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आस्तान कुद्स रिज़वी की डिजिटल लाइब्रेरी का उद्घाटन
आस्ताने कुद्स रिज़वी की वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन के 227वें साप्ताहिक कार्यक्रम के दौरान आस्ताने कुद्स रिज़वी की डिजिटल लाइब्रेरी के स्टूडियो और स्पीकिंग रिसोर्स सेंटर का उद्घाटन किया गया हैं।
एक रिपोर्ट के अनुसार, आस्ताने कुद्स रिज़वी की वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन के 227वें साप्ताहिक कार्यक्रम के दौरान आस्ताने कुद्स रिज़वी की डिजिटल लाइब्रेरी के स्टूडियो और स्पीकिंग रिसोर्स सेंटर का उद्घाटन किया गया हैं।
यह कार्यक्रम इमाम रज़ा अ.स. के हरम की केंद्रीय लाइब्रेरी के कॉन्फ्रेंस हॉल में आयोजित किया गया जिसमें लाइब्रेरी, म्यूजियम और आस्तान कुद्स रज़वी के दस्तावेज़ी केंद्र के प्रबंधकों, विशेषज्ञों और सहायकों ने भाग लिया।
इस कार्यक्रम में लाइब्रेरी और म्यूजियम के वर्चुअल स्पेस विभाग के उप निदेशक जनाब अली जराबी ने कहा कि आजकल पुस्तकों को पढ़ने का शौक कम होता जा रहा है। इसे बढ़ावा देने के लिए आस्तान कुद्स रिज़वी ने ऑडियो बुक्स के निर्माण को एक आकर्षक और व्यावहारिक समाधान के रूप में अपनाया है।
जराबी ने बताया कि ऑडियो बुक्स लेखकों की भावनाओं को सीधे श्रोताओं तक पहुंचा सकती हैं। ये समय और पैसे दोनों की बचत करती हैं और सुनने और याद रखने की क्षमता को भी बेहतर बनाती हैं। इसके माध्यम से समाज में पुस्तकों को पढ़ने की संस्कृति को पुनर्जीवित किया जा सकता है।
उन्होंने यह भी कहा कि जो लोग किताब पढ़ने की आदत नहीं रखते वे एक अच्छी ऑडियो बुक सुनने के बाद पढ़ने की ओर प्रेरित हो सकते हैं।
जराबी ने बताया कि डिजिटल लाइब्रेरी ने एक रिकॉर्डिंग स्टूडियो स्थापित किया है जहां पेशेवर टीम हर महीने 600 मिनट की ऑडियो बुक्स तैयार कर रही है।
समय की लागत 15 पृष्ठों को 10 मिनट की ऑडियो बुक में बदलने के लिए लगभग 5 घंटे का समय लगता है। इसमें 2.5 घंटे रिकॉर्डिंग और 3 घंटे एडिटिंग में लगते हैं।
अब तक 100 से अधिक विषयों पर ऑडियो बुक्स तैयार की जा चुकी हैं जिनमें इमाम रज़ा अ.स., उनकी जीवनशैली और अहलेबैत अ.स. से संबंधित विषय शामिल हैं।
जराबी ने बताया कि आस्तान कुद्स रज़वी की डिजिटल लाइब्रेरी, रेडियो खुरासान रज़वी के साथ मिलकर साप्ताहिक कार्यक्रम आयोजित करेगी, जिसमें मूल्यवान पुस्तकों का परिचय दिया जाएगा।
दूसरे चरण में ऑडियो शोज़ तैयार किए जाएंगे, जो ऑडियो बुक्स से भी अधिक आकर्षक होंगे। यह पहल लाइब्रेरी की भविष्य की योजनाओं का हिस्सा है।
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि ऑडियो बुक्स का उद्देश्य मुद्रित पुस्तकों का विकल्प नहीं है किताब पढ़ने का अनुभव और आनंद किसी अन्य माध्यम से प्राप्त नहीं हो सकता।
इस उद्घाटन समारोह में डिजिटल लाइब्रेरी के ऑडियो सेवा प्रदाताओं के काम की सराहना की गई और उन्हें सम्मानित किया गया।
