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ईरान के राष्ट्रपति की आयतुल्लाहिल उज़्मा सुब्हानी से मुलाकात की
आज गुरुवार को सुबह हज़रत फातिमा मासूमा स.ल. की ज़ियारत करने के बाद ईरान के राष्ट्रपति ने आयतुल्लाहिल उज़्मा सुब्हानी से उनके कार्यालय में मुलाकात की।
एक रिपोर्ट के अनुसार, इस्लामी गणराज्य ईरान के राष्ट्रपति राष्ट्रपति पिज़िश्कियान ने आयतुल्लाहिल उज़्मा जफार सुब्हानी से मुलाकात की, इस मुलाकात के दौरान विभिन्न धार्मिक और सामाजिक मुद्दों पर चर्चा की हैं।
आज सुबह क़ुम पहुंचने पर राष्ट्रपति ने सबसे पहले हज़रत फ़ातिमा मासूमा स.ल.के पवित्र हरम की ज़ियारत की और बारगाह ए करमत में दफ़न किए गए मराजे और उलमा को श्रद्धांजलि अर्पित की।
ईरान के राष्ट्रपति डां पिज़िश्कियान ने पहले आयतुल्लाहिल उज़्मा जवादी आमुली से मुलाकात की मुलाकात करने के बाद हज़रत आयतुल्लाहिल उज़मा मकारिम शीराज़ी से उनके कार्यालय में मुलाकात की फिर आयतुल्लाहिल उज़्मा सुब्हानी से मुलाकात की।
इस्राईली हमले में कोई भी युद्धक विमान ईरान में दाख़िल नहीं हुआ
ईरान के प्रतिरक्षामंत्री ने कहा है कि ईरान पर हमले के दौरान कोई भी इस्राईली युद्क विमान देश की वायुसीमा में दाख़िल नहीं हुआ है।
उन्होंने उन आरोपों को रद्द कर दिया जिसमें यह कहा जा रहा है कि ईरान पर हमले के दौरान इस्राईली युद्धक विमान देश की वायुसीमा में दाख़िल हुए थे। रक्षामंत्री ने इसी प्रकार उन अफ़वाहों को भी रद्द कर दिया जिसमें यह कहा जा रहा है कि उत्तरी सीमाओं से ईरान पर हमला हुआ था।
ज़ायोनी सरकार ने तनाव में वृद्धि करने वाले कार्य के अंतर्गत 26 अक्तूबर को ईरान पर हमला किया था।
ब्रिगेडियर जनरल अज़ीज़ नसीरज़ादे ने ईरान की वायुसीमा में इस्राईली युद्धक विमानों के दाख़िल होने पर आधारित ख़बरों का खंडन करते हुए कहा कि राष्ट्रसंघ के घोषणापत्र के अनुसार जब भी किसी देश की वायुसीमा का उल्लंघन होता है तो उस देश को अतिक्रमण का जवाब देने का अधिकार है।
इसी प्रकार उन्होंने कहा कि दुश्मन ने हमारे एअर डिफ़ेन्स सिस्टम और एफ़न्डी सिस्टम को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की परंतु हमारी जो सुरक्षा व पैसिव तैयारी थी उसकी वजह से कोई विशेष नुकसान नहीं पहुंचा।
प्रतिरक्षामंत्री ने इसी प्रकार देश की उत्तरी सीमाओं से हमले होने पर आधारित अफ़वाहों को भी रद्द कर दिया।
ईरान के एअर डिफ़ेन्स के जनसंपर्क विभाग ने एक बयान जारी करके एलान किया था कि ज़ायोनी सरकार ने 26 अक्तूबर को तनावजनक कार्यवाही के अंतर्गत तेहरान,ख़ूज़िस्तान और ईलाम प्रांतों में कुछ सैनिक केन्द्रों पर हमला जिसका ईरानी डिफ़ेन्स ने कामयाबी व सफ़लता के साथ मुक़ाबला किया।
हिज़्बुल्लाह लेबनान के नए प्रमुख का ऐलान
हिज़्बुल्लाह लेबनान के महासचिव सैयद मक़ावमत शहीद सैयद हसन नसरल्लाह की शहादत के बाद संगठन के नए महासचिव को लेकर कई अटकलें चल रही थीं। लेकिन आज हिज़्बुल्लाह ने नए महासचिव का चयन कर लिया है।
एक रिपोर्ट के अनुसार ,हिज़्बुल्लाह लेबनान की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि शेख नईम कासिम को हिज़्बुल्लाह लेबनान का नया सचिव जनरल चुन लिया गया है।
अलजज़ीरा और अलमयादीन के अनुसार,हिज़्बुल्लाह लेबनान की केंद्रीय परिषद ने शेख नईम कासिम को संगठन के सचिव जनरल शहीद सैयद हसन नसरुल्लाह के उत्तराधिकारी के रूप में चुना है।
शेख नईम कासिम कौन हैं?
