
رضوی
क़ुरआन: शासन और विकास का स्रोत।इमाम ए जुमआ तेहरान
तेहरान के इमाम ए जुमआ, हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन सैयद मोहम्मद हसन अबूतुराबी फ़रद ने 32वीं अंतर्राष्ट्रीय कुरआन प्रदर्शनी के उद्घाटन समारोह में कहा कि कुरआन शासन के उच्च सिद्धांत प्रदान करता है जिन्हें सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक मामलों में लागू किया जाना चाहिए।
तेहरान के इमाम ए जुमआ, हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन सैयद मोहम्मद हसन अबूतुराबी फ़रद ने 32वीं अंतर्राष्ट्रीय कुरआन प्रदर्शनी के उद्घाटन समारोह में कहा कि कुरआन शासन के उच्च सिद्धांत प्रदान करता है जिन्हें सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक मामलों में लागू किया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि क़ुरआन सिर्फ़ एक किताब नहीं है बल्कि यह जीवन और सामाजिक व्यवस्था का संपूर्ण मार्गदर्शक है जैसा कि हज़रत फ़ातिमा (स.) ने फ़रमाया कि पैग़ंबर ए अकरम (स.) का चरित्र ही क़ुरआन था और अमीर-उल-मोमिनीन हज़रत अली (अ.) भी क़ुरआन का एक जीवंत उदाहरण थे।
तेहरान के अस्थायी इमामे जुमा ने क़ुरआन के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इस्लामी क्रांति और इस्लामी व्यवस्था की स्थापना के बाद अब इस्लामी शासन की ओर बढ़ना आवश्यक है जैसा कि रहबर-ए-इंक़िलाब ने भी इस पर ज़ोर दिया है उन्होंने हज़रत यूसुफ़ (अ.) के शासन की मिसाल देते हुए कहा कि सफल शासन व्यवस्था क़ानून की सर्वोच्चता और योग्य व्यक्तियों के चयन पर आधारित होती है।
उन्होंने आगे कहा कि आर्थिक स्थिरता के बिना विकास संभव नहीं है क़ुरआन अर्थव्यवस्था को मज़बूत करने पर ज़ोर देता है और आज हमें एक न्यायसंगत वित्तीय प्रणाली की आवश्यकता है ताकि देश प्रगति के पथ पर अग्रसर हो सके।
अंत में उन्होंने क़ुरआनी प्रदर्शनी को धार्मिक शिक्षाओं के प्रसार का एक बेहतरीन अवसर क़रार दिया और उम्मीद जताई कि यह आयोजन समाज में क़ुरआनी मूल्यों को बढ़ावा देने का कारण बनेगा।
क़ुरआन; रहनुमा ए ज़िंदगी के विषय पर तेहरान में अंतर्राष्ट्रीय क़ुरआन करीम प्रदर्शनी का उद्घाटन
32वीं अंतर्राष्ट्रीय क़ुरआन करीम प्रदर्शनी क़ुरआन; रहनुमा ए ज़िंदगी के विषय पर कल तेहरान के मोसल्लाह इमाम ख़ुमैनी (रह) में शुरू हो चुकी है जो रमज़ान अल मुबारक की 15वीं तारीख़ तक जारी रहेगी।
32वीं अंतर्राष्ट्रीय क़ुरआन करीम प्रदर्शनी क़ुरआन; रहनुमा ए ज़िंदगी के विषय पर कल तेहरान के मोसल्लाह इमाम ख़ुमैनी (रह) में शुरू हो चुकी है जो रमज़ान अल मुबारक की 15वीं तारीख़ तक जारी रहेगी।
उद्घाटन समारोह में ईरान के संस्कृति मंत्री सहित देशी और विदेशी क़ुरआनी विशेषज्ञों बुद्धिजीवियों और बड़ी संख्या में आम जनता ने शिरकत की।
इस वर्ष प्रदर्शनी में 37 विभिन्न विभाग शामिल हैं जिनमें से 28 सार्वजनिक संस्थानों और 15 सरकारी संगठनों के तहत संचालित हैं। 40 सार्वजनिक संस्थान अपने विशिष्ट क्षेत्रों में सक्रिय हैं, जबकि 300 से अधिक क़ुरआनी विषयों पर पुस्तकें प्रदर्शित की जा रही हैं।