90 देशों के छात्र फ़ारसी भाषा सीख रहे हैं
ईरान के विज्ञान, अनुसंधान और प्रौद्योगिकी के उपमंत्री ने कहा: अब तक, 90 देशों की विभिन्न राष्ट्रीयताओं के छात्र फ़ारसी भाषा के शिक्षा केंद्रों में फ़ार्सी भाषा पढ़ रहे हैं।
विज्ञान, अनुसंधान और प्रौद्योगिकी के उपमंत्री और ईरानी छात्रों के मामलों के संगठन के प्रमुख सईद हबीबा ने पूरे ईरान से अंतरराष्ट्रीय स्नातकों के पास आऊट कार्यक्रम के समापन पर कहा कि इन्टरनेश्नल स्टूडेंट्स अपने देश में काम का स्रोत हो सकते हैं।
उनका कहना था: वर्तमान समय में, छात्र अंतर्राष्ट्रीय संचार का सबसे अच्छा तरीक़ा बनाते हैं और वे विभिन्न देशों के साथ बातचीत करने की सबसे अच्छी और सबसे प्रभावी क्षमता रखते हैं।
सईद हबीबा ने कहा: मुस्लिम और विकासशील देशों के लिए एक-दूसरे के करीब आना ज़रूरी है।
ईरान के साइंस, रिसर्च और टेक्नॉलॉजी के डिप्टी मिनिस्टर ने कहा: अमीर देशों को एशियाई देशों की परवाह नहीं है, इसलिए इस्लामी देशों को अपनी समस्याओं को आम सोच और सहयोग से हल करना चाहिए ताकि विकासशील और पड़ोसी देशों के बीच बातचीत बढ़ सके।
श्री हबीबा ने 90 विभिन्न राष्ट्रीयताओं के छात्रों द्वारा फ़ारसी भाषा सीखने की ओर भी इशारा किया और कहा: अपने मिशन और कर्तव्य के आधार पर, ईरानी छात्रों के मामलों के संगठन ने अंतर्राष्ट्रीय छात्रों की शिक्षा के लिए अनुकूल परिस्थितियां मुहिया कराई हैं और पिछले साल इस संगठन को 27 हज़ार विदेशी छात्र मिले थे। लेकिन अब यह संख्या बढ़कर 35 हज़ार छात्र हो गई है।
ईरान के छात्रों के मामलों के संगठन के अध्यक्ष के अनुसार, अंतरराष्ट्रीय छात्रों की भर्ती की सुविधा के लिए मसौदे को मंजूरी दे दी गई है और इसे लागू किया जा रहा है, इसका एक फ़ायदा देश के भीतर आने और यहां से जाने की समस्याओं को हल करना है जो की गई गतिविधियों से हल की जा सकती हैं।
सीरिया पर आतंकी संगठनों का क़ब्ज़ा, लाखों शिया बेघर
सीरिया में असद सरकार के पतन के बाद ही इस देश में शिया समुदाय के लिए तकफ़ीरी संगठन आफत बन गए हैं। सीरिया में कम से कम 50,000 शियाओं को अपनी जान के डर से अपने घर छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा।
सीरियाई शिया शरणार्थियों का एक हिस्सा लेबनानी क्षेत्र में प्रवेश करने में कामयाब रहा और लेबनान के हॉरमेल शहर पहुँच गया।
सीरियाई शिया शरणार्थियों का एक अन्य समूह, जिनमें से अधिकांश महिलाएं और बच्चे हैं, कुछ दिनों से लेबनान में एंट्री का इंतजार कर रहे हैं।
विस्थापित लोग कठिन परिस्थितियों में रह रहे हैं, कुछ लोग दुसरे के घरों में तो कुछ इमाम बारगाहों तो बहुत से लोग कई दिनों से लेबनान के ठंडे मौसम में पार्कों और सड़कों पर और कारों के अंदर रह रहे हैं ।
मदरसा शिक्षकों ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोला
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार के खिलाफ 5 हज़ार से ज्यादा शिक्षकों ने सड़क पर उतरने का फैसला किया है। इस से पहले लखनऊ में मदरसे को लेकर अहम कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया गया। कॉन्फ्रेंस का मकसद यूपी में मदरसा एजुकेशन से जुड़ी अलग-अलग समस्याओं पर गहन बातचीत करना था। इस बैठक में अल्पसंख्यक मंत्री ओमप्रकाश राजभर भी शामिल हुए।
उल्लेखनीय है कि हाल ही में यूपी सरकार ने ऐलान किया था कि मदरसा एक्ट में अहम अमेंडमेंट किए जाएंगे। दरअसल, इस अमेंडमेंट के तहत कुछ मदरसा डिग्रियों को एक्ट के दायरे से बाहर किया जाएगा। खास तौर पर, कामिल और फाजिल सर्टिफिकेट देने वाले मदरसों को अब मान्यता नहीं दी जाएगी, इस लेकर शासन लेवल पर एक विस्तृत प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है।
बंगला देश में अत्याचारों के नाम पर हिंदुत्ववादी संगठनों का विरोध प्रदर्शन
बंगला देश में हिंदू समुदाय पर हो रहे कथित अत्याचारों के खिलाफ महाराष्ट्र के विभिन्न जिलों में हिंदुत्ववादी संगठनों ने विरोध प्रदर्शन किया। औरंगाबाद, जालना, बीड़, सतारा, और पर्बणी जैसे जिलों में 'सकल हिंदू समाज' ने मोर्चे निकाले, जिनमें रामगीरी महाराज और नितेश राणे जैसे नेता भी शामिल हुए और भड़काऊ भाषण दिए।
बंगला देश में हिंदू समुदाय के खिलाफ बढ़ते अत्याचारों के विरोध में महाराष्ट्र के कई क्षेत्रों में दुकानें और व्यापार बंद कर दिए गए। साथ ही, मोर्चों के जरिए इन अत्याचारों की निंदा की गई। इस विरोध में रामगीरी महाराज भी शामिल थे, जिन्होंने विवादित बयान दिए थे।
याद रहे कि बंगला देश में शेख हसीना के शासन के बाद वहां नई अस्थाई सरकार बनी है, जिसने कानून में कई बदलाव किए हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, कुछ ऐसे कानून बनाए गए हैं जो हिंदुओं के अधिकारों को खत्म करते हैं। इस पर विरोध करने पर हिंदू समुदाय पर अत्याचार किए जा रहे हैं। हालांकि, बंगला देश सरकार ने इन आरोपों को नकारा है।
मंगलवार को महाराष्ट्र के औरंगाबाद, जालना, पर्बणी, बीड़ और सतारा जैसे जिलों में दुकानें बंद कर दी गईं। स्कूलों ने बच्चों को छुट्टी दे दी और बाजार भी बंद कर दिए गए। इस दौरान 'सकल हिंदू समाज' और अन्य हिंदुत्ववादी संगठनों ने मोर्चे निकाले और बंगला देश के खिलाफ नारे लगाए। उन्होंने हिंदुओं पर हो रहे अत्याचारों को बंद करने की मांग की।
रामगीरी महाराज ने औरंगाबाद के एक मोर्चे में कहा, "अगर सनातनी जाग गए तो पूरी दुनिया को उलट-पलट कर रख देंगे।" पुलिस ने पहले ही उन्हें विवादित बयान देने से मना किया था और इस दौरान सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे।
इसके अलावा, बीड़ जिले के परली तहसील में भी पूरी तरह से व्यापार बंद रहा और इस विरोध को समर्थन मिला। पर्बणी में बड़े पैमाने पर जुलूस निकाला गया और बंगला देश सरकार की निंदा की गई। सतारा जिले के क्राड में भी विशाल मोर्चा निकाला गया।
कोकण के सिंधुदुर्ग जिले में बीजेपी विधायक नितेश राणे ने भी मोर्चे में भाग लिया और भड़काऊ भाषण दिया।
दीन की तबलीग़ में सफलता के उपाय
