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मुस्लिम देशों की कमज़ोरी और अमेरिका की चौधराहट और उसके समर्थन से इस्राईल 7 महीने से अधिक समय से ग़ज़्ज़ा में जनसंहार करते हुए 37 हज़ार से अधिक बेगुनाह फिलिस्तीनियों का क़त्ले आम कर चुका है। वहीँ अफ्रीका में भी क़त्ले आम जारी है। सूडान संकट के बारूद पर बैठा है तो दूसरी तरफ अमेरिका और उसके घटकों के कारण ही रूस यूक्रेन संकट भी चरम पर है। ऐसे में ईरान ने खुद के साथ साथ इस्लामी देशों को भी मज़बूत करने की नीति पर योजनाबद्ध तरीके से काम शुरू कर दिया है।

मध्य पूर्व के तीन देश परमाणु हथियारों से खुद को लेस करने का मन बना चुके हैं। मध्य पूर्व में अभी बस मक़बूज़ा फिलिस्तीन के ज़ायोनी शासन के पास विनाशकारी न्यूक्लियर वेपन हैं। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक़ ईरान भी परमाणु बम बनाने के बहुत करीब पहुंच गया है। अब वो अपने परमाणु बम को दो और मुस्लिम देशों में विस्तार देना चाहता है।

रिपोर्ट के मुताबिक़ ईरान, राष्ट्रपति रईसी के प्लान पर आगे बढ़ रहा है। रईसी की इस परमाणु रणनीति से पश्चिमी देशों, खासकर अमेरिका में हड़कंप मच गया है। दरअसल ईरान तुर्की और सऊदी अरब को परमाणु तकनीक देने का मन बना रहा है। भविष्य में ईरान इन दोनों देशों को परमाणु तकनीक दे सकता है।

इंटरनेशनल एटॉमिक एनर्जी एजेंसी (IAEA ) की रिपोर्ट के मुताबिक ईरान के पास इतना संवर्धित यूरेनियम है कि वो 3 परमाणु हथियार बना सकता है। ईरान अपने परमाणु कार्यक्रम को बहुत ही सीक्रेट तरीके से आगे बढ़ रहा है। माना जा रहा है कि ईरान परमाणु परीक्षण करने के बहुत करीब पहुंच चुका है। वो जल्द ही एटमी मिसाइल तैयार कर सकता है, इसके बाद ईरान तुर्की और सऊदी अरब को भी परमाणु तकनीक दे सकता है।

 

 

फिलिस्तीन मुक्ति आंदोलन के सशस्त्र दल हमास की सैन्य यूनिट क़स्साम ब्रिगेड ने ग़ज़्ज़ा में जारी जंग के दौरान कम से कम 15 ज़ायोनी सैनिकों को जहन्नम रसीद करने की खबर दी है।

ग़ज़्ज़ा के रफह के पूर्व में अल-तनूर के निकट एक ऑपरेशन में 15 ज़ायोनी सैनिकों की मौत के बारे में हमास की सैन्य शाखा क़स्साम बटालियन के बयान में कहा गया है कि यह अतिक्रमणकारी सैनिक एक ऐसे घर में डेरा डेल हुए थे जहाँ पहले हमास के मुजाहेदीन थे और उन्होंने यहाँ दुश्मन को निशाना बनाने के लिए उचित तरीके से बम फिट किए थे।

बम विस्फोट करने के बाद हमास के जवान घर में घुस आए और बाक़ी बचे ज़ायोनी सैनिकों के साथ आमने सामने की मुठभेड़ करते हुए उन्हें भी जहन्नम रसीद कर दिया। इस प्रकार ज़ायोनी मृत सैनिकों की संख्या 15 तक पहुंच गई।

किर्गिस्तान में भड़की हिंस एके बीच विदेश छात्र हिंसक भीड़ के निशाने पर हैं। हिंसक भीड़ ने 4 पाकिस्तानी छात्रों की निर्ममता से हत्या कर दी, जिसके बाद सभी विदेशी छात्रों में डर का महौल बन गया है। छात्रों का आरोप है कि उनके मदद मांगने के बाद भी पाकिस्तान की एंबेसी ने कोई मदद नहीं की।