प्रदर्शनी में 9 नई क़ुरआनी किताबों का अनावरण किया जाएगा जबकि 58 विद्वतापूर्ण बैठकें और 26 क़ुरआनी महफ़िलों का आयोजन किया जाएगा।
इस वर्ष प्रदर्शनी में अन्य देशों के क़ुरआनी प्रतिनिधि भी भाग ले रहे हैं जिससे ईरान और अन्य देशों के क़ुरआनी संबंधों को बढ़ावा मिलेगा समापन समारोह में ईरान के राष्ट्रपति की उपस्थिति में ख़ुद्दाम-ए-क़ुरआन को सम्मानित किया जाएगा।
ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री, इस्लामोफ़ोबिया को बर्दाश्त नहीं करेंगे
ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री, इस्लामोफ़ोबिया को बर्दाश्त नहीं करेंगे, इस्लाम के ख़िलाफ़ संगठित ढंग से नफ़रत फ़ैलाने के प्रति तुर्किये की चेतावनी
ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री Anthony Albanese ने इस देश के दक्षिण पश्चिम में एक मस्जिद के विरुद्ध हिंसात्मक कार्यवाही की सूचना दी है।
ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री Anthony Albanese ने सिडनी के दक्षिण पश्चिम में एक मस्जिद के विरुद्ध की जाने वाली कार्यवाही को नफ़रत फ़ैलाने वाली कार्यवाही का नाम दिया। पार्सटुडे की रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने कहा कि आ᳴स्ट्रेलिया जातिवादी और इस्लामोफ़ोबिया को बर्दाश्त नहीं करेगा।
ब्रिटेन में इस्लामोफ़ोबिया का मुक़ाबला करने के लिए नये कार्यदल का गठन
ब्रिटेन की सरकार ने इस देश में मुसलमानों के ख़िलाफ़ होने वाली नफ़रत की कार्यवाहियों या इस्लामोफ़ोबिया से मुक़ाबला करने के उद्देश्य से एक गुट का गठन किया है। ब्रिटेन में मुसलमानों के ख़िलाफ़ अपराधों में अभूतपूर्व ढ़ंग से वृद्धि हो गयी है और लंदन सरकार मुसलमानों के ख़िलाफ़ बड़े पैमाने पर होने वाली कार्यवाहियों को रोकने के लिए जो प्रयास करेगी उसमें यह नया गुट लंदन सरकार का समर्थन करेगा।
तुर्किये ने इस्लाम के ख़िलाफ़ संगठित ढंग से नफ़रत फ़ैलाने के प्रति चेतावनी दी है
तुर्किये ने राष्ट्रसंघ से मांग की है कि वह नफ़रत फ़ैलाने वाली कार्यवाहियों, भाषणों और भेदभाव का मुक़ाबला करने के लिए अपना एक विशेष प्रतिनिधि नियुक्त करे। इसी प्रकार तुर्किये ने पश्चिम में धार्मिक स्थलों और पवित्र क़ुरआन के ख़िलाफ़ होने वाली कार्यवाहियों में वृद्धि के प्रति चेतावनी दी है।
तुर्किये के उपविदेशमंत्री मेहमत कमाल बुज़ाई ने मंगलवार को पिछले सप्ताह जनेवा में मानवाधिकार परिषद की होने वाली बैठक में एक प्रस्ताव व योजना पेश की और उसमें बल देकर कहा कि इस्लाम के ख़िलाफ़ हिंसा दिनचर्या की घटना हो गयी है और अतिवादी गुटों में वृद्धि से इस्लाम विरोधी कार्यवाहियां भी अधिक हो रही हैं।
समीक्षायें इस बात की सूचक हैं कि इस्लाम विरोधी कार्यवाहियां संगठित ढंग से हो रही हैं।
पिछले साल प्रकाशित होने वाली जानकारियों के अनुसार विश्व में इस्लाम और मुसलमानों के ख़िलाफ़ नफ़रत और घृणा फ़ैलाने का एक अस्ली ख़िलाड़ी इस्राईल है।
इत्रे क़ुरआन (1) शैतान की चालें और मानव प्रकृति की सुरक्षा
