
رضوی
ग़ज़्ज़ा के नरसंहार पर संरा की चुप्पी सबसे बड़ी त्रासदी हैः ईरान
इस्लामी गणतंत्र ईरान के विदेशमंत्री ने कहा है कि ग़ज़्ज़ा में ज़ायोनी शासन के नरसंहार के संबंध में संयुक्त राष्ट्र संघ की सुरक्षा परिषद की निष्क्रियता और चुप्पी इस सदी की सबसे बड़ी त्रासदी है।
ईरान के विदेशमंत्री हुसैन अमीर अब्दुल्लाहियान ने जिनेवा में बैठकों का सिलसिला जारी रखते हुए मंत्री स्तर पर एक बैठक में भाग लिया और फ़िलिस्तीन और ग़ज़्ज़ा में इस्राईल के अपराधों की निरंतरता और युद्ध क्षेत्र के विस्तार को निश्चित रूप से विश्व शांति के लिए ख़तरा क़रार दिया।
विदेशमंत्री हुसैन अमीर अब्दुल्लाहियान ने कहा कि ज़ायोनी शासन इस छोटे से क्षेत्र में पांच महीने से नरसंहार कर रहा है और इस दौरान ग़ज़्ज़ा के 30 हजार लोग मारे गए हैं जिनमें से 70 प्रतिशत बच्चे और महिलाएं हैं।
उनका कहना था कि और ये आंकड़े मानव इतिहास में बच्चों की हत्या के सबसे भयानक आंकड़े हैं।
ईरान के विदेशमंत्री ने कहा कि अतिग्रहित क्षेत्रों में संकट को हल करने का तरीक़ ज़ायोनी शासन द्वारा ग़ज़्ज़ा और पश्चिमी जॉर्डन में चल रहे नरसंहार को तुरंत रोकना है।
उन्होंने कहा कि इस्लामी गणतंत्र ईरान हमेशा से अंतर्राष्ट्रीय क़ानूनों और आत्मनिर्णय के अधिकार के आधार पर फ़िलिस्तीनी राष्ट्र को अवैध क़ब्ज़े से बचाने की कोशिश करता रहेगा।
हज़रत इमाम मेंहदी अ.स. के जन्मदिन के अवसर पर ईरान सहित कई देशों में बड़ी उत्साह के साथ खुशियां मनाई जा रही हैं।
हज़रत इमाम मेंहदी अ.स. के जन्मदिन के अवसर पर ईरान सहित कई देशों में बड़ी उत्साह के साथ खुशियां मनाई जा रही हैं।
हज़रत इमाम मेहदी अ.स.धरती पर ईश्वर के अंतिम दूत पैग़म्बरे इस्लाम हज़रत मोहम्मद स.ल.व. के अंतिम उत्तराधिकारी हैं उनके शुभ जन्म दिवस को पूरे ईरान में बड़ी ही श्रद्धा के साथ मनाया जा रहा हैं इस अवसर पर लोग एक दूसरे को बधाइयां दे रहे हैं जगह जगह पर स्टाल लगाए गए हैं जहां से लोगों को मिठाइयां, चाय, शरबत और अन्य प्रकार की खाने की चीज़ें बांटी जा रही हैं।
मानवता के मोक्षदाता हज़रत इमाम मेहदी अ.स. का जन्म 15 शाबान सन 255 हिजरी क़मरी को शुक्रवार के दिन, सुबह के समय, इराक के सामर्रा शहर में हुआ था। हज़रत इमाम मेहदी (अ) के पिता का नाम इमाम हसन अस्करी और माता का नाम नरजिस ख़ातून है। जब आपका जन्म हुआ तो उस समय का शासक, मोतमिद अब्बासी था।
वर्तमान समय में इमाम मेहदी (अ) लोगों की नज़रों से ओझल हैं ईश्वर के आदेश पर वे एक दिन प्रकट होेकर पूरी दुनिया में शांति, सुरक्षा और न्याय स्थापित करेंगे।
आपके प्रकट हो जाने के बाद पूरी दुनिया में कहीं भी न कोई अत्याचार नहीं होगा, किसी के साथ किसी प्रकार का अन्याय और भेदभाव नहीं होगा। उस काल में पूरी दुनिया में चारों ओर न्याय और शांति स्थापित होगी।
हज़रत इमाम मेहदी अ.स.के शुभ जन्म दिवस के अवसर पर हौज़ा न्यूज़ की पूरी टीम की ओर से सबको ढेरों बधाई पेश करते हैं।
इमाम महदी (अ) के ज़ोहूर की निशानीया
रिवयतो मे इमाम महदी (अ) के ज़ोहूर होने के विभिन्न निशानीयो का वर्णन किया गया है, जिन्हें ज़ोहूर होने की निशानीयो के रूप में जाना जाता है। यह लेख इन लक्षणों का विस्तार से वर्णन करेगा।
इमाम महदी (अ) के ज़ोहूर के सामान्य संकेत:
जिन लक्षणों में सामान्य लक्षण होते हैं, यानी वे किसी विशिष्ट रूप में, किसी विशिष्ट समय पर और विशिष्ट लोगों में प्रकट नहीं होते हैं, उन्हें "सामान्य लक्षण" कहा जाता है। जैसे कि वे हदीसे और रिवायतें जो आख़िरी ज़माने के लोगों के हालात और इस दौर में हुए विचलनों के बारे में बताती हैं, जो असल में इमाम का ज़ोहूर होने की निशानियाँ हैं।
