इटली में फ़िलिस्तीनी एसोसिएशन के प्रमुख मोहम्मद हन्नून को शहर मिलान में दाखिल होने से एक साल के लिए रोक दिया गया है। इस फैसले को आलोचकों ने अभिव्यक्ति की आज़ादी और ग़ज़्ज़ा में जारी नरसंहार के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाने को दबाने की कोशिश क़रार दिया है।
25 अक्टूबर 2025 को एयरपोर्ट लीनाता में इतालवी प्रशासन ने मोहम्मद हन्नून को निष्कासन का हुक्म सुनाया और एक साल के लिए मिलान में उनके प्रवेश पर पाबंदी लगा दी।
यह हुक्म मिलान के पुलिस चीफ की तरफ से इस आरोप के तहत जारी किया गया कि हन्नून ने 18 अक्टूबर को फ़िलिस्तीन के हक़ में एक जनसभा में मुनअकिक़ तौर पर 'तशद्दुद पर उकसाने' की बातें की थीं।
मोहम्मद हन्नून एक अवामी प्रोग्राम में फ़िलिस्तीनी मज़लूमों की हिमायत के लिए मिलान पहुंचे थे, लेकिन एयरपोर्ट पर उतरते ही उन्हें रोक लिया गया और बाद में उनके रहने वाले शहर जेनोआ भेज दिया गया।
इटली के कुछ सरकारी अफसरों, जिन में वज़ीर सालविनी भी शामिल हैं, ने इस फैसले को 'ज़रूरी' क़रार दिया है। इसके विपरीत, मानव अधिकार के कार्यकर्ताओं और राजनीतिक विश्लेषकों ने इस क़दम को फ़िलिस्तीन के हक़ में उठने वाली आवाज़ों को संगठित दमन और इख़्तलाफ़-ए-राय को जुर्म ठहराने की एक तशवीशनाक मिसाल कहा है, ख़ास तौर पर ऐसे वक्त में जब ग़ज़्ज़ा में बड़े पैमाने पर मानव अधिकारो की संगीन खिलाफ़ वरज़ियाँ जारी हैं।
मोहम्मद हन्नून ने इस फैसले को 'सियासी हमला' क़रार देते हुए कहा: इटली सिहियोनी हुकूमत की नस्लकुशी और जंगी जुर्मों में शरीक है। उन्होंने कहा: इटली के हथियार ग़ज़्ज़ा के निहत्ते लोगों के क़त्ले आम में इस्तेमाल हो रहे हैं। जो लोग इन ज़ुल्मों को बेनक़ाब करते हैं उन्हें मुजरिम कहा जा रहा है, जबकि क़ातिलों को तहज़ीब का मुहाफिज़ कहा जा रहा है।
मोहम्मद हन्नून कई बरसों से इटली में फ़िलिस्तीन के हक़ में सरगर्म तहरीकों, सक़ाफ़ती प्रोग्रामों और अवामी आगाही (जन-जागरूकता) मुहिमों में मशहूर हैं। वे फ़िलिस्तीनी अवाम के ख़िलाफ़ इस्राईली नस्ली इम्तियाज़ और क़ब्ज़े की पॉलिसियों की सख़्त मुख़ालिफ़त के लिए भी जाने जाते हैं।













