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बर्लिन से बग़दाद तक दुनिया भर में हजारों लोग रफ़ह में इस्राईली सेना के क्रूर अपराधों और फ़िलिस्तीनी शरणार्थियों की हत्या की निंदा करने के लिए सड़कों पर उतर आए।

इस्राईल के ख़िलाफ़ दुनिया का गुस्सा, जर्मन सेना द्वारा सैनिकों की भर्ती के लिए टिकटॉक का इस्तेमाल, ताइवान में नए हथियार भेजने की अमेरिका की योजना, दक्षिण कोरिया और जापान के साथ समझौते के लिए चीन का कदम और लीबिया में इस्राईल के बायकॉट के कैंपेन में आई तेज़ी, हालिया कुछ घंटों में दुनिया की चुनिंदा ख़बरें हैं।

दक्षिण कोरिया और जापान के साथ संबंध स्थापित करने की दिशा में चीन

सोमवार को चीनी प्रधानमंत्री ली कियांग ने चीन, दक्षिण कोरिया और जापान के बीच 9वीं "त्रिपक्षीय शिखर बैठक" की शुरुआत के मौक़े पर कहा कि बीजिंग, दक्षिण कोरिया और जापान के साथ व्यापक त्रिपक्षीय सहयोग फिर से शुरू करना चाहता है।

यूक्रेन के विपरीत हम ताइवान को नए हथियार देंगे:अमेरिका

अमेरिकी प्रतिनिधि सभा की विदेश संबंध समिति के अध्यक्ष माइकल मैक्कल ने ताइवान के राष्ट्रपति लाई चिंग ते से मुलाक़ात में कहा कि वाशिंगटन, ताइवान को विकसित और आधुनिक हथियार देने का इरादा रखता है और यूक्रेन जैसे पुराने हथियार इस द्वीप के हवाले नहीं करेगा। चीन के मुताबिक ताइवान स्ट्रेट में तनाव बढ़ने का मुख्य कारण अमेरिका है।

जर्मन सेना द्वारा सैनिकों की भर्ती के लिए टिकटॉक का उपयोग

जर्मन सेना ने सैनिकों की भर्ती के लिए वीडियो प्लेटफॉर्म टिकटॉक का उपयोग करने की योजना बनाई है जो युवाओं के बीच बहुत ही लोकप्रिय है। जर्मन सेना के एक प्रवक्ता के अनुसार, यह पहल इस महीने के अंत में पूरे जर्मनी में व्यापक भर्ती के साथ एक नए कार्यक्रम-आधारित नज़रिए पर अमल के साथ ही शुरू होगी।

नैटो के परमाणु हमले की कोशिश पर रूस की अटकलें

ईस्ना के अनुसार, रूसी संघीय सीमा सुरक्षा सेवा के प्रमुख  विलादीमीर कुलीशेव का कहना है कि नैटो रूस पर हमला करने के लिए देश की सीमाओं के पास परमाणु अभ्यास और ड्रिल कर रहा है।

इस्राईल के ख़िलाफ वैश्विक आक्रोश

मेहर समाचार एजेंसी के अनुसार, दुनिया भर के लोगों ने बिना कॉल के और ख़ुद के मार्च और रैलियों के ज़रिए रफ़ह में इस्राईली अपराधों की निंदा करते हुए ग़ज़ा युद्ध और ज़ायोनी शासन के अपराधों को समाप्त करने की मांग की। ये प्रदर्शन इस्तांबुल, मैनचेस्टर, बग़दाद और बर्लिन समेत विभिन्न शहरों में आयोजित किए गए।

*  अपने ताज़ा अपराधों में ज़ायोनी शासन ने रविवार रात ग़ज़ा पट्टी के दक्षिण में स्थित रफ़ह के उत्तर-पश्चिम में स्थित शरणार्थी कैंपों और शरणार्थियों के रहने की जगहों पर बमबारी की। इस क्रूर हमले में कम से कम 50 फ़िलिस्तीनी शहीद हो गए।