इब्न अब्बास का कहना है कि मैराज की रात को पैगंबर (स) पर ये शब्द नाज़िल हुए कि वह हज़रत अली (स) को आदेश दे और उन्हें अपने बाद के इमामों के बारे में सूचित करे। जो उनके बच्चों मे से हैं; इनमें से आखिरी इमाम है साथ ही उनके पीछे ईसा बिन मरियम नमाज़ पढ़ेंगे। वह धरती को न्याय से भर देगा जैसे वह अन्याय से भरी होगी... । (इस्बात अल हिदाया, खंड 7, पेज 390)
इमाम अली (अ) ने दज्जाल के संकेतों और उनकी उपस्थिति और इमाम अल-ज़माना (अ) के जोहूर के बारे में "सासा बिन सुहान" के सवाल का जवाब दिया और कहा: दज्जाल की उपस्थिति का संकेत यह है कि लोग नमाज पढ़ना बंद कर देंगे विश्वासों को धोखा देगा; झूठ वैध माना जायेगा। रिश्वत लेना आम बात होगी; मजबूत इमारतें बनाएंगे और दुनिया को धर्म से बेचेंगे; एक दूसरे से बातचीत करेंगे; हत्या और खून-खराबा सामान्य माना जाएगा. (बिहार अल-अनवर, खंड 52, पृष्ठ 193)
इमाम महदी अलैहिस्सलाम के जोहूर के विशेष लक्षण:
अभिव्यक्ति के कुछ लक्षण विशिष्ट लोगों में विशिष्ट तरीकों से और विशिष्ट संकेतों के साथ क्रिस्टलीकृत होते हैं। उदाहरण के लिए, कई हदीसों में यह उल्लेख किया गया है कि इमाम ज़मान (अ) का विषम वर्षों और विषम दिनों में जो़हूर होगा। दज्जाल और सुफ़ियान नाम के लोगों का उदय और यमानी और सैय्यद ख़ुरासानी जैसे धर्मात्मा लोगों का कयाम विशेष लक्षण माने जाते हैं। हदीसों में उनके नाम और रीति-रिवाजों के साथ-साथ उनकी विशेष विशेषताओं का भी उल्लेख किया गया है।
इमाम बाकिर (अ) ने कहा: खुरासान से काले झंडे निकलेंगे और कूफ़ा की ओर बढ़ेंगे। इसलिए, जब महदी जोहूर करेंगे तो वह उन्हें निष्ठा की प्रतिज्ञा करने के लिए आमंत्रित करेंगे।
साथ ही, इमाम बाक़िर (अ) ने कहा: हमारे महदी के लिए दो संकेत हैं जो अल्लाह द्वारा आकाश और पृथ्वी के निर्माण के बाद से नहीं देखे गए हैं: एक रमज़ान की पहली रात को चंद्रमा का ग्रहण है और दूसरा उस महीने के मध्य में होने वाला सूर्य ग्रहण है जब से परमेश्वर ने आकाश और पृथ्वी की रचना की है, तब से ऐसा कुछ नहीं हुआ है। (मुंतखब अल-आसार, पेज 444)
इमाम महदी (अ) के ज़ोहुर की हत्मी निशानी:
वे संकेत जो इमाम महदी (अ) के ज़ोहूर होने से पहले निश्चित रूप से घटित होगी। जिसके घटित होने पर कोई शर्त नहीं रखी गई है। जो कोई इन चिन्हों के प्रकट होने से पहले प्रकट होने का दावा करेगा वह झूठा होगा।
इमाम सज्जाद (अ) ने फ़रमाया: क़ुम की उपस्थिति ईश्वर की ओर से निश्चित है और सुफ़ानी की उपस्थिति भी ईश्वर की ओर से निश्चित है और सुफ़ानी के बिना कोई क़ाइम नहीं है। इसी तरह, इमाम सादिक (अ) ने फ़रमाया: यमानी की स्थापना ज़हूर के अंतिम संकेतों में से एक है। (बिहार अल-अनवर, खंड 52, पृष्ठ 82)
उपरोक्त रिवायतो के अनुसार, सूफ़ियानी का उदय, यमानी की स्थापना, सेहा आसमानी, पश्चिम से सूर्य का उदय और नफ़्स ज़किया की हत्या इमाम महदी (अ) के ज़ोहूर की हत्मी निशानीयो मे से हैं।
इमाम महदी अलैहिस्सलाम के ज़ोहूर के निकट घटित होने वाली निशानियाँ:
कुछ हदीसों में यह उल्लेख किया गया है कि इमाम ज़मान (अ) के ज़ोहूर होने के वर्ष में कुछ संकेत दिखाई देंगे। अर्थात्, जोहूर होने से पहले और हज़रत महदी (अ) के जोहुर के अवसर पर, ये संकेत एक के बाद एक दिखाई देंगे, जिसके दौरान इमाम अल-ज़माना (अ) जोहूर करेंगे।
