رضوی

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मलेशिया के प्रधान मंत्री अनवर इब्राहीम ने कुरान हिफ़्ज़ करने वाले संस्थानों के छात्रों को इस्लामोफोबिया और इस्लाम के खिलाफ नफरत से निपटने के लिए सही इस्लामी शिक्षाओं को फैलाने का संदेश दिया हैं।

मलेशिया के प्रधान मंत्री अनवर इब्राहीम ने कुरान हिफ़्ज़ करने वाले संस्थानों के छात्रों को इस्लामोफोबिया और इस्लाम के खिलाफ नफरत से निपटने के लिए सही इस्लामी शिक्षाओं को फैलाने का संदेश दिया हैं।

एक रिपोर्ट के अनुसार, जिन समूहों ने इसकी पवित्रता को चुनौती दी है उनके कारण इस्लाम की स्थिति एक चौराहे पर है।

अनवर इब्राहिम ने कहा इसलिए कुरान के लोगों को अपनी गतिविधियाँ जारी रखनी चाहिए और मुझे यकीन है कि उनका भविष्य उज्ज्वल है इस तथ्य का पालन करें कि इस्लाम का संदेश;सत्य, न्याय, एकता, दया और प्रेम हमें इसी का बचाव करना चाहिए।

उन्होंने जोर दिया,हम गैर मुसलमानों के अधिकारों का सम्मान करते हैं, लेकिन उन्हें इस्लाम के खिलाफ शत्रुतापूर्ण पश्चिमी राय नहीं चुननी चाहिए उन्हें इस्लाम के खिलाफ बोलने का कोई अधिकार नहीं है इसलिए हमें इन पार्टियों के खिलाफ खड़ा होना चाहिए।

हाल के वर्षों में मलेशिया में इस्लामोफोबिक बयान और इस्लामी आंदोलन का सामना करने के प्रयास तेज हो गए हैं।

इनमें से अधिकतर बयानों को पश्चिमी देशों के साथ-साथ इस्लामी दुनिया में उनके सहयोगियों द्वारा भी समर्थन प्राप्त है।

यह इस तथ्य के बावजूद है कि मलेशिया में इस्लामवादियों की ज़िम्मेदारी के दौर में इस देश ने आर्थिक चमत्कार देखा है और इसकी अर्थव्यवस्था कई क्षेत्रों में तरक्की याफ़्ता अर्थव्यवस्था बन गई है।

 

प्राप्त ताज़ा सूचनायें इस बात की सूचक हैं कि ज़ायोनी सरकार ने ग़ज़ा पट्टी में अपने अपराधों के अलावा अब तक पश्चिमी किनारे के भी हज़ारों फ़िलिस्तीनियों को गिरफ़्तार किया है।

फ़िलिस्तीनी क़ैदियों से संबंधित सूत्रों ने एलान किया है कि ज़ायोनी सरकार ने पिछले सात अक्तूबर से अब तक 10 हज़ार 700 फ़िलिस्तीनियों को पश्चिमी किनारे से गिरफ़्तार किया है।

ज़ायोनी सरकार ने इस अवधि में हज़ारों फ़िलिस्तीनियों को ग़ज़ा पट्टी में भी गिरफ़्तार किया है। इस रिपोर्ट के आधार पर ज़ायोनी सरकार ने जब से पश्चिमी किनारे पर नया हमला आरंभ किया है उस समय से लेकर अब तक 50 फ़िलिस्तीनी इस क्षेत्र में शहीद हो चुके हैं।

ज़ायोनी सरकार ने पश्चिमी देशों के व्यापक समर्थन से 7 अक्तूबर 2023 से ग़ज़ा पट्टी और पश्चिमी किनारे पर फ़िलिस्तीन के मज़लूम लोगों के ख़िलाफ़ व्यापक युद्ध आरंभ कर दिया है परंतु अब तक घोषित लक्ष्यों में से किसी भी एक लक्ष्य को वह हासिल नहीं कर सकी है।

इसके मुक़ाबले में ग़ज़ा में फ़िलिस्तीनी प्रतिरोध और लेबनान, इराक़, यमन और सीरिया के प्रतिरोधकों गुटों ने एलान कर रखा है कि वे अतिग्रहणकारी इस्राईल के अपराधों का बदला लेकर रहेंगे।