किर्गिस्तान की राजधानी बिशकेश में मेडिकल की पढ़ाई करने गए छात्र एक नई मुसीबत में फंस गए हैं। यहां के लोकल लोग इंटरनेशनल स्टूडेंट्स पर हमलावर हो गए हैं। ऐसी ही एक हिंसक भीड़ ने पूरे शहर में उत्पात मचाया और इंटरनेशनल स्टूडेंट्स के साथ मारपीट की है। इस हमले का सबसे ज्यादा शिकार पाकिस्तानी छात्र हुए हैं। भीड़ के अटैक से करीब 4 पाकिस्तानी छात्रों की मौत हो गई है। जिसके बाद वहां पढ़ने गए सभी विदेशी छात्रों में डर का महौल है।

पाकिस्तानी छात्रों के मुताबिक हिंसा तब भड़की जब मिस्र के कुछ छात्रों ने वहां लूटपाट मचा रहे लोकल चोरों से मारपीट कर ली जिसके बाद वहां के लोकल लोग अंतरराष्ट्रीय छात्रों को चुन-चुन कर मारने लगे।

 

पकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की पत्नी बुशरा बीबी ने एक बार फिर अपने साथ हो रहे अन्याय पर आवाज़ उठाते हुए कहा कि उन्हें अन्याय करते हुए जेल में डाला गया। बुशरा बीबी ने जवाबदेही अदालत के न्यायाधीश पर अविश्वास जताया।

190 मिलियन पाउंड घोटाले के मामले में राष्ट्रीय जवाबदेही ब्यूरो (एनएबी) द्वारा इमरान खान, उनकी पत्नी और अन्य पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए गए हैं। एनएबी द्वारा राष्ट्रीय जवाबदेही अध्यादेश (एनएओ) 1999 के तहत आरोपियों पर कार्रवाई की मांग की गई है।

पाकिस्तान तहरीक ए इंसाफ पार्टी के संस्थापक इमरान खान की पत्नी बुशरा बीबी अदालत में गुस्से में दिखीं। सुनवाई के दौरान वह अपने पति से अलग बैठीं रहीं। इसके बाद बुशरा बीबी कठघरे में गईं और न्यायाधीश से कहा कि उन्हें न्यायाधीशों पर भरोसा नहीं है। उन्होंने रावलपिंडी की अडियाला जेल में 15 मई को होने वाली सुनवाई के बारे में सूचित नहीं किए जाने की शिकायत की।

हुज्जतुल इस्लाम वलमुस्लेमीन रज़ा रमज़ानी ने एक भाषण में कहा कि क़ुरआन आज के मानव समाज को उस संकट से मुक्ति प्रदान करने वाली किताब है जिस वैचारिक, नैतिक और दूसरे संकटों का सामना पश्चिम को है।पैग़म्बरे इस्लाम के पवित्र परिजन क़ुरआन के वास्तविक सर्वोत्तम आदर्श हैं।

मजमये अहले बैत जहानी अर्थात वर्ल्ड अहलेबैत असेंबली के महासचिव हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लेमीन रज़ा रमज़ानी ने तेहरान के अंतरराष्ट्रीय पुस्तक मेले में किताबों के अनावरण कार्यक्रम में कहा कि जहां भी विभिन्न क्षेत्रों में ज्ञान में प्रगति होगी जैसे साइंस, फ़िज़िक्स, कमेस्ट्री, थिआलॉजी, दर्शन और तर्कशास्त्र तो वहां का समाज भी प्रगति करेगा। समाज की प्रगति वही नैतिक और अमली दृष्टि से समाज के समस्त लोगों की प्रगति है और इस संबंध में जितनी अधिक जानकारी होगी वह समाज उतना ही समृद्ध होगा।

वर्ल्ड अहलेबैत असेंबली के महासचिव ने कहा कि अल्लामा हसन ज़ादा आमूली फ़रमाते हैं कि महान ईश्वर ने इंसान को दो लक्ष्यों से पैदा किया है एक ज्ञान और दूसरे समृद्ध के लिए।

हुज्जतुल इस्लाम वलमुस्लेमीन रज़ा रमज़ानी ने अपने भाषण के एक अन्य भाग में वर्ल्ड अहलेबैत असेंबली की गतिविधियों की ओर संकेत किया और कहा कि इस्लामी क्रांति की सफलता के आरंभिक वर्षों में वैज्ञानिक प्रगति की दृष्टि से ईरान 57वें स्थान पर था परंतु आज हम प्रगति के 15वें पायदान पर पहुंच गये हैं और कुछ विषयों में हम दुनिया के दसवें देश हैं।

