
رضوی
मशहूर आलिमे दीन मौलाना नईम अब्बास का निधन, चाहने वालों में शोक की लहर
हिंदुस्तान के मशहूर आलिमे दीन आफ़ताबे खिताबत मौलाना नईम अब्बास आबिदी के निधन से दुनिया भर में उनके चाहने वालों में शोक की लहर फ़ैल गयी है। पूरी ज़िन्दगी दीन और समाज की सेवा करने वाले मौलाना नईम अब्बास आबिदी ने सैंकड़ों बल्कि हज़ारो छात्रों को शिक्षा और नैतिकता की सीख दी जो आज हिंदुस्तान के अलग अलग हिस्सों समेत यूरोप, अमेरिका और अफ्रीका के देशों में दीन और समाज सेवा में लगे हुए हैं। आप के सैंकड़ों छात्र ईरान और इराक में उच्च दीनी शिक्षा हासिल कर रहे हैं।
अल मुंतज़र शिक्षा केंद्र की स्थापना और उसे नयी उंचाईयों पर पहुँचाने वाले मौलाना नईम अब्बास आबिदी को आफ़ताबे खिताबत के लक़ब से याद किया जाता था। आप पिछले कुछ समय से बीमार चल रहे थे और आज आपने दुनिया को अलविदा कह दिया।
ज्ञानवापी वजूखाने की सुनवाई 15 अप्रैल तक टली
ज्ञानवापी परिसर के वजूखाने के सर्वेक्षण के आदेश को चुनौती देने वाली निगरानी याचिका पर इलाहाबाद हाई कोर्ट में 15 अप्रैल को सुनवाई होगी सुप्रीम कोर्ट में 24 फरवरी को प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 पर सुनवाई नहीं हो सकी इसलिए हाई कोर्ट में सुनवाई की तारीख 15 अप्रैल तय की गई है।
वाराणसी स्थित ज्ञानवापी परिसर के वजूखाने का भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) से सर्वे की मांग को लेकर सोमवार को सुनवाई हुई अधीनस्थ अदालत के आदेश की वैधता की चुनौती में दाखिल निगरानी याचिका की अगली सुनवाई अब इलाहाबाद हाई कोर्ट में 15 अप्रैल को होगी।
सुप्रीम कोर्ट में 17 फरवरी को प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 को लेकर सुनवाई नहीं हो सकी थी। अगली सुनवाई के लिए अप्रैल के प्रथम सप्ताह का समय निर्धारित किया गया है इसे ध्यान में रखते हुए हाई कोर्ट में सुनवाई की तिथि 15 अप्रैल निर्धारित की गई है। याचिका की सुनवाई इलाहाबाद हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल की एकल पीठ कर रही है।
याची राखी सिंह के अधिवक्ता सौरभ तिवारी के अनुसार, कोर्ट में सोमवार को अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता एसएफए नकवी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट मामले में अप्रैल के प्रथम सप्ताह में सुनवाई करेगा।
याची अधिवक्ता का कहना है कि सर्वोच्च न्यायालय ने 12 दिसंबर 2024 को प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 की वैधता को लेकर हुई सुनवाई के दौरान अंतरिम आदेश से अदालतों को सर्वेक्षण संबंधी निर्देश सहित कोई भी प्रभावी अंतरिम या अंतिम आदेश देने से रोक दिया था।
