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शहीद हसन नसरुल्लाह की अंतिम यात्रा, बग़दाद में रहेगा सार्वजनिक अवकाश
लेबनान के लोकप्रिय जनांदोलन हिज़्बुल्लाह के पूर्व महासचिव शहीद सय्यद हसन नसरुल्लाह की अंतिम यात्रा पर दुनिया भर की निगाहें हैं। मिडिल ईस्ट में इस अभूतपूर्व अवसर पर अजीब सा माहौल है और उसी के मद्देनज़र क्षेत्रीय देशों में भी ग़म और उदासी का माहौल है। इराक की राजधानी बग़दाद में इस दिन सार्वजनिक अवकाश घोषित किया गया है।
बगदाद के गवर्नर अब्दुल मुत्तलिब अलवी ने अगले रविवार को प्रांत में सरकारी कार्यालयों को बंद करने का आदेश दिया है, जो लेबनान के हिज़्बुल्लाह के पूर्व महासचिव शहीद सय्यद हसन नसरुल्लाह के अंतिम संस्कार का दिन है।
गवर्नर हाउस की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि यह बंद सय्यद हसन नसरल्लाह के अंतिम संस्कार के दिन उनके प्रति सम्मान और प्रशंसा के प्रतीक के रूप में किया जा रहा है।
दिल्ली दंगा, एक ही केस में कई को बेल, उमर को फिर जेल
दिल्ली के आरोप में लंबे समय से बिना किसी जमानत के जेल मे बंद JNU के पूर्व छात्र अध्यक्ष उमर खालिद को गुरुवार को दिल्ली दिल्ली हाई कोर्ट में एक बार फिर कोई राहत नहीं मिली।
उमर खालिद ने गुरुवार को दिल्ली दिल्ली हाई कोर्ट में दलील दी कि किसी व्हाट्सऐप ग्रुप में उनकी मौजूदगी मात्र से उनके खिलाफ कोई आपराधिक मामला दर्ज करने की बुनियाद नहीं हो सकती है, न ही किसी तरह का विरोध-प्रदर्शन करने या बैठकों में हिस्सा लेने को आतंकवाद माना जा सकता है, लेकिन उनके मामले में पुलिस ऐसा ही मानती है।
खालिद के वकील ने अपने मुवक्किल के लिए जमानत की अपील करते हुए अभियोजन पक्ष के इस दावे की मुखालफत की कि खालिद ने स्टूडेंट्स को जमा करने और भड़काने और 'विघटनकारी' चक्का जाम की प्लानिंग करने के लिए व्हाट्सऐप पर 'सांप्रदायिक' ग्रुप बनाए थे.। वकील ने कहा कि उमर खालिद ऐसे किसी ग्रुप का एक्टिव मेंबर भी नहीं रहा। खालिद को जबरन ग्रुप में जोड़ा गया, उसने ग्रुप में एक भी संदेश पोस्ट नहीं किया ना कोई चैट की। वकील ने कहा, “मेरे मुवक्किल के खिलाफ यूएपीए के तहत कोई अपराध नहीं बनता है। पुलिस विरोध-प्रदर्शन और बैठक में हिस्सा लेने को ही आतंकवाद के बराबर बता रही है। उमर खालिद के वकील ने कहा कि सह-आरोपी देवांगना कालिता और नताशा भी ऐसे सोशल ग्रुप का हिस्सा थे और उन पर हिंसा में “कहीं ज्यादा गंभीर इल्ज़ाम ” थे, लेकिन उन्हें मामले में जमानत दे दी गई।
कुशीनगर के बाद गोरखपुर में मस्जिद को गिराने के आदेश
उत्तर प्रदेश की भाजपा नीत सरकार में एक बार फिर मुस्लिमों और उनके पवित्र स्थलों को निशाना बनाने की मुहिम तेज़ हो गयी है। ताज़ा घटनाक्रम मे कुशीनगर के बाद अब गोरखपुर में एक मस्जिद को गिराने के आदेश जारी किये गए हैं। विकास प्राधिकरण ने मस्जिद को गिराने के लिए 15 दिनों की डेडलाइन दी है। अथॉरिटी का कहना है कि मस्जिद को बिना नक्शा पास कराए बनाया गया था। 15 फरवरी को ही प्राधिकरण ने मस्जिद के दिवंगत मुतवल्ली के बेटे शुएब अहमद के नाम पर नोटिस जारी किया था।