इमाम सादिक (अ) ने फ़रमाया: तीन लोगों का उदय: ख़ुरासानी, सुफ़ानी और यमनी, एक वर्ष, एक महीने और एक दिन में होगा, और उस दौरान कोई भी सच्चाई का आह्वान नहीं करेगा। (ग़ैबत नोमानी की पुस्तक, पृष्ठ 252)
इमाम बाकिर (अ) ने फ़रमायाः महदी (अ) के ज़ोहूर और नफ़्स ज़कियाह की हत्या के बीच पंद्रह रातों से अधिक समय नहीं है।
इन रिवायतो के अनुसार, इमाम महदी (अ) के जाहिर होने के निकट होने वाले संकेतों में खोरासानी, सुफ़ानी और यमनी की स्थापना और नफ़्स ज़किया की हत्या शामिल है।
इमाम महदी (अ) के ज़ोहूर के प्राकृतिक और सांसारिक संकेत:
महदी (अ) के ज़ोहूर के अधिकांश लक्षण प्राकृतिक और सांसारिक संकेत हैं और उनमें से प्रत्येक हज़रत महदी (अ) के ज़ोहूर और पुनरुत्थान की शुद्धता में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
इमाम अली (अ) ने फ़रमाया: मेरे परिवार का एक व्यक्ति पवित्र भूमि में रहेगा, जिसकी खबर सुफ़ानी तक पहुंच जाएगी। वह उससे लड़ने और उन्हें हराने के लिए अपने सैनिकों की एक सेना भेजेगा, फिर सुफ़ानी खुद और उसके साथी उससे लड़ने के लिए जाएंगे और जब वे बैदा की भूमि से गुजरेंगे तो धरती उन्हें निगल जाएगी। एक व्यक्ति के अलावा कोई नहीं बचेगा और वह एक व्यक्ति इस घटना की खबर दूसरों तक पहुंचाएगा।
ज़मीनी और कुदरती निशानियों में सूफियान का बायदा (खुसूफ बैदा) में भूमिगत हो जाना, यमनी, ख़ुरासानी, सूफियान और दज्जाल का उभरना, नफ़्स ज़किया की हत्या, ख़ूनी युद्ध आदि की निशानियाँ शामिल हैं।
इमाम महदी (अ) के ज़ोहूर के स्वर्गीय संकेत:
इमाम ज़माना (अ) के ज़ोहूर के महत्व को देखते हुए, सांसारिक और प्राकृतिक संकेतों के अलावा, इमाम (अ) के ज़ोहूर के समय कुछ स्वर्गीय संकेत भी दिखाई देंगे ताकि लोग अपने स्वर्गीय नेता और रक्षक को बेहतर ढंग से पहचान सकें। और उनके मिशन और लक्ष्यों और उद्देश्यों को साकार करने में उनका समर्थन करें।
स्वर्गीय पुकार:
इमाम सादिक (अ) ने फ़रमाया: जब भी कोई उपदेशक आकाश से कहता है कि सच्चाई मुहम्मद (अ) के परिवार के साथ है, तो हर कोई इमाम महदी (अ) के जोहूर का उल्लेख करेगा । और हर कोई उनकी दोस्ती और प्यार पर मोहित होगा, उनके अलावा किसी को याद नहीं किया जाएगा।
सूर्यग्रहण:
इमाम सादिक (अ) ने फ़रमाया: महदी (अ) के ज़ोहूर के संकेतों में से एक रमज़ान के पवित्र महीने की 13 या 14 तारीख को सूर्य ग्रहण है।
इन हदीसों के अनुसार, इमाम महदी (अ) के ज़ोहूर के स्वर्गीय संकेतों में स्वर्गीय पुकार और रमज़ान में सूर्य का ग्रहण शामिल हैं।
अंतिम बात:
अधिकांश शोधकर्ताओं और मुज्तहिदीन के अनुसार, जिस जमाने में हम रह रहे हैं वह इमाम महदी (अ) का ज़माना है। अब तक, ज़ोहूर के सामान्य लक्षण लगभग पूरी तरह से घटित हो चुके हैं, जबकि कुछ शोधकर्ताओं का कहना है कि इस समय, इमाम महदी (अ) के ज़ोहूर के विशेष लक्षण भी घटित हो रहे हैं या जल्द ही घटित होंगे। अहले-बैत (अ) के सभी प्रेमियों और इमाम महदी (अ) की प्रतीक्षा करने वालों को अपने कार्यों के माध्यम से यह साबित करना चाहिए कि वे समाज में असली प्रतीक्षारत इमाम महदी (अ) हैं। हम अल्लाह ताला से दुआ करते हैं कि वह हमें इमाम महदी (अ) के सच्चे अनुयायियों और समर्थकों में से घोषित करे।
अल्लाह तआला इमाम मेंहदी अ.स. के माध्यम से दीन को कामिल करेगा।
हज़रत इमाम ज़माना अ.स. के बारे में रिवायत हैं बयानउल कंजी में अली बिन जोशब से रिवायत की है अली बिन जोशब बयान करता है अली इब्ने अबी तालिब फ़रमाते हैं कि मैने रसूलल्लाह स. से सवाल किया कि क्या आले मुहम्मद के महदी हम में से हैं या हमारे अलावा हैं?
