
رضوی
गाजा में ज़ायोनीवादियों द्वारा फ़िलिस्तीनियों का नरसंहार जारी
दक्षिणी गाजा शहर खान यूनिस में एक आवासीय इमारत पर ज़ायोनी हमले में उन्नीस फ़िलिस्तीनी शहीद हो गए।
आईआरएनए की रिपोर्ट के मुताबिक, खान यूनिस में एक आवासीय इमारत पर कब्जे वाली ज़ायोनी सरकार के क्रूर हमले में दसियों फ़िलिस्तीनी भी घायल हुए हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने गाजा में बेहद खराब स्वास्थ्य स्थिति की ओर इशारा करते हुए घोषणा की है कि गाजा में केवल दस अस्पतालों की अल्प गतिविधियों के कारण हजारों बीमार लोग चिकित्सा सेवाओं से वंचित हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन की घोषणा के अनुसार, गाजा में लगभग 9,000 बीमार लोगों को इलाज के लिए गाजा से बाहर स्थानांतरित करने की आवश्यकता है, और अब तक 3,400 से अधिक बीमार लोगों को स्थानांतरित किया जा चुका है, जिनमें 280 घायल भी शामिल हैं। गाजा में कब्जाधारी ज़ायोनी सरकार द्वारा फ़िलिस्तीनियों का नरसंहार जारी है, जबकि क्रूर ज़ायोनी आक्रमण के परिणामस्वरूप, यहाँ के नागरिकों को भी अकाल और भुखमरी का सामना करना पड़ रहा है। गाजा में फिलिस्तीनी स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है कि ज़ायोनी आक्रमण की शुरुआत के बाद से, 32,750 फिलिस्तीनी शहीद हो गए हैं और 75,190 अन्य घायल हो गए हैं, जिनमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं।
ग़ज़ा में अब तक क्या हुआ, एक सरसरी नज़र
ग़ज़ा पट्टी में फिलिस्तीनी सरकार के सूचना कार्यालय ने एक रिपोर्ट में ग़ज़ा में युद्ध के 175वें दिन तक होने वाले जानी और माली नुक़सान के आंकड़े पेश किए हैं।
युद्ध में होने वाले जानी और माली नुक़सान का सारांश इस प्रकार है:
ज़ायोनी सेना ने ग़ज़ा पट्टी में 2888 अपराध और हत्याएं की हैं।
39623 लोग शहीद हुए और लापता हुए।
32623 शहीदों को अस्पतालों में भर्जी कराया गया।
7000 से अधिक लोग अभी भी लापता हैं और मलबे में दबे हुए हैं।
शहीदों में 14350 बच्चे शामिल हैं।
28 बच्चे भुखमरी का शिकार होकर जान गंवा बैठे।
शहीदों में 9460 महिलाएं भी हैं।
364 मेडिकल स्टाफ़ के लोग और चिकित्सा कर्मी शहीद हुए।
बचाव दल के 48 लोग शहीद हो गये।
136 पत्रकार शहीद हुए।
75092 लोग घायल हुए।
इस युद्ध के कुल पीड़ितों में से 73 प्रतिशत महिलाएं और बच्चे हैं।
17000 बच्चों ने माता-पिता में से किसी एक को या दोनों को ही खो दिया है।
11000 घायलों को इलाज जारी रखने और उनकी जान बचाने के लिए विदेश भेजा जाना है।
10000 कैंसर रोगी ज़िंदगी और मौत के बीच जूझ रहे हैं और उन्हें तत्काल उपचार की आवश्यकता है।
विस्थापन के परिणामस्वरूप 700000 लोग संक्रामक रोगों की चपेट में आ चुके हैं।
विस्थापन के कारण 8000 लोगों को वायरल हेपेटाइटिस हो गया।