यह आयत हमें चेतावनी देती है कि शैतान का सबसे बड़ा लक्ष्य मनुष्य को उसके वास्तविक स्वरूप से भटकाना और अल्लाह द्वारा निर्धारित सीमाओं को तोड़ना है। अल्लाह की नेमतों में अनावश्यक हस्तक्षेप और अप्राकृतिक तरीके अपनाना हानिकारक है। जो लोग शैतान की चालों से भटक जाते हैं, वास्तव में वे स्पष्ट नुकसान में पड़ जाते हैं। हमें अल्लाह के आदेशों पर दृढ़ता से कायम रहना चाहिए और शैतान की बातों से बचना चाहिए।
بسم الله الرحـــمن الرحــــیم बिस्मिल्लाह अल रहमान अल रहीम
وَلَأُضِلَّنَّهُمْ وَلَأُمَنِّيَنَّهُمْ وَلَآمُرَنَّهُمْ فَلَيُبَتِّكُنَّ آذَانَ الْأَنْعَامِ وَلَآمُرَنَّهُمْ فَلَيُغَيِّرُنَّ خَلْقَ اللَّهِ ۚ وَمَنْ يَتَّخِذِ الشَّيْطَانَ وَلِيًّا مِنْ دُونِ اللَّهِ فَقَدْ خَسِرَ خُسْرَانًا مُبِينًا वला ओज़िल्लन्नहुम वला ओमन्नियन्नहुम वला ओमरन्नहुम फ़लायोबत्तेकुन्ना आज़ानल अन्आमे वलआमोरन्नहुम फ़लायोग़य्येरुन्ना ख़ल्क़ल्लाहे वमय यत्तख़िज शैताना वलीयन मिन दूनिल्लाहे फ़क़द खसेरा ख़ुसरानन मुबीना (नेसा 119)
अनुवाद: और मैं उन्हें गुमराह कर दूँगा और उन्हें उम्मीदें दूँगा और उन्हें मवेशियों के कान काटने का हुक्म दूँगा और फिर मैं उन्हें हुक्म दूँगा कि अल्लाह ने जो मख़लूक़ बनाई है उसे बदल दो। और जो कोई अल्लाह के बदले शैतान को अपना सरपरस्त और संरक्षक बनाएगा तो वह खुले तौर पर घाटे में रहेगा।
विषय:
शैतान की धोखे की रणनीति और मानव स्वभाव में परिवर्तन
पृष्ठभूमि:
यह आयत शैतान के इरादों और उसकी भ्रामक चालों का उल्लेख करती है। पवित्र कुरान में कई स्थानों पर शैतान के इरादों का वर्णन किया गया है, अर्थात् वह मनुष्य को सही मार्ग से भटकाने और अल्लाह द्वारा निर्धारित प्रकृति को विकृत करने का प्रयास करता है।
तफ़सीर:
- शैतान की चालें: शैतान लोगों को गुमराह करने के लिए कई तरह के हथकंडे अपनाता है, जैसे झूठी उम्मीदें देना और उन्हें काल्पनिक सुख-सुविधाओं में शामिल करना। वह लोगों को यह जताता है कि वे अल्लाह के दिए गए आदेशों से भटक जाएँ और धर्म के सिद्धांतों के विपरीत नवाचार अपनाएँ।
- सृष्टि में परिवर्तन: "आइए हम अल्लाह की रचना में परिवर्तन करें" का अर्थ है कि शैतान मनुष्य को उसके मूल स्वभाव और अल्लाह द्वारा निर्धारित रचनात्मक व्यवस्था से दूर करना चाहता है। इसमें शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक भ्रष्टाचार शामिल हो सकता है, जैसे कि प्राकृतिक नैतिक मूल्यों को विकृत करना, अप्राकृतिक कार्यों को बढ़ावा देना और ईश्वर की रचना के साथ अनावश्यक रूप से छेड़छाड़ करना।
- शैतान की सरपरस्ती स्वीकार करने से नुकसान: जो व्यक्ति शैतान को अपना मार्गदर्शक और सरपरस्त बनाता है, वह स्पष्ट रूप से नुकसान में है। ऐसा व्यक्ति अल्लाह की रहमत से दूर हो जाता है और शैतान के धोखे का शिकार होकर दुनिया और आखिरत में नुकसान उठाता है।
महत्वपूर्ण बिंदु:
- शैतान की धोखे की मुख्य रणनीति झूठी आशाएँ और सांसारिक लालच है।
- अल्लाह की रचना में अप्राकृतिक परिवर्तन शैतानी कार्रवाई का हिस्सा हैं।
- अल्लाह के बजाय शैतान का अनुसरण करने से इस दुनिया और परलोक में विनाश होता है।
