رضوی

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इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ ईरान के विदेश मंत्री ने कहा है कि जब हमलावर इजराइल सभी अंतरराष्ट्रीय कानूनों और वियना कन्वेंशन का उल्लंघन कर रहा है और राजनयिक पदों और व्यक्तियों की सुरक्षा को खतरा पैदा कर रहा है, तो इन परिस्थितियों में कानूनी रूप से अपना बचाव करना जरूरी है और यह बहुत ही जरूरी है. हमलावर को सज़ा देना ज़रूरी है.

इस्लामी गणतंत्र ईरान के विदेश मंत्री, होसैन अमीर अब्दुल्लाहियन ने अपने जर्मन समकक्ष, अनलना बर्बॉक के साथ टेलीफोन पर बातचीत में, ईरानी के कांसुलर अनुभाग पर ज़ायोनी हमले में सात ईरानी सैन्य सलाहकारों की शहादत का उल्लेख किया। सीरिया की राजधानी दमिश्क में दूतावास ने कहा कि ईरान ने हमेशा तनाव से दूर रहने की नीति अपनाई है.

विदेश मंत्री अमीर अब्दुल्लाहियन ने उल्लेख किया कि इस्लामी गणतंत्र ईरान को उम्मीद है कि जर्मनी नरसंहारक ज़ायोनी सरकार की हालिया आक्रामकता की स्पष्ट शब्दों में निंदा करेगा, यह कहते हुए कि इज़राइल एक हड़पने वाली सरकार है और फ़िलिस्तीन को भी कानूनी और वैध तरीके से अपनी रक्षा करने का अधिकार है, यही एकमात्र रास्ता है इस संबंध में मौजूदा समस्याओं का समाधान गाजा में नरसंहार और युद्ध अपराधों को समाप्त करना है।

जर्मन विदेश मंत्री ने ईद के आगमन पर मुसलमानों को बधाई देते हुए ईद-उल-फितर को शांति का दूत बताते हुए कहा कि इस तनावपूर्ण स्थिति में जर्मनी इस्लामी गणतंत्र ईरान से संयम से काम लेने का अनुरोध करता है। जर्मनी के विदेश मंत्री बर्बॉक ने दमिश्क में ईरानी दूतावास के कांसुलर अनुभाग पर इजरायली सरकार के हमले का उल्लेख किया और कहा कि राजनयिक पदों को पूर्ण छूट प्राप्त है.

लेबनान में हिज़्बुल्लाह ने क़फ़्र शुबा क्षेत्र में कब्ज़ा करने वाली ज़ायोनी सेना के दो सैन्य ठिकानों पर मिसाइल हमला किया है।

लेबनानी मीडिया के अनुसार, हिज़्बुल्लाह लेबनान ने एक संक्षिप्त बयान में घोषणा की है कि हमारे मुजाहिदीन ने लेबनान के माउंट काफ़र शोबा में ज़ायोनी सरकार के समाकाह नामक सैन्य अड्डे को मिसाइलों से निशाना बनाया, जो उनके लक्ष्य पर हमला कर गईं।

लेबनान में हिज़्बुल्लाह ने एक अन्य बयान में कहा है कि काफ़र शुबा में ज़ायोनी सेना के एक अन्य अड्डे पर भी मिसाइलों से हमला किया गया है, और मिसाइलों ने यहाँ भी अपना निशाना साधा है।

इन मिसाइल हमलों के बाद ज़ायोनी सरकार के युद्धक विमानों ने दक्षिणी लेबनान के अल-ख़याम शहर पर बमबारी की है. कब्ज़ा करने वाली ज़ायोनी सेना के विमानों ने दक्षिणी लेबनान के विभिन्न क्षेत्रों पर सिलसिलेवार बमबारी की है।

