رضوی

رضوی

गुजरात के सोमनाथ जिले के गिर इलाके में प्रभासपट्टन प्रशासन और पुलिस द्वारा 9 दरगाहों और मस्जिदों को तोड़े जाने के खिलाफ जनता में तीव्र आक्रोश है। मालिकों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई है।

अल्पसंख्यक समन्वय समिति के संयोजक मुजाहिद नफीस ने मकतूब को बताया कि गुजरात के सोमनाथ जिले के गेरी इलाके में प्रभासपाटन प्रशासन द्वारा दरगाहों और मस्जिदों समेत 9 धार्मिक स्थलों को तोड़े जाने के खिलाफ लोगों में काफी गुस्सा है मुख्यमंत्री भूपिंदर पटेल को एक खुला पत्र लिखा है और इस अन्याय के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। प्रशासन भारी पुलिस बल और तोड़फोड़ उपकरणों के साथ देर रात इलाके में दाखिल हुआ वहां बड़ी संख्या में लोग जमा हो गए, लेकिन प्रशासन के आश्वासन के बाद कि कोई तोड़फोड़ नहीं होगी, जनता उन पर विश्वास करके लौट गई, जिसके बाद पुलिस ने इलाके को घेर लिया और सुबह 4 से 5 बजे के बीच 9 दरगाहों और मस्जिदों को ध्वस्त कर दिया गया।

ज्ञात हो कि हाजी मंगरोल शाह दरगाह 1924 से जूनागढ़ राज्य के राजस्व रिकॉर्ड में सूचीबद्ध है। ये सभी मामले वक्फ कोर्ट और हाईकोर्ट में लंबित हैं। समिति के सदस्य के अनुसार, इन परिस्थितियों में विध्वंस प्रक्रिया को अंजाम देना स्पष्ट रूप से अनुचित है। यहां तक ​​कि सुप्रीम कोर्ट ने भी लंबित मामलों में विध्वंस प्रक्रिया पर रोक लगा दी है। समिति ने इस बात पर जोर दिया कि मामला अदालत और प्रशासन के आश्वासन के बावजूद होना चाहिए पक्ष की ओर से तोड़फोड़ की कार्रवाई मुसलमानों के साथ स्पष्ट अन्याय है, साथ ही मुख्यमंत्री से आगे की कार्रवाई रोकने की मांग की गई है। साथ ही उस कलेक्टर और अधीक्षक के खिलाफ भी जांच की मांग की गई है जिनके आदेश पर ये दरगाहें और मस्जिदें तोड़ी गईं।

दुनिया में जब भी इंसानियत को कुचलने के लिए जुल्म और अत्याचार का अंधकार फैलता है तब तब एक आवाज़ उठती है जो इन सभी बातिल और शैतानी ताक़तों को चुनौती देती है। हसन नसरुल्लाह भी वही आवाज़ हैं, जो केवल लेबनान और अवैध राष्ट्र के संघर्ष तक सीमित नहीं रही, बल्कि वह एक वैश्विक आदर्श बन गए हैं। नसरुल्लाह केवल एक सैन्य या राजनीतिक नेता नहीं हैं, बल्कि वह एक आध्यात्मिक योद्धा हैं, जो इमामे जमाना अ.स. की सेना के सिपाही के रूप में जुल्म और अन्याय के खिलाफ लड़ रहे हैं। उनके विचार, कर्म और नेतृत्व ने उन्हें एक महान व्यक्ति के रूप में स्थापित किया, जिनका जीवन आज की दुनिया के लिए प्रेरणा का स्रोत है।

हसन नसरुल्लाह का प्रारंभिक जीवन और शिक्षा

31 अगस्त 1960 को लेबनान के एक शिया मुस्लिम परिवार में जन्मे हसन नसरुल्लाह का प्रारंभिक जीवन साधारण था। हालांकि, उनके अंदर शुरू से ही कुछ खास था—ज्ञान प्राप्त करने की असीम प्यास। उन्होंने इमाम मूसा सद्र और आयतुल्लाह मुहम्मद बक़िर अल-सद्र जैसे प्रमुख इस्लामी विद्वानों के नेतृत्व में धार्मिक अध्ययन किया, जिन्होंने उन्हें न्याय, समानता और प्रतिरोध की अवधारणाओं से अवगत कराया। उनकी शिक्षा और धार्मिक जागरूकता ने उन्हें इस्लाम की गहरी समझ दी और उन्हें एक नैतिक और आध्यात्मिक नेता बनने की राह पर अग्रसर किया।

