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यमन ने फिलिस्तीन के समर्थन में जारी अपने सैन्य अभियान को ग़ज़्ज़ा जनसंहार बंद न होने तक जारी रखने का ऐलान करते हुए कहा कि हम ज़ायोनी दुश्मन के लिए सामान ले जाने वाले जहाज़ों को निशाना बनाना जारी रखेंगे।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,यमन ने फिलिस्तीन के समर्थन में जारी अपने सैन्य अभियान को ग़ज़्ज़ा जनसंहार बंद न होने तक जारी रखने का ऐलान करते हुए कहा कि हम ज़ायोनी दुश्मन के लिए सामान ले जाने वाले जहाज़ों को निशाना बनाना जारी रखेंगे।

अपने सैन्य अभियान को अब सिर्फ लाल सागर, अदन की खाड़ी या अरब सागर तक सीमित न रखते हुए यमन ने एलान किया है कि हम जहाँ तक दुश्मन के हितों को निशाना बनाने की क्षमता रखते हैं वहां तक हमले करेंगे।

यमन के लोकप्रिय जनांदोलन अंसारुल्लाह के महासचिव ने कहा कि जो कंपनियां ज़ायोनी दुश्मन तक सामान पहुंचाती हैं, उनके जहाजों को हम हर उस क्षेत्र तक निशाना जहाँ तक हम हमला करने में सक्षम हैं।

यमनी सशस्त्र बलों द्वारा घोषित ऑपरेशन का चौथा चरण भूमध्य सागर तक सीमित नहीं है और इसमें कब्जे वाले क्षेत्रों में माल परिवहन करने वाले सभी जहाज शामिल हैं।

 

सूरए मोमेनून की आयत नंबर 115

« أَفَحَسِبْتُمْ أَنَّمَا خَلَقْنَاكُمْ عَبَثًا وَأَنَّكُمْ إِلَيْنَا لَا تُرْجَعُونَ»

तो क्या तुमने यह समझा था कि हमने तुम्हें व्यर्थ पैदा किया है और यह कि तुम्हें हमारी और लौटना नहीं है?"

इस आयत की रौशनी में सिर्फ यही नहीं कि अल्लाह ने इंसान को व्यर्थ में नहीं बनाया, बल्कि उसने उसे बहुत ऊंचे मक़सद के लिए ख़ल्क़ किया है।

इंसान की ख़िल्क़त का असली मक़सद

सूरह बकरा की आयत नंबर 30

وَإِذْ قَالَ رَبُّكَ لِلْمَلَائِكَةِ إِنِّي جَاعِلٌ فِي الْأَرْضِ خَلِيفَةً قَالُوا أَتَجْعَلُ فِيهَا مَن يُفْسِدُ فِيهَا وَيَسْفِكُ الدِّمَاءَ وَنَحْنُ نُسَبِّحُ بِحَمْدِكَ وَنُقَدِّسُ لَكَ قَالَ إِنِّي أَعْلَمُ مَا لَا تَعْلَمُونَ . وَعَلَّمَ آدَمَ الْأَسْمَاءَ كُلَّهَا ثُمَّ عَرَضَهُمْ عَلَى الْمَلَائِكَةِ فَقَالَ أَنبِئُونِي بِأَسْمَاءِ هَـٰؤُلَاءِ إِن كُنتُمْ صَادِقِينَ»

ऐ रसूल उस समय को याद करो जब तुम्हारे रब ने फ़रिश्तों से कहा: मैं धरती पर अपना ख़लीफ़ा बनाने वाला हूँ और उन्होंने कहा, क्या उसे बनाएगा जो ज़मीन में फसाद बरपा करे और ख़ूंरेज़ी करे जबकि हम तेरी तस्बीह और तक़्दीस करते हैं। इरशाद हुआ मैं वह जानता हूँ जो तुम नहीं जानते। और अल्लाह ने आदम अस को तमाम अस्मा की तालीम दी और फिर उन सबको फरिश्तों के समाने पेश करके फ़रमाया कि ज़रा तुम इन सबके नाम तो बताओ अगर तुम अपने विशेषधिकार के ख़्याल में सच्चे हो।

इंसान की ख़िल्क़त का सबसे बुलंद मक़सद उसका ज़मीन पर अल्लाह के खलीफा के रूप में चयन है। इसी लिए अल्लाह ने उसे अपने मख़लूक़ात में सबसे अफ़ज़ल क़रार दिया और अपने बेहद ख़ास लुत्फ़ो करम से उसे खलीफा ए इलाही की सिफ़त से नवाज़ा।

 

