
رضوی
हज़रत अली अकबर अलैहिस्सलाम
आपका नामे नामी अली इब्ने हुसैन था।
उपनाम
आपका लक़ब अकबर था।
माता पिता
हज़रत अली अकबर अलैहिस्सलाम के पिता हज़रत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम व आपकी माता हज़रते लैला बिन्ते अबीमुर्रा बिन उरवा बिन मसऊदे सक़फी थी।
जन्म तिथि व जन्म स्थान
हज़रत अली अकबर अलैहिस्सलाम की जन्म तिथि के बारे मे कोई खास सबूत नही मिलते लेकिन कहा जाता है कि आप 11 शाबान सन् 33 हिजरी मे शहरे मदीना मे दुनिया मे आऐ ।
मुशाबेहते रसुले अकरम
रिवायात मे आया है कि आप किरदार, गुफ्तार और तमाम सिफात मे रसुले अकरम (स.अ.व.व.) से बेइन्तेहा मुशाबेहत रखते थे ।
सफरे करबला मे आपका एक क़ौल
एक मरतबा करबला के रास्ते मे इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम ख्वाब से बेदार हुए तो आपने इन्ना लिल्लाहे व इन्ना इलैहे राजेऊन पढ़ा ये देख कर जनाबे अली अकबर अ. स. ने इसकी वजह मालूम की तो इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम ने जवाब दिया कि अभी मैने ख्वाब मे देखा है कि कोई कह रहा है कि ये क़ाफिला मौत की तरफ जा रहा है तो जनाबे अली अकबर अलैहिस्सलाम ने सवाल किया कि ऐ बाबा क्या हम हक़ पर नही हैं तो इमाम ने जवाब दियाः क्युं नही बेटा ।
ये सुनकर जनाबे अली अकबर अ.स. ने फरमाया कि जब हम हक़ पर है तो राहे खुदा मे मरने मे कोई खौफ नही।
पहला शहीद
मक़ातील मे मिलता है कि बनीहाशिम मे सब से पहले मैदाने जंग मे जाने वाले जनाबे अली अकबर अलैहिस्सलाम ही थे।
शहादत
आप करबला के मैदान मे 10 मौहर्रम सन् 61 हिजरी मे दीने हक़ और अपने वालीद का दिफा करते हुऐ दरजाए शहादत पर फाएज़ हुऐ।
समाधि
हज़रत इमाम सादिक़ अलैहिस्सलाम की एक रिवायत के मुताबिक़ जनाबे अली अकबर अलैहिस्सलाम को करबला मे इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम के क़दमो की तरफ दफ्न किया गया है।
सैकड़ों क़ैदियों की सज़ाओं में माफी या कमी, सुप्रीम लीडर द्वारा मंज़ूरी
हज़रत आयतुल्लाहिल उज़्मा सैयद अली ख़ामनेई ने ईदे माबअस, माहे शाबानुल मुअज़्ज़म और इस्लामी इंक़लाब की सालगिरह के मुबारक मौके पर तीन हज़ार से ज़्यादा क़ैदियों की सज़ा में माफी या कमी या तब्दीली की मंज़ूरी दी है।
एक रिपोर्ट के अनुसार,हज़रत आयतुल्लाहिल उज़्मा सैयद अली ख़ामनेई ने ईदे माबअस, माहे शाबानुल मुअज़्ज़म और इस्लामी इंक़लाब की सालगिरह के मुबारक मौके पर तीन हज़ार से ज़्यादा क़ैदियों की सज़ा में माफी या कमी या तब्दीली की मंज़ूरी दी है।
रिपोर्ट के मुताबिक, ईरानी अदलिया (न्यायपालिका) के प्रमुख हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन ग़ुलाम हुसैन मुहसिनी अजेहई ने रहबर-ए-इंक़लाब को एक खत भेजकर दरख्वास्त की थी कि इन मुबारक दिनों की मुनासिबत से 3,126 क़ैदियों की सज़ाओं में नरमी बरती जाए।
