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न्यायालय ने रमज़ान में मुसलमानों के जल्दी कार्यालय छोड़ने के खिलाफ याचिका खारिज की
उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को आंध्र प्रदेश और तेलंगाना सरकारों के उन फैसलों के खिलाफ याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया, जिनमें रमजान के महीने के दौरान मुस्लिम कर्मचारियों को कार्यालय से एक घंटा पहले निकलने की अनुमति दी गई थी।
उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को आंध्र प्रदेश और तेलंगाना सरकारों के उन फैसलों के खिलाफ याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया, जिनमें रमजान के महीने के दौरान मुस्लिम कर्मचारियों को कार्यालय से एक घंटा पहले निकलने की अनुमति दी गई थी।
प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार की पीठ ने याचिकाकर्ता से कहा कि वह अपनी शिकायत संबंधित उच्च न्यायालयों में ले जाएं।
याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन ने कहा कि याचिका में दोनों सरकारों के परिपत्रों को चुनौती दी गई है।
पीठ द्वारा याचिका की जांच करने में अनिच्छा दिखाने के बाद शंकरनारायणन ने संबंधित उच्च न्यायालयों में जाने की स्वतंत्रता के साथ याचिका वापस ले ली।
न्यायालय ने कहा,याचिकाकर्ता के वकील संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत संबंधित उच्च न्यायालयों में जाने की स्वतंत्रता के साथ वर्तमान याचिका वापस लेने की अनुमति चाहते हैं।
इसने याचिकाकर्ता को अपनी शिकायत लेकर उच्च न्यायालय जाने की स्वतंत्रता प्रदान की।तेलंगाना सरकार ने एक परिपत्र जारी कर मुस्लिम कर्मचारियों को रमजान के दौरान एक घंटा पहले कार्यालय छोड़ने की अनुमति दी थी।
इसी प्रकार, तेलुगु देशम पार्टी (तेदेपा) के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार ने भी रमजान के दौरान 2 मार्च से 30 मार्च तक आंध्र प्रदेश में सभी मुस्लिम कर्मचारियों को एक घंटा पहले कार्यालय छोड़ने की अनुमति दी।
इस्लामोफ़ोबिया को बर्दाश्त नहीं करेंगे
ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री ने कहां, सिडनी के दक्षिण पश्चिम में एक मस्जिद के विरुद्ध की जाने वाली कार्यवाही को नफ़रत फ़ैलाने वाली कार्यवाही का नाम दिया उन्होंने कहा कि आ᳴स्ट्रेलिया जातिवादी और इस्लामोफ़ोबिया को बर्दाश्त नहीं करेगा।
ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री ने कहां, सिडनी के दक्षिण पश्चिम में एक मस्जिद के विरुद्ध की जाने वाली कार्यवाही को नफ़रत फ़ैलाने वाली कार्यवाही का नाम दिया उन्होंने कहा कि आ᳴स्ट्रेलिया जातिवादी और इस्लामोफ़ोबिया को बर्दाश्त नहीं करेगा।
ब्रिटेन की सरकार ने इस देश में मुसलमानों के ख़िलाफ़ होने वाली नफ़रत की कार्यवाहियों या इस्लामोफ़ोबिया से मुक़ाबला करने के उद्देश्य से एक गुट का गठन किया है।