हुज्जतुल इस्लाम वलमुस्लेमीन रज़ा रमज़ानी ने कहा कि वर्ल्ड अहलेबैत असेंबली ने एक वर्ष में 175 किताबों व रचनाओं का अनुवाद किया है जो एक परिवर्तन और महत्वपूर्ण काम है। इसी प्रकार उन्होंने कहा कि वर्ल्ड अहलेबैत असेंबली का दूसरा काम शिया इंसाइक्लोपीडिया तैयार करना है और वर्ष 1402 हिजरी शमसी में 22 भाषाओं में आठ हज़ार से अधिक किताबों को दाखिल किया गया। अहलेबैत इंटरनेश्नल विश्वविद्यालय भी आठ विषयों से 23 विषयों तक पहुंच गया है।

उन्होंने कहा कि अगर दुनिया में कोई अहलेबैत और अहलेबैत की विचारधारा का अध्ययन करना चाहता है तो उसे वर्ल्ड अहलेबैत असेंबली के अध्ययनों व शोधों का पढ़ना चाहिये। उन्होंने कहा कि वर्ल्ड अहलेबैत असेंब्ली के पास आस्था, वैचारिक, नैतिकता, अमली और अहकाम व धार्मिक आदेश के संबंध में जानकारियों का भंडार है।

ईरान की इस्लामी क्रांति के सर्वोच्च नेता बल देकर कहते हैं कि वर्ल्ड अहलेबैत असेंब्ली को चाहिये कि वह अहलेबैत को समाज के प्रतिभाशाली और समाज के समस्त लोगों से परिचित कराये, वे मानवता के सर्वोत्तम आदर्श हैं और चूंकि मानव समाज इन हस्तियों से अवगत नहीं है इसलिए वह दूसरों का अनुसरण करने लगा है। अहलेबैत बेहतरीन आदर्श और क़ुरआन के वाक़ई व वास्तविक आडियन्स हैं।

Assembly of Experts for Leadership (असेम्बली ऑफ़ इक्सपर्टस फ़ार लीडरशीप) के सदस्य ने कहा कि अभी हमने क़ुरआन से वास्तविक अर्थों में संपर्क स्थापित नहीं किया है और उससे मानूस नहीं हुए हैं। हम क़ुरआन के अंदर मौजूद वास्तविकताओं और इशारों से अवगत नहीं हुए हैं और हम क़ुरआन से अपरिचित हैं। क़ुरआन आज भी ग़रीब है यानी लोगों ने इसे छोड़ दिया है। क़ुरआन मानव समाज को उन संकटों से मुक्ति देने वाली किताब है जिनका उसे सामना है। जो भी क़ुरआन से संपर्क स्थापित करेगा वह कभी भी अकेलेपन का एहसास नहीं करेगा। क़ुरआन मात्र वह किताब है जो आज के मानव समाज को मुक्ति दे सकता है। अगर हम धर्म की सही व्याख्या कर सकें और उसका सही अर्थ बयान कर सकें तो सभी के अंदर प्रेम के साथ धार्मिक रुझान पैदा होगा। उन्होंने कहा कि एक समय था जब पश्चिम आध्यात्मिकता से मुकाबला करता था और आज यही पश्चिम है जिसका आध्यात्मिका की ओर रुझान पैदा हो गया है मगर झूठे आध्यात्मिकता की ओर। इस समय यूरोप और अमेरिका में शायद तीन से चार हज़ार झूठी आध्यात्मिकता मौजूद है। 

कार्लोस कास्टाना, डॉन जुआन, इरफ़ान माज़िकी और इरफ़ान हलक की किताबों की ओर रुझान इस बात का सूचक है कि इस समय हमें विश्व में धार्मिक आध्यात्मिकता और धार्मिक सांस्कृतिक निर्धनता का सामना है।