ईरान मकरान से हिन्द महासागर तक करेगा युद्धाभ्यास
ईरान कल से ही मकरान के तट से लेकर ओमान सागर और उत्तरी हिन्द महासागर तक जुल्फिकार 2025 संयुक्त सैन्य अभ्यास शुरू करेगा।
इस युद्धाभ्यास के कमांडर रियर एडमिरल हबीबुल्लाह सय्यारी ने कहा कि जुल्फिकार 2025 के नाम से होने वाला यह संयुक्त सैन्य अभ्यास कल शुरू होगा, और अभ्यास क्षेत्र के दायरे में मकरान तट, ओमान सागर और उत्तरी हिंद महासागर 10 डिग्री अक्षांश तक शामिल होंगे।
उन्होंने कहा: "ज़ुल्फ़िकार 12025 अभ्यास में, जमीनी बलों, वायु रक्षा, सामरिक नौसेना और संयुक्त वायु रक्षा मुख्यालय की कुछ क्षमताओं का प्रदर्शन किया जाएगा। सय्यारी ने आगे कहा कि कोई भी दुश्मन जो यह सोचता है कि वह जमीन, हवा और समुद्र में हमारे हितों को नुकसान पहुंचा सकता है, उसे निश्चित रूप से बहुत नुकसान होगा।
ईरान की सशस्त्र सेना के Chief of the General Staff की चेतावनीः
ईरान की सशस्त्र सेना के Chief of the General Staff मोहम्मद बाक़ेरी ने कहा है कि अगर ईरान की सुरक्षा के लिए चुनौती व ख़तरा उत्पन्न किया गया तो पूरे दक्षिण पश्चिम एशिया की सुरक्षा, असुरक्षा व अशांति के ज़िम्मेदारों और उनके समर्थकों की सुरक्षा ख़तरे में पड़ जायेगी और वे शांति नहीं देखेंगे।
कमांडर इन चीफ़ जनरल मोहम्मद बाक़ेरी ने "पयाम्बरे आज़म स. 19" नामक सिपाहे पासदारान की थल सेना के सैन्य अभ्यास की समाप्ति पर बल देकर कहा कि इस्लामी गणतंत्र ईरान की सशस्त्र सेनायें पूरी तरह तैयार हैं और दुश्मन द्वारा हर प्रकार की ग़लती की स्थिति में ज़ायोनी सरकार की शांति और जिन लोगों ने उसे हथियारों से लैस किया और जो लोग उसके कार्यक्रमों के बनाने में शामिल थे उन सबकी शांति ख़तरे में पड़ जायेगी।
इर्ना के हवाले से बताया है कि ईरान की सशस्त्र सेना के Chief of the General Staff मोहम्मद बाक़ेरी ने बल देकर कहा कि ईरान की सशस्त्र सेनायें पूरी तरह आक्रमक स्थिति में हैं और किसी प्रकार के अंतराल के बिना अति उत्तम गुणवत्ता वाली मिसाइलों का उत्पाद व निर्माण भी जारी है।
इसी प्रकार उन्होंने बल देकर कहा कि अमेरिका अपराधी द्वारा अतिग्रहणकारी और बच्चों की हत्यारी ज़ायोनी सरकार को हथियारों से लैस करना और उसका समर्थन और इस सरकार द्वारा ईरान को धमकी देना कोई नई बात नहीं है और ग़ज़्ज़ा पट्टी में नस्ली सफ़ाये के लिए बच्चों की हत्यारी ज़ायोनी सरकार को हथियारों से लैस करने से अमेरिका की धूर्तता और पाखंड पहले से अधिक स्पष्ट हो गया है।
ईरान की सशस्त्र सेना के Chief of the General Staff मोहम्मद बाक़ेरी ने ईरान की सशस्त्र सेना की विभिन्न इकाईयों में ड्रोन विमानों के विस्तृत पैमाने पर कार्यक्रमों और प्रयोगों की ओर संकेत करते हुए कहा कि सिपाहे पासदारान और सेना को समय और ज़रूरत के हिसाब से ड्रोन विमानों से लैस किया जा रहा है।
