
رضوی
इस्राईल ने ग़ज़्ज़ा पट्टी का परिवेष्टन और कड़ा किया
फ़िलिस्तीनियों के विरुद्ध जायोनी शासन की युद्धोन्मादी नीतियां जारी हैं और इसी परिप्रेक्ष्य में उसने ग़ज़्ज़ा पट्टी के परिवेष्टन को और कड़ा कर दिया है।
इस्राईल ने ग़ज़्ज़ा पट्टी के परिवेष्टन को इस तरह से कड़ा कर दिया है कि उसने व्यापार करने के एक तिहाई लाइसेन्स को रद्द कर दिया है। इस्राईल के आंतरिक सुरक्षा संगठन शाबाक ने धीरे- धीरे पिछले महीनों में व्यापार करने वाले सैकड़ों फिलिस्तीनी व्यापारियों के लाइसेन्स को रद्द कर दिया है।
जायोनी शासन ने इसी प्रकार ग़ज़्ज़ा पट्टी में वस्तुओं के आयात- निर्यात को बहुत सीमित कर दिया है और यह विषय ग़ज़्ज़ा पट्टी की आर्थिक स्थिति के और विषम होने का कारण बना है। इसी प्रकार ग़ज़्ज़ा पट्टी के परिवेष्टन के कड़ा करने से इस पट्टी में वस्तुओं का आयात करने वाले व्यापारिकों भारी क्षति पहुंची है।
वर्ष 2007 से ग़ज़्ज़ा पट्टी का परिवेष्टन जारी है और व्यवहारिक रूप से इस पट्टी के 15 लाख लोगों को आवश्यक वस्तुओं की भारी कमी का सामना है और परिवेष्टन के और अधिक कड़ा कर दिये जाने से इस क्षेत्र में मानवीय संकट उत्पन्न होने की चिंता में वृद्धि हो गयी है।
ग़ज़्ज़ा पट्टी के परिवेष्टन के जारी रहने और इस्राईल द्वारा बारम्बार इस पट्टी पर हमले जैसे कार्यों से इस क्षेत्र में विषम मानवीय संकट उत्पन्न हो गया है।
उल्लेखनीय है कि जायोनी शासन ने पिछले लगभग एक दशक से ग़ज़्ज़ा पट्टी का परिवेष्टन कड़ा कर रखा है और ईंधन तथा आवश्यक वस्तुओं को इस क्षेत्र में जाने की अनुमति नहीं दे रहा है जिससे यह क्षेत्र मानव त्रासदी के मुहाने पर पहुंच चुका है।
यद्यपि जायोनी शासन फिलिस्तीनी जनता के साहसिक प्रतिरोध के कारण वर्ष 2005 में ग़ज़्ज़ा पट्टी से पीछे हट गया परंतु व्यवहारिक रूप से उसने अपनी विफलता को छिपाने और फिलिस्तीनियों को अपनी मांगों के समक्ष झुका देने के लिए इस क्षेत्र में अपनी मानवता विरोधी कार्यवाहियों को यथावत जारी रखे हुए है।
ईरानी नागरिकों की यात्रा को आसान बनाने के लिए भारत का नया क़दम
भारत ने इस्लामी गणतंत्र ईरान सहित 35 अन्य देशों के नागरिकों के लिए इलैक्ट्रॉनिक वीज़ा जारी करने का फ़ैसला किया है।
इस प्रकार भारत की ओर से जिन देशों के नागरिकों के लिए इलैक्ट्रॉनिक वीज़ा जारी करने की सुविधा मुहैया की गयी है, उनकी संख्या बढ़कर 186 हो गई है।
भारतीय पर्यटन मंत्रालय के अनुसार, इस साल जनवरी से जून के बीच 480 सैलानियों ने इलैक्ट्रॉनिक वीज़े के साथ भारत का भ्रमण किया और यह संख्या, पिछले साल की तुलना में अधिक है।
