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तेहरान के इमामे जुमा मुहम्मद हसन अबूतोराबी फ़र्द ने कहा है कि करबला की घटना हमें सही जीवन व्यतीत करने का मार्ग बताती है।

हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लेमीन मुहम्मद हसन अबूतोराबी फ़र्द ने जुमे के ख़ुत्बे में कहा है कि इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम, राष्ट्रों के लिए आदर्श हैं जिन्होंने पूरी दुनिया को स्वाभिमान और स्वतंत्रता का पाठ दिया है।  उन्होंने कहा कि ईरान पर थोपे गए युद्ध के दौरान प्रतिरक्षा को हुसैनी आदर्श ने सुदृढ बनाया।  अबूतोराबी फ़र्द ने कहा कि इसी प्रतरक्षा ने लेबनान और इराक़ के प्रतिरोधकर्ताओं को हिम्मद दी जिसके सहारे उन्होंने वर्चस्ववाद का डटकर मुक़ाबला किया।

ज्ञात रहे कि ईरान में आज ग्यारह मुहर्रम है जबकि भारत और पाकिस्तान में शुक्रवार को दस मुहर्रम है।  उल्लेखनीय है कि इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम ने अपने करबला आन्दोलन को स्पष्ट करते हुए कहा था कि मेरा लक्ष्य अच्छाइयों को फैलाना और बुराइयों को रोकना तथा अत्याचार का मुक़ाबला करना है।  उन्होंने कहा था कि मैं पवित्र क़ुरआन और इस्लाम की सुरक्षा करना चाहता हूं।

 

तेहरान की केन्द्रीय नमाज़े जुमा के इमाम ने इराक़ी कुर्दिस्तान में आतंकी संगठन के सरग़नाओं की बैठक पर पासदाराने इंक़ेलाब फ़ोर्स आईआरजीसी के मिसाइल हमले का हवाला देते हुए कहा कि इस कार्यवाही ने ईरान की इंटैलीजेन्स ताक़त का प्रदर्शन किया और यह क्षेत्रीय तथा क्षेत्र से बाहर के दुशमनों के लिए गंभीर वार्निंग है।

केन्द्रीय नमाज़े जुमा के इमाम हुज्जतुल इस्लाम वल मुसलेमीन काज़िम सिद्दीक़ी ने नमाज़े जुमा के ख़ुतबों में कहा कि युद्ध और प्रतिबंधों से डर जाना आशूर की संस्कृति से विरोधाभास रखता है। उन्होंने कहा कि ईरानी राष्ट्र चालीस साल से आशूर के मार्ग पर आगे बढ़ रहा है और वह बड़ी शक्तियों का मुक़ाबला करके उन्हें पराजित करता रहा है।

अल-नशरा न्यूज साइट के मुताबिक बताया कि पहली कुरानिक प्रदर्शनी "सोहुफ" के नाम से सोमवार 23 जुलाई को बेरूत के यूनिकोस पैलेस में शुरू होगी।
कुरान, प्रिंट और दुर्लभ और पुराने कुरानिक यंत्रों की पांडुलिपियां उन कार्यों में से हैं जो आगंतुकों द्वारा प्रदर्शित की जाएग़ी।
लेबनान की सर्वोच्च शिया संसद के सभापति शेख अब्दुल अमीर कोबलान कुरान प्रदर्शनी विशेष अतिथि हैं।

 

उस्मान खान अलीम एफ़ मुफ्ती और उज़्बेकिस्तान के मुस्लिम बोर्ड के प्रमुख ने घोषणा कीः2018 की शुरुआत के बाद से जुलाई तक उजबेकिस्तान में 13 नई मस्जिदों ने अपनी गतिविधियां शुरू कर दी हैं और इस कुल में से केवल "सरख़ानदरया" प्रांत में सात नई मस्जिदें स्थापित की गई हैं।
 
उजबेकिस्तान में ईरानी सांस्कृतिक सलाहकार ने इस घोषणा के साथ कहा: मुफ़्ती उस्मान ख़ान अलीमोव ने इस रिपोर्ट की अपने भाषण में जो कि अंतर्राष्ट्रीय संघ " उज़्बेक और कज़ाख ब्रदर के लोगों के आम मूल्य" जो कि कजाकिस्तान में उजबेकिस्तान की वार्षिक योजनाओं के ढांचे में आयोजित किया गया था,घोषणा की है।