शेख नईम कासिम का जन्म 1953 में लेबनान के क्षेत्र कफरफीला के एक धार्मिक परिवार में हुआ। उन्होंने धार्मिक शिक्षा मशहूर शिया आलिम ए दीन आयतुल्लाह अलउज़मा मुहम्मद हुसैन फ़ज़्लुल्ला से प्राप्त की और लेबनान की यूनिवर्सिटी से केमिस्ट्री में बैचलर डिग्री हासिल की।
हिज़्बुल्लाह लेबनान के नए जनरल सचिव मुस्लिम छात्र संघ के संस्थापकों में से एक हैं, जिसे 1970 के दशक में स्थापित किया गया था। वह उस समय संगठन में शामिल हुए जब संगठन के प्रमुख इमाम मूसा सदर थे।
शेख नईम कासिम 1974 से 1988 तक लेबनान की इस्लामिक धार्मिक शैक्षिक संघ के अध्यक्ष रहे। उन्होंने लेबनान में अलमुस्तफा स्कूलों के सलाहकार के रूप में भी सेवाएँ दीं। बाद में शेख कासिम ने हिज़्बुल्लाह की बुनियादी गतिविधियों में भाग लिया और 1992 में हिज़्बुल्लाह के डिप्टी सचिव जनरल नियुक्त हुए।
ध्यान रहे कि शेख नईम कासिम पहले ही इजराइल की टारगेट लिस्ट में शामिल हैं जिससे हिज़्बुल्लाह लेबनान के नए सचिव जनरल की शख्सियत का पता चलता है।
शेख नईम कासिम की किताब (हिज़्बुल्लाह) भी महत्वपूर्ण है।
शेख नईम कासिम की किताब "हिज़्बुल्लाह" के कई भाषाओं में अनुवाद हो चुके हैं और इस किताब का अध्ययन बताता है कि शेख नईम कासिम इजराइल के खिलाफ अधिक सख्त नीति अपनाने के हिमायती हैं।
पाकिस्तान के प्रसिद्ध पत्रकार हामिद मीर ने कहा कि उन्होंने यह किताब 2006 में बेरुत में पढ़ी थी और वहां उन्हें पता चला था कि सैयद हसन नसरुल्ला ने इजराइल के खिलाफ प्रतिरोध को एक रेडलाइन तक सीमित रखा है ताकि इजराइल लेबनान पर इतनी बमबारी न करे कि लेबनान का पूरा इंफ्रास्ट्रक्चर नष्ट हो जाए।
शेख नईम कासिम इजराइल के खिलाफ उसी तरह के हमलों के हिमायती रहे हैं, जैसा हमला अक्टूबर 2023 में हमास ने किया था।
शेख नईम कासिम ने अपनी किताब में यह भी लिखा है कि दुश्मन की मजबूत सेना और एयरपावर का एकमात्र हल फिदाई हमले हैं। अगर नईम कासिम ने हिज़्बुल्लाह को उसी रास्ते पर डाल दिया जिसे उन्होंने कई साल पहले अपनी किताब में इंगित किया था, तो मध्य पूर्व का युद्ध अन्य क्षेत्रों में भी फैल सकता है। नेतन्याहू के पास एयरपावर और अमेरिकी ड्रोन हैं लेकिन शेख नईम कासिम के पास हजारों फिदाई हमलावर हैं।
लेबनान में युद्ध को देखते हुए जॉर्डन ने फिर अपने कई नागरिकों को निकला
जॉर्डन के विदेश मंत्री ने एक सैन्य विमान में सवार होकर लेबनान से 10 जॉर्डन नागरिकों को निकालने की घोषणा किया है जो लेबनानी लोगों के लिए भोजन, राहत आपूर्ति, दवा और चिकित्सा उपकरण ले गए थे।
