
رضوی
रमज़ान, आत्म-सुधार और दृढ़ता का महीना: आयतुल्लाह काबी
रमजान, मजलिसे ख़ुबरेगान रहबरी के सदस्य आयतुल्लाह अब्बास काबी ने रमजान के पवित्र महीने को अल्लाह की ओर से एक महान उपहार और विश्वास को मजबूत करने, नेक काम करने और बलिदान करने का सबसे अच्छा अवसर बताया।
मजलिसे खुबरेगान रहबरी के सदस्य आयतुल्लाह अब्बास काबी ने रमजान के पवित्र महीने को ईश्वर की ओर से एक महान उपहार और विश्वास को मजबूत करने, नेक काम करने और बलिदान करने का सबसे अच्छा अवसर बताया।
बातचीत में उन्होंने कहा कि रमज़ान न केवल इबादत और आत्म-सुधार का महीना है, बल्कि यह जिहाद और दृढ़ता का भी महीना है। ग़ज़वात से प्रेरणा लेते हुए इमाम खुमैनी ने कहा था कि रमज़ान जिहाद का महीना भी है। इसी आधार पर इमाम खुमैनी ने रमजान माह के अंतिम शुक्रवार को कुद्स दिवस घोषित किया ताकि मुसलमान रोज़े के माध्यम से उत्पीड़न के खिलाफ अपनी आवाज उठा सकें और अल्लाह के करीब आने की मंशा रख सकें।
आयतुल्लाह काबी ने इस वर्ष कुद्स दिवस के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि यह दिन वैश्विक ज़ायोनीवाद और उत्पीड़न के खिलाफ एक मजबूत संदेश होगा और मुसलमानों की एकता और दृढ़ता की अभिव्यक्ति होगी। उन्होंने कहा कि जिस तरह ईरान में इस्लामी क्रांति की 46वीं वर्षगांठ बड़े पैमाने पर मनाई गई थी, उसी तरह इस वर्ष कुद्स दिवस की रैलियां भी बड़े पैमाने पर आयोजित की जाएंगी।
उन्होंने पवित्र कुरान की तिलावत और उसके संदेश के क्रियान्वयन पर भी जोर दिया। उनके अनुसार, समाज में आध्यात्मिकता को बढ़ावा देने के लिए रमज़ान के दौरान सांप्रदायिक कुरानिक सभाएं, मस्जिदों में कुरान का पाठ और धार्मिक और आध्यात्मिक जागृति आयोजित करना बेहद जरूरी है।
उन्होंने मुसलमानों को चेतावनी दी कि वे रमज़ान के आध्यात्मिक क्षणों को बर्बाद न करें और अपना अधिकांश समय टीवी या सोशल मीडिया पर बिताने के बजाय, इसे इबादत, तक़वा और ईश्वर के स्मरण में लगाएं, क्योंकि ये ऐसी चीजें हैं जो ईमान को मजबूत करती हैं।
आयतुल्लाह काबी ने हमदर्दी और जरूरतमंदों की मदद को रमज़ान के मूल संदेशों में से एक बताया। उन्होंने कहा कि दान देने, गरीबों की मदद करने और रोज़ेदारों को भोजन कराने से न केवल कठिनाइयां दूर होती हैं बल्कि आत्मा की पवित्रता और पवित्रता भी बढ़ती है।
उन्होंने कहा कि रमज़ान का सबसे महत्वपूर्ण संदेश तक़वा है और हमें इस महीने के दौरान अपने कार्यों का लेखा-जोखा करते समय ईश्वरीय सीमाओं का उल्लंघन करने से बचना चाहिए। यदि हमने कोई पाप किया है, तो तुरंत पश्चाताप करें और याद रखें कि हम परमेश्वर की उपस्थिति में हैं, जहां सबसे बड़ा आशीर्वाद हमारे कर्मों की स्वीकृति है।
अंत में, आयतुल्लाह काबी ने दुआ की कि अल्लाह हमें इस महीने में आध्यात्मिक प्रगति प्रदान करे और ईद-उल-फित्र को हमारे लिए सच्ची सफलता और खुशी का दिन बनाए।
रमज़ान अलमुबारक का महीना तरक्की का महीना और समय है
हौज़ा ए इल्मिया क़ुम के उस्ताद ने कहां, रमज़ान का महीना न केवल आध्यात्मिक उन्नति का समय है बल्कि यह भौतिक बरकतों का भी महीना है यह इंसान को ईश्वरीय दंड से बचाने और आध्यात्मिक विकास का मार्ग प्रशस्त करने का बेहतरीन माध्यम है