वारणसी की ज्ञानवापी मस्जिद, मथुरा की शाही ईदगाह मस्जिद और धार की कमल मौला मस्जिद विवाद के बीच अब जौनपुर की अटाला मस्जिद का विवाद भी चर्चा में आ गया है। भारत की कई ऐतिहासिक मस्जिदों को लेकर हिन्दू पक्ष की ओर से दावे किये जा रहे हैं जिन्हे प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट के बाद भी अदालतों की ओर सुनवाई के लिए मंज़ूर किया जा रहा है जो विवाद को और हवा दे रहा है।

जौनपुर के सिपाह मोहल्ले में गोमती किनारे में मौजूद अटाला मस्जिद दुनिया भर में अपनी खूबसूरती के लिए मशहूर है। अटाला मस्जिद को लेकर कुछ इतिहासकारों का मानना है कि यहां अटल देवी के मंदिर को तोड़कर अटाला मस्जिद बनाई गई है।

इस दावे को लेकर कोर्ट में एक वकील ने दावा पेश किया है. सिविल जज सीनिअर डिवीजन कोर्ट में अटाला मजिस्द को अटाला माता मंदिर बताते हुए आगरा के वकील अजय प्रताप सिंह ने उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड, मैनेजमेंट कमेटी अटाला मस्जिद के खिलाफ दावा पेश किया है।

जय प्रताप सिंह ने दावा किया है कि कलकत्ता स्कूल ऑफ आर्ट के प्रिंसिपल ईबी हेवेल ने अपनी किताब में अटाला मस्जिद की नेचर व कैरेक्टर को हिन्दू बताया है। अटाला मस्जिद ASI के अधीन एक प्रोटेक्टेड मोनुमेंट है और एक राष्ट्रीय महत्व का स्मारक है।

यमन ने फिलिस्तीन के समर्थन में जारी अपने सैन्य अभियान को ग़ज़्ज़ा जनसंहार बंद न होने तक जारी रखने का ऐलान करते हुए कहा कि हम ज़ायोनी दुश्मन के लिए सामान ले जाने वाले जहाज़ों को निशाना बनाना जारी रखेंगे।

अपने सैन्य अभियान को अब सिर्फ लाल सागर, अदन की खाड़ी या अरब सागर तक सीमित न रखते हुए यमन ने एलान किया है कि हम जहाँ तक दुश्मन के हितों को निशाना बनाने की क्षमता रखते हैं वहां तक हमले करेंगे।

यमन के लोकप्रिय जनांदोलन अंसारुल्लाह के महासचिव ने कहा कि जो कंपनियां ज़ायोनी दुश्मन तक सामान पहुंचाती हैं, उनके जहाजों को हम हर उस क्षेत्र तक निशाना जहाँ तक हम हमला करने में सक्षम हैं। यमनी सशस्त्र बलों द्वारा घोषित ऑपरेशन का चौथा चरण भूमध्य सागर तक सीमित नहीं है और इसमें कब्जे वाले क्षेत्रों में माल परिवहन करने वाले सभी जहाज शामिल हैं।

 

सेनेगल में इस साल की शुरुआत में होने वाले चुनाव से कुछ समय पहले ही जेल से रिहा होने और अपनी पार्टी को जीत दिलाने वाले सेनेगल के प्रधानमंत्री ने इस देश में फ़्रांस की सैन्य उपस्थिति का जमकर विरोध किया।

सेनेगल के प्रधान मंत्री ओस्मान सोनको ने मूल्यों को बढ़ावा देने के लिए भी फ्रांस और पश्चिम के प्रयासों की आलोचना की, जो उनके अनुसार सेनेगल और अन्य अफ्रीकी देशों के मूल्यों और संस्कृति के विपरीत हैं।

रायटर्स के अनुसार सोनको को सेनेगल के आंतरिक मामलों में फ्रांसीसी हस्तक्षेप की मुखर आलोचना के लिए जाना जाता है। ऐसी स्थिति में जब क्षेत्र के अन्य देशों ने पहले ही फ्रांस के साथ संबंध तोड़ने के लिए प्रभावी कदम उठाए हैं, उनकी मुखर टिप्पणियों ने उनके चुने हुए उम्मीदवार को देश के राष्ट्रपति चुनाव जीतने में मदद की। उस्मान ने कहा कि मैं सेनेगल की अपनी नियति स्वयं निर्धारित करने की इच्छा पर जोर देना चाहता हूं, जो सेनेगल में विदेशी सैन्य अड्डों की दीर्घकालिक उपस्थिति के साथ असंगत है।