तांज़ानिया के दारुस्सलाम मे एक बैठक आयोजिक की गई जिसका उद्देश्य तांज़ानिया में अहले-बैत (अ) के सिद्धांत के प्रचारकों को प्रेरित करना और उनकी धार्मिक जागरूकता को बढ़ाना था। इस बैठक मे दीन की तबलीग मे सफलता के महत्वपूर्ण उपाय साझा किए गए।
तांज़ानिया के दारुस्सलाम मे एक बैठक आयोजिक की गई जिसका उद्देश्य तांज़ानिया में अहले-बैत (अ) के सिद्धांत के प्रचारकों को प्रेरित करना और उनकी धार्मिक जागरूकता को बढ़ाना था। बैठक में तांज़ानिया के सौ से अधिक प्रचारक शामिल हुए और प्रमुख वक्ता के रूप में इस्लामी क्रांति के नेता के प्रतिनिधि और हज एवं तीर्थ यात्रा मामलों के प्रभारी हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लेमीन नवाब ने भाग लिया।
बैठक के दौरान, हुज्जतुल इस्लाम वल मुसलेमीन नवाब ने धर्म प्रचारक के कार्य को एक महत्वपूर्ण आशीर्वाद के रूप में प्रस्तुत किया और पैगंबर मोहम्मद (स) की एक हदीस का उल्लेख किया, जिसमें बताया गया कि वे लोग जो लोगों के दिलों में खुदा के प्रति प्रेम उत्पन्न करते हैं, उन्हें क़ियामत के दिन उच्च स्थान प्राप्त होगा। उन्होंने बताया कि इस उच्च स्थान तक पहुंचने के लिए प्रचारकों को पैगंबर (स) के आदर्शों को अपनाना चाहिए और धैर्य और संघर्ष के साथ कार्य करना चाहिए।
हुज्जतुल इस्लाम नवाब ने धर्म प्रचार में सफलता प्राप्त करने के लिए कुछ महत्वपूर्ण उपाय साझा किए:
- प्रचार के वातावरण का मूल्यांकन- एक प्रचारक को अपने प्रचार के माहौल को समझना चाहिए और इसके खतरों से सावधान रहना चाहिए।
- सुनने वालों की जरूरतों को समझना- प्रचारक को यह जानना चाहिए कि उनके श्रोताओं की क्या जरूरतें हैं।
- प्रभावी प्रचार के तरीके जानना- प्रचारक को विभिन्न प्रचार विधियों का ज्ञान होना चाहिए।
- प्रतिक्रिया प्राप्त करना- प्रचारक को अपनी गतिविधियों का मूल्यांकन करने के लिए वास्तविक डेटा एकत्रित करना चाहिए।
- संदेश को क्रमबद्ध रूप से प्रस्तुत करना- जैसे पैगंबर (स) ने धीरे-धीरे धार्मिक शिक्षाएं प्रस्तुत की, उसी तरह प्रचारकों को भी ऐसा करना चाहिए।
- सहयोग करना- धर्म प्रचार एक सामूहिक कार्य है, जिसमें सभी वर्गों का सहयोग जरूरी है।
बैठक के दौरान प्रचारकों ने अपनी समस्याओं जैसे "आर्थिक समस्याएं" और "सामाजिक प्रचार के क्षेत्र" पर सवाल किए। नवाब ने कहा कि प्रचारक को धैर्य और आत्मविश्वास के साथ अपनी जिम्मेदारी निभानी चाहिए, और अल्लाह उनकी रोजी की गारंटी देता है। बैठक के बाद, प्रचारक "शिराज़ियों की धरोहर" प्रदर्शनी का दौरा करने गए, जो दूतावास में आयोजित की गई थी।
डॉ. जाकिर हुसैन पुस्तकालय
डॉ. जाकिर हुसैन पुस्तकालय, जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय में स्थित भारत के प्रमुख शैक्षिक केंद्रों में से एक है, जिसे 1920 में स्थापित किया गया था और इसका नाम भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. जाकिर हुसैन के नाम पर रखा गया है।