प्राप्त अंतिम रिपोर्टों के अनुसार ज़ायोनी सरकार के पाश्विक हमलों में अब तक 41 हज़ार से अधिक फ़िलिस्तीनी शहीद और 95 हज़ार से अधिक घायल हो चुके हैं।

ज्ञात रहे कि ब्रिटेन की साम्राज्यवादी नीति के तहत ज़ायोनी सरकार का ढांचा वर्ष 1917 में ही तैयार हो गया था और विश्व के विभिन्न देशों व क्षेत्रों से यहूदियों व ज़ायोनियों को लाकर फ़िलिस्तीनियों की मातृभूमि में बसा दिया गया और वर्ष 1948 में ज़ायोनी सरकार ने अपने अवैध अस्तित्व की घोषणा कर दी। उस समय से लेकर आजतक विभिन्न बहानों से फ़िलिस्तीनियों की हत्या, नरसंहार और उनकी ज़मीनों पर क़ब्ज़ा यथावत जारी है।

इस्लामी गणतंत्र ईरान सहित कुछ देश इस्राईल की साम्राज्यवादी सरकार के भंग व अंत किये जाने और इसी प्रकार इस बात के इच्छुक हैं कि जो यहूदी व ज़ायोनी जहां से आये हैं वहीं वापस चले जायें।

हज़रत आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने मंगलवार 17 सितम्बर 2024 की सुबह पेरिस ओलंपिक और पैरालिंपिक 2024 में भाग लेने वाले ईरानी दस्ते के सदस्यों से मुलाक़ात में ईरानी क़ौम की सलाहियतों के भरपूर प्रदर्शन और उसके राष्ट्रीय, राजनैतिक और धार्मिक पहचान के प्रदर्शन को इस ओलंपिक में ईरानी खिलाड़ियों की शिरकत का सबसे नुमायां नतीजा बताया हैं।

हज़रत आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने मंगलवार 17 सितम्बर 2024 की सुबह पेरिस ओलंपिक और पैरालिंपिक 2024 में भाग लेने वाले ईरानी दस्ते के सदस्यों से मुलाक़ात में ईरानी क़ौम की सलाहियतों के भरपूर प्रदर्शन और उसके राष्ट्रीय, राजनैतिक और धार्मिक पहचान के प्रदर्शन को इस ओलंपिक में ईरानी खिलाड़ियों की शिरकत का सबसे नुमायां नतीजा बताया। 

उन्होंने बड़ा कारनामा करने वाले मुल्क के सबसे अज़ीज़ सपूतों से मुलाक़ात पर अत्यधिक ख़ुशी का इज़हार करते हुए कहा कि आपने अपने मेडलों और अमल से क़ौम का दिल ख़ुश कर दिया। मैं दिल की गहराई से आपका, आपके कोचों का और सभी संबंधित लोगों का शुक्रिया अदा करता हूं। 

इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने स्पोर्टस की अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं को शारीरिक ताक़त और खेल की महारत के साथ ही क़ौमों के मनोवैज्ञानिक बल और आत्म विश्वास के प्रदर्शन का प्लेटफ़ार्म बताया और कहा कि आपने पेशेवराना और खेल की सलाहियत के प्रदर्शन के साथ ही फ़िलिस्तीन और ग़ज़ा के बच्चों के नाम मेडल करने, हेजाब और सज्जनता, ओलंपिक जाने वाले खिलाड़ियों के कारवां के नाम इमामों के नाम पर रखने और फ़िलिस्तीन के परचम के साथ सेल्फ़ी लेने जैसे अर्थपूर्ण कामों से अपनी आध्यात्मिक सलाहियतों और क़ौमी, इस्लामी और आस्था की पहचान को पेश किया और उसका मान सम्मान बढ़ाया। 

उन्होंने ईरानी क़ौम की पहचान, हक़ीक़त और आस्था को बदलने के लिए दुश्मनों की मुसलसल कोशिशों की ओर इशारा करते हुए कहा कि वे कहते हैं कि ईरान में धार्मिक भावना कमज़ोर हो गयी है, लेकिन जब हमारा चैंपियन करोड़ों लोगों की नज़रों के सामने क़ुरआन को चूमता है और शुक्र का सजदा करता है तो ईरानी क़ौम की हक़ीक़त और पहचान, उसकी ओर से आस्था की पाबंदी और ईरानी क़ौम की महानता के लिए कोशिश नुमायां हो जाती है और आपके प्रदर्शन में आँखों को ठंडक पहुंचाने वाली इस तरह की निशानियां स्पष्ट थीं। 

आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने समाज में उम्मीद पैदा होने को स्पोर्ट्स के चैंपियनों की ओर से मेडल हासिल किए जाने का एक नतीजा बताया और कहा कि कुछ लोग छोटे से शारीरिक हादसे में निराशा का शिकार हो जाते हैं लेकिन जब हमारा जवान खिलाड़ी पैरालिंपिक में व्हील चेयर पर अपनी ताक़त का प्रदर्शन करता है तो दिल, उम्मीदों से भर जाते हैं। 

उन्होंने इस साल के ओलंपिक और पैरालिंपिक के मुक़ाबलों में विश्व स्पोर्टस पर कुछ मुल्कों की छायी हुयी दोहरी व द्वेषपूर्ण नीतियों को पूरी तरह स्पष्ट बताया और कहा कि एक मुल्क को जंग की वजह से मुक़ाबलों में भाग लेने से रोक देते हैं जबकि ज़ायोनी शासन को, जिसने लगभग एक साल के दौरान हज़ारों बच्चों सहित 41 हज़ार इंसानों का क़त्ल किया है, स्पोर्ट्स के मुक़ाबलों में भाग लेने से रोका नहीं जाता। 

इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने कहा कि जैसा कि हमने बारंबार कहा है कि इन दोहरी व द्वेषपूर्ण नीतियों से ज़ाहिर हो जाता है कि स्पोर्ट्स के राजनैतिक न होने के दावे के विपरीत सबसे ज़्यादा राजनैतिक दुश्मनी स्पोर्ट्स में ही निकाली जाती है। 

उन्होंने इसी तरह अधिकारियों पर बल दिया कि ऐसे खिलाड़ियों की ओर से ग़ाफ़िल न रहें जो अपने राष्ट्रीय या धार्मिक जज़्बे की वजह से ज़ायोनी प्रतियोगी से मुक़ाबला नहीं करते और व्यवहारिक तौर पर उन्हें इसकी क़ीमत चुकानी पड़ती है इसलिए ऐसे खिलाड़यों पर ध्यान देना, स्पोर्ट्स के अधिकारियों की अहम ज़िम्मेदारियों में से एक है। 

इस मुलाक़ात के आग़ाज़ में स्पोर्ट्स और जवानों के मामलों के मंत्री जनाब दुनिया माली ने पेरिस ओलंपिक और पैरालिंपिक में ईरानी खिलाड़ियों के गौरवपूर्ण प्रदर्शन के बारे में एक रिपोर्ट पेश की और कहा कि इन मुक़ाबलों में कुल मिलाकर 37 बार प्रतियोगिता की जगह पर ईरान का प्यारा परचम लहराया गया। 

इस मुलाक़ात में, कई बार पैरालिंपिक में तीरअंदाज़ी में गोल्ड मेडल जीतने वाली मोहतरमा सारा जवानमर्दी, टाइकवान्डो में ओलंपिक का गोल्ड मेडल जीतने वाले जनाब आर्यन सलीमी और पैरालिंपिक में भारोत्तोलन में गोल्ड मेडल जीतने वाले जनाब रूहुल्लाह रुस्तमी ने खिलाड़ियों की ओर से इस्लामी इंक़ेलाब के नेता की दुआओं, मुबारकबाद के पैग़ामों और सपोर्ट का शुक्रिया अदा किया।

 

 

 

ईरान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कम्युनिकेशन सिस्टम्स को धमाके से उड़ाकर लेबनानी नागरिकों को निशाना बनाने की ज़ायोनी शासन की आतंकवादी कार्रवाई को सामूहिक हत्या का नमूना क़रार दिया है।