रफ़ह पर इस्राईल के हमले पर गुटेरेस की प्रतिक्रिया

संयुक्त राष्ट्र संघ के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने रफ़ह शहर पर इस्राईल के वहशियाना हमले की निंदा की और कहा कि ग़ज़ा में कोई सुरक्षित जगह नहीं है।

लीबिया में इस्राईल के बायकॉट कैंपेन में तेज़ी

 

तस्नीम न्यूज़ के अनुसार, लीबिया में ज़ायोनी शासन का समर्थन करने वाले देशों के सामानों, उत्पादों और प्रोडक्ट्स के बहिष्कार का लोकप्रिय कैंपेन तेज़ हो गया है।

हालिया दिनों में लीबिया के नागरिकों ने ज़ायोनी शासन का समर्थन करने वाले देशों के सामानों,उत्पादों और प्रोडक्टस का बायकॉट करते हुए, ज़ायोनी विरोधी प्रदर्शन किए हैं और फ़िलिस्तीनियों के नरसंहार को रोकने की मांग की।

ख़बरों की दूसरी सुर्खियां:

रफ़ह में अवैध कब्ज़ा करने वालों के जनसंहार की जांच के लिए सुरक्षा परिषद की आपात बैठक बुलाने का अल्जीरिया की अपील

रफ़ह में फ़िलिस्तीनी शरणार्थियों पर इस्राईल का हमला अंतरराष्ट्रीय क़ानून का उल्लंघन है:पाकिस्तान

तुर्किए में ज़ायोनी वाणिज्य दूतावास जला दिया गया

ग़ज़ा में इंडोनेशियाई अस्पताल पर इस्राईल का भीषण हमला

इराक के मुक्तदा सद्र ने अमेरिकी दूतावास को बंद करने और देश से राजदूत को निकालने की मांग की हैं।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,इराक के प्रभावशाली धर्मगुरु और सद्र मूवमेंट के नेता सय्यद मुक़्तदा सद्र ने फिलिस्तीन में ज़ायोनी फौजों के हाथों फिलिस्तीनी जनता के जनसंहार और नस्लकुशी तथा जातीय सफाया पर कड़ा रोष जताते हुए कहा कि ज़ायोनी लॉबी की हरकतें बता रही हैं कि वह तमाम आसमानी धर्मों यानी ईसाई, मुस्लिम और यहूदी तीनों के दुश्मन हैं।

ज़ायोनी लॉबी हर उस इंसान की दुश्मन है जो जियोनिस्ट नहीं है। ज़ायोनी लॉबी खुद को यहूदी धर्म के प्रतिनिधि के रूप में पेश करती है और यहूदियत की छवि को धूमिल कर रही है।

मुक़्तदा ने कहा कि ज़ायोनी शासन फिलिस्तीन में जो कुछ कर रहा है वह सब अमेरिका के समर्थन से कर रहा है। मैं एक बार फिर बग़दाद से अमेरिका के राजदूत को निकालने और डिप्लोमेटिक तरीके से अमेरिका दूतावास को बंद करने की अपनी बात दोहरा रहा हूँ।

मुक्तदा अलसद्र ने इस्लामिक सहयोग संगठन और अरब लीग से जिम्मेदारी दिखाने और गाजा पर ज़ायोनी दुश्मन की आक्रामकता और हमलों को समाप्त करने में अधिक सक्रिय भूमिका निभाने का आग्रह किया हैं।

उन्होंने कहा सशस्त्र कार्रवाई की तुलना में कूटनीतिक तरीकों का उपयोग करके अमेरिकियों से निपटना अधिक प्रभावी और उचित है ताकि उन्हें इराक और उसके लोगों की शांति को नष्ट करने का कोई बहाना न मिले।