कई देशों के विदेश मंत्रियों ने इज़राइल शासन को चेतावनी दी हैं कि अगर गाज़ा पट्टी पर हमला हुआ तो नतीज़ा गलत होगा।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,मध्य पूर्व समाचार का हवाला देते हुए, 13 देशों के विदेश मंत्रियों ने ज़ायोनी शासन को 4 पेज के पत्र में गाजा पट्टी के दक्षिण में राफा शहर पर बड़े पैमाने पर सैन्य हमले के खिलाफ चेतावनी दी हैं।

इस संदर्भ में, जर्मन समाचार एजेंसी ने घोषणा की कि इन देशों ने फिलिस्तीनी राष्ट्र के लिए अधिक सहायता की भी मांग की है।

इस पत्र में 13 देशों के विदेश मंत्रियों ने ज़ायोनी शासन के विदेश मंत्री यज़राइल कैट्स को संबोधित किया और घोषणा की कि इज़राइल को अपनी रक्षा करने का अधिकार है।

इन मंत्रियों ने अलअक्सा तूफान ऑपरेशन की भी निंदा की जो पिछले साल 7 अक्टूबर को हमास आंदोलन और फिलिस्तीनी समूहों द्वारा किया गया था।

साथ ही, उन्होंने ज़ायोनी शासन के प्रधान मंत्री बेंजामिन नेतन्याहू से गाजा पट्टी में विनाशकारी और बढ़ते मानवीय संकट को कम करने के लिए अपने सभी प्रयासों का उपयोग करने के लिए कहा दुनिया के 13 देशों के मंत्रियों ने तेल अवीव से मानवीय सहायता के प्रवेश के लिए राफा सीमा सहित सभी सीमा को फिर से खोलने की मांग की हैं।

इस पत्र पर जर्मनी, फ्रांस, ब्रिटेन, इटली, जापान, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, डेनमार्क, फिनलैंड, नीदरलैंड, न्यूजीलैंड, दक्षिण कोरिया और स्वीडन के विदेश मंत्रियों ने हस्ताक्षर किए।

 

शेख इब्राहिम ज़कज़ाकी ने कहा: इस्लाम के दुश्मनों की अज्ञानता, उनके पूर्वाग्रह और झूठी अफवाहें और अहले-बैत (अ) के स्कूल के बारे में आधारहीन रिपोर्टों ने अफ्रीका में शियावाद के प्रचार पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाला।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, हुज्जतुल-इस्लाम वल-मुस्लेमीन शेख इब्राहिम ज़कज़ाकी ने नजफ़ में आयतुल्लाह शेख मुहम्मद याकूबी के कार्यालय में एक बैठक के दौरान कहा: इस्लाम के दुश्मन अज्ञानी हैं, उनकी कट्टरता और स्कूल के बारे में झूठी अफवाहों ने अफ्रीका में शियावाद के प्रचार पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाला है, क्योंकि लोग इन अफवाहों को सुनने के बाद उनकी पुष्टि करने के लिए जाते हैं और जब उन्हें कुछ भी नहीं मिलता जो दुशमनो ने अहले बैत (अ) की ओर मंसूब किया है, तो इस सच्चे धर्म को स्वीकार कर लेते है।

उन्होंने कहा: यही कारण है कि पिछले 45 वर्षों में भगवान की कृपा से दस लाख से अधिक लोग शिया धर्म में परिवर्तित हो गए हैं और उन्होंने शिया धर्म को अपना लिया है।

इस बैठक में आयतुल्लाह याकूबी ने हुज्जतुल इस्लाम वल-मुस्लेमीन शेख ज़कज़ाकी और नाइजीरिया के शियाओं के धैर्य और दृढ़ता की भी प्रशंसा की और कहा: अफ्रीका के शियाओं ने शिया धर्म के लिए बहुत कष्ट सहे हैं और इसकी भारी कीमत चुकाई है इमाम हुसैन (अ) ने फ़रमाया: "चूंकि भगवान देख रहा है, इस लिए मुझे यह मुसीबत और कठिनाई आसान लगती है भगवान की कृपा और दया से, इन कठिनाइयों और बाधाओं का एक बड़ा हिस्सा दूर हो गया है।"

 

मुस्लिम देशों की कमज़ोरी और अमेरिका की चौधराहट और उसके समर्थन से इस्राईल 7 महीने से अधिक समय से ग़ज़्ज़ा में जनसंहार करते हुए 37 हज़ार से अधिक बेगुनाह फिलिस्तीनियों का क़त्ले आम कर चुका है। वहीँ अफ्रीका में भी क़त्ले आम जारी है। सूडान संकट के बारूद पर बैठा है तो दूसरी तरफ अमेरिका और उसके घटकों के कारण ही रूस यूक्रेन संकट भी चरम पर है। ऐसे में ईरान ने खुद के साथ साथ इस्लामी देशों को भी मज़बूत करने की नीति पर योजनाबद्ध तरीके से काम शुरू कर दिया है।

