
رضوی
हज़रत इमाम जाफ़र सादिक़ अलैहिस्सलाम के अख़्लाक़ी पहलू
मुआविया बिन वहब कहते हैं, मैं मदीना में हज़रत इमाम जाफ़र सादिक़ अलैहिस्सलाम के साथ था, आप अपनी सवारी पर सवार थे, अचानक सवारी से उतर गए, हम बाजार जाने का इरादा रखते थे लेकिन इमाम अलैहिस्सलाम सज्दा में गये और आपने एक लंबा सज्दा किया, मैं इंतजार करता रहा जब तक आपने सज्दा से सिर उठाया, मैंने कहा: मैं आप पर कुर्बान! मैंने आपको देखा कि सवारी से उतरे और सज्दे में चले गए? आपने फ़रमाया,मैं अपने ख़ुदा की नेअमतों को याद करके सज्दा कर रहा था
गैर शियों की मदद:
मुअल्ला बिन ख़ुनैस कहते हैं: हज़रत इमाम सादिक़ अलैहिस्सलाम एक रात कि जिसमें हलकी हलकी बारिश हो रखी थी बनी साएदा के सायबान में जाने के लिए बैतुश शरफ़ से बाहर निकले, मैं आपके पीछे पीछे रवाना हुआ, अचानक आपके हाथ से कोई चीज़ गिरी, बिस्मिल्लाह, कहने के बाद आपने फरमाया: ख़ुदाया! इसको हमारी तरफ़ पलटा दे, मैं आगे बढ़ा और आपको सलाम किया, इमाम अलैहिस्सलाम ने फ़रमाया मुअल्ला! मैंने कहा: जी हुज़ूर, मैं आप पर क़ुर्बान, कहा: तुम भी इस चीज़ को ढ़ूंढ़ो और अगर मिल जाए तो मुझे दे दो।
अचानक मैंने देखा कि कुछ रोटियाँ हैं जो ज़मीन पर बिखरी हुई हैं, मैंने उन्हें उठाया और इमाम अलैहिस्सलाम की ख़िदमत में पेश किया, उस समय मैंने इमाम अलैहिस्सलाम के हाथों में रोटी का भरा हुआ एक बैग देखा, मैंने कहा: लाइये मुझे दे दीजिए मैं इसे लेकर चलता हूँ, इमाम अलैहिस्सलाम ने फ़रमाया नहीं, मैं इसे ले चलूंगा, लेकिन मेरे साथ चलो।
बनी साएदा के सायबान में पहुंचे, यहां कुछ लोगों को देखा जो सोए हुये थे, इमाम अलैहिस्सलाम ने हर आदमी के कपड़ों के नीचे एक या दो रोटियाँ रखीं और जब सब तक रोटियाँ पहुंच गईं तो आप वापस पलट आए, मैं ने कहा,मैं आप पर कुर्बान! क्या यह लोग हक़ को पहचानते हैं? कहा: अगर वह हक़ को पहचानते होते तो बेशक नमक द्वारा (भी) उनकी मदद करता है।
रिश्तेदारों की मदद:
अबू जअफ़र बिन खसअमी कहते हैं कि हज़रत इमाम सादिक़ अलैहिस्सलाम ने मुझे पैसों की एक थैली दी और कहा: उसे बनी हाशिम के परिवार के फ़लाँ आदमी तक पहुंचा दो, लेकिन यह न बताना कि मैंने भेजी है।
अबू जाफर कहते हैं: मैंने वह थैली उस आदमी तक पहुंचा दी, उसने वह थैली लेकर कहा: अल्लाह इस थैली के भेजने वाले को अच्छा बदला दे, हर साल यह पैसे मेरे लिए भेजता है और साल के आख़िर तक खर्च चलाता हूँ, लेकिन जाफ़र सादिक़ (अ) इतनी माल व दौलत रखने के बावजूद भी मेरी कोई मदद नहीं करते।
अख़लाक़ की बुलंदी:
हाजियों में से एक आदमी मदीने में सो गया और जब जागा तो उसने यह गुमान किया कि किसी ने उसकी थैली चुरा ली है, उस थैली की तलाश में दौड़ा, हज़रत इमाम सादिक़ अलैहिस्सलाम को नमाज़ पढ़ते देखा और वह इमाम अ. को नहीं पहचानता था, इसलिए वह इमाम अलैहिस्सलाम से उलझ गया और कहने लगा: मेरी थैली तुमने उठाई है! इमाम अलैहिस्सलाम ने फ़रमाया कि उसमें क्या था? उसने कहा: एक हजार दीनार, इमाम अलैहिस्सलाम उसे अपने घर ले आए और उसे हजार दीनार दे दिये।
लेकिन जब वह आदमी अपनी जगह पलट कर आया तो उसकी थैली उसे मिल गई, शर्मिंदा होकर हजार दीनार के साथ इमाम अलैहिस्सलाम का माल वापस करने के लिए आया, लेकिन इमाम अलैहिस्सलाम ने वह माल लेने से इंकार कर दिया और कहा कि जो कुछ हम दे दिया करते हैं उसे वापस नहीं लेते, उसने लोगों से सवाल किया कि यह आदमी ऐसे करम व एहसान वाला कौन है? तो उसे बताया गया कि यह जाफ़र सादिक़ अलैहिस्सलाम हैं, उसने कहा: यह करामत ऐसे ही इंसान के लिए सज़ावार है।
