
رضوی
ईरान एकमात्र देश है जो फिलिस्तीनीयों के साथ खड़ा है।
मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के प्रतिष्ठित प्रवक्ता मौलाना सज्जाद नोमानी ने अपने इंटरव्यू में कहा कि मैं दुआ करता हूँ कि ईरान इसी तरह इसराइल के खिलाफ पूरी ताकत से डटा रहे। ईरान इस समय एकमात्र देश है जो फिलिस्तीनी के लिए खड़ा है और अगर यह दृढ़ता बनी रही तो इंशाअल्लाह, हालात बेहतर होंगे।
एक रिपोर्ट के अनुसार ,मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के प्रतिष्ठित प्रवक्ता मौलाना साज्जद नोमानी को भारत में इस्लामी शिक्षाओं और मुस्लिम सामाजिक कानूनों के एक सम्मानित और जागरूक नेता के रूप में जाना जाता है।
मौलाना साज्जद नोमानी की शख्सियत उनके विचार, और उनकी गहरी दृष्टि ने उन्हें इस संगठन में एक महत्वपूर्ण स्थान दिया है और वे समाज में इस्लामी पहचान को मजबूत करने के लिए एक अहम भूमिका निभा रहे हैं।
अरब देशों की हालिया नीतियों, खासकर फिलिस्तीन मुद्दे और इज़राइल के साथ उनके संबंधों को लेकर उनके दिए गए एक महत्वपूर्ण इंटरव्यू को हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के ज़रीया पाठकों के लिए प्रस्तुत किया जा रहा है।
मेज़बान:अस्सलाम वालेकुम! आज हमारे साथ मौलाना साज्जद नोमानी साहब हैं, जो इस्लामी दुनिया में एक जाने-माने आलिम हैं मौलाना को उनके धार्मिक ज्ञान, सेवाओं और धार्मिक मुद्दों पर बेबाकी से अपनी राय देने के लिए जाना जाता है। आज हम उनसे अरब देशों की हालिया नीतियों पर बात करेंगे खासकर फिलिस्तीन मुद्दे और इज़राइल के साथ उनके संबंधों पर।
मौलाना, आपका स्वागत है!
मौलाना साज्जद नोमानी: वाअलैकुम अस्सलाम, आपका बहुत बहुत शुक्रिया आपने इस महत्वपूर्ण विषय पर बात करने का अवसर दिया।
मेज़बान: आपने हाल के दिनों में देखा होगा कि ईरान और इज़राइल के बीच तनाव बढ़ रहा है और ईरान अकेला देश है जो प्रतिरोधी ताकतों का साथ दे रहा है, जबकि दूसरी ओर अरब देशों की ओर से खामोशी छाई हुई है। कुछ देश तो इज़राइल का समर्थन करते हुए भी दिखाई दे रहे हैं, जैसे कि सऊदी अरब के अखबारों ने हाल ही में फिलिस्तीनी नेता यहिया सिनवार की शहादत पर जश्न मनाया आप इस स्थिति को कैसे देखते हैं?
मौलाना साज्जद नोमानी : देखिए यह बात अब छुपी हुई नहीं है कि सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात जैसे देश इज़राइल के साथ संबंध बढ़ा रहे हैं। यह संबंध सिर्फ राजनीतिक या कूटनीतिक नहीं हैं, बल्कि इनके अंदर गहरी मानसिक समानता है जो अब सामने आ रही है।
सऊदी अरब के अखबारों में जो खबरें आईं उनमें फिलिस्तीनी नेता के बारे में जिस प्रकार की भाषा का प्रयोग किया गया, वह अत्यंत दुखद है। इज़राइली मीडिया ने शायद इतनी तीव्रता से ऐसे शब्द नहीं इस्तेमाल किए होंगे यह अरब देश इज़राइल के एजेंडे पर चलकर फिलिस्तीन मुद्दे की अनदेखी कर रहे हैं और यह न सिर्फ उम्मत ए मुस्लिम के साथ बल्कि अपनी जनता के साथ भी गद्दारी है।
मेज़बान: आपका मतलब है कि अरब देश इज़राइल के साथ खुलकर खड़े हैं। यह क्यों हो रहा है? क्या आपको लगता है कि उनकी सरकारें इज़राइल का समर्थन कर रही हैं?
