माहे रमज़ान के ग्यारहवें दिन की दुआ (11)

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माहे रमज़ान के ग्यारहवें दिन की दुआ (11)

माहे रमज़ानुल मुबारक की दुआ जो हज़रत रसूल अल्लाह स.ल.व.व.ने बयान फ़रमाया हैं।

اَللّهُمَّ حَبِّبْ اِلَيَّ فيہ الْإحسانَ وَكَرِّهْ إلي فيہ الْفُسُوقَ وَالعِصيانَ وَحَرِّمْ عَلَيَّ فيہ السَخَطَ وَالنّيرانَ بعَوْنِكَ ياغياثَ المُستَغيثينَ.

अल्लाह हुम्मा हब्बिब इलैय फ़ीहिल एहसान, व कर्रिह इलैय फ़ीहिल फ़ुसूक़ वल इस यान, व हर्रिम अलैय फ़ीहि अस्सख़ता वन्नीरान, बे औनिका या ग़ियासल मुस तग़ीसीन (अल बलदुल अमीन, पेज 220, इब्राहिम बिन अली)

ख़ुदाया! आज के दिन मेरे लिए नेकीयों को महबूब बना दे, फ़िस्क़ व फ़ुजूर और गुनाहों को ना पसंदीदा बना दे और मेरे उपर अपनी नाराज़गी और जहन्नम को हराम कर दे अपनी ख़ास मदद से, ऐ फ़रियादियों की फ़रियाद सुनने वाले...

अल्लाह हुम्मा स्वल्ले अला मुहम्मद व आले मुहम्मद व अज्जील फ़रजहुम.

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