यह क़ैदी आम और इंक़लाबी अदालतों, सशस्त्र बलों की न्यायिक व्यवस्था और सरकारी सज़ाओं से जुड़े विभिन्न मामलों से संबंधित हैं।
रहबर-ए-इंक़लाब ने इस दरख्वास्त को मंज़ूर करते हुए इन क़ैदियों की सज़ाओं में कमी, माफी या तब्दीली का हुक्म जारी कर दिया इस क़दम को सामाजिक न्याय और इस्लामी परंपराओं के अनुसार रहमत और दरगुज़र की नीति का सिलसिला क़रार दिया जा रहा है।
सीरिया में अमरीकी गठबंधन का हमला, दस नागरिकों की मौत।
सीरिया के दस नागरिक अमरीकी गठबंधन की बमबारी का फिर शिकार हुए हैं।
प्रेस टीवी के अनुसार तथाकथित दाइश विरोधी अमरीकी गठबंधन के हमले में सीरिया के कम से कम 10 और नागरिकों की मौत हो गई।
यह हमला सीरिया के रक़्क़ा में स्थित अद्दीरिया में किया गया। मृतकों में एक ही परिवार के 7 सदस्य शामिल हैं।इससे पहले भी सीरिया और इराक़ में अमरीका के हवाई हमलों में बहुत से आम नागरिक मारे जा चुके हैं।अमरीका ने आतंकवाद के विरुद्ध संघर्ष की आड़ में सीरिया और इराक़ में बहुत से आम लोगों की हत्याएं की हैं। इराक़ तथा सीरिया में सक्रिय आतंकवादियों से संघर्ष के नाम पर अमरीका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा के शासनकाल में एक गठबंधन बनाया गया था जिसका काम आतंकवादियों के विरुद्ध लड़ाई लड़ना था किंतु व्यवहारिक रूप में हुआ इसके बिल्कुल विपरीत। अमरीका के तथाकथित आतंकवाद विरोधी अभियान में सामान्यतः आम नागरिक ही मारे जाते हैं जिसका ताज़ा उदाहरण रक़्क़ा में 10 सीरियन नागरिकों की मौत है।
समाज को शांति और प्रेम की नींव पर स्थापित किया जाना चाहिए
सय्यद मीर बाक़री ने कहा: अगर हम असली शांति के इच्छुक हैं तो समाज को विश्वास और प्रेम की नींव पर स्थापित किया जाना चाहिए।
हुज्जतुल इस्लाम वल मुसलेमीन सय्यद मुहम्मद महदी मीर बाक़री ने महिला धार्मिक मदरसो के मैनेजमेंट के आयतुल्लाह शरई हॉल में "औरत, परिवार और सुरक्षा" के शीर्षक पर आयोजित राष्ट्रीय सेमिनार के समापन कार्यक्रम में संबोधित करते हुए कहा: समाज को शांति और प्रेम की नींव पर स्थापित किया जाना चाहिए।
उन्होंने आगे कहा: समाजिक टकराव के प्रमुख विषयों में से एक "महिलाओं के मुद्दे और उनका समाधान" है और शत्रु इस पर विशेष ध्यान देकर गहरी योजना बना रहा है, इसलिए महिलाओं के लिए जो भी योजना बनाई जाए, उसकी पश्चिमी संस्कृति के साथ तुलना करना बहुत ज़रूरी है, अन्यथा इसके नुकसानों का सामना करना पड़ेगा।
हौज़ा इल्मिया के शिक्षक ने कहा: आधुनिक पश्चिम, मानव जीवन की दिशा को बदलने और इंसान का ध्यान अल्लाह की दुनिया और आकाशीय मूल्यों से हटा कर केवल भौतिक दुनिया की ओर केंद्रित करने की कोशिश कर रहा है।
उन्होंने आगे कहा: पश्चिम ने इस समय एक ऐसा समाज बनाया है जो "बाज़ारी अर्थव्यवस्था" पर आधारित है, जहाँ केवल स्वार्थ पर आधारित नैतिकताएँ बढ़ती हैं।
