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 ईरान के विदेश मंत्री सैयद अब्बास अराक़ची ने बेरूत पहुंचते ही कहा कि आज का जनाज़ा दुनिया को दिखा देगा कि प्रतिरोध (मुक़ावमत) ज़िंदा है हिज़्बुल्लाह ज़िंदा है और अपने लक्ष्य और मक़सद को हासिल करने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।

ईरान के विदेश मंत्री सैयद अब्बास अराकची एक प्रतिनिधिमंडल के साथ बेरूत में हिज़्बुल्लाह लेबनान के महासचिव शहीद सैयद हसन नसरल्लाह और शहीद सैयद हाशिम सफ़ीउद्दीन की जनाज़े में शामिल होने के लिए पहुंचे हैं।

अराकची ने कहा कि आज का जनाज़ा दुनिया को यह दिखा देगा कि प्रतिरोध जीवित है हिज़्बुल्लाह जीवित है और अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए दृढ़ संकल्पित है उन्होंने कहा कि प्रतिरोध का रास्ता जारी रहेगा और जीत निश्चित होगी।

विदेश मंत्री ने यह भी कहा कि वे और उनके साथी आज लेबनान के लोगों के इस महान समुद्र में एक बूँद की तरह शामिल होंगे जो स्वतंत्रता और प्रतिरोध के नेताओं की अंतिम यात्रा में एकत्र हुए हैं।

उन्होंने यह भी कहा कि वे आज ईरान की सरकार और जनता का प्रतिनिधित्व करते हुए बेरूत में हैं, ताकि इस्लामिक समुदाय के दो महान नेताओं और लेबनान के बहादुर और पाक सिपाहियों की अंतिम यात्रा में शामिल हो सकें। उन्होंने कहा कि इन शहीदों ने प्रतिरोध की महानता और इस्राइल के कब्जे के खिलाफ संघर्ष में अनुपम बलिदान दिए और अंतत शहादत के उच्च स्थान को प्राप्त किया।

अराकची ने बताया कि ईरान की संसद के अध्यक्ष भी जल्द ही बेरूत पहुँचेंगे। उन्होंने कहा कि ईरान के कई अधिकारी और जनता की इच्छा थी कि वे इस कार्यक्रम में शामिल होकर लेबनान के लोगों के साथ इन दो नेताओं की जनाज़े में शामिल हों।

विदेश मंत्री सैयद अब्बास ने अपने बयान में यह भी कहा कि हिज़्बुल्लाह और प्रतिरोध का रास्ता जारी रहेगा और इस रास्ते पर चलने वालों को अंतत सफलता प्राप्त होगी। उन्होंने लेबनान के लोगों और हिज़्बुल्लाह के सदस्यों को संवेदना प्रकट की और शहीदों के महान बलिदानों को सलाम किया।

 

लेबनान में शिया और सुन्नी एकता की स्थापना और सायोनिस्ट दुश्मन के खिलाफ संघर्ष में सैयद हसन नसरुल्लाह की नेतृत्व का ऐतिहासिक महत्व है सैयद मुहम्मद की शख्सियत वैश्विक स्वतंत्रता आंदोलनों के लिए एक मार्गदर्शक है।

अहले बैत अ.स. वैश्विक असेंबली के सदस्य हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन अली रजा इमानी मुक़दम ने सैयद हसन नसरुल्लाह की शख्सियत पर रोशनी डालते हुए कहा कि उन्होंने लेबनान में शिया और सुन्नी समुदायों के बीच एकता और सामंजस्य स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

मशहद मुक़द्दस में सैयद मुक़ावत शहीद सैयद हसन नसरुल्लाह के चहलेम की मुनासबत से एक तक़रीब का आयोजन किया गया। इस मौके पर उलमा, असातिज़ा, हौज़े इलमिया ख़ुरासान की उच्च परिषद के कुछ सदस्य और कई इमामे जमात शरीक हुए। तक़रीब में शहीद सैयद हसन नसरुल्लाह की शख्सियत और सेवाओं पर आधारित एक किताब का विमोचन भी किया गया।

तक़रीब से ख़िताब करते हुए सैयद हसन नसरुल्लाह के दोस्त हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन अली रजा इमानी मुक़दम ने सैयद हसन नसरुल्लाह की सेवाओं और संघर्षों पर रोशनी डाली।