माहे रमज़ान के आगमन पर मस्जिदों की सफ़ाई और स्वच्छता एक बेहतरीन सुन्नत
ईरान के माज़ंदरान प्रांत में वली फ़क़ीह के प्रतिनिधि हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन मोहम्मद बाक़िर मोहम्मदी लाइनी ने कहा कि मस्जिदों की सफ़ाई और स्वच्छता रमज़ान महीने की एक अच्छी परंपरा है उन्होंने कहा कि एक खुली और साफ सुथरी मस्जिद युवाओं को अपनी ओर आकर्षित करती है।
ईरान के माज़ंदरान प्रांत में वली फ़क़ीह के प्रतिनिधि, हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन मोहम्मद बाक़िर मोहम्मदी लाइनी ने कहा कि मस्जिदों की सफ़ाई और स्वच्छता रमज़ान महीने की एक अच्छी परंपरा है उन्होंने कहा कि एक खुली और साफ-सुथरी मस्जिद युवाओं को अपनी ओर आकर्षित करती है।
हुज्जतुल इस्लाम मोहम्मदी लाइनी ने माज़ंदरान के शहर "सारी" की मस्जिद मूसा इब्ने जाफर (अ.स.) में मस्जिद की सफ़ाई के दौरान कहा कि हमारे यहाँ एक अच्छी परंपरा यह है कि रमज़ान के आगमन पर अल्लाह के मेहमानों के लिए मस्जिदों को साफ सुथरा किया जाता है।
उन्होंने आगे कहा कि हर साल लोग विशेष रूप से महिलाएँ स्वेच्छा से मस्जिदों की सफ़ाई में भाग लेती हैं हालांकि यह सभी नमाज़ियों और पड़ोसियों की ज़िम्मेदारी है कि वे केवल रमज़ान में ही नहीं बल्कि पूरे साल मस्जिदों की सफ़ाई का ध्यान रखें।
हुज्जतुल इस्लाम मोहम्मदी लाइनी ने कहा कि एक सुंदर, खुली और साफ-सुथरी मस्जिद युवाओं को आकर्षित करती है, और मस्जिदों को बेहतरीन स्थिति में बनाए रखना आवश्यक है।
उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि हमें हज़रत इब्राहीम और हज़रत इस्माईल अ.स. की तरह अल्लाह के घरों के सेवक बनना चाहिए और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि हमें अपने दिलों को भी हर प्रकार की गंदगी से शुद्ध करना चाहिए ताकि अल्लाह का नूर हमारे दिलों में रौशन हो।
मस्जिदों और नमाज़ियों पर हमला करने वालों का किसी भी धर्म से कोई संबंध नहीं।
रमज़ान मुबारक के आगमन पर दारुल उलूम हक़ानिया अकोड़ा खटक में हुआ आत्मघाती हमला प्रांतीय सरकार के लिए एक बड़ा सवालिया निशान है।
रमज़ान मुबारक के आगमन पर दारुल उलूम हक़ानिया अकोड़ा खटक में हुआ आत्मघाती हमला प्रांतीय सरकार के लिए एक बड़ा सवालिया निशान है
शिया उलेमा काउंसिल पाकिस्तान के नेता अल्लामा अशफाक वहिदी ने अकोड़ा खटक में हुए आत्मघाती हमले की कड़ी निंदा की और कहा कि मस्जिदों और नमाज़ियों पर हमला करने वालों का किसी भी धर्म से कोई संबंध नहीं होता।
उन्होंने सरकार से रमज़ान के महीने में मस्जिदों और इमामबाड़ों की सुरक्षा को पूरी तरह सुनिश्चित करने की अपील की।अल्लामा अशफाक वहिदी ने मांग की कि दहशतगर्दों (आतंकवादियों) के खिलाफ पाकिस्तान आर्मी की निगरानी में सभी छोटे और बड़े शहरों में सर्च ऑपरेशन चलाया जाए।
उन्होंने इस आत्मघाती धमाके में शहीद हुए लोगों के लिए मग़फिरत की दुआ की और घायलों के जल्द स्वस्थ होने की कामना की।
नमाज़ के बिना हमारे आमाल की कोई हैसियत नहीं