ज्ञात रहे कि सिपाहे पासदारान आईआरजीसी की थल सेना के सैन्य अभ्यास का दूसरा चरण मंगलवार को ईरान के दक्षिण पश्चिम में आरंभ हुआ था। इस सैन्य अभ्यास में युद्ध की विभिन्न शैलियों और नये हथियारों का भी इस्तेमाल किया गया।
इसी प्रकार इस सैन्य अभ्यास में "मुहाजिर 10" नामक कई ड्रोनों को सिपाहे पासदारान की थल सेना में शामिल कर दिया गया और "क़ायेम 118" मिसाइलों और "गिलालेह" नामक ड्रोन का अनावरण किया गया।
ईरान का फैसला ट्रम्प नहीं हम खुद करेंगे: डॉ. मसूद पीज़िशक्यान
ईरान के राष्ट्रपति डॉ. मसूद पीज़िशक्यान ने एक बार फिर साफ शब्दों मे कहा है कि ईरान का फैसला ईरानी जनता करेगी अमेरिकी शासक नहीं । उन्होंने कहा कि ईरान हमेशा बातचीत के लिए तैयार है, लेकिन यह वार्ता किसी भी कीमत पर नहीं होगी। यह संभव नहीं है कि कोई हम पर दबाव डाले और फिर हमें बातचीत के लिए आमंत्रित करे।
डॉ. मसूद पीज़िशक्यान ने कहा कि ट्रम्प ने पिछले समझौतों को नकार दिया और कहा कि हमें उनकी शर्तों का पालन करना होगा। हालांकि हमने अपने वादे पूरे किये, जबकि ज़ायोनी सरकार इस क्षेत्र में खुलेआम अत्याचार कर रही है।
ज़ायोनी आक्रामकता की ओर इशारा करते हुए डॉ. मसूद पीज़िशक्यान ने कहा कि कोई भी जागरूक और कर्तव्यनिष्ठ व्यक्ति गज़्ज़ा, लेबनान और फिलिस्तीन में ज़ायोनी सेना की कार्रवाई को स्वीकार नहीं कर सकता। आश्चर्य की बात यह है कि मानवाधिकारों को ढिंढोरा पीटने वाले संयुक्त राज्य अमेरिका और यूरोपीय देश न केवल ज़ायोनी शासन का समर्थन कर रहे हैं, बल्कि उसे हथियार और सैन्य उपकरण भी मुहैया करा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि संयुक्त राज्य अमेरिका और यूरोप में युवा लोग ज़ायोनी राष्ट्र की कार्रवाइयों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं, जो दर्शाता है कि विश्व स्तर पर जागरूकता बढ़ रही है।
राष्ट्रपति पीज़िशक्यान ने मुस्लिम एकता की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि यदि संपूर्ण मुस्लिम जगत एकजुट हो जाए तो अहंकारी शक्तियां उन पर इस हद तक अपना प्रभुत्व नहीं जमा पाएंगी। हम आपस में ही लड़ रहे हैं।
इराकी जनता वर्तमान अवसरों का लाभ उठाएं और अपने समुदाय के लिए बेहतर भविष्य बनाए
सद्दाम हुसैन के शासन के पतन के बाद, शिया और सुन्नी दोनों की शक्तियों की एकता का मार्ग प्रशस्त हुआ। इन शक्तियों का उद्देश्य तानाशाही शासन के खिलाफ प्रतिरोध करना है। इराकी जनता वर्तमान अवसरों का लाभ उठाएं और अपने समुदाय के लिए बेहतर भविष्य बनाए।
नजफ अशरफ के प्रमुख विद्वान आयतुल्ला सय्यद यासीन मूसवी ने वर्तमान समय में इराकियों के लिए उपलब्ध अवसरों के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि ये अवसर शायद फिर से न मिलें। उन्होंने अमीरुल मोमिनीन अली बिन अबी तालिब (अ) की एक कहावत का उल्लेख किया, जिसमें कहा गया है: "अवसरों को ग़नीमत समझो क्योंकि वे तेजी से गुजर जाते हैं।"