पवित्र क़ुरआन हमसे कहता है कि इब्लीस ने घमंड किया और हज़रत आदम का सज्दा करने में अल्लाह के आदेश की नाफ़रमानी की और अल्लाह की बारगाह से उसे निकाल दिया गया परंतु उसने बहुत सालों तक अल्लाह की इबादत की थी इसलिए अल्लाह की अदालत का तक़ाज़ा यह था कि वह  बाक़ी रहने हेतु शैतान की मांग को स्वीकार करता इसलिए उसने शैतान की दरख़ास्त मान ली।

पवित्र क़ुरआन के अनुसार शैतान एक जिन है। दूसरों को कष्ट पहुंचाने वाले, गुमराह करने वाले और उद्दंडी मौजूद व मख़लूक़ को शैतान कहा जाता है चाहे वह इंसान हो या ग़ैर इंसान। शैतान का नाम इब्लीस है जिसने हज़रत आदम और हव्वा को गुमराह किया और इस वक्त वह अपनी पूरी सेना के साथ इंसानों को गुमराह करने में व्यस्त है।

सवाल यह है कि इब्लीस को क्यों पैदा किया गया और क्या वह अल्लाह की हिकमत और अदालत से मेल खाता है कि इस प्रकार की मख़लूक़ को पैदा किया जाये और वह इंसानों को गुमराह करे? यह सवाल करने का मक़सद इसका उत्तर देना है।

 अल्लाह से शैतान की बहस

अल्लाह ने इब्लीस को शैतान नहीं पैदा किया था बल्कि पवित्र क़ुरआन के अनुसार वह जिनों में से था और इंसानों की भांति वह अपने आमाल व कर्मों में पूर्णतः मुख्तार था। अल्लाह पवित्र क़ुरआन में कहता है «كانَ مِنَ الْجِنِّ فَفَسَقَ عَنْ أَمْرِ رَبِّه».

अतः अल्लाह ने शैतान को दूसरों को गुमराह करने के लिए नहीं पैदा किया था बल्कि जैसे पैग़म्बरे इस्लाम के उत्तराधिकारी और शियों के पहले इमाम हज़रत अली अलैहिस्सलाम प्रसिद्ध किताब नहजुल बलाग़ा के ख़ुत्बा नंबर 192 में इरशाद फ़रमाते हैं कि इब्लीस ने 6 हज़ार सालों तक इबादत की थी" पर यह ज्ञात नहीं है कि दुनिया के साल थे या आख़ेरत के मगर शैतान ने इतने सालों की इबादत को अपने घमंड से तबाह कर दिया।

उसे अल्लाह ने जो आज़ादी थी उसने उसका दुरुपयोग किया और बातिल तर्कों के आधार पर उसने कहा कि अल्लाह तूने मुझे आग से पैदा किया है और आदम को मिट्टी से और आग मिट्टी से अफ़ज़ल होती है «أَنَا خَيْرٌ مِنْهُ خَلَقْتَنِى مِنْ نارٍ وَ خَلَقْتَهُ مِنْ طِينٍ».  इसलिए मैं आदम का सज्दा नहीं करूंगा। इस आधार पर शैतान ने अल्लाह का सज्दा करने से इंकार कर दिया और उसे अल्लाह की बारगाह से निकाल दिया गया मगर चूंकि शैतान ने बहुत सालों तक इबादत की थी इसलिए अल्लाह की हिकमत और अदालत का तक़ाजा था कि वह उसे बाक़ी रहने पर सहमति जताये। इब्लीस ने भी इस अवसर को ग़नीमत समझा और उसने क़सम खाई की कि तेरे विशेष बंदों के अलावा सबको गुमराह करूंगा।

विकास के लिए विरोधाभास का महत्व

दुनिया को पैदा करने की दृष्टि से ईमानदार लोगों और उन लोगों के लिए शैतान का होना हानिकारक नहीं है जो सत्य व हक़ के रास्ते पर चलना चाहते हैं बल्कि उनके विकास और परिपूर्णता का साधन है। क्योंकि विकास, प्रगति, उन्नति और परिपूर्णता हमेशा विरोधाभास चीज़ों के अंदर होती है। दूसरे शब्दों में जब तक इंसान का सामना शक्तिशाली दुश्मन से नहीं पड़ता तब तक वह अपनी क्षमता और ताक़त का सही से इस्तेमाल नहीं करता है। यही शक्तिशाली और ख़तरनाक दुश्मन शैतान की मौजूदगी इंसान की गतिशीलता व प्रयास का कारण बनती है और यही गतिशीलता उसकी परिपूर्णता का कारण बनती है।