ईरान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नासिर कनआनी ने कहा: लेबनान में आतंकवादी ऑप्रेशन, ज़ायोनी शासन और उसके भाड़े के एजेंटों के संयुक्त आप्रेशन्ज़ के तहत अंजाम दिए गए थे, और यह सभी नैतिक और मानवीय सिद्धांतों और अंतर्राष्ट्रीय कानून के विपरीत हैं और अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक क़ानून के तहत,परीक्षण और सज़ा का हकदार है।

 कनआनी ने कहा: यह संयुक्त आतंकवादी कृत्य, जो वास्तव में एक प्रकार की सामूहिक हत्या है, एक बार फिर स्पष्ट रूप से साबित करता है कि ज़ायोनी शासन, फ़िलिस्तीनी जनता के ख़िलाफ युद्ध अपराध और नरसंहार करने के अलावा, क्षेत्रीय शांति और सुरक्षा और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर एक गंभीर ख़तरा पैदा कर रहा है।

उन्होंने कहा: इसीलिए ज़ायोनी शासन के खिलाफ आतंकवादी कृत्यों और इसके कारण होने वाले ख़तरों का मुकाबला करना, एक स्पष्ट आवश्यकता बन गयी है और अपराधी ज़ायोनी अधिकारियों की सज़ा से मुक्ति का मुकाबला करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के लिए शीघ्र कार्रवाई करना ज़रूरी हो गया है।

इस दौरान, संयुक्त राष्ट्र संघ में ईरान के राजदूत और स्थायी प्रतिनिधि अमीर सईद एरवानी ने लेबनान में इज़राइल के साइबर आतंकवादी कृत्य की निंदा की और कहा: इजराइली शासन को इस जघन्य अपराध और हमलों के लिए जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए।

मंगलवार शाम को मीडिया ने लेबनान के कई इलाकों में कई कम्युनिकेशन सिस्टम्स में विस्फोट की ख़बर दी थी।

लेबनान के स्वास्थ्य मंत्रालय के एलान के अनुसार, इस आतंकवादी कार्रवाई में 2750 लोग घायल हुए और 11 लोग शहीद हुए।

इमाम हुसैन अ.स. एक ऐसी ज़ात है जिस से पूरी दुनिया में हर मज़हब और जाति के लोग मोहब्बत करते और आपसे ख़ास अक़ीदत रखते हैं। हम सभी यह बात जानते हैं कि अर्मेनियाई, यहूदी और पारसी से ले कर बौध्दों और कम्युनिस्टों तक जिस किसी के दिल में भी ज़ुल्म और अत्याचार से नफ़रत होगी वह इमाम हुसैन अ.स. से दिली लगाव रखता होगा, और यह आसमानी शख़्सियत केवल मुसलमानों से विशेष नहीं है, इसके बावजूद इंसानियत के दुश्मन और बेदीन वहाबी टोले की हमेशा से कोशिश रही है कि अहले सुन्नत के दिल से इमाम अ.स. की मोहब्बत को कम कर दें और उनको पैग़म्बर स.अ. के नवासे इमाम हुसैन अ.स. की मुसीबत पर आंसू बहाने से महरूम रखें। इस लेख में हमारी कोशिश यह है कि हम इमाम हुसैन अ.स. के लिए अहले सुन्नत की मशहूर, अहम और भरोसेमंद किताबों में किस तरह के अक़ाएद और विचार हैं उनको बयान करें और पैग़म्बर स.अ. द्वारा इमाम हुसैन अ.स. की शान में बयान की गई हदीसों को इन्हीं किताबों से पेश करें ताकि इंसानियत के दुश्मन अपनी साज़िशों में हमेशा की तरह नाकाम रहें।