आयतुल्लाह मूसवी ने कहा कि ऐसे अवसर इराक के इतिहास में केवल थोड़े समय के लिए उपलब्ध रहे हैं, जैसे कि राजशाही का दौर और कुछ समय के लिए गणतंत्र का दौर। लेकिन कम्युनिस्टों के सत्ता में आने और इराक पर हुए बड़े अत्याचारों के कारण ये अवसर समाप्त हो गए। कई इराकी, विशेषकर युवा पीढ़ी, उस दौर का अनुभव नहीं कर पाई जब सीखने और स्वतंत्रता से विचार व्यक्त करने के अवसर थे।
क्षेत्र में इस्लामी क्रांति के प्रभाव की चर्चा करते हुए इराक के इस विद्वान ने कहा कि यह एक महत्वपूर्ण मोड़ था जिसने इराक, सीरिया, लेबनान और अन्य अरब देशों की जनता को प्रेरित किया। उन्होंने वर्तमान इराक को "प्रतिरोध के ध्रुव का युग" बताया और कहा कि सद्दाम हुसैन के शासन के पतन के बाद, शिया और सुन्नी दोनों की शक्तियों की एकता का मार्ग प्रशस्त हुआ। इन शक्तियों का उद्देश्य तानाशाही शासन के खिलाफ प्रतिरोध करना है।
उन्होंने आगे कहा कि आज दुनिया में शक्ति का मुखिया अमेरिका है, लेकिन ईरान एकमात्र ऐसा देश है जिसने अपनी स्वतंत्रता को बनाए रखा है और अमेरिकी आतकंवाद का सामना किया है।
आयतुल्लाह मुसवी ने ईरान की भूमिका पर भी प्रकाश डाला, जिसमें उन्होंने कहा कि ईरान ने कमजोर देशों की रक्षा करने और मोमिन राष्ट्रों को स्वतंत्रता दिलाने में मदद की है।
उन्होंने यह भी बताया कि ईरान का नेतृत्व, वली फकीह के रूप में, इमाम महदी (अ) की आम प्रतिनिधित्व की जिम्मेदारी निभाता है और इसका उद्देश्य उम्मत को न्याय और स्वतंत्रता की ओर मार्गदर्शन करना है।
आयतुल्लाह मूसवी ने इराकी जनता से अपील की कि वे वर्तमान अवसरों का लाभ उठाएं और अपने समुदाय के लिए एक बेहतर भविष्य बनाने के लिए प्रयास करें।
उन्होंने हाजी कासिम सुलेमानी द्वारा स्थापित एक मजबूत ध्रुव का जिक्र किया जो अमेरिकी लोगों में डर पैदा करता था। उन्होंने कहा कि अगर प्रतिरोध ध्रुव टूट जाता है, तो अमेरिकी हमारे साथ अपमानजनक व्यवहार करेंगा और हमारे देश की स्वतंत्रता का उल्लंघन करेंगा।
हौज़ा इल्मिया नजफ़ के विद्वान ने अंत में कहा कि इस दौर में हमने कई महान व्यक्तित्व खो दिए हैं, जिनमें सय्यद हसन नसरुल्लाह सबसे प्रमुख हैं। लेकिन हम कहते हैं कि हमने सय्यद को नहीं खोया क्योंकि वह मरे नहीं हैं; वह हमारे साथ हैं और हिज्बुल्लाह सय्यद शहीद के अंतिम संस्कार के बाद पहले से अधिक मजबूत होगा।
इजरायल में कई बसों में बम धमाके सभी सेवाएं बंद
इजरायल के तेल अवीव शहर में तीन बसों में एक के बाद एक जोरदार धमाके इन धमाकों में किसी के हताहत होने की खबर नहीं है इजरायली पुलिस इसे आतंकी हमला मान रही है।
एक रिपोर्ट के अनुसार ,इजरायल के तेल अवीव शहर में तीन बसों में एक के बाद एक जोरदार धमाके इन धमाकों में किसी के हताहत होने की खबर नहीं है इजरायली पुलिस इसे आतंकी हमला मान रही है।
ये धमाके बाट याम में हुए हैं पुलिस का कहना है कि उन्होंने दो अन्य बसों में भी लगे विस्फोटकों को निष्क्रिय कर दिया इन हमलों के बाद परिवहन मंत्री मीरी रेगव ने देश में सभी बसों, ट्रेनों और लाइट रेल ट्रेन सेवाएं रोक दी हैं ताकि विस्फोटक डिवाइसों की जांच की जा सके।