 

क़ाफ कुरआनी न्यूज साइट के मुताबिक बताया कि कुरान के विशेष पाठ्यक्रमों के संयोजक अली खज़ाई ने कहा कि इराकी विश्वविद्यालयों और शैक्षणिक केंद्रों के दर्जनों छात्र कुरान के इस विशेष पाठ्यक्रम ल में भाग ले रहे हैं।
उन्होंने कहा कि विशेष कुरान पाठ्यक्रमों के प्रतिभागी, जो आठ दिनों तक चला और प्रति दिन तीन बार आयोजित हुए, कुरानिक विज्ञान और मानव विकास के संबंध में एक कोर्स पढ़ाया ग़या ताकि अवधि के अंत में वे कुरानिक काल में अध्ययन कर सकें अपने प्रांतों में आयोजित पाठ्यक्रमों में एक शिक्षक के रूप में रहें।
अल-खज़ाई ने जारी रखते हुए कहा कि, यह कुरानिक पाठ्यक्रम में विशेषज्ञ प्रोफेसरों की देखरेख में प्रस्तुत किए जा रहे हैं, उन्होंने कहा: "सय्यद मुर्तज़ा जलालुद्दीन कुरानिक विज्ञान," शेख खैरुद्दीन अली अल-हादी "वक्फ और इब्तेदा में," अली ओबुद अल-ताई तज्वीद में, सफा अल- सयालावी, मानव विकास और फलाह जलीफ आवाज़ व लहन का दरस दिया।

इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने बल देकर कहा है कि फ़िलिस्तीन के बारे में अमरीका की शैतानी चाल कभी सफल नहीं होगी।

आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने सोमवार को हज समिति के सदस्यों से मुलाक़ात में मुसलमानों से मुक़ाबले विशेष कर फ़िलिस्तीन समस्या और यमन के मामले पर दुश्मनों का ध्यान केंद्रित होने की तरफ़ इशारा करते हुए कहा कि अब अमरीकियों ने फ़िलिस्तीन के बारे में अपनी शैतानी नीति का नाम "डील आफ़ द सेंचुरी" रख दिया है लेकिन उन्हें जान लेना चाहिए कि ईश्वर की कृपा से यह डील कभी भी व्यवहारिक नहीं होगी और अमरीकी अधिकारियों की इच्छा के विपरीत फ़िलिस्तीन समस्या को भुलाया नहीं जाएगा और बैतुल मुक़द्दस फ़िलिस्तीन की राजधानी बना रहेगा।

 

इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने इस बात पर बल देते हुए कि फ़िलिस्तीनी राष्ट्र इस साज़िश के मुक़ाबले में डटा रहेगा और मुस्लिम राष्ट्र भी फ़िलिस्तीनी जनता का समर्थन करेंगे, कहा कि कुछ मुस्लिम सरकारें, जो इस्लाम पर तनिक भी विश्वास नहीं रखतीं, अपनी मूर्खता, अज्ञानता और सांसारिक लोभ के कारण अमरीकियों की पिछलग्गू बन गई हैं लेकिन ईश्वर की कृपा से इस्लामी समुदाय और फ़िलिस्तीनी राष्ट्र अपने दुश्मनों पर विजयी रहेगा और वह दिन अवश्य देखेगा जब फ़िलिस्तीन की धरती से जाली ज़ायोनी शासन की जड़ें उखड़ जाएंगी।

 

आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने इसी तरह वर्ष 2015 में मस्जिदुल हराम और मिना की दो त्रासदियों की तरफ़ इशारा करते हुए इसे एक बड़ा अत्याचार बताया और अधिकारों की बहाली के लिए निरंतर और गंभीर प्रयास जारी रखने की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि इस मांग को कभी भी भुलाया नहीं जाना चाहिए क्योंकि इन दो त्रासदियों में हाजियों की रक्षा का पालन नहीं किया गया जो सऊदी सरकार का सबसे बड़ा दायित्व है और मारे गए लोगों की मौत का हर्जाना भी नहीं दिया गया।

 

इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने इस बात पर बल देते हुए कि काबा, मस्जिदुल हराम और मस्जिदुन्नबी उस धरती पर शासन करने वालों से नहीं बल्कि संसार के सभी मुसलमानों से संबंधित हैं, कहा कि किसी को भी यह अधिकार नहीं है कि वह हज के सही संस्कारों में रोड़े अटकाए और अगर कोई सरकार एेसा करती है तो वास्तव में उसने ईश्वर के मार्ग मेें बाधा उत्पन्न की है।  

भारतीय सूत्रों का कहना है कि भारत सरकार ने इस देश में ईरानी बैंक बनाने के बारे में सहमति दी है।

एक भारतीय समाचार पत्र के अनुसार भारत के एक मंत्री पियूश गोयल का कहना है कि भारत की केन्द्रीय बैंक ने भी इसे उचित बताया है।  इस हिसाब से ईरान के विरुद्ध अमरीका के नए प्रतिबंधों से पहले भारत के मुंबई नगर में ईरान की बैंक "पासारगाद" की एक शाखा खोली जाएगी।

फाइनेंशियल ट्रिब्यून के अनुसार इससे पहले भारत की केन्द्रीय बैंक एलान कर चुकी है कि वह देश में ईरान की तीन बैंको की शाखाएं अपने यहां खोलने की समीक्षा कर रहा है।  पिछले कुछ वर्षों के दौरान भारत तथा ईरान के बीच बैंकिंग सिस्टम न होने के कारण व्यापारिक लेन-देन में तरह-तरह की समस्याएं आती रही हैं।

ज्ञात रहे कि 8 मई 2018 को अमरीकी राष्ट्रपति की ओर से परमाणु समझौते से एकपक्षीय रूप में निकलन जाने के बाद अमरीका की ओर से यह कहा गया था कि वह अगले तीन से छह महीनों के भीतर ईरान के विरुद्ध नए प्रतिबंध लगाने जा रहा है।  अमरीका के इस फैसले की व्यापक स्तर पर निंदा की गई थी।

 

इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने बल देकर कहा है कि आवश्यक क़दम उठाने पर ईरान की सरकार, समस्याओं का समाधान कर सकती है। उन्होंने कहा कि इस प्रकार से अमरीकी षडयंत्रों को विफल बना दिया जाएगा।

आयतुल्लाहिल उज़्मा सैयद अली ख़ामेनेई ने रविवार की सुबह तेहरान में राष्ट्रपति हसन रूहानी और मत्रिमण्डल के सदस्यों से भेंट की।  उन्होंने यूरोप में ईरानी राष्ट्रपति के बयान को महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि विदेशियों विशेषकर अमरीकियों के सामने अपने महत्व को दर्शाना आवश्यक है।  वरिष्ठ नेता ने कहा कि इस काम को उचित अवसर पर पूरी दृढ़ता के साथ किया जाए।

इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने देश की क्षमताओं के आधार पर पूरी गंभीरता के साथ काम करने की ओर संकेत करते हुए कहा कि अब यूरोपीय पक्ष की ज़िम्मेदारी बनती है कि वह परमाणु समझौते या जेसीपीओए के बारे में आवश्यक गारेंटी को सुनिश्चित बनाए।  इसी के साथ उन्होंने कहा कि एेसा न हो कि देश की अर्थव्यवस्था को उससे जोड़ा जाए। 

आयतुल्लाहिल उज़्मा सैयद अली ख़ामेनेई ने विदेश नीति तथा कूटनीति को अति सक्रिय बनाने की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि अमरीका जैसों को छोड़कर पूरब और पश्चिम के देशों के साथ संबन्धों को अधिक से अधिक विस्तृत बनाया जाए। 

वरिष्ठ नेता ने देश के लिए स्थिरआर्थिक रोडमैप को आवश्यक बताया।  उन्होंने कहा कि यदि स्थिर रोडमैप तैयार कर लिया जाए तो फिर देश की जनता और अर्थजगत से जुड़े लोग अपनी ज़िम्मेदारियां निभाएंगे और सरकार की सहायता के लिए आगे आएंगे।

 

गज़्जा पट्टी पर इस्राईली युद्धक विमानों ने शनिवार को भीषण बमबारी की है जिसमें अब तक दो फिलिस्तीनी बच्चों के शहीद होने और 15 अन्य के घायल होने की खबर है।

