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सोमवार, 08 अप्रैल 2024 17:05

फितरा के नियम

सैय्यद और गैर-सैय्यद का फ़ितरा

इस बिंदु पर, एक प्रश्न उठता है कि सैय्यद और गैर-सैय्यद का फितरा किसे कहा जाता है?

जवाब: सैय्यद और गैर-सैय्यद के फित्रे में इस बात पर ध्यान देना जरूरी है कि परिवार और परिवार का संरक्षक कौन है। क्या परिवार और परिवार का संरक्षक सैयद है या अभिभावक गैर-सैय्यद है? कि अगर परिवार और घर का संरक्षक गैर-सैय्यद है, भले ही एक या कई सैय्यद उस पर निर्भर हों, तो इन लोगों का फितरा किसी गैर-सैय्यद को नहीं दिया जा सकता है।

और इसके विपरीत, यदि परिवार का संरक्षक और जिम्मेदार व्यक्ति एक सैय्यद है, भले ही उसकी हिरासत में कुछ गैर-सैय्यद भी मौजूद हों, तो वह अपना फितरा किसी भी सैय्यद या गैर-सैय्यद को दे सकता है, क्योंकि मियार जिम्मेदार है परिवार और परिवार के लिए.

प्रकृति का सही उपयोग

इस बिंदु पर सवाल उठता है कि फितरा का उपयोग कहां है?

जवाब: फितरा के इस्तेमाल के संबंध में विद्वानों के विचार अलग-अलग हैं और इस संबंध में उनके दो मत हैं। एक: सभी आठ मामलों में जहां ज़कात का इस्तेमाल किया जाता है, फ़ितरा का भी इस्तेमाल किया जा सकता है, जैसे:

1- फकीर

2- गरीब: जिनकी आर्थिक स्थिति गरीबों से भी बदतर हो।

3- यात्री; जो लोग रास्ते में फंस गए हैं और उनके पास घर लौटने के लिए पैसे नहीं हैं.

4 - ऋणग्रस्तता; जिन लोगों के पास कर्ज चुकाने की ताकत नहीं है।

5- ईश्वर का मार्ग; अर्थात्, उन सभी को अच्छे कार्यों और मामलों पर खर्च किया जा सकता है जो आम मुसलमानों के लिए फायदेमंद हैं, जैसे मस्जिदों का निर्माण और मरम्मत, सड़कों, सड़कों, सड़कों, पुलों, स्कूलों, मदरसों और अस्पतालों का निर्माण और मरम्मत।

6- मौलफत अल-कुलूब: वे अविश्वासी जो फितरा की खोज के बाद इस्लाम की ओर झुकते हैं या युद्ध में मुसलमानों की मदद करते हैं।

7- नायब इमाम (उन पर शांति हो) या इस्लामी सरकारी कर्मचारी जो जकात इकट्ठा करने और जरूरतमंदों तक पहुंचने के लिए जिम्मेदार हैं।

सफ़ी गुलपाइगानी, मकारेम शिराज़ी और नूरी हमदानी जैसे कुछ विद्वानों का मानना ​​है कि फ़ितरा शिया गरीबों और गरीबों के लिए आरक्षित है, इसलिए इसे अन्य मामलों में उपयोग करना उचित नहीं है और फ़ितरा शिया को जरूरतमंदों और ज़रूरतमंदों को दिया जाना चाहिए।

इस बीच, यह सिफारिश की जाती है कि हर किसी को अपना और अपने परिवार का फितरा परिवार के जरूरतमंद सदस्यों को देना चाहिए, और जब उनके बीच कोई गरीब या जरूरतमंद न हो, तो उसे गरीब पड़ोसियों, ज्ञान और सिद्ध लोगों को देना चाहिए। , और धर्मनिष्ठ लोग, साथ ही तकलीद के कुछ महान विद्वान, यदि शहर में कोई जरूरतमंद व्यक्ति है, तो फ़ितरा को एक शहर से दूसरे शहर में स्थानांतरित करना उचित नहीं माना जाता है, अर्थात हर किसी को अपना फ़ितरा अदा करना चाहिए। अपने शहर के गरीबों के लिए.

फ़ितरा अदा करने का समय

फ़ितरा कब अदा करना चाहिए?