भारत देश धर्म की विविधता के लिए प्रसिद्ध है। यहां अनेक धर्मों को मानने वाले लोग रहते हैं। सभी धर्मों के अलग-अलग त्योहार होते हैं। हिंदुओं के लिए दुर्गा पूजा, दिवाली, छठ पूजा, होली, रक्षाबंधन इत्यादि प्रमुख त्यौहार है। ईसाइयों के लिए क्रिसमस हंसी-खुशी एवं प्रसन्नता का त्यौहार है। ठीक उसी तरह यह ईद मुस्लिमो की प्रसन्नता और हर्षोल्लास का त्यौहार है। यह त्यौहार संपूर्ण इस्लामीयों का महत्वपूर्ण त्यौहार है। इस त्यौहार का दूसरा नाम ईद- उल-फितर है। इसका अर्थ होता है फिर से 'खाना पीना' ईद से पहले मुसलमानों का एक महीना रमजान का होता है। रमजान के महीने में लोग रोजा रखते हैं। रोजा का मतलब होता है, केवल रात में खाना। रमजान का महीना पूरा होने पर जिस दिन चांद दिखता है उसके अगले दिन ईद का त्यौहार होता है। रमजान का महीना कठिन परिश्रम, बलिदान और आस्था का महीना होता है। ईद का इंतजार सभी लोग बेसब्री से करते हैं।

ईद मनाने की विधि

ईद के पवित्र त्यौहार का संबंध मुस्लिमो से है। 1 महीने रोजा के बाद ईद का त्यौहार आता है। रोजा में लोग सूर्योदय से पहले तथा सूर्यास्त के बाद खाना खाते हैं। इसमें बहुत धैर्य रखने की आवश्यकता होती है।

रमजान का महीना बड़ा ही पवित्र माना जाता है।

तथा इस व्रत के दौरान अपने मन में नकारात्मक विचार नहीं रखा जाता है। जैसे ही आसमान में 'ईद का चांद' निकलता है। ईद की तैयारी आरंभ हो जाती है। ईद के दिन लोग नहा– धोकर नए कपड़े पहनते हैं। और सभी मस्जिद की ओर प्रस्थान करते हैं। बुड्ढे बच्चे, तथा नवयुवक सभी मिलकर नमाज पढ़ते हैं। और खुदा की इबादत करते हैं। नवाज समाप्त होने पर सभी एक दूसरे को गले लगाकर ईद मुबारक कहते हैं। इस अवसर पर  सभी के घरों में अनेक प्रकार के पकवान बनाए जाते हैं। इन पकवानों में  सेवइयां बनाना बहुत महत्वपूर्ण होता है। सभी मीठी–मीठी सेवइयां खाते हैं और दूसरों को भी खिलाते हैं। इसीलिए 'ईद-उल-फितर' को 'मीठी ईद' कहकर पुकारते हैं। और इस दिन के बाद सब दिन में भी खाना शुरू कर देते हैं। ईद में कई जगह पर मेला लगता है। सभी मेला देखने जाते हैं, तथा अपने मनपसंद की चीजों को खरीदते है ।

ईद एक एकता और समता का त्यौहार है।

ईद मुस्लिमो का महत्वपूर्ण त्यौहार है। यह एकता और भाईचारे का त्यौहार है। ईद के पावन अवसर पर लोग एक– दूसरे को गले लगाकर ईद मुबारक कहते हैं। इस दिन कोई दुखी और परेशान नहीं रहता है। इस दिन कोई छोटा या बड़ा नहीं माना जाता सभी एक समान होते हैं। चारों तरफ खुशियों का महौल छाया रहता है। सभी के घरों में कई तरह के पकवान बनाए जाते हैं। सभी लोग मिलकर पकवान खाते हैं तथा अपने दोस्तों एवं रिश्तेदारों को भी खिलाते हैं। इस तरह से यह त्यौहार एकता और समता का त्योहार माना जाता है।

हमारे देश में हर एक त्यौहार का अपना अलग परिचय होता है। ईद भी एक ऐसा ही त्यौहार है। जहां लोग अपने आपसी मतभेदों को भुलाकर एक दूसरे को गले लगाकर हर्ष और उल्लास के साथ यह पर्व मनाते हैं। ईद के दिन लोग एक दूसरे के घर जाते हैं और स्वादिष्ट पकवानें खाते हैं। यह त्यौहार आपसी प्रेम, एकता और भाईचारे का संदेश देता है। यह त्यौहार सभी को एक दूसरे से जोड़ता है।