इस्राईली बमबारी का जवाब देते हुए फिलिस्तीनी गुटों ने भी ज़ायोनी बस्तियों पर 301 राकेट दागे। 

इस्राईली सेना ने शनिवार को आरंभ होने वाली झड़प का ब्योरा देते हुए बताया है कि कुछ ही घंटों के दौरानस 170 से अधिक राकेट, यहूदी बस्तियों पर दागे गये जिनमें से केवल 30 को ही आयरन डोन एन्टी मिसाइल व्यवस्था , तबाह कर पायी। 

इस्राईली सेना के बयान में बताया गया है कि 100 से अधिक राकेट गज़्ज़ा के निकट स्थिति यहूदी बस्तियों में गिरे और आयरन डोम केवल 30 राकेटों को हवा में ही तबाह करने में कामयाब रहा है। 

टाइम्ज़ आॅफ इस्राईल ने लिखा है कि राकेट हमलों के बाद इ्सराईल ने हमास के 40 ठिकानों पर हवाई हमले  किये। 

इस्राईल ने फिलिस्तीनियों के राकेट हमलों से होने वाली हानि के ब्योरा नहीं दिया और केवल इतना बताया है कि इन हमलों में उसके तीन सैनिक घायल हो गये। 

मीडिया पर भी हमले के नुकसान का ब्योरा देने पर प्रतिबंध है। 

इस्राईली सेना ने शनिवार को गज़्ज़ा पट्टी को तोपखाने और युद्धक विमानों से निशाना बनाया। इस्राईल ने अपने इस हमले को सन 2014 के बाद गज़़्ज़ा के खिलाफ सब से बड़ी कार्यवाही कहा है। 

इस्राईल की ओर से व्यापक हमलों के बाद फिलिस्तीनियों ने यहूदी बस्तियों पर राकेट दागे  किंतु इस्राईल का दावा है कि पहले हमले हुए फिर उसने बमबारी है। 

इसी मध्य फिलिस्तीनी प्रतिरोध मोर्चे, जेहादे इस्लामी ने रविवार की सुबह कहा है कि मिस्र की मध्यस्थता से गज़्ज़ा पट्टी में फिलिस्तीनियों और इस्राईल के मध्य युद्ध विराम हो गया है।  

 

तेहरान के अस्थाई इमामे जुमा ने कहा है कि ईरान तेज़ी से उभरती हुई शक्ति है और उसके विकास और प्रगति की रफ़्तार को कदापि नहीं रोका जा सकता।

तेहरान की केन्द्रीय नमाज़े जुमा मुहम्मद हसन अबू तुराबी की इमामत में अदा की गयी। उन्होंने नमाज़े जुमा के अपने भाषण में अमरीकी-सऊदी और ज़ायोनी अधिकारियों को संबोधित करते हुए कहा कि ईरान की तीव्र प्रगति और विकास को किसी भी क़ीमत पर नहीं रोका जा सकता क्योंकि ईरान तेज़ी के साथ उभरती हुई शक्ति में बदल चुका है।

उन्होंने कहा कि ईरान की राजनैतिक, प्रतिरक्षा, सुरक्षा और विज्ञान के क्षेत्रों में शक्ति अनुदाहरणीय और असमान्य है। तेहरान के इमामे जुमा ने कहा कि यह शक्ति प्रतिरोधक मोर्चे के गठन और वर्चस्ववादी व्यवस्था के विरुद्ध  युद्ध के मैदान में सफलता और पवित्र प्रतिरक्षा के दौरान ईरानी जियालों के बलिदानों और ईरानी जनता के धैर्य और साहस का परिणाम है। 

तेहरान के इमामे जुमा ने ईरान पर आर्थिक दबाव डालने के दुश्मनों के षड्यंत्रों की ओर संकेत करते हुए कहा कि ईरान के अर्थशास्त्री और अधिकारी, युक्ति अपनाकर ईरान को एशिया में एक बड़ी आर्थिक शक्ति और दुनिया के आर्थिक मामलों में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करने वाले देश में परिवर्तित कर देंगे और दुश्मन अपने इस षड्यंत्र में भी विफल रहे।

तेहरान के इमामे जुमा ने कहा कि इस्लामी गणतंत्र ईरान ईश्वरीय शिक्षाओं पर आधारित अपना मिशन जारी रखेगा और हर दिन नये नये मोर्चे जीतता रहेगा।