मौलाना साजिद नोमानी: जी हाँ, बिल्कुल यही बात है। अरब देश खासकर सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात की सरकारें अब इज़राइल के समर्थन में खुलकर सामने आ रही हैं। और यह सच्चाई अब छिपी हुई नहीं रही।
अगर आप उनके मीडिया और अधिकारियों के बयानों को देखें तो यह साफ दिखाई देता है कि वे लोग इज़राइली विचारधारा को आगे बढ़ा रहे हैं। मैंने पहले भी कहा है और आज भी यही कहता हूँ कि इन देशों के शासक जो कर रहे हैं, वह दरअसल अमेरिकी और इज़राइली हितों को पूरा कर रहा है। इन शासकों ने शायद खुद को इज़राइल का वफादार समझ लिया है, और यह उनके व्यवहार से साफ जाहिर होता है।
मेज़बान: लेकिन मौलाना साहब जब हम उलेमा की बात करते हैं तो क्या वजह है कि सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात के उलेमा इस मसले पर खामोश हैं?
मौलाना सज्जाद नोमानी: वहाँ के उलेमा में जो भी सरकार की नीति के खिलाफ बोलता है उसे जेल में डाल दिया जाता है। खौफ और जुल्म का ऐसा माहौल बना दिया गया है कि कोई आलिम-ए-दीन एक ट्वीट तक नहीं कर सकता। आप सोचिए कि वहाँ के बड़े उलेमा में से एक ने सिर्फ फिलिस्तीन के हक में दुआ की थी और इसके नतीजे में उन्हें जेल में डाल दिया गया।
यह स्थिति इस हद तक खराब है कि कोई व्यक्ति अपनी राय देने का साहस नहीं कर पाता इस माहौल में सऊदी या संयुक्त अरब अमीरात की सरकारों से किसी भी अच्छे की उम्मीद करना बेकार है।
मेज़बान: मौलाना सज्जाद नोमानी आपने ईरान की तरफ भी इशारा किया। ईरान और इज़राइल के बीच इस समय जो तनाव है उसे आप कैसे देखते हैं?
मौलाना सज्जाद नोमानी: मैं दुआ करता हूँ कि ईरान इसी तरह इज़राइल के खिलाफ पूरी ताकत से डटा रहे ईरान इस समय वह एकमात्र देश है जो फिलिस्तीनी काज के लिए खड़ा है, और अगर यह स्थिरता बरकरार रही तो, इंशाअल्लाह, हालात बेहतर होंगे। मेरी दुआ है कि ईरानी नेतृत्व इस्लाम के सच्चे वफादार बनकर काम करे और हमें यह उम्मीद रखनी चाहिए कि उम्मत-ए-मुस्लिम के सभी तबके चाहे शिया हों या सुन्नी, एकजुट हों।
मेज़बान: आपके विचार में शिया और सुन्नी एकता संभव है?