ब्रिटेन में मुसलमानों के ख़िलाफ़ अपराधों में अभूतपूर्व ढ़ंग से वृद्धि हो गयी है और लंदन सरकार मुसलमानों के ख़िलाफ़ बड़े पैमाने पर होने वाली कार्यवाहियों को रोकने के लिए जो प्रयास करेगी उसमें यह नया गुट लंदन सरकार का समर्थन करेगा।
तुर्किये ने राष्ट्रसंघ से मांग की है कि वह नफ़रत फ़ैलाने वाली कार्यवाहियों, भाषणों और भेदभाव का मुक़ाबला करने के लिए अपना एक विशेष प्रतिनिधि नियुक्त करे। इसी प्रकार तुर्किये ने पश्चिम में धार्मिक स्थलों और पवित्र क़ुरआन के ख़िलाफ़ होने वाली कार्यवाहियों में वृद्धि के प्रति चेतावनी दी है।
तुर्किये के उपविदेशमंत्री मेहमत कमाल बुज़ाई ने मंगलवार को पिछले सप्ताह जनेवा में मानवाधिकार परिषद की होने वाली बैठक में एक प्रस्ताव व योजना पेश की और उसमें बल देकर कहा कि इस्लाम के ख़िलाफ़ हिंसा दिनचर्या की घटना हो गयी है और अतिवादी गुटों में वृद्धि से इस्लाम विरोधी कार्यवाहियां भी अधिक हो रही हैं।
इज़राईली शासन की सेना के प्रवक्ता ने इस्तीफा दिया
ज़ायोनिस्ट शासन की सेना के प्रवक्ता डेनियल हागारी ने इस्तीफा दिया
अलजज़ीरा के हवाले से बताया गया कि ज़ायोनिस्ट शासन के सार्वजनिक रेडियो ने इस इस्तीफे की पुष्टि की है बताया जा रहा है कि सेना के नए चीफ ऑफ स्टाफ ने डेनियल हागारी के प्रमोशन का विरोध किया था जिसके बाद उन्होंने इस्तीफा दे दिया।
इसके अलावा कुछ दिन पहले ज़ायोनिस्ट शासन की सेना के ऑपरेशन्स कमांडर "ओदेद बसियुक" ने भी इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने 7 अक्टूबर 2023 की विफलता के कारण चार साल इस पद पर रहने के बाद इस्तीफा देने का फैसला किया।
ओदेद बसियुक ने ज़ायोनिस्ट सेना के चीफ ऑफ स्टाफ "एयाल ज़मीर" से मुलाकात कर अपना इस्तीफा सौंपा उन्होंने 33 साल सेना में सेवा देने के बाद इस्तीफा दिया जिसे चीफ ऑफ स्टाफ ने स्वीकार कर लिया।
हालांकि, एयाल ज़मीर ने उनसे अनुरोध किया कि वे कुछ समय तक अपने पद पर बने रहें, क्योंकि सेना कई ऑपरेशनल चुनौतियों का सामना कर रही है।गोपनीय वार्तालापों में ओदेद बसियुक ने स्वीकार किया कि तूफान अलअक्सा हमले से पहले और इसके दौरान सेना की विफलताओं के लिए वह जिम्मेदार हैं।
ज़ायोनिस्ट सेना की आंतरिक जांच रिपोर्ट के अनुसार, ऑपरेशन्स कमांड यूनिट युद्ध की वास्तविक स्थिति को सही ढंग से आकलन करने और सेना को उचित स्थानों पर तैनात करने में असफल रही।
उनका इस्तीफा ऐसे समय आया है जब ज़ायोनिस्ट सेना ने अपनी आंतरिक जांच रिपोर्ट में तूफान अलअक्सा अभियान से जुड़ी विफलताओं को सार्वजनिक किया था।
इत्रे क़ुरआन(3)अनेकेश्वरवाद और शैतानी गुमराही की वास्तविकता
यह आयत हमें अनेकेश्वरवाद से बचने का आह्वान करती है और हमें याद दिलाती है कि सच्ची इबादत केवल अल्लाह के लिए होनी चाहिए। हमें शैतान के बहकावे में आने से बचना चाहिए।
بسم الله الرحـــمن الرحــــیم बिस्मिल्लाह अल रहमान अल रहीम
إِنْ يَدْعُونَ مِنْ دُونِهِ إِلَّا إِنَاثًا وَإِنْ يَدْعُونَ إِلَّا شَيْطَانًا مَرِيدًا इन यदऊना मिन दूनेही इल्ला इनासन व इन यदऊना इल्ला शैतानन मरीदा (नेसा 117)