उन्होंने हज़रत फ़ातिमा ज़हरा की शहादत की मुनासबत से ताजियत पेश की और शहीद नसरुल्लाह के साथ बिताए गए लम्हों को याद करते हुए कहा कि वह हमेशा जिहाद और मुक़ावमत के मोर्चे पर मौजूद रहे।

उन्होंने बताया कि सैयद हसन नसरुल्लाह 1977 में लेबनान लौटे और शहीद सैयद अब्बास मुसावी के साथ मिलकर बअलबक़ में एक हौज़ा इल्मिया क़ायम किया। 1982 में इस्राइली हमले के खिलाफ लेबनानी जनता के साथ मिलकर ईरानी फौजों की मदद से प्रतिरोधी आंदोलन को संगठित किया और हिज़बुल्लाह की बुनियाद रखी।

हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन अली रजा इमानी मुक़दम ने कहा कि रहबर मुअज़्ज़म इंक़िलाब इस्लामी ने सैयद हसन नसरुल्लाह को एक मकतब क़रार दिया, जैसा कि उन्होंने शहीद क़ासिम सुलेमानी के बारे में भी कहा था।उन्होंने कहा,रहबर इंक़िलाब सैयद हसन नसरुल्लाह की शहादत पर गहरे ग़म का इज़हार करते हुए फरमाते हैं कि मैं उनके लिए अब भी शोकित हूं।

उन्होंने आगे कहा कि शहीद सैयद हसन नसरुल्लाह सिर्फ लेबनान और सीरिया तक सीमित नहीं रहे बल्कि वे वैश्विक स्तर पर स्वतंत्रता आंदोलनों के लिए एक मार्गदर्शक थे।

वैश्विक अहले बैत अ.स. असेंबली के सदस्य ने शहीद की ख़ुसूसियत का ज़िक्र करते हुए कहा कि उनकी ज़िन्दगी इख़्लास और विलायत के साथ गुज़री थी। उन्होंने लेबनान में शिया और सुन्नी समुदायों के बीच एकता और सामंजस्य स्थापित किया और सायोनिस्ट राज्य के खिलाफ संघर्ष में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

 

लेबनान के इस्लामी प्रतिरोध आंदोलन हिज़्बुल्लाह के शहीद महासचिव सैय्यद हसन नस्रुल्लाह के दफ़्न समारोह में भाग लेने के लिए विभिन्न देशों के आधिकारिक और ग़ैर आधिकारिक प्रतिनिधिमंडल बैरूत पहुंच चुके हैं।

हिज़्बुल्लाह आंदोलन के शहीद महासचिव सैय्यद हसन नस्रुल्लाह और हिज़्बुल्लाह की राजनीतिक कार्यकारी परिषद के प्रमुख शहीद सैय्यद हाशिम सफ़ीयुद्दीन की शवयात्रा आज 23 फ़रवरी 2025 को लेबनान के दक्षिण में निकाली जायेगी।

 पिछले घंटों में यमन, इराक़, ट्यूनीशिया, मोरतानिया, तुर्किये और ईरान से आधिकारिक प्रतिनिधिमंत्रल  बैरूत पहुंचे हैं ताकि शहीद सैय्यद हसन नस्रुल्लाह और सैय्यद हाशिम सफ़ीयुद्दीन की शवयात्रा में भाग ले सकें।

  

यमनी प्रतिनिधिमंडल बैरूत पहुंचा

यमन के अलमसीरा टीवी चैनल ने उन तस्वीरों को प्रकाशित व प्रसारित किया है जिसमें यमनी प्रतिनिधिमंडल को लेबनान की राजधानी बैरूत में रफ़ीक़ हरीरी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर उतरते हुए दिखाया गया है।

 हमास का आह्वानः फ़िलिस्तीन के इस्लामी प्रतिरोध आंदोलन हमास ने शहीद सैय्यद हसन नस्रुल्लाह और सैय्यद हाशिम सफ़ीयुद्दीन के दफ़्न समारोह में बड़े पैमाने पर भाग लेने के लिए लोगों का आह्वान किया है। हमास ने फ़िलिस्तीन को पूरी तरह आज़ाद कराये जाने पर आधारित शहीदों की आकांक्षाओं के प्रति कटिबद्धता और वफ़ादारी का एलान करते हुए लोगों का आह्वान किया है कि वे बढ़-चढ़ कर शहीद सैय्यद हसन नस्रुल्लाह के दफ़्न समारोह में भाग लें।