हिज़्बुल्लाह का अज़ीम लीडर

1980 के दशक में, जब इस्राईल ने दक्षिण लेबनान पर आक्रमण किया, तब हसन नसरुल्लाह ने प्रतिरोध का झंडा उठाया। यह वह समय था जब हिज़्बुल्लाह का गठन हुआ ही था, और नसरुल्लाह ने इस संगठन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 1992 में, हिज़्बुल्लाह के महासचिव के रूप में उनका उदय हुआ, और उनके नेतृत्व में संगठन ने इस्राईल के खिलाफ कई सफल अभियान चलाए। उनके नेतृत्व में, 2000 में ज़ायोनी सेना को दक्षिण लेबनान से पीछे हटने पर मजबूर किया गया—यह न केवल एक सैन्य जीत थी, बल्कि एक नैतिक विजय भी थी जिसने नसरुल्लाह को दुनिया भर में प्रतिरोध और स्वतंत्रता के प्रतीक के रूप में स्थापित कर दिया।

2006 का इस्राईल-लेबनान युद्ध और नसरुल्लाह का धैर्य

2006 में, जब इस्राईल और हिज़्बुल्लाह के बीच 33 दिनों का युद्ध हुआ, तब हसन नसरुल्लाह ने अद्वितीय धैर्य और साहस का प्रदर्शन किया। ज़ायोनी बमबारी और हमलों के बावजूद, नसरुल्लाह ने अपने अनुयायियों का मनोबल टूटने नहीं दिया। उन्होंने अपने लोगों को यह विश्वास दिलाया कि जुल्म चाहे कितना भी बड़ा हो, अगर सच्चाई और हौसला साथ हो, तो उसे मात दी जा सकती है। युद्ध के बाद, लेबनान के पुनर्निर्माण में नसरुल्लाह ने बड़ी भूमिका निभाई, जिससे उन्हें केवल एक सैन्य नेता ही नहीं, बल्कि एक समाज सुधारक के रूप में भी देखा गया।

इमामे जमाना अ.स. के सच्चे सिपाही

हसन नसरुल्लाह की नेतृत्व क्षमता और उनकी विचारधारा में इमामे जमाना अ.स. का एक विशेष स्थान है। वह मानते हैं कि अंतिम मुक्ति और इंसानियत के लिए न्याय की स्थापना तभी संभव होगी जब इमामे जमाना अ.स. की वापसी होगी। इस विश्वास ने नसरुल्लाह और उनके अनुयायियों को अत्याचार और अन्याय के खिलाफ हमेशा दृढ़ बनाए रखा। वह अपने अनुयायियों को सिखाते हैं कि हर शख्स जो जुल्म के खिलाफ लड़ता है, वह इमामे जमाना अ.स. की सेना का हिस्सा है। नसरुल्लाह का यह संदेश लोगों के दिलों में गहरी जगह बनाता है और उन्हें इस बात का यकीन दिलाता है कि जुल्म के खिलाफ लड़ाई केवल सैन्य संघर्ष नहीं है, बल्कि यह एक धार्मिक और नैतिक कर्तव्य भी है।

हिज़्बुल्लाह का सामाजिक और राजनीतिक नेतृत्व

हिज़्बुल्लाह के महासचिव के रूप में, नसरुल्लाह ने न केवल एक सैन्य नेता के रूप में अपनी पहचान बनाई, बल्कि उन्होंने लेबनान में सामाजिक और राजनीतिक सुधारों में भी अपनी भूमिका निभाई। उनकी नेतृत्व क्षमता का सबसे बड़ा उदाहरण 2006 के युद्ध के बाद देखा गया, जब उन्होंने अपने संगठन को लेबनान की राजनीति और समाज सेवा में गहराई से शामिल किया। उनके नेतृत्व में हिज़्बुल्लाह ने लेबनान में अस्पताल, स्कूल और बुनियादी ढांचे के विकास में बड़ा योगदान दिया, जिससे जनता में उनका विश्वास और समर्थन और मजबूत हुआ।