हज़रत इमाम जाफर सादिक अलैहिस्सलाम की नज़र में दीनी विद्यार्थियों की अहमियत
इमाम सादिक़ अलैहिस्सलाम ने अपने शागिर्द से फ़रमाया कि अगर तुम्हारे पास क़ीमती हीरा हो तो सारी दुनिया कहती रहे कि यह पत्थर है, मगर चूंकि तुम्हें इल्म है कि यह हीरा है तुम दुनिया वालों की बात का एतेबार नहीं करोगे। इसी तरह अगर तुम्हारे हाथ में पत्थर है और सारी दुनिया कहती रहे कि यह क़ीमती हीरा है तो तुम दुनिया की बात नहीं सुनोगे क्योंकि तुम्हें इल्म है कि वह पत्थर है।
हज़रत आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने फरमाया,इमाम सादिक़ अलैहिस्सलाम ने अपने शागिर्द से फ़रमाया कि अगर तुम्हारे पास क़ीमती हीरा हो तो सारी दुनिया कहती रहे कि यह पत्थर है, मगर चूंकि तुम्हें इल्म है कि यह हीरा है तुम दुनिया वालों की बात का एतेबार नहीं करोगे।
इसी तरह अगर तुम्हारे हाथ में पत्थर है और सारी दुनिया कहती रहे कि यह क़ीमती हीरा है तो तुम दुनिया की बात नहीं सुनोगे क्योंकि तुम्हें इल्म है कि वह पत्थर है।
जब क़ीमती जवाहरात आपके पास हैं तो सारी दुनिया कहती रहे कि यह तो बेकार चीज़ है, आप का इल्म कहेगा कि नहीं यह बहुत क़ीमती चीज़ है। हमारी क़ौम को इल्म है, वह समझ चुकी है, इसी लिए मज़बूत क़दमों से डटी हुई है।
हज़रत इमाम जाफ़र सादिक़ (अ) की शहदत के मौके पर संक्षिप्त परिचय
हज़रत इमाम जाफ़र सादिक़ अलैहिस्सलाम हज़रत पैग़म्बरे इस्लाम हज़रत मुहम्मद (स) के छठे उत्तराधिकारी और आठवें मासूम हैं आपके वालिद (पिता) इमाम मुहम्मद बाक़िर (अ) थे।
हज़रत इमाम जाफ़र सादिक़ अलैहिस्सलाम हज़रत इमाम जाफ़र सादिक़ (अ.ह) पैग़म्बरे इस्लाम हज़रत मुहम्मद (स.अ) के छठे उत्तराधिकारी और आठवें मासूम हैं आपके वालिद (पिता) इमाम मुहम्मद बाक़िर (अ.) थेऔर माँ जनाबे उम्मे फ़रवा बिंतें क़ासिम इब्ने मुहम्मद इब्ने अबू बक्र थीं। आप अल्लाह की तरफ़ से मासूम थे।
अल्लामा इब्ने ख़लक़ान लिखते हैं कि आप अहलेबैत (स.अ.) में से थे और आपकी फ़ज़ीलत, बड़ाई और आपकी अनुकम्पा, दया व करम इतना मशहूर है कि उसको बयान करने की ज़रूरत नहीं है।आपकी विलादत (शुभ जन्म)आपकी विलादत 17 रबीउल अव्वल 83 हिजरी तथा 702 ईसवी दिन सोमवार को मदीना-ए-मुनव्वरा मे हुआ आपकी जन्मतिथि को अल्लाह ने बड़ी प्रतिष्ठा दे रक्खी है, हदीसों मे है कि इस दिन में रोज़ा रखना एक साल के रोज़े के बराबर है।
हज़रत इमाम मुहम्मद बाक़िर (अ.) का कथन है कि यह मेरा बेटा कुछ ख़ास लोगों मे से है जिनके वुजूद से ख़ुदा ने अपने बन्दों पर उपकार किया है और यही मेरे बाद मेरा उत्तराधिकारी होगा।आप का नाम, उपनाम और उपाधियांआप का नाम जाफ़र (अ) आपके उपनाम अब्दुल्लाह, अबू इस्माईल और आपकी उपाधियां सादिक़, साबिर, फ़ाज़िल, ताहिर इत्यादि हैं।
अल्लामा मजलिसी लिखते हैं कि, जनाब रसूले ख़ुदा (स) ने अपनी ज़िंदगी मे हज़रत जाफ़र बिन मुहम्मद (अ) को सादिक़ की उपाधि दी थी। उल्मा का बयान है कि जाफ़र नाम की जन्नत मे एक मीठी नहेर है, उसी के नाम पर आपको जाफ़र की उपाधि दी गई है, क्योंकि आपकी अनुकम्पा एक जारी नहर की तरह थी इसी लिए आपको यह उपाधि दी गई।
समकालीन राजाआप के जन्म के समय अब्दुल मालिक बिन मरवान समकालीन राजा था, फिर वलीद, सुलैमान, उमर बिन अब्दुल अज़ीज़ बिन अब्दुल मलिक, हिशाम बिन अब्दुल मलिक, वलीद बिन यज़ीद बिन अब्दुल मलिक, यज़ीदुन नाक़िस, इब्राहीम बिन वलीद और मरवान-अल-हेमार इसी क्रमानुसार खलीफ़ा हुए, मरवान-अल-हेमार के बाद बनी उमय्या की हुकूमत का सूरज डूब गया और बनी अब्बास ने हुकूमत पर क़ब्ज़ा जमा लिया।