फ़ितरा दो बार अदा किया जा सकता है:

एक: ईद का चांद निकलने के बाद, ईद-उल-फितर की नमाज अदा करने से पहले, जो लोग ईद-उल-फितर की नमाज अदा करना चाहते हैं, उन्हें सावधानी से ईद की नमाज अदा करने से पहले अपना फितरा अदा करना चाहिए।

अन्य: ईद की नमाज़ के बाद से धुहर की नमाज़ तक, यानी, जो लोग ईद-उल-फितर की नमाज़ नहीं पढ़ना चाहते हैं, वे धुहर की नमाज़ तक अपना फ़ितरा अदा कर सकते हैं।

और अगर कोई ईद के दिन दोपहर की अजान से पहले फितरा अदा करने में असमर्थ हो तो उसे पहली फुर्सत पर फितरा निकाल लेना चाहिए, लेकिन अदा करने या कजा करने की नियत करना जरूरी नहीं है।

बिंदु: रमज़ान के पवित्र महीने से पहले या उसके दौरान फ़ितरा अदा करना सही नहीं है, इसलिए यदि किसी ने रमज़ान के पवित्र महीने के दौरान अपने और अपने परिवार के लिए फ़ितरा अदा किया है, तो उसे ईद में फिर से फ़ितरा अदा करना चाहिए क्योंकि यह सही समय है फितरा अदा करना ईद का चांद निकलने के बाद करना है या फिर ईद का चांद देखने के बाद कर्ज के रूप में दिए गए पैसे को गिनकर फितरा में जोड़ना है।

फ़ितरा उस धार्मिक कर को कहते हैं जो प्रत्येक मुस्लिम परिवार के मुखिया को अपने परिवार के प्रत्येक सदस्य की ओर से निर्धनों को देना होता है|  रमज़ान में चरित्र और शिष्टाचार का प्रशिक्षण लिए हुए लोग इस अवसर पर फ़ितरा देने और अपने दरिद्र भाइयों की सहायता के लिए तत्पर रहते हैं|

इस्लाम इस बात का ख्याल रखता है कि हर वो शख्स जिसने रोज़ा रखा हो चाहे वो अमीर हो या ग़रीब उसके घर मैं ईद मनाई जाए| एक ग़रीब रोज़ा तो बग़ैर किसी कि मदद के रख सकता है और इफ्तार और सहरी किसी भी मस्जिद मैं जा के कर सकता है लेकिन ईद मनाने के लिए नए कपडे, और सिंवई बना के खुशिया मनाने के लिए पैसे कहाँ से लाये?

इस्लाम ने इस बात का ख्याल रखते हुए चाँद रात फितरा देना हर मुसलमान पे फ़र्ज़ किया है| फितरा की रक़म इस बात पे तय कि जाती है कि आप किस दाम का अन्न जैसे गेहूं या चावल खाते हैं ? उसका तीन किलो या सवा तीन सेर अन्न की कीमत आप निकाल के ग़रीबों मैं चाँद रात ही बाँट दें | यह रक़म घर का मुखिया अपने घर के हर एक फर्द की तरफ से अदा करेगा |

यदि आप के इलाके मैं , शहर मैं कोई ग़रीब है जिसके घर ईद ना मन पा रही हो तो फितरे की रक़म शहर के बाहर नहीं भेजी जा सकती| हाँ आप यह रक़म अगर कहीं दूर किसी गरीब को भेजना चाहते हैं तो आप इसे चाँद रात के पहले भी निकाल सकते हैं बस नियत यह होगी की उस शख्स को क़र्ज़ दिया और जैसे ही चाँद आप देखें आप निय्यत कर दें के जो रक़म बतौर क़र्ज़ दी थी वो फितरे मैं अदा किया| इस तरह से आप किसी दूर के ग़रीब रिश्तेदार, दोस्त या भाई तक यह रक़म पहुंचा सकते हैं | इस फितरे की रकम पे सबसे पहले आप के अपने गरीब रिश्तेदार , फिर पडोसी, फिर समाज का गरीब और फिर दूर के रोज़ेदार का हक़ होता है|

 

सोमवार, 08 अप्रैल 2024 17:01

ज़कात ईश्वर का हक़

आप में से बहुत से रोज़े से होंगे।

आशा है आप पवित्र रमज़ान के आध्यात्मिक माहौल में अपने दिन अच्छी तरह गुज़ार रहे होंगे। ईश्वर आपकी उपासनाओं को स्वीकार करे। हम सब पवित्र रमज़ान के मूल्यवान समय की अहमियत को समझें और इससे ज़्यादा से ज़्यादा आध्यात्मिक लाभ उठाएं। इमाम ज़ैनुल आबेदीन अलैहिस्सलाम पवित्र रमज़ान की अपनी विशेष प्रार्थना में ईश्वर से इस तरह वंदना करते हैंः "हे पालनहार! इस महीने में हमें रिश्तेदारों के साथ भलाई करने में हमें सफल बना और हम उनसे मुलाक़ात करे, पड़ोसियों के साथ दान दक्षिणा करें, अपनी धन संपत्ति को ज़कात देकर पाक करें और जो हम से दूर हो गए हैं उनसे मेल जोल क़ायम करें।"