राखी सिंह की सिविल पुनरीक्षण याचिका के साथ समान राहत की मांग करने वाली ज्ञानवापी से संबंधित एक और याचिका 1991 के स्वयंभू लार्ड आदि विशेश्वर की एक साथ सुनवाई हो रही है। हाई कोर्ट ने गत 18 दिसंबर को सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई की तारीख 17 फरवरी ध्यान में रखते हुए अपने यहां 24 फरवरी की तारीख तय की थी।
ज़ायोनी प्रधानमंत्री के बयान के बाद सीरिया में कई जगह विरोध प्रदर्शन की योजना
ज़ायोनी प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने कल दीक्षांत समारोह में इज़रायली सैनिकों के बीच कहा,इज़रायली बल अनिश्चित काल तक जूलान की पहाड़ियों और बफर ज़ोन में मौजूद रहेंगे, उन्होंने आगे कहा,हम हयात तहरीर अलशाम और नई सीरियाई सेना के बलों को दक्षिणी दमिश्क के क्षेत्रों में प्रवेश करने की अनुमति नहीं देंगे।
ज़ायोनी प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने कल दीक्षांत समारोह में इज़रायली सैनिकों के बीच कहा,इज़रायली बल अनिश्चित काल तक जूलान की पहाड़ियों और बफर ज़ोन में मौजूद रहेंगे,
उन्होंने आगे कहा,हम हयात तहरीर अलशाम और नई सीरियाई सेना के बलों को दक्षिणी दमिश्क के क्षेत्रों में प्रवेश करने की अनुमति नहीं देंगे हम कुनैतिरा दारा और सुवैदा प्रांतों में नए शासन की सेनाओं के मुकाबले दक्षिणी सीरिया को पूरी तरह से व्यवस्थित करना चाहते हैं।
इसके अलावा, नेतन्याहू ने धमकी भरे लहज़े में कहा,हम दक्षिणी सीरिया में द्रूज़ समुदाय के खिलाफ किसी भी तरह के खतरे को सहन नहीं करेंगे।
अलयौम के अनुसार, नेतन्याहू के इन हस्तक्षेपकारी बयानों पर जनता की तीखी प्रतिक्रिया आई दारा और सुवैदा प्रांतों के कई कार्यकर्ताओं और निवासियों ने इस बयान के खिलाफ प्रदर्शन करने की मांग की है।
इसी कारण, मंगलवार सुबह 11 बजे दारा के चौक और सुवैदा के अलकरामा चौक पर नेतन्याहू के बयानों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन आयोजित किए जाने की योजना बनाई गई है।
ग़ज़्ज़ा में लगभग 2 साल के अंतराल के बाद नया स्कूल वर्ष शुरू हुआ
ग़ज़्ज़ा के सरकारी मीडिया कार्यालय ने कहा कि अक्टूबर 2023 से ज़ायोनी युद्ध में 12,800 से अधिक छात्रों के साथ-साथ 800 शिक्षक और प्रशासनिक कर्मचारी मारे गए हैं।
ग़ज़्ज़ा पट्टी में इज़रायल के लगभग 16 महीने लंबे "विनाश युद्ध" के रुकने के बाद घेरे हुए फिलिस्तीनी क्षेत्र में नया स्कूल वर्ष शुरू हो गया है। गाजा के शिक्षा एवं उच्च शिक्षा मंत्रालय ने रविवार को कहा कि शिक्षा पुनः शुरू होगी और छात्र कक्षाओं में भाग लेंगे। शैक्षिक सत्र उन विद्यालयों में आयोजित किए जाएंगे जिन्हें ध्वस्त नहीं किया गया है तथा जिनका नवीनीकरण किया गया है। कई क्षेत्रों में शिक्षा वैकल्पिक स्कूलों या अन्य स्थानों पर प्रदान की जाएगी। जो छात्र स्कूल नहीं जा सकते, उन्हें ऑनलाइन पाठ्यक्रम उपलब्ध कराने के प्रयास चल रहे हैं, ताकि वे कक्षा में भी प्रत्यक्ष शिक्षा प्राप्त कर सकें।