हज़रत ने फ़रमाया ऐसा नही है, बल्कि ख़ुदावन्दे आलम हम अहले बैत के सबब दीन इस्लाम को इख़्तेताम तक पहुँचायेगा जिस तरह उसने हमारे ही नबी स.ल. के ज़रिये उसको कामयाब बनाया है और हमारे ही ज़रिये लोग फ़ितने से महफ़ूज़ रहेगें। जिस तरह वह शिर्क से महफ़ूज़ रहे और हमारी ही मुहब्बत के सबब अदावत के बाद उनके दिलों में मेल मुहब्बत और भाईचारगी पैदा कर देगा। जिस तरह वह शिर्क की अदावत के बाद एक दूसरे के भाई क़रार पाये।
मुन्तख़ब कन्ज़ुल उम्माल:रसूलल्लाह (स.) ने फ़रमाया: अगर दुनिया में सिर्फ़ एक रोज़ बाक़ी रह जायेगा तो ख़ुदा वंदे आलम उस रोज़ को इतना तूलानी कर देगा कि मेरे अहले बैत से एक शख़्स क़ुस्तुन्तुन्या और दैलम के पहाड़ों का हाकिम क़रार पायेगा।
हाफ़िज़ अलक़न्दुज़ी अलहनफ़ी अबू सईद ख़िदरी से बतौरे मरफ़ूअ रिवायत करते हैं, हुज़ूर (स.) में फ़रमाया: महदी हम अहले बैत में से हैं और बलंद सर का हामिल है। वह ज़मीन को अदल व इंसाफ़ से इस तरह भर देगा, जिस तरह वह पहले ज़ुल्म व जौर से भरी होगी।
अलफ़ुसूलुल मुहिम्मा अल्लामा मालिकी बिन सबाग़ में अबू दाऊद और तिरमीज़ी अपनी सुनन में अब्दुल्लाह बिन मसऊद से (बतौरे मरफ़ूअ) रिवायत करते हैं कि अब्दुल्लाह बिन मसऊद बयान करते हैं कि रसूलल्लाह (स.) ने फ़रमाया: अगर दुनिया से एक रोज़ भी बाक़ी रह जायेगा तो ख़ुदावन्दे आलम उस रोज़ को इतना तूलानी कर देगा कि मेरे अहले बैत से एक शख़्स ज़ाहिर होगा, जिसका नाम मेरे नाम पर होगा। जो ज़मीन को अदल व इंसाफ़ से इस तरह से भर देगा जिस तरह वह ज़ुल्म व जौर से भर चुकी होगी।
अलकंजी (शाफ़ेई) अबूसईद ख़िदरी से रिवायत करते हैं कि रसूलल्लाह अ.स. ने फ़रमाया: आख़री ज़माने में फ़ितनों का ज़हूर होगा जिसके दरमियान महदी अ.स.नामी एक शख़्स ज़ाहिर होगा जिसकी अता व बख़्शिश मुबारक होगी।
यनाबी उल मवद्दत में इब्ने अब्बास से रिवायत की गई है कि इब्ने अब्बास बयान करते हैं कि रसूलल्लाह (स.) ने फ़रमाया: इस दीन की कामयाबी अली (अ.) से हुई। अली (अ.) की शहादत के बाद दीन में फ़साद बरपा होगा, जिसकी इस्लाह फ़क़त महदी अ.स.के ज़रिये होगी।
यनाबी उल मवद्दत में अली इब्ने अबी तालिब से रिवायत की गई है कि हज़रत ने फ़रमाया: दुनिया ख़त्म न होगी यहा तक कि मेरी उम्मत से एक शख़्स हुसैन अ.स. के फ़रज़न्द से ज़ाहिर होगा और ज़मीन को अदल व इंसाफ़ से भर देगा जिस तरह वह ज़ुल्म व जौर से भर चुकी होगी।
एक रिवायत में दैलम के पहाड़ से मुराद वह मक़ाम है जहाँ पर रसूलल्लाह स.स.व.के ज़माने में यहूदीयों का मर्कज़ था और कुस्तुन्तुनया नसारा का मर्कज़ था और बमुल्के जबलुद दैलम व कुस्तुन्तुनया से इमाम मेहदी अ.स. का तमाम दुनिया और दीगर मज़ाहिब पर कामयाबी मुराद है।
ग़ज़्ज़ा की जनता का सब्र, उनके मज़बूत ईमान का पता देता हैः सुप्रीम लीडर
इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने शनिवार की सुबह ख़ूज़िस्तान प्रांत के 24000 शहीदों पर कॉन्फ़्रेंस आयोजित करने वाली कमेटी से मुलाक़ात की।
उन्होंने पवित्र प्रतिरक्षा के दौरान, ख़ूज़िस्तान की जनता की बहादुरी और उनके चमत्कार को, जनता के हौसले और संकल्प और इस्लामी ईमान के संगम का नतीजा बताया और इस्लामी गणतंत्र की शब्दावली के चयन में इमाम ख़ुमैनी रहमतुल्लाह अलैह की दूरदृष्टि की ओर इशारा करते हुए कहा कि जो चीज़ इस्लामी सिस्टम की मज़बूती और तरक़्क़ी और बहुत सी रुकावटों व साज़िशों पर उसके हावी होने का कारण बनी वो जनता और इस्लाम पर भरोसे का नतीजा थी और भविष्य में भी मुश्किलों पर हावी होने की राह, इसी सोच का जारी रहना है।
इस्लामी क्रांति के नेता ने इमाम महदी अलैहिस्सलाम के शुभ जन्म दिवस की भव्य ईद की मुबारकबाद देते हुए, जनता के संबंध में इमाम ख़ुमैनी की सोच और इसी तरह इस्लाम के संबंध में उनके व्यापक व सर्वोच्च नज़रिए का गहराई से अध्ययन करने पर बल देते हुए कहा कि इमाम ख़ुमैनी ने इस्लामी आंदोलन के लिए बिल्कुल शुरआती के दिनों से लेकर इस्लामी क्रांति की कामयाबी तक और उसके बाद भी हमेशा जनता पर भरोसा किया और वो इस्लाम को, राजनीति और समाज के संचालन के लिए एक उपयोगी दीन समझते थे और इसीलिए वो ईरान की तरक़्क़ी और बड़े बड़े काम जारी रखने का रास्ता समलत करने में कामयाब हुए।