- इस्लाम प्राकृतिक सिद्धांतों की सुरक्षा का आदेश देता है और मनुष्य को अपनी प्राकृतिक अवस्था में रहने के लिए प्रोत्साहित करता है।
परिणाम:
यह आयत हमें चेतावनी देती है कि शैतान का सबसे बड़ा लक्ष्य मनुष्य को उसके वास्तविक स्वरूप से भटकाना और अल्लाह द्वारा निर्धारित सीमाओं को तोड़ना है। अल्लाह की नेमतों में अनावश्यक हस्तक्षेप और अप्राकृतिक तरीके अपनाना हानिकारक है। जो लोग शैतान की चालों से भटक जाते हैं, वास्तव में वे स्पष्ट नुकसान में पड़ जाते हैं। हमें अल्लाह के आदेशों पर दृढ़ता से कायम रहना चाहिए और शैतान की बातों से बचना चाहिए।
सूर ए नेसा की तफ़सीर
रमज़ान उल मुबारक का महीना, अब्द साज़ महीना
जो व्यक्ति एक महीने की अवधि के लिए हलाल और जायज़ चीजों और कार्यों से परहेज करता है, वह अपने जीवन के बाकी समय में हराम चीजों और कार्यों से काफी हद तक दूर रह सकता है।
मुहर्रम से लेकर ज़ुल-हिज्जा तक के सभी महीने अल्लाह तआला ने बनाए हैं, लेकिन सिर्फ़ रमज़ान उल मुबारक के महीने को ही इस पवित्र हस्ती ने अपना महीना घोषित किया है। इसका मतलब यह है कि रमज़ान उल मुबारक के महीने में कुछ ऐसी खूबियाँ ज़रूर पाई जाती हैं जो दूसरे महीनों में नहीं पाई जातीं, और वे खूबियाँ वही हैं जिन्हें दयालु और उदार अल्लाह के आखिरी नबी हज़रत मुहम्मद मुस्तफ़ा (स) ने ख़ुतबे शाबानिया में बहुत ही शानदार और खूबसूरत तरीक़े से बयान किया है।
प्रयोजन क्या है? अल्लाह तआला ने इस महीने को इतने विशेष गुण और महानता क्यों प्रदान की है, और इसे "अपना" क्यों बनाया है?
शायद इसलिए कि हम सब इस महीने में "उसके" बन सकें, यानी "अल्लाह के महीने" में हमें एक सच्चे और वास्तविक "अब्दे खुदा" बनने का सौभाग्य प्राप्त हो सके।
मैं क्या कहूँ, सुभान अल्लाह, अल्लाह का शुक्र है कि अल्लाह तआला ने हमें इस "अल्लाह के महीने" में वास्तव में "अब्दे खुदा" बनाने के लिए सभी व्यवस्थाएँ की हैं।
इस महीने का कितना महत्व है क्योंकि यह अल्लाह का महीना है, दया का महीना है, आशीर्वाद का महीना है, क्षमा का महीना है, तौबा का महीना है, तथा हमें धर्मी बनाने में दुआ और तौबा का महीना है।
सुबह की अज़ान से लेकर शाम की अज़ान तक लगातार इताअत और इबादत का यह लंबा सफ़र, जिसमें बन्दा अपने रब की रज़ा के लिए सिर्फ़ कुछ हराम चीज़ों और कामों से ही नहीं बल्कि हलाल चीज़ों और कामों से भी परहेज़ करता है, बेशक "गुलाम बनाने" का एक बहुत बड़ा और हसीन ज़रिया है। जिस सफ़र में बन्दा रोज़े के नाम पर अपने आलिम और महान रब और मालिक का इतना रज़ामंद हो जाता है कि वह उसके हुक्म और हुक्म के सम्मान में "खाने-पीने" जैसी सबसे ज़रूरी, लज़ीज़ और जायज़ चीज़ों से भी परहेज़ कर लेता है। और इन चीज़ों से यह परहेज़ उसके अंदर यह ख़याल जगाना चाहता है कि "ऐ ख़ुदा के बन्दे, जब तुम अपने पैदा करने वाले और मालिक की रज़ा के लिए रमज़ान के महीने में लगातार एक महीने तक ज़रूरी, हलाल और हलाल खाने-पीने की चीज़ों, मौज-मस्ती और कामों से परहेज़ करते हो, तो क्या तुम बाक़ी महीनों में हराम चीज़ों से परहेज़ नहीं कर सकते?"