 शहीद सैय्यद हसन नस्रुल्लाह के दफ़्न समारोह में भाग लेने के लिए ईरान के संसद सभापित बैरूत में उपस्थित

शहीद सैय्यद हसन नस्रुल्लाह और शहीद सैय्यद हाशिम सफ़ीयुद्दीन के दफ़्न समारोह में भाग लेने के लिए ईरान के संसद सभापति मोहम्मद बाक़िर क़ालीबाफ़ और ईरान के कुछ दूसरे अधिकारी बैरूत पहुंचे हैं।

 शहीद सैय्यद हसन नस्रुल्लाह के बेटे ने अपने पिता के दफ़्न समारोह में भाग लेने के लिए आह्वान किया

शहीद सैय्यद हसन नस्रुल्लाह के बेटे सैय्यद मोहम्मद मेहदी नस्रुल्लाह ने एक भाषण में अपने पिता के दफ़्न समारोह में भाग लेने का आह्वान करते हुए कहा कि सैय्यद हसन नस्रुल्लाह के दफ़्न समारोह में भागीदारी, दृष्टिकोण के एलान और शहीद नस्रुल्लाह के प्रति प्रेम व निष्ठा दिखाने का दिन है। सैय्यद मोहम्मद मेहदी नस्रुल्लाह ने कहा कि दुश्मन, विरोधी और बुरा चाहने वालों ने हर तरीक़े से इस दफ़्न समारोह को रोकने का पूरा प्रयास किया।

 

क़ुद्स में ऑर्थोडेक्स दूसरे ईसाई archbishop का संदेश

अवैध अधिकृत क़ुद्स में दूसरे ऑर्थोडेक्स ईसाई archbishop अताउल्लाह हना ने शहीद सैय्यद हसन नस्रुल्लाह के स्थान की प्रशंसा व सम्मान करते हुए कहा है कि हम शहीद सैय्यद हसन नस्रुल्लाह और उन लोगों के साथ हैं जो फ़िलिस्तीन के साथ थे और फ़िलिस्तीन की रक्षा की और फ़िलिस्तीनिस्तीन की रक्षा के लिए भारी क़ीमत चुकाई।

 हना ने आगे कहा कि फ़िलिस्तीन के लोग आत्म-समर्पण का ध्वज नहीं फ़हरायेंगे और अपने अधिकारों के प्रति कटिबद्ध हैं क्योंकि फ़िलिस्तीनियों की संस्कृति में आत्म समर्पण व घुटना टेक देने के शब्द का कोई स्थान नहीं है।

 

 

ईरान केसुन्नी विद्वानों ने शहीद सय्यद हसन नसरूल्लाह के अंतिम संस्कार के अवसर पर जारी अपने बयान में कहा: महान मुजाहिद शहीद सय्यद हसन नसरूल्लाह की फिलिस्तीनी प्रतिरोध और इस्लामी उम्माह के लिए सेवाओं को कभी नहीं भुलाया जाएगा, जिसमें फिलिस्तीनी प्रतिरोध को हथियार और प्रशिक्षण देना, ज़ायोनी-अमेरिकी षड्यंत्रों के खिलाफ़ मजबूती से खड़े रहना और ग़ज़ाजा की मदद के लिए समर्थन प्रदान करना शामिल है।

ईरान के सुन्नी विद्वानों ने एक बयान जारी कर फिलिस्तीनी मुद्दे और लोकतांत्रिक प्रतिरोध के शहीदों, विशेष रूप से शहीद सय्यद हसन नसरूल्लाह की प्रशंसा और सम्मान किया है। जिसका सारांश इस प्रकार है:

बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्राहीम।

"और जो लोग अल्लाह के मार्ग में मारे गए, उन्हें मुर्दा न समझो। बल्कि वे अपने रब के पास जीवित हैं, तथा उन्हें जीविका दी जा रही है।"

महान इस्लामी उम्माह आज एक महान मुजाहिद, शहीद सय्यद हसन नसरूल्लाह और उनके साथी शहीद सय्यद हाशिम सफीउद्दीन के दफन के कगार पर है।

ये वे सच्चे मुजाहिद्दीन हैं जिन्होंने फिलिस्तीन और कुद्स अल-शरीफ के पवित्र उद्देश्य के लिए अपना बलिदान दे दिया। वे मुजाहिदीन जिन्होंने शहीद इस्माइल हनिया और शहीद याह्या सिनवार जैसे शहीदों के साथ मिलकर इस्लामी उम्माह को सम्मान और प्रतिष्ठा दिलाई।

