्तान में अहलेबैत (अ.स.) की पवित्र क़ब्रों को नष्ट किया हम इस घृणित कार्य की कड़ी निंदा करते हैं।
ईरान की सुरक्षा नीति ईरान ने हमेशा बाहरी दबाव और आंतरिक अशांति के खिलाफ मज़बूती दिखाई है।प्रतिरोध अक्ष (मुक़ाविमत धुरी)यह ईरान, हिज़बुल्लाह, और अन्य समर्थक गुटों का वह गठबंधन है जो अमेरिका और इज़राइल के विरोध में खड़ा है।
बाक़ी क़ब्रिस्तान का विध्वंस, 1925 में सऊदी वहाबियों ने इस्लामी इतिहास की कई महत्वपूर्ण हस्तियों की क़ब्रें नष्ट कर दी थीं, जिसकी शिया मुसलमानों द्वारा आलोचना होती है।
फिलिस्तीन पर वैश्विक समुदाय की चुप्पी के खतरनाक परिणाम हो सकते हैं
मिस्र के विदेश मंत्री बद्र अब्देलअत्ती ने काहिरा में फिलिस्तीनी संगठन फतह के एक प्रतिनिधिमंडल के साथ बैठक के दौरान वैश्विक समुदाय की चुप्पी के खतरनाक परिणामों के प्रति बताया है।
मिस्र के विदेश मंत्री बद्र अब्देलअत्ती ने काहिरा में फिलिस्तीनी संगठन फतह के एक प्रतिनिधिमंडल के साथ बैठक के दौरान वैश्विक समुदाय की चुप्पी के खतरनाक परिणामों के प्रति बताया है।
मिस्र के विदेश मंत्री बद्र अब्देलअत्ती ने काहिरा में फिलिस्तीनी संगठन फतह के एक प्रतिनिधिमंडल के साथ बैठक के दौरान वैश्विक समुदाय की चुप्पी के खतरनाक परिणामों के प्रति बताया है।
उन्होंने कहा कि इजरायल द्वारा गाजा पट्टी को वेस्ट बैंक से अलग करने की कोशिशें अस्वीकार्य हैं और यह कदम गाजा की सुरक्षा तथा क्षेत्र में स्थायी शांति की संभावनाओं पर नकारात्मक प्रभाव डालेगा ।
मिस्र ने फिलिस्तीनी प्राधिकरण का समर्थन दोहराया और जबरन विस्थापन के खिलाफ अपनी सख्त रुख की पुष्टि की। विदेश मंत्री ने चेतावनी दी कि वैश्विक चुप्पी फिलिस्तीनी लोगों के लिए और अधिक खतरे पैदा करेगी ।
गाजा की 51% आबादी बच्चों की है, जो इजरायली बमबारी के प्रमुख शिकार हैं मिस्र ने राफाह क्रॉसिंग के माध्यम से मानवीय सहायता प्रदान करने में प्रभावी कदम नहीं उठाए हैं, जबकि इजरायल ने मिस्र के साथ शांति समझौते का उल्लंघन करते हुए इस क्षेत्र पर सैन्य नियंत्रण कर लिया है ।
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया की कमी,संयुक्त राष्ट्र और अन्य वैश्विक संस्थाओं की निष्क्रियता ने इजरायली कार्रवाइयों को बढ़ावा दिया है। मिस्र ने इस ओर ध्यान आकर्षित करते हुए कहा कि यह चुप्पी संघर्ष को और गहरा बना रही है ।
इजरायल के कार्यों ने पूरे मध्य पूर्व में तनाव बढ़ा दिया है। मिस्र ने चेतावनी दी कि यह स्थिति दीर्घकालिक शांति के लिए खतरा है और अंतरराष्ट्रीय समुदाय को तुरंत हस्तक्षेप करना चाहिए ।
मिस्र की चेतावनी इस बात की ओर इशारा करती है कि फिलिस्तीन संकट पर वैश्विक चुप्पी न केवल मानवीय पीड़ा को बढ़ाएगी बल्कि पूरे क्षेत्र में अस्थिरता भी फैलाएगी अंतरराष्ट्रीय समुदाय को तत्काल इस मुद्दे पर सक्रिय भूमिका निभाने की आवश्यकता है ।
मौलाना सय्यद वलीउल हसन रिज़वी आज़मी इल्म और तक़वा का पैकर
स्वर्गीय हौज़ा को इल्म और तकवा के प्रतीक, गंभीरता और निष्ठा के प्रतीक और एक अनुकरणीय शिक्षक होने के कारण "आदर्श शिक्षक" की उपाधि से सम्मानित किया गया था, और उन्होंने अपना पूरा जीवन धर्म की सेवा में बिताया। उनकी शैक्षणिक और धार्मिक सेवाओं को सदैव याद रखा जाएगा।
दिवंगत विद्वान को ज्ञान और धर्मपरायणता के प्रतीक, गंभीरता और अखंडता के प्रतीक और एक अनुकरणीय शिक्षक होने के कारण "उस्ताद नामुल" की उपाधि से सम्मानित किया गया था, और उन्होंने अपना पूरा जीवन धर्म की सेवा में बिताया। उनकी शैक्षणिक और धार्मिक सेवाओं को सदैव याद रखा जाएगा। अल्लाह उन्हें माफ करे, उनकी रैंक बढ़ाए और उनके परिवारों को धैर्य प्रदान करे। आमीन.