रोज़ा रखने का एक फ़ायदा यह कि सभी इंसान चाहे अमीर हों या ग़रीब सब ईश्वर के सामने हाज़िर हों और अमीर लोग भी ग़रीबों व वंचितों की तरह भुख के दर्द को समझें तथा उनकी मदद करें। वास्तव में रोज़ा एक तरह से सामाजिक भागीदारी का प्रदर्शन है। अमीर लोग वंचितों को अपने यहां ईश्वरीय दस्तरख़ान पर दावत देते और उनसे मेलजोल क़ायम करते हैं।

एक दिन एक  व्यक्ति पैग़म्बरे इस्लाम सल्लल लाहो अलैहि व आलेही व सल्लम की सेवा में हाज़िर हुआ और उसने कहाः "हे ईश्वरीय दूत! मैं अपने रिश्तेदारों के साथ अच्छा व्यवहार करता हूं और उनसे मेल जोल रखता हूं लेकिन वे मुझे सताते हैं। इसलिए मैंने फ़ैसला किया है कि उनसे मेल जोल छोड़ दूं।" यह सुनकर पैग़म्बरे इस्लाम ने फ़रमायाः "उस समय ईश्वर तुम्हें भी छोड़ देगा।"

यह सुनकर उस व्यक्ति ने पैग़म्बरे इस्लाम से सवाल किया कि मुझे क्या करना चाहिए। पैग़म्बरे इस्लाम ने फ़रमायाः "जो तुम्हें किसी चीज़ से मना करे तुम उसके साथ उदारता दिखाओ। जिसने तुमसे संबंध तोड़ लिए हैं उससे संबंध क़ायम करो और जिसने तुम पर अत्याचार किया है उसे भुला दो। जब ऐसा करोगे तब ईश्वर तुम्हारा मददगार होगा।"

वास्तव में जनसेवा और लोगों की ईश्वर की प्रसन्नता के लिए मदद करना सबसे बड़ी उपासनाओं में से एक है। इस मार्ग में सिर्फ़ पैसों व भौतिक संसाधनों से मदद सीमित नहीं है बल्कि इंसान किसी दूसरे इंसान की किसी मुश्किल को हल करे तो इसे भी भलाई में गिना जाता है, चाहे किसी मोमिन को ख़ुश करना और उसके मन से किसी तरह दुख को दूर करना हो।

हज़रत इमामा जाफ़र सादिक़ अलैहिस्सलाम ने फ़रमायाः "जो व्यक्ति अपने मोमिन भाई के चेहरे से एक तिनका हटाए ईश्वर उसे दस पुन्य देता है और जो कोई किसी मोमिन बंदे के मुस्कुराने की वजह बने तो यह उसके लिए पुन्य गिना जाएगा।"             

पवित्र रमज़ान में ज़कात निकलाना और दान दक्षिणा करना ईश्वर का सामीण्य हासिल करने का एक अन्य साधन है। ज़कात ईश्वर का हक़ है कि जिसे मोमिन इंसान अपने धन से शरीआ क़ानून के अनुसार निकालता  है और निर्धनों को देता है। पवित्र क़ुरआन की अनेक आयतों में ज़कात की अहमियत का उल्लेख मिलता है। जैसा कि मायदा नामक सूरे की आयत नंबर 12 में ईश्वर ने पापों की क्षमा और स्वर्ग में प्रवेश को ज़कात निकालने से सशर्त किया है। जैसा कि इस आयत में ईश्वर कह रहा हैः "हम तुम्हारे साथ हैं अगर नमाज़ क़ायम करो  और ज़कात अदा करो। मेरे दूतों पर ईमान लाओ, उनका साथ दो और मदद करो। ईश्वर को क़र्ज़ दो तो तुम्हारे पापों को क्षमा  कर दूंगा और तुम्हे स्वर्ग के ऐसे बाग़ों में दाख़िल करूंगा जिसके नीचे नदियां बहती हैं।"

