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ईरान के किरमानशाह प्रांत में वली फकीह के प्रतिनिधि ने कहा: धार्मिक अध्ययन के छात्र ग़ैबत के युग में इस्लाम का प्रचार करने, समाज का निर्माण करने और लोगों को ईश्वर की पुस्तक की ओर आकर्षित करने के लिए जिम्मेदार हैं।

पश्चिमी इस्लामाबाद के छात्रों और विद्वानों के साथ आयोजित एक बैठक में ईरान के किरमानशाह प्रांत में वली फकीह के प्रतिनिधि हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लेमीन गफूरी ने कहा: धार्मिक अध्ययन के छात्र अपने कर्तव्यों के प्रति जिम्मेदार हैं।

अपनी बातचीत के दौरान, उन्होंने शहीद आयतुल्लाह रईसी का उल्लेख किया और कहा: शहीद बहिश्ती के बारे में शहीद आयतुल्लाह रईसी के शब्द इमाम राहिल (र) के इस कथन का उदाहरण थे कि "बहिश्ती एक व्यक्ति नहीं बल्कि एक राष्ट्र थे"।

उन्होंने आगे कहा: यानी जब कोई राष्ट्र किसी व्यक्ति के लिए खड़ा होता है और गहरा प्यार दिखाता है, तो इससे पता चलता है कि उस व्यक्ति की स्थिति और व्यक्तित्व एक राष्ट्र के बराबर है।

किरमानशाह प्रांत में वली फ़क़ीह के प्रतिनिधि ने कहा: हौज़ा इल्मिया के असली मालिक और संरक्षक हज़रत साहिब अल-असर (अ) हैं। हम छात्रों को गर्व है कि हम इमाम (अ) के सिपाही हैं।

उन्होंने कहा: धार्मिक अध्ययन के छात्र इस्लाम धर्म का प्रचार करने, समाज का निर्माण करने और लोगों को ईश्वर की पुस्तक की ओर आकर्षित करने के लिए जिम्मेदार हैं।

ईरान के कामियारन में इमाम बाकिर (अ) मदरसा के निदेशक ने कहा: हमें इस तथ्य को स्वीकार करना चाहिए कि हमें ग़ज़्ज़ा के लोगों की समस्याओं को हल करने के लिए अंतरराष्ट्रीय संगठनों और संयुक्त राष्ट्र पर भरोसा नहीं करना चाहिए।

वली फ़कीह के प्रतिनिधि के साथ बातचीत के दौरान, हुज्जतुल इस्लाम सैयद जलाल हुसैनी ने ग़ज़्ज़ा और रफ़ा के लोगों पर इस्राईली सरकार के अत्याचारों का उल्लेख किया और कहा: ग़ज़्ज़ा पर इस्राईली सरकार के आक्रमण को लगभग 8 महीने हो गए हैं और इस दौरान ग़ज़्ज़ा और रफ़ा में 36 हजार से ज्यादा लोग शहीद हुए हैं।

उन्होंने कहा: इतनी बड़ी संख्या में इस्राईली अत्याचारों के बावजूद, इस्लामी देशों के प्रमुखों और अंतर्राष्ट्रीय सभाओं द्वारा इस क्रूर और अधिकृत सरकार के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं देखी गई। इससे पता चलता है कि फिलिस्तीनी राष्ट्र और ग़ज़्ज़ा का भाग्य केवल इस्लामी दुनिया की एकता के माध्यम से ही बदला जा सकता है।

मदरसा इमाम बाक़िर (अ) के निदेशक ने कहा: दुर्भाग्य से, मुस्लिम दुनिया के खिलाफ इस्राईली अपराधों की गंभीरता के बावजूद, अंतर्राष्ट्रीय सभाओं का काम केवल ईस्राईलीयो की आंशिक निंदा तक ही सीमित रहा है। इससे पता चलता है कि अगर हम चाहते हैं कि फिलिस्तीनी राष्ट्र और ग़ज़्ज़ा के लोगों का इससे अधिक नरसंहार न हो, तो इस्लामी दुनिया को खुद ही कुछ करना होगा।

