رضوی

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मुंबई के इमाम जुमा ने जुमे की नमाज के खुत्बे मे कहा कि जो व्यक्ति पापों के द्वारा, झूठ बोलकर, धन देकर लोगों से अपनी प्रशंसा चाहता है, वह व्यक्ति जो लोगों से अपनी झूठी प्रशंसा कराता है, अर्थात पाप के माध्यम से लोगों से अपनी प्रशंसा करता है। अपनी तारीफ करता है। एक दिन यही तारीफ करने वाला खुद ही उसकी बुराई करने लगता है।

मुंबई के इमाम जुमा मौलाना सय्यद अहमद अली आब्दी ने 1 नवंबर, 2024 को मुंबई की शिया खोजा जामा मस्जिद में जुमे की नमाज के खुत्बे मे कहा कि हम लोगो पर अल्लाह के महान उपकारों और नेमतो में से एक उपकार, जिससे बड़ा कोई उपकार नहीं है, वह है अपने सबसे महान पैग़म्बर मुहम्मद मुस्तफा (स) को हमारे पास भेजना। पैगंबर के मिशन का मुख्य उद्देश्य लोगों को शिक्षा देना और उनकी आत्माओं को शुद्ध करना है। जिस प्रकार शरीर गंदा हो तो उसे शुद्ध किया जाता है और थक जाने पर उसे नहलाया जाता है ताकि व्यक्ति तरोताजा महसूस करे। याद रखें कि ईश्वर की उपस्थिति में केवल शरीर के साथ उपस्थित होना नहीं है, बल्कि आत्मा के साथ उपस्थित होना है।

मौलाना सय्यद अहमद अली आबिदी ने कहा: हम नमाज़ में अल्लाह के करीब होने का इरादा रखते हैं,  स्नान में हम अल्लाह के करीब होने का इरादा रखते हैं, रोज़े में हम अल्लाह के करीब होने का इरादा रखते हैं। इस "अल्लाह से निकटता" का अर्थ केवल शारीरिक निकटता नहीं है, बल्कि आत्मा और हृदय से अल्लाह के करीब होना है।

उन्होंने कहा: शरीर को शुद्ध करना, कपड़ों को शुद्ध करना आसान है। अपनी आत्मा को शुद्ध करना, अपने हृदय को शुद्ध करना कोई आसान काम नहीं है। पानी कपड़ों को तभी पाक करता है जब यह पानी कपड़ों तक पहुंचता है, अगर पानी कपड़ों तक नहीं पहुंच रहा है तो कपड़े पाक नहीं होंगे, इसलिए पानी मौजूद होना चाहिए और हमें इसका इस्तेमाल करना चाहिए। आत्मा का अर्थ यह है कि जब तक कोई व्यक्ति आत्मा तक नहीं पहुंच जाता, तब तक आत्मा शुद्ध नहीं होगी, इसलिए ईश्वर ने हमारी आत्मा तक पहुंचने के लिए सबसे महान पैगंबर हजरत मुहम्मद मुस्तफा को भेजा। जिन्होंने हमें आत्मा की शुद्धि के लिए औषधियाँ बताईं, उपाय बताए।

मुंबई के इमाम जुमा ने रिवायत बयान करते हुए कहा: जो शख्स गुनाहों के जरिए, झूठ बोलकर, पैसे देकर लोगों से अपनी तारीफ करना चाहता है, वह शख्स जो लोगों से अपनी झूठी तारीफ करता है यानी गुनाह के जरिए लोगों से अपनी तारीफ करता है। एक दिन यही प्रशंसा करने वाला उसे गालियां देने लगता है। हम समाज में यह देख रहे हैं, कल तक जो किसी की नाक के बाल थे, परछाई की तरह चलते थे, तारीफ करते थे, सर कहते थे, हाजी कहते थे, आज वे चौराहे पर खड़े होकर उन्हें बुरा-भला कह रहे हैं।

 

 

 

 

 