सबसे पहले हम इस बात को बयान करेंगे कि क्या अहले सुन्नत अल्लाह के अलावा किसी दूसरे के लिए आंसू बहाने को हराम और बिदअत समझते हैं? सूरए यूसुफ़ में अल्लाह हज़रत याक़ूब अ.स. के बारे में फ़रमाता है कि वह हमेशा हज़रत यूसुफ़ के बिछड़ने पर रोते रहते थे यहां तक कि आप हज़रत यूसुफ़ के लिए इतना रोए कि आपकी आंखों की रौशनी चली गई। अहले सुन्नत के बड़े आलिम जलालुद्दीन सियूती अपनी मशहूर तफ़सीर दुर्रुल मनसूर में लिखते हैं कि हज़रत याक़ूब अ.स. ने अपने बेटे हज़रत यूसुफ़ अ.स. के बिछड़ने के ग़म में 80 साल आंसू बहाए और उनकी आंखों की रौशनी चली गई। (दुर्रुल मनसूर, जलालुद्दीन सियूती, जिल्द 4, पेज 31) लेकिन क्या अहले सुन्नत की कुछ किताबों के मुताबिक़ मुर्दे के लिए आंसू बहाना जाएज़ है? तो इसका जवाब भी ख़ुद अहले सुन्नत की किताब में ही मौजूद है कि जब पैग़म्बर स.अ. हज़रत हम्ज़ा के जनाज़े पर पहुंचे तो जनाज़े को देख कर इतना रोए कि बेहोश हो गए। (ज़ख़ाएरुल उक़्बा, तबरी, जिल्द 6, पेज 686) तारीख़ में मिलता है कि ओहद के दिन सब अपने अपने शहीदों की लाश के पास बैठे आंसू बहा रहे थे, पैग़म्बर स.अ. की निगाह जब हज़रत हमज़ा की लाश पर पड़ी आपने कहा कि सब अपने अपने अज़ीज़ों की लाश पर आंसू बहा रहे हैं लेकिन कोई हज़रत हम्ज़ा पर आंसू बहाने वाला नहीं है, उन शहीदों की बीवियों ने पैग़म्बर स.अ. की यह बात जैसे ही सुनी सब अपने शहीदों की लाश को छोड़ कर हज़रत हम्ज़ा पर आंसू बहाने लगीं (मजमउज़ ज़वाएद, हैसमी, जिल्द 6, पेज 646) जिस दिन से पैग़म्बर स.अ. ने यह कहा कि मेरे चचा हज़रत हम्ज़ा पर कोई रोने वाला नहीं है, आपके अन्सार की बीवियां जब भी अपने शहीदों पर रोना चाहती थीं पहले हज़रत हम्ज़ा की मज़लूमी पर रोती थीं फिर अपने घर वालों का मातम करती थीं। (सीरए हलबी, जिल्द 2, पेज 247)

अज़ादारी और मरने वालों पर आंसू बहाने के बारे में अहले सुन्नत की किताबों में बहुत ज़्यादा हदीसें मौजूद हैं, लेकिन हम यहां पर संक्षेप की वजह से केवल एक हदीस उस्मान इब्ने अफ़्फ़ान से नक़्ल कर रहे हैं.... उस्मान एक क़ब्र के किनारे बैठ कर इस क़द्र रोए और आंसू बहाए कि उनकी दाढ़ी तक भीग गई थी। (सोनन इब्ने माजा, जिल्द 4, पेज 6246) लेकिन एक अहम सवाल यह है कि क्या अहले सुन्नत की किताबों में इमाम हुसैन अ.स. पर रोने के बारे में सही रिवायत और हदीस मौजूद है या नहीं? उम्मुल फ़ज्ल का इमाम हुसैन अ.स. की शहादत के बारे में ख़्वाब हाकिमे नेशापूरी ने मुस्तदरकुस सहीहैन में हारिस की बेटी उम्मुल फ़ज़्ल से नक़्ल करते हुए लिखा है कि, एक दिन मैंने बहुत अजीब ख़्वाब देखा और फिर पैग़म्बर स.अ. के पास जा कर बताया, पैग़म्बर स.अ. ने फ़रमाया अपना ख़्वाब बयान करो, उम्मुल फ़ज़्ल ने कहा ऐ अल्लाह के रसूल बहुत अजीब ख़्वाब है बयान करने की हिम्मत नहीं हो रही, पैंगम्बर स.अ. के दोबारा कहने पर उम्मुल फ़ज़्ल अपना ख़्वाब इस तरह बयान करती हैं, मैंने देखा कि आपके बदन का एक टुकड़ा जुदा हो कर मेरे दामन में आ गया, पैग़म्बर स.अ. ने फ़रमाया बहुत अच्छा ख़्वाब देखा है, फिर फ़रमाया बहुत जल्द मेरी बेटी फ़ातिमा स.अ. को अल्लाह एक बेटा देगा, और वह बेटा तुम्हारी गोद में जाएगा, जब इमाम हुसैन अ.स. पैदा हुए तो पैग़म्बर स.अ. ने उन्हें मेरी गोद में दे दिया, एक दिन इमाम हुसैन अ.स. मेरी गोद में थे मैं पैग़म्बर के पास गई, आपने इमाम अ.स. को देखा और आपकी आंखों में आंसू आ गए, मैंने कहा मेरे मां बाप आप पर क़ुर्बान हो जाएं आप क्यों रो रहे हैं, आपने फ़रमाया, अभी जिब्रईल आए थे और मुझे ख़बर दे गए कि मेरी ही उम्मत के कुछ लोग मेरे बेटे को शहीद कर देंगे, और जिब्रईल लाल रंग की मिट्टी भी दे गए हैं। हाकिम नेशापूरी इस रिवायत को लिखने के बाद कहते हैं यह रिवायत सही है लेकिन इसको बुख़ारी और मुस्लिम ने नक़्ल नहीं किया है। (अल-मुस्तदरक अलस-सहीहैन, हाकिम नेशापूरी, जिल्द 3, पेज 194, हदीस न. 4818)

