ईरान की राजधानी तेहरान में पैग़म्बरे इस्लाम के परिजनों से प्रेम करने वाले और तकफ़ीरी समस्या शीर्षक के अंतर्गत एक अंतर्राष्ट्रीय कांफ़्रेंस बुधवार को आरंभ हुई जिसमें दुनिया भर के लगभग पांच सौ बुद्धिजीवियों और प्रसिद्ध हस्तियों ने भाग।
यह इस प्रकार की पहली कांफ़्रेंस तेहरान में आयोजित हुई है जिसके लक्ष्यों में से एक लक्ष्य, दुनिया भर के मुसलमानों के बीच एकता पैदा करना है। यहां पर इस बात उल्लेख आवश्यक है कि ईरान में मुसलमानों के बीच एकता पैदा करने के लिए एकता सप्ताह के अवसर पर भी अंतर्राष्ट्रीय कांफ़्रेंस आयोजित होती है।
सुन्नी मुसलमान 12 रबीउल अव्वल जबकि शीया मुसलमान 17 रबीउल अव्वल को पैग़म्बरे इस्लाम हज़रत मोहम्मद मुस्तफ़ा सल्लल्लाहो अलैहि व आलेही व सल्लम का जन्म दिवस मनाते हैं। वर्षों पहले ईरान की इस्लाम क्रांति के संस्थापक स्वर्गीय इमाम ख़ुमैनी ने इस्लामी जगत में एकता का नारा लगाया और उन्होंने इस बात का प्रयोग मुसलमानों तथा विभिन्न संप्रदायों को एक दूसरे से निकट लाने के लिए किया और इन दोनों तारीख़ों के मध्य अंतर को मुसलमानों के मध्य “हफ्तये वहदत” अर्थात एकता सप्ताह के रूप में मनाये जाने की घोषणा की।
यह सप्ताह इस्लामी जगत में विशेषकर इस समय एकता व एकजुटता की आवश्यकता को बयान करने का बेहतरीन अवसर है क्योंकि इस समय दुनिया विशेषकर इस्लामी जगत को संकटों व समस्याओं का सामना है और एकता व एकजुटता से बहुत सी समस्याओं का समाधान किया जा सकता है।
अब यहां पर प्रश्न यह उठता है कि जब ईरान में एकता सप्ताह की कांफ़्रेंस हर वर्ष होती है कि इस कांफ़्रेंस के आयोजन के पीछे क्या लक्ष्य है। इसका जवाब कांफ़्रेंस में गये रेडियो तेहरान के प्रतिनिधि अख़्तर रिज़वी ने कांफ़्रेंस में भाग लेने वालों से पूछा तो उनका कहना था कि लक्ष्य की दृष्टि से दोनों कांफ़्रेंस के लक्ष्य एक ही हैं किन्तु मुसलमानों के बीच एकता पैदा करना इस कांफ़्रेंस का एक लक्ष्य है जबकि इस कांफ़्रेंस के दूसरे भी लक्ष्य हैं जिसको कांफ़्रेंस के दौरान दुनिया भर से आए बुद्धिजीवियों और धर्मगुरुओं से बातचीत के माध्यम से प्राप्त किया जाएगा।
कांफ़्रेंस में शामिल सुन्नी समुदाय के धर्मगुरु ने कहा कि मुसलमानों के बीच एकता पैदा करने के लिए ईरान के इस क़दम का हम स्वागत करते हैं और हम दुनिया के अन्य मुस्लिम देशों से भी यह अपील करते हैं कि वह ईरान का अनुसरण करते हुए अपने अपने देशों में भी मुसलमानों के बीच एकता को मजब़ूत करने के लिए कांफ़्रेंस आयोजित करें। उनका कहना था कि आज के दौर में मुसलमानों के बीच एकता सबसे महत्वपूर्ण ज़रूरत बन गयी है।
उल्लेखनीय है कि पाकिस्तान के जमीअते उलमा फ़ज़लुर्रहमान गुट के प्रतिनिधि ने कांफ़्रेंस में भाषण देते हुए कहा कि मैं ईरान से बहुत दूर था और मैं ईरान से घृणा करता था किन्तु यहां आने के बाद मेरा दृष्टिकोण पूरी तरह बदल गया। मैं ईरानियों को अपना दुश्मन समझता था किन्तु जिस प्रकार उन्होंने हमारा और दूसरे सुन्नी मुसलमान धर्मगुरुओं का स्वागत किया और उनका सम्मान किया, मैं देखकर आश्चर्यचकित रह गया।