फिलिस्तीनी संघर्ष में नसरुल्लाह की भूमिका

हसन नसरुल्लाह ने हमेशा फिलिस्तीनी जनता के अधिकारों की वकालत की है। उनके नेतृत्व में हिज़्बुल्लाह ने कई बार इस्राईल के खिलाफ फिलिस्तीनी संगठनों का समर्थन किया और उनके संघर्ष में भागीदारी की। नसरुल्लाह का मानना है कि फिलिस्तीन केवल एक अरब मुद्दा नहीं है, बल्कि यह एक वैश्विक अन्याय का प्रतीक है। जब तक फिलिस्तीनियों को उनका हक नहीं मिलेगा, तब तक इस क्षेत्र में शांति की कोई संभावना नहीं है। नसरुल्लाह के इस दृष्टिकोण ने उन्हें न केवल लेबनान, बल्कि पूरे मुस्लिम और अरब जगत में एक आदर्श नेता बना दिया है।

 

धार्मिक और नैतिक नेतृत्व

हसन नसरुल्लाह की विचारधारा का आधार इस्लामिक न्याय और नैतिकता में निहित है। वह मानते हैं कि इस्लाम केवल एक धर्म नहीं है, बल्कि यह एक जीवन शैली है, जिसमें न्याय, समानता और इंसानियत के लिए खड़ा होना अनिवार्य है। उन्होंने हमेशा यह संदेश दिया है कि किसी भी जुल्म के खिलाफ खड़े होना एक धार्मिक कर्तव्य है, और यही वह सच्ची इस्लामी शिक्षाएं हैं जो उन्होंने अपने जीवन में आत्मसात की हैं। उनका यह दृष्टिकोण उन्हें एक धार्मिक और नैतिक नेता के रूप में स्थापित करता है, जिनकी शिक्षाओं ने लाखों लोगों को जागरूक किया है।

शहादत का आदर्श

नसरुल्लाह का मानना है कि शहादत का अर्थ केवल अपनी जान देना नहीं है, बल्कि यह उस सिद्धांत के लिए जीना है, जिसमें इंसानियत और इंसाफ की बात हो। उनके अनुयायियों का यह विश्वास है कि अगर नसरुल्लाह शहीद भी हो जाएं, तो उनकी विचारधारा और उनका संघर्ष कभी नहीं रुकेगा। वह अपने अनुयायियों को सिखाते हैं कि शहादत हार नहीं है, बल्कि यह जुल्म के खिलाफ लड़ाई को और मजबूत बनाती है। नसरुल्लाह की यह विचारधारा उन्हें एक आध्यात्मिक योद्धा के रूप में स्थापित करती है, जो जुल्म के खिलाफ अपने संघर्ष में कभी नहीं झुकते।

हसन नसरुल्लाह का जीवन एक उदाहरण है कि किस तरह एक व्यक्ति अत्याचार के खिलाफ खड़ा हो सकता है और लाखों लोगों के लिए प्रेरणा बन सकता है। वह केवल एक सैन्य या राजनीतिक नेता नहीं हैं, बल्कि वह एक आध्यात्मिक मार्गदर्शक और इमामे जमाना अस की सेना के सच्चे योद्धा हैं। उनका जीवन, उनका संघर्ष, और उनकी विचारधारा आने वाली पीढ़ियों को जुल्म के खिलाफ लड़ने के लिए प्रेरित करती रहेगी। नसरुल्लाह की जीवन गाथा इंसानियत के लिए न्याय की एक अमिट छाप छोड़ती है जो दुनिया में हमेशा याद रखी जाएगी।

 

हौज़ा इलमिया नजफ़ अशरफ़ ने दुष्ट इसराइल के हमले में शहीद हुए सय्यद हसन नसरुल्लाह की शहादत पर गहरा दुख और शोक व्यक्त करते हुए तीन दिन के शोक की घोषणा की है।

हौज़ा इल्मिया नजफ़ अशरफ़ के बयान का पूरा पाठ इस प्रकार है।

बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्राहीम

बहुत से ऐसे पैगम्बर हुए हैं, जिनके साथ अल्लाह के बहुत से बंदों ने इतने शानदार तरीके से जिहाद किया कि वे ईश्वर की राह में आने वाली कठिनाइयों से कमजोर नहीं हुए, न उन्होंने कायरता दिखाई और न ही सामने अपमान दिखाया।

हौज़ा इलमिया नजफ अशरफ सय्यद  सैय्यद हसन नसरल्लाह और उनके साथ शहीद हुए सज्जनों की शहादत पर शोक की घोषणा करते हैं।