अनुवाद: ये लोग ईश्वर के बजाय केवल महिलाओं की पूजा करते हैं और विद्रोही शैतान को बुलाते हैं।
विषय:
यह आयत अनेकेश्वरवाद और गुमराही, अल्लाह के अलावा दूसरों की पूजा के बारे में है, जो वास्तव में शैतानी कानाफूसी का परिणाम है।
पृष्ठभूमि:
इस आयत का संदर्भ अनेकेश्वरवाद और उसके परिणामों पर प्रकाश डालता है। यह कहा गया है कि जो लोग अल्लाह के अलावा दूसरों की पूजा करते हैं, वे वास्तव में शैतान द्वारा गुमराह किये जाते हैं।
तफ़सीर:
- अनेकेश्वरवाद की निंदा: यह आयत बहुदेववाद की कड़ी निंदा करती है। अल्लाह के अलावा किसी अन्य की इबादत करना गुमराही है।
- शैतान की भूमिका: शैतान मनुष्य को गुमराह करने में सदैव सक्रिय रहता है, और बहुदेववाद उसकी सबसे बड़ी सफलता है।
- महिलाओं का संदर्भ: कुछ टिप्पणीकारों के अनुसार, "महिलाओं की पूजा" से तात्पर्य मूर्तियों या झूठे देवताओं से है, जो कमज़ोर और असहाय हैं।
महतव्पूर्ण बिंदु:
- अल्लाह के अलावा किसी अन्य की इबादत करना शिर्क है।
- शैतान हमेशा मनुष्य को गुमराह करने की कोशिश करता है।
- शिर्क अज्ञानता और शैतानी इच्छाओं पर आधारित है।
परिणाम:
यह आयत हमें अनेकेश्वरवाद से बचने का आह्वान करती है तथा याद दिलाती है कि सच्ची उपासना केवल अल्लाह के प्रति होनी चाहिए। हमें शैतान के बहकावे में आने से बचना चाहिए।
सूर ए नेसा की तफ़सीर
हमास ने दिया ट्रंप की धमकियों का जवाब
हमास आंदोलन के प्रवक्ता ने कहा कि ट्रंप अपनी धमकियों के जरिए फिलिस्तीनी जनता के खिलाफ नेतन्याहू को संघर्षविराम समझौते से बचने, अपराध जारी रखने और फिलिस्तीनियों की नाकाबंदी को और कठोर करने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि इजरायली बंदियों की रिहाई का एकमात्र रास्ता संघर्षविराम पर अमल करना है।
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा हमास और फिलिस्तीनी जनता के खिलाफ दिए गए अपमानजनक और धमकी भरे बयानों पर प्रतिक्रिया जारी है हमास के प्रवक्ता अब्दुल लतीफ अलक़ानूआ ने कहा कि ट्रंप की ये धमकियां फिलिस्तीनी जनता के खिलाफ हैं और इजरायली प्रधानमंत्री नेतन्याहू को संघर्षविराम समझौते से बचने घेराबंदी बढ़ाने और फिलिस्तीनियों पर भुखमरी थोपने का अवसर दे रही हैं।
उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि गाजा में बचे हुए इजरायली बंदियों की रिहाई का एकमात्र तरीका यही है कि इजरायल की सरकार संघर्षविराम वार्ता के दूसरे चरण में प्रवेश करे और मध्यस्थों की देखरेख में किए गए समझौते की शर्तों का पालन करे।
हमास के एक अन्य प्रवक्ता हाज़ेम क़ासिम ने भी आज कहा कि ट्रंप की धमकियां संघर्षविराम समझौते को और अधिक जटिल बना रही हैं और इससे इजरायल के कब्जे वाली सेना के अत्याचार और युद्ध अपराध और तेज हो सकते हैं।
