लखनऊ के ऐतिहासिक छोटा इमामबाड़ा में लेबनान के प्रभावी राजनैतिक दल और लोकप्रिय जनांदोलन हिज़्बुल्लाह के पूर्व प्रमुख शहीद सय्यद हसन नसरुल्लाह और शहीद हाशिम सफीउद्दीन के सम्मान में एक शोक सभा का आयोजन किया गया।
शहीद सय्यद हसन नसरुल्लाह और शहीद हाशिम सफीउद्दीन ने फिलिस्तीन के खिलाफ ज़ायोनी संघर्ष में मज़लूम फिलिस्तीनियों के समर्थन में अपनी शहादत पेश करते हुए इस्लाम और मानवता की रक्षा के लिए अमर बलिदान दिया। उनकी शहादत ने पूरे विश्व के सामने साहस, समर्पण और बलिदान की मिसाल कायम की है।
सभा का संचालन मौलाना सय्यद सकलैन बाकरी ने किया। मौलाना सय्यद मंज़र सादिक ज़ैदी ने अपने बयान में कहा कि शहीद हसन नसरुल्लाह और हाशिम सफीउद्दीन ने अपने हितों के लिए शहादत नहीं दी, बल्कि इमाम हुसैन (अ.स.) के बताए रास्ते पर चलते हुए मानवता की रक्षा की और यही कारण है कि दुनिया भर से लोग उनके जनाज़े में शामिल हो रहे हैं।
मौलाना सय्यद हसनैन बाक़री ने अपने बयान में शहीदों और शहादतों का ज़िक्र करते हुए कहा कि जो लोग इंसानियत की खातिर अल्लाह की राह में अपनी जान कुर्बान कर देते हैं, उन्हें शहीद कहा जाता है। इन्हीं शख्सियतों में से एक हैं सय्यद हसन नसरुल्लाह, जिन्होंने अपनी पूरी ज़िंदगी देश, क़ौम और इंसानियत की सेवा में बिता दी और ज़ालिम और झूठी ताक़तों के ख़िलाफ़ लड़ते रहे और उनका रास्ता आज भी ज़िंदा