क़ुरआन करीम केवल पाक दिलों पर असर करता है

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क़ुरआन करीम केवल पाक दिलों पर असर करता है

प्रमुख जामिअतुल मुस्तफ़ा आलमिया, हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन अली अब्बासी ने कहा कि अगर दिल ना पाक हो तो क़ुरआन करीम का कोई असर नहीं होता उन्होंने जामिअतुल-मुस्तफ़ा के छात्रों और उनके परिवारों के लिए क़ुरआन से जुड़े रहने का सुझाव दिया और कहा कि क़ुरआन करीम इस्लामी तामद्दुन और जीवन की बुनियाद है।

एक रिपोर्ट के अनुसार , प्रमुख जामिअतुल मुस्तफ़ा आलमिया प्रमुख  हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन अली अब्बासी ने कहा कि अगर दिल ना पाक हो तो क़ुरआन करीम का कोई असर नहीं होता।

उन्होंने जामिअतुल-मुस्तफ़ा के छात्रों और उनके परिवारों के लिए क़ुरआन से जुड़ाव को अत्यधिक महत्व दिया और कहा कि क़ुरआन करीम इस्लामी तामद्दुन और जीवन की बुनियाद है।

उन्होंने कहा कि क़ुरआन करीम सभी इस्लामी उलूम की नींव है और जामिअतुल-मुस्तफ़ा को अपने वैश्विक मिशन के तहत क़ुरआनी शिक्षाओं के प्रसार में सबसे अधिक प्रयास करना चाहिए। छात्रों के परिवारों के लिए क़ुरआनी महोत्सव के आयोजन को एक प्रभावी कदम बताते हुए उन्होंने कहा कि यह महोत्सव बच्चों और महिलाओं को क़ुरआनी शिक्षाओं से परिचित कराने में सहायक हो सकता है।

क़ुरआनी महोत्सव के उद्देश्य और लक्ष्य मर्कज़-ए-उमूर-ए-ख़ानदान-ए-मुस्तफ़ा के प्रमुख हुजतुल-इस्लाम वल-मुस्लमीन काज़वी ने कहा कि क़ुरआनी महोत्सव की शुरुआत 2008 में हुई और 2012 से इसे नियमित रूप से आयोजित किया जा रहा है।

उन्होंने बताया कि इसका उद्देश्य छात्रों के परिवारों में क़ुरआनी शिक्षाओं का प्रसार करना क़ुरआनी क्षमताओं की खोज करना और क़ुरआनी गतिविधियों को सामान्य बनाना है।

महोत्सव का विषय और समापन इस साल क़ुरआनी महोत्सव का विषय गाम ए दोव्वम  इंतिक़ाल-ए-इस्लामी" निर्धारित किया गया है जिसमें आत्मनिर्माण, समाज की रचना और इस्लामी तामद्दुन निर्माण पर जोर दिया गया है।  हर घर को क़ुरआनी समाज और स्कूल बनाना इस महोत्सव का मुख्य लक्ष्य है महोत्सव का समापन निमा-ए-शाबान को होगा।

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