भारतीय पर्यटन मंत्रालय के अनुसार, ज़्यादातर इलैक्ट्रॉनिक वीज़े अमरीका, ब्रिटेन, चीन, फ़्रांस और ऑस्ट्रेलिया के सैलानियों के लिए जारी किए गए।
भारत की ओर से इलैक्ट्रॉनिक वीज़े की सुविधा उपलब्ध होने से संबंधित देशों के नागरिकों को भारतीय दूतावास जाने की ज़रूरत नहीं पड़ती बल्कि इंटरनेट सेवा से वीज़ा जारी किया जाता है।
इलैक्ट्रॉनिक वीज़े में भारत में ठहरने की अवधि सिर्फ़ एक महीना है और व्यक्ति साल में दो बार भारत का इलैक्ट्रॉनिक वीज़ा इस्तेमाल कर सकता है।
अमरीका ने ईरान से भारी पानी ख़रीदने की पुष्टि की
अमरीकी पत्रिका वाशिंग्टन फ़्री-बेकन ने लिखा कि अमरीका ने 86 लाख डाॅलर के मूल्य के भारी पानी ईरान से ख़रीदने की पुष्टि की है।
प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार, वाशिंगटन फ़्री-बेकन ने मंगलवार की अपनी रिपोर्ट में लिखा कि अमरीकी और ईरानी अधिकरियों ने सोमवार को पुष्टि की है कि अमरकी ने ईरान से 86 लाख डाॅलर मूल्य के भारी पानी ख़रीदा है और यह एसी कार्यवाही है जिसपर अमरीकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने परमाणु समझौते पर ईरान को बाक़ी रखने पर कटिबद्ध रहने के लिए सहमति जताई थी।
अमरीका के ऊर्जा मंत्रालय के एक अधिकारी ने वाशिंग्टन फ़्री-बेकन, इस ख़रीदारी की पुष्टि की है।
उन्होंने कहा कि वह इस बारे में प्रकाशित रिपोर्ट की पुष्टि करने को तैयार हैं कि ऊर्जा मंत्रालय के आइज़ोटोप कार्यक्रम ने ईरान से 32 टन भारी पानी ख़रीदने का कार्यक्रम पूरा कर लिया है। ईरान के उप विदेश अब्बास इराक़ची ने सोमवार की रात बताया था कि अमरीका और ईरान के बीच 32 टन भारी पानी की ख़रीदारी संपन्न हो गयी है।
शियों पर आरोप बूढ़ी औरतों की बकवासः अलअज़हर के प्रमुख अहमद तैयब
मिस्र और विश्व के प्रतिष्ठित इस्लामी धार्मिक संस्थान अलअज़हर विश्व विद्यालय के प्रमुख ने मिस्र के नील टीवी से बात करते हुए शिया-सुन्नी मतभेदों के बारे में बड़ी अहम बातें कही हैं।
अहमद तैयब से चैनल के पत्रकार ने पूछा कि क्या उनकी नज़र में शियों की आस्थाओं में को समस्या नहीं हैं? तो उन्होंने कहा कि कोई समस्या नहीं है, 50 साल पहले शैख़ शलतूत ने फ़तवा दिया था कि शिया मत, इस्लाम का पांचवां मत है और अन्य मतों की तरह है। पत्रकार ने पूछा कि हमारे युवा शिया हो रहे हैं, हम क्या करें? तो अहमद तैयब ने कहा कि हो जाएं, जब कोई व्यक्ति हनफ़ी से मालेकी हो जाए तो हमें कोई समस्या नहीं होती उसी तरह से अगर ये युवा भी चौथे मत से पांचवें मत में जा रहे हैं। नील चैनल के पत्रकार ने पूछा कि कहा जाता है कि शियों का क़ुरआन भिन्न है, तो शैख़ ने कहा कि ये बूढ़ी औरतों की बकवास है, शियों के क़ुरआन और हमारे क़ुरआन में कोई अंतर नहीं है यहां तकि उनकी लिखाई भी हमारी लिखाई की तरह है।