मौलाना सज्जाद नोमानी : बिल्कुल मैं इस बात पर पूरा विश्वास रखता हूँ कि आने वाले समय में शिया और सुन्नी मतभेद खत्म होंगे। हमारे बड़े उलेमा ने इस बात की भविष्यवाणी की है कि इमाम महदी अ.ज. के ज़ुहूर के वक्त उम्मत-ए-मुस्लिम एक हो जाएगी।
यह एकता उस समय होगी जब इमाम महदी अ.ज. असल मायने में दुनिया के सामने आएँगे, और तब उम्मत-ए-मुस्लिम एक मजबूत और एकीकृत ताकत के रूप में सामने आएगी। इस एकता के कारण हम अपनी खोई हुई इज्जत और ताकत वापस पा सकेंगे।
मेज़बान: मौलाना साहब, यह बहुत ही उत्साहवर्धक बात है। आपकी बातचीत से बहुत कुछ सीखने को मिला अल्लाह आपको सलामत रखे और आपकी कोशिशों को कबूल फरमाए।
ईरान पर हमले के गंभीर परिणाम और प्रतिक्रियाएं
इराकी विश्लेषक कासिम सलमान अलअबूदी ने कहा कि इज़राइल दक्षिणी लेबनान और गाज़ा में अपनी असफलता और बदनामी को छुपाने के लिए एक नकली जीत हासिल करने की कोशिश कर रहा है।
एक रिपोर्ट के अनुसार ,हाल के दिनों में इज़राइल ने अमेरिका के पूर्ण समर्थन के साथ ईरान के खिलाफ भड़काऊ कार्रवाइयाँ कीं। जवाब में, ईरान ने चेतावनी दी कि वह इन कार्रवाइयों को नज़रअंदाज़ नहीं करेगा।
इज़राइल ने तेहरान, ख़ुज़िस्तान और ईलाम में नकली और प्रतीकात्मक हमले किए, लेकिन ईरान की हवाई रक्षा की समय पर सतर्कता के कारण ये असफल रहे।
इसके बाद हिब्रू मीडिया ने गाजा और दक्षिणी लेबनान में युद्ध को समाप्त करने की बात कही इस दौरान दक्षिणी लेबनान में इज़राइली सेना को भारी नुकसान हुआ और इज़राइली अधिकारियों ने घोषणा की कि ज़मीनी हमले को एक या दो हफ्ते में समाप्त कर दिया जाएगा। इज़राईल के स्रोतों ने स्वीकार किया कि ईरान पर हमले से उन्हें कोई विशेष लाभ नहीं हुआ।
इराकी विश्लेषक अलअबूदी ने कहा कि इज़राइल की ओर से शनिवार सुबह ईरान पर किया गया यह निराशाजनक हमला इज़राइल के लिए विनाशकारी परिणाम लाएगा।
उन्होंने कहा कि इस्लामी प्रतिरोध की ताकत इज़राईल के खिलाफ जवाब देने के लिए पर्याप्त है और यह हमला उन यहूदियों के लिए भी एक सख्त संदेश है जो नेतन्याहू की नेतृत्व वाली दक्षिणपंथी सरकार से नाखुश हैं।
अलअबूदी ने आगे कहा कि ईरानी सशस्त्र बलों की ठोस प्रतिक्रिया ने इज़राईल को और भड़का दिया है, और ईरान संभवत,अपनी रणनीति के तहत तुरंत जवाब देने के बजाय धैर्य रखेगा ताकि इज़राइल पर प्रतिरोधी ताकत का दबाव बढ़ता रहे।
क्षेत्र में इज़राइल का समर्थन करने वाले देशों को भी जवाब मिलेगा
इराकी विश्लेषक ने कहा कि उन अरब देशों को भी प्रतिरोधी ताकतों की ओर से जवाब मिलेगा जो इज़राइल को अपनी भूमि से गुजरने की अनुमति दे रहे हैं।
उन्होंने स्पष्ट किया कि यह जवाब केवल सैन्य कार्रवाई तक सीमित नहीं हो सकता बल्कि इसमें आर्थिक कदम भी शामिल हो सकते हैं जैसे इराक और जॉर्डन के बीच होने वाले समझौते जिनके तहत इराक का तेल जॉर्डन के रास्ते अम्मान को भेजा जा रहा है।
ईरान का जवाबी हमला अंतरराष्ट्रीय कानूनों के तहत उसका अधिकार है
