हौज़ा-ए-इल्मिया ईरान के प्रमुख आयतुल्लाह अ'राफ़ी ने धार्मिक और क्रांतिकारी कला को बढ़ावा देने इस्लामी और शिया मूल्यों के प्रचार, तथा प्रतिबद्ध और क्रांतिकारी युवाओं की प्रशिक्षण में उस्ताद मसऊह नजाबती की वैचारिक और सांस्कृतिक सेवाओं को श्रद्धांजलि और सराहना के साथ याद किया।
क्रांतिकारी कलाकार उस्ताद मसऊह नजाबती के सम्मान में आयोजित कार्यक्रम "मसऊद-ए-हुनर" में आयतुल्लाह अ'राफ़ी का संदेश हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन अली अलीज़ादेह ने पढ़कर सुनाया, जिसका अनुवाद इस प्रकार है।
बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम
ईरान की इस्लामी संस्कृति और कला निस्संदेह एक बहुमूल्य और अनमोल खज़ाना है, जिसे इस भूमि के चिंतनशील और रचनात्मक लोगों ने मानवता के लिए एक तोहफे के रूप में पेश किया है।
इस उज्ज्वल धरोहर की रक्षा और प्रसार उन महान कलाकारों की मेहनत का परिणाम है जिन्होंने शुद्ध धार्मिक शिक्षाओं और ईरानी चिंतन से प्रेरणा लेकर रचनात्मकता और नवाचार के साथ इसकी रक्षा, प्रचार और विकास में अपना सब कुछ न्यौछावर कर दिया।
आदरणीय उस्ताद मसऊह नजाबती ज़िद अज़्ज़हुम
आपकी अनथक कोशिशें, राष्ट्रीय स्तर पर धार्मिक और क्रांतिकारी कलाकृतियों की रचना, और धर्म, क्रांति और प्रतिरोध की कला में आपकी सच्ची और संघर्षशील उपस्थिति ये सब आपकी बहुमूल्य, चमकदार और अविस्मरणीय सेवाओं की साक्षी हैं।
आपका विशेष ध्यान इस ओर रहा है कि इस्लामी और शिया मूल्यों को युवा कलाकारों में आम किया जाए। इस प्रशिक्षण का फल एक क्रांतिकारी और प्रतिबद्ध पीढ़ी के रूप में सामने आया है, जो इस उज्ज्वल मार्ग की उत्तराधिकारी है।
इसी तरह "कानून-ए-हुनर-ए-शिया" की स्थापना के माध्यम से शिया कला के पुनर्जीवन और प्रस्तुति के लिए आपकी कोशिशें आपके काम की एक और चमकदार झलक हैं, जिनसे इस्लामी ईरान की सांस्कृतिक पहचान को एक शानदार रूप में जीवित रखा गया।
राष्ट्रीय प्रतिभा संस्थान द्वारा आपको सर-आमद-ए-हुनरी (श्रेष्ठतम कलाकार) की उपाधि दिया जाना आपकी दशकों की वैचारिक और कलात्मक संघर्ष का व्यावहारिक स्वीकार है, जिसने आपको ईरान और समस्त इस्लामी जगत में एक विशिष्ट स्थान दिलाया है।
अतः मैं अपनी ओर से आपकी इन शुद्ध, प्रभावशाली और स्थायी कोशिशों की गहराई से सराहना करते हुए इस महान उपलब्धि पर आपको और समस्त कला एवं संस्कृति से जुड़े समुदाय को दिल से बधाई देता हूँ।
निश्चित रूप से इस भूमि के कलाकार आपकी निरंतर और ईमानदार मेहनत को हमेशा क़द्र की निगाह से देखते रहेंगे।मैं दुआ करता हूँ कि परवरदिगार आपको और अधिक सम्मान, सफलता और कामयाबियाँ अता फरमाए।
अली रज़ा आराफ़ी
प्रमुख, हौज़ा-ए-इल्मिया ईरान