उन्होंने इस्लामी गणतंत्र ईरान के दुश्मन का सबसे अहम समस्या, ईरानी जनता और इस्लाम की सही पहचान का न होना बताया और कहा कि ईरानी जनता के दुश्मन, अपने अंदाज़ों और योजनाओं की बुनियाद पर इस बात से संतुष्ट थे कि इस्लामी गणतंत्र ईरान अपनी उमर के 40 साल पूरे नहीं कर पाएगा लेकिन ईरान की तरक़्क़ी नहीं रुकी और अल्लाह की कृपा, जनता के हौसले व इरादे और ईमान के कारण यह तरक़्क़ी आगे भी जारी रहेगी।
आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने अपनी स्पीच में जनता और ईमान पर भरोसे से चमत्कार दिखाने का एक और उदाहरण, ग़ज़्ज़ा के आज के हालात को बताया और कहा कि रेज़िस्टेंस फ़ोर्सेज़ की दृढ़ता और उन्हें ख़त्म करने की ओर से दुश्मन को निराश कर देना और इसी तरह बमबारियों और मुश्किलों के मुक़ाबले में ग़ज़्ज़ा की जनता का सब्र, उनके मज़बूत ईमान का पता देता है।
उन्होंने ग़ज़्ज़ा के मामले में मानवाधिकार के पश्चिमी सभ्यता के दावों की पोल खुल जाने और उनके ढोंग व पाखंड का पर्दाफ़ाश हो जाने की ओर इशारा करते हुए कहा कि पश्चिम वालों ने, जो एक अपराधी को मौत की सज़ा दिए जाने पर हंगामा खड़ा कर देते हैं, ग़ज़्ज़ा में 30 हज़ार बेगुनाह लोगों के नरसंहार पर अपनी आंखें बंद कर रखी हैं और अमरीका पूरी ढिठाई से ग़ज़्ज़ा में बमबारी रुकावने के प्रस्ताव को लगातार वीटो कर रहा है।
इस्लामी क्रांति के नेता ने कहा कि यह पश्चिमी सभ्यता और पश्चिम की लिबरल डेमोक्रेसी का वास्तविक चेहरा है जिसके ज़ाहिर में सूट पहने हुए और होंठों पर मुसकुराहट सजाए राजनेता नज़र आते हैं लेकिन भीतर एक पागल कुत्ता और ख़ूंख़ार भेड़िया है।
उन्होंने अपनी स्पीच के अंत में कहा कि हमें पूरा यक़ीन है कि ये पश्चिमी सभ्यता कभी अपने मक़सद तक नहीं पहुंचेगी और इस्लाम की सच्ची सभ्यता और उसका सही तर्क इन सब पर हावी हो जाएगा।
इमाम मेहदी (अ) के शुभ जन्म दिवस पर ढेरों बधाइयां
ईरान में आज मानवता को मुक्ति दिलाने वाले इमाम मेहदी (अ) का शुभ जन्म दिवस बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है।
कल रात से ही ईरान में लोग, विभिन्न धार्मिक स्थलों में एकत्रित होकर इमाम मेहदी (अ) का शुभ जन्म दिवस मना रहे हैं।
हज़रत इमाम मेहदी (अ) धरती पर ईश्वर के अंतिम दूत पैग़म्बरे इस्लाम हज़रत मोहम्मद (स) के अंतिम उत्तराधिकारी हैं। उनके शुभ जन्म दिवस को पूरे ईरान में बड़ी ही श्रद्धा के साथ मनाया जा रहा है। इस अवसर पर लोग, एक-दूसरे को बधाइयां दे रहे हैं। जगह-जगह पर स्टाल लगाए गए हैं जहां से लोगों को मिठाइयां, चाय, शरबत और अन्य प्रकार की खाने की चीज़ें बांटी जा रही हैं।
मानवता के मोक्षदाता हज़रत इमाम मेहदी (अ) का जन्म 15 शाबान सन 255 हिजरी क़मरी को शुक्रवार के दिन, सुबह के समय, इराक के सामर्रा शहर में हुआ था। हज़रत इमाम मेहदी (अ) के पिता का नाम इमाम हसन अस्करी और माता का नाम नरजिस ख़ातून है। जब आपका जन्म हुआ तो उस समय का शासक, मोतमिद अब्बासी था।वर्तमान समय में इमाम मेहदी (अ) लोगों की नज़रों से ओझल हैं। ईश्वर के आदेश पर वे एक दिन प्रकट होेकर पूरी दुनिया में शांति, सुरक्षा और न्याय स्थापित करेंगे।
आपके प्रकट हो जाने के बाद पूरी दुनिया में कहीं भी न कोई अत्याचार नहीं होगा, किसी के साथ किसी प्रकार का अन्याय और भेदभाव नहीं होगा। उस काल में पूरी दुनिया में चारों ओर न्याय और शांति स्थापित होगी।
हज़रत इमाम मेहदी (अ) के शुभ जन्म दिवस के अवसर पर हम सबको ढेरों बधाई पेश करते हैं।
इमाम ज़मान अलैहिस्सलाम के जन्म दिवस के शुभ अवसर पर विशेष कार्यक्रम
15 शाबान 255 हिजरी कमरी उस महान हस्ती के जन्म दिवस का शुभ अवसर है जो पूरी दुनिया को न्याय और शांति से भर देगा।
15 शाबान का दिन मानवता को मुक्ति दिलाने वाले का जन्मदिन है। 15 शाबान को बहुत से गैर शिया भी खुशी और जश्न मनाते हैं। 15 शाबान उस महान हस्ती के जन्मदिवस की पावन बेला है जो किसी एक जाति या धर्म के लोगों का कल्याण नहीं बल्कि वह पूरी मानवता का कल्याण करेगा और उसे परिपूर्णता के शिखर पर पहुंचायेगा।
