
رضوی
अल्लाह तआला के करीब होना धार्मिक मूल्यों और हिजाब की रक्षा का कारण
फातिमा पुर मेंहदी ने कहा,हिजाब की रक्षा का उपाय हज़रत ज़हरा स.ल.से प्रेरणा लेना है जब उनके वालिद ने पूछा कि सर्वश्रेष्ठ महिलाएँ कौन हैं तो उन्होंने उत्तर दिया, خَیْرُ لِلْنِّساءِ اَنْ لا یَرَیْنَ الرِّجالَ وَ لا یَراهُنَّ الرِّجالُ." सबसे अच्छी महिलाएँ वे हैं जो पुरुषों को न देखें और न ही पुरुष उन्हें देखें।
एक रिपोर्ट के अनुसार,फातिमा पूरमहदी हज़रत ख़दीजा स.ल. विशेष धार्मिक विद्यालय बाबुल की प्रबंधक ने महिला का हिजाब मानवीय गरिमा और इस्लामी पहचान की रक्षा विषय पर आयोजित एक शैक्षणिक शोध बैठक में विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा,क़ुरान के सूरा नूर (आयत 30 और 31) और सूरा अहज़ाब (आयत 59) में स्पष्ट रूप से निर्देश दिया गया है,
कि मोमिन से कहो कि वे अपनी निगाहें झुका लें और अपने दामन को पाक रखें।यग़ज़ू' शब्द का अर्थ है कम करना या नियंत्रित करना यह आँखों की पूर्ण बंदी का आदेश नहीं देता बल्कि अपनी निगाहों को सीमित रखने की हिदायत देता है।
इस तरह मर्द औरतों के चेहरे और शरीर को न देखें और अपनी दृष्टि को नीचे रखें यह दृष्टिकोण हराम दृश्य को देखने से बचने का मार्ग दिखाता है।
उन्होंने कहा,जैसे पुरुषों के लिए ग़लत दृष्टि हराम है वैसे ही महिलाओं के लिए भी है और औरतों के लिए अपने शरीर को ढकना और अपनी सजावट को गैर महरम से छुपाना अनिवार्य है।
इस्लामी शिक्षाओं में दो प्रकार के वस्त्रों का उल्लेख है ख़िमार (सिर और गहनों को ढकने के लिए) और जिलबाब (पूरा शरीर ढकने के लिए) हैंपूरमेंहदी ने आगे कहा,आंतरिक पवित्रता (इफ़्फ़त) और बाहरी पवित्रता (तक़वा) के बीच गहरा संबंध है।
उन्होंने यह भी कहा,हिजाब की रक्षा का उपाय हज़रत ज़हरा स.ल.से प्रेरणा लेना है जब उनके वालिद ने पूछा कि सर्वश्रेष्ठ महिलाएँ कौन हैं तो उन्होंने उत्तर दिया,
خَیْرُ لِلْنِّساءِ اَنْ لا یَرَیْنَ الرِّجالَ وَ لا یَراهُنَّ الرِّجالُ."