ईरान में 23 साल से कम उम्र की कुश्ती की नेश्नल टीम ने विभिन्न प्रकार के सात पदकों के साथ अलबानिया में होने वाली प्रतियोगिता में चैंपियन का ख़िताब जीत लिया है।

अलबानिया की राजधानी तिराना में 23 साल से कम उम्र के जवानों की जो फ्री स्टाईल कुश्ती की प्रतियोगिता हुई थी उसमें ईरान की फ़्री स्टाईल कुश्ती की नेश्नल टीम ने तीन स्वर्ण पदक और एक रजत और तीन कांस्य पदक प्राप्त किया। इस प्रकार वह प्रथम स्थान पर रही।

मेहदी यूसुफ़ी ने 79 किलोग्राम, अमीर हुसैन फ़ीरोज़पूर ने 92 किलोग्राम, अमीर रज़ा मासूमी ने 125 किलोग्राम की प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक हासिल जबकि मेहदी हाजीलूयान ने 97 किलोग्राम के मुक़ाबले में रजत पदक हासिल किया और अली मोमिनी 57 किलोग्राम, इब्राहीम ख़्वारी ने 61 किलोग्राम और अब्बास इब्राहीमज़ादे ने 70 किलोग्राम के मुक़ाबले में कांस्य पदक प्राप्त किया।

इस प्रकार इस मुक़ाबले में ईरान की फ्री स्टाईल की नेश्नल टीम पहले स्थान पर रही जबकि आज़रबाइजान गणराज्य की टीम दूसरे और जापान की टीम तीसरे स्थान पर रही।

बैरूत यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर ने कहा, बेशक सैय्यद हसन नसरुल्लाह का निधन एक महान और अपूरणीय क्षति है लेकिन उन्होंने ज़ुल्म के खिलाफ एक मकतब और रवश की बुनियाद रखी।

एक रिपोर्टर के अनुसार, बैरूत यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर तलाल अतरीसी ने दफ्तर-ए-तब्लिगात-ए-इस्लामी हौज़ा ए इल्मिया क़ुम की सहायक सांस्कृतिक प्रचार इकाई द्वारा आयोजित (हिज़्बुल्लाह जिंदा है) कांफ्रेंस में भाषण देते हुए कहा,शहीद सैय्यद हसन नसरुल्लाह ने उम्मत ए इस्लामी में एक नई हक़ीक़त को उजागर किया हैं।

उन्होंने लेबनान की आंतरिक स्थिति के सुधार राष्ट्रीय एकता और अमन की हिफाज़त और दुश्मन का मुकाबला करने में हिकमत और जुर्रत को बढ़ावा दिया हैं।

उन्होंने आगे कहा, ज़ुहद, विनम्रता, सादा जीवन शैली, मआरिफ़त अल्लाह पर पक्का यक़ीन, फिक्री और अक़ीदी हमआहंगी और राजनीतिक सोच की पारदर्शिता उनकी प्रमुख विशेषताओं में से हैं।

बेरूत यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर ने कहा,शहीद सैय्यद हसन नसरुल्लाह की शख्सियत की एक अहम ख़ासियत यह थी कि उन्होंने यहूदी दुश्मन के खिलाफ संघर्ष के महत्वपूर्ण चरण की क़ियादत की और क्षेत्र में साम्राज्यवादी योजनाओं को नाकाम कर दिया।

उन्होंने कहा, शहीद सैय्यद हसन नसरुल्लाह ने यहूदी हुकूमत को बड़ा नुकसान पहुँचाया उन्होंने न सिर्फ लेबनानियों बल्कि पूरे उम्मत ए इस्लामी में फतह की सोच को ज़िंदा किया हैं।

उन्होंने इस्राइल को मकड़ी के जाले से भी कमजोर करार दिया और फतह की संस्कृति और एक नई खुद-आगाही पैदा की हैं।

तलाल अतरीसी ने आगे कहा, जब हम उनके बयानों को देखते हैं और उनके विचारों का जायज़ा लेते हैं तो हमें मालूम होता है कि उनकी संस्कृति वास्तव में फतह की संस्कृति थी वह वास्तव में यक़ीन रखते थे कि यह संस्कृति इस्लामी सभ्यता की योजना का हिस्सा है।