वर्तमान समय के एक बड़े दार्शनिक ट्विन बी कहते हैं” दुनिया में कोई सभ्यता चमकी व उभरी ही नहीं मगर यह कि विदेशी शक्ति ने एक राष्ट्र व क़ौम पर हमला न किया हो और इसी हमले की वजह से उस कौम ने अपने अंदर नीहित क्षमताओं व योग्यताओं का प्रयोग किया और एक अच्छी सभ्यता की बुनियाद रखी।

इसी प्रकार इंसान को इस बात को भी समझना चाहिये कि वह भलाई और ख़ैर का मतलब उस वक्त समझता है जब शर और बुराई को देखता है और उससे अवगत हो। इस आधार पर दुनिया में शैतान का होना ज़रूरी है। केवल उसी वक्त शैतान को शर समझा जा सकता है जब उसका अनुसरण किया जाये मगर उसका विरोध और उसका मुक़ाबला ख़ैर व नेक है और उसका अस्तित्व इंसान की मज़बूती और परिपूर्णता का कारण है।

शैतान का स्वागत

शैतान अचानक हमारे अंदर वसवसा नहीं करने लगता है और वह एकाएक हमला नहीं कर देता है। वह हमारी अनुमति से हमारे अंदर घुसता और हमें वरगलाता है। यह हम हैं जो उसके आने का रास्ता देते हैं। जैसाकि अल्लाह पवित्र क़ुरआन के सूरे नहल की आयत नंबर 99 और 100 में «إنّهُ لَيسَ لَهُ سُلطان عَلى

الّذينَ آمَنوُا وَ عَلى رَبِّهِم يَتَوكّلُون * إنّمَا سُلطانَه عَلى الّذينَ يَتولّونَهُ وَ  الّذينَ هُم بِهِ مُشرِكُون»؛  कहता है कि जो लोग ईमान लाये हैं और अपने पालनहार पर भरोसा रखते हैं उन पर उसका बस नहीं है और केवल उन्हीं लोगों पर शैतान का बस चलता है जो उसकी दोस्ती व सरपरस्ती को क़बूल करते हैं और अल्लाह के लिए शरीक करार देते हैं। यानी अल्लाह के आदेश के मुक़ाबले में शैतान की इच्छाओं पर अमल करते हैं। इसी प्रकार पवित्र क़ुरआन के सूरे हिज्र की आयत नंबर 42 में हम पढ़ते हैं  «إِنَ‏ عِبادِي‏ لَيْسَ‏ لَكَ‏ عَلَيْهِمْ‏ سُلْطانٌ‏ إِلَّا مَنِ اتَّبَعَكَ مِنَ الْغاوِينَ»؛

बेशक हमारे बंदों पर तुम्हारा बस नहीं चलेगा मगर यह कि उन गुमराहों पर जो तुम्हारी पैरवी और अनुसरण करेंगे।

पवित्र क़ुरआन की इन आयतों के अनुसार इब्लीस और दूसरे शैतानों को मोमिन इंसानों के अंदर प्रवेश का अधिकार नहीं है और न ही उनके अंदर इस बात की क्षमता है मगर यह कि ख़ुद इंसान उन्हें अपने अंदर दाखिल होने की अनुमति दे और उनका अनुसरण करे।