इन महान हस्तियों को पैगम्बर मुहम्मद (स) के स्कूल में प्रशिक्षित किया गया था, जो न केवल जिहाद और अहंकार से लड़ने के क्षेत्र में, बल्कि कूटनीति में भी मुस्लिम उम्मा के लिए एक उदाहरण बन गए, और इतिहास में हमेशा जीवित रहेंगे।

वास्तव में इस्लामी प्रतिरोध के शहीदों के खून ने इस्लामी प्रतिरोध मोर्चे को और अधिक एकजुट और मजबूत किया तथा दुश्मन के खिलाफ उसके संकल्प को और अधिक बढ़ाया।

इन मुजाहिदीन की शहादत ने उन्हें उम्माह में और भी अधिक जीवित कर दिया, इस हद तक कि सबसे आधुनिक हथियारों से लैस ज़ायोनी दुश्मन, अमेरिका के अपराधी शासक और उनके समर्थक, काफिर और पश्चिमी शक्तियां, फिलिस्तीनी प्रतिरोध के सामने असहाय हो गए। वास्तव में यह पराजय पश्चिमी सभ्यता पर इस्लामी सभ्यता की श्रेष्ठता की घोषणा थी।

इसलिए, ईरान के सुन्नी विद्वानों के रूप में, हम इन शहीदों की महानता को श्रद्धांजलि देते हैं और कुछ बिंदुओं पर जोर देते हैं:

1- मुस्लिम उम्माह का मूल कर्तव्य

इस्लामी उम्माह का मूल कर्तव्य फिलिस्तीनी मुद्दे को जीवित रखना, यरुशलम और अल-अक्सा मस्जिद की मुक्ति के लिए संघर्ष करना है, जो कुरान और ईश्वरीय शिक्षाओं का अभिन्न अंग है। इसलिए फिलिस्तीन की रक्षा और उसके मार्ग में शहादत केवल ग़ज़्ज़ा, पश्चिमी तट और अन्य फिलिस्तीनी मुसलमानों की रक्षा तक सीमित नहीं है, बल्कि यह पूरी उम्माह की पवित्र, कुरानिक और ईश्वरीय पहचान की रक्षा है, जिससे पीछे हटने का किसी को अधिकार नहीं है।

2- दुश्मन की साजिशों के प्रति जागरूकता

इन दिनों, दुश्मन राजनीतिक दबाव और कूटनीतिक चालों के माध्यम से इस्लामी उम्माह को फिलिस्तीन पर अपने सैद्धांतिक रुख से विचलित करने की कोशिश कर रहा है। इसलिए, शहीदों के मार्ग पर चलते हुए, हमें दुश्मन की योजनाओं को उजागर करने और प्रतिरोध के पक्ष में राजनीतिक स्थिति को बदलने के लिए हर संभव प्रयास करना चाहिए।

  1. इस्लामी उम्माह को गाजा के निवासियों को उनकी मातृभूमि से बाहर निकालने की ट्रम्प की साजिश का पुरजोर जवाब देना चाहिए और इस बुरी योजना को विफल करना चाहिए।

इन दिनों के दौरान, मुस्लिम उम्माह को अपने शहीद मुजाहिदीन को सम्मान और श्रद्धांजलि देकर, विशेष रूप से शहीद सैय्यद हसन नसरल्लाह के अंतिम संस्कार में पूरी तरह से भाग लेकर, फिलिस्तीन की पूर्ण मुक्ति के लिए अपनी प्रतिबद्धता को नवीनीकृत करना चाहिए। समुद्र से नहर तक की आजादी के संघर्ष में दृढ़ता दिखाते हुए, जबरन पलायन की साजिश और दो राज्य योजना जैसे भ्रामक प्रयासों के खिलाफ मजबूती से खड़ा होना जरूरी है।

4- महान शहीद मुजाहिदीन सैयद हसन नसरल्लाह की फिलिस्तीनी प्रतिरोध और इस्लामी उम्माह के प्रति सेवाओं को कभी नहीं भुलाया जाएगा।

लिस्तीनी प्रतिरोध को हथियार और प्रशिक्षण देना, ज़ायोनी-अमेरिकी योजनाओं के खिलाफ़ दृढ़ता से खड़े रहना, गाजा की सहायता के लिए एक मजबूत समर्थन मोर्चा स्थापित करना, और इस मोर्चे को सुरक्षित करने के लिए वित्तीय, मानवीय और नैतिक बलिदान देना जैसे उपाय उनके संघर्ष का हिस्सा रहे हैं, और अंततः, अपने खून की कुर्बानी देकर, उन्होंने कुद्स अल-शरीफ के पवित्र लक्ष्य के प्रति अपनी वफादारी को अमर कर दिया है।