इस शिक्षक ने कहा: ईश्वर की इच्छा से, इस असमान युद्ध के अंतिम विजेता फिलिस्तीनी राष्ट्र और इस्लामी दुनिया होंगे, और ईश्वर का वादा पूरा होगा और दुनिया उत्पीड़कों और उत्पीड़कों पर उत्पीड़ितों की जीत का गवाह बनेगी।

 

 

 

 

 

हेलीकाप्टर हादसे में शहीद होने वाले ईरान के राष्ट्रपति सैयद मोहम्मद इब्राहीम रईसी, विदेशमंत्री हुसैन अमीर अब्दुल्लाहियान और उनके साथ शहीद होने वालों के सम्मान में राष्ट्रसंघ की महासभा ने गुरूवार को न्यूयार्क में एक कार्यक्रम आयोजित किया।

इस कार्यक्रम में राष्ट्रसंघ के महासचिव एंटोनियो गुटेरस और विश्व के विभिन्न देशों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। इस कार्यक्रम में भाग लेने वालों ने ईरान में शहीद होने वालों के सम्मान में खड़े होकर एक मिनट का मौन रखा।

राष्ट्रसंघ की महासभा के प्रमुख डेनिस फ्रांसिस ने इस कार्यक्रम में कहा कि मेरा दायित्व है कि 19 मई को हेलीकाप्टर दुर्घटना में शहीद होने वाले ईरान के राष्ट्रपति की याद में कार्यक्रम आयोजित करूं।

राष्ट्रसंघ के महासचिव एंटोनियो गुटेरस ने भी इस कार्यक्रम में कहा कि सैयद इब्राहीम रईसी ने संवेदनशील समय में ईरान, क्षेत्र और दुनिया का मार्गदर्शन किया।

गुट निरपेक्ष आंदोलन के देशों ने भी इस कार्यक्रम में ईरानी सरकार और लोगों से सहानुभूति जताई और एलान किया कि ईरान के दिवंगत राष्ट्रपति और विदेशमंत्री ने गुट निरपेक्ष आंदोलन के देशों के साथ लेनदेन और सहयोग को मज़बूत बनाने में प्रभावी भूमिका निभाई।

इस्लामी गणतंत्र ईरान ने इस्लामी क्रांति के सर्वोच्च नेता के मार्गदर्शन में विकासशील देशों के साथ सहयोग को मज़बूत बनाने में प्रभावी व महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

राष्ट्रसंघ में अफ़्रीक़ी देशों के गुट ने भी ईरानी सरकार और राष्ट्र से सहानुभूति जताते हुए एलान किया कि राष्ट्रपति रईसी और विदेशमंत्री अमीर अब्दुल्लाहियान ने ईरान और अफ्रीक़ी देशों के साथ संबंधों और सहयोग को मज़बूत बनाने में रचनात्मक व उल्लेखनीय भूमिका निभाई है।

इसी मध्य राष्ट्रसंघ में इस्लामी देशों के सहयोग संगठन ओआईसी की ओर से प्रतिनिधि के रूप में पाकिस्तान के राजदूत ने भी ईरान के दिवंगत राष्ट्रपति सैयद इब्राहीम रईसी और दिवंगत विदेशमंत्री हुसैन अमीर अब्दुल्लाहियान की सराहना व प्रशंसा की।