सबसे अच्छी महिलाएँ वे हैं जो पुरुषों को न देखें और न ही पुरुष उन्हें देखें।
अजमेर पहुंचा मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का डेलिगेशन, जताया डर
पहले ज्ञानवापी मस्जिद फिर मथुरा की शाही ईदगाह भोजशाला मस्जिद, लखनऊ की टीले वाली मस्जिद, संभल की जामा मस्जिद, जौनपुर की अटाला मस्जिद और अब अजमेर की ऐतिहासिक दरगाह पर दावे किए जा रहे हैं। 830 साल पुरानी इस दरगाह पर हिंदुस्तान ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया के लोग आते हैं। अजमेर मामले के तूल पकड़ते मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का डेलिगेशन यहाँ पहुंचा और ऐतिहासिक दरगाह पर किए गए आधारहीन दावे को पूरी तरह से खारिज कर दिया और कहा कि प्लेसेस ऑफ़ वर्शिप एक्ट 1991 के मौजूद होने के बावजूद ऐसे दावे कानून और संविधान का खुला मजाक है।
बोर्ड के प्रवक्ता कासिम इलियास ने कहा कि यह देखकर बड़ी हैरानी और चिंता हुई है कि ऐतिहासिक सबूत, कानूनी दस्तावेजों और 1991 के प्लेस ऑफ वर्शिप एक्ट के बावजूद अजमेर की स्थानीय अदालत में इस मामले को डाला गया और अदालत में से स्वीकार करते हुए नोटिस भी जारी कर दी।
अगर हम आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर काबू पा लें, तो इसके खतरों से बच सकते हैं
आयतुल्लाह हुसैनी बूशहरी ने कहा: अगर हम आधुनिक संसाधनो का उपयोग नही करेंगे सकते तो हम समाज का सही दिशा में मार्गदर्शन नहीं कर सकते। अगर हम आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर काबू पा लें, तो इसके खतरों से बच सकते हैं।
जामेअ मुदर्रेसीन हौज़ा इल्मिया क़ुम के प्रमुख आयतुल्लाह हुसैनी बूशहरी ने 'आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, अवसर, चुनौतियाँ और समाधान' विषय पर मदरसा दार अल शिफ़ा के मिटिंग हाल मे आयोजित होने वाली जामेअ मुदर्रेसीन हौज़ा इल्मिया क़ुम की सोलहवीं आम सभा में, जिसमें उच्च स्तरीय शिक्षक और हौज़ा इल्मिया से बाहर के शिक्षक भी शामिल हुए और आयतुल्लाहिल उज़्मा नूरी हमदानी का संदेश भी प्रस्तुत किया गया, कहा: "इमाम अली (अ) की हदीस हे कि याद रखो जो व्यक्ति अपने समय के परिवर्तन से चकित नहीं होता, वही सबसे जागरूक होता है, हमें न केवल वर्तमान, बल्कि भविष्य की चुनौतियों के लिए भी तैयार रहना चाहिए।"
आयतुल्लाह हुसैनी बूशहरी ने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कई वर्षों से चिकित्सा, कृषि और पर्यावरण के क्षेत्रों में इस्तेमाल हो रहा है, लेकिन इसकी प्रगति ने जो गति पकड़ी है, वह हैरान करने वाली है। उन्होंने यह भी कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस ने सीमाओं को पार कर लिया है और यह सामाजिक और सांस्कृतिक समस्याओं को प्रभावित कर रहा है। अगर हौज़ा इस बदलाव को सही तरीके से नहीं समझेगा और इसका स्वागत नहीं करेगा, तो हम मानवता की प्रगति से पीछे रह जाएंगे।
उन्होंने आगे कहा: अगर हम आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का सही तरीके से उपयोग करेंगे, तो यह शोध, ज्ञानवर्धन और निर्णय लेने में बहुत मददगार हो सकता है। यह हमारे लिए इस्लामी सभ्यता के निर्माण में भी महत्वपूर्ण हो सकता है। हालांकि, हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि हम इसे अपने धार्मिक और सांस्कृतिक मूल्यों के खिलाफ न जाने दें।