इजरायली रक्षा मंत्री काट्ज ने आईडीएफ को आदेश दिए हैं कि वेस्ट बैंक स्थित शरणार्थी शिविरों में सक्रियता बढ़ा दी जाए इन हमलों की जांच के लिए आईडीएफ और शिन बैट मिलकर काम कर रही है।
सुअर का गोश्त क्यों हराम है
- सूअर के मांस का कुरआन में निषेध कुरआन में कम से कम चार जगहों पर सूअर के मांस के प्रयोग को हराम और निषेध ठहराया गया है। देखें पवित्र कुरआन 2:173, 5:3, 6:145 और 16:115 पवित्र कुरआन की निम्र आयत इस बात को स्पष्ट करने के लिए काफी है कि सूअर का मांस क्यों हराम किया गया है: ''तुम्हारे लिए (खाना) हराम (निषेध) किया गया मुर्दार, खून, सूअर का मांस और वह जानवर जिस पर अल्लाह के अलावा किसी और का नाम लिया गया हो। (कुरआन, 5:3)
- बाइबल में सूअर के मांस का निषेध ईसाइयों को यह बात उनके धार्मिक ग्रंथ के हवाले से समझाई जा सकती है कि सूअर का मांस हराम है। बाइबल में सूअर के मांस के निषेध का उल्लेख लैव्य व्यवस्था (Book of Leviticus) में हुआ है : ''सूअर जो चिरे अर्थात फटे खुर का होता है, परन्तु पागुर नहीं करता, इसलिए वह तुम्हारे लिए अशुद्ध है। '' इनके मांस में से कुछ न खाना और उनकी लोथ को छूना भी नहीं, ये तुम्हारे लिए अशुद्ध हैं। (लैव्य व्यवस्था, 11/7-8) इसी प्रकार बाइबल के व्यवस्था विवरण (Book of Deuteronomy) में भी सूअर के मांस के निषेध का उल्लेख है : ''फिर सूअर जो चिरे खुर का होता है, परंतु पागुर नहीं करता, इस कारण वह तुम्हारे लिए अशुद्ध है। तुम न तो इनका मांस खाना और न इनकी लोथ छूना। (व्यवस्था विवरण, 14/8)
- सूअर का मांस बहुत से रोगों का कारण है ईसाइयों के अलावा जो अन्य गैर-मुस्लिम या नास्तिक लोग हैं वे सूअर के मांस के हराम होने के संबंध में बुद्धि, तर्क और विज्ञान के हवालों ही से संतुष्ट हो सकते हैं। सूअर के मांस से कम से कम सत्तर विभिन्न रोग जन्म लेते हैं। किसी व्यक्ति के शरीर में विभिन्न प्रकार के कीड़े (Helminthes) हो सकते हैं, जैसे गोलाकार कीड़े, नुकीले कीड़े, फीता कृमि आदि। सबसे ज्य़ादा घातक कीड़ा Taenia Solium है जिसे आम लोग Tapworm (फीताकार कीड़े) कहते हैं। यह कीड़ा बहुत लंबा होता है और आँतों में रहता है। इसके अंडे खून में जाकर शरीर के लगभग सभी अंगों में पहुँच जाते हैं। अगर यह कीड़ा दिमाग में चला जाता है तो इंसान की स्मरणशक्ति समाप्त हो जाती है। अगर वह दिल में चला जाता है तो हृदय गति रुक जाने का कारण बनता है। अगर यह कीड़ा आँखों में पहुँच जाता है तो इंसान की देखने की क्षमता समाप्त कर देता है।
अगर वह जिगर में चला जाता है तो उसे भारी क्षति पहुँचाता है। इस प्रकार यह कीड़ा शरीर के अंगों को क्षति पहुँचाने की क्षमता रखता है। एक दूसरा घातक कीड़ा Trichura Tichurasis है। सूअर के मांस के बारे में एक भ्रम यह है कि अगर उसे अच्छी तरह पका लिया जाए तो उसके भीतर पनप रहे उपरोक्त कीड़ों के अंडे नष्ट हो जाते हैंं। अमेरिका में किए गए एक चिकित्सीय शोध में यह बात सामने आई है कि चौबीस व्यक्तियों में से जो लोग Trichura Tichurasis के शिकार थे, उनमें से बाइस लोगों ने सूअर के मांस को अच्छी तरह पकाया था। इससे मालूम हुआ कि सामान्य तापमान में सूअर का मांस पकाने से ये घातक अंडे नष्ट नहीं हो पाते।