ईद उल-फ़ित्र या ईद उल-फितर (अरबी: عيد الفطر) मुस्लमान रमज़ान उल-मुबारक के एक महीने के बाद एक मज़हबी ख़ुशी का त्यौहार मनाते हैं। जिसे ईद उल-फ़ित्र कहा जाता है। ये यक्म शवाल अल-मुकर्रम्म को मनाया जाता है। ईद उल-फ़ित्र इस्लामी कैलेण्डर के दसवें महीने शव्वाल के पहले दिन मनाया जाता है। इसलामी कैलंडर के सभी महीनों की तरह यह भी नए चाँद के दिखने पर शुरू होता है। मुसलमानों का त्योहार ईद मूल रूप से भाईचारे को बढ़ावा देने वाला त्योहार है। इस त्योहार को सभी आपस में मिल के मनाते है और खुदा से सुख-शांति और बरक्कत के लिए दुआएं मांगते हैं। पूरे विश्व में ईद की खुशी पूरे हर्षोल्लास से मनाई जाती है।

इतिहास

मुसलमानों का त्यौहार ईद रमज़ान का चांद डूबने और ईद का चांद नज़र आने पर उसके अगले दिन चांद की पहली तारीख़ को मनाया जाता है। इस्लाम में दो ईदों में से यह एक है (दुसरी ईद उल जुहा या कुरबानी की ईद कहलाती है)। पहली ईद उल-फ़ितर पैगम्बर मुहम्मद ने सन 624 ईसवी में जंग-ए-बदर के बाद मनायी थी। ईद उल फित्र के अवसर पर पूरे महीने अल्लाह के मोमिन बंदे अल्लाह की इबादत करते हैं रोज़ा रखते हैं और क़ुआन करीम कुरान की तिलावत (इबादत) करके अपनी आत्मा को शुद्ध करते हैं जिसका अज्र या मजदूरी मिलने का दिन ही ईद का दिन कहलाता है जिसे उत्सव के रूप में पूरी दुनिया के मुसलमान बड़े हर्ष उल्लास से मनाते हैं

ईद उल-फितर का सबसे अहम मक्सद एक और है कि इसमें ग़रीबों को फितरा देना वाजिब है जिससे वो लोग जो ग़रीब हैं मजबूर हैं अपनी ईद मना सकें नये कपड़े पहन सकें और समाज में एक दूसरे के साथ खुशियां बांट सकें फित्रा वाजिब है उनके ऊपर जो 52.50 तोला चाँदी या 7.50 तोला सोने का मालिक हो अपने और अपनी नाबालिग़ औलाद का सद्कये फित्र अदा करे जो कि ईद उल फितर की नमाज़ से पहले करना होता है।

ईद भाई चारे व आपसी मेल का तयौहार है ईद के दिन लोग एक दूसरे के दिल में प्यार बढाने और नफरत को मिटाने के लिए एक दूसरे से गले मिलते हैं

ईद के दौरान जामा मस्जिद दिल्ली

उपवास की समाप्ति की खुशी के अलावा इस ईद में मुसलमान अल्लाह का शुक्रिया अदा इसलिए भी करते हैं कि अल्लाह ने उन्हें महीने भर के उपवास रखने की शक्ति दी। हालांकि उपवास से कभी भी मोक्ष संभव नहीं क्योंकि इसका वर्णन पवित्र धर्म ग्रन्थो में नहीं है। पवित्र कुरान शरीफ भी बख्बर संत से इबादत का सही तरीका लेकर पूर्ण मोक्ष प्राप्त करने के लिए सर्वशक्तिमान अल्लाह की पूजा करने का निर्देश देता है।[6] ईद के दौरान बढ़िया खाने के अतिरिक्त नए कपड़े भी पहने जाते हैं और परिवार और दोस्तों के बीच तोहफ़ों का आदान-प्रदान होता है। सिवैया इस त्योहार का सबसे मत्वपूर्ण खाद्य पदार्थ है जिसे सभी बड़े चाव से खाते हैं।