मंत्रालय ने इजरायली हमलों के कारण हुए "बड़े पैमाने पर विनाश और संसाधनों और क्षमताओं की भारी कमी" के बावजूद गाजा के बच्चों के लिए शिक्षा के अधिकार को सुनिश्चित करने के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहराई। मंत्रालय ने मानवाधिकार संगठनों से अपील की कि वे गाजा में शैक्षिक प्रक्रिया के लिए आवश्यक सामग्री तक पहुंच की अनुमति देने के लिए इजरायल पर दबाव डालें।
फिलिस्तीनी आंकड़ों के अनुसार, गाजा में 85 प्रतिशत स्कूल इजरायली बमबारी से नष्ट हो गए हैं। गाजा राज्य मीडिया कार्यालय ने कहा कि अक्टूबर 2023 से इजरायली युद्ध में 12,800 से अधिक छात्रों के साथ-साथ 800 शिक्षक और प्रशासनिक कर्मचारी मारे गए हैं। गाजा युद्ध में 1,166 शैक्षणिक संस्थान नष्ट हो गए हैं और शिक्षा क्षेत्र को 2 अरब डॉलर से अधिक का नुकसान हुआ है।
यह ध्यान देने योग्य बात है कि 19 जनवरी को गाजा में युद्ध विराम समझौता लागू होने से पहले लगभग 16 महीने तक चले इजरायल के क्रूर युद्ध अभियानों में 48,300 से अधिक फिलिस्तीनी मारे गए हैं, जिनमें से अधिकांश महिलाएं और बच्चे थे। युद्ध ने गाजा पट्टी को खंडहर में बदल दिया है। इजराइल अपने क्रूर सैन्य हमलों के कारण अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय में नरसंहार के मामले का सामना कर रहा है।
ग़ज़्ज़ा के बाद वेस्ट बैंक में ज़ायोनी आतंक, 29 लाख लोगों के बेघर होने का खतरा
ग़ज़्ज़ा में जनसंहार मचाने के बाद अब ज़ायोनी सेना ने अपना पूरा ध्यान अपनी कठपुतली फिलिस्तीनी प्राधिकरण द्वारा नियंत्रित वेस्ट बैंक पर लगा दिया है। ज़ायोनी सेना ने वेस्ट बैंक में अभियान शुरू करते हुए बड़े पैमाने पर क़त्ले आम तेज़ कर दिया है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार वेस्ट बैंक के जेनिन और तुलकरम में घुसी ज़ायोनी सेना को कड़े प्रतिरोध का सामना करना पड़ रहा है। ज़ायोनी चैनल 14 के अनुसार अतिक्रमणकारी ज़ायोनी सेना और खुफिया अधिकारी जेनिन और तुलकरम में सड़कें बना रहे हैं ताकि सेना की आवाजाही को आसान बनाया जा सके और प्रतिरोधी सेनानियों को विस्फोटक उपकरण लगाने से रोका जा सके।
तथाकथित ग़ज़्ज़ा युद्ध विराम के बाद ज़ायोनी सेना वेस्ट बैंक में टैंक, बुल्डोजरों और अन्य घातक हथियारों के साथ दाखिल हुई है और लगातार घरों और नागरिक ढांचों को तबाह कर रही है।
ज़ायोनी सेना की कार्रवाई इतनी खौफनाक है कि वेस्ट बैंक के जेनिन शरणार्थी शिविर और तुलकरम शहर से करीब 40 हजार फिलिस्तीनियों ने अपना घर छोड़ दिया है। खाली हुई बस्तियों पर ज़ायोनी सेना ने कब्जा कर लिया है और वहां मौजूद पानी, सड़क और अन्य मूलभूत सुविधाओं को नष्ट कर रही है।
ईरान के ख़िलाफ़ धमकियां बेअसर हैं: ईसाई प्रतिनिधि
ईरान की संसद मजलिसे शूराए इस्लामी में पारसी समुदाय की प्रतिनिधि ने हिज़्बुल्लाह के शहीद महासचिवसय्यद हसन नसरुल्लाह को श्रद्धांजलि देते हुए कहा: अमेरिकी सरकार पर भरोसा नहीं किया जा सकता।