यहूदी विपक्षी नेता लापिड ने देश की अर्थव्यवस्था की बर्बादी, हत्याओं और सैनिकों के ड्यूटी से इनकार के संबंध में यहूदी कैबिनेट पर कड़ी आलोचना करते हुए कहा है कि नेतन्याहू के पास हार मानने के अलावा कोई चारा नहीं है।

एक रिपोर्ट के अनुसार, यहूदी विपक्षी नेता लापिड ने देश की अर्थव्यवस्था की बर्बादी, हत्याओं और सैनिकों के ड्यूटी से इनकार के संबंध में यहूदी कैबिनेट पर कड़ी आलोचना करते हुए कहा है कि नेतन्याहू के पास हार मानने के अलावा कोई चारा नहीं है।

अलजज़ीरा के मुताबिक, ग़ाज़ा और लेबनान में ऐतिहासिक आक्रामकता के बावजूद अपने लक्ष्यों को पाने में नाकामी के कारण यहूदी प्रधानमंत्री नेतन्याहू को कड़ी आलोचना का सामना करना पड़ रहा है।

इज़राईली संसद में विपक्षी नेता याइर लापिड ने नेतन्याहू पर तीखा हमला किया है।

 

उन्होंने कहा कि अगर नेतन्याहू दुश्मनों का सफाया करना चाहते हैं तो हमारे बच्चों की मौतों की ज़िम्मेदारी और हार को भी स्वीकार करें।

उन्होंने सैनिकों के ड्यूटी से भागने की ओर इशारा करते हुए कहा कि हमारे सैनिक हर दिन मारे जा रहे हैं और घायल हो रहे हैं, और नेतन्याहू भागने वालों के लिए कानून बना रहे हैं। यह अस्वीकार्य है क्योंकि कानून बनाने से हत्याओं का सिलसिला नहीं रुकेगा।

उन्होंने कहा कि नेतन्याहू कैबिनेट की ओर से कोई सकारात्मक प्रगति नहीं हुई है नेतन्याहू से ज़्यादा किसी ने भी इस्राइल को कमजोर नहीं किया है।

विपक्षी नेता ने आगे कहा कि हमारी अर्थव्यवस्था दिवालिया हो गई है वित्त मंत्री के पास गणना करने के लिए एक कैलकुलेटर तक नहीं है कि आंकड़ों का आकलन कर सकें।

उन्होंने कहा कि वर्तमान कैबिनेट को यहूदी जनता के बहुमत का समर्थन नहीं है, इसलिए इसे बर्खास्त किया जाना चाहिए इस कैबिनेट ने सबसे अधिक इस्राइल को कमजोर किया है।

हज़रत आयतुल्लाहिल उज़मा नूरी हमदानी ने जिहाद और शहादत को इस्लाम की बक़ा का ज़ामिन करार देते हुए बहादुर सिपाहियों की तुलना मालिके अश्तर जैसे महान मुजाहिद से की।

एक रिपोर्ट के अनुसार , आयतुल्लाहिल उज़मा नूरी हमदानी ने जांबाज़ और शहीद फाउंडेशन के प्रमुख से मुलाकात में जिहाद और शहादत की महानता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यदि जिहाद और शहादत न होती तो इस्लाम भी न होता।

उन्होंने बहादुर सिपाहियों को मालिके अश्तर जैसे मुजाहिद के समान बताया और उनकी सेवाओं को समाज के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण करार दिया।

आयतुल्लाह नूरी हमदानी ने कहा कि शहीदों और बहादुर सिपाहियों के परिवारों की सेवा सबसे महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है उन्होंने पैगंबर इस्लाम स.ल.के कथन का हवाला देते हुए कहा कि इस्लाम की बक़ा के लिए जिहाद और शहादत जैसी कुर्बानियां बुनियादी महत्व रखती हैं।