इस क्षेत्र में प्रशिक्षण और शिक्षा की आवश्यकता है, ताकि हौज़ा के छात्र और शिक्षक इस तकनीक के बारे में पूरी तरह से जान सकें और इस क्षेत्र में अधिक प्रभावी रूप से काम कर सकें।
क़ुरआन समाज के सभी मामलों के लिए मार्गदर्शन
क़ुरआन करीम समाज के सभी मामलों के लिए, चाहे वह राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, पारिवारिक, नियुक्तियाँ और चुनाव हों, मार्गदर्शन प्रदान करता है। और इन सभी योजनाओं को लागू करने के लिए हमें इस आसमानी किताब की ओर रुख करना चाहिए।
काशान में छात्रों और उलेमाओं के लिए आयोजित एक नैतिक शिक्षा कक्षा में हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लेमीन मोहसिन कराती ने देश में क़ुरआन के योगदान के लिए एक आंदोलन शुरू करने की अपील की और कहा: इस पहल से समाज की कई समस्याएँ हल हो सकती हैं। हालांकि, यह आंदोलन केवल शब्दों और भाषणों से सफल नहीं हो सकता, इसके लिए मजबूत इरादे और संकल्प की आवश्यकता है।
उन्होंने यह कहते हुए कि क़ुरआन करीम लोगों को जीवन जीने के तरीके और मार्गदर्शन सिखाता है, कहा: हमें यह जानना चाहिए कि क़ुरआन का समाज के प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में कितना योगदान है, और हमें इस आसमानी किताब से संदेश लेकर उसे अपने जीवन में लागू करना चाहिए।
नमाज़ आयोग के प्रमुख ने इस बात पर बल देते हुए कहा कि क़ुरआन के लिए कुछ कार्य किए गए हैं, लेकिन वे पर्याप्त नहीं हैं। हमें सभी को क़ुरआन करीम की दिशा में कदम बढ़ाना चाहिए, मजलिसों को क़ुरआनी बनाना चाहिए, छात्रों को अपने शिक्षकों से तफ्सीर सत्र आयोजित करने की मांग करनी चाहिए और क़ुरआन तफ्सीर आयोग की स्थापना करनी चाहिए।
हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लेमीन क़राती ने कहा: इमाम रज़ा (अ) ने फ़रमाया, "ख़ुदा ने नमाज़ को वाजिब किया ताकि क़ुरआन की अनदेखी समाप्त हो और वह प्रमुख बन सके।"
उन्होंने धार्मिक शिक्षकों से यह सिफारिश की कि वे लंबे भाषणों से बचें, युवाओं और किशोरों से मित्रवत संबंध बनाए रखें, और क़ुरआन से सरल और समझने योग्य बातें निकालकर उन्हें प्रस्तुत करें।
नमाज़ आयोग के प्रमुख ने यह भी कहा कि हालांकि अज़ान के लिए कुछ हदीसें और रिवायात हैं, लेकिन तवाशीह के लिए ऐसा कुछ नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि शहरों में तवाशीह समूहों का गठन किया गया है, लेकिन अज़ान के लिए कोई समूह नहीं है!
वक्फ बिल को लेकर जेपीसी की बैठक खत्म
वक्फ बिल में संशोधन को लेकर बनी जेपीसी की मीटिंग की गई इस मीटिंग में दारुल उलूम देवबंद की तरफ से शामिल प्रतिनिधिमंडल ने वक्फ बिल को खारिज कर दिया प्रतिनिधिमंडल की तरफ से मीटिंग में मौलाना अरशद मदनी ने करीब 2 घंटे तक अपनी बात रखी मौलाना अरशद मदनी ने इस दौरान कहा, ‘अगर ये संसोधन आए तो मुसलमानों की इबादतगाहें महफूज नहीं रह पाएगी।
एक रिपोर्ट के अनुसार,वक्फ बिल में संशोधन को लेकर बनी जेपीसी की मीटिंग की गई इस मीटिंग में दारुल उलूम देवबंद की तरफ से शामिल प्रतिनिधिमंडल ने वक्फ बिल को खारिज कर दिया प्रतिनिधिमंडल की तरफ से मीटिंग में मौलाना अरशद मदनी ने करीब 2 घंटे तक अपनी बात रखी मौलाना अरशद मदनी ने इस दौरान कहा, ‘अगर ये संसोधन आए तो मुसलमानों की इबादतगाहें महफूज नहीं रह पाएगी।