बेहशीद बरख़ुरदार ने जो ईरान की मजलिस में पारसी समुदायकी प्रतिनिधि हैं तेहरान में इस सप्ताह आयोजित एकेश्वरवादी धर्मों के नेताओं की बैठक में शहीद सय्यद हसन नसरुल्लाह को श्रद्धांजलि देते हुए कहा: ईरान सभी ज़ालिमों के ख़िलाफ़ रेज़िस्टेंस औरदृढ़ता का प्रतीक है। बरख़ुरदार ने आगे कहा: सभी देशों और सरकारों को यह समझना चाहिए कि अमेरिका की मुजरेमाना साज़िश इस तरह की है कि पश्चिमी एशिया का कोई भी देश जाली रेजीम इजरायल औरउसके द्वारा प्रशिक्षित आतंकवादियों की दुष्टता से सुरक्षित नहीं रहेगा।
उन्होंने कहा कि अमेरिकी सरकार पर भरोसा नहीं किया जा सकता, यह आवश्यक है कि सभी एकेश्वरवादी धर्म और दुनियाके सभी स्वतंत्रता प्रेमी वैश्विक साम्राज्यवाद के आतंकी एजेंटों के इन अमानवीय और क्रूर अपराधों के खिलाफ खड़े हों और शांति, सुरक्षा और शांतिपूर्ण जीवनको बहाल करने के लिए मज़लूमों के अधिकारों की रक्षा करें।
ईरान की संसद में ईसाई प्रतिनिधि:
ईरान के खिलाफ धमकियां बेअसर हैं। रॉबर्ट बेगलरियान ने इस बैठकमें कहा कि ईरान का 5000 साल पुराना इतिहास इस बहादुर राष्ट्र की ताक़त और महानता की गवाही देता है। बेगलरियान ने कहा कि ईरान के खिलाफ धमकियां बेअसर हैं, और हम पूरी तरह से अन्याय, साम्राज्यवाद, आक्रमण और दबाव के ख़िलाफ़डटे हुए हैं, और 8 साल का तक चलने वाला युद्ध इसका सबूत है। ईरान की मजलिस में आर्मेनियाई ईसाई समुदाय के प्रतिनिधि ने हिज़्बुल्लाहके शहीद महासचिव "सय्यद हसन नसरुल्लाह" के व्यक्तित्व की प्रशंसा करते हुए कहा: शहीद नसरुल्लाह सभी धर्मों,जातियों और विचारधाराओं के साथ, चाहे वे शिया हों, सुन्नी हों, ईसाई हों या अन्य धर्मों के लोग हों,दयालुता, सौहार्द और रचनात्मक संवादमें शामिल रहे और उनके ध्यान का केंद्र थे। उन्होंने आगे कहा: यक़ीनन सय्यद हसन नसरुल्लाह का नाम दुनिया के महापुरुषों और स्वतंत्रता प्रेमियों में लिखा जाएगा।
अमेरिका अमीरों के लिए स्वर्ग और मज़दूरों के लिए नर्क है।बर्नी सैंडर्स
अमेरिकी सीनेटर बर्नी सैंडर्स ने देश में बढ़ती आर्थिक पर गंभीर चिंता जताई है उन्होंने कहा कि इतिहास में पहली बार अमीरों ने इतनी शानदार और सुनहरी अवधि देखी है लेकिन इसके विपरीत अमेरिका के मेहनतकश परिवार, खासतौर पर वर्मोंट नेब्रास्का और अन्य राज्यों में अपनी बुनियादी जरूरतों को पूरा करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
शहीद हसन नसरूल्लाह की यह महानता कुरआन और अहले-बैत (अ) के प्रति उनकी प्रतिबद्धता के कारण
आयतुल्लाह जावादी आमोली ने तफ़सीर तस्नीम के अनावरण समारोह में बोलते हुए कहा कि शहीद सय्यद हसन नसरूल्लाह की महानता और सफलता का रहस्य पवित्र कुरआन और अहले-बैत (अ) के प्रति उनकी गहरी प्रतिबद्धता थी। सफलता का मार्ग उन सभी के लिए खुला है जो कुरआन और इतरत का अनुसरण करते हैं।