अलअबूदी ने कहा कि इज़राईल की आक्रामकता के जवाब में ईरान को कानूनी अधिकार प्राप्त है, जो संयुक्त राष्ट्र के चार्टर के अनुच्छेद 51 के तहत है, और ईरान इस अधिकार का उपयोग अपने नागरिकों के हितों की रक्षा के लिए कर सकता है।
अलअबूदी ने आगे कहा कि उनके विचार में ईरान की प्रतिक्रिया इज़राइली क्षेत्रों में ही होगी जिसे ईरान की नेतृत्व देश की सुरक्षा और स्थिरता की रक्षा के लिए उपयुक्त समय और स्थान पर लागू
मोसाद के ठिकाने के निकट हमला, 6 ज़ायोनी आतंकियों की मौत कई घायल
तल अवीव में मोसाद के ठिकाने के निकट एक ट्रक की मदद से हुए हमले में इस्राईल के बहुचर्चित 8200 यूनिट के 6 आतंकी मारे गए जबकि 50 के आसपास घायल हैं।
प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार तल अवीव के उत्तर में एक बस स्टेशन पर 50 से अधिक ज़ायोनी उपस्थित थे जिनके बारे में कहा जा रहा है कि वह सभी ज़ायोनी सेना की यूनिट 8200 के सैनिक थे हिब्रू सूत्रों के मुताबिक ट्रक की सहायता से किये गए इस हमले में 6 ज़ायोनी सैनिक घटनास्थल पर ही मारे गए।
हिब्रू भाषी सूत्रों ने मक़बूज़ा फिलिस्तीन के केंद्र तल अवीव के उत्तर में गिलोट चौराहे के पास एक खतरनाक सुरक्षा घटना की सूचना दी है। इन सूत्रों ने जोर देते हुए कहा कि सैन्य सेंसरशिप के कारण इस घटना के विवरण देने पर रोक लगा दी गयी है।
पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में हुए हमलों में कम से कम 15 सुरक्षाकर्मी मारे गए
पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में पिछले 48 घंटों में हुए हमलों में कम से कम 15 सुरक्षाकर्मी मारे गए हैं, जिससे अशांति से ग्रस्त क्षेत्र में कानून प्रवर्तन एजेंसियों में हड़कंप मच गया है।
एक रिपोर्ट के अनुसार ,पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में पिछले 48 घंटों में हुए हमलों में कम से कम 15 सुरक्षाकर्मी मारे गए हैं, जिससे अशांति से ग्रस्त क्षेत्र में कानून प्रवर्तन एजेंसियों में हड़कंप मच गया है।
डेरा इस्माइल खान में एक सुरक्षा चौकी पर लक्षित हमले में कम से कम 10 फ्रंटियर कांस्टेबुलरी के जवान मारे गए और तीन घायल हो गए। पाकिस्तान के गृह मंत्रालय के अनुसार छह जवान दक्षिण वजीरिस्तान के थे जबकि चार करक शहर के थे।
मंत्रालय द्वारा जारी एक बयान में कहा गया हम एफसी के शहीदों को श्रद्धांजलि देते हैं बलिदान केवल आतंकवाद को खत्म करने के लिए बलों के दृढ़ संकल्प को मजबूत करता है।
इस हमले की तहरीक ए तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) ने हमले की जिम्मेदारी ली है और इसे बाजौर जिले में सुरक्षा बलों द्वारा किए गए सैन्य अभियान का बदला बताया है जिसमें उसके कम से कम नौ सदस्य मारे गए थे।
दौरे हाज़िर में विद्यार्थियों के लिए मीडिया को समझना बहुत ज़रूरी
ईरान के शहर यज़्द में मीडिया साक्षरता के विशेषज्ञ ने (तलीया हुज़ूर) नामक सम्मेलन में छात्रों के एकत्रित समूह से बातचीत करते हुए कहा कि आधुनिक युग में छात्रों के लिए मीडिया को समझना अत्यंत आवश्यक है।