इस्लामी गणतंत्र ईरान के राष्ट्रपति सैयद इब्राहीम रईसी, विदेशमंत्री हुसैन अमीर अब्दुल्लाहियान और उनके साथ एक प्रतिनिधिमंडल रविवार 19 मई को पूर्वी आज़रबाइजान की यात्रा पर गया था। राष्ट्रपति पूर्वी आज़रबाइजान प्रांत में क़ीज़ क़लअये सी बांध का उद्घाटन करने और ख़ुदा आफ़रीन बांध की विकास परियोजना को पूरा करने के सिलसिले में वहां गये थे। राष्ट्रपति और उनके साथ गया प्रतिनिधिमंडल उद्घाटन करने के बाद वहां से लौट रहा था कि ख़राब मौसम के कारण हेलीकाप्टर वर्ज़क़ान क्षेत्र में हादसे का शिकार हो गया और राष्ट्रपति और विदेशमंत्री सहित हेलीकाप्टर में सवार सभी लोग शहीद हो गये।

गाज़ा युद्ध के आठवें महीने में इज़राइल शासन ने कई नए अपराध किए हैं पिछले 24 घंटों में 300 से अधिक फ़िलिस्तीनियों को शहीद और घायल कर दिया।

एक रिपोर्ट के अनुसार ,गाजा में आधिकारिक सूचना कार्यालय ने घोषणा कि की पिछले 24 घंटों में गाजा पट्टी पर ज़ायोनी सरकार के हमलों के परिणामस्वरूप 70 से अधिक फ़िलिस्तीनी शहीद हो गए हैं।

गाजा युद्ध के 239वें दिन भी ज़ायोनी सरकार ने गाजा के विभिन्न इलाकों में बमबारी और हमले जारी रखे हैं जिसमें दर्जनों लोग मारे गए और कम से कम 280 लोग घायल हुए हैं।

आज सुबह फिलिस्तीनी रेड क्रिसेंट ने घोषणा की कि रेड क्रिसेंट स्टाफ सदस्य मोहम्मद जिहाद आबिद कल रात राफा में अपने घर पर बमबारी में शहीद हो गए जिससे गाजा में रेड क्रिसेंट स्टाफ की मौत की संख्या 33 हो गई। उनमें से 19 शहीद हो गए हैं।

धार्मिक व आध्यात्मिक मामलों में ईरानी राष्ट्रपति के सलाहकार ने कहा कि अगर ऐसे शासक को ढूंढ़ रहे हैं जिसके अंदर क़ुरआन में बताई गयी विशेषतायें मौजूद हों तो बेहतर है कि ईरान के शहीद राष्ट्रपति की जीवनी पर एक दृष्टि डाल लें और उसकी समीक्षा करें।

मेहर न्यूज़ एजेन्सी रिपोर्ट दी है कि धार्मिक व आध्यात्मिक मामलों में राष्ट्रपति के सलाहकार हुज्तुल इस्लाम मोहम्मद हाज अबुल क़ासिम ने शहीद आयतुल्लाह रईसी और उनके साथ शहीद होने वालों के सम्मान में अज्ज़हरा हुसैनिया में आयोजित कार्यक्रम में सांत्वना देते हुए कहा कि हमारे राष्ट्रपति वास्तव में क़ुरआनी थे और इस दृष्टि से हमारे क़ुरआनी समाज के लिए एक नुकसान है।

उन्होंने कहा कि ईरानी राष्ट्रपति क़ुरआन से प्रेम करने वाले इंसान थे और जब वे माज़न्दरान की आख़िरी प्रांतीय यात्रा पर गये थे तो एअरपोर्ट पर उनके स्वागत के लिए जो प्रतिनिधिमंडल आने वाला था उसके पहुंचने से कुछ मिनट पहले ही राष्ट्रपति वहां पहुंच गये थे और जब मैं एअरपोर्ट पहुंचा तो उनकी बगल में बैठ गया और मैंने देखा कि वे पवित्र क़ुरआन की तिलावत कर रहे हैं।