हरम ए इमाम अली रज़ा अ.स.के रवाक ग़दीर में मशहूर ख़तीब मौलाना वसी हसन ख़ान ने मजलिस ए अज़ा को ख़िताब किया जिसमें उन्होंने इमाम रज़ा अ.स.की सीरत-ए-तैय्यबा फज़ाएल और तालीमात पर तफ्सील से रौशनी डाली।
हरम ए इमाम अली रज़ा अ.स.के रवाक ग़दीर में मशहूर ख़तीब मौलाना वसी हसन ख़ान ने मजलिस ए अज़ा को ख़िताब किया जिसमें उन्होंने इमाम रज़ा अ.स.की सीरत-ए-तैय्यबा फज़ाएल और तालीमात पर तफ्सील से रौशनी डाली।
मौलाना वसी हसन ख़ान ने अपने बयान में नमाज़, ज़कात, सदक़ा और अमानतदारी का ज़िक्र करते हुए कहा कि,अगर हमारे आमाल में नमाज़ नहीं है तो हमारे आमाल की कोई हैसियत नहीं है।उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि नमाज़ बंदगी की रूह है और इमाम रज़ा अ.स.की हयात-ए-तैयबा में इबादत को बुनियादी हैसियत हासिल थी।
मौलाना वसी हसन ख़ान ने अपने ख़िताब में इमाम रज़ा अ.स.की इल्मी अज़मत, हिल्म, करम और उनकी बे-मिसाल इबादतों को उजागर किया उन्होंने फ़रमाया कि इमाम की ज़िंदगी का हर लम्हा इबादत, तक़वा और उम्मत की रहनुमाई में गुज़री इस हवाल से उन्होंने एक अहम नुक्ता बयान करते हुए कहा,हमारे पास जो कुछ भी है, वह हमारा कुछ नहीं, बल्कि सब कुछ ख़ुदावंदे मुतआल का अता किया हुआ है।
मौलाना वसी हसन ख़ान ने अमानतदारी और सदक़े के हवाले से कई तारीखी वाक़ियात भी बयान किए और कहा कि अहले बैत अ.स.की सीरत पर अमल करने में ही हमारी नजात है।उन्होंने हाज़िरीन को मुख़ातिब करते हुए कहा,हमारे आमाल और अहले बैत अ.स. के आमाल में ज़मीन-ओ-आसमान का फ़र्क़ है।
मौलाना वसी हसन ख़ान ने ज़ियारत-ए-इमाम रज़ा अ.स. की बरकतों, उसके रूहानी असरात और अहले बैत अ.स.के रौज़ों पर हाज़िरी के बाद सही ज़िंदगी गुज़ारने के तरीक़ों पर भी रोशनी डाली।
उन्होंने ज़ायरीन को नसीहत करते हुए कहा कि ज़ियारत का असल मक़सद इमाम की सीरत को अपनाना और उनकी तालीमात को अपनी अमली ज़िंदगी में लागू करना है।
मजलिस में भारत-पाकिस्तान के ज़ायरीन की एक बड़ी तादाद मौजूद थी जो अक़ीदत और मोहब्बत के साथ इस बसीरत-अफ़रोज़ बयान को सुन रही थी ज़ायरीन ने मौलाना वसी हसन ख़ान का शुक्रिया अदा करते हुए इस इल्मी और रूहानी मजलिस को बेहद असरदार क़रार दिया।
ज़ेलेंस्की को वाइट हाउस से निकाला गया
ईरान के विदेशमंत्रालय के प्रवक्ता ने हथियार रख देने पर आधारित पी. के. के. के एलान का स्वागत किया है और इस फ़ैसले को हिंसा को नकारने की दिशा में एक महत्वपूर्ण क़दम बताया है।
ईरान के विदेशमंत्रालय के प्रवक्ता इस्माईल बक़ाई ने शुक्रवार को पी. के. के. द्वारा हथियार रख दिये जाने पर आधारित एलान की प्रतिक्रिया में कहा कि इस्लामी गणतंत्र ईरान हर उस प्रक्रिया का स्वागत करता है जो आतंकवाद के रुकने और पड़ोसी देश तुर्किये में सुरक्षा की मज़बूती का कारण बने।
इस्माईल बक़ाई ने उम्मीद जताई कि इस परिवर्तन व बदलाव का क्षेत्र की सतह पर भी सकारात्मक असर पड़ेगा।
ज़ेलेंस्की को वाइट हाउस से निकाला गया
अमेरिकी संचार माध्यमों ने एलान किया है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और उनके यूक्रेनी समकक्ष विलोदोमीर ज़ेलेंस्की शुक्रवार को वाइटहाउस में राष्ट्रपति कार्यालय में तनावपूर्ण वातावरण में विचारों का आदान- प्रदान करने के बाद अलग -अलग कमरों में चले गये जबकि यूक्रेनी वार्ता जारी रहने के इच्छुक थे। अमेरिकी टीवी चैनल सीएनएन ने रिपोर्ट दी है कि इन सबके बावजूद वाइट हाउस ने यूक्रेनी प्रतिनिधिमंडल से कह दिया है कि वे वाइट हाउस छोड़ दे।