चिकित्सा देखभाल की कमी के कारण 60000 गर्भवती महिलाओं को ख़तरा है।
दवा का आयात न होने के कारण 350000 लोगों को पुरानी बीमारियों में ग्रस्त हो चुके हैं।
274 चिकित्साकर्मियों और मेडिकल स्टाफ़ को गिरफ्तार किया गया।
12 पत्रकारों को गिरफ्तार कर लिया गया है जिनके नाम पता हैं।
ग़ज़ा पट्टी के 20 लाख निवासी विस्थापित हुए।
168 सरकारी केंद्र नष्ट कर दिये गये हैं।
100 स्कूल और विश्वविद्यालय पूरी तरह से नष्ट हो गए हैं।
305 स्कूलों और विश्वविद्यालयों को मामूली क्षति हुई है।
227 मस्जिदें पूरी तरह नष्ट हो चुकी हैं।
294 अन्य मस्जिदों को मामूली क्षति हुई है
3 चर्चों को बमबारी कर नष्ट कर दिया गया है।
70000 आवासीय इकाइयां पूरी तरह से नष्ट हो गई हैं।
290000 आवास बमबारी का शिकार होकर तबाह ग्रस्त हो चुके हैं और रहने योग्य नहीं हैं।
ग़ज़ा के लोगों पर 70000 टन विस्फोटक गिराए गए हैं।
32 अस्पताल पूरी तरह से ठप्प हो गये हैं।
53 चिकित्सा केंद्र पूरी तरह से बंद हो गये हैं।
अन्य 159 चिकित्सा केंद्रों को निशाना बनाया गया है।
12 एम्बुलेंसों पर बमबारी की गई और उन्हें नष्ट कर दिया गया।
200 ऐतिहासिक एवं प्राचीन स्थानों पर बमबारी कर उन्हें नष्ट कर दिया गया है।
एशिया और प्रशांत क्षेत्र में ईरानी लड़कियां आइस हॉकी में चैंपियन
ईरान की महिला खिलाड़ियों की हॉकी की टीम बर्फ पर खेले जाने वाले हॉकी के खेल में चैंपियन बन गयी है।
ईरानी महिलाओं की आइस हॉकी की टीम ने शनिवार को एशिया और प्रशांत क्षेत्र में होने वाली प्रतिस्पर्धा में शून्य के मुकाबले चार गोल से फिलिप्पीन की टीम को हरा दिया।
इस प्रतिस्पर्धा में ईरानी लड़कियों ने संयुक्त अरब इमारात, क़िरक़िज़िस्तान, भारत और फिलिप्पीन को हरा दिया और एशिया और प्रशांत क्षेत्र में अपनी दूसरी उपस्थिति में आइस हॉकी के खेल में चैंपियन का ख़िताब जीत लिया।
यह प्रतिस्पर्धा क़िरक़िज़िस्तान की राजधानी बिश्केक में आयोजित हुई
ईरानी महिलाओं की आइस हॉकी की टीम ने पिछले साल पहली बार एशिया और प्रशांत क्षेत्र में होने वाले खेल में उप विजेता का ख़िताब जीता था।
इस्राईल दुनिया के लिए सबसे स्पष्ट ख़तरा : अमीर अब्दुल्लाहियान
इस्लामी गणतंत्र ईरान के विदेशमंत्री ने कहा है कि इस्राईल दुनिया के लिए सबसे स्पष्ट ख़तरा है और उन्होंने विश्व समुदाय का आह्वान किया है कि यह अतिग्रहणकारी और अपारथाइड सरकार विश्व की सुरक्षा को जिस खतरे में डाल रही है उससे निपटने के लिए वह ठोस दृष्टिकोण अपनाये।
विदेशमंत्री ने जनेवा में राष्ट्रसंघ के मुख्यालय में परमाणु निरस्त्रीकरण की कांफ्रेन्स में कहा कि ईरान समस्त परमाणु हथियारों को बिल्कुल से खत्म कर देने का आह्वान करता है और तेहरान का मानना है कि परमाणु हथियार अप्रसार संधि NPT के अनुसार जो देश परमाणु हथियारों से सम्पन्न हैं वे प्रभावी वार्ता करें और उसके परिणाम में परमाणु हथियारों को नष्ट करें।