राष्ट्रपति सूरे यासिन, साफ़्फ़ात और मुल्क की तिलावत बहुत अच्छी शैली में कर रहे थे या मैंने राष्ट्रसंघ में देखा था कि उन्होंने किस प्रकार पवित्र क़ुरआन का समर्थन किया और शायद वह एकमात्र राष्ट्रपति हैं जिन्होंने राष्ट्रसंघ के इतिहास में यह गर्व अपने नाम दर्ज कराया और कुरआन को हाथ में लेने की उनकी तस्वीर संचार माध्यमों में अमर हो गयी।

धार्मिक मामलों में ईरान के शहीद राष्ट्रपति के सलाहकार ने क़ुरआनी गतिविधियों के प्रचार- प्रसार हेतु राष्ट्रपति के ध्यान की ओर संकेत किया और कहा कि कम ही राष्ट्रपति थे जिन्होंने सीधे रूप से क़ुरआनी संस्कृति के विस्तार की परिषद के कार्यक्रम में भाग लिया और अपनी मौजूदगी में इस परिषद का गठन किया।

हाज अबुल क़ासिम ने कहा कि राष्ट्रपति की क़ुरआनी पहचान के महत्वपूर्ण भाग का विश्लेषण उनकी ज़िन्दगी में करना चाहिये और अगर हम क़ुरआनी शासक को साक्षात रूप में देखना चाहते हैं तो बेहतर यह है कि शहीद राष्ट्रपति की ज़िन्दगी पर एक नज़र डाल लें और उसकी समीक्षा करें।

उन्होंने कहा कि महान ईश्वर ने पवित्र क़ुरआन में अपने अच्छे शासकों का परिचय कराया है और हज़रत सुलैमान, हज़रत युसूफ़ और हज़रत ज़ुलक़रनैन सबके सब अच्छे शासक थे और उसके बाद महान ईश्वर कहता है कि इन सब का एक रोडमैप व उद्देश्य था और वे बेहतरीन उदाहरण व आर्दश थे। उनके अंदर समस्त विशेषतायें मौजूद थीं और साथ ही उनके अंदर निष्ठा थी और वे सबके सब सदव्यवहार के भी स्वामी थे।

अबुल क़ासिम पवित्र क़ुरआन के सूरे माएदा की 54वीं आयत की ओर इशारा करते हुए कहते हैं कि इस सूरे की छठी आयत महत्वपूर्ण विशेषता रखती है और कहा जा सकता है कि यह आयत अच्छे शासकों की विशेषताओं को अपने अंदर लिए हुए है।

अच्छे शासक की पहली विशेषता यह है कि वह महान ईश्वर से प्रेम करता हो और महान ईश्वर भी उससे प्रेम करता हो और ईश्वरीय शासकों के निकट भौतिक चीज़ों व कारणों का कोई महत्व नहीं होता है और जो क़ुरआनी शासक होता है उसका समस्त प्रयास महान ईश्वर की प्रसन्नता प्राप्त करना होता है।

महान ईश्वर इस आयत में कहता है" हे ईमान लाने वालो! तुममें से जो भी मुर्तद हो जाये यानी अपने धर्म को छोड़ दे तो अल्लाह शीघ्र ही ऐसे गिरोह को लायेगा जिनसे अल्लाह प्रेम करता होगा और वह भी अल्लाह से प्रेम करता होगा और वह मोमिनों के सामने विन्रम और काफ़िरों के मुकाबले में सख़्त व ताक़तर होगा। यह अल्लाह का करम है जिसे चाहता है वह उसे देता है और अल्लाह का करम बहुत विस्तृत है और अल्लाह सर्वज्ञाता है।

अबुल क़ासिम कहते हैं" हमारे राष्ट्रपति अल्लाह से प्रेम करते थे और अगर अल्लाह से प्रेम करने वाले न होते तो रात-दिन लोगों के लिए न दौड़ते। मानवता विरोधी इस्राईल के ख़िलाफ़ "सच्चा वादा" नामक ऑप्रेशन भी हमारे प्रिय राष्ट्रपति के व्यापक समर्थन का परिणाम था। राष्ट्रपति के अंदर न थकने की भावना मेरे आश्चर्य का कारण थी।