उन्होंने कहा कि ट्रंप को नेतन्याहू पर दबाव डालना चाहिए ताकि संघर्षविराम वार्ता के दूसरे चरण की शुरुआत हो सके लेकिन इसके बजाय इजरायल उनकी धमकियों का इस्तेमाल गाजा की नाकाबंदी और वहां के निवासियों को भुखमरी की सज़ा देने के लिए कर रहा है।
आज सुबह ट्रंप प्रशासन और हमास के बीच गुप्त वार्ता की खबरों के कुछ ही मिनटों बाद, ट्रंप ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट डालकर इजरायल के प्रति अपनी वफादारी को दोहराया।
हालांकि, ट्रंप ने इस बात का कोई ज़िक्र नहीं किया कि सैकड़ों फिलिस्तीनी शहीदों के शव अभी भी इजरायली सेना के कब्जे में हैं और इजरायल की सेना गाजा के कब्रिस्तानों से शव चुराने की घटनाओं में शामिल रही है।
रमज़ान गरीबों के साथ हमदर्दी का अवसर है। आयतुल्लाह जन्नती
आयतुल्लाह अहमद जन्नती ने कहा कि रमज़ान का महीना समाज के गरीब और ज़रूरतमंद लोगों के साथ हमदर्दी और उनकी मदद करने का बेहतरीन अवसर है।
शूरा-ए-निगहबान के सचिव आयतुल्लाह अहमद जन्नती ने कहा कि रमज़ान का महीना समाज के गरीब और ज़रूरतमंद लोगों के साथ हमदर्दी और उनकी मदद करने का बेहतरीन अवसर है।
आयतुल्लाह जन्नती ने पैगंबर ए इस्लाम स. की एक हदीस का ज़िक्र करते हुए कहा,बेशक, तुम्हारे परवरदिगार के कुछ खास इनायतों के दिन होते हैं, उन्हें पाने की कोशिश करो।
उन्होंने कहा कि खुशनसीब हैं वे लोग जो इस पवित्र महीने के बरकत भरे लम्हों की कद्र करते हैं और खुद को अल्लाह की रहमत के झोंकों में रखते हैं।
आयतुल्लाह जन्नती ने पैगंबर स.की शाबान महीने के आखिरी जुमा की प्रसिद्ध तकरीर को रमज़ान के फज़ीलतों को समझने और इस पाक महीने की बरकतों से लाभ उठाने का एक महत्वपूर्ण स्रोत बताया था।उन्होंने आगे कहा कि रमज़ान के दिन मोमिनों के आत्मिक उत्थान और शब-ए-क़द्र की बरकतों को समझने की तैयारी के लिए होते हैं।
उन्होंने बताया कि पैगंबर इस्लाम (स.) ने रमज़ान को शहरुल मवासा (हमदर्दी और गरीबों की मदद का महीना) कहा है उन्होंने ज़ोर दिया कि रमज़ान में दान देना और गरीबों की मदद करना इंसान के और अल्लाह के बीच संबंध को मजबूत करता है और इस महीने की रूहानी रोशनी को प्राप्त करने की क्षमता को बढ़ाता है।
रमज़ान अल मुबारक के महीने में फ़िलस्तीनियों के मस्जिद ए अलअक्सा में प्रवेश पर नई पाबंदियां
इज़राइल ने अपने भड़काऊ कदमों को जारी रखते हुए रमज़ान के पाक महीने में फ़िलस्तीनियों के मस्जिद ए अलअक्सा में प्रवेश पर सख्त प्रतिबंध लगाए हैं।
शिहाब न्यूज़ के हवाले से बताया कि इज़रायली प्रधानमंत्री कार्यालय ने घोषणा की है कि रमज़ान के दौरान वेस्ट बैंक से आने वाले केवल उन्हीं फ़िलस्तीनियों को मस्जिद ए अलअक्सा में जाने की अनुमति होगी जो इन शर्तों को पूरा करते हैं
55 वर्ष से अधिक उम्र के पुरुष,50 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाएं,12 वर्ष से कम उम्र के बच्चे हो।इसके अलावा पश्चिमी तट से क़ुद्स में प्रवेश केवल सुरक्षा मंज़ूरी मिलने के बाद ही संभव होगा।