एक रिपोर्ट के अनुसार,मीडिया साक्षरता के विशेषज्ञ मोहम्मद हादी फ़ज़लुल्लाह नेज़ाद ने ईरान के शहर यज़्द में (तलिया हुज़ूर) नामक सम्मेलन में छात्रों के एकत्रित समूह को संबोधित करते हुए कहा,आप मीडिया युग के विद्वान हैं आज मीडिया प्रौद्योगिकी के साथ गहराई से जुड़ा हुआ है और तकनीक ने बहुत प्रगति कर ली है।
उन्होंने आगे कहा,मीडिया और प्रौद्योगिकी की प्रगति का एक महत्वपूर्ण उदाहरण कृत्रिम बुद्धिमत्ता या आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस है जो कई मामलों में चमत्कार जैसा प्रतीत होता है।
मीडिया साक्षरता के इस विशेषज्ञ ने कहा,जो लोग ईश्वर पर विश्वास नहीं करते उन्हें कई बार ऐसा लगता है कि मनुष्य शायद विभिन्न क्षेत्रों में ईश्वरीय कार्य कर सकता है।
उन्होंने कहा,आपको आधुनिक मीडिया के विद्वानों के रूप में ऐसे प्रश्नों अपेक्षाओं और लोगों का सामना करना है जिनके विचार और मान्यताएँ पिछले दशकों के लोगों से बहुत अलग हैं, और आपको खुद को इस क्षेत्र के लिए तैयार करना होगा।
फ़ज़लुल्लाह नेज़ाद ने मीडिया की समझ को अत्यंत महत्वपूर्ण मानते हुए कहा,जनता का विद्वानों के साथ सीधा संपर्क आवश्यक है। आपकी कुछ जानकारी ज्ञान की अवधारणा से संबंधित है। जरूरी है कि आप इसकी इतिहास से जागरूक हों और तकनीकी दृष्टि से इसके बारे में जानें आपकी तकनीकी जानकारी स्कूल और विश्वविद्यालय के छात्रों से अधिक होनी चाहिए।
आपको इसमें विशेषज्ञता प्राप्त होनी चाहिए क्योंकि आपको प्रशिक्षण देना है प्रशिक्षक तैयार करना है और माता पिता को यह सिखाना है कि इस खतरनाक युग में बच्चों के साथ कैसे व्यवहार करना चाहिए।
ताइवान ने अमेरिका से किया रक्षा सौदा, चीन के साथ बढ़ेगा तनाव
अमेरिका ने मिडिल ईस्ट और रूस यूक्रेन युद्ध की आग भड़काने के बाद अब चीन ताइवान के बीच भी तनाव को हवा देना तेज़ कर दिया है। चीन से तनाव के बीच अमेरिका ने ताइवान को 2 अरब डॉलर के खतरनाक हथियार देने के सौदे को मंज़ूरी दे दी है। वाशिंगटन ने ताइवान के करीब 2 अरब डॉलर की आर्म डील को मंजूरी दे दी गयी है। इसमें तीन एडवांस डिफेंस सिस्टम और रडार शामिल है। अमेरिका के इस कदम से चीन नाराज हो सकता है। चीन वन चाइना पॉलिसी के तहत ताइवान पर संप्रभुता का दावा करता रहा है।
उत्तरी गाज़ा में विनाशकारी मानवीय संकट
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटरेस ने रविवार को उत्तरी गाज़ा में बढ़ते जनसंहार और तबाही पर गहरा दुःख और चिंता व्यक्त किया है उन्होंने इज़राइली अधिकारियों पर मानवीय सहायता की आपूर्ति में लगातार बाधा डालने की आलोचना की हैं।
एक रिपोर्ट के अनुसार,संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटरेस ने रविवार को उत्तरी गाज़ा में बढ़ते जनसंहार और तबाही पर गहरा दुःख और चिंता व्यक्त किया है उन्होंने इज़राइली अधिकारियों पर मानवीय सहायता की आपूर्ति में लगातार बाधा डालने की आलोचना की हैं।
एंतोनियो गुटरेस ने अपने बयान में चेतावनी दी कि इज़राइल के उत्तरी गाज़ा में जारी सैन्य कार्रवाई के परिणामस्वरूप वहां फंसे हुए फिलिस्तीनी नागरिकों की स्थिति असहनीय हो गई है।