बनी अब्बास का पहला बादशाह अबुल अब्बास सफ़्फ़ाह और दूसरा मन्सूर दवानि0क़ी हुआ। इसी मन्सूर ने अपनी हुकूमत के दो साल गुज़रने के बाद इमाम जाफ़र सादिक़ (अ) को ज़हर से शहीद कर दिया।आप के शागिर्द (शिष्य)सभी इसलामी फ़ुक़ीहों के उस्ताद इमाम जाफ़र सादिक़ (अ) है ख़ास कर इमाम अबू हनीफ़ा, यहिया बिन सईद अन्सारी, इब्ने जुरैह, इमाम मालिक इब्ने अनस, इमाम सुफ़यान सौरी, सुफ़यान बिन ऐनैह, अय्यूब सजिस्तयानी इत्यादि का नाम आप के शिष्यों मे दर्ज है।
इदार-ए-मारिफ़ुल क़ुरान के तीसरे हिस्से के पेज 109 पर (प्रकाशित मिस्र) मे है कि आप के शिष्यों मे जाबिर बिन हय्यान सूफ़ी तरसूसी भी हैं। आप के कुछ शिष्यों की महानता और उनकी रचनाओं और इल्मी सेवाओं पर रौशनी डालना तो बहुत ज़्यादा कठिन काम है, इस लिए यहां केवल जाबिर इब्ने हय्यान तरसूसी जो कि बहुत ज़्यादा माहिर और आलिम होने के बाद भी इमाम के शिष्य होने के सम्बन्ध से आम लोगों की नज़रों से छिपे हुए हें और कुछ दूसरे गुटों के लीडर व इमाम माने जाते हैं।
अफ़सोस तो इस बात का है कि वह इमाम जाफ़र सादिक़ (अ) के शिष्यों को तो इमाम मानते हैं मगर ख़ुद इमाम जाफ़र सादिक़ (अ) को इमाम क़ुबूल नही करते हैं।
रईस मज़हब, मोअल्लिमे बशरियत का मातम
रईस मज़हब मोअल्लिमे बशरियत और कुरान ए नातिक़ इमाम जाफ़र सादिक़ (अ) अपने जीवन के अंतिम दिनों में बेहद दुबले और कमजोर हो गए थे। एक रावी जिसे उस समय उनसे मिलने का सम्मान प्राप्त हुआ था, ने बताया कि महान इमाम इतने दुबले और कमजोर हो गए थे कि केवल उनका सिर ही बचा था, जिसका अर्थ है कि उनका धन्य शरीर अत्यंत दुबला और क्षीण हो गया था। उनका पूरा जीवन कष्ट, कठिनाई और दुःख में बीता। जीवन के अंतिम समय में उनकी पीड़ा और कठिनाइयां बहुत बढ़ गईं।
रईस मज़हब मोअल्लिमे बशरियत और कुरान ए नातिक़ इमाम जाफ़र सादिक़ (अ) अपने जीवन के अंतिम दिनों में बेहद दुबले और कमजोर हो गए थे। एक रावी जिसे उस समय उनसे मिलने का सम्मान प्राप्त हुआ था, ने बताया कि महान इमाम इतने दुबले और कमजोर हो गए थे कि केवल उनका सिर ही बचा था, जिसका अर्थ है कि उनका धन्य शरीर अत्यंत दुबला और क्षीण हो गया था। उनका पूरा जीवन कष्ट, कठिनाई और दुःख में बीता। जीवन के अंतिम समय में उनकी पीड़ा और कठिनाइयां बहुत बढ़ गईं।
एक दिन, मलऊन मंसूर दवानकी ने अपने मंत्री रबी से कहा, "जाफर बिन मुहम्मद (इमाम जाफर अल-सादिक (अ.स.)) को तुरंत दरबार में लाओ।"
जब रबी' ने मंसूर के आदेश का पालन करते हुए इमाम मज़लूम को दरबार में पेश किया, तो शापित मंसूर ने उनका अपमान किया और बहुत गुस्से में कहा: "अल्लाह मुझे मार डाले अगर मैं तुम्हें नहीं मारूंगा, तो तुम मेरे शासन का विरोध कर रहे हो।"
इमाम जाफ़र सादिक़ (अ) ने कहा: जिसने भी तुम्हें यह खबर सुनाई वह झूठा है।
रबी में कहा गया है कि जब इमाम जाफर सादिक (अ) दरबार में प्रवेश कर रहे थे, तो उनके धन्य होठ हिल रहे थे। यहां तक कि जब वह मंसूर के पास बैठा था, तब भी उसके आशीर्वाद भरे होठ हिल रहे थे और मंसूर का गुस्सा कम हो रहा था।
जब इमाम जाफ़र सादिक (अ) मंसूर के दरबार से निकले तो मैं भी उनके पीछे गया और पूछा: जब वे दरबार में दाखिल हुए तो मंसूर बहुत गुस्से में था। उस समय उनके धन्य होठ हिल रहे थे और उनका क्रोध शांत हो गया। तुम क्या पढ़ रहे थे?