ईद के दिन मस्जिदों में सुबह की प्रार्थना से पहले हर मुसलमान का फ़र्ज़ होता है कि वो दान या भिक्षा दे। इस दान को ज़कात उल-फ़ितर कहते हैं। यह दान दो किलोग्राम कोई भी प्रतिदिन खाने की चीज़ का हो सकता है, मिसाल के तौर पे, आटा, या फिर उन दो किलोग्रामों का मूल्य भी। से पहले यह ज़कात ग़रीबों में बाँटा जाता है। उपवास की समाप्ति की खुशी के अलावा इस ईद में मुसलमान अल्लाह का शुक्रिया अदा इसलिए भी करते हैं कि अल्लाह ने उन्हें पूरे महीने के उपवास रखने की शक्ति दी। ईद के दौरान बढ़िया खाने के अतिरिक्त नए कपड़े भी पहने जाते हैं और परिवार और दोस्तों के बीच तोहफ़ों का आदान-प्रदान होता है। सिवैया इस त्योहार की सबसे जरूरी खाद्य पदार्थ है जिसे सभी बड़े चाव से खाते हैं।

ईद के दिन मस्जिदों में सुबह की प्रार्थना से पहले हर मुसलमान का फ़र्ज़ है कि वो दान या भिक्षा दे। इस दान को ज़कात उल-फ़ितर कहते हैं।

महत्त्व

ईद का पर्व खुशियों का त्योहार है, वैसे तो यह मुख्य रूप से इस्लाम धर्म का त्योहार है परंतु आज इस त्योहार को लगभग सभी धर्मों के लोग मिल जुल कर मनाते हैं। दरअसल इस पर्व से पहले शुरू होने वाले रमजान के पाक महीने में इस्लाम मजहब को मानने वाले लोग पूरे एक माह रोजा (व्रत) रखते हैं। रमजान महीने में मुसलमानों को रोजा रखना अनिवार्य है, क्योंकि उनका ऐसा मानना है कि इससे अल्लाह प्रसन्न होते हैं। यह पर्व त्याग और अपने मजहब के प्रति समर्पण को दर्शाता है। यह बताता है कि एक इंसान को अपनी इंसानियत के लिए इच्छाओं का त्याग करना चाहिए, जिससे कि एक बेहतर समाज का निर्माण हो सके।

ईद उल फितर का निर्धारण एक दिन पहले चाँद देखकर होता है। चाँद दिखने के बाद उससे अगले दिन ईद मनाई जाती है। सऊदी अरब में चाँद एक दिन पहले और भारत में चाँद एक दिन बाद दिखने के कारण दो दिनों तक ईद का पर्व मनाया जाता है। ईद एक महत्वपूर्ण त्यौहार है इसलिए इस दिन छुट्टी होती है। ईद के दिन सुबह से ही इसकी तैयारियां शुरू हो जाती हैं। लोग इस दिन तरह तरह के व्यंजन, पकवान बनाते है तथा नए नए वस्त्र पहनते हैं।

ईश्वर से दुआ करने के महत्व को क़ुरआन की रौशनी में पेश किया जा रहा है।

दुआ एक तरह की इबादत है।  दुआ के ज़रिए इंसान, ख़ुदा की तरफ एक नए अंदाज़ में मुड़ता है।  जिस तरह से हर इबादत का एक विशेष प्रभाव होता है उसी तरह से दुआ का भी एक असर है जो इंसान को प्रशिक्षित करता है।

पवित्र क़ुरआन के सूर बक़रा की आयत संख्या 186 में ईश्वर कहता हैः हे रसूल, कह दो कि मैं नज़दीकतर हूं।  जब मुझसे कोई दुआ मांगता है तो मैं हर दुआ करने वाले की दुआ को सुनता हूं।  बस उनको चाहिए कि वे मेरा कहना मानें और मुझपर ईमान लाएं ताकि लक्ष्य तक पहुंच सकें।