अमीर अब्दुल्लाहियान ने इस कांफ्रेन्स में कहा कि इराक की बासी सरकार ने ईरान के खिलाफ जिन रासायनिक हथियारों का प्रयोग किया उसकी वजह से ईरान द्वितीय विश्व युद्ध के बाद सामूहिक विनाश के हथियारों की भेंट चढ़ने वाला सबसे बड़ा देश है। विदेशमंत्री ने कहा कि खेद की बात है कि पश्चिम एशिया को परमाणु हथियारों से मुक्त क्षेत्र बनाने के लिए हमारा सामूहिक प्रयास अमेरिका और उसके घटकों के क्रियाकलापों और इस्राईल की परमाणु गतिविधियों के समर्थन के कारण परिणामहीन रहा है। इसी प्रकार विदेशमंत्री ने कहा कि पश्चिम एशिया को परमाणु हथियार रहित बनाये जाने का सुझाव पहली बार ईरान ने वर्ष 1974 में दिया था
आज इस्लामी गणतंत्र ईरान दिवस राष्ट्रीय उत्साह के साथ मनाया जा रहा है
गणतंत्र दिवस के अवसर पर, पूरे ईरान में विभिन्न स्थानों पर इस्लामी गणतंत्र ईरान का झंडा स्थापित और फहराया जाता है, और राजधानी तेहरान सहित ईरान के हर शहर और कस्बे में विशेष कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं।
आज ईरान में इस्लामिक गणतंत्र दिवस है. आज ही के दिन साल 1989 में ईरान की इस्लामिक क्रांति की सफलता के महज दो महीने के भीतर ही इस्लामिक क्रांति के संस्थापक के आदेश पर जनमत संग्रह कराया गया था. , इमाम ख़ुमैनी। जिसके अंतर्गत इस्लामी लोकतांत्रिक व्यवस्था या किसी अन्य व्यवस्था का प्रश्न ईरानी जनता के समक्ष प्रस्तुत किया गया, जिसमें अट्ठानवे प्रतिशत मतदाताओं ने इस्लामी लोकतांत्रिक व्यवस्था के पक्ष में मतदान किया और एक नया इतिहास रचा।
इस दिन की स्मृति में, ईरान में हर जगह इस्लामी गणतंत्र ईरान का झंडा स्थापित और फहराया जाता है, और राजधानी तेहरान सहित ईरान के हर शहर और कस्बे में विशेष कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं।
इस दिन, ईरानी लोग संस्थापक क्रांति और इस्लामी गणतंत्र ईरान के मूल्यों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराते हैं और इस प्रणाली को और अधिक स्थिर बनाने के लिए अपने दृढ़ संकल्प की पुष्टि करते हैं। एक बड़ी सभा को संबोधित करेंगे। उल्लेखनीय है कि विशेष संदेश भी हैं इस अवसर पर विभिन्न राष्ट्रीय संस्थाओं एवं संगठनों द्वारा जारी किये गये।
अल-शफा अस्पताल और उसके आसपास कयामत सुग़रा के दृश्य
गाजा में फ़िलिस्तीनी सरकार के सूचना कार्यालय ने घोषणा की है कि अल-शफ़ा अस्पताल के आसपास 4,000 से अधिक फ़िलिस्तीनी शहीद हो गए हैं।
गाजा में फ़िलिस्तीनी सरकार के सूचना कार्यालय ने घोषणा की है कि ज़ायोनी सैनिकों ने अल-शफ़ा अस्पताल के आसपास के 1,500 घरों को नष्ट कर दिया और आग लगा दी।