इमाम हुसैन अ.स. पर पड़ने वाली मुसीबतों पर पैग़म्बर का आंसू बहाना अब्दुल्लाह इब्ने नजा अपने वालिद नजा से नक़्ल करते हैं कि वह इमाम अली अ.स. के साथ सिफ़्फ़ीन की जंग में जा रहे थे, रास्ते में इमाम अली अ.स. ने उनसे फ़रमाया कि फ़ुरात के किनारे रुक जाना, मैंने रुकने की वजह पूछी तो फ़रमाया, एक दिन पैग़म्बर स.अ. के पास गया उनकी आंखों में आंसू देखे, मैंने कहा ऐ रसूले ख़ुदा स.अ. आपको किसने रुलाया, पैग़म्बर स.अ. ने फ़रमाया अभी कुछ देर पहले जिब्रईल आए थे और ख़बर दे गए कि फ़ुरात के किनारे इमाम हुसैन अ.स. को शहीद किया जाएगा, फिर कहा क्या आप उस जगह की मिट्टी को सूंघना चाहते हैं, मैंने कहा हां, जैसे ही मेरे हाथ में वहां की मिट्टी रखी मैं अपने आंसुओं को नहीं रोक पाया। (मुस्नदे अहमद बिन हंबल, तहक़ीक़ अहमद मोहम्मद शाकिर, जिल्द 1, पेज 446) इन अहले सुन्नत की किताबों से पेश की गई हदीसों और रिवायतों से पैग़म्बर स.अ. का मरने वाले के लिए आंसू बहाना विशेष कर इमाम हुसैन अ.स. की शहादत की खबर सुन कर बेचैन हो कर आंसू बहाना साबित हो जाता है। अब भी वहाबी टोले का इमाम हुसैन अ.स. पर आंसू बहाने पर बिदअत और हारम के फ़तवे लगाने का एकमात्र कारण अहले बैत अ.स. के घराने से दुश्मनी के अलावा कुछ नहीं है।

 

 

 

रूस के खिलाफ पिछले 2 साल से भी अधिक समय से नाटो की जंग लड़ रहा यूक्रेन अब सीरिया में आतंकी संगठनों को ड्रोन समेत आधुनिक हथियार पहुंचा रहा है।

रशिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार, तहरीरुश्शाम और नुस्रह फ्रंट जैसे आतंकी संगठनों को यूक्रेन ड्रोन दे रहा है और बदले में इन संगठनों के आतंकियों को रूस के खिलाफ जंग के लिए मैदान में उतार रहा है।

बता दें की कुछ समयय पहले ही रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने कहा था कि यूक्रेन की एजेंसियां तहरीरुश्शाम के आतंकियों को रूस के खिलाफ घिनौने अभियानों के लिए इस्तेमाल कर रही हैं।

 

यमन सेना की हवाई रक्षा इकाई ने एक बार फिर अमेरिका को गहरा सदमा देते हुए ज़ीमार प्रांत के आसमान पर अमेरिका के अत्याधुनिक ड्रोन MQ9 का शिकार किया।