रमज़ान अलमुबारक के पहले जुमआ शुक्रवार से पहले इज़रायली पुलिस ने क़ुद्स में भारी सुरक्षा बंदोबस्त किए हैं और 3,000 से अधिक सुरक्षा बलों को तैनात किया है।
यूरोपीय ट्रोइका को ईरान ने किया नज़र अंदाज़
यमन की सर्वोच्च राजनीतिक परिषद के सदस्य मोहम्मद अली अल-हौसी ने अंसारुल्लाह आंदोलन को आतंकवादी संगठन के रूप में सूचीबद्ध करने के अमेरिकी घोषणा पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि आतंकवाद शब्द अमेरिका के लिए उपयुक्त है, जबकि ग़ज़ा के समर्थन में यमनी अभियान पूरी तरह से वैध है।
ताइवान का संयुक्त राज्य अमेरिका से और अधिक हथियार ख़रीदने का निर्णय, अंसारुल्लाह आंदोलन को आतंकवादी संगठन के रूप में सूचीबद्ध करने के अमेरिकी फ़ैसले पर यमन की सर्वोच्च राजनीतिक परिषद की प्रतिक्रिया, अरबपतियों और धनवानों से घिरा ट्रम्प प्रशासन, बग़दाद का तुर्की से इराक़ी क्षेत्र छोड़ने का अनुरोध और अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी के मंच के पश्चिम द्वारा दुरुपयोग की ईरान द्वारा आलोचना, ईरान और विश्व से नवीनतम समाचारों के कुछ चुनिंदा अंश हैं, जिन्हें आप पार्स टुडे के इस समाचार पैकेज में पढ़ सकते हैं।
पनामा के राष्ट्रपति: ट्रम्प झूठे हैं
पनामा के राष्ट्रपति जोस राउल मोलिनो ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प के इस बयान को ख़ारिज कर दिया कि वाशिंगटन ने पनामा नहर पर नियंत्रण पुनः प्राप्त करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। उन्होंने कहाः ट्रम्प झूठे हैं। मोलिनो ने बुधवार को सोशल नेटवर्क एक्स पर लिखाः ट्रम्प फिर झूठ बोल रहे हैं। पनामा नहर का पुनः अधिग्रहण प्रक्रिया में नहीं है।
वियना में ईरान के प्रतिनिधिः यूरोपीय ट्रोइका ट्रिगर तंत्र को सक्रिय करने की स्थिति में नहीं है
वियना स्थित अंतर्राष्ट्रीय संगठनों में इस्लामी गणराज्य ईरान के राजदूत और स्थायी प्रतिनिधि ने राजनीतिक उद्देश्यों के लिए अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी के मंच का पश्चिम द्वारा दुरुपयोग करने की आलोचना की है। ईरानी राजदूत ने इस बात पर बल दिया कि ईरान के शांतिपूर्ण परमाणु कार्यक्रम पर एक व्यापक रिपोर्ट के अनुरोध का कोई क़ानूनी आधार नहीं है। बुधवार को अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी के बोर्ड ऑफ़ गवर्नर्स की बैठक में बोलते हुए, मोहसिन नज़ीरी-अस्ल ने इस बात पर भी ज़ोर दिया कि यूरोपीय ट्रोइका प्रस्ताव 2231 और जेसीपीओए का उल्लंघन कर रहा है। उन्होंने कहा कि यूरोपीय ट्रोइका क़ानूनी और नैतिक रूप से ट्रिगर तंत्र को सक्रिय करने की स्थिति में नहीं है।
अल-हौथी: अंसारुल्लाह को आतंकवादी कहना अप्रासंगिक है; गाजा अधिक महत्वपूर्ण है
अंसारुल्लाह आंदोलन को तथाकथित आतंकवादी संगठन के रूप में सूचीबद्ध करने के अमेरिकी निर्णय के जवाब में, यमन की सर्वोच्च राजनीतिक परिषद के सदस्य मोहम्मद अली अल-हौसी ने इस बात पर ज़ोर दिया कि आतंकवाद शब्द, अमेरिका के लिए ज़्यादा उपयुक्त है, जबकि ग़ज़ा के समर्थन में यमनी अभियान पूरी तरह से वैध है। अल-हौसी ने आगे कहा कि ग़ज़ा को सहायता भेजने से रोकना और शांति समझौतों को विफल करना अमेरिकी आतंकवाद है।