हुज्जतुल इस्लाम सय्यद मीर बाक़री ने कहा: अगर हम असली शांति के इच्छुक हैं तो समाज को विश्वास और प्रेम की नींव पर स्थापित किया जाना चाहिए।
संयुक्त राष्ट्र ने सूडान में बढ़ती हिंसा पर जताई चिंता
सूडान के उत्तर दारफुर और दक्षिण कोर्डोफान में बढ़ती हिंसा से आम लोगों को भारी नुकसान हो रहा है संयुक्त राष्ट्र के मानवतावादियों ने इसे लेकर गहरी चिंता जताई है।
संयुक्त राष्ट्र ने सूडान के उत्तर दारफुर और दक्षिण कोर्डोफान में बढ़ती हिंसा से आम लोगों को भारी नुकसान हो रहा है। संयुक्त राष्ट्र के मानवतावादियों ने इसे लेकर गहरी चिंता जताई है।
अंतरराष्ट्रीय प्रवासन संगठन के अनुसार, पिछले 10 महीनों में 6 लाख से ज्यादा लोग उत्तर दारफुर के एल फाशेर और आसपास के इलाकों से जान बचाने के लिए भाग चुके हैं।
हाल के हफ्तों में एल फाशेर और उसके आसपास के इलाकों में हमले हुए हैं इनमें अबू शौक विस्थापन शिविर, सऊदी अस्पताल और शहर के पश्चिमी इलाके शामिल हैं दिसंबर में अबू शौक शिविर में भुखमरी की स्थिति पाई गई थी जो मई तक बनी रह सकती है।
दक्षिण कोर्डोफान में भी सूडानी सेना और सूडान पीपुल्स लिबरेशन मूवमेंट-नॉर्थ के बीच संघर्ष बढ़ गया है राजधानी काडुगली में सोमवार को हवाई हमलों में 50 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई, जिनमें ज्यादातर महिलाएं और बच्चे थे दो दर्जन से ज्यादा लोग घायल हुए।
संयुक्त राष्ट्र की सूडान में मानवीय सहायता प्रमुख क्लेमेंटीने न्क्वेता-सलामी ने इन हमलों की कड़ी निंदा की उन्होंने इसे युद्ध नहीं, बल्कि निर्दोष लोगों पर निर्मम हमला बताया है।
यमनी सेना ने सऊदी सैनिकों से कई क्षेत्र मुक्त कराए।
यमन की सेना और स्वयं सेवी बलों ने देश के दक्षिण पश्चिमी भाग में स्थित कई क्षेत्रों को सऊदी अरब के नेतृत्व वाले अरब गठजोड़ के सैनिकों से मुक्त करा लिया है। अलमसीरा टीवी चैनल की रिपोर्ट के अनुसार इन क्षेत्रों को स्वतंत्र कराने के दौरान यमनी सेना और स्वयं सेवी बलों ने अतिक्रमणकारी सैनिकों को भारी क्षति पहुंचाई। यमनी सूत्रों
यमन की सेना और स्वयं सेवी बलों ने देश के दक्षिण पश्चिमी भाग में स्थित कई क्षेत्रों को सऊदी अरब के नेतृत्व वाले अरब गठजोड़ के सैनिकों से मुक्त करा लिया है।
अलमसीरा टीवी चैनल की रिपोर्ट के अनुसार इन क्षेत्रों को स्वतंत्र कराने के दौरान यमनी सेना और स्वयं सेवी बलों ने अतिक्रमणकारी सैनिकों को भारी क्षति पहुंचाई। यमनी सूत्रों ने बताया है कि सेना ने हबशी पर्वत के पास स्थित कई क्षेत्रों को भी अपने नियंत्रण में ले लिया है।
बुधवार को भी यमन की सेना ने क़ाहिर-1 मीज़ाईल से जौफ़ प्रांत के बेरुल मज़ारीक़ क्षेत्र में सऊदी अरब के सैनिकों के एक ठिकाने पर हमला किया था जिसके परिणाम स्वरूप 50 सऊदी सैनिक हताहत और दर्जनों घायल हो गए थे।