इस बड़ी और गंभीर आपदा में, हौज़ा उलमिया नजफ़ अशरफ़ सबसे पहले इमाम ज़माना की सेवा मे संवेदना व्यक्त करता हैं।

कल मस्जिद खदरा में शहीद के लिए मजलिसे तरहीम का आयोजन किया गया है।

हौ़ज़ा इल्मीया नजफ अशरफ

 

 

 

 

 

हज़रत आयतुल्लाहिल उज़मा सैय्यद अली ख़ामेनेई ने सैयद हसन नसरुल्लाह की शहादत के बाद पूरे ईरान में 5 दिन सार्वजनिक शोक मनाने की घोषणा की है।

हिज़्बुल्लाह मुजाहिद कबीर, क्षेत्र में प्रतिरोध के ध्वजवाहक, धार्मिक गुणों वाले विद्वान और एक बुद्धिमान राजनीतिक नेता, सैय्यद हसन नसरुल्लाह, अल्लाह उन्हें शांति प्रदान करे, कल रात की घटना में शहीद हो गए।

सैय्यद अज़ीज़ को अल्लाह की खातिर दशकों के जिहाद और एक पवित्र संघर्ष के दौरान अपनी मेहनत और कुर्बानी का इनाम मिला।

वह तब शहीद हो गया जब वह बेरुत के शहर के बेघर लोगों और उनके नष्ट हुए घरों और उनके प्रियजनों की रक्षा करने की योजना बना रहा था, ठीक उसी तरह जिस तरह वह फिलिस्तीन के उन उत्पीड़ित लोगों की रक्षा के लिए दशकों से योजना बना रहा था और जिहाद कर रहा था जिनके कस्बों और गांवों पर कब्ज़ा कर लिया और घरों को नष्ट कर दिया और उनके प्रियजनों का नरसंहार किया गया। इतने संघर्ष के बाद शहादत उनका अधिकार थी।

इस्लामी दुनिया, एक महान शख्सियत; और प्रतिरोध मोर्चे ने एक उत्कृष्ट मानक वाहक खो दिया, और हिज़्बुल्लाह ने एक अद्वितीय नेता खो दिया, लेकिन उसके दशकों लंबे जिहाद का आशीर्वाद कभी नहीं खोएगा।

उन्होंने लेबनान में जो आधार स्थापित किया और प्रतिरोध के अन्य केंद्रों को जो दिशा दी, वह न केवल उनके नुकसान के साथ गायब नहीं होगा, बल्कि उनके खून और उनकी शहादत की इस घटना के बाद और ताकत हासिल करेगा।

इजरायली सरकार के शरीर के हर हिस्से पर प्रतिरोध मोर्चे के प्रहार और अधिक तीव्र होंगे इस घटना में इजरााली शासन की दुष्ट, कायरता और धोखे की जीत नहीं हुई है।

प्रतिरोध का सूत्रधार कोई व्यक्ति नहीं था, वह एक रास्ता था, एक पाठशाला था और यह रास्ता चलता रहेगा। शहीद सैय्यद अब्बास मूसवी का ख़ून ज़मीन पर नहीं रुका, न ही शहीद सैय्यद हसन का ख़ून ज़मीन पर रहेगा।

 

सैय्यद अज़ीज़ की पत्नी को, जिन्होंने अल्लाह की राह में उनसे पहले अपने बेटे सैय्यद हादी को भी कुर्बान कर दिया, और उनके प्यारे बच्चों को और इस घटना के शहीदों के परिवारों, हिज़्बुल्लाह के प्रत्येक सदस्यों, और लेबनान के प्रिय लोगों और उच्च अधिकारियों, और पूरे मोर्चे को, मैं महान मुजाहिद नसरुल्लाह और उनके शहीद साथियों की शहादत पर, पूरे इस्लामी उम्मत को बधाई देता हूं और अपनी संवेदना व्यक्त करता हूं, और इस्लामिक ईरान में, पांच दिनों के सार्वजनिक शोक की घोषणा करता हूं। माता-पिता से जोड़े रखें।

 

सैयद अली खामेनेई

 

28/9/2024

 

ह़ज़रत आयतुल्लाहिल उज़मा अलह़ाज ह़ाफ़िज़ बशीर हुसैन नजफ़ी ने हिज़बुल्लाह लेबनान के महासचिव सैयद हसन नसरुल्लाह की महान शहादत पर गहरा दु:ख और शोक व्यक्त करते हुए एक शोक संदेश जारी किया है।

