सूझबूझ और मशविरे के साथ दृढ़ता से कामयाबी मिलती है

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सूझबूझ और मशविरे के साथ दृढ़ता से कामयाबी मिलती है

जब हम समझदारी और सूझबूझ से और सलाह मशविरा लेकर, दृढ़ निश्चय के साथ काम करते हैं तो सफलता अवश्य मिलती है।

हज़रत आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने फरमाया,अल्लाह ने दुश्मनों से मुक़ाबले के लिए पैग़म्बरे इस्लाम सल्लललाहो अलैहि वआलेही वसल्लम को एक गाइडलाइन दी है।

बेसत (पैग़म्बरी पर नियुक्ति) के आग़ाज़ से ही अल्लाह ने पैग़म्बरे इस्लाम को सब्र व दृढ़ता का हुक्म दिया। सूरए मुद्दस्सिर में अल्लाह फ़रमाता हैः “और अपने परवरदिगार के लिए सब्र कीजिए”(सूरए मुद्दस्सिर, आयत-7)। क़ुरआन मजीद में दूसरी जगहों पर भी यही बात दोहराई गयी है। सब्र का मतलब हाथ पर हाथ धरे बैठकर नतीजे का इंतेज़ार करना और घटनाओं को बर्दाश्त करते रहना नहीं है।

सब्र का मतलब डटे रहना है, दृढ़ता दिखाना और अपने सही कैल्कुलेशन को दुश्मनों के फ़रेब व धोखाधड़ी के साथ बदलना नहीं है। अगर ये दृढ़ता, अक़्ल, सूझबूझ और आपसी मशविरे के साथ हो, जैसा कि क़ुरआन में आया हैःऔर उनके (तमाम) काम आपसी मशविरे से तय होते हैं” (सूरए शूरा आयत-38) तो निश्चित तौर पर फ़तह व कामयाबी नसीब होगी।

 

 

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