दूसरी ओर सऊदी अरब के युद्धक विमानों ने गुरुवार को यमन के कई क्षेत्रों पर बमबारी की। इन हमलों में यमन के दर्जनों आम नागरिक हताहत और घायल हो गए।
फ़िलिस्तीनी राज्य के निर्माण के बिना इज़राइल के साथ कोई संबंध संभव नहीं
सऊदी अरब ने स्वतंत्र फ़िलिस्तीनी राज्य के लिए अपना समर्थन दोहराया और कहा कि जब तक पूर्वी यरुशलम को राजधानी के रूप में ऐसे राज्य का निर्माण नहीं हो जाता तब तक वह इज़राइल के साथ कोई राजनयिक संबंध नहीं रखेगा।
रियाज सऊदी अरब ने स्वतंत्र फ़िलिस्तीनी राज्य के लिए अपना समर्थन दोहराया और कहा कि जब तक पूर्वी यरुशलम को राजधानी के रूप में ऐसे राज्य का निर्माण नहीं हो जाता तब तक वह इज़राइल के साथ कोई राजनयिक संबंध नहीं रखेगा।
सऊदी अरब का यह बयान अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा यह घोषणा किए जाने के कुछ ही घंटों बाद आया है कि संयुक्त राज्य अमेरिका गाजा पट्टी पर कब्ज़ा करेगा।
बुधवार को साझा किए गए एक बयान में, सऊदी अरब के विदेश मंत्रालय ने कहा कि फ़िलिस्तीनी राज्य की स्थापना पर देश का रुख दृढ़ और अटल है और पिछले साल 18 सितंबर को शूरा परिषद के नौवें कार्यकाल के पहले सत्र के उद्घाटन के दौरान अपने भाषण के दौरान सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान बिन अब्दुलअज़ीज़ अल सऊद द्वारा दिए गए बयान को याद किया।
सऊदी अरब के विदेश मंत्रालय ने कहा,विदेश मंत्रालय पुष्टि करता है कि फ़िलिस्तीनी राज्य की स्थापना पर सऊदी अरब का रुख दृढ़ और अटल है मोहम्मद बिन सलमान बिन अब्दुलअज़ीज़ अल सऊद, क्राउन प्रिंस और प्रधानमंत्री ने 18 सितंबर, 2024 को शूरा परिषद के नौवें कार्यकाल के पहले सत्र के उद्घाटन के अवसर पर अपने भाषण के दौरान स्पष्ट रूप से और स्पष्ट रूप से इस रुख की पुष्टि की।
महामहिम ने इस बात पर ज़ोर दिया कि सऊदी अरब पूर्वी यरुशलम को अपनी राजधानी के रूप में एक स्वतंत्र फ़िलिस्तीनी राज्य स्थापित करने के अपने अथक प्रयासों को जारी रखेगा और इसके बिना इज़राइल के साथ राजनयिक संबंध स्थापित नहीं करेगा।
एक बयान के अनुसार, सऊदी अरब फ़िलिस्तीनी लोगों के वैध अधिकारों के उल्लंघन को अस्वीकार करता है चाहे वह इज़राइली निपटान नीतियों, भूमि अधिग्रहण या फ़िलिस्तीनियों को उनके क्षेत्र से विस्थापित करने के प्रयासों के माध्यम से हो। सऊदी अरब ने इस बात पर ज़ोर दिया कि उसका अटल रुख गैर-परक्राम्य है और समझौता करने के अधीन नहीं है।
बयान में सऊदी अरब के विदेश मंत्रालय ने कहा,सऊदी अरब का साम्राज्य भी फिलिस्तीनी लोगों के वैध अधिकारों पर किसी भी तरह के उल्लंघन को स्पष्ट रूप से अस्वीकार करता है।
ईरान ने गज़ा से फिलिस्तीनियों के विस्थापन की अमेरिकी योजना को नकारा