निस्संदेह, जो व्यक्ति एक महीने की अवधि के लिए हलाल और जायज़ चीजों और कार्यों से दूर रहता है, वह अपने जीवन के बाकी हिस्सों में हराम चीजों और कार्यों से दूर रहने में सक्षम हो जाएगा।
यह "इबादत" का सबक है जो हर बन्दे को इस महीने में खुदा से सीखना है, कि जिसके दिन सभी दिनों से बेहतर हैं, जिसकी रातें सभी रातों से बेहतर हैं, और जिसके घंटे और पल सभी क्षणों से बेहतर हैं, जिसमें हमारी सांसें खुदा की शान में हैं, फिर नींद इबादत है, जिसमें हमारे कर्म स्वीकार किए जाते हैं और दुआएं कबूल होती हैं, और पवित्र कुरान की एक आयत के पाठ में पूरे कुरान को पढ़ने का सवाब है।
इस महान महीने के माध्यम से, हम अहले बैत (अ) के माध्यम से रहीम अल्लाह से दुआ करते हैं कि जिस तरह आपने रमजान के महीने को अपना बनाया है, उसी तरह हमें भी इस महीने में हमेशा के लिए अपना बना लें। आमीन, सुम्मा आमीन।
यमन का अरब नेताओं को संदेश/अमेरिका के वादों पर भरोसा न करें।
यमन की सर्वोच्च राजनीतिक परिषद के अध्यक्ष ने अरब नेताओं की अमेरिका के वादों पर निर्भरता का मज़ाक उड़ाया और कहा कि तेल अवीव और वाशिंगटन की साज़िशों का सामना करने का एकमात्र तरीका आपसी मतभेदों को भुलाना है।
यमन की सर्वोच्च राजनीतिक परिषद के अध्यक्ष ने अरब नेताओं की अमेरिका के वादों पर निर्भरता का मज़ाक उड़ाया और कहा कि तेल अवीव और वाशिंगटन की साज़िशों का सामना करने का एकमात्र तरीका आपसी मतभेदों को भुलाना है।
यमन की सर्वोच्च राजनीतिक परिषद के अध्यक्ष, महदी अलमशात ने अरब नेताओं को संबोधित करते हुए कहा कि किसी भी आने वाले युद्ध में यमन, लेबनान और ग़ज़ा में अपने भाइयों का पूरा समर्थन करेगा।
उन्होंने जोर देकर कहा कि फिलिस्तीन के लिए सही और आवश्यक रास्ता जिहाद और प्रतिरोध है और इसे हर तरह से समर्थन देना चाहिए इसलिए संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों और अमेरिका के वादों पर भरोसा करना बेकार है।
अरब नेताओं का आपातकालीन शिखर सम्मेलन 27 फरवरी को होने वाला था लेकिन यह अब तक टलता रहा है मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, इस बैठक से पहले ही अरब देशों में मतभेद और विभाजन के संकेत उभर आए हैं।
अल्जीरिया के राष्ट्रपति अब्दुल मजीद ताबुन ने बैठक में भाग नहीं लिया क्योंकि कुछ अरब देश बिना समन्वय के बैठक के निर्णयों को नियंत्रित करने की कोशिश कर रहे थे।
सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात, फिलिस्तीनी प्रतिरोध को कमजोर करने के लिए ग़ज़ा से उसके नेताओं को बाहर निकालने और उनके हथियार छीनने पर ज़ोर दे रहे हैं ताकि भविष्य में इस क्षेत्र पर फिर से युद्ध न थोपा जाए। लेकिन कतर ने इसका विरोध किया है और मिस्र ने भी इस पर आपत्ति जताई है।