एक अन्य बिन्दु यह है कि हम शैतान और उसके सहयोगियों को नहीं देखते हैं परंतु उनकी हरकतों को देख सकते हैं, जहां भी गुनाह हो रहा होता है, जहां भी गुनाह के संसाधन उपलब्ध होते हैं, जहां भी दुनिया की चमक- दमक की बात होती है और उद्दंडता, ग़लत कार्यों और क्रोध की आग जल व भड़क रही होती है वहां पर शैतान की उपस्थिति अवश्य होती है। यानी वहां पर शैतान ज़रूर होता है। ऐसे मौक़ों पर मानो इंसान शैतान के वसवसों की आवाज़ को सुनता है और उसकी हरकतों को अपनी आंखों से देखता है।

सारांश यह कि इंसान अपने किसी भी अमल में मजबूर नहीं है। अल्लाह ने उसे आज़ाद और स्वतंत्र पैदा किया है ताकि बेहतरीन ढंग से वह विकास करके अल्लाह का सामिप्य प्राप्त करे और शैतान के शर और अपनी अज्ञानता के मुक़ाबले में अल्लाह के लुत्फ़ो व करम, उसके पैग़म्बरों, किताबों, बुद्धि और अपनी सही फ़ितरत की मदद ले सकता है।

इराक के प्रभावशाली धर्मगुरु और सद्र मूवमेंट के नेता सय्यद मुक़्तदा सद्र ने फिलिस्तीन में ज़ायोनी फौजों के हाथों फिलिस्तीनी जनता के जनसंहार और नस्लकुशी तथा जातीय सफाया पर कड़ा रोष जताते हुए कहा कि ज़ायोनी लॉबी की हरकतें बता रही हैं कि वह तमाम आसमानी धर्मों यानी ईसाई, मुस्लिम और यहूदी तीनों के दुश्मन हैं। ज़ायोनी लॉबी हर उस इंसान की दुश्मन है जो जियोनिस्ट नहीं है। ज़ायोनी लॉबी खुद को यहूदी धर्म के प्रतिनिधि के रूप में पेश करती है और यहूदियत की छवि को धूमिल कर रही है।

 

मुक़्तदा ने कहा कि ज़ायोनी शासन फिलिस्तीन में जो कुछ कर रहा है वह सब अमेरिका के समर्थन से कर रहा है। मैं एक बार फिर बग़दाद से अमेरिका के राजदूत को निकालने और डिप्लोमेटिक तरीके से अमेरिका दूतावास को बंद करने की अपनी बात दोहरा रहा हूँ।

इज़रईली सेना ने रफ़ाह शहर के पश्चिम में आवासीय क्षेत्रों पर गोलाबारी और बमबारी की जिसके कारण कई लोग की मौत हो गई।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,एक रिपोर्ट के अनुसार,मंगलवार सुबह स्थानीय सूत्रों ने गाज़ा पट्टी के सबसे दक्षिणी मुकाम रफाह में ज़ोरदार विस्फोटों की आवाज़ सुनने की सूचना दी हैं।

इज़रईली सेना ने अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय के आदेश का उल्लंघन करते हुए एक बार फिर रफ़ाह शहर के विभिन्न क्षेत्रों पर हमला किया हमलों में हाई सऊदी,ताले अलसुल्तान के क्षेत्र शामिल हैं रफ़ाह के पश्चिम में स्क्वायर पर गोलाबारी और बमबारी की गई है।

दूसरी ओर गाजा शहर के केंद्र में ज़ायोनी सरकार के सैनिकों के हमले के परिणामस्वरूप कई फ़िलिस्तीनी शहीद और घायल हो गए।

गाजा से अलमयादीन संवाददाता ने बताया कि गाजा पट्टी के मध्य में स्थित अल-ब्रीज"शिविर में एक आवासीय इमारत को आतंकवादी ज़ायोनी सैनिकों ने निशाना बनाया, जिसके परिणामस्वरूप हताहत हुए और कई फ़िलिस्तीनी शहीद हुए।

 

 

 

 

 

ग़ज़्ज़ा में पिछले 7 महीने से भी अधिक समय से क़त्ले आम कर रहा इस्राईल अब रफह में भी बर्बरता की सभी हदों को पार करते हुए फिलिस्तीनी जनता का नस्लीय सफाया कर रहा है।