हम दुआ करते हैं कि कुद्स शरीफ की मुक्ति और झूठ एवं अहंकार के पूर्ण पतन का दिन शीघ्र ही आएगा। निस्संदेह, जैसा कि अल्लाह सर्वशक्तिमान कहता है: "अल्लाह की सुन्नत जो पहले ही बीत चुकी है, और तुम अल्लाह की सुन्नत में कोई परिवर्तन नहीं पाओगे", प्रतिरोध हमेशा जीवित रहा है और हमेशा जीवित रहेगा। गाजा ने बहादुरी से जीत हासिल की और यही ईश्वरीय सुन्नत है। ईश्वर ने निश्चित वादा किया है कि जो लोग सत्य के मार्ग पर अडिग रहते हैं, उनके लिए विजय और सफलता निश्चित है, जैसा कि उसने कहा: "और यदि वे मार्ग पर अडिग रहते, तो हम उन्हें स्वच्छ जल पिलाते।"

 

शहीद सैयद हसन नसरुल्लाह और शहीद सैयद हाशिम सफीउद्दीन के जनाज़े की रस्म से कुछ घंटे पहले इसराइली मीडिया ने दक्षिणी लेबनान पर हवाई हमले की खबर दी है इस हमले में "अलक़लीला" और "अंसार" नामक इलाकों को निशाना बनाया गया है।

इसराइली मीडिया, जिसमें येरुशलम पोस्ट भी शामिल है ने इस हमले की तत्काल सूचना दी है। हालांकि इसराइली सूत्रों ने हमले की अधिक जानकारी नहीं दी है।

यह हमला ऐसे समय में किया गया है जब बेरूत में स्थानीय समयानुसार दोपहर 1 बजे शहीद सैयद हसन नसरुल्लाह और शेख हाशिम सफीउद्दीन के जनाज़े की रस्म आयोजित की जा रही है लेबनानी जनता और क्षेत्र के अन्य देशों से इस्लामी प्रतिरोध (मुक़ावमत) के समर्थकों ने इस कार्यक्रम के लिए पहले ही तैयारियां शुरू कर दी थीं।

कुछ रिपोर्ट्स के अनुसार, इस जनाज़े में दस लाख से अधिक लोगों के शामिल होने की संभावना है।

इसराइली हमले के बावजूद लेबनान में शहीद नसरुल्लाह और शहीद सफीउद्दीन के जनाज़े की रस्म जारी है यह हमला क्षेत्र में तनाव को और बढ़ा सकता है लेकिन लेबनानी जनता और प्रतिरोध समर्थकों का संकल्प स्पष्ट है कि वे अपने नेताओं की अंतिम रस्म पूरे सम्मान के साथ अदा करेंगे।

इमाम ए जुमआ बुशहर ने रमज़ान के महत्व को उजागर करते हुए कहा कि यह महीना आत्मिकता और धार्मिकता को बढ़ाने का सबसे अच्छा अवसर है रमज़ान का महीना न केवल उपवास रखने का महीना है बल्कि यह खुद को सुधारने आत्म-नियंत्रण और धार्मिकता में प्रगति करने का समय भी है।

बुशहर प्रांत में वली-ए-फकीह के प्रतिनिधि हुज्जतुल इस्लाम वल मुसलमीन सफई बुशहरी ने प्रांत के क़ुरआनी कार्यक्रम के संबंध में एक बैठक में कहा कि रमज़ान मुबारक में किए गए कार्यों का सवाब अन्य महीनों की तुलना में कहीं अधिक है।

हुज्जतुल इस्लाम वल मुसलमीन सफई बुशहरी ने रमज़ान में क़ुरआन की तिलावत के स्तर को बेहतर बनाने पर भी जोर दिया और कहा कि निरंतर अभ्यास के माध्यम से क़ारीयों के स्तर को ऊंचा किया जाना चाहिए।

उन्होंने कहा कि रमज़ान के कार्यक्रमों में उच्च गुणवत्ता वाले क़ारियों को प्राथमिकता दी जाए और तिलावत के तकनीकी मानकों का ध्यान रखा जाए।

