आयतुल्लाह हुसैनी बूशहरी ने कहा: अगर हम आधुनिक संसाधनो का उपयोग नही करेंगे सकते तो हम समाज का सही दिशा में मार्गदर्शन नहीं कर सकते। अगर हम आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर काबू पा लें, तो इसके खतरों से बच सकते हैं।
जामेअ मुदर्रेसीन हौज़ा इल्मिया क़ुम के प्रमुख आयतुल्लाह हुसैनी बूशहरी ने 'आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, अवसर, चुनौतियाँ और समाधान' विषय पर मदरसा दार अल शिफ़ा के मिटिंग हाल मे आयोजित होने वाली जामेअ मुदर्रेसीन हौज़ा इल्मिया क़ुम की सोलहवीं आम सभा में, जिसमें उच्च स्तरीय शिक्षक और हौज़ा इल्मिया से बाहर के शिक्षक भी शामिल हुए और आयतुल्लाहिल उज़्मा नूरी हमदानी का संदेश भी प्रस्तुत किया गया, कहा: "इमाम अली (अ) की हदीस हे कि याद रखो जो व्यक्ति अपने समय के परिवर्तन से चकित नहीं होता, वही सबसे जागरूक होता है, हमें न केवल वर्तमान, बल्कि भविष्य की चुनौतियों के लिए भी तैयार रहना चाहिए।"
आयतुल्लाह हुसैनी बूशहरी ने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कई वर्षों से चिकित्सा, कृषि और पर्यावरण के क्षेत्रों में इस्तेमाल हो रहा है, लेकिन इसकी प्रगति ने जो गति पकड़ी है, वह हैरान करने वाली है। उन्होंने यह भी कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस ने सीमाओं को पार कर लिया है और यह सामाजिक और सांस्कृतिक समस्याओं को प्रभावित कर रहा है। अगर हौज़ा इस बदलाव को सही तरीके से नहीं समझेगा और इसका स्वागत नहीं करेगा, तो हम मानवता की प्रगति से पीछे रह जाएंगे।
उन्होंने आगे कहा: अगर हम आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का सही तरीके से उपयोग करेंगे, तो यह शोध, ज्ञानवर्धन और निर्णय लेने में बहुत मददगार हो सकता है। यह हमारे लिए इस्लामी सभ्यता के निर्माण में भी महत्वपूर्ण हो सकता है। हालांकि, हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि हम इसे अपने धार्मिक और सांस्कृतिक मूल्यों के खिलाफ न जाने दें।
इस क्षेत्र में प्रशिक्षण और शिक्षा की आवश्यकता है, ताकि हौज़ा के छात्र और शिक्षक इस तकनीक के बारे में पूरी तरह से जान सकें और इस क्षेत्र में अधिक प्रभावी रूप से काम कर सकें।