 

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,ह़ज़रत आयतुल्लाहिल उज़मा अलह़ाज ह़ाफ़िज़ बशीर हुसैन नजफ़ी ने हिज़बुल्लाह लेबनान के महासचिव सैयद हसन नसरुल्लाह की महान शहादत पर गहरा दु:ख और शोक व्यक्त करते हुए एक शोक संदेश जारी किया है।

 

शहादत पर जारी बयान का अनुवाद

 

بسم الله الرحمن الرحيم

قال الله تعالى: (وَلاَ تَحْسَبَنَّ الَّذِينَ قُتِلُواْ فِي سَبِيلِ اللّهِ أَمْوَاتاً ‏بَلْ أَحْيَاء عِندَ رَبِّهِمْ يُرْزَقُونَ  ‏فَرِحِينَ بِمَا آتَاهُمُ اللّهُ مِن ‏فَضْلِهِ وَيَسْتَبْشِرُونَ بِالَّذِينَ لَمْ يَلْحَقُواْ بِهِم مِّنْ خَلْفِهِمْ أَلاَّ ‏خَوْفٌ عَلَيْهِمْ ‏وَلاَ هُمْ يَحْزَنُونَ)

अल्लाह सुब्हानहु व त'आला का इरशाद है :"और जो लोग अल्लाह की राह में मारे गए, उन्हें मरा हुआ न समझो, बल्कि वे जीवित हैं और अपने रब से रिज़्क़ पा रहे हैं अल्लाह ने उन्हें अपनी कृपा से जो कुछ दिया है, उससे वे खुश हैं और जिन्होंने अभी तक उन्हें पैरवी (फॉलो) नहीं किया है, वे भी खुश हैं कि उन्हें (क़यामत के दिन) कोई डर नहीं होगा और न ही वे दुखी होंगे।

صَدَقَ اللّهُ الْعَلِيُّ الْعَظِيمُ.‏

बड़े दुःख के साथ हम इमाम ज़माना (अज) की बारगाह में मुजाहिदीन के गौरव और प्रतिरोध के सय्यद ,सैय्यद अल-शोहदा इमाम हुसैन अस के पोते, अल्लामा मुजाहिद सैयद हसन नसरुल्लाह (क़ुद्दीसा सिर्रहु) की शहादत की दुखद खबर पर शोक व्यक्त करते हैं।

हम फ़रज़न्दे ज़हरा (अ.स) की ख़िदमत में शहादत पर मुबारकबाद पेश करते हैं, वो शहादत जिसकी उन्हें हमेशा चाहत थी और वर्तमान काल के फिरौन, पैगम्बरों (अस) के हत्यारों की पीढ़ी से नसीब हुई। यह महान व्यक्तित्व अपने पवित्र पूर्वजों, सिद्दिक़ीन, शहीदों तथा सालेहीन लोगों के कारवां में शामिल हो गया है और उनकी रिफ़ाक़त कितनी बुलंद और रश्क के क़ाबिल है।

दुनिया के स्वतंत्र और स्वतंत्रता-प्रेमी लोगों को यह स्पष्ट होना चाहिए कि इस मुजाहिद सैयद का पवित्र खून व्यर्थ नहीं जाएगा ,बल्कि ये खून अल्लाह की ताकत से  फ़त्ह (जीत) का दरवाजा खोलेगा , अल्लाह त'आला अपनी रहमत से मुसलमानों को बड़ी जीत अता फरमाएंगे।

अमीरुल मोमेनीन (अ.स) का फ़रमान है "तलवार का शेष (खून) बड़ी संख्या और संतान वाला होता है हम अपने दिलों को मज़बूती से थामते हुए इस दुखद त्रासदी को अल्लाह की इच्छा के रूप में स्वीकार करते हैं ,हम मोमेनीन से अनुरोध करते हैं कि वे सैयद हसन नसरुल्लाह (क़ुद्दीसा सिर्रहु) के जीवन, उनके बलिदान और उनकी महान शहादत को मार्गदर्शन और प्रकाश का दीपक बनाएं जैसे उन्होंने सदैव अपने पवित्र पूर्वजों (अस) के मार्ग का अनुसरण किया।