,एक रिपोर्ट के अनुसार ,जॉर्डन के विदेश मंत्री ने एक सैन्य विमान में सवार होकर लेबनान से 10 जॉर्डन नागरिकों को निकालने की घोषणा किया है जो लेबनानी लोगों के लिए भोजन, राहत आपूर्ति, दवा और चिकित्सा उपकरण ले गए थे।
मंत्रालय के प्रवक्ता सुफियान कुदाह ने कहा कि लेबनान भेजे गए जॉर्डन के सहायता विमानों की संख्या 14 तक पहुंच गई है, रविवार को दो सैन्य विमान लेबनान के रफिक हरीरी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर उतरे।
मंत्रालय ने कहा कि लेबनान में जॉर्डन के नागरिकों के लिए निकासी उड़ानों की संख्या सात तक पहुंच गई है।
कुदाह ने कहा कि रॉयल जॉर्डनियन वायु सेना के विमानों से 174 जॉर्डन नागरिकों को लेबनान से निकाला गया है।
प्रवक्ता के अनुसार, अगस्त के बाद से, 3,353 जॉर्डन नागरिक क्वीन आलिया अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे के माध्यम से लेबनान से किंगडम लौट आए हैं, इसके अलावा जो जाबेर बॉर्डर क्रॉसिंग के माध्यम से जमीन से पहुंचे थे।
इसके अलावा, लेबनान में जॉर्डन के नागरिकों को निकालने के लिए सात उड़ानें समर्पित की गई हैं, जिससे निकाले गए नागरिकों की कुल संख्या 174 हो गई है।इन निकासी में बेरूत में जॉर्डन दूतावास में इलेक्ट्रॉनिक प्लेटफ़ॉर्म पर पंजीकृत सभी लोग शामिल हैं।
हम रहबर-ए-मुअज़्ज़म और सशस्त्र बलों के फैसलों के अधीन हैं।
हौज़ा ए इल्मिया ख़ुरासान के प्रमुख हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन अली ख़य्यात ने कहा कि इस्राइल ने शुक्रवार की रात ईरान की हवाई सीमा में घुसपैठ की कोशिश की लेकिन ईरानी एयर डिफेंस की समय पर कार्रवाई से इन हमलों को नाकाम कर दिया गया और कोई नुकसान नहीं हुआ।
एक रिपोर्ट के अनुसार, हौज़ा ए इल्मिया ख़ुरासान के प्रमुख हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन अली ख़य्यात ने कहा कि इस्राइल ने शुक्रवार की रात ईरान की हवाई सीमा में घुसपैठ की कोशिश की लेकिन ईरानी एयर डिफेंस की समय पर कार्रवाई से इन हमलों को नाकाम कर दिया गया और कोई नुकसान नहीं हुआ।
मशहद में हौज़ा-ए-इल्मिया ख़ुरासान के सहायक सदस्यों की बैठक को संबोधित करते हुए हुज्जतुल इस्लाम ख़य्यात ने कहा कि ज़ायोनी ताकतों द्वारा दागे गए अधिकांश मिसाइलों को ईरानी एयर डिफेंस ने सफलतापूर्वक रोक लिया।
उन्होंने कहा कि अब इस मामले की जांच जारी है और इस्राइल द्वारा किए गए 86 में से अधिकतर मिसाइलों को विफल कर दिया गया है।