उन्होंने आगे कहा कि इमाम जाफर सादिक अ.स. ने शहादत को नेकियों के उच्चतम स्तर पर बताया हैउन्होंने इमाम खुमैनी (र.ह) के इस कथन को दोहराया कि शहीदों के परिवार समाज के चश्म ओ चराग हैं और उनकी सेवा करना पहली ज़िम्मेदारी है।

आयतुल्लाह नूरी हमदानी ने जांबाज़ सिपाहियों को इस्लामी समाज का महत्वपूर्ण स्तंभ बताते हुए कहा कि इन मुजाहिदों ने इस्लाम और इस्लामी व्यवस्था की रक्षा के लिए अपनी ज़िंदगियाँ समर्पित की हैं।

उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि शहीद फाउंडेशन की जिम्मेदारी है कि वह उनकी सेवाओं का सम्मान करे और उनकी देखभाल में कोई कमी न आए।

ईरान के राष्ट्रपति डॉक्टर मसऊद पिज़िश्कियान ने आज गुरुवार को सुबह हज़रत फातिमा मासूमा स.ल. की ज़ियारत करने के बाद हज़रत आयतुल्लाहिल उज़मा मकारिम शीराज़ी से मुलाकात की।

एक रिपोर्ट के अनुसार, इस्लामी गणराज्य ईरान के राष्ट्रपति पिज़िश्कियान ने अपनी क़ुम यात्रा के कार्यक्रम के तहत मराजय और उलमा से मुलाकातों को जारी रखते हुए हज़रत आयतुल्लाहिल उज़मा मकारिम शीराज़ी से भेंट और वार्ता की।

आज सुबह क़ुम पहुंचने पर राष्ट्रपति ने सबसे पहले हज़रत फ़ातिमा मासूमा स.ल. के पवित्र हरम की ज़ियारत की और बारगाह-ए-करमत में दफ़न किए गए मराजे और उलमा को श्रद्धांजलि अर्पित की।

इसके बाद, ईरान के राष्ट्रपति ने आयतुल्लाहिल उज़्मा जवादी आमुली से भी मुलाकात की मुलाकात करने के बाद हज़रत आयतुल्लाहिल उज़मा मकारिम शीराज़ी के कार्यालय पहुंचे।

 

गुरुवार को लेबनान के रॉकेट हमले से उत्तरी इजराइल के शहर मालोट में 3 आर्मी की मौत हो गई।

एक रिपोर्ट के अनुसार,गुरुवार को लेबनान के रॉकेट हमले से उत्तरी इजराइल के शहर मालोट में 3 आर्मी की मौत हो गई।

इजराइल रक्षा बलों के अनुसार, यह रॉकेट लेबनान से पश्चिमी गैलिली और ऊपरी गैलिली क्षेत्रों में दागे गए 50 प्रोजेक्टाइल का हिस्सा था, जिनमें से कुछ को इजराइली वायु रक्षा प्रणाली ने रोक लिया।

इसी दिन पहले एक ड्रोन विस्फोट ने उत्तर पश्चिमी शहर नहरिया में एक पैदल यात्री पुल और एक ट्रेन कार को क्षतिग्रस्त कर दिया हालांकि समाचार एजेंसी ने बताया कि इजराइल पुलिस के अनुसार, किसी के हताहत होने की सूचना नहीं है।

इस बीच यमन से प्रक्षेपित एक ड्रोन गाजा पट्टी के निकट एक दक्षिणी शहर अश्कलोन के पास एक खुले क्षेत्र में फट गया जिससे कोई हताहत नहीं हुआ।

 

हिज़बुल्लाह के नए सेक्रेटरी जनरल शेख़ नईम क़ासिम ने कहा,मैं हिज़बुल्लाह की शूरा का शुक्रगुज़ार हूँ जिन्होंने मुझ पर भरोसा किया। मैं उस सैयद अब्बास मूसा का जानशीन हूँ जिन्होंने मुक़ावमत को ज़िंदा रखने की वसीयत की थी। मैं सैयद हसन नसरल्लाह का जानशीन हूँ जिन्होंने 32 साल तक इज़राईल को नाको चने चबवाए। इंशा अल्लाह, मुक़ावमत ज़िंदा है और ज़िंदा रहेगी, और मैं इस मिशन के लिए अपनी जान की क़ुर्बानी देने का इरादा रखता हूँ।