हज़रत इमाम मेहदी धरती पर ईश्वर के अंतिम दूत पैग़म्बरे इस्लाम हज़रत मोहम्मद (स) के अंतिम उत्तराधिकारी हैं। उनका जन्म 15 शाबान, शुक्रवार के दिन, सुबह के समय, 255 हिजरी क़मरी को इराक के सामर्रा शहर में हुआ था। हज़रत इमाम मेहदी (अ) के पिता का नाम इमाम हसन अस्करी और माता का नाम नरजिस ख़ातून है। जब उनका जन्म हुआ तो उस समय का शासक मोतमिद अब्बासी था। हज़रत इमाम महदी (अ) का जीवन तीन कालों में बंटा हुआ है।
पहला काल जन्म से 260 हिजरी क़मरी तक है जिसमें उनके पिता हज़रत इमाम हसन अस्करी अलैहिस्सलाम की शहादत हुई, दूसरा काल 260 से 329 हिजरी क़मरी तक है जिसमें वे दूसरों की नज़रों से ओझल रहे और केवल कुछ विशेष लोगों के माध्यम से ही जनता के संपर्क में थे, इस काल को ग़ैबते स़ुग़रा कहा जाता है। तीसरा काल वह है जिसमें वे पूरी तरह लोगों की नज़रों से ओझल हो गए और इसे ग़ैबते कुबरा कहा जाता है और यह काल 329 हिजरी क़मरी से आरंभ हुआ और अब तक जारी है और महान ईश्वर जब तक चाहेगा तब तक इस काल को जारी रखेगा।
महामुक्तिदाता का जन्म किस प्रकार हुआ इस बारे में इमाम हसन अस्करी अलैहिस्सलाम की फुफ़ी हज़रत हकीमा खातून कहती हैं।
इमाम हसन अस्करी अलैहिस्सलाम ने किसी को मुझे बुलाने के लिए भेजा और कहा कि आज शाम को मेरे साथ इफ्तार करें। जब मैं उनके पास आ गयी तो इमाम हसन अस्करी ने मुझसे फरमाया कि आज रात को महान ईश्वर के प्रतिनिधि का जन्म होगा। इस पर मैंने पूछा कि यह प्रतिनिधि किससे पैदा होगा तो इमाम ने फरमाया कि नरजिस से। मैंने कहा कि मैं नरजिस के अंदर गर्भ की कोई अलामत नहीं देख रही हूं इस पर इमाम ने फरमाया कि विषय यही है जो मैंने कहा।
इसके बाद इमाम फरमाते हैं कि नरजिस आयीं और मैंने उनका हालचाल पूछा और कहा कि आप मेरी धर्मपत्नी हैं। मेरी बात पर नरजिस को आश्चर्य हुआ और उन्होंने कहा कि यह कौन सी बात है जो आप कह रहे हैं? इस पर मैंने कहा कि आज रात को महान ईश्वर तुम्हें एक बेटा प्रदान करेगा जो लोक- परलोक का आक़ा व मौला होगा। मेरी इस बात से नरजिस शर्मा गयीं।
बहरहाल हज़रत हकीमा खातून कहती हैं कि रोज़ा खोलने के बाद मैंने एशां की नमाज़ पढ़ी और उसके बाद सोने के लिए बिस्तर पर चली गयी। जब आधी रात गुज़र गयी तो मैं उठी और मैंने नमाज़े शब पढ़ा। उसके बाद दोबारा मैं सो गयी। उसके कुछ समय के बाद मैं दोबारा उठी। उस वक्त नरजिस भी उठ गयी थीं और वह भी नमाज़े शब पढ़ीं। उसके बाद मैं कमरे से बाहर गयीं ताकि देखूं कि सुबह हुई या नहीं। मैंने देखा कि बिल्कुल भोर का समय है और नरजिस नमाज़े शब के बाद दोबारा सो गयीं। मेरे दिमाग में यह सवाल पैदा हुआ कि अभी तक महान ईश्वर के प्रतिनिधि का जन्म क्यों नहीं हुआ? करीब था कि मेरे दिल में संदेह उत्पन्न हो जाता।
अचानक इमाम हसन अस्करी अलैहिस्सलाम ने मुझे पास वाले कमरे से आवाज़ दी और कहा कि फूफी जल्दी मत कीजिये कि वादे का समय निकट है। मैं भी बैठा हूं। मैंने पवित्र कुरआन के सूरे यासिन की तिलावत की है। जब मैं पवित्र कुरआन की तिलावत कर रहा था तो नरजिस नींद से जाग गयीं। कुछ रिवायतों के आधार पर हज़रत हकीमा खातून कहती हैं कि जब नरजिस ख़ातून जाग गयीं तो इमाम हसन अस्करी अलैहिस्सलाम ने मुझसे फरमाया कि उनके लिए सूरे क़द्र की तिलावत करूं। जब मैं सूरे क़द्र की तिलावत कर चुकी तो नरजिस से पूछा कि कैसी तबीयत है तो उन्होंने कहा कि जो मौला ने कहा है वह होने वाला है। मैंने सूरे कद्र की दोबारा तिलावत की। मैंने सुना कि जो बच्चा नरजिस के पेट में है वह भी मेरे साथ सूरे क़द्र की तिलावत कर रहा है मैं डर गयी। मैंने नरजिस से पूछा कि किसी चीज़ का आभास कर रही हो तो उन्होंने कहा हां।
इसके कुछ क्षणों के बाद महामुक्तिदाता इमाम महदी अलैहिस्सलाम का जन्म हुआ। यह वह मौका था जब इमाम हसन अस्करी अलैहिस्सलाम ने मुझे आवाज़ दी और कहा कि फूफी मेरे बेटे को मेरे पास लाइये। जब मैं शिशु को इमाम के पास ले गयी तो उन्होंने उसे अपनी आगोश में लिया और शिशु के हाथ और आंख पर हाथ फेरा और दाहिने कान में अजान और बायें कान में इक़ामत कही। इसके बाद इमाम ने शिशु से कहा मेरे बेटे बोलो उसके बाद उस शिशु ने कहा «اشهد ان لا اله الا الله، و اشهد ان محمدا رسول الله