पवित्र क़ुरआन में कई स्थान पर नमाज़  और ज़कात का एक साथ उल्लेख मिलता है जिससे पता चलता है कि नमाज़ ईश्वर के सामने सिर झुकाकर ख़ुद को तुच्छ ज़ाहिर करने के अर्थ में और ज़कात अपने व्यक्तिगत व सामाजिक जीवन में मौजूद कमियों की भरपायी करने के साथ साथ मुक्ति व कल्याण की गारंटी है। ईश्वर तौबा नामक सूरे की आयत नंबर 71वीं आयत में ज़कात देने वालों को अपनी कृपा का पात्र बनाना ख़ुद के लिए अनिवार्य क़रार दिया है। जैसा कि इस आयत में ईश्वर कह रहा है, “ईमान लाने वाले पुरुष व महिला एक दूसरे के मददगार हैं। एक दूसरे को अच्छाई का हुक्म देते और बुराई से रोकते हैं, नमाज़ क़ायम करते हैं, ज़कात अदा करते हैं, ईश्वर और उसके पैग़म्बर का आज्ञापालन करते हैं, जल्द ही ईश्वर उन्हें अपनी कृपा का पात्र बनाएगा। ईश्वर सर्वशक्तिमान व तत्वदर्शी है।”

ज़कात 9 चीज़ों पर निकलती है। गेहूं, जौ, ख़जूर, किशमिश, सोना, चांदी, ऊंट, गाय और भेड़ बकरी।

जो व्यक्ति इनमें से किसी एक चीज़ का उतनी मात्रा में स्वामी हो कि जिस पर ज़कात निकलती है तो उसे एक निश्चित मात्रा में ज़कात निकालनी होगी। वास्तव में ज़कात इस भाग को कहते हैं जो मोमिन बंदा अपनी धन संपत्ति में से निकालता और निर्धनों को देता है। यही वजह है कि ज़कात की अदायगी को धन संपत्ति के बढ़ने और मन व आत्मा के पाक होने का कारण बताया गया है।   

ज़कात की एक क़िस्म फ़ित्रा कहलाती है। यह ज़कात ईदुल फ़ित्र की रात निकाली जाती है और यह उन लोगों के लिए निकालना अनिवार्य है जो इसके निकालने में सक्षम हैं। इस ज़कात के तहत घर के अभिभावक पर ज़रूरी है कि वह घर के हर सदस्य की ओर से तीन किलो गेहूं, या तीन किलो चावल, या तीन किलो मकई, या रोटी और इनमें से किसी एक की क़ीमत निकाले और निर्धन व्यक्ति को दे दे। चूंकि यह ज़कात आम तौर पर खाद्य पदार्थ पर निकलती है इसलिए यह निर्धनों व वंचितों की खाद्य पदार्थ की ज़रूरत को पूरी करने में प्रभावी स्रोत बन सकती है। ईश्वर हर एक को अपनी विशेष कृपा का पात्र नहीं बनाता बल्कि उन मोमिन बंदों को अपनी विशेष कृपा का पात्र बनाता है जो ज़कात निकालते और ईश्वर से डरते हैं। पवित्र क़ुरआन की आराफ़ नामक सूरे की आयत नंबर 156 में ईश्वर कह रहा है, “मेरी कृपा सृष्टि की हर चीज़ को अपने घेरे में लिए है और जल्द ही इसे उन लोगों के लिए निर्धारित कर दूं जो सदाचारी हैं, ज़कात देते हैं और हमारी निशानियों पर आस्था रखते हैं।” इमाम जाफ़र सादिक़ अलैहिस्सलाम फ़रमाते हैं, “ईश्वर के निकट सबसे पसंददीदा वह है जो सबसे ज़्यादा दानी है और सबसे दानी व्यक्ति वह है जो अपने माल की ज़कात अदा करे।”

पवित्र रमज़ान में इंसान को संपर्क का एक अहम अवसर अपने आस-पास और समाज के लोगों पर ध्यान से मिलता है। पवित्र रमज़ान में लोगों पर बल दिया गया है कि अपनी क्षमता भर अपनी धन संपत्ति में से कुछ ईश्वर के मार्ग में ख़र्च कर दिलों को एक दूसरे के निकट करें। पवित्र रमज़ान में वंचितों व ज़रूरतमंदों को इफ़्तारी देना मुसलमानों की एक सुंदर परंपरा है। इस्लाम में प्रेम व स्नेह को आधार की तरह अहमियत दी गयी है और बल दिया गया है कि इंसानों का आपस में एक दूसरे से संपर्क व संबंध सम्मान व घनिष्ठता पर आधारित हो। पैग़म्बरे इस्लाम सल्लल लाहो अलैहि व आलेही व सल्लम दूसरों के साथ अपने सामाजिक संबंध में सबसे ज़्यादा सम्मान व स्नेह का प्रदर्शन करते थे। स्पष्ट सी बात है जिस समाज में संबंध स्नेह व सम्मान पर आधारित होगा ऐसे समाज पर ईश्वर कृपा निरंतर बनी रहेगी। यही वजह है कि पवित्र रमज़ान में इफ़्तारी देने पर बहुत बल दिया गया है। जैसा कि पैग़म्बरे इस्लाम फ़रमाते हैं, “इफ़्तार के समय पुन्य करो। रोज़ेदारों को इफ़्तार की दावत दो चाहे कुछ खजूरों या पानी के एक घूंट भर ही क्यों न हो।”