एक रिपोर्ट के अनुसार, हिज़बुल्लाह के नए सेक्रेटरी जनरल शेख़ नईम क़ासिम ने अपना पहला ख़िताब इस आयत से शुरू किया:

لَن يَضُرُّوكُمْ إِلَّا أَذًى ۖ وَإِن يُقَاتِلُوكُمْ يُوَلُّوكُمُ الْأَدْبَارَ ثُمَّ لَا يُنصَرُونَ.(आले इमरान 111)

उन्होंने कहा, हमने बहुत से शहीद दिए लेकिन हमें यक़ीन है कि जीत हमारी ही होगी शहीद याह्या सिनवार फ़िलिस्तीन और दुनिया के आज़ाद इंसानों के लिए बहादुरी की निशानी थे और उन्होंने अपने आख़िरी लम्हों तक संघर्ष किया।

हिज़बुल्लाह के नए सेक्रेटरी जनरल ने कहा शहीद हाशिम सफ़ी अलदीन प्रतिरोधी योद्धाओं के बारे में सोचते थे और मोर्चे के सबसे उत्कृष्ट लोगों में से एक थे जिन पर शहीद सैयद हसन नसरल्लाह बहुत भरोसा करते थे।

शेख़ नईम क़ासिम ने कहा, मैं हिज़बुल्लाह की शूरा का अत्यंत शुक्रगुज़ार हूँ जिन्होंने मुझ पर भरोसा किया मैं उस सैयद अब्बास मूसा का जानशीन हूँ जिन्होंने मुक़ावमत को ज़िंदा रखने की वसीयत की मैं सैयद हसन नसरल्लाह का जानशीन हूँ जिन्होंने 32 साल तक ईज़राईल को नाको चने चबवाए इंशा अल्लाह, मुक़ावमत ज़िंदा है और ज़िंदा रहेगी, और मैं इस मिशन के लिए अपनी जान की क़ुर्बानी देने का इरादा रखता हूँ।

उन्होंने आगे कहा, सबसे पहले हम पर फ़र्ज़ था कि हम ग़ज़ा की मदद करें ताकि क्षेत्र पर नियंत्रण करने के लिए इस्राईल के ख़तरे का सामना किया जाए, जिसका आग़ाज़ ग़ाज़ा से हुआ ग़ाज़ा के लोगों का हम पर जो हक़ था वह उनकी मदद करना था, और यह एक इंसानी अरबी-इस्लामी और मज़हबी हक़ था।

हिज़बुल्लाह के नए सेक्रेटरी जनरल ने कहा, हमसे यह न पूछें कि हमने ग़ज़ा की मदद क्यों की बल्कि दूसरों से पूछें कि उन्होंने ग़ज़ा की मदद क्यों नहीं की?

दुश्मन के ख़िलाफ़ हमारी मुक़ावमत का आग़ाज़ क़ब्ज़े वाले इलाक़ों को आज़ाद कराने के मक़सद से हुआ था। हिज़बुल्लाह के बनने से पहले इस्राईल फ़िलिस्तीनी मुक़ावमत को निशाना बनाने के बहाने लेबनान में दाख़िल हुआ।

इस्राईल को अपनी जारहियत के लिए किसी बहाने की ज़रूरत नहीं है और इतिहास इसका गवाह है।

उन्होंने कहा, अंतरराष्ट्रीय संकल्पों ने इस्राईली दुश्मन को लेबनान से नहीं निकाला बल्कि मुक़ावमत ने हमेशा सियूनियों को बेइज़्ज़त किया। यह युद्ध सिर्फ़ लेबनान और ग़ज़ा के ख़िलाफ़ इस्राईल का युद्ध नहीं है, बल्कि यह अमेरिका और इस्राईल की क्षेत्र के लोगों को ख़त्म करने और उनकी ज़मीनों पर क़ब्ज़े की वैश्विक लड़ाई है।