पत्रकार ने पूछा कि एक अरब देश के 23 धर्मगुरुओं ने फ़तवा दिया है कि शिया काफ़िर हैं, इस बारे में आप क्या कहते हैं? तो अलअज़हर विश्व विद्यालय के प्रमुख ने कहा कि ये मतभेद विदेश षड्यंत्रों का भाग है ताकि शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच मतभेद पैदा किए जा सकें। पत्रकार ने कहा कि मैं एक गंभीर प्रश्न पूछना चाहता हूं और वह यह है कि शिया अबू बक्र व उमर को नहीं मानते, एेसे में आप उन्हें किस प्रकार मुसलमान कह सकते हैं? शैख़ अहमद तैयब ने उत्तर में कहा कि ठीक है वे नहीं मानते लेकिन क्या अबू बक्र व उमर को मानना, इस्लामी आस्थाओं का भाग है? अबू बक्र व उमर का मामला एेतिहासिक है और इतिहास का धार्मिक आस्थाओं से कोई लेना देना नहीं है। इस उत्तर पर हतप्रभ हो जाने वाले पत्रकार ने पूछा कि शिया कहते हैं कि उनके इमाम एक हज़ार साले से ज़िंदा हैं, क्या एेसा हो सकता है? उन्होंने कहा कि एेसा संभव है लेकिन इसे मानना हमारे लिए आवश्यक नहीं है। नील चैनल के पत्रकार ने अंतिम प्रश्न पूछा कि क्या यह संभव है कि आठ साल का बच्चा इमाम हो? शियों का मानना है कि उनके बारहवें इमाम आठ साल में इमाम बन गए थे। अलअज़हर विश्व विद्यालय के प्रमुख ने अहमद तैयब ने कहा कि जब हज़रत ईसा झूले में पैग़म्बर हो सकते हैं तो एक आठ साल के बच्चे का इमाम होना विचित्र नहीं है अलबत्ता हमारे लिए ज़रूरी नहीं है कि हम इस बात पर आस्था रखें लेकिन इस आस्था से इस्लाम को कोई नुक़सान नहीं पहुंचता और जो यह आस्था रखता है वह इस्लाम के दायरे से बाहर नहीं है।
सऊदी अरब अब भी डाल रहा है ईरानी हज यात्रियों के मार्ग में बाधाएं
हुज्जतुल इस्लाम क़ाज़ी अस्गर ने कहा है कि ईरान ने कभी यह नहीं सोचा था कि ईरान से हज़ जैसी पवित्र उपासना के लिए श्रद्धालु नहीं भेजे जाएंगे।
हज के मामले में इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता के विशेष प्रतिनिधि हुज्जतुल इस्लाम क़ाज़ी अस्गर ने कहा कि हमारी पूरी कोशिश रहेगी कि उन ईरानी श्रद्धालुओं को हज के लिए भेजा जाए जो वर्षों से इस पवित्र इबादत के लिए प्रतीक्षा में हैं।
उन्होंने ईरान तथा सऊदी अरब के कूटनैतिक संबन्धों के टूट जाने की ओर संकेत करते हुए कहा कि स्वीज़रलैण्ड ने दोनो देशों के हितों की आपूर्तिकर्ता के रूप में जो प्रस्ताव स्वीकार किया था वह यह था कि सऊदी अरब, तेहरान में स्वीज़रलैण्ड के माध्यम से अपना काउन्सलेंट खोलेगा ताकि हज पर जाने वाले ईरानियों को वीज़ा दिया जा सके। उन्होंने कहा कि हज के संबन्ध में ईरान तथा सऊदी अरब के बीच महत्वपूर्ण विषय हाजियों की सुरक्षा को लेकर है।
