इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने कहा है कि चालीस वर्ष बीत जाने के बाद आज ईरान की इस्लामी क्रांति न केवल यह कि बूढ़ी नहीं हुई बल्कि यह उसके यौवन का काल है।
वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनई ने बुधवार को पवित्र नगर मशहद में पैगम्बरे इस्लाम के पौत्र इमाम रज़ा अलैहिस्सलाम के रोज़े पर श्रद्धालुओं के मध्य अपने एक भाषण में ईरान की इस्लामी क्रांति के मूल सिद्धान्तों, स्वाधीनता, आज़ादी , प्रजातंत्र, आत्मविश्वास, न्याय और सब से महत्वपूर्ण इस्लामी शिक्षाओं के पालन पर बल दिया और कहा कि यह सारे सिद्धान्त और नारे पूरी ताज़गी के साथ सुरक्षित हैं।
वरिष्ठ नेता ने कहा कि ईरान पर 200 वर्षों तक विदेशियों का वर्चस्व था इस लिए देश की जनता की सब से बड़ी इच्छा, स्वाधीनता थी और आज हम यह कह सकते हैं कि आज दुनिया के किसी राष्ट्र के पास, ईरानी राष्ट्र की तरह स्वाधीनता नहीं है।
इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने ईरान के बारे में विश्व बैंक की ओर से जारी किये गये कुछ आंकड़े पेश करते हुए, ईरान में क्रांति की सफलता के बाद होने वाली प्रगति का उल्लेख किया और सामाजिक न्याय के क्षेत्र में देश में किये गये कामों का उल्लेख करते हुए कहा कि इस्लामी गणतंत्र ईरान ने बेहद दबाव के बावजूद सामाजिक न्याय स्थापना के क्षेत्र में बड़े काम किये हैं और अच्छी तरक़्क़ी है लेकिन हमें जिस की आशा है वह वर्तमान स्थिति से अधिक है।
वरिष्ठ नेता ने ईरानी नववर्ष के नारे " ईरानी उत्पाद का समर्थन " का उल्लेख करते हुए इस नारे के विभिन्न आयामों को स्पष्ट किया।
वरिष्ठ नेता ने क्षेत्रीय परिवर्तनों का उल्लेख करते हुए कहा कि पिछले वर्ष इस्लामी गणतंत्र ईरान ने ईरानी राष्ट्र की ताक़त की पताका क्षेत्र में लहरायी और तकफीरी आतंकवाद की कमर तोड़ने में मुख्य भूमिका निभाई ।
नौरोज़ के अवसर पर वरिष्ठ नेता का पूरा संदेश पढ़ने के लिए क्लिक करेंः नौरोज़ के अवसर पर इस्लामी क्रान्ति के वरिष्ठ नेता का संबोधन, नए साल का नारा 'ईरानी उत्पाद का समर्थन'
वरिष्ठ नेता ने कहा कि इस्लामी गणतंत्र ईरान इलाक़े में अमरीकी साज़िशों को नाकाम बनाने में सफल रहा है जो दाशइ को अस्तित्व में लाकर ज़ायोनी शासन से लोगों का ध्यान हटाना और इलाक़े के लोगों को एक दूसरे से भिड़ाने का प्रयास कर रहा था।
वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनई ने कहा कि हम ने इलाक़े की जो भी मदद की है वह तार्किक कारणों और सूझ बूझ पर आधारित थी और किसी भी रूप में भावनात्मक नहीं थी, हमें कामयाबी मिली लेकिन हमारा इरादा किसी भी देश में दखल देने का नहीं था, हम जहां भी गये उस देश की सरकार की इच्छा के अनुसार गये।
वरिष्ठ नेता ने कहा कि इस क्षेत्र में अमरीका की इच्छा कभी पूरी नहीं होगी और हमारे उद्देश्य ज़रूर पूरे होंगे।