ईरान ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की उस योजना का सख्त विरोध किया है, जिसमें ग़ज़्ज़ा पट्टी के फ़िलिस्तीनियों को जबरन जॉर्डन और मिस्र भेजने का प्रस्ताव है। ईरानी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता इस्माईल बाघाई ने इसे फ़िलिस्तीनियों को उनकी ज़मीन से हटाने की साजिश बताते हुए कहा कि यह योजना अमेरिका के हथियारों, राजनीति, ख़ुफ़िया और फंडिंग के सहारे लंबे समय से चलाई जा रही है।
बाघाई ने कहा कि इस्राईल के 15 महीने लंबे हमले फ़िलिस्तीनियों को उनकी ज़मीन से हटाने में नाकाम रहे हैं और राजनीतिक दबाव या जनसंख्या में बदलाव की कोशिशें उन्हें वहां से जाने के लिए मजबूर नहीं कर सकतीं। उन्होंने कहा कि यह उनकी मातृभूमि है और वे आज़ादी और आत्मनिर्णय के अपने संघर्ष को जारी रखने के लिए बड़ी कुर्बानियां दे चुके हैं।
ट्रम्प की इस योजना का मिस्र, जॉर्डन, सऊदी अरब, कतर, फिलिस्तीनी प्रशासन और अरब लीग समेत कई अरब देशों ने भी विरोध किया है। इन देशों ने एक संयुक्त बयान में कहा कि फिलिस्तीनियों को हटाने से क्षेत्र में अस्थिरता बढ़ेगी और संघर्ष और गहरा सकता है।
संयुक्त राष्ट्र ने भी इस प्रस्ताव को खारिज करते हुए कहा है कि वह किसी भी ऐसी योजना के खिलाफ है जो जबरन विस्थापन या नस्लीय सफाई की ओर ले जाती है।
फिलिस्तीनी नेताओं और गाजा के निवासियों ने भी इस योजना की आलोचना की है। वे इसे 1948 के नकबा जैसी एक और बड़ी त्रासदी मानते हैं और अपनी ज़मीन पर डटे रहने की कसम खा चुके हैं।
इस्लाम में औरत का मुकाम: एक झलक
इस्लाम को लेकर यह गलतफहमी है और फैलाई जाती है कि इस्लाम में औरत को कमतर समझा जाता है। सच्चाई इसके उलट है। हम इस्लाम का अध्ययन करें तो पता चलता है कि इस्लाम ने महिला को चौदह सौ साल पहले वह मुकाम दिया है जो आज के कानून दां भी उसे नहीं दे पाए।
इस्लाम में औरत के मुकाम की एक झलक देखिए।
जीने का अधिकार शायद आपको हैरत हो कि इस्लाम ने साढ़े चौदह सौ साल पहले स्त्री को दुनिया में आने के साथ ही अधिकारों की शुरुआत कर दी और उसे जीने का अधिकार दिया। यकीन ना हो तो देखिए कुरआन की यह आयत-
और जब जिन्दा गाड़ी गई लड़की से पूछा जाएगा, बता तू किस अपराध के कारण मार दी गई?"(कुरआन, 81:8-9) )
यही नहीं कुरआन ने उन माता-पिता को भी डांटा जो बेटी के पैदा होने पर अप्रसन्नता व्यक्त करते हैं-
'और जब इनमें से किसी को बेटी की पैदाइश का समाचार सुनाया जाता है तो उसका चेहरा स्याह पड़ जाता है और वह दु:खी हो उठता है। इस 'बुरी' खबर के कारण वह लोगों से अपना मुँह छिपाता फिरता है। (सोचता है) वह इसे अपमान सहने के लिए जिन्दा रखे या फिर जीवित दफ्न कर दे? कैसे बुरे फैसले हैं जो ये लोग करते हैं।' (कुरआन, 16:58-59))
बेटी