रिपोर्ट के मुताबिक, ज़ायोनी सैनिकों ने गाजा में अल-शफ़ा अस्पताल के आसपास के इलाकों को निशाना बनाया और 4,000 से अधिक फ़िलिस्तीनियों को मार डाला। इस कार्यालय ने ज़ायोनी अपराधों पर अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की चुप्पी की निंदा की और संपूर्ण संकट की स्थिति के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को दोषी ठहराया। दूसरी ओर, गाजा में कमल अदवान अस्पताल के प्रमुख ने कहा है कि अस्पताल में चिकित्सा कर्मचारी बहुत कठिन परिस्थितियों का सामना कर रहे हैं और घायलों को नवीनतम चिकित्सा संसाधनों की आवश्यकता है जिनकी वर्तमान में कमी है और घायलों को रक्त की भी आवश्यकता है जो उपलब्ध है। नहीं है।
फ़िलिस्तीनी रेड क्रिसेंट सोसाइटी का यह भी कहना है कि फ़िलिस्तीनियों के विस्थापन के कारण गाजा में स्वच्छता की स्थिति बद से बदतर होती जा रही है।
अमेरिकी और इजराइली उत्पादों का बहिष्कार
गाजा में फिलिस्तीनियों के साथ एकजुटता दिखाने और क्रूर ज़ायोनी अपराधों की निंदा करने के लिए इराकी लोग शनिवार रात बगदाद के तहरीर चौक पर एकत्र हुए।
इराकी प्रदर्शनकारियों ने गाजा के लोगों के साथ एकजुटता व्यक्त की और दमनकारी ज़ायोनी सरकार के लिए अमेरिकी समर्थन के प्रति अपनी घृणा और घृणा व्यक्त की और अमेरिकी और इजरायली उत्पादों का बहिष्कार करने की आवश्यकता पर जोर दिया।
इराकी प्रदर्शनकारियों ने अमेरिकी और इजरायली उत्पादों के बहिष्कार के समर्थन में और ज़ायोनी कब्जेदारों के प्रति अरब शासकों की उदासीनता की निंदा करते हुए नारे लिखे बैनर ले रखे थे।
इराकी प्रदर्शनकारियों ने ज़ायोनी अपराधों की निंदा की और फ़िलिस्तीनी प्रतिरोध आंदोलन के साथ अपनी एकजुटता व्यक्त की।
हजारों जॉर्डन फ़िलिस्तीनी समर्थकों ने भी फ़िलिस्तीनियों का समर्थन किया और ज़ायोनी अपराधों की निंदा की और अम्मान में ज़ायोनी दूतावास के सामने एकत्र हुए।
मोरक्को में भी हजारों लोग फिलिस्तीन के समर्थन में प्रदर्शन करने के लिए सड़कों पर उतरे.
मोरक्को की राजधानी रबात में, हजारों लोगों ने फिलिस्तीन के समर्थन में बैनर और तख्तियां पकड़ रखी थीं और फिलिस्तीनियों के साथ एकजुटता व्यक्त की और कब्जा करने वाली ज़ायोनी सरकार के अत्याचारों की निंदा की। इसी तरह के सार्वजनिक प्रदर्शन मिस्र समेत कई अरब देशों में भी हुए.
अंतरराष्ट्रीय समुदाय की चुप्पी पर फ़िलिस्तीनी अथॉरिटी की आलोचना
फ़िलिस्तीनी प्राधिकरण के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय एक ओर ज़ायोनी सरकार से नागरिकों के नरसंहार को रोकने का अनुरोध कर रहा है और दूसरी ओर इस नरसंहार सरकार को हथियार भेज रहा है और यह खुला पाखंड है।
फिलिस्तीन के विदेश मंत्रालय ने एक बयान में गाजा में लोगों के नरसंहार, उन्हें भूखा-प्यासा रखने, इलाज और चिकित्सा सेवाओं से वंचित करने और निर्दोष लोगों को निर्वासित करने की निंदा की.