मध्य पूर्व के तीन देश परमाणु हथियारों से खुद को लेस करने का मन बना चुके हैं। मध्य पूर्व में अभी बस मक़बूज़ा फिलिस्तीन के ज़ायोनी शासन के पास विनाशकारी न्यूक्लियर वेपन हैं। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक़ ईरान भी परमाणु बम बनाने के बहुत करीब पहुंच गया है। अब वो अपने परमाणु बम को दो और मुस्लिम देशों में विस्तार देना चाहता है।

रिपोर्ट के मुताबिक़ ईरान, राष्ट्रपति रईसी के प्लान पर आगे बढ़ रहा है। रईसी की इस परमाणु रणनीति से पश्चिमी देशों, खासकर अमेरिका में हड़कंप मच गया है। दरअसल ईरान तुर्की और सऊदी अरब को परमाणु तकनीक देने का मन बना रहा है। भविष्य में ईरान इन दोनों देशों को परमाणु तकनीक दे सकता है।

इंटरनेशनल एटॉमिक एनर्जी एजेंसी (IAEA ) की रिपोर्ट के मुताबिक ईरान के पास इतना संवर्धित यूरेनियम है कि वो 3 परमाणु हथियार बना सकता है। ईरान अपने परमाणु कार्यक्रम को बहुत ही सीक्रेट तरीके से आगे बढ़ रहा है। माना जा रहा है कि ईरान परमाणु परीक्षण करने के बहुत करीब पहुंच चुका है। वो जल्द ही एटमी मिसाइल तैयार कर सकता है, इसके बाद ईरान तुर्की और सऊदी अरब को भी परमाणु तकनीक दे सकता है।

 

 

फिलिस्तीन मुक्ति आंदोलन के सशस्त्र दल हमास की सैन्य यूनिट क़स्साम ब्रिगेड ने ग़ज़्ज़ा में जारी जंग के दौरान कम से कम 15 ज़ायोनी सैनिकों को जहन्नम रसीद करने की खबर दी है।

ग़ज़्ज़ा के रफह के पूर्व में अल-तनूर के निकट एक ऑपरेशन में 15 ज़ायोनी सैनिकों की मौत के बारे में हमास की सैन्य शाखा क़स्साम बटालियन के बयान में कहा गया है कि यह अतिक्रमणकारी सैनिक एक ऐसे घर में डेरा डेल हुए थे जहाँ पहले हमास के मुजाहेदीन थे और उन्होंने यहाँ दुश्मन को निशाना बनाने के लिए उचित तरीके से बम फिट किए थे।

बम विस्फोट करने के बाद हमास के जवान घर में घुस आए और बाक़ी बचे ज़ायोनी सैनिकों के साथ आमने सामने की मुठभेड़ करते हुए उन्हें भी जहन्नम रसीद कर दिया। इस प्रकार ज़ायोनी मृत सैनिकों की संख्या 15 तक पहुंच गई।

किर्गिस्तान में भड़की हिंस एके बीच विदेश छात्र हिंसक भीड़ के निशाने पर हैं। हिंसक भीड़ ने 4 पाकिस्तानी छात्रों की निर्ममता से हत्या कर दी, जिसके बाद सभी विदेशी छात्रों में डर का महौल बन गया है। छात्रों का आरोप है कि उनके मदद मांगने के बाद भी पाकिस्तान की एंबेसी ने कोई मदद नहीं की।

किर्गिस्तान की राजधानी बिशकेश में मेडिकल की पढ़ाई करने गए छात्र एक नई मुसीबत में फंस गए हैं। यहां के लोकल लोग इंटरनेशनल स्टूडेंट्स पर हमलावर हो गए हैं। ऐसी ही एक हिंसक भीड़ ने पूरे शहर में उत्पात मचाया और इंटरनेशनल स्टूडेंट्स के साथ मारपीट की है। इस हमले का सबसे ज्यादा शिकार पाकिस्तानी छात्र हुए हैं। भीड़ के अटैक से करीब 4 पाकिस्तानी छात्रों की मौत हो गई है। जिसके बाद वहां पढ़ने गए सभी विदेशी छात्रों में डर का महौल है।

पाकिस्तानी छात्रों के मुताबिक हिंसा तब भड़की जब मिस्र के कुछ छात्रों ने वहां लूटपाट मचा रहे लोकल चोरों से मारपीट कर ली जिसके बाद वहां के लोकल लोग अंतरराष्ट्रीय छात्रों को चुन-चुन कर मारने लगे।