पैग़म्बरे इस्लाम के इसी आदेश के मद्देनज़र इस्लामी गणतंत्र ईरान में जगह जगह मस्जिदों और रास्तों पर इफ़्तार की सुविधा रखी जाती है ताकि रोज़ेदार अपना रोज़ा खोल सकें। इस तरह ईमान की शुद्दता व स्नेह ज़ाहिर होता है और प्रेम व स्नेह सामाजिक व्यवहार में ख़ास तौर पर सामाजिक दृष्टि से अनिवार्य कर्मों में प्रकट होता है। यही वजह है कि नमाज़ी और उपासना करने वाले ज़्यादा दान दक्षिणा करते हैं। इसी तरह पवित्र रमज़ान में ज़रूरतमंदों और अनाथों को खाना खिलाने का अलग ही आनंद है। उम्मीद करते हैं कि हम सभी इस पवित्र महीने में दूसरों की ख़ास तौर पर अनाथों की मदद करना नहीं भूलेंगे क्योंकि अनाथों को दूसरों की तुलना में अधिक मदद की ज़रूरत होती है। 

 

 

रमज़ान के महीने में हर साल की तरह ईरान की इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने रविवार को क़रीब 3 हज़ार छात्रों और राजनीतिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और वैज्ञानिक संगठनों के प्रतिनिधियों से ढाई घंटे तक मुलाक़ात और बातचीत की।

इस मुलाक़ात की शुरुआत में छात्र संगठनों के कई प्रतिनिधियों ने ईरान और दुनिया से जुड़े मुद्दों पर अपने आलोचनात्मक विचार और सुझाव पेश किए, उसके बाद सुप्रीम लीडर ने अपनी राय रखी।

चर्चा की शुरुआत में सुप्रीम लीडर ने रमज़ान के पवित्र महीने में हासिल होने वाले प्रकाश और पवित्रता को संरक्षित करने का मुख्य तरीक़ा, पापों से दूरी बनाए रखना बताया।

इस्लामी क्रांति के नेता का कहना था कि कुछ कार्यों के पाप होने के बारे में अनजान होना, उन्हें अंजाम देने का कारण बनता है। उन्होंने कहाः वर्चुअल स्पेस में बिना सत्यापन के बात करना और लिखना, लापरवाही में किए गए पाप का उदाहरण है, जिसके लिए ईश्वर के सामने जवाबदेह होना होगा। हालांकि मैं किसी भी तरह रूढ़िवादी होने, आलोचना न करने और शिकायत न करने की सलाह नहीं दे रहा हूं, लेकिन हमें अपने हर शब्द के लिए और हर काम में सावधान रहना चाहिए।

उन्होंने कहा कि समाज और देश में उससे कहीं ज़्यादा समस्याएं हैं, जिनका ज़िक्र इस मुलाक़ात में छात्रों ने किया है। छात्रों का मूल उद्देश्य पढ़ाई करना है, लेकिन उसी के साथ लोगों और समाज पर नज़र रखना और समस्याओं का समाधान पेश करना भी उनकी असली ज़िम्मेदारियों में से है।

पहलवी शासन के भ्रष्टाचार और बुराईयों का उल्लेख करते हुए सुप्रीम लीडर ने कहाः उस ज़माने में ईरान जैसे महान देश पर हर प्रकार के भ्रष्टाचार में लिप्त परिवार ने लोगों पर शासन किया। इसके अलावा समाज के प्रबंधन में पूर्ण तानाशाही व्यवस्था का शासन था और आज के विपरीत देश के मामलों में लोगों की कोई भूमिका नहीं थी और उनकी कोई गिनती नहीं थी।

लोगों पर अत्याचार और राजनीतिक दबाव, विदेशियों के प्रति आज्ञाकारिता, पश्चिम के सांस्कृतिक अवशेषों का अनुसरण, गंभीर पक्षपात, न्याय की संवेदनहीनता, अधिकारियों और अदालत से संबंधित लोगों का भ्रष्टाचार क्रांति से पहले की अन्य वास्तविकताएं थीं, जिनका अयातुल्ला ख़ामेनई ने उल्लेख किया।