ग्रैंड अयातुल्ला जावादी अमोली ने तफ़सीर तस्नीम के अनावरण समारोह में बोलते हुए कहा कि शहीद सैय्यद हसन नसरल्लाह की महानता और सफलता का रहस्य पवित्र कुरान और अहल अल-बैत (एएस) के प्रति उनकी गहरी प्रतिबद्धता थी। सफलता का मार्ग उन सभी के लिए खुला है जो कुरान और वंश का अनुसरण करते हैं।
इस अवसर पर आयतुल्लाह जावादी आमोली ने चार दशकों में तफ़सीर तस्नीम के संकलन के चरणों का भी विस्तार से वर्णन किया। उन्होंने कहा कि यह टिप्पणी क़ोम सेमिनरी का एक महान विद्वत्तापूर्ण प्रयास है। ज्ञान और बुद्धि के महत्व पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि अज्ञानता को दूर करना महत्वपूर्ण है, लेकिन वास्तविक लक्ष्य बुद्धि और नेतृत्व को जीवित रखना है।
उन्होंने कहा कि इमामत की व्यवस्था वह आधार है जो ज्ञान और बुद्धि को जीवित रखती है। अयातुल्ला जावादी अमोली ने इमाम खुमैनी (र) की सेवाओं की प्रशंसा की और कहा कि उन्होंने न केवल राजशाही को समाप्त किया बल्कि इमामत और उम्माह की एक मजबूत व्यवस्था भी स्थापित की।
क़ुम में शहीद नसरूल्लाह के छात्र जीवन को याद करते हुए उन्होंने कहा कि हसन नसरूल्लाह ने कुरआन की शिक्षाओं को अपने जीवन का केंद्र बनाया, जिससे उन्हें दुनिया में एक महान स्थान प्राप्त हुआ। उन्होंने आगे कहा कि पवित्र कुरान एक असाधारण पुस्तक है जो मनुष्य को उच्च स्तर तक उठा सकती है।
समारोह के अंत में, आयतुल्लाह जावादी अमोली ने क्रांति के सर्वोच्च नेता, महान धार्मिक अधिकारियों, विद्वानों, गणमान्य व्यक्तियों और सभी प्रतिभागियों को धन्यवाद दिया।
शहीद हसन नसरुल्लाह के अंतिम संस्कार में 65 देशों के 800 गणमान्य लोग हुए शामिल
लेबनान की राजधानी बेरूत में सितंबर 2024 में इज़रायली हमले में शहीद हुए हिज़्बुल्लाह के महासचिव हसन नसरुल्लाह के जनाज़े में शामिल होने के लिए लाखों लोग बेरूत के एक स्टेडियम में जमा हुए अलजज़ीरा’ की रिपोर्ट के मुताबिक़, इस जनाज़े में शामिल होने के लिए लेबनान और विदेश से कई पुरुष महिलाएं और बच्चे पैदल चलकर पहुंचे।
लेबनान की राजधानी बेरूत में सितंबर 2024 में ज़ायोनी हमले में शहीद हुए हिज़्बुल्लाह के महासचिव हसन नसरुल्लाह के अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए लाखों लोग बेरूत के एक स्टेडियम में जमा हुए अलजज़ीरा’ की रिपोर्ट के मुताबिक़, इस अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए लेबनान और विदेश से कई पुरुष महिलाएं और बच्चे पैदल चलकर पहुंचे।
इससे पहले हिज़्बुल्लाह के वरिष्ठ अधिकारी अली दामूश ने पत्रकारों को बताया था कि अंतिम संस्कार में दुनिया भर से हजारों कार्यकर्ताओं के अलावा 65 देशों से लगभग 800 प्रमुख हस्तियों ने शिरकत की इस मौके पर हिज़्बुल्लाह के मौजूदा प्रमुख शेख़ नईम क़ासिम ने कहा कि मुक़ावमत समाप्त नहीं हुआ है हिज़्बुल्लाह अब भी मज़बूत है।