फिलिस्तीनीयों के खिलाफ इज़राइल शासन के अपराधों को रोकने और ग़ाज़ा के मालूम लोगों की सहायता बढ़ाने के लिए इस्लामी देशों की तत्काल और संयुक्त कार्रवाई आवश्यक है।

ग़ाज़ा में जारी जनसंहार और रफह पर ज़ायोनी शासन के हमलों के बीच ईरान के कार्यकारी विदेश मंत्री अली बाकिरी ने अपने अल्जीरियाई समकक्ष से फोन पर बातचीत की।

अली बाकिरी ने अल्जीरियाई विदेश मंत्री के साथ अपनी टेलीफोन बातचीत के बारे में सोशल नेटवर्क एक्स पर लिखा अल्जीरियाई विदेश मंत्री अहमद अत्ताफ के साथ टेलीफोन पर बातचीत में, ग़ज़्ज़ा के ताज़ातरीन हालात और ग़ज़्ज़ा खास कर रफह में ज़ायोनी शासन के हालिया अपराधों और ईरान अल्जीरिया के बीच द्विपक्षीय सहयोग पर बातचीत और परामर्श किया।

उन्होंने ईरान के राष्ट्रपति की हेलीकॉप्टर दुर्घटना में मौत के बाद अल्जीरिया से मिले सांत्वना संदेशो पर आभार जताते हुए कहा कि फिलिस्तीनी लोगों के खिलाफ ज़ायोनी शासन के अपराधों को रोकने और गाज़ा के मालूम लोगों की सहायता बढ़ाने के लिए इस्लामी देशों की तत्काल और संयुक्त कार्रवाई आवश्यक है।

बाकिरी ने कहा कि इस आधार पर, हमने सुझाव दिया है कि इस्लामिक सहयोग संगठन की एक असाधारण बैठक आयोजित की जाए और इस प्रस्ताव का स्वागत किया गया है।

लेबनान के संस्कृति मंत्री ने कहा: फ़िलिस्तीन का मुद्दा इमाम रहल के दिल में था और उन्होंने फ़िलिस्तीन की आज़ादी के लिए अपने सभी प्रयास किए।

लेबनान के संस्कृति मंत्री, मुहम्मद विसाम अल-मुर्तज़ा ने आज अंतर्राष्ट्रीय बैठक "गाजा; उत्पीड़ित प्रतिरोध" को संबोधित किया और कहा: सभी देशों को समर्थन के लिए एकजुट होना चाहिए फ़िलिस्तीनी संघर्ष। दरअसल, ज़ायोनी सरकार ने उत्पीड़ित फ़िलिस्तीनी लोगों के ख़िलाफ़ अपनी क्रूर कार्रवाइयाँ जारी रखी हैं।

उन्होंने आगे कहा: आज फ़िलिस्तीनी सड़े हुए ज़ायोनी शासन और उसके बर्बर सैनिकों पर भीषण प्रहार कर रहे हैं और यह सब इमाम रहल के विचारों की बदौलत हो रहा है।

लेबनान के संस्कृति मंत्री ने कहा: फ़िलिस्तीन मुद्दा इमाम रहल के दिल में था और उन्होंने फ़िलिस्तीन की आज़ादी के लिए अपने सभी प्रयास किए।

उन्होंने आगे कहा: गाजा के लोग अपना संघर्ष जारी रखे हुए हैं और ज़ायोनी शासन पर घातक प्रहार कर रहे हैं।