चीनी राष्ट्रपतिः रूस और चीन को चाहिये कि वे अपने स्ट्रैटेजिक सहयोग को और बेहतर बनायें
न्यूज़ एजेन्सी तास ने रिपोर्ट दी है कि चीनी राष्ट्रपति शी जिन पिंग ने शुक्रवार को बीजींग में रूस के राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के सचिव सरगेई शिवगो से भेंटवार्ता में कहा कि मा᳴स्को और बिजींग को चाहिये कि वे अपने स्ट्रैटेजिक सहयोग को लगातार बेहतेर बनायें।
इसी प्रकार उन्होंने दोनों देशों के नेताओं के मध्य होने वाले समझौतों को पूर्णरूप से लागू करने पर बल दिया और दोनों देशों के अच्छे पड़ोसी के सिद्धांतों का समर्थन करते हुए दोनों देशों के बीच स्ट्रैटेजिक सहयोग को दोनों देशों के हित में बताया।
उत्तर कोरिया की सीमा के निकट दक्षिण कोरिया और अमेरिका का संयुक्त सैन्य अभ्यास
न्यूज़ एजेन्सी यूनहाप ने एलान किया है कि अमेरिका और दक्षिण कोरिया के सैनिकों ने शुक्रवार को दक्षिणी कोरिया के उत्तरी भाग में संयुक्त सैन्य अभ्यास का आरंभ किया। दोनों पक्षों ने दावा किया है कि इस सैन्य अभ्यास का उद्देश्य दोनों पक्षों की सैनिक क्षमता को मज़बूत करना है।
दक्षिण कोरिया के सैनिक गुट की घोषणा के अनुसार यह संयुक्त सैन्य अभ्यास 10 दिनों तक उत्तर कोरिया की सीमा के निकट चलेगा और दक्षिणी कोरिया और अमेरिका के लगभग 70 सैनिक इस सैन्य अभ्यास में भाग ले रहे हैं।
स्वीज़रलैंड आम फ़िलिस्तीनी नागरिकों की कांफ़्रेन्स की मेज़बानी करेगा
स्वीटज़रलैंड ने जनेवा कंवेन्शन के 196 सदस्य देशों का आह्वान किया है कि वे अगले सप्ताह उस कांफ्रेन्स में भाग लें जो अवैध अधिकृत फ़िलिस्तीन में आम नागरिकों की स्थिति के बारे में हो रही है। चौथा जनेवा कंवेन्शन द्वितीय विश्व युद्ध की समाप्ति के बाद वर्ष 1949 में पारित हुआ था। इस कंवेन्शन में युद्धरत क्षेत्रों में आम नागरिकों की सुरक्षा के लिए अंतरराष्ट्रीय क़ानून बनाये गये हैं।
इराकी विदेश मंत्री ने संयुक्त राष्ट्र की सहायता को और बढ़ने पर जोर दिया
इराकी विदेश मंत्री फुआद हुसैन ने संयुक्त राष्ट्र महासचिव के विशेष प्रतिनिधि मोहम्मद अल हसन के साथ बैठक की इस मौके पर उन्होंने कई अहम बातों पर चर्चा की और संयुक्त राष्ट्र की सहायता को और बढ़ने पर जोर दिया
इराकी विदेश मंत्री फुआद हुसैन ने संयुक्त राष्ट्र महासचिव के विशेष प्रतिनिधि मोहम्मद अल हसन के साथ बैठक की इस मौके पर उन्होंने कई अहम बातों पर चर्चा की और संयुक्त राष्ट्र की सहायता को और बढ़ने पर जोर दिया
इराकी विदेश मंत्रालय के एक बयान के अनुसार, बैठक में अल हसन ने हुसैन को इराक के लिए संयुक्त राष्ट्र सहायता मिशन के कार्यों और इस वर्ष के अंत तक मिशन के कार्यों की समाप्ति के लिए उठाए गए कदमों के बारे में जानकारी प्रदान की।
मई 2024 में जारी किए गए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव में इराकी सरकार के अनुरोध के बाद 31 दिसंबर, 2025 तक यूएनएएमआई की इराक से वापसी आवश्यक है।