आपका संक्षिप्त परिचय एवं जीवनी नीचे प्रस्तुत है:
नाम: सैयद वलीउल हसन रिज़वी
उपनाम: वली आज़मी
पिता: आयतुल्लाह सय्यद ज़फ़र उल हसन रिज़वी ताबा सराह (हज़रत गुमनाम आज़मी)
जन्म: 1952. बनारस, उत्तर प्रदेश, भारत
वतन: मिठ्ठनपुर, निज़ामाबाद, आज़मगढ़ (उत्तर प्रदेश)
शिक्षा: हौज़ा ए इल्मिया क़ुम, ईरान से स्नातक। एम.ए. (इतिहास), एम.ए. (फारसी साहित्य)।
व्यवसाय: 2002 में तेहरान ब्रॉडकास्टिंग कंपनी से सेवानिवृत्त हुए।
पता: तेहरान, ईरान
हुज्जतुल इस्लाम मौलाना सैयद वलीउल हसन रिज़वी आज़मी वर्तमान युग के सम्मानित और प्रख्यात विद्वानों में से एक माने जाते थे। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा अपने माता-पिता के मार्गदर्शन में प्राप्त की। चूंकि वे शैक्षणिक माहौल में पले-बढ़े थे, इसलिए उन्होंने ज्ञान अर्जित करना अपने जीवन का अभिन्न अंग बना लिया। उन्होंने जामिया जवादिया बनारस में दाखिला लिया और वहां से स्कॉलर का प्रमाण पत्र प्राप्त किया। इसके बाद उनका सांसारिक शिक्षा के प्रति जुनून बढ़ने लगा तो उन्होंने नेशनल इंटर कॉलेज में दाखिला ले लिया। वहां से हाईस्कूल की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने हरीश चंद्र इंटर कॉलेज से इंटरमीडिएट की पढ़ाई की। इसके बाद वे अलीगढ़ चले गए और अपने बड़े भाइयों की तरह उन्होंने अपने रिश्तेदार मौलाना डॉ. सैयद मुहम्मद रजा नकवी की देखरेख में मुस्लिम विश्वविद्यालय से स्नातक की उपाधि प्राप्त की और फिर इतिहास में स्नातकोत्तर किया। इस प्रकार एम.ए. की डिग्री प्राप्त करने के बाद वे पुनः बनारस आ गये। यहां उन्होंने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से फारसी साहित्य में दूसरी एम.ए. की डिग्री प्राप्त की। वह इकराम हुसैन प्रेस से जुड़े, जो प्रकाशन का एक महत्वपूर्ण केंद्र था, और उसे बहुमूल्य सेवाएं प्रदान कीं। इस दौरान उन्होंने मासिक पत्रिका अल-जवाद का प्रकाशन कार्य भी जारी रखा, जिसे जामिया जवादिया द्वारा प्रकाशित किया जाता था।
अयातुल्ला सरकार जफरुल-मिल्लत (र) की मृत्यु के बाद, सरकार शमीमुल-मिल्लत की सिफारिश पर, वह उच्च धार्मिक शिक्षा के लिए 1984 में क़ुम, ईरान चले गए, जहाँ वे मदरसा ए हुज्जतिया में रहे। इस दौरान उन्हें महान गुरुओं के आशीर्वाद का लाभ मिला। 1985 से 1995 तक उन्होंने क़ुम में प्रकाशित वैज्ञानिक, बौद्धिक और साहित्यिक पत्रिका "तौहीद" का संपादन किया। इस दौरान उन्होंने कई लेख भी लिखे और अनुवाद भी किया। 1997 में वह तेहरान रेडियो स्टेशन की उर्दू सेवा में शामिल हो गये। और फिर उन्होंने वहां टेलीविजन पर लगातार कार्यक्रम भी प्रसारित किये। ऐतिहासिक अवसरों पर विशेष कार्यक्रमों के अलावा, उन्होंने बच्चों की वैज्ञानिक और बौद्धिक रुचि को प्रोत्साहित करने के लिए विभिन्न कार्यक्रम बनाए। यह सिलसिला 2020 तक सफलतापूर्वक जारी रहा। इस बीच उन्होंने सुप्रीम लीडर की उर्दू वेबसाइट की भी देखरेख की।
एक व्यक्ति एक ही समय में एक अच्छा नस्र लेखक या एक उत्कृष्ट कवि हो सकता है, लेकिन दोनों गुणों को एक साथ धारण करना एक ऐसा कौशल है जो केवल चुनिंदा व्यक्तियों में ही पाया जाता है।