4.सूअर के मांस में मोटापा पैदा करने वाले तत्व पाए जाते हैं सूअर के मांस में पुट्ठों को मज़बूत करने वाले तत्व बहुत कम पाए जाते हैं, इसके विपरीत उसमें मोटापा पैदा करने वाले तत्व अधिक मौजूद होते हैं। मोटापा पैदा करने वाले ये तत्व $खून की नाडिय़ों में दाखिल हो जाते हैं और हाई ब्लड् प्रेशर (उच्च रक्तचाप) और हार्ट अटैक (दिल के दौरे) का कारण बनते हैं। इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि पचास प्रतिशत से अधिक अमेरिकी लोग हाइपरटेंशन (अत्यन्त मानसिक तनाव) के शिकार हैं। इसका कारण यह है कि ये लोग सूअर का मांस प्रयोग करते हैं।
- सूअर दुनिया का सबसे गंदा और घिनौना जानवर है सूअर ज़मीन पर पाया जाने वाला सबसे गंदा और घिनौना जानवर है। वह इंसान और जानवरों के बदन से निकलने वाली गंदगी को सेवन करके जीता और पलता-बढ़ता है। इस जानवर को खुदा ने धरती पर गंदगियों को साफ करने के उद्देश्य से पैदा किया है। गाँव और देहातों में जहाँ लोगोंं के लिए आधुनिक शौचालय नहीं हैं और लोग इस कारणवश खुले वातावरण (खेत, जंगल आदि) में शौच आदि करते हैं, अधिकतर यह जानवर सूअर ही इन गंदगियों को सा$फ करता है। कुछ लोग यह तर्क प्रस्तुत करते हैं कि कुछ देशों जैसे आस्ट्रेलिया में सूअर का पालन-पोषण अत्यंत सा$फ-सुथरे ढ़ंग से और स्वास्थ्य सुरक्षा का ध्यान रखते हुए अनुकूल माहौल में किया जाता है। यह बात ठीक है कि स्वास्थ्य सुरक्षा को दृष्टि में रखते हुए अनुकूल और स्वच्छ वातावरण में सूअरों को एक साथ उनके बाड़े में रखा जाता है। आप चाहे उन्हें स्वच्छ रखने की कितनी भी कोशिश करें लेकिन वास्तविकता यह है कि प्राकृतिक रूप से उनके अंदर गंदगी पसंदी मौजूद रहती है। इसीलिए वे अपने शरीर और अन्य सूअरों के शरीर से निकली गंदगी का सेवन करने से नहीं चुकते। 6. सूअर सबसे बेशर्म (निर्लज्ज) जानवर है इस धरती पर सूअर सबसे बेशर्म जानवर है। केवल यही एक ऐसा जानवर है जो अपने साथियों को बुलाता है कि वे आएँ और उसकी मादा के साथ यौन इच्छा पूरी करें। अमेरिका में प्राय: लोग सूअर का मांस खाते हैं परिणामस्वरूप कई बार ऐसा होता है कि ये लोग डांस पार्टी के बाद आपस में अपनी बीवियों की अदला-बदली करते हैं अर्थात् एक व्यक्ति दूसरे से कहता है कि मेरी पत्नी के साथ तुम रात गुज़ारो और तुम्हारी पत्नी के साथ में रात गुज़ारूँगा (और फिर वे व्यावहारिक रूप से ऐसा करते हैं) अगर आप सूअर का मांस खाएँगे तो सूअर की-सी आदतें आपके अंदर पैदा होंगी। हम भारतवासी अमेरिकियों को बहुत विकसित और साफ-सुथरा समझते हैं। वे जो कुछ करते हैं हम भारतवासी भी कुछ वर्षों के बाद उसे करने लगते हैं।
Island पत्रिका में प्रकाशित एक लेख के अनुसार पत्नियों की अदला-बदली की यह प्रथा मुम्बई के उच्च और सम्पन्न वर्गों के लोगों में आम हो चुकी है।
पड़ोसी देशो के साथ संबंधों में विस्तार, ईरान की स्थायी नीति है