अलमशात ने कहा कि अमेरिका, इस्राइल के हर अपराध और साज़िश में उसका भागीदार है।इसलिए, ग़ाज़ा की नाकाबंदी को तोड़ने और इसके पुनर्निर्माण के लिए तुरंत ठोस कदम उठाने की ज़रूरत है साथ ही जबरन विस्थापन की योजनाओं का भी विरोध किया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि किसी भी योजना को जो पश्चिमी तट पर इस्राइली संप्रभुता को स्वीकार करे, खारिज कर देना चाहिए उन्होंने अरब एकता और फिलिस्तीन के समर्थन के लिए सामूहिक कदम उठाने पर ज़ोर दिया।उन्होंने अरब देशों से इस्राइल के साथ संबंध सामान्य करने को रोकने उसे आर्थिक प्रतिबंधों में डालने और उसे तेल की आपूर्ति बंद करने का आह्वान किया।
उन्होंने कहा कि अमेरिका और इस्राइल की विस्तारवादी योजनाओं का मुकाबला सिर्फ अरब एकता और आंतरिक मतभेदों को हल करके किया जा सकता है।उन्होंने दक्षिणी लेबनान से इस्राइली कब्ज़े को समाप्त करने की मांग की और कहा कि लेबनानी जनता को अपने क्षेत्र से इस्राइली कब्ज़ाधारियों को खदेड़ने के लिए हर संभव उपाय करने का अधिकार है।
माहे रमज़ान तौबा, इबादत और एकता का महीना
इमाम जुमआ बाना मौलवी अब्दुर्रहमान खुदाई ने कहा है कि माहे मुबारक रमज़ान अल्लाह तआला की तरफ से बंदगाने ख़ुदा के लिए एक खास रहमत और बरकत का महीना है इस मुकद्दस महीने में तौबा के दरवाज़े खुले होते हैं और हर इंसान को मौका मिलता है कि वह अल्लाह के करीब हो।
इमाम जुमआ बाना मौलवी अब्दुर्रहमान खुदाई ने माहे रमज़ान की मुबारकबादी देते हुए कहा है कि यह महीना मुसलमानों के लिए सबसे बाबरकत और अज़ीम महीनों में से एक है, जिसमें बेहिसाब रहमतें और बरकतें छुपी हुई हैं।
उन्होंने कहा कि अल्लाह तआला ने रमज़ान को अपने बंदों के लिए तौबा और क़ुर्ब-ए-इलाही का सुनहरी मौका बनाया है इस महीने में इंसान को चाहिए कि हर लम्हा अल्लाह की तरफ रुजू करे, कुरआन मजीद की तिलावत करे और उसके पैग़ाम पर ग़ौर व फिक्र करे क्योंकि यही महीना कुरआन के नुज़ूल का महीना है।
उन्होंने रमज़ान को खुद शनासी और आज़िज़ी सीखने का बेहतरीन मौका क़रार देते हुए कहा कि यह महीना हमें अपनी हकीकत और अल्लाह की बेपनाह कुदरत को समझने का मौका देता है यह हमें याद दिलाता है कि हम अल्लाह के मोहताज हैं और उसकी रहमत के बिना कुछ भी नहीं।
उन्होंने आगे कहा कि रमज़ान इत्तेहाद (एकता) और भाईचारे का महीना भी है इस महीने में तमाम मुसलमान, चाहे वे शिया हों या सुन्नी, एक ही मकसद के तहत इबादत करते हैं और वह मकसद अल्लाह की रज़ा और उसकी क़ुर्बत हासिल करना है।मौलवी खुदाई ने मुसलमानों को याद दिलाया कि रमज़ान के दौरान ग़रीबों और मोहताजों का खास ख्याल रखना चाहिए।
आखिर में उन्होंने कहा कि रमज़ान का सबसे बड़ा पैग़ाम खुदा-शनासी, आज़िज़ी और मुसलमानों के दरमियान इत्तेहाद है और आज उम्मत-ए-मुस्लिमा को इस वहदत (एकता) की पहले से ज्यादा ज़रूरत है।
सात दिन के नवजात के साथ ओलंपियाड परीक्षा में माँ ने लिया भाग