सैंडर्स: ट्रम्प प्रशासन अरबपतियों और धनी लोगों से घिरा हुआ है
वर्मोंट से स्वतंत्र अमेरिकी सीनेटर बर्नी सैंडर्स ने कांग्रेस को दिए गए राष्ट्रपति के भाषण पर प्रतिक्रिया व्यक्त देते हुए हुए कहा कि वह झूठ तो बोलते हैं, लेकिन अब अपमानजनक झूठ बोल रहे हैं। सैंडर्स ने इस संबंध में कहाः ट्रम्प प्रशासन अरबपतियों और धनी लोगों से घिरा हुआ है, और उनका प्रशासन आम लोगों और मज़दूर वर्ग पर कम ध्यान देता है।
ताइवान का अमेरिका से और अधिक हथियार ख़रीदने का निर्णय
ताइवान के उप विदेश मंत्री ने घोषणा की है कि उनका देश, अमेरिका के साथ घनिष्ठ सुरक्षा संबंध बनाने के लिए उससे और अधिक हथियार ख़रीदने की योजना बना रहा है।
इराक़: हम अपनी धरती पर तुर्की सेना नहीं चाहते
बुधवार को इराक़ी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार क़ासिम अल-अराजी ने तुर्की सेना और पीकेके तत्वों से कहा कि अगर अंकारा और पीकेके के बीच शांति योजना सफलतापूर्वक क्रियान्वित होती है, तो वे उत्तरी इराक़ से हट जाएं। क़ासिम अल-अराजी ने एएफ़पी को बतायाः हम नहीं चाहते कि पीकेके या तुर्की सेना हमारी सीमा में घुसे।
दक्षिण अफ्रीक़ा: ग़ज़ा में सहायता पहुंचने पर प्रतिबंध अंतर्राष्ट्रीय क़ानून का उल्लंघन है
एक बयान में, दक्षिण अफ्रीक़ी विदेश मंत्रालय ने इज़रायल द्वारा ग़ज़ा पट्टी में मानवीय सहायता पहुंचने पर रोक लगाने और सीमा चौकियों को बंद करने की निंदा की है और इसे अंतर्राष्ट्रीय मानवीय क़ानून का उल्लंघन बताया है।
बकाई ने ईरान के खिलाफ ब्रिटेन के आरोपों को खारिज किया
ईरान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने ब्रिटिश अधिकारियों द्वारा ईरान पर राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे में डालने के आरोपों को निराधार बताया और उन्हें सिरे से खारिज कर दिया।
ईरान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता इस्माइल बकाई ने ब्रिटिश अधिकारियों द्वारा ईरान पर राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे में डालने के आरोपों को बेबुनियाद करार दिया और ब्रिटेन से ईरान और पश्चिम एशिया क्षेत्र के प्रति अपनी ग़ैर रचनात्मक नीतियों को समाप्त करने की अपील की है।
बकाई ने ज़ोर देकर कहा कि ईरान संयुक्त राष्ट्र चार्टर और अंतरराष्ट्रीय कानूनों के सिद्धांतों, विशेष रूप से आपसी सम्मान और दूसरे देशों के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप न करने के सिद्धांतों का पालन करता है।
उन्होंने कहा कि ब्रिटिश अधिकारियों द्वारा ईरान पर लगाए गए आरोप न केवल झूठे और निराधार हैं बल्कि यह एक जानबूझकर किया गया दुष्प्रचार है।