वरिष्ठ नेता के प्रतिनिधि ने कहा कि वार्ता के दौरान सऊदी अरब ने ईरानी हाजियों की सुरक्षा के बारे में अभी तक कोई गारेंटी नहीं दी है।
फ़िलिस्तीन की आज़ादी तक मुसलमान चैन से नहीं बैठेंगे, आयतुल्लाह ख़ातमी
आयतुल्लाह ख़ातमी
तेहरान के जुमे के इमाम ने कहा है कि जब तक फ़िलिस्तीन आज़ाद नहीं हो जाता उस वक़्त तक दुनिया के मुसलमान चैन से नहीं बैठेंगे।
पवित्र रमज़ान के अंतिम जुमे की नमाज़ के विशेष भाषण में आयतुल्लाह अहमद ख़ातमी ने कहा कि मुसलमानों ख़ास तौर पर फ़िलिस्तीनी जनता की समझदारी से दुश्मन की फ़िलिस्तीन और पवित्र क़ुद्स के विषय से ध्यान हटाने की कोशिश कभी कामयाब नहीं होगी।
उन्होंने शुक्रवार को विश्व क़ुद्स दिवस पर ईरान में आयोजित रैलियों में जनता की भव्य उपस्थिति की सराहना करते हुए कहा कि विश्व क़ुद्स दिवस साम्राज्यवाद और ज़ायोनी दुश्मन की इस्लामोफ़ोबिया की कोशिश के ख़िलाफ़ महत्वपूर्ण क़दम है।
आयतुल्लाह सय्यद अहमद ख़ातमी ने इस बात की ओर इशारा करते हुए कि फ़िलिस्तीनी राष्ट्र लगभग 70 साल से ज़ायोनी शासल की जेल में ज़िन्दगी गुज़ार रहा है, बल दिया कि पश्चिमी देशों ख़ास तौर पर अमरीका ने फ़िलिस्तीन के विषय से जनमत के ध्यान को हटाने के लिए दाइश को वजूद दिया हालांकि उन्हें यह नहीं मालूम कि इस्लामी जगत इस बात की इजाज़त नहीं देगा कि फ़िलिस्तीन के विषय को भुला दिया जाए।
फ़िलिस्तीनी नमाज़ियों के लिए मस्जिदुल अक़सा के दरवाज़े बंद
ज़ायोनी शासन ने रमज़ान के अंत तक फ़िलिस्तीनी नमाज़ियों के लिए मस्जिदुल अक़सा के दरवाज़े बंद कर दिये हैं।
क़ुद्सोना समाचार एजेन्सी के अनुसार ज़ायोनी शासन की पुलिस ने घोषणा की है कि रमज़ान के अंत तक फ़िलिस्तीनी नमाज़ियों के लिए मस्जिदुल अक़सा बंद रहेगी।
इस समाचार पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए क़ुद्स के वक़्फ़ बोर्ड ने एक बयान जारी करके घोषणा की है कि ज़ायोनी शासन ने स्वयं मस्जिदुल अक़सा और उसमे एतेकाफ़ करने वालों के विरुद्ध युद्ध आरंभ कर रखा है।
उल्लेखनीय है कि ज़ायोनी पुलिस ने मस्जिदुल अक़सा को फ़िलिस्तीनी नमाज़ियों के लिए बंद करने की घोषणा एेसी स्थिति में की है कि जब कल शुक्रवार को पूरी दुनिया में अलविदा जुमा या क़ुद्स विश्व दिवस मनाया जाएगा।
विश्व क़ुद्स दिवस पर ईरान के 851 शहरों में रैलियाँ, दसियों लाख शामिल हुए
विश्व क़ुद्स दिवस पर तेहरान में आयोजित रैली की एक तस्वीर