एक छात्रा ने अपने सात दिन के नवजात शिशु के साथ धार्मिक छात्रों के ओलंपियाड परीक्षा में भाग लिया जो शैक्षिक के लिए शानदार उदाहरण है।
एक छात्रा ने अपने सात दिन के नवजात शिशु के साथ धार्मिक छात्रों के ओलंपियाड परीक्षा में भाग लिया जो शैक्षिक के लिए शानदार उदाहरण है।
इस कदम की प्रशंसा करते हुए परीक्षा आयोजकों ने उसे सहारा दिया और नवजात की देखभाल भी की यह घटना महिलाओं के ज्ञान और मातृत्व में संघर्ष को प्रदर्शित करती है जो समाज के वैचारिक और नैतिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान देती हैं।परीक्षा के दौरान आयोजकों ने इस मेहनती मां की सहायता करने के लिए नवजात की देखभाल की।
यह घटना एक बार फिर यह साबित करती है कि महिलाओं का शैक्षिक और मातृत्व संघर्ष समाज के वैचारिक और नैतिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है ऐसे महिलाएं न केवल देश की शैक्षिक प्रगति में योगदान करती हैं, बल्कि सार्थक और जिम्मेदार नागरिकों को भी जन्म देती हैं।
हम इस युवा छात्रा और सभी मेहनती माताओं के लिए सफलता की कामना करते हैं और उम्मीद करते हैं कि उनका यह कदम युवा धार्मिक छात्रों के लिए प्रेरणा बने जिससे वे ज्ञान और शिक्षा के मार्ग पर आगे बढ़ने के लिए और भी प्रेरित हों।
प्रतिरोध के हथियार पर कोई समझौता नहीं: हमास
फ़िलिस्तीन के इस्लामिक प्रतिरोध आंदोलन (हमास) के एक सीनियर नेता का कहना है कि अतिग्रहणकारी ज़ायोनी शासन घेराबंदी और भुखमरी जैसी आपराधिक कार्रवाइयों के साथ फ़िलिस्तीनियों से फिरौती लेता है। उनका कहना था: प्रतिरोध के हथियारों पर बातचीत और समझौता नहीं किया जा सकता है और ज़ायोनी क़ैदियों को केवल एक समझौते के तहत ही रिहा किया जाता है।
ज़ायोनी शासन ने युद्धविराम और अपने कैदियों की रिहाई के मामले में हमास को ब्लैकमेल करने के उद्देश्य से, युद्ध रोकने की कोई गारंटी दिए बिना ही, ग़ज़ापट्टी में नागरिकों के खिलाफ एक नई आपराधिक कार्रवाई अंजाम दी और सभी क्रॉसिंग बंद कर दी है और मानवीय सहायता को इस क्षेत्र में दाख़िल होने से रोक दिया है। हमास के एक नेता सामी अबू ज़ोहरी ने घोषणा की कि ज़ायोनियों के कार्य युद्ध अपराध हैं।
अबू ज़ोहरी ने मंगलवार को इस बात पर जोर दिया: प्रतिरोध का हथियार हमारी रेड लाइन है और किसी भी बातचीत या वार्ता में इस पर चर्चा नहीं की जा सकती है।
10 दिनों के भीतर ग़ज़ा पर ज़ायोनी हमले फिर से शुरू
इस बारे में ज़ायोनी शासन के चैनल 12 ने मंगलवार को बताया कि अगर क़ैदियों की रिहाई के लिए हमास आंदोलन के साथ कोई समझौता नहीं हुआ तो इज़राइल 10 दिनों में ग़ज़ापट्टी के खिलाफ हमले फिर से शुरू कर देगा।
हमास: हम विदेशी शक्तियों को ग़ज़ा के प्रशासन में हस्तक्षेप की इजाज़त नहीं देंगे