मुहम्मद विसम अल-मुर्तज़ा ने कहा: पूरी दुनिया के सामने यह स्पष्ट हो गया है कि गाजा और फिलिस्तीन के खिलाफ चल रहा यह युद्ध एक असमान युद्ध है और दुनिया के सभी देश जाग गए हैं और इसके खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं, जैसा कि अमेरिकी विश्वविद्यालयों में खुद छात्र कर रहे हैं। वहां इज़रायली अपराधों का विरोध किया जा रहा है और युद्धविराम और इज़रायल के साथ सभी संबंध तोड़ने का आह्वान किया जा रहा है।

अपने संबोधन के अंत में उन्होंने कहा: इंशाअल्लाह, फ़िलिस्तीन निकट भविष्य में आज़ाद होगा।

यूनिवर्सिटी ऑफ़ कैलिफ़ोर्निया, सांताक्रुज़ ने बताया कि ग़ाजा जंग का विरोध कर रहे लगभग 80 लोगों को गिरफ्तार किया गया है।

यूनिवर्सिटी ऑफ़ कैलिफ़ोर्निया, सांताक्रुज़ ने बताया कि ग़ाजा पर युद्ध का विरोध करने वाले लगभग 80 लोगों को गिरफ्तार किया गया हैं,अमेरिकी मीडिया ने बताया कि पुलिस ने विद्यार्थियों पर हमला किया और उनके कैंप को उखाड़ फेंका

एसोसिएटेड प्रेस का कहना है कि 18 अप्रैल से अब तक 63 अमेरिकी कॉलेज और विश्वविद्यालय परिसरों में कम से कम 3,117 लोगों को गिरफ्तार किया गया है।

कोलंबिया विश्वविद्यालय परिसर में बड़ी संख्या में छात्रों की गिरफ्तारी के बाद अमेरिकी विश्वविद्यालयों में फिलिस्तीनी लोगों के समर्थन में प्रदर्शन अप्रैल से तेज हो गए हैं और अधिकांश अमेरिकी विश्वविद्यालयों और दुनिया के अन्य हिस्सों में फैल गए हैं।

 

इस विश्वविद्यालय के छात्रों ने रैलियां निकालीं और अधिकारियों से इजरायली संस्थानों के साथ कोलंबिया विश्वविद्यालय के सहयोग को समाप्त करने के लिए कहा हैं।

छात्रों की मांगों में इज़राइल के साथ वित्तीय संबंधों को समाप्त करना, सरकार के साथ वित्तीय संबंधों में पारदर्शिता, इज़राइल के साथ सहयोग को समाप्त करना और हिरासत में लिए गए छात्रों की रिहाई शामिल है।

यूनिवर्सिटियों ने इन विरोध प्रदर्शनों का जवाब छात्रों को परिसरों से और अन्य तरीकों से निकालकर दिया है और कुछ विश्वविद्यालयों ने उन्हें अपने छात्रावासों से निष्कासित कर दिया है, कुछ विश्वविद्यालयों ने विरोध को दबाने के लिए पुलिस को विश्वविद्यालय में प्रवेश करने की अनुमति भी दी है।

 

 

 

 

 

इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता सैयद अली ख़ामेनेई ने गुरुवार को सीरिया के राष्ट्रपति बश्शार असद और उनके साथ आए प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात में प्रतिरोध को सीरिया की ख़ास पहचान क़रार दिया और कहा: क्षेत्र में सीरिया की विशेष पोज़ीशन भी इस ख़ास पहचान और इस महत्वपूर्ण विशेषता की ही वजह से सुरक्षित की जानी चाहिए।

इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने ईरानी जनता से अपनी संवेदना व्यक्त करने के लिए तेहरान आने पर श्री बश्शार असद का शुक्रिया अदा किया और ईरान-सीरिया संबंधों को मज़बूत करने में राष्ट्रपति रईसी की प्रमुख भूमिका की ओर इशारा किया और कहा: श्रीमान अमीर अब्दुल्लाहियान ने भी इस विषय पर विशेष रूप से ध्यान दिया।