उन्होंने यह भी कहा कि बुशहर प्रांत अतीत में क़ुरआन की तिलावत के क्षेत्र में देश के सर्वोत्तम प्रांतों में से एक था और सही योजना और मेहनत के साथ इस स्थान को पुनः प्राप्त किया जा सकता है।

उन्होंने बुशहर प्रांत की क़ुरआनी स्थिति के महत्व पर भी प्रकाश डाला और कहा कि बुशहर को क़ुरआनी राजधानी के रूप में प्रस्तुत किया जाए और कार्यक्रमों को उच्च गुणवत्ता पर प्रस्तुत किया जाए।

हुज्जतुल इस्लाम वल मुसलमीन सफई बुशहरी के अनुसार, रमज़ान मुबारक के अवसर पर आत्मिकता और धार्मिकता के प्रचार के लिए क़ुरआनी कार्यक्रम आयोजित किए जाएं और इस संदर्भ में एक समग्र योजना की आवश्यकता है ताकि समाज की आत्मिक और सांस्कृतिक आवश्यकताओं को पूरा किया जा सके।

 

शहीद सैयद हसन नसरल्लाह और शहीद सैयद हाशिम सफीउद्दीन के जनाज़े के जुलूस और दफन की रस्म के अवसर पर हज़रत आयतुल्लाह सैयद अली ख़ामेनेई का संदेश।

हज़रत आयतुल्लाह सैयद अली ख़ामेनेई ने शहीद सैयद हसन नसरल्लाह और शहीद सैयद हाशिम सफीउद्दीन के जनाज़े के जुलूस और दफन की रस्म के अवसर पर एक संदेश दिया है।

संदेश कुछ इस प्रकार है:

بسم اللہ الرحمن الرحیم

قال اللّہ عزّ و جل: وَ لِلّٰہِ العِزَّۃُ وَ لِرَسولِہِ وَ لِلمُؤمِنینَ وَ لٰکِنَّ المُنافِقینَ لا یَعلَمون.(1)

सारी इज़्ज़त तो सिर्फ़ अल्लाह, उसके रसूल (सल्लललाहो अलैहि वआलेही वसल्लम) और मोमेनीन के लिए है लेकिन मुनाफ़िक़ लोग (यह हक़ीक़त) जानते नहीं हैं।(1)

क्षेत्र में रेज़िस्टेंस के महान मुजाहिद और अग्रणी रहनुमा, हज़रत सैयद हसन नसरुल्लाह (अल्लाह उनके दर्जे बुलंद करे) आज इज़्ज़त की चोटी पर हैं। उनका पाकीज़ा शरीर अल्लाह की राह में जेहाद करने वालों की सरज़मीन में दफ़्न होगा लेकिन उनकी रूह और राह हर दिन ज़्यादा से ज़्यादा कामयाबी का जलवा बिखेरेगी इंशाअल्लाह और रास्ता चलने वालों का मार्गदर्शन करेगी।

दुश्मन जान ले कि क़ब्ज़े, ज़ुल्म और साम्राज्यवाद के ख़िलाफ़ रेज़िस्टेंस रुकने वाला नहीं है और अल्लाह की मर्ज़ी से अपनी मंज़िल तक पहुंचने तक जारी रहेगा।

जनाब सैयद हाशिम सफ़ीउद्दीन (रिज़्वानुल्लाह अलैह) का नेक नाम और दमकता चेहरा भी इस क्षेत्र के इतिहास का जगमगाता सितारा है। वे लेबनान में रेज़िस्टेंस के नेतृत्व के बहुत क़रीबी मददगार और अभिन्न अंग थे।

अल्लाह और उसके नेक बंदों का सलाम हो, इन दो कामयाब मुजाहिदों और दूसरे बहादुर और बलिदानी संघर्षकर्ताओं पर जो मौजूदा दौर में शहीद हुए और इस्लाम के सभी शहीदों पर और मेरा ख़ुसूसी सलाम हो आप पर अज़ीज़ फ़र्ज़न्दो! लेबनान के बहादुर जवानो।

सैयद अली ख़ामेनेई

21 फ़रवरी 2025

(सूरए मुनाफ़ेक़ून, आयत-8)

 

हौज़ा इल्मिया के निदेशक ने कहा: हौज़ा इल्मिया का संदेश प्रतिरोध का सय्यदे मुक़ावेमत के अंतिम संस्कार करने वालो के लिए यही है कि विद्वान और महानुभाव शिक्षण, उपदेश और अपनी दिव्य वाचा और वादे में दृढ़ रहेंगे।