डॉ. जाकिर हुसैन पुस्तकालय, जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय में स्थित भारत के प्रमुख शैक्षिक केंद्रों में से एक है, जिसे 1920 में स्थापित किया गया था और इसका नाम भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. जाकिर हुसैन के नाम पर रखा गया है। इस पुस्तकालय मे 600,000 से अधिक पुस्तकों और 2,230 हस्तलिखित पांडुलिपिया है, जो विभिन्न भाषाओं में हैं, जिनमें उर्दू और फारसी भी शामिल हैं। इसे शोधकर्ताओं और छात्रों के लिए एक महत्वपूर्ण स्रोत माना जाता है।
इस पुस्तकालय के संग्रह में विविध विषयों को शामिल किया गया है, जैसे कि कुरआन विज्ञान, हदीस, कानून, सूफीवाद, दर्शन, तर्कशास्त्र, यूनानी चिकित्सा, ज्योतिष, गणित, खगोलशास्त्र, संगीत, रसायन शास्त्र, कविता, फारसी भाषा और साहित्य, शब्दकोश, इतिहास, भूगोल और हिंदू धर्म। इसके अलावा, पुस्तकालय में संस्कृत, वेद, उपनिषद, मनुस्मृति, रामायण, भगवद गीता, महाभारत, गुरु नानक, स्वामी दयानंद सरस्वती, और स्वामी विवेकानंद की पांडुलिपियाँ भी संरक्षित की जाती हैं।
गाजा में इजरायली हमलों में 27 फिलिस्तीनियों की मौत
फिलिस्तीनी सूत्रों ने कहा कि मध्य गाज़ा पट्टी में अलनुसीरत के शरणार्थी शिविर में आवासीय घरों पर इज़रायली हमलों में कम से कम 27 फिलिस्तीनी मारे गए और दर्जनों अन्य घायल हो गए।
एक रिपोर्ट के अनुसार,फिलिस्तीनी सूत्रों ने कहा कि मध्य गाज़ा पट्टी में अलनुसीरत के शरणार्थी शिविर में आवासीय घरों पर इज़रायली हमलों में कम से कम 27 फिलिस्तीनी मारे गए और दर्जनों अन्य घायल हो गए।
फ़िलिस्तीनी नागरिक सुरक्षा प्रवक्ता महमूद बसल ने बताया कि इज़रायली बमबारी ने एक आवासीय ब्लॉक को निशाना बनाया जिसमें सरकारी डाकघर की इमारत है, जो विस्थापित लोगों को आश्रय दे रही थी।
एक रिपोर्ट के अनुसार, बसल ने कहा कि उपकरणों की कमी और इजरायली विमानों की भारी उड़ान के बीच बचाव अभियान अभी भी जारी है मरने वालों की संख्या बढ़ सकती है क्योंकि घायलों में से कई गंभीर रूप से घायल हैं।
हमलों पर इज़रायली सेना की ओर से तत्काल कोई टिप्पणी नहीं आई है गाजा पट्टी में फिलिस्तीनी नागरिक सुरक्षा ने कहा कि इससे पहले बुधवार को मध्य गाजा शहर में एक सभा पर इजरायली ड्रोन हमले में कम से कम 10 फिलिस्तीनी मारे गए थे।
समाचार एजेंसी के मुताबिक नागरिक सुरक्षा प्रवक्ता महमूद बसल ने एक प्रेस बयान में कहा कि पीड़ितों में बच्चे और महिलाएं शामिल हैं।
इबादतगाहो की क़ानूनी हैसीयत पर कोई मुकदमा दायर नहीं किया जाएगा: सुप्रीम कोर्ट
आज भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति संजय कुमार और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन की पीठ ने 1991 के 'पूजा स्थल अधिनियम' की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए कहा कि ''देश में कोई भी न्यायालय किसी भी पूजा स्थल की कानूनी हैसीयत को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर फैसला नहीं देगा। सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया है कि अगली सुनवाई तक आराधनालय के स्वामित्व या नाम को चुनौती देने वाला कोई मामला दायर नहीं किया जाएगा।