 

पकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की पत्नी बुशरा बीबी ने एक बार फिर अपने साथ हो रहे अन्याय पर आवाज़ उठाते हुए कहा कि उन्हें अन्याय करते हुए जेल में डाला गया। बुशरा बीबी ने जवाबदेही अदालत के न्यायाधीश पर अविश्वास जताया।

190 मिलियन पाउंड घोटाले के मामले में राष्ट्रीय जवाबदेही ब्यूरो (एनएबी) द्वारा इमरान खान, उनकी पत्नी और अन्य पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए गए हैं। एनएबी द्वारा राष्ट्रीय जवाबदेही अध्यादेश (एनएओ) 1999 के तहत आरोपियों पर कार्रवाई की मांग की गई है।

पाकिस्तान तहरीक ए इंसाफ पार्टी के संस्थापक इमरान खान की पत्नी बुशरा बीबी अदालत में गुस्से में दिखीं। सुनवाई के दौरान वह अपने पति से अलग बैठीं रहीं। इसके बाद बुशरा बीबी कठघरे में गईं और न्यायाधीश से कहा कि उन्हें न्यायाधीशों पर भरोसा नहीं है। उन्होंने रावलपिंडी की अडियाला जेल में 15 मई को होने वाली सुनवाई के बारे में सूचित नहीं किए जाने की शिकायत की।

हुज्जतुल इस्लाम वलमुस्लेमीन रज़ा रमज़ानी ने एक भाषण में कहा कि क़ुरआन आज के मानव समाज को उस संकट से मुक्ति प्रदान करने वाली किताब है जिस वैचारिक, नैतिक और दूसरे संकटों का सामना पश्चिम को है।पैग़म्बरे इस्लाम के पवित्र परिजन क़ुरआन के वास्तविक सर्वोत्तम आदर्श हैं।

मजमये अहले बैत जहानी अर्थात वर्ल्ड अहलेबैत असेंबली के महासचिव हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लेमीन रज़ा रमज़ानी ने तेहरान के अंतरराष्ट्रीय पुस्तक मेले में किताबों के अनावरण कार्यक्रम में कहा कि जहां भी विभिन्न क्षेत्रों में ज्ञान में प्रगति होगी जैसे साइंस, फ़िज़िक्स, कमेस्ट्री, थिआलॉजी, दर्शन और तर्कशास्त्र तो वहां का समाज भी प्रगति करेगा। समाज की प्रगति वही नैतिक और अमली दृष्टि से समाज के समस्त लोगों की प्रगति है और इस संबंध में जितनी अधिक जानकारी होगी वह समाज उतना ही समृद्ध होगा।

वर्ल्ड अहलेबैत असेंबली के महासचिव ने कहा कि अल्लामा हसन ज़ादा आमूली फ़रमाते हैं कि महान ईश्वर ने इंसान को दो लक्ष्यों से पैदा किया है एक ज्ञान और दूसरे समृद्ध के लिए।

हुज्जतुल इस्लाम वलमुस्लेमीन रज़ा रमज़ानी ने अपने भाषण के एक अन्य भाग में वर्ल्ड अहलेबैत असेंबली की गतिविधियों की ओर संकेत किया और कहा कि इस्लामी क्रांति की सफलता के आरंभिक वर्षों में वैज्ञानिक प्रगति की दृष्टि से ईरान 57वें स्थान पर था परंतु आज हम प्रगति के 15वें पायदान पर पहुंच गये हैं और कुछ विषयों में हम दुनिया के दसवें देश हैं।

हुज्जतुल इस्लाम वलमुस्लेमीन रज़ा रमज़ानी ने कहा कि वर्ल्ड अहलेबैत असेंबली ने एक वर्ष में 175 किताबों व रचनाओं का अनुवाद किया है जो एक परिवर्तन और महत्वपूर्ण काम है। इसी प्रकार उन्होंने कहा कि वर्ल्ड अहलेबैत असेंबली का दूसरा काम शिया इंसाइक्लोपीडिया तैयार करना है और वर्ष 1402 हिजरी शमसी में 22 भाषाओं में आठ हज़ार से अधिक किताबों को दाखिल किया गया। अहलेबैत इंटरनेश्नल विश्वविद्यालय भी आठ विषयों से 23 विषयों तक पहुंच गया है।