उसके बाद शिशु ने हज़रत अली अलैहिस्सलाम और दसरे इमामों की इमामत की गवाही दी और जब खुद के नाम की गवाही का समय आया तो कहा मेरे पालनहार! मेरे वादे को पूरा फरमा और हमारे अम्र को पूरा कर और हमें साबित कदम रख और हमारे ज़रिये ज़मीन को न्याय से भर दे।हजरत हकीमा खातून कहती हैं कि जब मैं सातवें दिन इमाम की सेवा में थी तो उन्होंने मुझसे अपने बेटे को मांगा तो मैं नन्हें शिशु को कपड़े में लपेट कर इमाम के पास ले गयी। उस वक्त इमाम ने शिशु से कहा मेरे बेटे मुझसे बोलो। यह वह वक्त था जब उसने पवित्र कुरआन की वह आयत पढ़ी जिसमें महान ईश्वर कहता है कि हम उन लोगों पर एहसाना करना चाहते हैं जो ज़मीन पर कमज़ोर कर दिये गये हैं।
एक दूसरी रिवायत में है कि जब महामुक्तिदाता इमाम ज़मान अलैहिस्सलाम का जन्म हुआ तो उनके पावन अस्तित्व से एक प्रकाश निकला जो आसमान में फैल गया और आसमान से सफेद पक्षी ज़मीन पर आ रहे हैं और वे अपने परों को महामुक्तिदाता के पावन शरीर से मस करके दोबारा उड़ रहे हैं। उसके बाद इमाम हसन अस्करी अलैहिस्सलाम ने मुझे आवाज़ दी और मुझसे कहा कि हे फूफी शिशु को मेरे पास लाइये। जब मैंने शिशु को लिया तो उसकी दाहिनी भुजा पर पवित्र कुरआन की «جاء الحق و زهق الباطل ان الباطل کان زهوقا.» " आयत लिखी हुई थी। इस आयत का अर्थ है कि हक आ गया और बातिल जाने वाला है और बेशक बातिल जाने वाला है।
महान ईश्वर ने महामुक्तिदाता के जन्म से पूरी मानवता पर वह एहसान किया है जिसका वह पात्र नहीं थी। यह महान ईश्वर के असीमित दया की एक झलक है। महान ईश्वर महामुक्तिदाता के ज़रिये मानवता को शिखर का मार्ग तैय करने का रास्ता दिखायेगा। महामुक्तिदाता पवित्र कुरआन की आयते बल्लिग़ की अंतिम निशानी हैं।
पैग़म्बरे इस्लाम जब अपने जीवन का अंतिम हज करके वापस मदीने जा रहे थे तो रास्ते में महान ईश्वर के विशेष फरिश्ते हज़रत जिब्रईल नाज़िल हुए और उन्होंने अल्लाह का वह आदेश सुनाया जिसमें वह कह रहा है कि हे रसूल वह संदेश पहुंचा दीजिये जो अल्लाह की तरफ से उतारा जा चुका है और अगर आपने यह आदेश नहीं पहुंचाया तो पैग़म्बरी का कोई काम अंजाम ही नहीं दिया। अल्लाह लोगों से आप की रक्षा करेगा।
आयत के अंदाज़ से यह बात पूरी तरह स्पष्ट है कि अल्लाह ने जो आदेश पहुंचाने के लिए पैग़म्बरे इस्लाम से कहा है कि वह पैग़म्बरी के सारे कार्यों से श्रेष्ठ और महत्वपूर्ण है और अगर पैग़म्बरे इस्लाम उसे अंजाम नहीं देंगे तो उनकी पैग़म्बरी ही अधूरी रह जायेगी।
आयते बल्लिग़ नाज़िल होने के बाद पैग़म्बरे इस्लाम ने हाजियों को रुकने का आदेश दिया और कहा कि जो हाजी आगे चले गये हैं उन्हें पीछे आने के लिए कहा जाये और जो हाजी पीछे रह गये हैं उनकी प्रतीक्षा की जाये। इस प्रकार सारे हाजी जमा हो गये और रिवायतों में मैदाने ग़दीर में इकट्ठा होने वाले हाजियों की संख्या एक लाख 20 तक बतायी गयी है।
जब सारे हाजी इकट्ठा हो गये तो पैग़म्बरे इस्लाम ऊंटों के कजावे से बनाये गये मिंबर पर गये और महान ईश्वर का गुणगान करने के बाद हज़रत अली अलैहिस्सलाम को दोनों हाथों से उठा कर कहा कि जिस जिस का मैं मौला हूं उस उस के यह अली मौला हैं और उसके बाद पैग़म्बरे इस्लाम ने दुआ कि हे पालनहार! हक को उधर उधर मोड़ जिधर जिधर अली मुड़ें। उसके बाद पैग़म्बरे इस्लाम ने कहा कि जो लोग यहां मौजूद हैं वे उन लोगों को बतायें जो यहां नहीं हैं। इसके बाद समस्त हाजियों ने अमीरुल मोमिनीन कहकर हज़रत अली अलैहिस्सलाम के हाथ पर बैअत की और उन्हें मुबारकबाद दी।
महान ईश्वर ने पवित्र कुरआन की आयते बल्लिग़ नाज़िल करके बता दिया कि पैग़म्बरे इस्लाम के बाद इस्लामी समाज का नेतृत्व हज़रत अली अलैहिस्सलाम करेंगे और यह सिलसिला आज तक जारी है। पैग़म्बरे इस्लाम ने अपनी बारमबार की हदीसों में अपने अंतिम उत्तराधिकारी का नाम बताया है और इस समय पूरी दुनिया पैग़म्बरे इस्लाम के अंतिम उत्तराधिकारी महामुक्तिदाता इमाम महदी अलैहिस्सलाम के ज़ुहूर की प्रतीक्षा में है।