हौज़ा इल्मिया के निदेशक आयतुल्लाह अली रजा आराफ़ी ने क़ुम के दार अल-शिफा स्कूल के कॉन्फ्रेंस हॉल में क़ुम के शिक्षकों और छात्रों के साथ एक अतरंग (समीमी) बैठक की।

रिपोर्ट के अनुसार, इस सत्र में, जिसमें मदरसों के प्रशासनिक केंद्र के सहायकों और अधिकारियों ने भी भाग लिया, शिक्षकों और छात्रों ने मैत्रीपूर्ण माहौल में आयतुल्लाह आराफ़ी के समक्ष अपनी समस्याएं प्रस्तुत कीं।

हौज़ा इल्मिया अपनी दिव्य वाचा पर दृढ़ता से कायम है / "इन्ना अलल अहद" हौज़वीयो का दाएमी नारा है।

मदरसे के निदेशक ने अपने भाषण के दौरान कहा: पिछले साठ वर्षों से, क़ुम मदरसा शहीदों के इमाम, इस्लाम धर्म, क्रांति और इस्लामी व्यवस्था, न्यायविद की संरक्षकता और शानदार प्रतिरोध के प्रति अपनी प्रतिबद्धता पर कायम है।

उन्होंने शहीद सय्यद हसन नसरूल्लाह के अंतिम संस्कार में हौज़ावीयो के नारे को "इन्ना अलल अहद" बताया और कहा: "हमारा आम नारा यह है कि हम प्रतिरोध की शपथ और इस्लामी क्रांति के आदर्शों पर खड़े हैं।" यह मदरसा फैजिया और दारुल शिफा की ओर से समस्त प्रतिरोधी लोगों और गौरवशाली हिजबुल्लाह के लिए संदेश है।

आयतुल्लाह आराफ़ी ने आगे कहा: "दुनिया के अभिमानी लोगों और सभी आंतरिक और बाहरी शुभचिंतकों और नफरत करने वालों को इस तथ्य पर संदेह नहीं करना चाहिए कि हौज़ा इल्मिया क़ुम हमेशा ईश्वर की कृपा से मजबूत और स्थिर रहा है और इंशाल्लाह ऐसा ही रहेगा।"

हौज़ा इल्मिया के निदेशक ने कहा: "इन्ना अलल अहद" हौज़ा इल्मिया का हर दिन और हर साल नारा है, था और रहेगा। "इन्ना अलल अहद" के इस कारवां से कुछ लोग अलग हो गए और अपनी जान गंवा बैठे, लेकिन यह चमकदार, क्रांतिकारी, शहादत से भरा और आत्म-बलिदान से भरा कारवां ईश्वर के मार्ग में चमक और गति के साथ अपनी यात्रा जारी रखेगा।

लीबिया के प्रधानमंत्री अब्दुल हमीद दबीबा ने जोर देकर कहा कि उनकी सरकार लीबिया और गाज़ा में स्थिरता सही करने के लिए संयुक्त राष्ट्र के प्रयासों का समर्थन करती है।

लीबिया के प्रधानमंत्री अब्दुल हमीद दबीबा ने जोर देकर कहा कि उनकी सरकार लीबिया और गाज़ा में स्थिरता सही करने के लिए संयुक्त राष्ट्र के प्रयासों का समर्थन करती है।

सरकार की तरफ से जारी एक बयान के अनुसार, दबीबा ने राजधानी त्रिपोली में लीबिया के लिए संयुक्त राष्ट्र महासचिव की नवनियुक्त विशेष प्रतिनिधि और देश में संयुक्त राष्ट्र सहायता मिशन (यूएनएसएमआईएल) की प्रमुख हाना सेरवा टेटेह के साथ बैठक के दौरान यह टिप्पणी की हैं।

बयान में कहा गया,प्रधानमंत्री अब्दुल हमीद दबीबा ने आज गुरुवार को लीबिया में संयुक्त राष्ट्र महासचिव की विशेष दूत हाना सेरवा टेटेह से आधिकारिक रूप से अपना कार्यभार संभालने के बाद पहली मुलाकात की है।