उन्होंने कहा कि अगर दुनिया में कोई अहलेबैत और अहलेबैत की विचारधारा का अध्ययन करना चाहता है तो उसे वर्ल्ड अहलेबैत असेंबली के अध्ययनों व शोधों का पढ़ना चाहिये। उन्होंने कहा कि वर्ल्ड अहलेबैत असेंब्ली के पास आस्था, वैचारिक, नैतिकता, अमली और अहकाम व धार्मिक आदेश के संबंध में जानकारियों का भंडार है।

ईरान की इस्लामी क्रांति के सर्वोच्च नेता बल देकर कहते हैं कि वर्ल्ड अहलेबैत असेंब्ली को चाहिये कि वह अहलेबैत को समाज के प्रतिभाशाली और समाज के समस्त लोगों से परिचित कराये, वे मानवता के सर्वोत्तम आदर्श हैं और चूंकि मानव समाज इन हस्तियों से अवगत नहीं है इसलिए वह दूसरों का अनुसरण करने लगा है। अहलेबैत बेहतरीन आदर्श और क़ुरआन के वाक़ई व वास्तविक आडियन्स हैं।

Assembly of Experts for Leadership (असेम्बली ऑफ़ इक्सपर्टस फ़ार लीडरशीप) के सदस्य ने कहा कि अभी हमने क़ुरआन से वास्तविक अर्थों में संपर्क स्थापित नहीं किया है और उससे मानूस नहीं हुए हैं। हम क़ुरआन के अंदर मौजूद वास्तविकताओं और इशारों से अवगत नहीं हुए हैं और हम क़ुरआन से अपरिचित हैं। क़ुरआन आज भी ग़रीब है यानी लोगों ने इसे छोड़ दिया है। क़ुरआन मानव समाज को उन संकटों से मुक्ति देने वाली किताब है जिनका उसे सामना है। जो भी क़ुरआन से संपर्क स्थापित करेगा वह कभी भी अकेलेपन का एहसास नहीं करेगा। क़ुरआन मात्र वह किताब है जो आज के मानव समाज को मुक्ति दे सकता है। अगर हम धर्म की सही व्याख्या कर सकें और उसका सही अर्थ बयान कर सकें तो सभी के अंदर प्रेम के साथ धार्मिक रुझान पैदा होगा। उन्होंने कहा कि एक समय था जब पश्चिम आध्यात्मिकता से मुकाबला करता था और आज यही पश्चिम है जिसका आध्यात्मिका की ओर रुझान पैदा हो गया है मगर झूठे आध्यात्मिकता की ओर। इस समय यूरोप और अमेरिका में शायद तीन से चार हज़ार झूठी आध्यात्मिकता मौजूद है। 

कार्लोस कास्टाना, डॉन जुआन, इरफ़ान माज़िकी और इरफ़ान हलक की किताबों की ओर रुझान इस बात का सूचक है कि इस समय हमें विश्व में धार्मिक आध्यात्मिकता और धार्मिक सांस्कृतिक निर्धनता का सामना है।

वारणसी की ज्ञानवापी मस्जिद, मथुरा की शाही ईदगाह मस्जिद और धार की कमल मौला मस्जिद विवाद के बीच अब जौनपुर की अटाला मस्जिद का विवाद भी चर्चा में आ गया है। भारत की कई ऐतिहासिक मस्जिदों को लेकर हिन्दू पक्ष की ओर से दावे किये जा रहे हैं जिन्हे प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट के बाद भी अदालतों की ओर सुनवाई के लिए मंज़ूर किया जा रहा है जो विवाद को और हवा दे रहा है।

जौनपुर के सिपाह मोहल्ले में गोमती किनारे में मौजूद अटाला मस्जिद दुनिया भर में अपनी खूबसूरती के लिए मशहूर है। अटाला मस्जिद को लेकर कुछ इतिहासकारों का मानना है कि यहां अटल देवी के मंदिर को तोड़कर अटाला मस्जिद बनाई गई है।

इस दावे को लेकर कोर्ट में एक वकील ने दावा पेश किया है. सिविल जज सीनिअर डिवीजन कोर्ट में अटाला मजिस्द को अटाला माता मंदिर बताते हुए आगरा के वकील अजय प्रताप सिंह ने उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड, मैनेजमेंट कमेटी अटाला मस्जिद के खिलाफ दावा पेश किया है।

जय प्रताप सिंह ने दावा किया है कि कलकत्ता स्कूल ऑफ आर्ट के प्रिंसिपल ईबी हेवेल ने अपनी किताब में अटाला मस्जिद की नेचर व कैरेक्टर को हिन्दू बताया है। अटाला मस्जिद ASI के अधीन एक प्रोटेक्टेड मोनुमेंट है और एक राष्ट्रीय महत्व का स्मारक है।