 

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल की ज़मानत के बाद भी आम आदमी पार्टीकी मुश्किलें ख़त्म होती नज़र नहीं आ रही है। स्वाति मालीवाल विवाद में भाजपा की दिलचस्पी के बाद अब संघ से जुड़े संगठन भी खुलकर सामने आ गए हैं।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से जुड़े मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के संस्थापक, मुख्य सरंक्षक और संघ के सीनियर नेता इंद्रेश कुमार ने स्वाति मालीवाल के सपोर्ट में बयान देते हुए लोगों से महिलाओं का सम्मान और स्वाभिमान बढ़ाने वाली सरकार चुनने की अपील की है।

एक समारोह में वोटरों को अलर्ट करते हुए इंद्रेश कुमार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी (आप) के मुखिया अरविंद केजरीवाल की तुलना करते हुए कहा कि एक तरफ ऐसा शख्स है, जो औरतों की इज्जत को बढ़ाने में लगा है, तो दूसरी तरफ ऐसा व्यक्ति है, जो अपने ही दल की राज्यसभा सांसद को अपने घर बुलाकर बुरी तरह पिटवाता है।

 

ज्ञान, हर अच्छाई की जड़ है जबकि उसके मुक़ाबले में अज्ञानता, हर बुराई की जड़ है।

ब्राज़ील के साऊ पाऊलो नगर में इसी महीने एक कांफ्रेंस आयोजित हुई जिसका शीर्षक था, "इस्लाम, वार्ता और ज़िंदगी का धर्म" इस अन्तर्राष्ट्रीय कांफ्रेंस में "मजमए जहानी अहलैबैत" के महासचिव ने भाग लिया।  हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लेमीन रज़ा रमज़ानी ने इसमें विशेष मेहमान के रूप में हिस्सा लिया।

इस कांफ्रेंस में ब्राज़ील के न्याय मंत्रालय के प्रतिनिधि, इस देश की काफेड्रेशन आफ कार्डिनल के प्रतिनिधि, कुछ ईसाई धर्मगुरू और वहां के राजनीतिक शख़सियों ने भी भाग लिया।  कांफ्रेंस में हिस्सा लेने वाले वक्ताओं ने धर्मो के मध्य संवाद पर बहुत ज़ोर दिया।  यहां पर हम इस्लाम और शियत के बारे में हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लेमीन रज़ा रमज़ानी के विचारों के कुछ हिस्से पेश कर रहे हैं।

अपने संबोधन के आरंभ में उन्होंने शिया मुसलमानों की दृष्टिकोण से ज्ञान के महत्व पर प्रकाश डाला।  उन्होंने कहा कि ज्ञान, हर अच्छाई की जड़ है।  उसके मुक़ाबले में अज्ञानता, हर बुराई की जड़ है।  अगर कोई इंसान ख़ुद को अच्छी तरह से पहचान ले तो वह अपने पालनहार को भी पहचान सकता है।

इस बारे में उन्होंने हज़रत अली अलैहिस्सलाम के इस कथन का उल्लेख किया जिसमें आप कहते हैं कि अगर इंसान ख़ुद को सही ढंग से पहचान ले तो दूसरे लोगों को भी अच्छी तरह से पहचान लेगा।  धिक्कार को अज्ञानता पर।  सबसे पहली अज्ञानता स्वयं अपने बारे में है।  हर वह इंसान जो अपने से ही अनजान हो वह गुमराह हो सकता है।  जब कोई ख़ुद गुमराह हो जाता है तो वह दूसरों को भी गुमराह बना देता है।  एसे में हमारी ज़िम्मेदारी बनती है कि पहले हम ख़ुद को पहचानें।  अरस्तू ने अपनी एकेडमी में लिख रखा था कि ख़ुद को पहचानो।  स्वयं को पहचानना, इंसानियत की तरक़्क़ी का राज़ है।  एसे में इंसान, दूसरों के बारे में अपनी ज़िम्मेदारी समझने लगता है।