इमाम जाफ़र सादिक (अ) ने कहा: मैं अपने परदादा सैय्यद अल-शुहादा इमाम हुसैन (अ.स.) की दुआ पढ़ रहा था।
"हे संकट के समय में मेरी शक्ति और संकट के समय में मेरी शरण, अपनी उन आंखों से मेरी रक्षा करो जो कभी नहीं सोती हैं, और मुझे अपने स्थिर और अविचल स्तंभ की छाया में आश्रय दो।"
इमाम जाफ़र सादिक (अ) के बैतुल शराफ़ को आग लगाना
मुफ़ज़्ज़ल बिन उमर से वर्णित है कि मंसूर अल-दवानकी ने मक्का और मदीना के गवर्नर हसन बिन ज़ैद को एक पत्र लिखा, जिसमें उन्हें जाफ़र बिन मुहम्मद (इमाम जाफ़र सादिक (अ) के घर में आग लगाने का आदेश दिया गया। उन्होंने आदेश का पालन किया और इमाम जाफ़र सादिक़ (अ) के घर में आग लगा दी ताकि उनका घर जलने लगे। इमाम जाफ़र सादिक (अ) आए और आग के बीच में कदम रखा और कहा: "मैं इश्माएल का बेटा हूं, जिसका वंश धरती में जड़ों की तरह फैला हुआ है, मैं इब्राहीम का बेटा, अल्लाह का दोस्त हूं।"
यह वर्णित है कि जब आग भड़क उठी तो लोगों ने इमाम जाफ़र सादिक (अ) को रोते हुए देखा। पूछा गया, "अब तुम क्यों रो रहे हो?" इमाम जाफ़र सादिक़ (अ) ने कहा: जब मेरे घर में आग लगी, तो मेरे परिवार के सदस्य डर के मारे रो रहे थे और आग से बचने के लिए इधर-उधर भाग रहे थे। फिर मुझे अपने उत्पीड़ित पूर्वज, शहीद इमाम हुसैन (अ) के अहले हरम याद आये, जब आशूरा की दोपहर को हुसैन के ख़ैमे में आग लगा दी गयी थी, तो अहले हरम से रेगिस्तान की ओर भाग गये थे।
इमाम जाफ़र सादिक़ (अ) की हत्या की साजिश
अंततः, मंसूर दवानकी मलऊन इमाम जाफर सादिक़ (अ) के गुण और महानता को सहन नहीं कर सका, इसलिए उसने जहर और विश्वासघात के माध्यम से उनकी हत्या करने की योजना बनाई।
यह नहीं भूलना चाहिए कि अब्बासियों ने अपने सच्चे नेताओं उमय्यदों से विष और विश्वासघात के माध्यम से मासूम इमामों (अ) की हत्या करने की विधि सीखी थी। मुआविया बिन अबू सुफ़यान ने बार-बार कहा था कि अल्लाह की सेना शहद से बनी है। अर्थात् वह अपने विरोधियों को जहरीला शहद देकर मार डालता था।
मलऊन मंसूर ने मदीना में अपने गवर्नर के माध्यम से इमाम जाफ़र सादिक़ (अ) को ज़हरीले अंगूर खिलाकर शहीद करवा दिया और बाद में चालाकी और धोखे से इमाम जाफ़र सादिक़ (अ) की शहादत पर मगरमच्छ के आँसू बहाए। इसमें कोई संदेह नहीं है कि मंसूर ने इमाम जाफ़र सादिक़ (अ) को शहीद करवाया था, क्योंकि उसने खुद बार-बार कहा था कि इमाम जाफ़र सादिक़ (अ) उसके मार्ग में बाधा थे।
हालाँकि कुछ इतिहासकारों का मानना है कि मंसूर ने उन्हें शहीद नहीं करवाया था, लेकिन यह बात गलत है क्योंकि मंसूर ने पहले भी कई बार इमाम को जान से मारने की धमकी दी थी और इसी तरह मंसूर के बाद अब्बासिद शासकों ने उमय्यद शासकों के रास्ते पर चलते हुए मासूम इमामों (अ) को शहीद कर दिया। अब्बासियों ने छह अचूक इमामों को शहीद कर दिया। हाँ! मंसूर ने इमाम जाफर सादिक (अ) की शहादत के बाद खेद व्यक्त किया क्योंकि यह उनके सर्वोत्तम हित में था।
अंत में, यह भी ध्यान देने योग्य है कि यह वही मंसूर था जो उमय्या सरकार के खिलाफ अब्बासी प्रमुख नेताओं में से एक था। वह स्वयं बताता है कि बनी उमय्या के डर से वह अपना भेष बदल कर एक बस्ती से दूसरी बस्ती में शरण लेता था, ताकि बनी उम्यया उसे मार न सकें। जब उनसे पूछा गया कि जब वे एक शहर से दूसरे शहर जाते हैं तो कहां खाते-पीते और कहां ठहरते हैं, तो उन्होंने खुद बताया कि वे उसी शहर में रहते हैं जहां मैं था।
मैं वहां जाता, शियाओं को ढूंढता और उन्हें इमाम अली (अ) के गुणों के बारे में हदीसें बताता और वे मुझे उपहार, पैसा, कपड़े, भोजन और पानी देते।
अल्लाह महान है! अपने गुणों का वर्णन करके, उन्होंने अपने नंगे शरीर को कपड़े पहनाए, अपने भूखे पेटों को भोजन कराया, अपनी प्यास बुझाई और संकट के समय शरण मांगी। लेकिन अफसोस, जब उन्हें अधिकार प्राप्त हुआ तो उन्होंने अपने ही बच्चों को शहीद कर दिया। इमाम अली (अ) के शिया, जिन्होंने मुसीबत के समय अमीरुल मोमेनीन (अ) के गुणों का गुणगान करके अपनी आजीविका अर्जित की थी, सत्ता में आते ही इन शियो पर अत्याचार किया।