इस व्यस्था के ख़िलाफ़ धार्मिक विद्वानों और इमाम ख़ुमैनी के नेतृत्व में जनसंघर्ष को वरिष्ठ नेता ने संपूर्ण संघर्ष बताते हुए कहाः इमाम ख़ुमैनी ने लोगों को एक धार्मिक और राष्ट्रीय आंदोलन के रूप में संगठित किया, जिसके नतीजे में क्रांति सफल हुई, जो ईरानी राष्ट्र की ऐतिहासिक पहचान पत्र बन गई।

सुप्रीम लीडर का कहना थाः इस्लामी गणतंत्र के आदर्शों को दो सामान्य शीर्षकों में ख़ुलासा किया जा सकता हैः देश को इस्लामी तरीक़े से प्रशासित करना और देश के अच्छे शासन के लिए दुनिया के लोगों के सामने एक मॉडल पेश करना। आप लोग बौद्धिक और अध्ययन समूहों और उनकी बैठकों में और क्रांति में विश्वास करने वाले विशेषज्ञों के साथ मिलकर इन दो शीर्षकों को साकार करने के तरीक़ों को नवीनीकृत कर सकते हैं और उसके लिए आप लोगों को प्रयास करने चाहिए।

 

 आयतुल्लाह ख़ामेनई ने जन कल्याण, शारीरिक और नैतिक सुरक्षा, वैज्ञानिक प्रगति, स्वास्थ्य का विस्तार, जनसंख्या को युवा बनाए रखना, सभी प्रकार के निर्माण और नवाचार और न्याय को भौतिक प्रगति के मुख्य शीर्षकों के रूप में सूचीबद्ध किया और कहाः न्याय, जिसे सही ढंग से समझा जाना चाहिए, इसका अर्थ है सार्वजनिक अवसरों का उपयोग करने में वर्गीय अंतर को नकारना और समान अवसरों तक लोगों की पहुंच को आसान बनाना, क्योंकि अवसरों का उपयोग करने में विशेष विशेषाधिकार बनाना, अन्याय है और यह न्याय के ख़िलाफ़ है।

इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने आध्यात्मिक प्रगति के विषयों में नैतिकता, धार्मिकता, सहयोग, इस्लामी जीवन शैली, बलिदान और संघर्ष को भी सूचीबद्ध किया और कहाः इन सभी आध्यात्मिक घटकों और विषयों की प्राप्ति के लिए नए विचारों और नई योजना की आवश्यकता है और छात्र समुदाय को अपनी चिंताओं और मांगों के साथ-साथ इस क्षेत्र में लगातार काम और प्रयास करना चाहिए।

उन्होंने कहा कि इस्लामी गणतंत्र का दूसरा आदर्श, जो दुनिया के सामने शासन का एक मॉडल पेश करना है, वास्तव में दुनिया के लोगों के लिए करुणा और परोपकार है। इस संदर्भ में उन्होंने कहाः यह आदर्श कुछ हद तक और कई आयामों में पूरा हुआ है, और बहुत सी ऐसी घटनाएं जो आप युवाओं को उत्साहित करती हैं और क्षेत्र और दुनिया के स्तर पर आप उन पर गर्व करते हैं, वह आपके देश, समाज और क्रांति से संबंधित हैं।

अपने भाषण के एक अन्य भाग में अयातुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनई ने ज्ञान को विश्वविद्यालय का मुख्य स्तंभ बताया और कहाः दुनिया के विश्वविद्यालय अपने तीसरे कर्तव्य में यानी विद्वानों के प्रशिक्षण और ज्ञान के उत्पादन को निर्देशित करने में समस्या का सामना कर रहे हैं और इस वजह से वे अहंकारी और ज़ायोनीवादियों का हथकंडा बन जाते हैं।

लेबनान में हिज़्बुल्लाह ने ज़ायोनी सैन्य अड्डे और वायु रक्षा कमान मुख्यालय और ज़ायोनी तोपखाने पर मिसाइलों से हमला किया है।

IRNA की रिपोर्ट के मुताबिक, हिजबुल्लाह लेबनान ने एक बयान में घोषणा की है कि गाजा में फिलिस्तीनी आंदोलन के समर्थन और दक्षिणी लेबनान में अल-बका के कब्जे वाले क्षेत्र पर ज़ायोनी आक्रमण के जवाब में, हिज़्बुल्लाह के समर्थकों ने ज़ायोनी सेना के ठिकानों और वायु रक्षा कमान मुख्यालय और ज़ायोनी तोपखाने पर मिसाइलों से हमला किया है।