अल्लाह पर भरोसा करें और दीन और दुनिया में उसी की तरफ रुख करें हम उनके सम्मानित परिवार के प्रति अपनी हार्दिक और विशेष संवेदना व्यक्त करते हैं और हम दुआ करते हैं कि अल्लाह इस बड़ी विपत्ति के लिए उनके दिलों और हमारे दिलों को धैर्य (सब्र) प्रदान करे और उनके दरजात को आला इल्लीयीन में बुलंद फ़रमाए।

ولا حول ولا قوۃ إلا باللہ العلی العظیم

बशीर हुसैन अल नजफ़ी

दिनांक: 24 रबी अव्वल 1446, दिनांक: 28/9/2024

हौज़ा इल्मिया के प्रमुख ने अपने संदेश में मुजाहिद आलिम सैयद हसन नसरुल्लाह की शहादत पर संवेदना प्रकट करते हुए कहा कि उलेमा, हौज़ा इल्मिया और सभी धार्मिक संस्थान हमेशा अल्लाह के वादे और अहद पर कायम रहेंगे और लेबनान, फ़िलस्तीन, हिज़्बुल्लाह और इस्लामी मुक़ावमत की जनता के साथ खड़े रहेंगे। हम सभी क़ौमों और हुकूमतों को इंतेक़ाम और जिहाद के लिए आमंत्रित करते हैं।

हौज़ा इल्मिया के प्रमुख आयतुल्लाह अली रज़ा आराफी ने सैयद हसन नसरुल्लाह की शहादत पर शोक संदेश जारी किया है।

 

शोक संदेश कुछ इस प्रकार है:

بسم الله قاصم الجبارین و مبیر الظالمین، انه خیر ناصر و معین

وَمِنَ النَّاسِ مَن یَشْرِی نَفْسَهُ ابْتِغَاء مَرْضَاتِ اللّهِ وَاللّهُ رَؤُوفٌ بِالْعِبَاد (بقره/۲۰۷)

अल्लाह तआला ने अपने ख़ास बंदों के लिए शहादत के दरवाज़े खोल दिए हैं पैगंबर ए आज़म स.ल.व. और आइम्मा-ए-अतहार अ.स.और सैयद-उश-शोहदा हज़रत इमाम हुसैन अ.स.ने हमें जिहाद और शहादत की राह दिखाई है।

आधुनिक युग में इमाम ख़ुमैनी र.ह. ने इस मशाल को रौशन किया, इस परचम को बुलंद किया और इस्लामी इंक़लाब के ज़रिए दुनिया की सियासत को पूरी तरह बदल दिया और मुस्तकबिरीन और सैयोनी को बुरी तरह शिकस्त दी।

उलमा ए इस्लाम ने हमेशा अल्लाह की राह में शहादत को और इंसानों तथा मुसलमानों की ख़िदमत को अपना फ़र्ज़ माना है।

आह! अब हम हैं और सैयद हसन नसरुल्लाह की शहादत का ग़म है यह अज़ीम शहीद हिज़्बुल्लाह लेबनान और इस्लामी मुक़ावमत के वो महान मुजाहिद और क़ायद थे, जो एक असाधारण शख़्सियत थे और इस क्षेत्र में महत्वपूर्ण बदलाव का सबब बने।

वो एक महान शख़्सियत अच्छे अख़लाक़ के नमूना, और अरबी व इस्लामी इज़्ज़त की अलामत थे मैदानी बहादुरी और रूहानी व सियासी बसीरत (दूरदर्शिता) के मालिक थे।

उन्होंने इस्लामी इंक़लाब के नजात बख़्श पैगाम और इमाम ख़ुमैनी क़ुदस सिरह रहबर-ए-मुआज़्ज़म हज़रत ख़ामनेई इमाम मूसा सादर और हिज़्बुल्लाह के शोहदा के रास्ते को लेबनान, फ़िलस्तीन और पूरी दुनिया के मुसलमानों में फैलाया और मज़लूम लेबनान को, जो एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक पृष्ठभूमि रखता है।

उन्होंने लेबनान को क्षेत्रीय मामलों का केंद्र बना दिया उनकी शख्सियत में एक ऐसी अद्भुत आकर्षण थी जिसकी खींच पूरी दुनिया में फैली हुई थी उनकी स्पष्ट दृष्टि, ऊँची आवाज़ और मजबूत नेतृत्व ने मुस्तकबिरों और सैयोनियों को हिला कर रख दिया था।