ज़ायोनी शासन की धमकी के साए में फ़िलिस्तीन के इस्लामिक प्रतिरोध आंदोलन (हमास) के प्रवक्ता हाज़िम क़ासिम ने मंगलवार को एक बयान में घोषणा की कि ग़ज़ा के भविष्य के लिए कोई भी योजना एक राष्ट्रीय समझौते के माध्यम से बनाई जानी चाहिए और यह आंदोलन किसी भी विदेशी शक्ति को हस्तक्षेप करने की अनुमति नहीं देगा।
यह बयान ऐसी स्थिति में सामने आया है कि जब कल मंगलवार को मिस्र में अरब देशों के प्रमुखों की आपातकालीन बैठक हुई जिसे "फिलिस्तीनी शिखर सम्मेलन" का नाम दिया गया। इस बैठक अरब देशों के प्रमुखों ने फिलिस्तीनियों के जबरन प्रवास के विरोध और ग़ज़ापट्टी के पुनर्निर्माण और एक प्रशासन के तहत ग़ज़ा और वेस्ट बैंक के संरक्षण के समर्थन पर ज़ोर दिया।
अरब शिखर सम्मेलन के फैसले आगे की चुनौतियों का जवाब नहीं दे सकते: फिलिस्तीन का जेहादे इस्लामी आंदोलन
इस संदर्भ में, फ़िलिस्तीन के इस्लामी जिहाद ने क़ाहिरा में अरब राष्ट्राध्यक्षों की आपातकालीन बैठक के घोषणापत्र को सकारात्मक क़रार दिया लेकिन साथ ही इस बात पर ज़ोर दिया कि ये निर्णय उन चुनौतियों का जवाब नहीं देते हैं जो ज़ायोनी शासन और अमेरिका ने फ़िलिस्तीनी जनता और अरब देशों पर थोपी हैं।
ग़ज़ा में शहीदों की संख्या में वृद्धि
जैसे ही ग़ज़ापट्टी के विभिन्न क्षेत्रों में अन्य कई शहीदों के शव मलबे से निकाले गए, 7 अक्टूबर, 2023 से इस क्षेत्र में अतिग्रहणकारी शासन के हमलों की वजह से शहीदों की संख्या बढ़कर 48 हजार 405 हो गई है।
पिछले 24 घंटों में 7 शहीदों के शव मलबे से निकाले गए और ग़ज़ा पर अतिग्रहणकारियों के हमले के कारण लगी चोटों की वजह से एक और फ़िलिस्तीनी भी शहीद हो गया जबकि इस दौरान 11 घायल लोगों को अस्पताल पहुंचाया गया।
वेस्ट बैंक में शहादतप्रेमी कार्यवाही
उधर एक फ़िलिस्तीनी नागिरक ने जॉर्डन नदी के पश्चिमी तट के उत्तर में एक सुरक्षा चौकी पर हमला कर दिया और इज़रायली सेना के सैनिकों ने उसे शहीद कर दिया। हमास ने इस शहादत प्रेमी ऑपरेशन की प्रशंसा की और इस बात पर ज़ोर दिया कि फ़िलिस्तीनी क्रांतिकारी युवाओं के दिलों में प्रतिरोध की भावना ज़िंदा है।
क़ालीबाफ़ ने तेहरान शहर के पूर्वी क्षेत्र में एक फलदार पौधा लगाया
इस्लामी सलाहकार परिषद के अध्यक्ष ने आज वृक्षारोपण दिवस के अवसर पर तेहरान के तलवी मार्ग में एक फलदार पौधा लगाया।
इस्लामी संसद (मजलिस) के अध्यक्ष मुहम्मद बाक़िर क़ालीबाफ़ ने आज (बुधवार, को वृक्षारोपण दिवस के अवसर पर तेहरान के तलवी मार्ग में एक फलदार पौधा लगाया।
इसके अलावा क़ालीबाफ़ तेहरान शहर की ग्रीन बेल्ट परियोजना के समापन की घोषणा भी करने वाले हैं जिसमें 2500 हेक्टेयर जंगलारोपण परियोजना जंगलकरी का उद्घाटन किया जाएगा।
ईरान में हर साल 15 इस्फ़ंद को लोगों को वृक्षारोपण के लिए प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से वृक्षारोपण दिवस के रूप में मनाया जाता है।