वरिष्ठ नेता ने ईरान और सीरिया के बीच संबंधों की मज़बूती को इस बुनियाद पर महत्वपूर्ण माना कि दोनों देश प्रतिरोध की धुरी के स्तंभ हैं। उन्होंने कहा: सीरिया की ख़ास पहचान, जो रेज़िस्टेंस है, मरहूम हाफ़िज़ अल असद के राष्ट्रपति काल में,"रेज़िस्टेंस और दृढ़ता के मोर्चे" के गठन के साथ सामने आयी और इस पहचान ने सीरिया की राष्ट्रीय एकता में भी हमेशा मदद की है।

उन्होंने इस पहचान की रक्षा पर बल देते हुए कहा कि पश्चिम वाले और इलाक़े में उनके पिट्ठू, सीरिया के ख़िलाफ़ जंग शुरू करके इस मुल्क की राजनैतिक व्यवस्था को गिराना और सीरिया को इलाक़े के मुद्दों से दूर कर देना चाहते थे लेकिन वो इसमें सफल नहीं हुए और इस वक़्त भी वो कभी पूरे न होने वाले वादों जैसे दूसरे तरीक़ों से सीरिया को क्षेत्रीय समीकरणों से बाहर निकाल देने का इरादा रखते हैं। 

आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने बश्शार असद की दृढ़ता की सराहना करते हुए कहा कि सीरियाई सरकार की ख़ास पहचान यानी रेज़िस्टेंस सबको साफ़ तौर पर नज़र आना चाहिए।

उन्होंने ईरान और सीरिया पर अमरीका और यूरोप के राजनैतिक व आर्थिक दबाव की ओर इशारा करते हुए कहा कि हमें आपस में सहयोग बढ़ाकर और उसे व्यवस्थित बनाकर इन हालात से गुज़र जाना चाहिए।

 इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ के नेता ने विभिन्न मैदानों में ईरान और सीरिया के सहयोग को बढ़ावा देने की वजह से स्वर्गीय राष्ट्रपति श्रीमान रईसी की मुस्तैदी की ओर इशारा करते हुए कहा कि इस वक़्त श्रीमान मुख़बिर साहब, राष्ट्रपति के अधिकारों के साथ, उसी शैली को जारी रखेंगे और हमें उम्मीद है कि सभी मामले बेहतरीन तरीक़े से आगे बढ़ते रहेंगे।

उन्होंने ग़ज़ा के मसले में इलाक़े के कुछ मुल्कों के कमज़ोर स्टैंड की आलोचना करते हुए, मनामा में हालिया अरब शिखर बैठक की ओर इशारा किया और कहा कि इस कॉन्फ़्रेंस में फ़िलिस्तीन और ग़ज़ा के सिलसिले में बहुत सी लापरवाहियां हुयीं लेकिन कुछ देशों ने अच्छे काम भी किए।

उन्होंने इस बात पर बल देते हुए कि भविष्य के सिलसिले में इस्लामी गणतंत्र ईरान की नज़र सकारात्मक है, कहा कि हमें उम्मीद है कि हम सब अपने दायित्व पर अमल करेंगे और उस रौशन भविष्य तक पहुंचेंगे।

इस मुलाक़ात में सीरिया के राष्ट्रपति जनाब बश्शार असद ने इस्लामी इंक़ेलाब के नेता और ईरान सरकार और क़ौम के प्रति संवेदना जताते हुए आयतुल्लाह ख़ामेनेई से कहा कि ईरान और सीरिया के संबंध स्ट्रैटेजिक हैं जो आपके मार्गदर्शन में आगे बढ़ रहे हैं और इन निर्देशों को व्यवहारिक बनाने में सबसे आगे आगे जनाब रईसी और जनाब अमीर अब्दुल्लाहियान थे।