इस आयत में कुछ बिंदु ध्यान देने योग्य हैं।

ईशवर के बंदों द्वारा उससे संपर्क बनाने का एक मार्ग, उससे दुआ करना है।  इस आयत में ईश्वर, पैग़म्बर (स) को संबोधित करते हुए कहता है कि जब मेरे बंदे तुमसे मेरे बारे में पूछें तो कह दो कि मैं बहुत नज़दीक हूं।

ईश्वर अपने बंदों से, उसकी सोच से अधिक नज़दीक है। वह उसके बहुत ही क़रीब है।  यहां कि वह इंसान की शैरग या गर्दन की रग से भी अधिक नज़दीक है।  इस बात को ईश्वर सूरे क़ाफ की आयत संख्या 16 में इस प्रकार से कहता है कि मैं बंदे की गर्दन की रग से भी अधिक उससे क़रीब हूं।

इसके बाद वह कहता है कि मैं दुआ करने वालों की दुआओं को क़बूल करता हूं जब वे मुझसे मांगते हैं।  इस आधार पर मेरे बंदों को चाहिए कि वे मेरा कहना मानें और मुझपर ईमान ले आएं।  उनको अपना रास्ता ढूंढकर गंतव्य तक पहुंचना चाहिए।

रोचक बात यह है कि इस आयत में खुदा ने सात बार अपनी ज़ात और सात ही बार बंदों की तरफ़ इशारा किया है।  इस तरह से उसने बंदों के बारे में अपनी अधिक निकटता को दर्शाया है।

वास्तव में दुआ, दिल और विचारों की जागृति के साथ एक प्रकार की आत्म जागरूकता है अर्थात सारी अच्छाइयों और भलाइयों के स्रोतों के साथ यह, ईश्वर के साथ एक आंतरिक संबन्ध है।

दुआ एक प्रकार का आंतरिक संबन्ध है जिसमें इंसान, पूरी निष्ठा के साथ अपने ध्यान को ईश्वर की ओर केन्द्रित करता है।  जिस प्रकार से दूसरी अन्य उपासनाओं का मनुष्य पर एक सिखाने वाला असर पड़ता है उसी तरह से दुआ भी अपना काम करती है।

दुआ के महत्व के बारे में पैग़म्बरे इस्लाम हज़रत मुहम्मद मुस्तफ़ा (स) के पौत्र इमाम जाफ़र सादिक़ अलैहिस्सलाम कहते हैं कि ईश्वर के निकट कुछ ऐसे स्थान हैं जिनको बिना दुआ किये हासिल नहीं किया जा सकता।

एक विद्वान का कहना है कि जब हम दुआ करते हैं तो स्वय को उस असीम शक्ति से जोड़ लेते हैं जो सर्वशक्तिमान है।  इस प्रकार यह कहा जा सकता है कि दुआ चाहे जब और चाहें जहां भी की जाए फ़ाएदेमंद है क्योंकि खुदा कहता है कि उस समय मैं बंदे के बहुत नज़दीक होता हूं।

एक ध्यान योग्य बात यह है कि ईश्वर तो हमारे निकट है लेकिन हम कहां हैं? कहने का तातपर्य यह है कि हम अपने कर्मों के कारण ही ईश्वर से दूर हो जाते हैं वर्ना ख़ुदा तो हमारे निकट है।  आयत यह भी बताती है कि ईश्वर से अगर दुआ की जाए तो वह स्वीकार की जाती है।

हालांकि ईश्वर तो सबकुछ जानता है लेकिन फिर भी दुआ करना हमारी ज़िम्मेदारी है।  इंसान की दुआ केवल उसी समय स्वीकार की जाती है जब वह ईश्वर पर पूरे भरोसे के साथ की जाए।  दुआ की एक विशेषता यह भी है कि वह, मनुष्य के विकास, उसके मार्गदर्शन, प्रशिक्षण और आराम एवं शांति का कारण है।