अरशद मदनी ने कहा,मुल्क में इतनी पुरानी मस्जिदें और इबादतगाहें हैं जिनका अब कई सौ बरस बाद ये बताना मुश्किल हैं कि इनके वाकिफ (वक्फ करने वाला) कौन है इस संसोधन में कई बड़ी खामिया हैं जिसको लाने के पीछे की नियत ठीक नहीं है।
बता दें कि वर्तमान में वक्फ संशोधन बिल जेपीसी के पास है इस मामले में ऐसी संभावना जताई जा रही थी कि संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान केंद्र सरकार इस बिल को पास करा सकती है।
हालांकि अबतक ऐसा नहीं हो सका है वहीं वक्फ बोर्ड के मामले पर देश के ईसाई सांसदों ने मुस्लिमों का समर्थन करने का फैसला किया है। ईसाई सांसदों ने कैथोलिक बिशप्स कॉन्फ्रेंस ऑफ इंडिया (सीबीसीआई) की बैठक में कहा कि ईसाई समुदाय को वक्फ विधेयक पर सैद्धांतिक रूप से अपना रुख अपनाना चाहिए क्योंकि यह संविधान में निहित अल्पसंख्यकों के अधिकारों को प्रभावित करता है।
भारत में कैथोलिकों की सबसे बड़ी संस्था सीबीसीआई ने 3 दिसंबर को सभी ईसाई सांसदों की बैठक बुलाई थी। इस बैठक में कुल 20 सांसदों ने हिस्सा लिया जिनमें से अधिकांश सांसद विपक्षी दलों के थे।
इस मीटिंग में शामिल सांसदों में टीएमसी के संसदीय दल के नेता डेरेक ओ ब्रायन, कांग्रेस सांसद हिबी ईडन, डीन कुरियाकोसा, एंटो एंटनी और सीपीआईएम के सांसद जॉन ब्रिटास शामिल थे हालांकि बाद में केंद्रीय राज्य मंत्री जॉर्ज कुरियन भी इस बैठक में शामिल हुए।
सीरिया में विद्रोहियों पर भरोसा करना सही नहीं
सीरिया में उलमा परिषद के अध्यक्ष ने कहां,सीरिया में कुछ भी सुरक्षित नहीं आतंकियों पर भरोसा संभव नहीं क्योंकि इसके पीछे अमेरिका और इजरायल की बहुत बड़ी चाल है।
एक रिपोर्ट के अनुसार,सीरिया में उलमा परिषद के अध्यक्ष ने कहां,सीरिया में कुछ भी सुरक्षित नहीं आतंकियों पर भरोसा संभव नहीं क्योंकि इसके पीछे अमेरिका और इजरायल की बहुत बड़ी चाल है।
धार्मिक मामलों में हमे परेशान किया जाना शुरू हो चुका है उदाहरण स्वरूप नमाज़ के सिलसिले में भी हमे आतंकी गुटों की ओर से परेशान किया जा रहा है हम दो नमाज़ों को एक साथ नहीं पढ़ सकते।
सीरिया में उलमा परिषद के अध्यक्ष ने एक ऑडियो फ़ाइल में इस देश के शिया समुदाय को संबोधित करते हुए सय्यदा ज़ैनब इलाक़े की घटनाओं का ज़िक्र करते हुए कहा कि मैंने पहले आपको बताया था कि हालात अच्छे हैं और हैयते तहरीर अल-शाम के लोगों ने हमें आश्वासन और कई वादे किए हैं, और उनकी बातें वास्तव में व्यावहारिक रूप ले चुकी हैं।
उन्होंने कहा समस्या यह है कि इस संघर्ष में भाग लेने वाले सशस्त्र समूह अलग अलग हैं इसका मतलब यह है कि यदि एक सशस्त्र समूह हमें कोई वादा करता है, तो यह निश्चित नहीं है कि अन्य समूह उसी वादे के प्रति वफादार रहेंगे।
उन्होंने कहा हम कुछ पक्षों के मनमाने और विध्वंसक कार्यों के गवाह हैं, इस तरह से कि हमारे कुछ विद्वानों को कुछ क्षेत्रों में सशस्त्र समूहों के धार्मिक आदेशों को लागू करने के लिए प्रताड़ित किया जा रहा है।
सय्यद अब्दुल्लाह निज़ाम ने कहा कि कुछ धार्मिक मामलों में हमे परेशान किया जाना शुरू हो चुका है उदाहरण स्वरूप नमाज़ के सिलसिले में भी हमे आतंकी गुटों की ओर से परेशान किया जा रहा है हम दो नमाज़ों को एक साथ नहीं पढ़ सकते।