कमाल वह नहीं है जब कोई व्यक्ति कठिनाई और संकट के बीच भी सत्य को व्यक्त करता है, बल्कि कमाल वह है जब वह पद और स्थिति प्राप्त करके भी सत्य का साथ देता है और सत्य के लोगों का गुणगान करता है।
लेखक: मौलाना सय्यद अली हाशिम आबिदी
यूरोपीय हथियारों की होड़, ट्रम्प की धमकीपूर्ण नीतियों पर प्रतिक्रियाएं
अमेरिकी राष्ट्रपति की धमकियों और दोनों महाद्वीपों के बीच पैदा हुए मतभेदों के साथ ही यूरोप ने अपने सैन्य हथियारों का उत्पादन बढ़ा दिया है।
यूरोप ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प के साथ व्यापार युद्ध के बीच घरेलू रक्षा उत्पादन की ओर रुख़ किया है जबकि उनकी मांगों के संबंध में भी कि ग्रीन कॉन्टिनेंट को अपनी सुरक्षा के लिए वाशिंगटन पर निर्भर नहीं होना चाहिए।
न्यूयॉर्क टाइम्स लिखता है कि फ़रवरी 2022 में यूक्रेन में रूस के सैन्य अभियान की शुरुआत के बाद यूरोप में सैन्य हथियारों की मांग बढ़ गई और यह मांग लगातार बढ़ रही है।
यूरोप में सैन्य हथियारों के अधिक उत्पादन को देखते हुए, यूरोपीय महाद्वीप अपने माल को वैश्विक बाज़ारों में अधिक व्यापक रूप से बेचने का प्रयास कर रहा है।
इस बीच, पोलैंड और तुर्किए भी अमेरिकी निर्मित जेट विमानों के अपने बेड़े का विस्तार करने के बजाय यूरोफ़ाइटर टाइफून के लिए अरबों डॉलर के कांट्रेक्ट की मांग कर रहे हैं।
रिपोर्टों से पता चलता है कि ट्रम्प द्वारा वैश्विक टैरिफ़ लगाए जाने से पहले ही यूरोपीय रक्षा शेयरों में बढ़ोतरी हो रही थी क्योंकि जो निवेशक लंबे समय से इन शेयरों की अनदेखी कर रहे थे, वे अपनी स्थिति पर पुनर्विचार कर रहे थे।
यूरोपीय आयोग ने मार्च में रक्षा व्यय को बढ़ाकर लगभग 840 बिलियन डॉलर करने के प्रस्ताव की घोषणा की थी। यूरोपीय निवेश बैंक ने यह भी घोषणा की कि वह सुरक्षा और रक्षा परियोजनाओं के लिए अपने वित्तपोषण को कम से कम दोगुना करने की योजना बना रहा है।
हार्वर्ड लॉ स्कूल के वरिष्ठ फेलो स्टीफन एम. डेविस के अनुसार, वास्तव में राय और दृष्टिकोण में बदलाव का कारण ट्रम्प प्रशासन की रक्षा मामलों पर यूरोप का समर्थन करने का इरादा ही स्पष्ट नहीं है।
यह ध्यान देने योग्य बात है कि दशकों से कई यूरोपीय पेंशन फंडों ने क्लस्टर बम, रासायनिक, परमाणु और जैविक बम तथा बारूदी सुरंगों जैसे हथियारों के उत्पादन में प्रत्यक्ष निवेश पर प्रतिबंध लगा रखा था। हालांकि, रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद, उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (नैटो) ने यूरोप में युद्ध के प्रसार को रोकने के उद्देश्य से सरकारों, बैंकों और निजी निधियों से रक्षा उद्योग में निवेश करने और सैन्य हथियारों के उत्पादन में तेजी लाने का आह्वान किया।
पूर्व नैटो महासचिव जेन्स स्टोलटेनबर्ग ने दिसम्बर 2022 में कहा था कि स्वास्थ्य, बुनियादी ढांचे और शिक्षा में निवेश करना हमेशा सबसे अच्छा विकल्प होता है, लेकिन अभी वास्तविकता यह है कि शांति बनाए रखने का एकमात्र तरीका सैन्य उद्योग में निवेश करना है।
"यहूदीफ़ोबिया" का बहाना, ट्रम्प की इज़राइल की बच्चों की हत्यारी सरकार की आलोचना करने वाले को घेरने की साज़िश
अमेरिका में 100 से अधिक विश्वविद्यालयों, कॉलेजों और वैज्ञानिक संस्थानों के प्रमुखों ने एक संयुक्त बयान जारी कर डोनल्ड ट्रम्प प्रशासन द्वारा देश में उच्च शिक्षा संस्थानों के साथ किए जा रहे व्यवहार के प्रति अपना विरोध व्यक्त किया।
अमेरिका में शैक्षणिक और वैज्ञानिक ग्रुप्स द्वारा यह संयुक्त रुख़ हार्वर्ड विश्वविद्यालय द्वारा ट्रम्प प्रशासन की विश्वविद्यालय की स्वतंत्रता को ख़तरा पहुंचाने की आलोचना के बाद अपनाया गया।
हार्वर्ड विश्वविद्यालय ने राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प को अरबों डॉलर के संघीय वित्त पोषण को रोकने से बचने और अपनी स्वतंत्रता को बनाए रखने के लिए अमेरिकी सरकार पर मुक़दमा दायर कर दिया है।