महासचिव ने जबालिया, बेइत लाहिया, और बेइत हनून जैसे क्षेत्रों की गंभीर स्थिति पर रौशनी डाली है जहां नागरिक मलबे के नीचे दबे हुए हैं और उन्हें बुनियादी चिकित्सा सहायता, भोजन या आश्रय तक पहुंच नहीं मिल रही है। उन्होंने कहा कि इज़रायली अधिकारी लगातार मानवीय सहायता में बाधा डाल रहे हैं।
गुतरेस ने इस बात पर भी चिंता जताई कि पोलियो टीकाकरण अभियान में देरी ने हज़ारों बच्चों को खतरे में डाल दिया है।
उन्होंने जोर देकर कहा कि वर्तमान संघर्ष अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानूनों की अनदेखी करते हुए जारी है और उन्होंने तत्काल युद्धविराम और सभी बंधकों की बिना शर्त रिहाई की मांग की है।
महासचिव ने राहतकर्मियों की सुरक्षा की तत्काल आवश्यकता पर भी जोर दिया और कहा कि मानवीय कार्यों के लिए सुरक्षित परिस्थितियां बनाई जाएं।
ध्यान देने योग्य है कि इज़राइली सरकार संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के तत्काल युद्धविराम के प्रस्ताव के बावजूद अमानवीय अपराध करती जा रही है, और उसके खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय में नरसंहार का मामला भी चल रहा है।
25 ज़ायोनी क़स्बों को ख़ाली करने हेतु हिज़्बुल्लाह की अभूतपूर्व मांग
लेबनान के इस्लामी प्रतिरोध आंदोलन हिज़्बुल्लाह ने 25 अतिग्रहित क़स्बों में रहने वाले ज़ायोनियों से मांग की है कि वे इन क़स्बों को ख़ाली कर दें।
हिज़्बुल्लाह ने एक वीडियो जारी करके कहा है कि वह 25 अतिग्रहित क़स्बों में रहने वाले ज़ायोनियों का आह्वान करता है कि वे इन क़स्बों को ख़ाली कर दें क्योंकि ये क़स्बे दुश्मन सैनिकों के इकट्ठा होने के स्थान में बदल गये हैं।
हिज़्बुल्लाह ने कहा है कि यह 25 क़स्बे प्रतिरोध के हवाई और प्रक्षेपास्त्रिक वैध लक्ष्यों में परिवर्तित हो गये हैं।
उल्लेखनीय है कि ज़ायोनी सरकार के लेबनान पर ज़मीनी हमलों के जवाब में इन हमलों के जवाब में हिज़्बुल्लाह ने 70 से अधिक ज़ायोनी सैनिकों को मौत के घाट उतार दिया है और 600 से अधिक सैनिकों व अफ़सरों को घायल कर दिया है।
लेबनान के इस्लामी प्रतिरोध आंदोलन हिज़्बुल्लाह के जियालों ने ज़ायोनी सैनिकों से लड़ाई में 28 मिर्कावा टैंकों, 4 बुल्डोज़रों, एक बक्तरबंद वाहन, तीन हेर्मस 450 और एक हेर्मस 900 ड्रोनों को ध्वस्त कर दिया।
ज़ायोनी सैनिकों से ज़मीनी लड़ाई में हिज़्बुल्लाह को मिलने वाली सफ़लता इस बात का कारण बनी है कि हिज़्बुल्लाह अपने मिसाइली हमलों में अधिक से अधिक ज़ायोनी क़स्बों पर हमले कर सकता है। इसी परिप्रेक्ष्य में हिज़्बुल्लाह ने अपने मिसाइलों की रेन्ज बढ़ा दी है और तेलअवीव से दूर के क्षेत्रों को भी अपने मिसाइलों से लक्ष्य बना रहा है।
यह उस हालत में है जब इससे पहले भी हिज़्बुल्लाह ने अतिग्रहित उत्तरी फ़िलिस्तीन में ज़ायोनी सैनिकों के लिए हालात को बहुत कठिन बना दिया था और उसकी जवाबी कार्यवाहियां लेबनान की सीमा के निकट रहने वाले ज़ायोनियों के बेघर होने का कारण बनीं थीं।
कुछ आंकड़े इस बात के सूचक हैं कि लेबनान की सीमा के निकट रहने वाले लगभग 70 प्रतिशत ज़ायोनी इन क्षेत्रों से निकल गये हैं। इस आधार पर कुछ ज़ायोनी क़स्बों के ख़ाली करने पर आधारित हिज़्बुल्लाह की मांग अभूतपूर्व है।