 उन्होंने श्रीमान स्वर्गीय रईसी साहब की विनम्र, विवेकपूर्ण और शिष्टाचारिक शख़्सियत की ओर इशारा करते हुए उन्हें इस्लामी क्रांति के नारों और नज़रियों का स्पष्ट प्रतीक बताया और कहा कि जनाब रईसी साहब ने पिछले तीन साल में, क्षेत्रीय मामलों और फ़िलिस्तीन के मसले में ईरान के किरदार अदा करने और इसी तरह ईरान और सीरिया के संबंधों की मज़बूती में प्रभावी तरीक़े से काम किया।

सीरिया के राष्ट्रपति ने इसी तरह इलाक़े में रेज़िस्टेंस के विषय की ओर इशारा करते हुए कहा कि 50 साल से ज़्यादा गुज़रने के बाद क्षेत्र में रेज़िस्टेंस आगे बढ़ रहा है और इस वक़्त वह एक राजनैतिक नज़रिए और आस्था में बदल गया है।

उन्होंने इस बात पर बल देते हुए कि हमारा स्टैंड हमेशा से यह रहा है कि पश्चिम के मुक़ाबले में किसी भी रूप में पीछे हटना उनके चढ़ाई कर देने का सबब बनेगा, कहा कि मैंने कई साल पहले कहा था कि रेज़िस्टेंस में, साठगांठ से कम क़ीमत चुकानी पड़ती है और यह बात अब सीरिया के अवाम के लिए पूरी तरह स्पष्ट हो गयी है और ग़ज़ा के हालिया वाक़यों और रेज़िस्टेंस की फ़तह ने भी इलाके के अवाम के लिए इस बात को साबित कर दिया कि रेज़िस्टेंस एक बुनियादी उसूल है।

श्री बश्शार असद ने इलाक़े में रेज़िस्टेंस के सपोर्ट में अहम और नुमायां किरदार अदा करने और इसी तरह सभी मामलों में सीरिया का सपोर्ट करने पर इस्लामी इंक़ेलाब के नेता का शुक्रिया अदा किया और उनकी सराहना की।

श्री बश्शार असद की इस बातचीत के बाद, इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने कहा कि आपकी बातचीत में कई अहम बिन्दु थे लेकिन एक बिन्दु मेरे लिए ज़्यादा अहम था और वह यह कि आपने ताकीद के साथ कहा कि "हम जितना भी पीछे हटेंगे, सामने वाला चढ़ाई करता रहेगा" इस बात में कोई शक नहीं है और यह पिछले 40 साल से हमारा नारा और नज़रिया रहा है।

सऊदी अरब की सत्ता पर क़ाबिज़ आले सऊद ने इस्राईल दोस्ती की दिशा में एक और क़दम बढ़ते हुए अपने सिलेबस में भार फेरबदल करते हुए अपनी किताबों में फिलिस्तीन में दशकों से जनसंहार में लगे इस्राईल का चेहरा बदल दिया है। ज़ायोनी लॉबी को खुश रखने की दिशा में काम करते हुए सऊदी युवराज मोहम्मद बिन सलमान ने पाठ्यपुस्तकों से ज़ायोनी विरोधी सामग्री को हटा दिया है।

सऊदी अरब के हाई स्कूल के छात्रों के लिए सामाजिक विज्ञान की एक पूरी पाठ्यपुस्तक, जिसमें ज़ायोनी शासन विरोधी सामग्री थी, को वर्तमान में स्कूल वर्ष से हटा दिया गया। लंदन स्थित इंस्टीट्यूट फॉर मॉनिटरिंग पीस एंड कल्चर टॉलरेंस इन स्कूल एजुकेशन (IMPACT-SE) के मुताबिक अवैध राष्ट्र और जायोनीवाद की तस्वीर बदल गई है। ऐसे नक्शे जो इस्राईल को फिलिस्तीन के रूप में दिखाते थे, उन्हें कई जगहों से हटा दिया गया है। होलोकॉस्ट के बारे में भी पाठ्यक्रम में अब कुछ नहीं है।