इसके अलावा, दोनों पक्षों ने इराक की संयुक्त राष्ट्र के साथ भागीदारी को मजबूत करने और संगठन में इसकी उपस्थिति को बढ़ाने पर चर्चा की, विशेष रूप से इराक द्वारा संयुक्त राष्ट्र में विकासशील देशों का सबसे बड़ा अंतर-सरकारी संगठन ‘जी-77’ की अध्यक्षता संभालने के बाद।
बयान के अनुसार, हुसैन ने पिछले वर्षों में इराक की सहायता करने में यूएनएएमआई की भूमिका की सराहना की और विभिन्न क्षेत्रों में संयुक्त राष्ट्र के साथ उत्पादक सहयोग जारी रखने के लिए इराक की इच्छा पर बल दिया।
आयतुल्लाहिल उज़्मा हाफिज़ बशीर हुसैन नजफ़ी का रमज़ान के मुबल्लिगीन के नाम संदेश
हज़रत आयतुल्लाहिल बशीर हुसैन नजफ़ी ने रमज़ान के पवित्र महीने की मुनासिबत से मुबल्लिगीन के नाम एक संदेश जारी करते हुए कहा कि वे अपनी मजालिस को हज़रत इमाम हुसैन अ.स. के ज़िक्र से रौशन करें।
आयतुल्लाहिल उज़्मा हाफिज़ बशीर हुसैन नजफ़ी ने पिछले वर्ष रमज़ान मुबारक की शुरुआत में मुबल्लिगीन के नाम एक संदेश जारी किया था जिसे हम दोबारा प्रकाशित कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि अपनी धार्मिक सभाओं (मजलिस) को हज़रत अबा अब्दुल्लाह हुसैन (अ.स. के ज़िक्र से रौशन करें अपने संदेश के एक भाग में उन्होंने धर्म की तब्लिग़ में महिलाओं की अहम भूमिका पर बात करते हुए कहा कि महिलाओं के प्रभाव को नज़रअंदाज नहीं किया जाना चाहिए और हमें उनकी हर संभव सहायता करनी चाहिए।
उनके संदेश का सारांश निम्नलिखित है:
1- मजलिस-ए-हुसैनी (अ.स.) का महत्व:
मजलिस-ए-हुसैनी (अ.स.) पर ध्यान दें और लोगों को इसमें भाग लेने के लिए आमंत्रित करें ताकि वे अहले बैत (अ.स.) के फाज़यल से लाभान्वित हों और उनके मसायब पर आंसू बहाकर ईश्वर का सामीप्य प्राप्त कर सकें।
2- बुजुर्गों की संगत:
बुजुर्गों की बैठकों में शामिल हों उनके अनुभवों से सीखें। इससे आपसी प्रेम एकजुटता और विश्वास बढ़ेगा।
3- समाज पर नज़र रखना:
मुबल्लिगीन को आम लोगों के पास जाना चाहिए और उनकी स्थिति पर ध्यान देना चाहिए इससे रोज़ा न रखने वालों और रमज़ान के अपमान करने वालों को सबक मिलेगा जिनके पास शरीयत का वैध कारण हो, उन्हें भी सार्वजनिक रूप से खाने-पीने से बचना चाहिए।
4- युवाओं को मजलिस से जोड़ना:
युवाओं को मजलिस में भाग लेने के लिए प्रेरित करें ताकि उनके दिलों में ईमान, नैतिकता और धार्मिक सिद्धांतों की मज़बूती आए और वे दुश्मनों के वैचारिक और सांस्कृतिक हमलों से सुरक्षित रहें।
5- महिलाओं की भूमिका:
मुस्लिम महिलाओं पर विशेष ध्यान दें और धर्म प्रचार (तब्लिग़) में उनकी सहायता करें क्योंकि समाज में महिलाओं का गहरा प्रभाव होता है।
6- शहीदों के परिवारों की देखभाल:
प्रवचनकर्ताओं को चाहिए कि वह शहीदों के परिवारों की भौतिक और आध्यात्मिक सहायता करें शहीदों के अनाथ बच्चों का विशेष ध्यान रखें और उनका सम्मान करें।
हर साल रमज़ान का महीना ईश्वर की ओर से एक बहुमूल्य उपहार है, जिसके माध्यम से हमें उसकी दया और कृपा प्राप्त होती है। हम प्रार्थना करते हैं कि ईश्वर हमें इस पवित्र महीने में नमाज़, रोज़ा और पैगंबर (स.) व अहले बैत (अ.) के अनुसरण की तौफ़ीक़ प्रदान करे।
क्यों ईरानी यहूदी पलायन नहीं कर रहे हैं?