बयान में कहा गया,बैठक के दौरान प्रधानमंत्री ने संयुक्त राष्ट्र दूत का स्वागत किया उनके कर्तव्यों के निर्वहन में सफलता की कामना की और लीबिया में स्थिरता बढ़ाने चुनाव कराने संक्रमणकालीन चरणों को समाप्त करने के उद्देश्य से यूएन की कोशिशों को राष्ट्रीय एकता सरकार के समर्थन पर बल दिया।

टेटेह ने आशा व्यक्त की कि संयुक्त राष्ट्र लीबिया को समर्थन देने स्थिरता और विकास की आकांक्षाओं को प्राप्त करने में लीबियाई लोगों की सहायता करने में सकारात्मक भूमिका निभाएगा।

गुरुवार को ही संयुक्त राष्ट्र अधिकारी ने कार्यवाहक विदेश मंत्री ताहिर अलबौर से मुलाकात की उन्होंने मौजूदा राजनीतिक गतिरोध को दूर करने और देश को राष्ट्रीय चुनावों की राह पर लाने के लिए सभी लीबियाई हितधारकों के साथ मिलकर काम करने की संयुक्त राष्ट्र की प्रतिबद्धता दोहराई।

 

हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लेमीन क़बांची ने कहा कि इस अंतिम संस्कार के दौरान, हम पूरे विश्व को यह संदेश देंगे कि हम पीछे नहीं हटेंगे और हमारी दृढ़ निश्चय और इच्छाशक्ति का खून हमें और मजबूत करता है, और यह कौम कभी नहीं मरेगी।

नजफ़ अशरफ़ के इमाम जुमा हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लेमीन सय्यद सदरुद्दीन क़बांची ने अपने जुमा के खुतबे में शहीद सय्यद हसन नसरुल्लाह के अंतिम संस्कार के बारे में कहा: इस सप्ताह शहीद सय्यद हसन नसरुल्लाह का अंतिम संस्कार होगा और यहाँ पर यह हैरानी होती है कि एक गंभीर चुनौती का सामना करते हुए इस मुद्दे को कैसे समझा जा सकता है?

उन्होंने कहा: इस अंतिम संस्कार के दौरान, हम पूरे विश्व को यह संदेश देंगे कि हम पीछे नहीं हटेंगे और हमारी दृढ़ निश्चय और इच्छाशक्ति का खून हमें और मजबूत करता है, और यह कौम कभी नहीं मरेगी।

इमामे जुमा नजफ़ अशरफ ने अपने खुतबे के दूसरे हिस्से में कहा: आज की सबसे महत्वपूर्ण बात, जिस पर दुनिया की नज़र है, वह फिलिस्तीनियों की बेघरी और इस संदर्भ में संयुक्त राज्य अमेरिका के बयान हैं। यह निर्णय अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अमेरिका पर दबाव और उन समस्याओं के कारण पीछे हटने और विनाश की ओर बढ़ रहा है, इस तरह कि अमेरिकी राष्ट्रपति ने स्पष्ट रूप से कहा: हमारा देश बहुत भ्रष्ट है और यह दुखद है।

हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लेमीन क़बांची ने इराक का ज़िक्र करते हुए कहा: आज इराक आंतरिक और बाहरी संकटों से जूझ रहा है, ऐसे में हम इन चुनौतियों से भविष्य को कैसे समझ सकते हैं?

उन्होंने कहा: हमारा भविष्य पर विश्वास इसलिए सकारात्मक है क्योंकि हमें अल्लाह पर भरोसा है और हमारा इतिहास इस बात का गवाह है, क्योंकि हर चीज़ में धैर्य और विजय है। अल्लाह का फरमान है: (وَإِن تَصْبِرُوا وَتَتَّقُوا لَا یَضُرُّکُمْ کَیْدُهُمْ شَیْئًا व इन तस्बेरू व तत्तक़ू ला यज़ुर्रोकुम कयदोहुम शैआ).

नजफ़ अशरफ के इमामे जुमा ने धार्मिक खुतबे में "इच्छाशक्ति और अल्लाह के निर्णय की निश्चितता" के विषय में मानव विकास के कुछ पाठों का ज़िक्र किया और कहा: क्या इंसानी इच्छाशक्ति अल्लाह के फैसले को बदल सकती है?

उन्होंने कहा: अल्लाह ने जो तय किया है, वही होगा और केवल उस पर दस्तखत करना बाकी है, लेकिन दुआ, रिश्तों की क़ीमत और इमाम हुसैन (अ) की ज़ियारत अल्लाह के फैसले को बदल सकती है और उसके निर्णय की निश्चितता को बदल सकती है।