हज़रत वली आज़मी ने जब नस्र में कलम उठाया तो उन्होंने अनगिनत लेखों का खजाना जमा कर लिया। और जब उन्होंने कविता के साथ प्रयोग किया, तो उन्होंने एक विशाल संग्रह संकलित किया। जब तक उनकी सांस चलती रही, उनका कलम चलता रहा और लेखन प्रक्रिया जारी रही। उनके संकलनों के अलावा, उनकी सबसे महत्वपूर्ण उपलब्धि तफ़सीर ज़फ़र अल-बयान है। यह तफ़सीर तेहरान से प्रकाशित होती है तथा मासिक पत्रिका अल-जवाद बनारस में भी किस्तो में प्रकाशित होती है।
इसके अलावा, भारत और पाकिस्तान की प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में उनके कई शोधपत्र और लेख प्रकाशित हुए हैं। वर्ष 2002 में उन्हें क़ुम के प्रख्यात विद्वानों के अनुसंधान का मार्गदर्शन करने के लिए हौज़ा ए इल्मिया क़ुम की ओर से एक अनुकरणीय शिक्षक होने के लिए "उस्ताद नामुन" पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
कविता विरासत में मिली और बनारस शहर का साहित्यिक वातावरण भी निर्धारित हो गया। कविता का प्रचलन शुरू से ही चला आ रहा था। धीरे-धीरे वे बनारस और उसके आसपास के क्षेत्र में एक परिपक्व और सम्मानित कवि के रूप में ख्याति प्राप्त करने लगे। उन्होंने कसीदा पढ़े और उन्हें सभी आवश्यक विवरणों के साथ पढ़ा। धीरे-धीरे उन्होंने परिस्थिति को ध्यान में रखते हुए संगठित सभाओं में मनकब प्रस्तुत करना जारी रखा। उन्होंने विभिन्न विषयों पर कविताएँ भी सुनाई हैं। उन्होंने रूमी की मसनवी का उर्दू अनुवाद भी किया है।
खुदा बख्शे बहुत सी खूबीया थी मरने वाले मे
हमारे प्रिय भाई, हुज्जतुल इस्लाम मौलाना सैयद मुहम्मद मोहसिन जौनपुरी, कुमी मुबल्लिग, और मौलाना नासिर आज़मी की जानकारी के अनुसार, हुज्जतुल इस्लाम मौलाना सैयद वलीउल हसन साहब क़िबला का कल रात लगभग 11 बजे ईरान के क़ुम में उनके निजी निवास पर निधन हो गया और अंतिम संस्कार गुरुवार को ईरान के धार्मिक नगर क़ुम में होगा। अंतिम संस्कार और दफन समारोह में भाग लेने के लिए, हुज्जतुल इस्लाम मौलाना सय्यद ज़मीरुल हसन रिजवी साहब किबला, दिवंगत मौलाना के छोटे बेटे बुरैर ज़फर और अन्य करीबी रिश्तेदारों के साथ, आज रात विमान से भारत से ईरान के लिए रवाना होंगे। सरकार शमीम-उल-मिल्लत मदज़िला भी बहुत रो रहे हैं और अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए ईरान जाने के लिए उत्सुक हैं, लेकिन उनकी वृद्धावस्था और खराब स्वास्थ्य के कारण उनके परिवार ने उन्हें यात्रा करने से रोक दिया है। मृतक के बच्चों में दो बेटे, बड़े बेटे मौलाना सैयद ज़ुहैर ज़फ़र और छोटे बेटे बुरैर ज़फ़र और दो बेटियाँ शामिल हैं। हुज्जतुल इस्लाम मौलाना सय्यद वलीउल हसन साहब क़िबला की दुखद मृत्यु पर हम मृतक के सभी रिश्तेदारों और दोस्तों, सरकार ज़फर-उल-मिल्लत (र) के परिवार, विद्वानों, छात्रों और महान धार्मिक अधिकारियों, विशेष रूप से हज़रत इमाम उम्र (अज) के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त करते हैं।