इस्राईल के ख़ुफ़िया विभाग का एक पूर्व अफ़सर और ईरानी मामलों का विश्लेषक व विशेषज्ञ ने स्वीकार किया है कि ईरान का यहूदी समाज अपने सांस्कृतिक और राष्ट्रीय पहचान पर गर्व करता है।
यद्यपि पश्चिमी संचार माध्यमों ने विस्तृत व बड़े पैमाने पर इस्लामी गणतंत्र ईरान पर प्रचारिक हमला कर रखा है और वे इस प्रकार की ख़बरें प्रकाशित करते हैं कि ईरानी यहूदियों के साथ बुरा व्यवहार किया जाता है परंतु वास्तविकता कुछ और है और ईरानी यहूदी दूसरे ईरानियों के साथ घुलकर शांतिपूर्ण ढंग से ज़िन्दगी गुज़ार रहे हैं और वे अपनी धरोहरों पर गर्व करते हैं।
यहूदियों के संचार माध्यम JNS ने यहूदियों और इस्लामी गणतंत्र ईरान के साथ उनके संबंधों के बारे में लिखा है कि पश्चिमी संचार माध्यम ईरान में रहने वाले यहूदी समाज के बारे में नकारात्मक ख़बरें प्रकाशित करते- रहते हैं परंतु ईरान में रहने वाले यहूदी समाज में किसी प्रकार का कोई तनाव नहीं है।
पार्सटुडे ने ऑनलाइन न्यूज़ एजेन्सी के हवाले से बताया है कि एक यहूदी विश्लेषक और इस्राईली खुफ़िया सेवा का एक पूर्व अफ़सर डेविड नीसान कहता है कि इस विषय को समझना बहुत महत्वपूर्ण है कि ईरानी यहूदियों की पहचान ईरान से जुड़ी हुई है।
ज्ञात रहे कि डेविड नीसान नामक यहूदी का जन्म तेहरान में हुआ है और वह तेहरान ही में पला-बढ़ा है और उसने गत 16 महीनों के दौरान ईरान में रहने वाले यहूदी समाज के हालात पर नज़र डाली है।
वह ईरान में रहने वाले यहूदी समाज के बारे में लिखता है कि वर्ष 1979 में ईरान में इस्लामी क्रांति की सफ़लता से लेकर अब तक काफ़ी यहूदी ईरान से जा चुके हैं परंतु उसके बावजूद ईरान में रहने वाला यहूदी समाज पूरी तरह यहूदी शैली को सुरक्षित किये हुए है और सरकार की ओर से उनके ख़िलाफ़ किसी प्रकार की कोई कार्यवाही नहीं की जाती है।
ईरान में यहूदियों के 30 उपासना स्थल और स्कूल व शिक्षाकेन्द्र हैं और उन्हें किसी प्रकार से कष्ट का सामना नहीं है और उन्हें किसी प्रकार के हस्तक्षेप के बिना अपनी शैली में ज़िन्दगी करने का पूरा अधिकार है। ईरानी संविधान में उनके मौलिक व बुनियादी अधिकार सुरक्षित हैं और ईरानी संसद में उनका प्रतिनिधि भी है।
लंबा व पुराना इतिहासः ईरान का यहूदी समाज दुनिया का एक प्राचीनतम समाज है और उसके इतिहास का संबंध 2500 साल से अधिक है। ईरान में रहने वाले यहूदी विभिन्न ईरानी सरकारों में ईरानी समाज के महत्वपूर्ण भाग व हिस्सा रहे हैं और उनमें से बहुत से यहूदियों का सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टि से विशेष स्थान था।
2- धार्मिक आज़ादीः लगभग समस्त कालों और सरकारों में ईरान के यहूदियों को धार्मिक अल्पसंख्यक के रूप में पहचाना जाता था परंतु उनकी धार्मिक आज़ादी पूरी तरह सुरक्षित थी।
