लेबनान की राजनीतिक और प्रतिरोधी संगठनों ने सीरिया की स्थिति पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि इज़राईली दुश्मन ने सीरिया के रक्षा और शोध केंद्रों को नष्ट करके अपनी आक्रामकता को और बढ़ा दिया है क्षेत्र पर दुश्मन के वर्चस्व और उसकी आक्रामकता को रोकने का एकमात्र रास्ता सशस्त्र प्रतिरोध है।
एक रिपोर्ट के अनुसार , लेबनान की राजनीतिक और प्रतिरोधी पार्टियों और राष्ट्रीय हस्तियों ने अपने एक बयान में सीरिया और क्षेत्र में हो रहे बदलावों पर गहरी चिंता व्यक्त की है।
बयान में कहा गया है कि बशर अलअसद सरकार के पतन के बाद सीरिया में उत्पन्न स्थिति ने ज़ायोनी दुश्मन को यह मौका दिया कि वह सीरियाई सेना की रक्षा क्षमता और शोध केंद्रों को निशाना बनाए और दक्षिणी सीरिया के कुछ हिस्सों पर कब्जा कर ले।
लेबनानी संगठनों ने ज़ायोनी आक्रामकता को क्षेत्र पर कब्जे की कोशिश करार देते हुए कहा कि दुश्मन अपनी विस्तारवादी इच्छाओं को पूरा करने के लिए सीरिया और अन्य अरब इलाकों में अपनी गतिविधियों को तेज़ कर रहा है उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि इस आक्रामकता का मुकाबला केवल और केवल सशस्त्र प्रतिरोध के माध्यम से किया जा सकता है।
इन संगठनों ने यह भी कहा कि अगर प्रतिरोध या बचाव का कोई प्रभावी साधन मौजूद नहीं होगा, तो ज़ायोनी दुश्मन अपनी आक्रामकता को और बढ़ाएगा।
उन्होंने संयुक्त राष्ट्र की प्रस्ताव संख्या 1701 के ज़ायोनी उल्लंघनों की निंदा की और कहा कि ये उल्लंघन इस बात का सबूत हैं कि दुश्मन बिना प्रतिरोध के अपने कदम नहीं रोकेगा और केवल सशस्त्र प्रतिरोध के माध्यम से ही कब्जे वाली भूमि को मुक्त कराया जा सकता है।
बयान के अंत में लेबनान की राजनीतिक पार्टियों ने देश में राष्ट्रपति चुनाव को किसी भी बाहरी हस्तक्षेप के बिना आयोजित करने पर ज़ोर दिया और कहा कि यह कदम संस्थानों की स्थिरता और ताइफ़ समझौते को लागू करने के लिए आवश्यक है।