ट्रम्प ने हार्वर्ड, कोलंबिया और अन्य विश्वविद्यालयों को दी जाने वाली सरकारी धनराशि बंद कर दी है जिनके बारे में उनका मानना है कि वे अपने परिसरों में यहूदीफ़ोबिया भावना को नियंत्रित करने में असफल रहे हैं।
बोस्टन की संघीय अदालत में दायर विश्वविद्यालय के मुकदमे में कहा गया है कि ट्रम्प ने प्रमुख अमेरिकी विश्वविद्यालयों में विकसित अनुसंधान के वित्तपोषण पर व्यापक हमला किया है।
ट्रम्प प्रशासन ने हार्वर्ड विश्वविद्यालय से अक्टूबर 2023 से अब तक तथाकथित यहूदीफ़ोबिया की भावना पर तैयार की गई अपनी सभी रिपोर्टों तक पहुंच मांगी है। अमेरिकी सरकार देश के प्रतिष्ठित शैक्षिक केंद्रों को अपने साथ जोड़ने की कोशिश कर रही है।
हार्वर्ड विश्वविद्यालय ने 14 अप्रैल को अपने छात्र ग्रुप, संकाय और पाठ्यक्रम की निगरानी के लिए ट्रम्प प्रशासन की कई मांगों को अस्वीकार कर दिया है।
अमेरिकी सरकार ने ये मांगें विश्वविद्यालय के उदारवादी पूर्वाग्रहों पर अंकुश लगाने के प्रयास के रूप पेश की हैं।
अमेरिकी सरकार की मांगों को मानने से विश्वविद्यालय के इनकार के बाद, ट्रम्प ने घोषणा की कि वह विश्वविद्यालय के लिए संघीय वित्त पोषण में 2.3 बिलियन डॉलर की कटौती करेंगे।
हार्वर्ड विश्वविद्यालय के अधिकारियों को यह भी चेतावनी दी गई है कि अगर वे मांगों पर अमल नहीं करते हैं तो विश्वविद्यालय के लिए कुल 9 बिलियन डॉलर के संघीय अनुदान और अनुबंध निलंबित होने का ख़तरा होगा।
अमेरिकी शिक्षा सचिव लिंडा मैकमोहन ने मंगलवार को एलान किया कि उन्होंने कोलंबिया और हार्वर्ड विश्वविद्यालयों के प्रमुखों से इस बारे में बात की है कि "यह कैसे सुनिश्चित किया जाए कि वे कानून पर अमल करें", क्योंकि देश के विश्वविद्यालयों ने डोनाल्ड ट्रम्प प्रशासन की नीतियों का विरोध किया है।
पहलगाम आतंकी हमले की निंदा/पाकिस्तान के ख़िलाफ़ कार्यवाही की किया मांग
जौनपुर,कश्मीर के पहलगाम में पर्यटकों पर हुए आतंकी हमले से पूरा देश आक्रोशित है , मंगलवार को आतंकियों ने अंधाधुंध फायरिंग करते हुए 26 लोगों को शहीद कर दिया । दिल को दहला देने वाले इस आतंकी हमले के विरोध में बेगमगंज स्तिथ जामिया इमाम जाफर सादिक़ में धर्मगुरु मौलाना सफ़दर हुसैन ज़ैदी की अध्यक्षता में शोकसभा का आयोजन किया गया।
जौनपुर,कश्मीर के पहलगाम में पर्यटकों पर हुए आतंकी हमले से पूरा देश आक्रोशित है , मंगलवार को आतंकियों ने अंधाधुंध फायरिंग करते हुए 26 लोगों को शहीद कर दिया । दिल को दहला देने वाले इस आतंकी हमले के विरोध में बेगमगंज स्तिथ जामिया इमाम जाफर सादिक़ में धर्मगुरु मौलाना सफ़दर हुसैन ज़ैदी की अध्यक्षता में शोकसभा का आयोजन किया गया।
शोकसभा में मृतकों की आत्मा की शांति के लिए और घायलों की सलामती के लिए दुआ की गई । और इस घटना में शामिल लोगों के ख़िलाफ़ बड़ी कार्यवाही की मांग किया ।
इस मौके पर धर्मगुरु मौलाना सफ़दर हुसैन ज़ैदी ने कहा कि पहलगाम में हुए आतंकी हमले की हम सख़्त लफ़्ज़ों में निंदा करते हैं और जो लोग मारे गए हैं उनके परिजनों से हमदर्दी का इजहार करते हैं साथ ही घायलों को जल्दी स्वस्थ होने के लिए दुआ करते हैं।
उन्होंने कश्मीर की अवाम से अपील करते हुए कहा कि अमन और शांति बनाए रखें और आतंकवाद को खत्म करने में मदद करें , इसके साथ ही पर्यटकों की सुरक्षा का भी ध्यान रखें।
मौलाना ने केंद्र सरकार से भी अपील की है कि हमले के जिम्मेदार लोगों को खासकर पाकिस्तान को ऐसी सज़ा दिया जाए ताकि आने वाली उनकी नस्ले याद रखे ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।
इस मौके पर मौलाना अम्बर अब्बास खान , मौलाना शाजान ज़ैदी , मौलाना ज़ियाफ़्त हुसैन , शम्सुल हसन , सादिक़ रिज़वी , आक़िफ़ हुसैनी आदि के साथ बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहे ।
कुरआन और रिवायात, मनुष्य की सभी आवश्यकताओं का संपूर्ण समाधान
काशान के वली फकीह के प्रतिनिधि, हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन सैयद सईद हुसैनी ने कहा है कि कुरान और हदीसें न केवल धार्मिक जीवनशैली के लिए मार्गदर्शक हैं, बल्कि मनुष्य की हर आवश्यकता का जवाब इनमें मौजूद है।
