भागवत के सहारे विपक्ष ने साधा निशाना, हिंसा में झुलस रहे मणिपुर का दौरा करें मोदी

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भागवत के सहारे विपक्ष ने साधा निशाना, हिंसा में झुलस रहे मणिपुर का दौरा करें मोदी

पिछले लगभग एक साल से हिंसा का सामना कर रहे मणिपुर को लेकर केंद्र सरकार और खुद नरेंद्र मोदी ने उदासीन रवैया अपना रखा है जिस पर संघ प्रमुख मोहन भगवत ने भी अपने हालिया बयान में कड़ा रुख अपनाते हुए केंद्र सरकार औरखास कर मोदी को नसीहत दी है।

भागवत ने एक दिन पहले कहा था कि मणिपुर एक साल से शांति की राह देख रहा है और हिंसाग्रस्त राज्य की स्थिति पर प्राथमिकता से विचार करना चाहिए।

अब विपक्षी दलों ने उनके बयान के सहारे फिर से प्रधानमंत्री को घेरते हुए कहा की उन्हें भागवत की बात पर कान धरने चाहिए। विपक्षी दलों ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मणिपुर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत की सलाह पर ध्यान देना चाहिए। उन्हें मणिपुर का दौरा करना चाहिए जहां एक साल से अधिक समय से हिंसा हो रही है।

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि शायद मोहन भागवत के बयान के बाद अब पीएम मोदी मणिपुर का दौरा करें। उन्होंने सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा, अगर एक तिहाई प्रधानमंत्री की अंतरात्मा या मणिपुर के लोगों की बार-बार की मांग को नहीं गया है तो शायद भागवत पूर्व आरएसएस पदाधिकारी को मणिपुर जाने के लिए जारी कर सकते हैं। उन्होंने आगे लिखा, याद कीजिए 22 साल पहले वाजपेयी ने मोदी से राजधर्म निभाने को कहा था।

निर्दलीय सांसद कपिल सिब्बल ने कहा, विपक्ष की सलाह पर ध्यान देना पीएम मोदी के डीएनए में नहीं है, लेकिन उन्हें आरएसएस प्रमुख के शब्दों पर ध्यान देना चाहिए। राजद नेता तेजस्वी यादव ने कहा कि संघ प्रमुख ने मणिपुर हिंसा पर चिंता व्यक्त करने में बहुत देर कर दी। प्रधानमंत्री ने हर संकट पर चुप्पी साध रखी है, चाहे वह पूर्वोत्तर के राज्य में हिंसा हो, या दिल्ली में किसानों और महिला पहलवानों का विरोध प्रदर्शन हो।

कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने सोशल मीडिया पोस्ट में कहा, संघ प्रमुख भागवत ने मणिपुर की स्थिति पर प्राथमिकता से विचार करने का सुझाव दिया है, लेकिन उम्मीद नहीं है कि पीएम उनके सुझाव पर ध्यान देंगे, बल्कि उसकी अनदेखी करेंगे। वह केंद्रीय एजेंसियों का दुरुपयोग करेंगे और भारतीय संविधान को बदलने का प्रयास करेंगे।

 

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