फ़िलिस्तीन पर इस्राईल के अतिग्रहण के ख़िलाफ़ शुक्रवार को विश्व क़ुद्स दिवस के अवसर पर ईरान सहित दुनिया के बहुत से देशों में लोगों ने रैलियाँ निकालीं जिसमें दसियों लाख लोगों ने भाग लिया। इन रैलियों में भाग लेकर लोगों ने फ़िलिस्तीन की पीड़ित जनता के प्रति एकता दर्शायी और इस्राइल के अत्याचार की भर्त्सना की।
राजधानी तेहरान और देश के 850 दूसरे शहरों में स्थानीय समयानुसार 10 बजकर 30 मिनट पर विश्व क़ुद्स दिवस की रैलियाँ निकलना शुरु हुयीं। राजधानी तेहरान में 42 डिग्री सेल्सियस की चिलचिलाती धूप में लाखों की संख्या में रोज़ादारों ने भाग लेकर फ़िलिस्तीन के प्रति एकता का दिखाई।
ईरान में आयोजित रैलियों में यहूदी समुदाय सहित ग़ैर मुसलमान समुदाय के लोगों ने भी भाग लिया।
ईरान की इस्लामी क्रान्ति के संस्थापक स्वर्गीय इमाम ख़ुमैनी रहमतुल्लाह अलैह ने फ़िलिस्तीन पर इस्राईल के अतिग्रहण की समाप्ति और फ़िलिस्तीनी राष्ट्र का समर्थन करने के लिए पवित्र रमज़ान के अंतिम शुक्रवार को विश्व क़ुद्स दिवस घोषित किया ताकि इस दिन पूरी दुनिया में इंसानियत का दर्द रखने वाले रैलियां निकालें।
तेहरान में शुक्रवार को आयोजित विश्व क़ुद्स दिवस की रैली में राष्ट्रपति रूहानी भी शामिल हुए। उन्होंने पत्रकारों से कहा कि ईरानी राष्ट्र ने इन रैलियों में भाग लेकर यह संदेश दिया है कि फ़िलिस्तीनी अतिग्रहण व अत्याचार के ख़िलाफ़ संघर्ष में अकेले नहीं हैं।
विदेश मंत्री जवाद ज़रीफ़ भी विश्व क़ुद्स दिवस की रैली में शामिल हुए। उन्होंने कहा, “क्षेत्र सहित दुनिया भर के मुसलमान ज़ायोनी शासन को न सिर्फ़ इस्लामी जगत बल्कि अंतर्राष्ट्रीय शांति व सुरक्षा के लिए सबसे बड़ा ख़तरा समझते हैं।”
1 जुलाई 2016 को विश्व क़ुद्स दिवस की पवित्र नगर मशहद में आयोजित रैली की तस्वीर
दुनिया के बहुत से देशों में विश्व क़ुद्स दिवस की रैलियां
विश्व क़ुद्स दिवस पर इराक़, भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश और मलेशिया में रैलियाँ निकाली गयीं। इसी प्रकार यूरोप में जर्मनी, इंग्लैंड, फ़्रांस, नेदरलैंड, स्वीज़रलैंड, कैनडा और अमरीका (यूएसए) के 14 राज्यों में रैलियों के आयोजन का कार्यक्रम है।
विश्व क़ुद्स दिवस पर भारत के अनेक शहरों में इस्राईल के ख़िलाफ़ रैलियाँ निकलीं
विश्व क़ुद्स दिवस के अवसर पर राजधानी दिल्ली, मुंबई, चेन्नई, कोलकाता, हैदराबाद, लखनउ, श्रीनगर के अनेक ज़िलों और कर्गिल में मुसलमानों ने रैलियाँ निकालीं और विरोध प्रदर्शन किए जिसमें हज़ारों की संख्या में लोगों ने भाग लिया। मुसलमानों ने रैलियों व प्रदर्शनों में भाग लेकर अलक़ुद्स पर ज़ायोनी शासन के अतिग्रहण की भर्त्सना की और फ़िलिस्तीनियों के प्रति एकता का प्रदर्शन किया।