ये हमले यूएएफ इलाके में किला सैन्य छावनी पर किए गए. इस हमले में हिजबुल्लाह ने कत्यूषा मिसाइलों का इस्तेमाल किया था. लेबनान में हिज़्बुल्लाह ने भी मिसाइल हमलों से कब्जे वाले गोलान में कई ज़ायोनी सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया, जिसके परिणामस्वरूप विभिन्न कब्जे वाले क्षेत्रों में अलार्म सायरन बजने लगे।

कुछ सूत्रों ने बताया है कि लेबनान में हिजबुल्लाह ने कब्जे वाले गोलान में ज़ायोनी मिसाइल प्रणाली पर चालीस मिसाइलें दागीं। ज़ायोनी सूत्रों ने यह भी स्वीकार किया है कि कब्जे वाले उत्तरी फिलिस्तीन, अल-मनारा और इस्बा अल-जलील में इजरायली सैन्य ठिकानों पर मिसाइलों से हमला किया गया था।

 

सोमवार, 08 अप्रैल 2024 16:58

रफ़ा पर इज़रायली हवाई हमले

इराकी इस्लामिक मूवमेंट ऑफ पर्सिवरेंस ने कब्जा कर रहे ज़ायोनी शासन के एक और सैन्य अड्डे को निशाना बनाने की सूचना दी है।

फ़िलिस्तीन की समा न्यूज़ एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, कब्ज़ा करने वाली ज़ायोनी सरकार के युद्धक विमानों ने अल-बरहमा के खुरबा अल-अदस इलाके में एक आवासीय इमारत और अल-कुवैती अस्पताल के पास कई अन्य ठिकानों को निशाना बनाया। रफ़ा में. कब्ज़ा करने वाली ज़ायोनी सरकार के हमलावरों ने खान यूनुस के कई इलाकों पर भी बमबारी की।

इस रिपोर्ट के मुताबिक, ज़ायोनी सरकार के तोपखाने ने गाजा के मध्य क्षेत्र अल-मगाज़ी शिविर और दीर ​​अल-बलाह को निशाना बनाया।

यमन के सशस्त्र बलों ने एक बार फिर मिसाइल और ड्रोन हमलों से संयुक्त राज्य अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम और कब्ज़ा करने वाले ज़ायोनी शासन के जहाजों को निशाना बनाया है।

यमन के सशस्त्र बलों ने एक बयान में घोषणा की है कि ब्रिटिश और दो ज़ायोनी जहाज़ जो क़ब्ज़े वाले फ़िलिस्तीन के बंदरगाह की ओर जा रहे थे, उन्हें मिसाइलों और ड्रोन हमलों से निशाना बनाया गया। इस बयान में कहा गया है कि हमलावरों ने ज़ायोनी शासन के पहले जहाज एमएससी ग्रॉस एफ को हिंद महासागर में और दूसरे जहाज एमएस जीना को अरब सागर में बैलिस्टिक और क्रूज मिसाइलों से निशाना बनाया.

यमन के सशस्त्र बलों ने मिसाइल और ड्रोन हमलों से अरब सागर में अमेरिकी जहाजों को भी निशाना बनाया है। यमनी सशस्त्र बल अरब सागर और लाल सागर में ज़ायोनी शासन के नौवहन को रोक रहे हैं, और उसने दावा किया है कि जब तक गाजा की घेराबंदी और क्षेत्र पर ज़ायोनी आक्रमण जारी रहेगा तब तक उसके सैन्य हमले जारी रहेंगे।

इस संबंध में यमन की राष्ट्रीय मुक्ति सरकार के वार्ता प्रतिनिधिमंडल के प्रमुख मुहम्मद अब्द सलाम ने कहा है कि यमन के सशस्त्र बल केवल उन जहाजों को निशाना बना रहे हैं जो कब्जे वाले फिलिस्तीन के बंदरगाह तक जाते हैं और यह ज़ायोनी सरकार के खिलाफ है। इस तरह के हमलों का उद्देश्य निरंकुश सरकार पर गाजा के खिलाफ अपनी आक्रामकता और गाजा की घेराबंदी को समाप्त करने के लिए दबाव डालना है।

ईरान के विदेश मंत्री ने कहा है कि नकली इज़रायली सरकार क्षेत्र में युद्ध भड़काने और फैलाने की कोशिश कर रही है और उसे हमेशा संयुक्त राज्य अमेरिका का पूरा समर्थन प्राप्त है।

ईरान के विदेश मंत्री होसैन अमीर अब्दुल्लाहियान ने मस्कट में ओमान के विदेश मंत्री बदर अल-दीन हमद अल-बुसैदी के साथ एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में कहा कि ज़ायोनी सरकार पूरी तरह से गाजा के दलदल में फंस गई है और गाजा युद्ध सातवें चरण में प्रवेश कर गया है। महीना और वह गाजा में अपना मामूली लक्ष्य भी हासिल नहीं कर पा रहा है.