बेरूत में शहीद हसन नसरुल्लाह की अंतिम यात्रा के दौरान जनसभा को संबोधित करते हुए नईम क़ासिम ने कहा,प्रतिरोध अब भी इजरायल का सामना करने के लिए तैयार है। अत्याचारी इज़रायल और अमेरिका का हमारे देश पर क़ब्ज़ा हमें मंज़ूर नहीं। ज़ायोनी और अमेरिका जो चीज़ें जंग से हासिल नहीं कर सका वह राजनीति से भी नहीं कर सकते हम हसन नसरुल्लाह के रास्ते पर चलेंगे और उनकी जंग जारी रहेगी।
हिज़्बुल्लाह के मौजूदा प्रमुख नईम क़ासिम ने कहा था कि इज़रायल और हिज़्बुल्लाह के बीच जारी भीषण जंग की वजह से सुरक्षा हालात के चलते बीते दो महीनों तक शहीद हसन नसरुल्लाह को दफ़्न नहीं किया जा सका था, लेकिन अब हालात सामान्य हो गए हैं, इसलिए हिज़्बुल्लाह ने 23 फरवरी को हसन नसरुल्लाह के जनाज़े का बड़ा सार्वजनिक कार्यक्रम आयोजित करने का फैसला किया था।
शहीद हसन नसरुल्लाह उम्मत के लिए ढाल थे। फिलिस्तीन प्रतिरोध
फिलिस्तीन और ग़ाज़ा की प्रतिरोध समितियों ने घोषणा की कि, आज फिलिस्तीन और ग़ाज़ा में हमारे दिल ग़म से भरे हुए हैं और हमारी आत्मा दुखी है, क्योंकि हमारे महान शहीद, सैयद हसन नसरुल्लाह उम्मत के लिए एक ढाल और अत्याचार, साम्राज्यवाद और मज़लूम के खिलाफ एक तलवार थे।
फिलिस्तीन और ग़ाज़ा की प्रतिरोध समितियों ने घोषणा की कि, आज फिलिस्तीन और ग़ाज़ा में हमारे दिल ग़म से भरे हुए हैं और हमारी आत्मा दुखी है, क्योंकि हमारे महान शहीद, सैयद हसन नसरुल्लाह उम्मत के लिए एक ढाल और अत्याचार, साम्राज्यवाद और वैश्विक उत्पीड़न के खिलाफ एक तलवार थे।
वह साहस और बलिदान के प्रतीक थे और उन्होंने हमें धर्म, भूमि, परिवार और मातृभूमि की रक्षा करने की धरोहर दी, जो उनके महान बलिदानों से परे है।
फिलिस्तीन प्रतिरोध समितियों ने जोर दिया हम हमेशा शहीद उम्मत और मानवता, सैयद हसन नसरुल्लाह के मार्ग पर दृढ़ रहेंगे। उनकी आवाज़ समय के बाद भी हमारे साथ होगी, उनका साया हमारे ऊपर रहेगा, उनके मार्ग की ईमानदारी और उनका वादा और कार्य हमारे सामने होंगे।
यह दिन प्रतिरोध के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ है क्योंकि अब शहीदों के खून से एक नया सूरज उगेगा जो पूरी उम्मत और प्रतिरोध की धुरी के लिए एक नई शुरुआत करेगा।
फिलिस्तीन प्रतिरोध समितियों ने कहा,हम महान शहीद कमांडर, सैयद हसन नसरुल्लाह और उनके शहीद साथी सैयद हाशिम सफ़ीउद्दीन के साथ यह संकल्प करते हैं कि झंडा जमीन पर नहीं गिरेगा, खून बेकार नहीं जाएगा और लोग उनके रास्ते से नहीं हटेंगे।
वह रास्ता जो सबसे ऊँचे शहीदों के नाम से सुशोभित है और सबसे शुद्ध खून से सना हुआ है। शहीदों के बलिदान से ही यह संघर्ष मजबूत हुआ है और अब, उनके दिखाए गए रास्ते को अपनाकर उम्मत नई शक्ति के साथ आगे बढ़ेगी