इस्लाम के पैगम्बर मुहम्मद सल्ल. ने फरमाया-बेटी होने पर जो कोई उसे जिंदा नहीं गाड़ेगा (यानी जीने का अधिकार देगा), उसे अपमानित नहीं करेगा और अपने बेटे को बेटी पर तरजीह नहीं देगा तो अल्लाह ऐसे शख्स को जन्नत में जगह देगा।इब्ने हंबल) अन्तिम ईशदूत हजऱत मुहम्मद सल्ल. ने कहा-'जो कोई दो बेटियों को प्रेम और न्याय के साथ पाले, यहां तक कि वे बालिग हो जाएं तो वह व्यक्ति मेरे साथ स्वर्ग में इस प्रकार रहेगा (आप ने अपनी दो अंगुलियों को मिलाकर बताया)।
मुहम्मद सल्ल. ने फरमाया-जिसके तीन बेटियां या तीन बहनें हों या दो बेटियां या दो बहनें हों और वह उनकी अच्छी परवरिश और देखभाल करे और उनके मामले में अल्लाह से डरे तो उस शख्स के लिए जन्नत है। (तिरमिजी)
पत्नी
वर चुनने का अधिकार : इस्लाम ने स्त्री को यह अधिकार दिया है कि वह किसी के विवाह प्रस्ताव को स्वेच्छा से स्वीकार या अस्वीकार कर सकती है। इस्लामी कानून के अनुसार किसी स्त्री का विवाह उसकी स्वीकृति के बिना या उसकी मर्जी के विरुद्ध नहीं किया जा सकता।
बीवी के रूप में भी इस्लाम औरत को इज्जत और अच्छा ओहदा देता है। कोई पुरुष कितना अच्छा है, इसका मापदण्ड इस्लाम ने उसकी पत्नी को बना दिया है। इस्लाम कहता है अच्छा पुरुष वही है जो अपनी पत्नी के लिए अच्छा है। यानी इंसान के अच्छे होने का मापदण्ड उसकी हमसफर है।
पैगम्बर मुहम्मद सल्ल. ने फरमाया-
तुम में से सर्वश्रेष्ठ इंसान वह है जो अपनी बीवी के लिए सबसे अच्छा है। (तिरमिजी, अहमद)
शायद आपको ताज्जुब हो लेकिन सच्चाई है कि इस्लाम अपने बीवी बच्चों पर खर्च करने को भी पुण्य का काम मानता है।
पैगम्बर मुहम्मद सल्ल. ने फरमाया-
तुम अल्लाह की प्रसन्नता प्राप्त करने के लिए जो भी खर्च करोगे उस पर तुम्हें सवाब (पुण्य) मिलेगा, यहां तक कि उस पर भी जो तुम अपनी बीवी को खिलाते पिलाते हो। (बुखारी,मुस्लिम)।
पैगम्बर मुहम्मद सल्ल. ने कहा-आदमी अगर अपनी बीवी को कुएं से पानी पिला देता है, तो उसे उस पर बदला और सवाब (पुण्य) दिया जाता है। (अहमद)
मुहम्मद सल्ल. ने फरमाया-महिलाओं के साथ भलाई करने की मेरी वसीयत का ध्यान रखो। (बुखारी, मुस्लिम)
माँ
क़ुरआन में अल्लाह ने माता-पिता के साथ बेहतर व्यवहार करने का आदेश दिया है,
'तुम्हारे स्वामी ने तुम्हें आदेश दिया है कि उसके सिवा किसी की पूजा न करो और अपने माता-पिता के साथ बेहतरीन व्यवहार करो। यदि उनमें से कोई एक या दोनों बुढ़ापे की उम्र में तुम्हारे पास रहें तो उनसे 'उफ् ' तक न कहो बल्कि उनसे करूणा के शब्द कहो। उनसे दया के साथ पेश आओ और कहो
'ऐ हमारे पालनहार! उन पर दया कर, जैसे उन्होंने दया के साथ बचपन में मेरी परवरिश की थी।(क़ुरआन, 17:23-24))
इस्लाम ने मां का स्थान पिता से भी ऊँचा करार दिया। ईशदूत हजरत मुहम्मद(सल्ल) ने कहा-'यदि तुम्हारे माता और पिता तुम्हें एक साथ पुकारें तो पहले मां की पुकार का जवाब दो।'
एक बार एक व्यक्ति ने हजरत मुहम्मद (सल्ल.) से पूछा'हे ईशदूत, मुझ पर सबसे ज्यादा अधिकार किस का है?'