आज भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति संजय कुमार और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन की पीठ ने कहा कि "अब पूजा स्थलों की वैधता के खिलाफ कोई मामला दायर नहीं किया जाएगा।" सभी सिविल अदालतों को स्वामित्व या नाम को चुनौती देने वाले मामलों की सुनवाई करने से रोक दिया गया है। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट 1991 के "पूजा स्थल अधिनियम" की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा था। यह याद रखना चाहिए कि "इस अधिनियम के तहत, किसी भी पूजा स्थल को नहीं बदला जा सकता है और इसकी कानूनी स्थिति वही रहेगी जो 15 अगस्त, 1947 को थी।
केंद्र सरकार ने अभी तक इस मामले पर हलफनामा दाखिल नहीं किया है. सुप्रीम कोर्ट ने देश की सभी अदालतों को किसी भी आराधनालय के स्वामित्व या नाम को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर फैसला देने से रोक दिया है। कोर्ट ने सुनवाई के बीच में कहा कि ''पूजा स्थलों की वैधानिकता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर कोई मामला दर्ज नहीं किया जाएगा।'' कोर्ट ने केंद्र को जवाब देने के लिए 4 हफ्ते का वक्त दिया है. गौरतलब है कि इस मामले में 1991 के कानून की वैधानिकता को चुनौती देते हुए कई याचिकाएं दायर की गई हैं। याचिकाकर्ताओं में वकील अश्विनी कुमारपाध्याय भी शामिल थे, जिन्होंने आपत्ति जताई कि यह अधिनियम हिंदुओं, जैनियों और सिखों को अदालत में पूजा स्थल का दावा करने से रोकता है। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) और जमीयत उलेमा हिंद जैसे मुस्लिम संगठनों ने इन प्रस्तुतियों पर चिंता व्यक्त की थी।
कोर्ट ने अपनी सुनवाई में कहा है कि ''इस मामले की अगली सुनवाई तक लंबित याचिकाओं पर कोई अंतरिम या अंतिम निर्णय नहीं सुनाया जाएगा और कोई नया मामला दर्ज नहीं किया जाएगा।'' सुप्रीम कोर्ट ने इस कानून को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई शुरू कर दी है।
असम से दिल्ली तक उबाल,बिना NRC के नहीं बनेगा आधार कार्ड
असम सरकार के फैसले से दिल्ली तक की सियासत में उबाल आ गया है। हिंदुत्व और नफरती राजनीति का सबसे बड़ा चेहरा बनकर उभरे असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा के नेतृत्व वाली असम सरकार ने आधार कार्ड को राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर(एनआरसी) से जोड़ने की कोशिश में बड़ा फैसला लिया है। अब असम में आधार हासिल करने के लिए सरकार के कठोर नियमों का पालन करना होगा। सीएम हिमंत बिस्वा सरमा ने ऐलान किया है कि अब आधार कार्ड बनाने के लिए एनआरसी में आवेदन करना होगा। जिसने NRC के लिए आवेदन नहीं किया होगा, उसे अब आधार कार्ड नहीं मिलेगा और आवेदन न करने वालों का आधार कार्ड कैंसिल कर दिया जाएगा।