शेख़ नईम क़ासिम ने इज़राईल हुकूमत को मुख़ातिब करते हुए कहा, हमारी सरज़मीन से निकल जाओ वर्ना भारी क़ीमत चुकानी पड़ेगी।

 

 

 

 

 

हौज़ा ए इल्मिया के प्रमुख ने कहा,हमारी सबसे महत्वपूर्ण ज़िम्मेदारी यह है कि हम समाज की ईमानी, इन्क़लाबी और सांस्कृतिक पहचान की हिफ़ाज़त करें और यह वह सबसे महत्वपूर्ण काम है जिसे हम ईमानी पहचान को मज़बूत और सुरक्षित बनाकर पूरा कर सकते हैं।

एक रिपोर्टर के अनुसार,हौज़ा इल्मिया के प्रमुख आयतुल्लाह अली रज़ा आराफी ने आज ईरान के राष्ट्रपति के सहायक और बुनियाद ए शहीद व उमूर ए ऐसारग़रान के प्रमुख सईद औहदी और विलायत ए फक़ीह के प्रतिनिधि हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन मौलवी मुक़द्दम से क़ुम में अपने दफ्तर में मुलाक़ात के दौरान कहा, हमारी सबसे महत्वपूर्ण जिम्मेदारी यह है कि हम समाज की ईमानी, इंकलाबी और मूल्य आधारित पहचान की सुरक्षा करें और यह वही सबसे महत्वपूर्ण काम है जिसे हम ईमानी पहचान को मजबूत और सुरक्षित बनाकर अंजाम दे सकते हैं।

उन्होंने कहा, शहीदों के परिवार के आत्मिक और भावनात्मक पहलुओं का ख्याल रखना अत्यंत महत्वपूर्ण है यह वर्ग इसके लिए उचित समर्थन का पात्र है, और उन्हें समाज में सम्मान का अनुभव होना चाहिए यह हम सभी की जिम्मेदारियों में शामिल है।

हौज़ा ए इल्मिया के प्रमुख ने कहा,इसी तरह एक महत्वपूर्ण मुद्दा आम जनता की आर्थिक समस्याएं हैं जिन्हें नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। इमाम ख़ुमैनी र.ह. ने भी इस पर जोर दिया था और सरकारें भी अपनी क्षमता अनुसार इस पर ध्यान देती रही हैं।

आयतुल्लाह अली रज़ा आराफी ने आगे कहा, सेवा की महानता इसमें है कि हम जानें कि किसकी सेवा की जा रही है इस संदर्भ में आपका कार्य सर्वोच्च प्राथमिकता रखता है क्योंकि आप उन लोगों की सेवा कर रहे हैं जिन्होंने अपने प्राण और सब कुछ कुर्बान किया और उनकी यह कुर्बानी महान उद्देश्यों के लिए थी।

क़ुम अलमुकद्देसा की यात्रा के दौरान ईरान के राष्ट्रपति पिज़िश्कियान ने आयतुल्लाहिल उज़्मा जवादी आमुली से मुलाकात की, इस मुलाकात के दौरान विभिन्न धार्मिक और सामाजिक मुद्दों पर चर्चा की।

एक रिपोर्ट के अनुसार, इस्लामी गणराज्य ईरान के राष्ट्रपति राष्ट्रपति पिज़िश्कियान ने आयतुल्लाहिल उज़्मा जवादी आमुली से मुलाकात की, इस मुलाकात के दौरान विभिन्न धार्मिक और सामाजिक मुद्दों पर चर्चा की।

आज सुबह क़ुम पहुंचने पर राष्ट्रपति ने सबसे पहले हज़रत फ़ातिमा मासूमा स.ल.के पवित्र हरम की ज़ियारत की और बारगाह ए करमत में दफ़न किए गए मराजे और उलमा को श्रद्धांजलि अर्पित की।

उसके बाद उन्होंने कुम  में मौजूद मरायज इकराम से मुलाकात करने के लिए उनके कार्यालय तशरीफ़ लिए गए।