फ़िलिस्तीनी विदेश मंत्रालय ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय अब तक इज़राइल को सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों और अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय के निर्णयों का पालन करने में विफल रहा है, फिर भी वह कोई वास्तविक दबाव नहीं डाल रहा है या थोपने का संकेत भी नहीं दे रहा है। प्रतिबंध. हो गया है
फिलिस्तीनी विदेश मंत्रालय ने कहा कि आश्चर्यजनक मुद्दा कुछ देशों की स्थिति है जिसमें वे एक तरफ ज़ायोनी प्रधान मंत्री नेतन्याहू से युद्ध रोकने की मांग करते हैं और साथ ही इज़राइल को हथियार भेजने की मांग करते हैं और यह एक खुला नैतिक विरोधाभास है .यह इन देशों के रुख में गंभीरता की कमी को दर्शाता है۔
ज़हर से बुझी तलवार से हज़रत अली के सिर पर वार
इमाम अली अलैहिस्सलाम की शहादत के बारे में कहा जाता है कि जिस रात नमाज़ के दौरान उनके सिर पर तलवार से वार किया गया उस रात वे अपनी एक बेटी "उम्मे कुलसूम" के घर इफ़तार पर मेहमान थे। इफ़तार के समय उन्होंने बहुत ही कम खाना खाया। हज़रत अली ने केवल तीन निवाले खाए और वे उपासना करने में लीन हो गए। इस रात वे बहुत ही व्याकुल दिखाई दे रहे थे। उस रात वे बारबार आसमान की ओर देखते थे। जैसे-जैसे इफ़्तार का समय निकट होता जा रहा था उनकी व्याकुलता बढ़ती जा रही थी। इसी रात उन्होंने कहा था कि न तो मैं झूठ बोलता हूं और न ही जिसने मुझको ख़बर दी है वह झूठ बोलता है। जिस रात का मुझसे शहादत का वादा किया गया है वह यही रात है। अंततः रात अपने अंत की ओ बढ़ी और हज़रत अली फज्र की नमाज पढ़ने के उद्देश्य से मस्जिद की ओर बढ़े।
जिस समय हज़रत अली अलैहिस्सलाम नमाज़ पढ़ने के लिए अपने घर से मस्जिद के लिए निकल रहे थे तो घर में पली हुई बत्तख़ों ने इस प्रकार से उनका रास्ता रोका कि वे उन्होंने अपनी चोंच से इमाम की अबा को पकड़ लिया। घरवालों ने जब इन बत्तख़ों को इमाम से दूर करना चाहा तो उन्होंने कहा कि उनको छोड़ दो। इनको इनके हाल पर छोड़ दो। अपने पिता के व्यवहार और उनकी बातों को सुनकर उम्मे कुलसूम परेशान हो गई। उनको संबोधित करते हुए इमाम अली ने कहा कि ईश्वर ने जो लिख दिया उसे काटा नहीं जा सकता। इतना कहने के बाद हज़रत अली पूरी दृढ़ता के साथ मस्जिद की ओर बढ़े।
हज़रत अली अलैहिस्साम मस्जिद पहुंचे और उन्होंने नमाज़ पढ़ना शूर की। वे जैसे ही सजदे में गए, "इब्ने मुल्जिम" नामक दुष्ट व्यक्ति ने ज़हर से बुझी तलवार से हज़रत अली के सिर पर वार किया। तलवार के सिर पर लगते ही उससे ख़ून निकलने लगा। तलवार का घाव बहुत गहरा था जिसके कारण उनके शरीर का बहुत सा ख़ून वहीं पर बह गया। अपने सिर पर तलवार का वार पड़ने के बाद हज़रत अली ने कहा था कि काबे के रब की सौगंध में सफल हो गया।