उन्होंने जवाब दिया 'तुम्हारी माँ का',
'फिर किस का?' उत्तर मिला 'तुम्हारी माँ का',
'फिर किस का?' फिर उत्तर मिला 'तुम्हारी माँ का'
तब उस व्यक्ति ने चौथी बार फिर पूछा 'फिर किस का?'
उत्तर मिला 'तुम्हारे पिता का।'
संपत्ति में अधिकार-औरत को बेटी के रूप में पिता की जायदाद और बीवी के रूप में पति की जायदाद का हिस्सेदार बनाया गया। यानी उसे साढ़े चौदह सौ साल पहले ही संपत्ति में अधिकार दे दिया गया।
सऊदी अरब: फिलिस्तीनी देश के गठन पर हमारा रुख़ नहीं बदलेगा
सऊदी अरब ने एक बार फिर यह साफ किया है कि फिलिस्तीन के एक आज़ाद और संप्रभु देश के गठन पर उसकी नीति में कोई बदलाव नहीं आया है। सऊदी अधिकारियों ने ज़ोर देकर कहा कि फिलिस्तीनियों के अधिकार और उनकी आज़ादी सुनिश्चित किए बिना किसी भी समझौते को स्वीकार नहीं किया जा सकता।
सऊदी अरब का रुख़ क्या है?
सऊदी अरब शुरू से इस बात पर क़ायम है कि फिलिस्तीन को एक मुकम्मल आज़ाद देश के रूप में मान्यता दी जाए, जिसकी राजधानी पूर्वी यरुशलम हो। रियाद ने कई बार अंतरराष्ट्रीय मंचों पर टू-स्टेट सॉल्यूशन (दो राष्ट्र सिद्धांत) का समर्थन किया है, जिसके तहत इसराइल और फिलिस्तीन को दो अलग-अलग आज़ाद देशों के रूप में स्थापित किया जाए।
क्या सऊदी अरब इसराइल को मान्यता देगा?
हाल ही में इसराइल और सऊदी अरब के रिश्तों को सामान्य करने की बातचीत हो रही थी, लेकिन सऊदी नेतृत्व ने साफ कर दिया कि जब तक फिलिस्तीन को उसका हक़ नहीं मिलता और उसे न्याय नहीं दिया जाता, तब तक इसराइल को मान्यता देने का कोई सवाल ही नहीं उठता।
क्या सऊदी अरब पर दबाव है?
विश्लेषकों का मानना है कि अमेरिका और कुछ अन्य देश सऊदी अरब और इसराइल के बीच संबंध बेहतर बनाने के लिए दबाव बना रहे हैं, लेकिन रियाद अब तक अपने रुख़ पर क़ायम है।
फिलिस्तीन को कितना समर्थन मिलेगा?
सऊदी अरब ने हाल ही में ग़ज़ा और वेस्ट बैंक में इंसानी मदद भेजने का ऐलान किया है और अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अपील की है कि फिलिस्तीनी जनता के अधिकारों की रक्षा के लिए आगे आएं।
यह और बात है कि सऊदी अरब ने आजतक खुल कर फ़िलिस्तीन की मदद नहीं की है।