उन्होंने ब्रिटेन पर निशाना साधते हुए कहा कि ब्रिटेन का ईरान के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप का एक लंबा और नकारात्मक इतिहास रहा है और आज भी वह ईरान विरोधी आतंकवादी समूहों को समर्थन और शरण देने से पीछे नहीं हटता है।
बकाई ने ब्रिटिश अधिकारियों को ईरान के खिलाफ बेबुनियाद आरोप लगाने और टकराव की नीति अपनाने के बजाय अपनी ग़लत नीतियों को छोड़ने और आतंकवाद को बढ़ावा देने की गतिविधियों को रोकने की सलाह दी है।
धार्मिक छात्रों को ज्ञान और सामाजिक समस्याओं के समाधान में सबसे आगे होना चाहिए
प्रसिद्ध मुफस्सिर हुज्जतुल इस्लाम क़राती ने कहा कि युवाओं के मन में धर्म और इस्लामी नियमों से संबंधित विभिन्न प्रश्न होते हैं, और छात्रों को उनके तर्कपूर्ण उत्तर देने में सक्षम होना चाहिए। कुरान और हदीस का गहराई से अध्ययन करें और धर्म को सरल और प्रभावी भाषा में प्रस्तुत करें।
मशहद/हुज्जुल इस्लाम वाल-मुस्लेमीन मोहसिन क़राती ने गौहरशाद मस्जिद में ऐतेकाफ़ में महिलाओं को संबोधित करते हुए कहा कि छात्राओं को केवल धार्मिक ज्ञान प्राप्त करने तक ही सीमित नहीं रहना चाहिए, बल्कि उन्हें इस्लामी विचार और सामाजिक मार्गदर्शन में भी प्रभावी भूमिका निभानी चाहिए।
उन्होंने कहा कि जो छात्र केवल दूसरों के विचारों पर निर्भर रहते हैं, वे समाज में बदलाव नहीं ला सकते। यह महत्वपूर्ण है कि छात्र स्वयं शोध करें, धर्म को गहराई से समझें और इस्लामी शिक्षाओं को आधुनिक युग की आवश्यकताओं के अनुरूप प्रस्तुत करें।
हुज्जतुल इस्लाम क़राती ने कहा कि धार्मिक संदेश का सृजन और उसका प्रभावी प्रसार दोनों ही महत्वपूर्ण हैं। यदि कोई व्यक्ति शोध में कुशल नहीं है, तो कम से कम उसे धर्म को सामान्य ज्ञान और आकर्षक तरीके से दूसरों तक पहुंचाना चाहिए।
उन्होंने आगे कहा कि धर्म का प्रचार-प्रसार केवल मस्जिदों तक ही सीमित नहीं होना चाहिए, बल्कि स्कूलों, कॉलेजों, विश्वविद्यालयों और सार्वजनिक स्थानों पर भी इस्लामी शिक्षाओं का प्रचार-प्रसार करना आवश्यक है।
उन्होंने छात्राओं को डिजिटल मीडिया, सोशल मीडिया और शोध लेखन के माध्यम से धार्मिक संदेश को अधिक प्रभावी ढंग से प्रस्तुत करने के लिए प्रोत्साहित किया।
हुज्जतुल इस्लाम क़राती ने कहा कि युवाओं के मन में धर्म और इस्लामी नियमों से संबंधित विभिन्न प्रश्न होते हैं, और छात्रों को उनके तर्कसंगत उत्तर देने में सक्षम होना चाहिए। कुरान और हदीस का गहराई से अध्ययन करें और धर्म को सरल और प्रभावी भाषा में प्रस्तुत करें।
उन्होंने हिजाब और इस्लामी मूल्यों के महत्व पर भी प्रकाश डाला और कहा कि हिजाब सम्मान, पवित्रता और इस्लामी पहचान का प्रतीक है। छात्राओं को ज्ञान और चरित्र के माध्यम से समाज में इस्लामी मूल्यों का प्रसार करना चाहिए।
अंत में उन्होंने विद्यार्थियों को अध्ययन और शोध जारी रखने की सलाह देते हुए कहा कि कड़ी मेहनत और समर्पण के बिना सफलता संभव नहीं है। उन्होंने प्रार्थना की कि छात्राएं इस्लामी समाज का मार्गदर्शन करने में प्रभावी भूमिका निभाएं।