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरस ने इस्राईली सेना के रफह शहर में किए हमले की कड़ी निंदा की है। उन्होंने कहा कि हमले में कई बेगुनाह नागरिक मारे गए, जो सिर्फ युद्ध से बचने के लिए शरण लिए हुए थे। उन्होंने कहा कि अब ये आतंक खत्म होना चाहिए। बता दें कि रफह पर ज़ायोनी सेना के ताज़े हमले में कम से कम 45 लोग मारे गए जबकि 200 से अधिक घायल हुए हैं।

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के प्रमुख वोल्कर टर्क ने भी रफह में इस्राईली हमले की निंदा की। उन्होंने एक बयान में कहा कि शरणार्थी कैंप से आ रहीं तस्वीरें भयावह हैं और इस्राईल के लड़ाई के तरीकों में कोई बदलाव नहीं आया है।

यूएन महासचिव एंटोनियो गुटेरस ने लिखा 'मैं इस्राईल की कार्रवाई की कड़ी निंदा करता हूं, जिसमें कई बेगुनाह आम नागरिक मारे गए, जो सिर्फ युद्ध के हालात में शरण लिए हुए थे। ग़ज़्ज़ा में अब कोई जगह सुरक्षित नहीं है और अब यह आतंक बंद होना चाहिए।

 

 

फिलिस्तीन में क़त्ले आम कर रही ज़ायोनी सेना ने ग़ज़्ज़ा के रफह में भी क़त्ले आम शुरू कर दिया है जिस पर अंतर्राष्ट्रीय समुदाय ने गहरी चिंता जताते हुए ज़ायोनी शासन को इन हरकतों से बाज़ रहने को कहा है।

फिलिस्तीन दलों के खिलाफ सैन्य अभियान के नाम पर फिलिस्तीनी जनता का सफाया कर रहे ज़ायोनी शासन ने अब पडोसी देश मिस्र की सीमा पर भी उकसावे वाली कार्रवाई शुरू कर दी है।

रफह क्रॉसिंग पर मिस्र सेना ने ज़ायोनी सेना को चेताववनी देते हुए गोलीबारी की। मिस्र के सैनिकों ने रफ़ह क्रॉसिंग क्षेत्र में ज़ायोनी बलों पर गोलीबारी की।

ज़ायोनी शासन के चैनल 13 ने इस बारे में बताया कि यह घटना मिस्र और अवैध राष्ट्र इस्राईल के बीच तनाव के चरम का प्रतिनिधित्व करती है और इसके बहुत गंभीर राजनीतिक परिणाम हो सकते हैं।

रफह में क़त्ले आम कर रहे इस्राईल पर यूरोपीय यूनियन और जर्मनी, फ्रांस जैसे अपने सहयोगी देशों के शासकों की अपील भी कोई असर नहीं दिखा रही है और वह लगातार क़त्ले आम में लगा हुआ है।

रविवार शाम को रफह के उत्तर-पश्चिम में तल अल-सुल्तान इलाके में विस्थापित लोगों के तंबुओं पर बमबारी के दौरान 45 फिलिस्तीनी शहीद हो गए और दर्जनों लोग घायल हो गए, जिनमें ज्यादातर महिलाएं और बच्चे थे। यह बमबारी उन क्षेत्रों में हुई जिनके बारे में अतिक्रमणकारी ज़ायोनी शासन ने सुरक्षित होने का दावा किया था।

हमास के विनाश के नारे के साथ क़त्ले आम कर रहे ज़ायोनी शासन को 8 महीने बाद भी आम नागरिको के क़त्ले आम के अलावा कोई सफलता नहीं मिली, बल्कि हमास ने आमने सामने की मुठभेड़ में ज़ायोनी स्पेशल फ़ोर्स के 16 आतंकियों को मार गिराया जिसका बदला लेने के लिए ज़ायोनी सेना ने रफह में फिर क़त्ले आम किया।