ईरान के विदेश मंत्री ने दमिश्क में ईरान के वाणिज्य दूतावास अनुभाग पर ज़ायोनी सरकार के आतंकवादी और कायरतापूर्ण हमले के बारे में कहा कि यह कदम ज़ायोनीवादियों का युद्ध भड़काने और क्षेत्र के अन्य देशों को युद्ध में खींचने का एक नया प्रयास है।

होसैन अमीरअब्दुल्लाहियन ने कहा कि ईरान में अमेरिकी हितों के रक्षक ने स्विट्जरलैंड के दूतावास के माध्यम से वाशिंगटन को एक खुला संदेश भेजा है और अमेरिकी ज़ायोनी शासन के अपराधों का समर्थन करने में अपनी जिम्मेदारियों से पीछे नहीं हट सकते।

इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में ओमान के विदेश मंत्री ने यह भी कहा कि तेहरान और मस्कट के बीच समझौतों को लागू करने के लिए गंभीर प्रयास किए जा रहे हैं और ईरानी विदेश मंत्री की उपस्थिति का लाभ उठाते हुए उन्होंने फिलिस्तीनी लोगों और उत्पीड़ितों की समस्याओं और कठिनाइयों पर चर्चा की। गाजा में फिलिस्तीनी लोगों के खिलाफ ज़ायोनी सरकार के सैन्य आक्रमण पर चर्चा की जाएगी۔

मिस्र के सूत्रों ने घोषणा की है कि काहिरा में गाजा युद्धविराम को लेकर बातचीत में प्रगति हुई है, जबकि एक वरिष्ठ फिलिस्तीनी अधिकारी का कहना है कि युद्धविराम को लेकर बातचीत में कोई प्रगति नहीं हुई है.

फ़िलिस्तीन की समा न्यूज़ एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक, मिस्र के सूत्रों ने घोषणा की है कि काहिरा में गाजा युद्धविराम को लेकर बातचीत में प्रगति हुई है. मिस्र के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर अल-क़ायरा न्यूज़ चैनल को बताया कि गाजा में युद्धविराम के बुनियादी मुद्दों पर सभी पक्ष सहमत हो गए हैं और हमास और कतर के बीच वार्ताकार काहिरा छोड़ चुके हैं जो दो दिन बाद लौटेंगे मसौदे को अंतिम रूप दें और बातचीत के साथ आगे बढ़ें।

इस दौरान विभिन्न पक्षों के बीच मंत्रणा का दौर भी जारी रहेगा. इस संबंध में मिस्र के संवाददाताओं के सिंडिकेट के प्रमुख ज़िया रिशवान ने कहा है कि उन्होंने काहिरा में जो देखा उसकी पुष्टि करते हैं और समझौते पर हस्ताक्षर होने वाले हैं।

दूसरी ओर, एक वरिष्ठ फ़िलिस्तीनी अधिकारी का कहना है कि वार्ता में कोई प्रगति नहीं हुई है और ज़ायोनी सूत्रों द्वारा किए जा रहे दावों का उद्देश्य धोखाधड़ी और स्व-निर्मित दावे हैं। उन्होंने कहा कि हासिल की गई किसी भी प्रगति की घोषणा फ़िलिस्तीनी स्रोतों के माध्यम से की जाएगी। अभी तक संयुक्त राज्य अमेरिका, ज़ायोनी सरकार और हमास आंदोलन की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।

दक्षिणी गाजा के खान यूनिस इलाके से नरसंहारक ज़ायोनी शासन की आक्रामक सेना की वापसी की खबरें आई हैं।

इज़रायली रेडियो ने बताया कि ज़ायोनी सेनाएँ खान यूनिस से हट गई हैं, लेकिन फिलिस्तीनियों को दक्षिणी गाजा से उत्तरी गाजा में लौटने से रोकने के लिए अभी भी क्षेत्र में मौजूद हैं।

इज़राइल आर्मी रेडियो ने घोषणा की है कि सेना की 18वीं बटालियन खान यूनिस क्षेत्र में अपना अभियान समाप्त करने के बाद पीछे हट गई है।

इजरायली सेना रेडियो ने यह भी घोषणा की कि इजरायली सेना की नाहल ब्रिगेड और 162वीं बटालियन दक्षिणी गाजा से उत्तरी गाजा में फिलिस्तीनियों की वापसी को रोकने के लिए अभी भी क्षेत्र में हैं।