हज़रत अली और ईश्वर के बीच नमाज़ सबसे अच्छा संपर्क थी। नमाज़ की हालत में वे ईश्वर के अतिरिक्त किसी अन्य के बारे में नहीं सोचते थे। नमाज़ की हालत में सिर पर ज़हरीली तलवार खाने के बाद उन्होंने अपने परिजनों के लिए जो वसीयत की उसमें उन्होंने कहा था कि नमाज़ें पढ़ों और उनकी सुरक्षा करो क्योंकि वे धर्म का स्तंभ हैं। नमाज़ के संदर्भ में शेख अबूबक्र शीराज़ी अपनी एक पुस्तक में लिखते हैं कि परहेज़ करने वालों के बारे में सूरे ज़ारेयात की आयत संख्या 17 और 18 में ईश्वर कहता है कि वे लोग रात में बहुत ही कम सोते हैं और भोर समय ईश्वर से पश्चाताप करते हैं। यह आयतें हज़रत अली के बारे में हैं। इसका कारण यह है कि हज़रत अली अलैहिस्सलाम, रात के अधिकांश भाग में उपासना करते थे और रात के आरंभिक हिस्से में सोते थे। नमाज़ के बारे में हज़रत अली अलैहिस्सलाम का बहुत ही मश्हूर कथन है कि इससे पहले कि कोई भी मुसलमान नमाज़ पढ़ता, मैं सात वर्षों तक पैग़म्बरे इस्लाम (स) के साथ नमाज़ पढ़ चुका था।
हज़रत अली अलैहिस्सलाम ने कूफे की मस्जिद में अपनी अन्तिम नमाज़ में यह बात कही थी कि मैं सफल हो गया। उन्होंने एक छोटे से वाक्य के माध्यम से यह बताया कि शहादत के लिए वे कितने व्याकुल थे। तलवार से घायल हो जाने के बाद जब कूफ़ावासियों ने इमाम अली के बारे में जानना चाहा तो आपने कहा कि ईश्वर की सौगंध मेरे साथ एसा कुछ नहीं हुआ जो मैं न चाहता हूं। मुझको शहादत की प्रतीक्षा थी जो मुझको हासिल हो गई। मेरी स्थिति वैसी ही है जैसे कोई अंधेरी रात में किसी मरूस्थल में पानी की खोज में हो और एकदम से उसे पानी का सोता मिल जाए। उन्होंने कहा कि मेरी मिसाल उस ढूंढने वाले व्यक्ति की सी है जिसे अपनी मेहनत का फल मिल जाए।
हज़रत अली द्वारा किये गये सुधार
अपने पाँच वर्षीय शासन काल मे विभिन्न युद्धों, विद्रोहों, षड़यन्त्रों, कठिनाईयों व समाज मे फैली विमुख्ताओं का सामना करते हुए हज़रत अली ने तीन क्षेत्रो मे सुधार किये जो निम्ण लिखित हैं।
अधिकारिक सुधार
उन्होने अधिकारिक क्षेत्र मे सुधार करके जनता को समान अधिकार प्रदान किये। शासन की ओर से दी जाने वाली धनराशी के वितरण मे व्याप्त भेद भाव को समाप्त करके समानता को स्थापित किया। उन्होंने कहा कि निर्बल व्यक्ति मेरे समीप हज़रतहैं मैं उनको उनके अधिकार दिलाऊँगा।व अत्याचारी व्यक्ति मेरे सम्मुख नीच है मैं उनसे दूसरों के अधिकारों को छीनूँगा।
आर्थिक सुधार
हज़रतअली ने आर्थिक क्षेत्र मे यह सुधार किया कि जो सार्वजनिक सम्पत्तियां तीसरे ख़लीफ़ा ने समाज के कुछ विशेष व्यक्तियों को दे दी थीं उनसे उनको वापिस लिया। तथा जनता को अपनी नीतियों से अवगत कराते हुए कहा कि मैं तुम मे से एक हूँ जो वस्तुऐं मेरे पास हैं वह आपके पास भी हैं। जो कर्तव्य आप लोगों के हैं वह मेरे भी हैं। (अर्थात मैं आप लोगों से भिन्न नही हूँ न आपसे कम कार्य करता हूँ न आप से अधिक सम्पत्ति रखता हूँ)
प्रशासनिक सुधार
हज़रतअली (अ0) ने प्रशासनिक क्षेत्र मे सुधार हेतू दो उपाये किये।
(1) तीसरे ख़लीफ़ा द्वारा नियुक्त किये गये गवर्नरो को निलम्बित किया।
(2) भ्रष्ट अधिकारियों को पदमुक्त करके उनके स्थान पर ईमानदार व्यक्तियों को नियुक्त किया।