कुछ तत्वों की जल्दबाज़ी पर टिप्पणी करते हुए उन्होंने कहा कि ऐसे लोग रहबर-ए-मुअज़्ज़म की धैर्य और सहनशीलता की रणनीति को नज़रअंदाज़ कर रहे हैं।
हुज्जतुल इस्लाम ख़यात ने स्पष्ट किया कि ईरान इस्राइल की इस गलती का उचित समय पर करारा जवाब देगा, लेकिन जनता से अपील की कि वह बेवजह दबाव न डालें।
हुज्जतुल इस्लाम ख़य्यात ने इमाम ए जुमआ काज़रून की शहादत पर दुःख व्यक्त करते हुए इस मामले की पूरी जांच की मांग की हैं।
उन्होंने ताफ़तान में आतंकवादी हमले का शिकार हुए दस सैनिक जवानों की शहादत पर गहरा दुःख व्यक्त करते हुए कहा कि इस आतंकवादी हमले के जिम्मेदारों को उनके अंजाम तक पहुँचाया जाएगा ताकि दुश्मन के लिए यह एक सबक बन सके।
फिलिस्तीन के समर्थन में आगे आया भारत, 30 टन राहत सामग्री भेजी
अवैध राष्ट्र इस्राईल के बर्बर हमलों और ज़ायोनी सेना के जनसंहार का सामना कर रहे फिलिस्तीन की हालत बहुत दयनीय है। फिलिस्तीन इन दिनों अतिक्रमणकारी ज़ायोनी सेना के हमलों से बेहाल है। ऐसे में भारत ने फिलिस्तीन के लिए मदद भेजी है।
भारत ने फिलिस्तीन के लिए 30 टन मदद का जो सामान भेजा है उसमे ज्यादातर मेडिकल का सामान है। हाल ही में भारत ने वादा किया था कि वह फिलिस्तीन के लोगों की मदद करता रहेगा। ताजा मदद उसी कड़ी का हिस्सा है।
भारत की तरफ से भेजी जा रही मदद की इस खेप में कई तरह की दवाइयां शामिल हैं। भारत का फिलिस्तीनी समर्थन का एक लंबा इतिहास रहा है। भारत ने फिलिस्तीन संकट के समाधान के लिए हमेशा ही दो-राज्य समाधान की बात की है।
नेतन्याहू को ड्रोन हमलों का डर,संसद भवन में बैठक करने से इंकार
मीडिल ईस्ट के कसाई के नाम से कुख्यात नेतन्याहू की हठ फिलिस्तीन और लेबनान में लगभग 50 हज़ार लोगों की जान ले चुकी है जबकि लाखों लोग अपाहिज और बेघर हो चुके हैं।
ऐसे में हिज़्बुल्लाह ने जवाबी पलटवार तेज़ किया तो नेतन्याहू को अपनी जान का डर सताने लगा है।
ज़ायोनी रेडियो और टेलीविज़न विभाग ने खबर देते हुए कहा कि प्रधान मंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने नेसेट बैठक में पूछा: यदि अभी कोई ड्रोन यहां आता है, तो हमें कहां जाना चाहिए? हम यह बैठक कहीं और क्यों नहीं करते? मुझे ड्रोन से डर लगता है। ज़ायोनी नेता ने कहा कि हालाँकि हमारे पास मिसाइलों का पता लगाने और उन्हें रोकने के लिए अच्छे सिस्टम हैं।
मुझे समझ नहीं आता कि नेसेट सत्र अपने स्थायी स्थान पर ही क्यों आयोजित हो रहा है, किसी अन्य स्थान पर क्यों नहीं?