काशान के वली फकीह के प्रतिनिधि, हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन सैयद सईद हुसैनी ने कहा है कि कुरान और हदीसें न केवल धार्मिक जीवनशैली के लिए मार्गदर्शक हैं, बल्कि मनुष्य की हर आवश्यकता का जवाब इनमें मौजूद है।
उन्होंने यह बात काशान में इस्फ़हान के प्रतिष्ठित छात्रों के लिए आयोजित 43वें कुरान व अत्रत (पैगंबर के परिवार) और नमाज़ प्रतियोगिताओं के समापन चरण के अवसर पर कही। उनका कहना था कि ये प्रतियोगिताएं इस्लामी जीवनशैली को बढ़ावा देने और सामाजिक समस्याओं के समाधान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
उन्होंने शर्म, हिजाब और पवित्रता को इस्लामी नैतिकता का हिस्सा बताते हुए कहा कि हालांकि कुछ पश्चिमी विचारक जैसे रसेल, फ्रॉयड और विल ड्यूरेंट भी नैतिकता पर चर्चा करते हैं, लेकिन कुरान से भी इन सभी नैतिक सिद्धांतों को प्राप्त किया जा सकता है।
हुज्जतुल इस्लाम हुसैनी ने आगे कहा कि कुरान और हदीसें न केवल धार्मिक जीवनशैली के सिद्धांत, तरीके, आदतों और यहां तक कि रहने के ढंग तक का मार्गदर्शन प्रदान करते हैं, बल्कि हर वह चीज़ जो मनुष्य को चाहिए, कुरान और हदीसों में मौजूद है।
उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि हमें यह जानना चाहिए कि कुरान और अहल-ए-बैत ने जीवन के विभिन्न क्षेत्रों के लिए क्या निर्देश और उपाय प्रस्तुत किए हैं। उन्होंने कुरान प्रतियोगिताओं को धर्म की पहचान का प्रारंभिक चरण बताया, जो जीवन की इस्लामी शैली को समझने में सहायक हैं।
ईरान-अफ्रीका आर्थिक सहयोग शिखर सम्मेलन में 50 अफ्रीकी अधिकारी शामिल हुए
अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष ने वैश्विक आर्थिक विकास में मंदी की चेतावनी दी है, विशेष रूप से अमेरिका में, जिसका कारण देश के राष्ट्रपति द्वारा अनिवार्य टैरिफ़ लागू किया जाना है।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प की अप्रत्याशित टैरिफ नीति और देश के व्यापारिक साझेदारों की ओर से जवाबी कार्रवाई से वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं को भारी झटका लग सकता है।
अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने मंगलवार को अंदाज़ा लगाया है कि इस वर्ष वैश्विक आर्थिक वृद्धि दर धीमी होकर 2.8 प्रतिशत रह जाएगी, जो पिछले वर्ष की 3.3 प्रतिशत से कम है जो ऐतिहासिक औसत से काफी नीचे है।
अमेरिका में अपेक्षित आर्थिक मंदी और भी अधिक गंभीर होती जा रही है, जहां इसकी अर्थव्यवस्था केवल 1.8 प्रतिशत की दर से बढ़ने की संभावना है।
इंग्लैंड, ट्रेड वॉर के सबसे ज़्यादा शिकारों में
दूसरी ओर, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने अपने ताज़ा अंदाज़ों में चेतावनी दी है कि ब्रिटिश अर्थव्यवस्था वैश्विक व्यापार युद्ध के सबसे बड़े पीड़ितों में से एक होगी और देश की आर्थिक वृद्धि अन्य उन्नत अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में अधिक गंभीर रूप से प्रभावित होगी।
ईरान और ब्रिक्स के सदस्यों के बीच उच्च मात्रा में व्यापार
दूसरी ओर, ईरान के कृषि मंत्री ग़ुलाम रज़ा नूरी क़िज़िलजा ने कहा: इस्लामी गणतंत्रर ईरान और ब्रिक्स के सदस्यों के बीच कृषि और खाद्य के क्षेत्रों में व्यापार की मात्रा 13 अरब डॉलर से अधिक है जबकि नूरी क़िज़िलजेह के अनुसार, इस क्षेत्र में ब्रिक्स के सदस्य देशों के बीच व्यापार की मात्रा लगभग 160 बिलियन डॉलर है।
ईरान-अफ़्रीक़ा आर्थिक सहयोग शिखर सम्मेलन में 50 अफ़्रीक़ी अधिकारी शामिल हुए
ईरान के व्यापार विकास संगठन के अफ़्रीक़ा कार्यालय के प्रमुख मोहम्मद रजा सफ़री ने मंगलवार को अफ़्रीक़ी महाद्वीप के साथ व्यापार विकसित करने के महत्व की ओर इशारा करते हुए तीसरे ईरान-अफ़्रीक़ा शिखर सम्मेलन के आयोजन और मेहमानों की उपस्थिति का ब्योरा प्रदान किया।
उन्होंने कहा: 38 से अधिक अफ़्रीक़ी देशों के 700 से अधिक व्यापारियों ने इस कार्यक्रम में भाग लेने के लिए पंजीकरण कराया। यह भी उम्मीद है कि इस शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए 29 अफ़्रीक़ी देशों के 50 से अधिक अधिकारी ईरान आएंगे। तीसरा ईरान- अफ़्रीक़ा आर्थिक सहयोग शिखर सम्मेलन रविवार, 27 अप्रैल को समिट हॉल में आयोजित किया जाएगा।