भारत में आज ईद-उल-फितर बड़े धार्मिक उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाई गई

दिल्ली से हमारे संवाददाता ने जानकारी दी है कि आज भारत में ईद-उल-फितर बड़े धार्मिक उत्साह के साथ मनाया जा रहा है. देश भर में ईद-उल-फितर की प्रार्थनाओं की भावना से भरी सभाएं आयोजित की गईं, जिसमें बड़ी संख्या में इस्लाम के बच्चों ने एक महीने के उपवास और पूजा के बाद साष्टांग प्रणाम किया।

ईद की नमाज़ की मुख्य सभाएँ दिल्ली के साथ-साथ मुंबई हैदराबाद लखनऊ की जामा मस्जिदों के साथ-साथ देश के सभी प्रमुख शहरों और अन्य शहरों और कस्बों में आयोजित की गईं।

भारतीय राष्ट्रपति मुर्मू और प्रधानमंत्री मोदी ने भारतीय लोगों को ईद-उल-फितर की बधाई दी. अपने बधाई संदेश में भारत के राष्ट्रपति ने कहा कि ईद-उल-फितर हमें शांतिपूर्ण जीवन जीने और समाज की समृद्धि के लिए काम करने की प्रेरणा देता है.

 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ईद-उल-फितर की बधाई देते हुए कहा कि ईद-उल-फितर का त्योहार करुणा, एकता और शांति की भावना को मजबूत करता है और कमजोर वर्गों की मदद करता है।

इस्लामी गणतंत्र ईरान के राष्ट्रपति डॉ. रायसी ने इस्माइल हानियेह को एक संदेश भेजा है और ज़ायोनी सरकार द्वारा एक वाहन पर किए गए हमले के दौरान उनके परिवार के कई सदस्यों सहित उनके तीन बेटों की शहादत पर संवेदना व्यक्त की है। गाजा में अल-शती शिविर।

ईरान के राष्ट्रपति ने अपने शोक संदेश में इस्माइल हानियेह को भाई मुजाहिद कहकर संबोधित किया और लिखा कि अल-अल-पर हमले में क्रूर ज़ायोनी शासन की क्रूर कार्रवाई में उनके तीन बेटों और पोते-पोतियों की शहादत की खबर सुनने के बाद। शती शिविर, मैं और ईरान के लोग गहरे सदमे में हैं।

राष्ट्रपति सैयद इब्राहिम रईसी ने कहा कि इस अपराध ने निस्संदेह इस सरकार की क्रूरता और शिशुहत्या को उजागर कर दिया है और यह स्पष्ट हो गया है कि यह सरकार स्थिरता के मोर्चे पर अपनी लाचारी और विफलता को छिपाने की कोशिश कर रही है और किसी भी मानवीय और नैतिक सिद्धांतों से बंधी नहीं है .

ईरान के राष्ट्रपति के संदेश में कहा गया है कि दुर्भाग्य से, इतिहास के सबसे भयानक अपराधों के सामने मानवाधिकार के दावेदार न केवल दर्शक बनकर बैठे हैं, बल्कि अपनी चुप्पी और कायरतापूर्ण समर्थन से इज़राइल के लिए रास्ता बना रहे हैं. ऐसे अपराधों की पुनरावृत्ति के लिए, जो निश्चित रूप से अपराध हैं।

शोक संदेश के अंत में कहा गया है कि दुख के अवसर पर मैं आपके और आपके परिवार के लिए और प्रतिरोध मोर्चे के मुजाहिदीन की सेवा के लिए और शहीदों के रैंक की उन्नति के लिए ईश्वर से प्रार्थना करता हूं आपको धैर्य और दृढ़ता प्रदान कर सकता है।

यमन के सशस्त्र बलों ने अपने देश के जलक्षेत्र में चार अमेरिकी और ज़ायोनी जहाजों को निशाना बनाया है।

अल-मसीरा नेटवर्क के मुताबिक, यमनी सशस्त्र बल के प्रवक्ता ब्रिगेडियर जनरल याह्या ने कहा कि अदन की खाड़ी में दो इजरायली जहाजों और दो अमेरिकी जहाजों पर हमला किया गया।उन्होंने कहा कि अदन की खाड़ी में दो इजरायली जहाजों (MSC डार्विन) और (MSC GINA) को निशाना बनाया गया.