बता दें कि पिछले हफ़्ते ज़ायोनी सेना रेडियो ने शबाक के एक सूत्र के हवाले से कहा था कि कैसरिया में नेतन्याहू के घर पर हिज़्बुल्लाह ड्रोन हमले के बाद वरिष्ठ नेताओं और अधिकारीयों के लिए सुरक्षा उपाय तेज़ कर दिए गए हैं।
रिपोर्टों के अनुसार, शबाक ने नेतन्याहू के परिवार की सुरक्षा के लिए भारी रकम खर्च की है, जिसकी ज़ायोनी शासन के हलकों में आलोचना हो रही है ।
ग़ज़्ज़ा में शहीदों की संख्या 43061 से पार
लेबनान में मुंह की खाने वाली ज़ायोनी सेना जहाँ सीज़फायर के लिए कोशिशें कर रही है वहीँ विश्व समुदाय की निरंतर अपील के बाद भी ग़ज़्ज़ा पर इस्राईल के बर्बर हमले उसी तरह जारी हैं।
ग़ज़्ज़ा पट्टी में फिलिस्तीनी स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक बयान जारी कर पिछले साल 7 अक्टूबर से ग़ज़्ज़ा में ज़ायोनी सेना के हमलों में शहीदों और घायलों के नवीनतम आंकड़ें जारी किये हैं।
फिलिस्तीनी स्वास्थ्य मंत्रालय के बयान के अनुसार, पिछले साल 7 अक्टूबर से ग़ज़्ज़ा पर अतिक्रमणकारी ज़ायोनी सेना के हमलों के परिणामस्वरूप, 43 हजार 61 लोग शहीद हो चुके हैं।
साथ ही, इस फ़िलिस्तीनी चिकित्सा संस्थान ने कहा कि इस क्षेत्र में जनसंहार की शुरुआत के बाद से ज़ायोनी सेना के हमलों से घायलों की कुल संख्या 101,223 लोगों तक पहुँच गई है।
ईरान का रक्षा बल; विलायत फ़क़ीह और लोगों की चतुराई का फल
ईलाम प्रांत मे वली फ़कीह के प्रतिनिधि हुज्जतुल इस्लाम वल-मुस्लेमीन करीमी तबार ने कहा कि इस्लामी गणतंत्र ईरान की मजबूत रक्षा शक्ति विलायत-ए-फ़क़ीह के नेतृत्व और लोगों की चतुराई का परिणाम है।
हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लेमीन करीमी तबार ने इलाम में पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि इस्लामी गणतंत्र ईरान की रक्षा शक्ति विलायत फकीह के नेतृत्व और दृढ़ता का परिणाम है इसमें ईरानी लोगों और मीडिया ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
उन्होंने कहा कि ज़ायोनी शासन ने मनोवैज्ञानिक युद्ध के माध्यम से अपने लक्ष्य हासिल करने की कोशिश की, लेकिन ईरान की धर्मनिष्ठ जनता और घरेलू मीडिया ने दुश्मन की इस साजिश को नाकाम कर दिया।
उन्होने कहा कि इज़राइल भी पूर्ण पैमाने पर युद्ध छेड़ने की तैयारी कर रहा था, लेकिन ईरानी सेना और वायु रक्षा प्रणाली की खुफिया जानकारी ने इन योजनाओं को विफलता में बदल दिया।
करीमी तबार ने जोर देकर कहा कि ईरान की सार्वजनिक और राष्ट्रीय सुरक्षा गर्व का विषय है और इसकी सुरक्षा के लिए जिहाद तबीन, जिसका अर्थ है स्पष्टीकरण और जागरूकता का कर्तव्य अनिवार्य है। उन्होंने लोगों में निराशा फैलाने की दुश्मन की साजिश का भी जिक्र किया और मीडिया से इसका डटकर मुकाबला करने को कहा।
इस्राईल में बढ़ता हिज़्बुल्लाह का खौफ
ज़ायोनी मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, मक़बूज़ा फिलिस्तीन के ज़ायोनी शासन की सेना के जवानों में हिज़्बुल्लाह लेबनान का खौफ बढ़ता ही जा रहा है। हिज़्बुल्लाह के ज़बरदस्त जवाबी हमलों के बाद, ज़ायोनी सेना के जवानों ने दक्षिणी लेबनान की सीमाओं पर ड्यूटी करने से इनकार कर दिया है।
ज़ायोनी न्यूज़ एजेंसी ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि कुल 13,000 ज़ायोनी सैनिकों ने युद्ध के मैदान में जाने से इनकार कर दिया है।
हिज़्बुल्लाह ने युद्ध के बीच कई ज़ायोनी इलाक़ों में रह रहे अतिक्रमणकारियों को साफ़ सन्देश दिया है कि वह अपने अपने इलाक़े से निकल जाएं क्योंकि उनके मकान ज़ायोनी सेना का अड्डा बन चुके हैं और वह हिज़्बुल्लाह के निशाने पर हैं।