हिज़्बुल्लाह द्वारा ज़ायोनी क़स्बों के ख़ाली करने पर आधारित मांग इस बात की सूचक है कि हिज़्बुल्लाह अतिग्रहित ज़ायोनियों के 25 क़स्बों में अपने हमलों में वृद्धि करने का इरादा रखता है।
अपेक्षा इस बात की है कि ज़ायोनियों के अतिग्रहित क़स्बों में हिज़्बुल्लाह द्वारा हमलों में वृद्धि के बाद इन क़स्बों से और अधिक संख्या में ज़ायोनी दूसरे क्षेत्रों में विस्थापित होंगे।
हिज़्बुल्लाह के महासचिव सैय्यद हसन नस्रुल्लाह और उसके वरिष्ठ कमांडरों की शहादत के बाद ज़मीन और आसमान में कामयाबी हासिल करने के लिए हिज़्बुल्लाह का मनोबल बहुत ऊंचा हो गया है।
ज़ायोनी प्रधानमंत्री बिनयामिन नेतनयाहू के आवास पर हवाई हमला और इसी प्रकार गोलानी ब्रिगेड के ठिकाने पर हमला हालिया सप्ताह में हिज़्बुल्लाह को मिलने वाली कामयाबी के महत्वपूर्ण नमूने हैं।
हिज़्बुल्लाह के महासचिव सैय्यद हसन नस्रुल्लाह को शहीद किये जाने के बाद ज़ायोनी प्रधानमंत्री ने क्षेत्र में नवीन व्यवस्था की बात की थी परंतु ज़मीन पर व्यापक युद्ध आरंभ हो जाने के बाद ज़ायोनी सैनिक प्रतिरोध के शूरवीरों से मुक़ाबले में नाकाम हो गये हैं।
आयतुल्लाह ख़ामेनेई शहीद सैनिकों के परिजनों से मिले
ईरान पर इस्राईल के आतंकी हमलों के बाद पूरी दुनिया की नज़र ईरान की इस्लामी क्रांति के सुप्रीम लीडर हज़रत आयतुल्लाह ख़ामेनेई के बयान पर टिकी थी। ईरान पर हुए आतंकी हमले के बाद सभी को ईरान के सुप्रीम लीडर बयान का इंतजार था। रविवार सुबह हमले में शहीद होने वाले सैनिकों के परिजनों से मिलने के बाद सुप्रीम लीडर ने हमले के बारे में कहा कि इस आतंकी हमले को न तो बढ़ा-चढ़ा कर पेश किया जाना चाहिए और न ही इसे कम करके आंकना चाहिए।
उन्होंने कहा कि अवैध राष्ट्र ने हमारी शक्ति का गलत आंकलन किया है। ज़िम्मेदार अधिकारियों को चाहिए कि वह ऐसा उपाय करें कि अवैध राष्ट्र को हमारी शक्ति अच्छी तरह अहसास हो जाए।
उन्होंने कहाकि ईरान स्थिति का गंभीरता से आंकलन कर रहा है। ग़ज़्ज़ा और लेबनान को ईरानी समर्थन को जारी रखने की बात कहते हुए सुप्रीम लीडर ने यहाँ जारी ज़ायोनी सेना के अभियान और फिलिस्तीन जनता के जनसंहार को रोकने के प्रयासों पर भी जोर दिया।
ग़ज़्ज़ा में जनसंहार जारी, ज़ायोनी सेना ने 45 लोगों की हत्या की
फिलिस्तीन में लगभग एक साल से अधिक समय से ज़ायोनी सेना की ओर से आम फिलिस्तीनी नागरिकों का जनसंहार जारी है। अब तक 45 हज़ार से अधिक बेगुनाह लोग ज़ायोनी सेना के हाथों मारे जा चुके हैं। उत्तरी ग़ज़्ज़ा की रिहायशी इमारतों पर बम बरसाते हुए एक बार फिर अवैध राष्ट्र इस्राईल ने 45 लोगों की जान ले ली है।
अल जज़ीरा की रिपोर्ट के मुताबिक़ ज़ायोनी सेना ने ग़ज़्ज़ा में नागरिक इमारतों को निशाना बनाते हुए हमला किया, जिसमें 45 नागरिकों की जान चली गई और कई मलबे के नीचे दफन हो गए। पिछले एक साल से ग़ज़्ज़ा में मानवीय संकट अपने चरम पर पहुँच चुका है लेकिन अवैध राष्ट्र इस्राईल के बर्बर हमले थमने का नाम नहीं ले रहे हैं।