इमाम अली, इंसाफ़ की आवाज़

उन्होंने आगे कहा कि हज़रत अली अलैहिस्सलाम को सारे मुसलमान मानते हैं।  शिया मुसलमान उनको अपना पहला इमाम कहते हैं।  सुन्नी मुसलमान भी हज़रत अली अलैहिस्सलाम को चौथे ख़लीफ़ा के रूप में मानते हैं।  उनके भीतर बहुत सी विशेषताएं थीं जिनमे से एक न्याय भी था।  लेबनान के एक मश्हूर लेखक "जार्ज जुरदाक़" ने हज़रत अली अलैहिस्सलाम के बारे में एक किताब लिखी है।  इस किताब का नाम हैं "सौतुल एदाला"।  यह किताब पांच वोल्यूम में लिखी गई है।  मैं चाहता हूं कि इस किताब का तरजुमा स्पैनिश और पोरटोगीज़ ज़बान में किया जाए।  जार्ज जुरदाक़, हज़रत अली अलैहिस्सलाम के शहदाई थे।

इस्लाम, वार्ता और ज़िंदगी का धर्म नामक अन्तर्राष्ट्रीय कांफ्रेंस में "मजमए जहानी अहलैबैत" के महासचिव हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लेमीन रज़ा रमज़ानी

वार्ता करने वाले बनो

मजमए जहानी अहलैबैत के महासचिव कहते हैं कि हज़रत अली अलैहिस्सलाम का कहना है कि लोग दो हिस्सों में बंटे हुए हैं।  एक दीनी भाई हैं जबकि दूसरे सृष्टि में तुम जैसे हैं।  हमको यह सिखाया गया है कि हम ईसाइयों और यहूदियों को अपना दीनी भाई पुकारें।  पैग़म्बरे इस्लाम हज़रत मुहम्मद मुस्तफ़ा (स) सबसे बात किया करते थे।  एक जगह पर ख़ुदा, पैग़म्बरे इस्लाम से कह रहा है कि कह दो कि तुम भी अपनी बातों को पेश करो और साथ में बात करो।

यहां तक कि वह लोग जो किसी को भी नहीं मानते हैं उनके साथ भी बात करो।  उनके सामने अपना तर्क पेश करो।  अगर तुम्हारी बात को न माना जाए और तुम्हारे तर्क को ठुकरा दिया जाए तो तुम उन बातों पर सब्र करो जो तुम्हारे विरुद्ध कही जाएं।  अगर तुम उनसे अलग होना चाहो तो उनके साथ नेकी से पेश आओ और नर्मी से अलग हो जाओ।

पैग़म्बरे इस्लाम के परिजन वार्ता के पक्षधर

हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लेमीन रज़ा रमज़ानी, पैग़म्बरे इस्लाम के परिजनों को वार्ता का पक्षधर बताते हुए कहते हैं कि इमाम जाफ़र सादिक़ अलैहिस्सलाम और इमाम रज़ा अलैहिस्सलाम जैसे हमारे धार्मिक मार्गदर्शकों ने इसाइयों के साथ भी वार्ता की।  उन्होंने अन्य धर्म के मानने वालों के साथ भी बातचीत की।  हमको एक-दूसरे से बात करके उनको समझना चाहिए।  इस्लाम, शांतिपूर्ण जीवन का प्रचार करते थे।  लोगों को एक-दूसरे के साथ मैत्रीपूर्ण ढंग से व्यवहार करना चाहिए।  इस्लाम चाहता है कि इंसान अपनी प्रकृति को नष्ट न करे और न ही उसको दूषित करे।

दुश्मनों की ज़मीन के पेड़ों को न काटो

इस्लामी शिक्षा संस्थान और यूनिवर्सिटी में पढ़ाने वाले इस धर्मगुरू का कहना था कि हमारे पास इस बात के पुष्ट प्रमाण मौजूद हैं कि आज से 1250 साल पहले इमाम सज्जाद अलैहिस्सलाम ने 50 अधिकारों के बारे में लिखा था।  इमामों का कहना हे कि प्रकृति या नेचर को नुक़सान न पहुंचाओ।  दुश्मनों तक के पेड़ों को भी नहीं काटो, उनको न जलाओ।  उनके पानी को दूषित न करो।  यह सब पर्यावरण के लिए ख़तरा हैं।  पवित्र क़ुरआन और पैग़म्बरे इस्लाम तथा उनके पवित्र परिजनों के कथनों में बहुत ही डिटेल से पर्यावरण के बारे में बात की गई है।