दिल्ली से संवाददाता के अनुसार, विश्व क़ुद्स दिवस पर दिल्ली के जंतर मंतर पर मुसलमानों ने विशाल विरोध प्रदर्शन करके ज़ायोनी शासन की बर्बरतपूर्ण नीतियों की आलोचना की, मुसलमानों के पहले क़िबले मस्जिदुल अक़सा की आज़ादी की मांग की और फ़िलिस्तीनियों के प्रति समरस्ता प्रकट की। इस रैली में विभिन्न धर्मों व संप्रदायों के नेताओं व धर्मगुरुओं ने भी भाग लिया।
उधर लखनऊ में विश्व क़ुद्स दिवस के अवसर पर ऐतिहासिक आसेफ़ी मस्जिद में जुमे की नमाज़ के बाद इस मस्जिद से रूमी गेट तक रैली निकाली गयी जिसमें हज़ारों की संख्या में लोगों ने भाग लिया। इस रैली को वरिष्ठ शीया धर्मगुरु मौलाना कल्बे जवाद ने संबोधित किया।
इसी प्रकार भारत के महानगरों मुंबई, चेन्नई, कोलकाता और हैदराबाद में भी विश्व क़ुद्स दिवस के अवसर पर प्रदर्शन कर लोगों ने क़िबलए अव्वल मस्जिदुल अक़्सा सहित अलक़ुद्स की आज़ादी की मांग की।
दूसरी ओर भारत प्रशासित कश्मीर के अनेक शहरों व क़स्बों में विश्व क़ुद्स दिवस की रैली निकाली गयी। श्रीगनर की जामा मस्जिद में मीर वाएज़ उमर फ़ारूक़ ने लोगों को संबोधित किया। श्रीनगर के विभिन्न इलाक़ों में दिन भर रैलियों का क्रम जारी रहा।
कश्मीर के बडगाम, कुलगाम, बांडीपूरा, गांदरबल, बारामोला और पुलवामा ज़िलों में लोगों ने विश्व क़ुद्स दिवस की रैली में व्यापक स्तर पर भाग लिया।
उधर कर्गिल में विश्व क़ुद्स दिवस की रैली में लाख से ज़्यादा लोगों ने भाग लेकर फ़िलिस्तीन पर इस्राईल के अतिग्रहण की समाप्ति और मस्जिदुल अक़्सा की आज़ादी की मांग की।
ईरान, भारत का तीसरा बड़ा तेल आपूर्तिकर्ता
ईरान प्रतिदिन भारत को पांच लाख बैरल तेल की आपूर्ति करके सऊदी अरब और इराक़ के बाद कच्चे तेल का तीसरा सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता है।
तेल व ऊर्जा सूचना नैटवर्क के अनुसार वर्ष 2016 की पहली तिमाही में भारत को निर्यात किए गए कच्चे तेल की मात्रा 43 लाख 50 हज़ार बैरल प्रतिदिन रही है जो पिछले साल की पहली तिमाही की तुलना में लगभग 5 लाख बैरल अधिक है। आंकड़ों के अनुसार भारत को कच्चा तेल निर्यात करने वालों में सऊदी अरब सबसे आगे है जो प्रतिदिन साढ़े आठ लाख बैरल प्रतिदिन है। इराक़, भारत को प्रतिदिन छः लाख 58 हज़ार बैरल प्रतिदिन कच्चा तेल निर्यात करता है।
ईरान ने मार्च 2016 में भारत को प्रतिदिन पांच लाख पांच हज़ार बैरल कच्चा तेल निर्यात किया है जो उससे पहले महीने की तुलना में दो लाख 90 हज़ार बैरल अधिक है। भारत की एस्सार कंपनी मार्च में ईरान के कच्चे तेल की सबसे बड़ी ग्राहक थी जिसने प्रतिदिन दो लाख 7 हज़ार बैरल कच्चा तेल आयात किया है जिसके बाद मेंगलोर और रिलायंस दूसरे और तीसरे नंबर पर हैं।