हज़रत आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने बुधवार 19 फ़रवरी 2025 की शाम को क़तर के अमीर शेख़ तमीम बिन हमद बिन ख़लीफ़ा आले सानी और उनके साथ आने वाले प्रतिनिधिमंडल से मुलाक़ात में कहां पड़ोसी देशो के साथ संबंधों में विस्तार को ईरान की स्थायी नीति है।
,एक रिपोर्ट के अनुसार ,हज़रत आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने बुधवार 19 फ़रवरी 2025 की शाम को क़तर के अमीर शेख़ तमीम बिन हमद बिन ख़लीफ़ा आले सानी और उनके साथ आने वाले प्रतिनिधिमंडल से मुलाक़ात में कहां पड़ोसी मुल्कों के साथ संबंधों में विस्तार को ईरान की स्थायी नीति है।
आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने कहा कि जनाब पेज़ेश्कियान की घोषित नीतियों में से एक पड़ोसी मुल्कों के साथ संबंधों में विस्तार है और अल्लाह की कृपा से इस क्षेत्र में अच्छे क़दम उठाए गए हैं और कामयाबी भी मिली है और सम्मानीय विदेश मंत्री जनाब इराक़ची भी इस दिशा में सक्रिय हैं।
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने उम्मीद जतायी कि तेहरान में हुयी सहमति दोनों मुल्कों के हित में होगी और दोनों पक्ष पड़ोसी होने के अपने कर्तव्यों पर पहले से ज़्यादा अमल कर सकेंगे।
आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने इस मुलाक़ात में क्षेत्रीय मुद्दों पर क़तर के अमीर के बयान की ओर इशारा करते हुए कहा कि हम क़तर को दोस्त और बंधु मुल्क समझते हैं, अगरचे कुछ अस्पष्ट मुद्दे जैसे दक्षिण कोरिया से क़तर पहुंची ईरान की बक़ाया राशि को लौटाने जैसे कुछ मुद्दे अभी भी बाक़ी हैं और हम जानते हैं कि इस संबंध में हुयी सहमति की राह में मुख्य रुकावट अमरीका है।
उन्होंने कहा कि अगर हम क़तर की जगह होते तो अमरीका के दबाव को कोई अहमियत न देते और सामने वाले पक्ष की बक़ाया राशि लौटा देते और हमें क़तर से भी ऐसे ही क़दम की उम्मीद है।
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने बल दिया कि अमरीकी राष्ट्रपतियों में कोई अंतर नहीं है।
इस मुलाक़ात में कि जिसमें राष्ट्रपति जनाब पेज़ेश्कियान भी मौजूद थे, क़तर के अमीर शैख़ तमीम बिन हमद बिन ख़लीफ़ा आले सानी ने इस्लामी इंक़ेलाब के नेता से मुलाक़ात पर ख़ुशी जताते हुए फ़िलिस्तीनी जनता सहित दुनिया के पीड़ितों के सपोर्ट में इस्लामी गणराज्य के स्टैंड को सराहा और इस्लामी इंक़ेलाब के नेता से कहा कि फ़िलिस्तीनी जनता के प्रति जनाब के दृढ़ता भरे सपोर्ट को कभी भी भुलाया नहीं जा सकता।
क़तर के शासक ने क्षेत्र के ख़ास और कठिन हालात की ओर इशारा करते हुए, इन हालात में क्षेत्रीय देशों के बीच ज़्यादा सहयोग को ज़रूरी बाताया।
जनाब शैख़ तमीम बिन हमद बिन ख़लीफ़ा आले सानी ने इसी तरह ईरान और क़तर के बीच हुयी सहमतियों की ओर, जिसमें दोनों मुल्कों के बीच समुद्री टनल का निर्माण शामिल है, इशारा करते हुए कहा कि सहमति के मुताबिक़, दोनों मुल्कों के आयोग जल्द ही अपना काम शुरू कर देंगे और निकट भविष्य में आर्थिक लेन-देन का स्तर बढ़ जाएगा।