हमारा मसला इज़राईली हुकूमत नहीं, बल्कि हिज़बुल्लाह और बशर अलअसद से
शाम पर क़ब्ज़ा जमाने वाले हथियारबंद गिरोहों के सरगना जौलानी ने इज़राईली द्वारा शाम पर किए गए हमलों के जवाब में कहा है कि हमारा असली मसला हिज़बुल्लाह और बशार अलअसद की सरकार के बचे हुए तत्व से हैं।
एक रिपोर्ट के अनुसार , सीरिया पर कब्जा जमाए हथियारबंद गिरोहों के सरगना ने सियोनी सरकार के हमलों पर कहा है कि हमारा असली मसला हिज़बुल्लाह और बशर अलअसद सरकार के बचे हुए तत्व से हैं।
अलजज़ीरा के अनुसार, दमिश्क पर कब्जा जमाने वाले हथियारबंद गिरोह तहरीर अलशाम के सरगना अबू मोहम्मद अलजोलानी ने कहा है कि शामी जनता ने वर्षों तक जंग झेली है जिसकी वजह से लोग थक चुके हैं और देश अब किसी नई जंग के लिए तैयार नहीं है।
उन्होंने एक अमेरिकी चैनल को इंटरव्यू देते हुए कहा कि इज़राइल सरकार ने शाम पर हमला करके सरहदों का उल्लंघन किया है।
तहरीर अलशाम के नेता जोलानी ने कहा कि शाम का असली मसला इज़राईली सरकार नहीं, बल्कि हिज़बुल्लाह और बशर अलअसद सरकार के तत्व हैं इन्हें खत्म करना ही समस्या का हल है।
जौलानी ने यह भी कहा कि जल्द ही शाम का पुनर्निर्माण किया जाएगा और इस सिलसिले में बाहरी देशों को भरोसे में लिया जा रहा है।
उन्होंने यह भी दावा किया कि तहरीर अलशाम के बारे में अंतरराष्ट्रीय समुदाय की चिंताएं आधारहीन हैं उन्होंने भरोसा दिलाया कि जल्द ही देश में स्थिरता लाई जाएगी।
युद्धविराम के बाद लेबनान ने अपनी सीमा पर सुरक्षा और बढ़ा दी
लेबनानी सैन्य सूत्रों ने कहा कि लेबनान ने इज़राइल के साथ युद्धविराम के कार्यान्वयन की तैयारी के लिए देश के दक्षिणी हिस्से की ओर अपनी सेनाएँ और बढ़ा दी है।
एक रिपोर्ट के अनुसार, लेबनानी सेना ने लगभग 6,000 सैनिकों और सैकड़ों बख्तरबंद सैन्य वाहनों की तैनाती पूरी कर ली है।उन्होंने कहा यह बल लितानी नदी के दक्षिण में कई सैन्य बैरकों में प्रारंभिक चरण के रूप में एकत्र हो रहे हैं और मार्जेयुन, नबातीह, बिंट जेबील, टायर और ज़हरानी जिलों में फैल गए हैं।
नबातीह शहर के प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि उन्होंने मंगलवार दोपहर 50 से अधिक जीपों और बख्तरबंद गाड़ियों के लेबनानी सेना के काफिले को दक्षिणी सीमा की ओर जाते देखा।
दक्षिणी लेबनान के पूर्व में क़ला शहर में कई निवासियों ने बताया कि मंगलवार दोपहर को लगभग 30 बख्तरबंद वाहनों की एक लेबनानी सेना इकाई के लिए दक्षिण-पूर्वी सीमा से सटे मार्जेयुन शहर में बैरक की ओर जाते हुए एक विशाल स्वागत समारोह आयोजित किया गया था।
समझौते में शत्रुता की 60 दिनों की समाप्ति का प्रावधान है जिसमें लेबनानी सेना ने इजरायली बलों की क्रमिक वापसी और आतंकवादियों के सफाए के बाद दक्षिणी सीमा क्षेत्र पर कब्जा कर लिया है।
इजरायल ने सीरिया में कई जगहों को बनाया निशाना
इसराइली सेना गोलान हाइट्स की सरहद से भी आगे निकल गया हैं एसओएचआर का कहना है कि उसने रविवार को असद शासन के पतन के बाद से इसराइली रक्षा बलों के 310 से अधिक हमले दर्ज किए हैं।
एक रिपोर्ट के अनुसार ,इसराइली सेना गोलान हाइट्स की सरहद से भी आगे निकल गए हैं ब्रिटेन स्थित सीरियन ऑब्जर्वेटरी फॉर ह्यूमन राइट्स (एसओएचआर) का कहना है कि उसने रविवार को असद शासन के पतन के बाद से इसराइली रक्षा बलों (आईडीएफ) के 310 से अधिक हमले दर्ज किए हैं।