लगातार 8 महीने से नेतन्याहू मानवता के खिलाफ अपराध और ग़ज़्ज़ा में युद्ध अपराध करने के कारण अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय में वांछित हैं, लेकिन वह अंतरराष्ट्रीय कानूनों के उल्लंघन और अंतरराष्ट्रीय समुदाय और उसके गुस्से की थोड़ी सी भी चिंता किए बिना लापरवाही से क़त्ले आम जारी रखे है बल्कि खुल्लम खुल्ला इस अभियान को जारी रखने की बात कर रहा है।

यही नहीं बल्कि ज़ायोनी शासन यूरोपीय यूनियन, जर्मनी और फ्रांस जैसे अपने सहयोगी देशों के शासकों की अपील पर भी कान नहीं धर रहा , सवाल यह है कि नेतन्याहू किस के भरोसे पर यूरोप समेत पूरी दुनिया को आँखें दिखा रहा है ? जवाब एक दम साफ़ है अमेरिका !

 

मध्य प्रदेश सरकार ने खुले में नमाज़ और मांस पर रोक लगाने के साथ ही धार्मिक स्थलों से लाउड स्पीकर उतारने के आदेश दिए हैं। हालाँकि सप्रीम कोर्ट की तरफ से लाउडस्पीकर पर आवाज का डेसिबल तय करने के बाद मध्य प्रदेश की मोहन यादव के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार के शपथ ग्राहण के तुरंत बाद यह आदेश जारी किया गया था, जिस पर अमल भी शुरू हो गया था, लेकिन लोकसभा चुनाव के के दौरान फिर से धार्मिक स्थलों पर ज्यादा आवाज में लाउडस्पीकर बजने शुरू हो गए थे।

पुलिस और प्रशासन ने छतरपुर जिले में पिछले दो दिनों में 120 धामिर्क स्थलों से लाउडस्पीकर पर हटाने की कारवाई की है, जबकि राजधानी भोपाल में एक ही दिन में 2527 धार्मिक स्थलों से लाउडस्पीकर हटाए गए हैं। वहीं, पुलिस ने जबलपुर जोन में 750 लाउडस्पीकर हटाने की कार्रवाई की है।

मुख्यमंत्री ने शुक्रवार को कानून व्यवस्था की समीक्षा बैठक की थी। इस बैठक में धार्मिक स्थलों पर लाउडस्पीकर, खुले में नमाज, डीजे, खुले में मांस बिक्री के खिलाफ दोबारा अभियान चलाने के आदेश दिए थे।

 

 

पापुआ न्यू गिनी में विनाशकारी भूस्खलन अब तक कम से कम 2000 लोगों की जान ले चुका है। पापुआ न्यू गिनी सरकार ने स्पष्ट किया है कि शनिवार को पहाड़ी पर हुए भूस्खलन में 2,000 से अधिक लोग जिंदा दफन हो गए हैं। सरकार ने राहत कार्यों के लिए अंतरराष्ट्रीय मदद मांगी है।

सरकार ने बताया कि उसने राहत कार्यों के लिए औपचारिक रूप से अंतरराष्ट्रीय मदद मांगी है। राजधानी पोर्ट मोरेस्बी से 600 किमी दूर उत्तर-पश्चिम में एंगा प्रांत में यह भूस्खलन हुआ था।

इससे पहले अंतरराष्ट्रीय प्रवासन संगठन ने पापुआ न्यू गिनी में 670 लोगों की मौत होने की आशंका जताई थी। सरकार का आंकड़ा संयुक्त राष्ट्र की इस एजेंसी के आंकड़ों से करीब तिगुना है। संयुक्त राष्ट्र को लिखे गए एक पत्र में राष्ट्रीय आपदा केंद्र के कार्यवाहक निदेशक ने कहा, भूस्खलन में 2000 से अधिक लोग जिंदा दफन हो गए और ‘बड़ा विनाश’ हुआ।