अफ़्रीक़ा, वैश्विक अर्थव्यवस्था का भावी गंतव्य
इस संबंध में, इस्लामी गणतंत्र ईरान की सरकार की प्रवक्ता फ़ातेमा मोहाजेरानी ने अफ्रीकी महाद्वीप को दुनिया के सबसे बड़े और सबसे आशाजनक बाजारों में से एक बताया, जो ईरान के ग़ैरपेट्रोलियम निर्यात को विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
इमाम जाफ़र सादिक़ अ.स. का अख़लाक़
हज़रत इमाम जाफ़र सादिक़ (अ.स) पैग़म्बरे इस्लाम हज़रत मुहम्मद (स.अ) के छठे उत्तराधिकारी और आठवें मासूम हैं आपके वालिद इमाम मुहम्मद बाक़िर (अ.) थे और माँ जनाबे उम्मे फ़रवा बिंतें क़ासिम इब्ने मुहम्मद थीं। आप अल्लाह की तरफ़ से मासूम थे। अल्लामा इब्ने ख़लक़ान लिखते हैं कि आप अहलेबैत (स.अ.) में से थे और आपकी फ़ज़ीलत, बड़ाई और आपकी अनुकम्पा, दया और करम इतना मशहूर है कि उसको बयान करने की ज़रूरत नहीं है।
आपका अख़लाक़
अल्लामा इब्ने शहर आशोब लिखते हैं कि एक दिन हज़रत इमाम जाफ़र सादिक़ (अ) ने अपने एक नौकर को किसी काम से बाज़ार भेजा। जब उस की वापसी में बहुत देर विलंब हुआ तो आप उस की तलाश में निकल पड़े, देखा कि वह एक जगह पर लेटा हुआ सो रहा है, आप उसे जगाने के बजाए उस के सरहाने बैठ गये और पंखा झलने लगे जब वह जागा तो आप ने उस से कहा कि यह तरीक़ा सही नही है। रात सोने के लिये और दिन काम करने के लिये है। आईन्दा ऐसा न करना। (मनाक़िब जिल्द 5 पेज 52)
आप उसी मासूम सिलसिले की एक कड़ी हैं जिसे अल्लाह तआला ने इंसानों के लिये आईडियल और नमूना ए अमल बना कर पैदा किया है। उन के सदाचार और आचरण जीवन के हर दौर में मेयारी हैसियत रखते हैं। उनकी ख़ास विशेषताएँ जिन के बारे में इतिकारों ने ख़ास तौर पर लिखा है वह मेहमान की सेवा, ख़ौरातो ज़कात, ख़ामोशी से ग़रीबों की मदद करना, रिश्तेदारों के साथ अच्छा बर्ताव करना, सब्र व हौसले के काम लेना आदि है।
एक बार एक हाजी मदीने आया और मस्जिदे रसूल (स) में सो गया। आँख खुली तो उसे लगा कि उस की एक हज़ार की थैली ग़ायब है उसने इधर उधर देखा, किसी को न पाया एक कोने इमाम सादिक़ (अ) नमाज़ पढ़ रहे थे वह आप के पहचानता नही था आप के पास आकर कहने लगा कि मेरी थैली तुम ने ली है, आप ने पूछा उसमें क्या था, उसने कहा एक हज़ार दीनार, आपने कहा कि मेरे साथ आओ, वह आप के साथ हो गया, घर आने के बाद आपने एक हज़ार दीनार उस के हवाले कर दिये वह मस्जिद में वापस आ गया और अपना सामान उठाने लगा तो उसे अपने दीनारों की थैली नज़र आई। यह देख वह बहुत शर्मिन्दा हुआ और दौड़ता हुआ इमाम की सेवा में उपस्थित हुआ और माँफ़ी माँगते हुए वह थैली वापस करने लगा तो हज़रत ने उससे कहा कि हम जो कुछ दे देते हैं वापस नही लेते।
इस ज़माने में तो यह हालात सब के देखे हुए है कि जब यह ख़बर होती है कि फलां सामान मुश्किल से मिलेगा तो जिस के लिए जितना संभव होता है वह ख़रीद कर रख लेता है। मगर इमाम सादिक़ (अ) के किरदार का एक पहलु यह है कि एक बार आप के वकील मुअक़्क़िब ने कहा कि हमें इस मंहगाई और क़हत में कोई परेशानी नही होगी, हमारे पास अनाज का इतना ज़खीरा है कि जो बहुत दिनों तक हमारे लिये काफ़ी होगा। आपने फ़रमाया कि यह सारा अनाज बेच डालो, उसके बाद जो हाल सबका होगा वही हमारा भी होगा। जब अनाज बिक गया तो कहा कि आज से सिर्फ़ गेंहू की रोटी नही पकेगी बल्कि उसमें आधा गेंहू और आधा जौ मिला होना चाहिये और जहाँ तक हो सके हमें ग़रीबों की सहायत करनी चाहिये।
आपका क़ायदा था कि आप मालदारों से ज़्यादा ग़रीबों की इज़्ज़त किया करते थे, मज़दूरों की क़द्र किया करते थे। ख़ुद भी व्यापार किया करते थे और अकसर बाग़ों में ख़ुद भी मेहनत किया करते थे। एक बार आप फावड़ा हाथ में लिये बाग़ में काम कर रहे थे, सारा बदन पसीने से भीग चुका था, किसी ने कहा कि यह फ़ावड़ा मुझे दे दीजिये मैं यह कर लूँगा तो आपने फ़रमाया कि रोज़ी कमाने के लिये धूप और गर्मी की पीड़ा सहना बुराई की बात नही है।