3- सांस्कृतिक और आर्थिक विकासः ईरानी यहूदी दूसरी संस्कृतियों और समाजों के साथ लेनदेन के कारण आर्थिक, सांस्कृतिक और शैक्षिक क्षेत्रों सहित विभिन्न भागों व क्षेत्रों में सक्रिय रहे हैं और आज भी वे ईरानी समाज में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।
4- धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान की सुरक्षाः ईरानी यहूदी अब भी अपने धार्मिक मूल्यों व परम्पराओं के प्रति कटिबद्ध हैं और ईरान के बहुत से शहरों और गांवों में यहूदी समाज मौजूद है और यहूदियों ने अपनी परम्पराओं को सुरक्षित कर रखा है।
5- सामाजिक और राजनीतिक स्थितिः बहुत से यहूदी ईरान की सामाजिक और राजनीतिक स्थिति के उचित व अच्छी होने की वजह से ईरान से पलायन के इच्छुक नहीं हैं।
सारांश यह कि ईरानी यहूदी समाज किसी प्रकार की चुनौती के बिना देश में शांतिपूर्ण ढंग से रह रहा है और उसे ईरानी इतिहास और संस्कृति का एक भाग समझा जाता है
कौन ज़िन्दगी से सबसे कम आनंद उठाता है?
हसद व जलन एक बुरी नैतिक बुराई है। हसद का अर्थ यह है कि इंसान उस इंसान से नेअमत के ख़त्म होने की तमन्ना करे जिसे अल्लाह ने कोई नेअमत दे रखी है।
जो इंसान जलता या ईर्ष्या करता है वह दूसरों को खुश नहीं देख सकता है। वह उस चीज़ के ख़त्म होने की आकांक्षा करता है जिसकी वजह से सामने वाला ख़ुश होता है। इसी तरह हसद करने वाला व्यक्ति नेअमत के ही ख़त्म होने की तमन्ना करता है ताकि कोई भी उससे लाभ न उठा सके।
हसद ऐसी बीमारी है जो इंसान की पूरी ज़िन्दगी को प्रभावित करती है और इंसान से आराम व सुकून छीन लेती है। यहां पर हम हसद के बारे में पैग़म्बरे इस्लाम और उनके पवित्र परिजनों के कुछ कथनों का वर्णन कर रहे हैं।
पैग़म्बरे इस्लाम फ़रमाते हैं
हसद करने वाला इंसान सबसे कम आनंद उठाता है।
पैग़म्बरे इस्लाम के उत्तराधिकारी हज़रत अली अलैहिस्सलाम फ़रमाते हैं
हसद शैताना का सबसे बड़ा जाल है।
इमाम जाफ़र सादिक़ अलैहिस्सलाम इरशाद फ़रमाते हैं
हसद करने वाला इंसान जिससे हसद करता है उसे नुक़सान पहुंचाने से पहले ख़ुद को नुक़सान पहुंचाता है।
हज़रत अली अलैहिस्सलाम इरशाद फ़रमाते हैं
हसद करने वाला इंसान हमेशा बीमार रहता है यद्यपि वह शारीरिक दृष्टि से स्वस्थ ही क्यों न हो।
इमाम जाफ़र सादिक़ अलैहिस्सलाम इरशाद फ़रमाते हैं
हसद करने वाले इंसान की तीन अलामते हैं" जिससे जलता है उसके पीठ पीछे उसकी ग़ीबत करता है और जब वह सामने होता है तो उसकी चापलूसी करता है और मुसीबत के वक़्त उसकी आलोचना व निंदा करता है।
हज़रत अली अलैहिस्सलाम इरशाद फ़रमाते हैं
जो व्यक्ति हसद करना छोड़ दे तो लोग उससे मोहब्बत करने लगेंगे।
इमाम अली नक़ी अलैहिस्सलाम इरशाद फ़रमाते हैं"
हसद करने से परहेज़ करो और यह जान लो कि हसद करने का असर ख़ुद तुम्हारे अंदर ज़ाहिर होगा और तुम्हारे दुश्मन के अंदर उसका कुछ असर नहीं हो