याह्या ने कहा कि अमेरिकी जहाज (MAERSK YORKTOWN) के अलावा, अदन की खाड़ी में एक और अमेरिकी युद्ध अभियान चलाया गया था। उन्होंने कहा कि इन इजरायली और अमेरिकी जहाजों को कई क्रूज मिसाइलों और ड्रोन द्वारा निशाना बनाया गया था।

यमनी सशस्त्र बलों के प्रवक्ता ने कहा कि हम उत्पीड़ित फिलिस्तीनी राष्ट्र के प्रति अपने धार्मिक, नैतिक और मानवीय कर्तव्य को पूरा करते हुए यमन की रक्षा करना जारी रखेंगे।

याहया ने इस बात पर जोर दिया कि लाल सागर, अरब सागर और हिंद महासागर में हमारा अभियान गाजा पर इजरायली आक्रामकता और नाकाबंदी के अंत तक जारी रहेगा।

यमनी सेना ने अब तक गाजा पट्टी में फिलिस्तीनी प्रतिरोध के समर्थन में लाल सागर और बाब अल-मंदब जलडमरूमध्य में कब्जे वाले क्षेत्रों की ओर जाने वाले कई अमेरिकी, ब्रिटिश और ज़ायोनी जहाजों या जहाजों को निशाना बनाया है।

फ़िलिस्तीनी सूत्रों ने घोषणा की है कि पिछले चौबीस घंटों के दौरान हमलावर ज़ायोनी सरकार के हमलों में एक सौ पच्चीस फ़िलिस्तीनी शहीद हो गए और दसियों अन्य घायल हो गए।

आईआरएनए की रिपोर्ट के मुताबिक, फिलिस्तीन के स्वास्थ्य मंत्रालय ने घोषणा की है कि पश्चिमी गाजा में कब्जे वाली इजरायली सेना द्वारा बमबारी के परिणामस्वरूप कई फिलिस्तीनी शहीद हो गए और कई अन्य घायल हो गए। गाजा के अन्य इलाकों पर ज़ायोनी सेना के बर्बर हमलों में दसियों फ़िलिस्तीनी शहीद हो चुके हैं।

ईद-उल-फितर के मौके पर भी गाजा के निर्दोष और उत्पीड़ित लोगों के खिलाफ आक्रामक ज़ायोनी शासन के हमले जारी रहे और गाजा के स्वास्थ्य मंत्रालय ने घोषणा की है कि गाजा के खिलाफ हमलों की शुरुआत के बाद से शहीदों की संख्या में वृद्धि हुई है। 7 अक्टूबर से यह तैंतीस हजार चार सौ बयासी हो गया है।

गाजा के स्वास्थ्य मंत्रालय ने घायल लोगों की नवीनतम संख्या छिहत्तर हजार पचास लोगों की भी घोषणा की है। इस अवधि के दौरान, ज़ायोनी शासन ने गाजा में आक्रामकता, नरसंहार, विनाश और विनाश, युद्ध अपराध, अंतर्राष्ट्रीय कानून का उल्लंघन, सहायता एजेंसियों पर बमबारी और अकाल के अलावा कुछ भी हासिल नहीं किया है।

ज़ायोनी शासन अपने किसी भी लक्ष्य को हासिल किए बिना गाजा में युद्ध हार गया है, और छह महीने के बाद भी, वह वर्षों से घेराबंदी में रहे एक छोटे से क्षेत्र में प्रतिरोध समूहों को आत्मसमर्पण करने में सक्षम नहीं कर पाया है।