दुनिया के लगभग समस्त धर्मों में महामुक्तिदाता के आने की शूभसूचना दी गयी है। पैग़म्बरे इस्लाम फरमाते हैं कि इमाम महदी मेरे वंश से होंगे और ईश्वर उन्हें उस समय प्रकट करेगा जब दुनिया अन्याय व अत्याचार से भर चुकी होगी और वह पूरी दुनिया को न्याय से उस तरह से भर देंगे जिस तरह वह अन्याय से भरी होगी।
15 शाबान उस महान व्यक्ति का जन्म दिन है जो पूरी दुनिया में शांति, सुरक्षा और न्याय स्थापित करेगा। पूरी दुनिया में कहीं भी न कोई अत्याचारी होगा न अत्याचार, किसी के साथ किसी प्रकार का भेदभाव नहीं होगा, पूरी दुनिया में चारों ओर न्याय और शांति की बहार होगी।
भारत के हैदराबाद की मस्जिद क्लिनिक में धार्मिक अनुयायियों के लिए रिसेप्शन
भारत के हैदराबाद शहर की इस्हाक़ मस्जिद में गरीब लोगों के लिए एक स्वास्थ्य क्लिनिक खोली ग़ई है।
यह क्लिनिक हेल्पिंग फाउंडेशन की पहल पर इस क्षेत्र में लोगों को स्वास्थ्य देखभाल प्रदान करने के लिए खोली ग़ई है।
मस्जिद के इमाम जमाअत मौलाना फाएक़ खान ने कहा, कि "हम इस क्षेत्र में सैकड़ों गरीब लोगों की सेवा करने वाले मस्जिद केंद्रित स्वास्थ्य केंद्र के लिए उत्सुक थे, और हम लोगों की सेवा के लिए मस्जिद का हिस्सा बनने के लिए खुश हैं।
सहायता फाउंडेशन के मोज्ताबा हसन अस्करी ने यह भी कहा: कि "हम विभिन्न मस्जिदों में समान केंद्र खोलने की योजना बना रहे हैं। पर्याप्त आकार की कई मस्जिदें हैं जिन्होंने समान मेडिकल सेंटर खोलने की अपनी इच्छा व्यक्त की है। हम बीमारियों के प्रकार के आधार पर उचित राज्य में अस्पतालों खोलने, और मरीजों के लिए मुफ्त परिवहन के साथ प्रदान करना चाहते हैं।
गैर-मुसलमान द्वारा शारजाह प्रदर्शनी की "कुरान कहानियों" का स्वागत
शारजाह इंटरनेशनल बुक फेयर, भारतीय प्रकाशन के बुकस्टोर में अरबी, अंग्रेजी और हिंदी में "द स्टोरीज ऑफ़ द कुरान" और "पैगंबर के साथ 365 दिन" किताबों के पेश होने का गवाह बना।
प्रदर्शनी में भारतीय प्रकाशकों में से एक ने कहा: "ये किताबें हिंदी और अंग्रेजी में प्रकाशित हुई हैं, और इन पुस्तकों का भी मुसलमानों के अलावा गैर-मुस्लिमों द्वारा स्वागत किया गया है।
इस प्रकाशक ने कहा: शारजाह के अंतर्राष्ट्रीय पुस्तक मेले में और इसी तरह भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका में कुरानी कहानियों गैर-मुसलमानों ने अभूतपूर्व स्वागत किया है और पुस्तक प्रकाशित होने के बाद दो साल दौरान दो मिल्युन प्रतियां बेची गई हैं।
उन्होंने कहा कि किताब " पैगंबर (स.व.) के साथ 365 दिन " का भी गैर-मुस्लिमों ने अभूतपूर्व स्वागत किया गया और लगभग 20,000 प्रतियां बेची गई हैं।
साथ ही, 77 देशों के 1874 प्रकाशकों के साथ "द स्टोरी ऑफ लेटर्स" नामक शारजाह का 37वां अंतर्राष्ट्रीय पुस्तक मेला बुधवार, 31अक्टूबर से शुरू हुआ और आज, 11 नवंबर को समाप्त होगय।
अमीरात महिला कुरान प्रतियोगिताओं में ईरान के प्रतिनिधि का निष्पादन समय
अंतर्राष्ट्रीय कुरआनी समाचार एजेंसी ने Emirati के अल-बायान वेबसाइट का हवाला देते हुए बताया कि आज तीसरी अंतर्राष्ट्रीय महिला अमीरात कुरान तियोगिताके सातवें दिन, ईरान से ज़हरा खलीली समरिन, मोरक्को से साकिना अल-मुग़ाज़ी, अफगानिस्तान से सफुरिया अब्दुल रहीम काजी, इंडोनेशिया से इस्तेक़ामा सलमीन राना,मैमुना लो सेनेगल और आएशा कमारा कैमरून गिना से एक दूसरे के साथ प्रतिस्पर्धा करेंग़ें।
टूर्नामेंट के प्रतिभागी के बीच दुबई अंतर्राष्ट्रीय कुरान पुरस्कार संस्कृति और विज्ञान क्लब में आयोजित की जाएग़ी।
उल्लेखनीय है कि तीसरी अंतर्राष्ट्रीय अमीरात महिला कुरान प्रतियोगिता पुरे कुरआन के हिफ्ज़ के क्षेत्र में हुआ जो रविवार 4 नवंबर से 63 देशों की भागीदारी के साथ शुरू हुआ था और 16 नवंबर तक जारी रहेग़ा। टूर्नामेंट पिछले शुक्रवार (9 नवंबर) को बंद कर दिया गया था और इसकी गतिविधियों को कल (10 नवंबर) फिर से शुरू किया गया था।