इन हमलों के निशाने पर उत्तर में अलेप्पो से लेकर दक्षिण में दमिश्क तक सीरिया के सेना के अहम ठिकाने हैं इनमें हथियारों के गोदाम, गोला बरूद डिपो, हवाई अड्डे, नौसैनिक अड्डे और रिसर्च सेंटर शामिल हैं।
एसओएचआर के संस्थापक रामी अब्दुल रहमान ने कहा है कि ये हमले ने "सीरियाई सेना की सभी क्षमताओं" को नष्ट कर रहे हैं उन्होंने इसे सीरिया के अधिकारों का उल्लंघन बताया है।
इज़राईली आक्रामकता के खिलाफ एकजुट हो जाएं
हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन हमीद शहरीयारी ने सीरिया में हालिया इज़राईली हमलों के बाद उलेमा-ए-इस्लाम के नाम एक महत्वपूर्ण संदेश जारी किया है, उन्होंने इन इज़राइली आक्रमणों को सभी मुसलमानों और अरबों के खिलाफ हमला करार दिया और तुरंत कार्रवाई की आवश्यकता पर जोर दिया हैं।
एक रिपोर्ट के अनुसार,हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन हमीद शहरीयारी ने सीरिया में हालिया इज़राईली हमलों के बाद उलेमा-ए-इस्लाम के नाम एक महत्वपूर्ण संदेश जारी किया है, उन्होंने इन इज़राइली आक्रमणों को सभी मुसलमानों और अरबों के खिलाफ हमला करार दिया और तुरंत कार्रवाई की आवश्यकता पर जोर दिया हैं।
हामिद शहरीयारी ने अपने संदेश में कहा कि सीरियाई सरकार को लेकर भले ही अलग अलग विचार हो सकते हैं लेकिन यह स्पष्ट है कि सीरियाई जनता ने अपनी गरिमा और सम्मान की रक्षा में सियानी आक्रमण के खिलाफ अनगिनत कुर्बानियां दी हैं।
उन्होंने कहा कि सियानियों ने दशकों से सीरिया के खिलाफ साजिशें रचीं, लेकिन सीरियाई जनता के प्रतिरोध और उनके समर्थकों के प्रयासों ने इन योजनाओं को नाकाम कर दिया।
उन्होंने आगे कहा कि इज़राइल ने सीरिया के खिलाफ सैन्य, आर्थिक और खुफिया हमले किए, लेकिन सीरियाई जनता ने अपनी जागरूकता और रणनीति से इन साजिशों को नाकाम कर दिया। आज इज़राइल बदले की आड़ में सीरिया के महत्वपूर्ण ढांचों, बुनियादी सुविधाओं और संसाधनों को निशाना बना रहा है, ताकि उसे कमजोर और असहाय बना सके।
हुज्जतुल इस्लाम शहरीयारी ने सभी मुस्लिम विद्वानों, विचारकों और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को संबोधित करते हुए कहा कि सियानी आक्रमण के खिलाफ एकजुटता आज के समय की अहम जरूरत है।
उन्होंने स्पष्ट किया कि सीरिया पर हमला केवल एक देश पर हमला नहीं है, बल्कि यह पूरे मुस्लिम समुदाय पर हमला है सभी स्वतंत्र राष्ट्रों को इस अन्याय के खिलाफ आवाज उठानी चाहिए।
उन्होंने कहा कि इज़राइल का उद्देश्य मध्य पूर्व में अपने पुराने एजेंडे को लागू करना है और मुस्लिमों को विभाजित करने के लिए सांप्रदायिक और जातीय भेदभाव को बढ़ावा देना चाहता है।
अंत में उन्होंने जोर देकर कहा कि सियानी अन्याय और अत्याचार का मुकाबला केवल प्रतिरोध और एकता के माध्यम से संभव है। मुसलमानों को मिलकर अपने साझा दुश्मन का सामना करना होगा।
अपने संदेश के समापन में उन्होंने एक कुरआनी आयत उद्धृत की:
إِنَّهُمْ یَرَوْنَهُ بَعِیدا وَ نَرَاهُ قَرِیبا "
वे इसे दूर समझते हैं लेकिन हम इसे करीब देखते हैं।उन्होंने आशा व्यक्त की कि अल्लाह के आदेश से जल्द ही स्वतंत्रता और न्याय का सूरज उगेगा।