अल्लाह तआला की मदद उनकी शहादत और शहीद इस्माइल हनिय्या और हिज़्बुल्लाह व हमास के अन्य शहीद कमांडरों, और फ़िलस्तीन व लेबनान के बच्चों महिलाओं और पुरुषों की बड़ी संख्या और शहीद उलमा-ए-कराम के खून की बरकत से एक क्रांतिकारी तूफ़ान शुरू होगा और उम्मत-ए-मुस्लिमा ज़ालिमों को खत्म कर देगी।

उनकी शहादत और शहीद सरदार मुहाफिज़ निलफरोशान और सभी हालिया शहादतों पर हज़रत वली-ए-अस्र अ.स.व नजफ और दुनिया भर के हौज़ात-ए-इल्मिया, रहबर-ए-मुआज़्ज़म सैयद अली ख़ामनेई मराजे-ए-तकलिद पूरे क्षेत्र में प्रतिरोधी धारा, फ़िलस्तीन, लेबनान, यमन, इराक़ और अन्य देशों की क़ौमों, इस्लामी और अरब राष्ट्र, अज़ीज़ मिल्लत-ए-ईरान, हिज़्बुल्लाह, शोहदाए-मुक़ावमत और पासदाराने-इंक़लाब-ए-इस्लामी के परिवारों, ख़ासकर सैयद हसन नसरुल्लाह के खानदान की सेवा में संवेदना व्यक्त करते हैं।

इसी सिलसिले में हौज़ा इल्मिया में आम शोक का ऐलान किया जाता है और कल, 29 सितंबर 2024, इतवार के दिन सभी हौज़ा इल्मिया में तालीमी सरगर्मियां मुअत्तल रहेंगी और हौज़ा इल्मिया में उलमा और अवाम का एक विशाल इज्तिमा आयोजित किया जाएगा।

الا ان نصرالله قریب و ماالنصر الا من عندالله العزیز الحکیم.

अली रज़ा अआराफी

प्रमुख हौज़ा इल्मिया

28 सितंबर 2024

 

क़ुम के छात्रों ने सय्यद हसन नसरुल्लाह की शहादत पर एक शोक जुलूस निकाला, जो हज़रत मासूमा (स) की दरगाह पर समाप्त हुआ।

हौज़ा इलमिया क़ुम के कुछ मदरसों के छात्रों ने सय्यद हसन नसरुल्लाह की शहादत पर गहरा दुख व्यक्त करते हुए एक शोक जुलूस निकाला। उन्होंने इज़रायली अत्याचारों के खिलाफ हिजबुल्लाह के पूर्ण समर्थन की घोषणा की।

छात्रों ने नम आंखों से सय्यद मुक़ावेमत की शहादत पर दुख जताया और कफन पहनकर मातमी जुलूस में शामिल हुए और प्रतिरोध के साथ खड़े रहने का ऐलान किया।

इस मातमी जुलूस में सैकड़ों छात्र शामिल थे, जो लब्बैक या नसरुल्लाह और लब्बैक या हुसैन के नारे लगा रहे थे।

 

लखनऊ सरफ़राज़गंज में सय्यद हसन नसरुल्लाह की शहादत की सूचना मिलने के कुछ देर बाद क्षेत्र की महिलाऐं मौला अली अलै. के रौज़े में एकत्र हुईं और मोमबत्ती जला कर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की। इस सभा में आलिमाओं ने संवेदना व्यक्त करते हुए उनके बलिदान के बारे में बताया अंत में दुआओं के साथ सभा सम्पन्न हुई।

हज़रत आयतुल्लाह मकारिम शिराज़ी ने सय्यद हसन नसरुल्लाह की शहादत पर हज़रत वली अस्र (अ), हिज़्बुल्लाह के बहादुर मुजाहिदीन, लेबनान के उत्साही लोगों, गर्वित विद्वानों और सभी स्वतंत्रता-प्रेमी मुसलमानों को बधाई और शोक व्यक्त किया है।

हिज़्बुल्लाह लेबनान के मुजाहिदीन विद्वान सैय्यद हसन नसरल्लाह की शहादत पर  आयतुल्लाहिल उज़्मा मकारिम शिराज़ी के शोक संदेश का पाठ निम्नलिखित है:

बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्राहीम

مِنَ الْمُؤْمِنِینَ رِجالٌ صَدَقُوا ما عاهَدُوا اللّهَ عَلَیْهِ فَمِنْهُمْ مَنْ قَضی نَحْبَهُ وَ مِنْهُمْ مَنْ یَنْتَظِرُ وَما بَدَّلُوا تَبْدِیلاً मिनल मोमेनीना रेजालुन सदक़ू मा आहदल्लाहो अलैहे फ़मिन्हुम मन क़ज़ा नहबहू व मिन्हुम मय यंतज़ेरो वमा बद्दलू तबदीला

मुजाहिदीन विद्वान और अल्लाह के नेक बंदा, हिजबुल्लाह के दिवंगत महासचिव, हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लेमीन सैयद हसन नसरूल्लाह (र) की शहादत की खबर ने सभी मुसलमानों और स्वतंत्रता सेनानियों के दिलों को दु:ख और शोक के साथ संसार को भर दिया है।

खुदा की राह में मुजाहिदीन की शहादत न तो हार है और न ही अपमान; बल्कि, यह उनके दिल की इच्छा और उनके लिए सर्वोच्च पुरस्कार और दैवीय आशीर्वाद है।

इन वर्षों के दौरान, लेबनान, फिलिस्तीन और मुस्लिम उम्माह दुश्मन ज़ायोनीवादियों के खिलाफ उनके बुद्धिमान नेतृत्व के ऋणी थे और उनकी निस्वार्थ सेवा को कभी नहीं भूलेंगे। प्रतिरोध का परचम हमेशा ऊँचा रहेगा और दुश्मन कभी भी अपनी नापाक इच्छाओं को पूरा नहीं कर पाएगा क्योंकि इस रास्ते में कई मुजाहिदीन हैं जो सैय्यद अल-शोहदा (अ) के रास्ते पर चलते हैं और अपने महान शहीदों के रास्ते पर चलते हैं।

मैं सैय्यद नसरुल्लाह की शहादत पर हज़रत वली अस्र (अरावहाना फ़िदा), हिज़्बुल्लाह के बहादुर मुजाहिदीन, लेबनान के उत्साही लोगों, सम्माननीय विद्वानों, सभी स्वतंत्रता-प्रेमी मुसलमानों और विशेष रूप से उनके सम्माननीय परिवार के प्रति अपनी संवेदनाएँ व्यक्त करता हूँ। अल्लाह तआला उनके दरजात को बढ़ाएँ, उनके जीवित बचे लोगों को धैर्य प्रदान करें, प्रतिरोध मोर्चे की शीघ्र जीत प्रदान करें, ज़ायोनीवादियों का विनाश और इस्लाम के दुश्मनों और दुनिया के उत्पीड़कों की हार और अपमान करें।

फ़इन हिज़्बुल्लाहे होमुल ग़ालेबून

वस सलामो अलैकुम

क़ुम - नासिर मकारिम शिराज़ी

28 सितंबर 2024

हौज़ा इलमिया नजफ़ अशरफ़ ने दुष्ट इसराइल के हमले में शहीद हुए सय्यद हसन नसरुल्लाह की शहादत पर गहरा दुख और शोक व्यक्त करते हुए तीन दिन के शोक की घोषणा की है।

हौज़ा इल्मिया नजफ़ अशरफ़ के बयान का पूरा पाठ इस प्रकार है।

बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्राहीम

बहुत से ऐसे पैगम्बर हुए हैं, जिनके साथ अल्लाह के बहुत से बंदों ने इतने शानदार तरीके से जिहाद किया कि वे ईश्वर की राह में आने वाली कठिनाइयों से कमजोर नहीं हुए, न उन्होंने कायरता दिखाई और न ही सामने अपमान दिखाया।

हौज़ा इलमिया नजफ अशरफ सय्यद  सैय्यद हसन नसरल्लाह और उनके साथ शहीद हुए सज्जनों की शहादत पर शोक की घोषणा करते हैं।

इस बड़ी और गंभीर आपदा में, हौज़ा उलमिया नजफ़ अशरफ़ सबसे पहले इमाम ज़माना की सेवा मे संवेदना व्यक्त करता हैं।

कल मस्जिद खदरा में शहीद के लिए मजलिसे तरहीम का आयोजन किया गया है।

हौ़ज़ा इल्मीया नजफ अशरफ