"अल-एलामुल-हरबी" के नाम से पहचाने जाने वाले यमनी सेना के सैन्य सूचना केंद्र ने सोमवार रात इस ड्रोन के विनाश से संबंधित तस्वीरें प्रकाशित कीं।

बता दें कि यमन सेना इस से पहले भी अमेरिका के इस अत्याधुनिक ड्रोन को कम से कम 9 बार शिकार कर चुकी है। 

 

ईद मिलादुन्नबी का त्योहार धूमधाम से मनाया जा रहा है उनका जीवन इस्लामिक शिक्षाओं का आदर्श है जो इंसानियत दया न्याय और समानता पर आधारित है।

दुनियाभर में मुस्लिम समुदाय द्वारा ईद मिलादुन्नबी का त्योहार धूमधाम से मनाया जा रहा है जो पैगंबर मोहम्मद साहब के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है।

इस्लाम धर्म के प्रवर्तक और अंतिम नबी, पैगंबर मोहम्मद साहब ने इंसानियत और धार्मिकता की अद्वितीय मिसाल पेश की उनका जीवन इस्लामिक शिक्षाओं का आदर्श है जो इंसानियत, दया, न्याय और समानता पर आधारित है।

हज़रत पैगंबर मोहम्मद साहब का जन्म 12 रबी अलअव्वल को हुआ था यही तारीख पैगंबर साहब की मृत्यु का दिन भी माना जाता है इस वजह से इसे बारा वफात के नाम से भी जाना जाता है जिसका अर्थ है "मृत्यु की बारहवीं तारीख,इस मौके पर मुसलमान पैगंबर मोहम्मद के जीवन उनके संदेश और इस्लाम के प्रति उनके योगदान को याद करते हैं।

हज़रत पैगंबर मोहम्मद का जन्म 570 ईस्वी में मक्का में हुआ था उनके जीवन का हर पहलू इंसानियत के लिए एक वरदान के रूप में देखा जाता है मोहम्मद साहब ने एक ऐसे समय में इस्लाम का प्रचार किया जब समाज में अन्याय, असमानता और अज्ञानता का बोलबाला था उन्होंने सच्चाई, करुणा, भाईचारा और अल्लाह में अटूट विश्वास का संदेश फैलाया।

उनके जीवन के मुख्य उद्देश्य में मानवता के कल्याण और सामाजिक सुधार शामिल थे वे गरीबों और कमजोरों के हक में आवाज उठाते थे और हर इंसान के साथ समानता और न्याय की बात करते थे उनका जीवन सादगी और धैर्य का प्रतीक था।

 

अरविंद केजरीवाल के इस्तीफे की घोषणा के बाद दिल्ली को नया मुख्यमंत्री मिल गया है। आप नेता आतिशी को यह जिम्मेदारी सौंपी गई है। विधायक दल की बैठक में उनके नाम पर मुहर लगी। बैठक में अरविंद केजरीवाल ने आतिशी के नाम का प्रस्ताव रखा, सभी विधायकों ने खड़े होकर प्रस्ताव को स्वीकार किया।

आतिशी दिल्ली की तीसरी महिला मुख्यमंत्री हैं। इससे पहले सुषमा स्वराज और शीला दीक्षित इस पद पर आसीन रह चुकी हैं।

ग़ज़्ज़ा में पिछले लगभग एक साल से जनसंहार कर रहे इस्राईल ने एक बार फिर ग़ज़्ज़ा पर बर्बर हमले किए जिसमे 4 बच्चों समेत कम से कम 16 बेगुनाह लोगों की मौत हो गयी है। ग़ज़्ज़ा के स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है कि ग़ज़्ज़ा पर ज़ायोनी सेना के हमलों में अब तक 41 हजार से अधिक बेगुनाह फिलिस्तीनी मारे गए हैं।

फिलिस्तीनी अधिकारियों ने बताया कि सोमवार को हुए हमले में मध्य ग़ज़्ज़ा स्थित नुसेरात शरणार्थी शिविर में एक घर ध्वस्त हो गया, जिसमें चार महिलाओं और दो बच्चों सहित कम से कम 10 लोग मारे गए। सिविल डिफेंस के अनुसार ग़ज़्ज़ा शहर में ही एक घर पर हुए एक अन्य हमले में एक महिला और दो बच्चों समेत छह लोगों की मौत हो गई।