رضوی

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उलेमा का बयान है कि आप शबो रोज़ में एक हज़ार रकअतें अदा फ़रमाया करते थे। (सवाएक़े मोहर्रेक़ा सफ़ा 119 मतालेबुल सुवेल सफ़ा 267)े चूंकि आपके सजदों का कोई शुमार न था इसी लिये आपके आज़ाए सुजूद ‘‘ सफ़ना बईर ’’ ऊँट के घट्टे की तरह हो जाया करते थे और साल में कई मरतबा काटे जाते थे। (अल फ़रआ अल नामी सफ़ा 158 व दमए साकेबा, कशफ़ल ग़म सफ़ा 90)

अल्लामा मजलिसी लिखते हैं कि आपके मक़ामाते सुजूद के घट्टे साल में दो बार काटे जाते थे हर मरतबा पांच तह निकलती थीं। (बेहारूल अनवार जिल्द 2 सफ़ा 3)

अल्लामा दमीरी मुवर्रिख़ इब्ने असाकर के हवाले से लिखते हैं कि दमिशक़ में हज़रत इमाम ज़ैनुल आबेदीन (अ.स.) के नाम से मौसूम एक मस्जिद है जिसे ‘‘ जामेए दमिशक़ ’’ कहते हैं। (हैवातुल हैवान जिल्द 1 सफ़ा 121)

इमाम ज़ैनुल आबेदीन (अ.स.) मन्सबे इमामत पर फ़ाएज़ होने से पहले

अगरचे हमारा अक़ीदा यह है कि इमाम बतने मादर से इमामत की तमाम सलाहियतों से भर पूर आता है। ताहम फ़राएज़ की अदाएगी की ज़िम्मेदारी इसी वक़्त होती है जब वह इमामे ज़माना की हैसियत से काम शुरू करें, यानी ऐसा वक़्त आजाए जब काएनाती अरज़ी पर कोई भी उस से अफ़ज़ल व इल्म में बरतर व अकमल न हो। इमाम ज़ैनुल आबेदीन (अ.स.) अगरचे वक़्ते विलादत ही से इमाम थे लेकिन फ़राएज़ की अदाएगी की ज़िम्मेदारी आप पर उस वक़्त आएद हुई जब आपके वालिदे माजिद हज़रत इमाम हुसैन (अ.स.) दर्जए शहादत पर फ़ाएज़ हो कर हयाते ज़ाहेरी से महरूम हो गए।

इमाम ज़ैनुल आबेदीन (अ.स.) की विलादत 38 हिजरी में हुई जब कि हज़रत अली (अ.स.) इमामे ज़माना थे। दो साल उनकी ज़ाहिरी ज़िन्दगी में आपने हालते तफ़ूलियत में अय्यामे हयात गुज़ारे फिर 50 हिजरी तक इमामे हसन (अ.स.) का ज़माना रहा फिर आशुरा 61 हिजरी तक इमाम हुसैन (अ.स.) फ़राएज़े इमामत की अंजाम देही फ़रमाते रहे। आशूर की दो पहर के बाद सारी ज़िम्मेदारी आप पर आएद हो गईं। इस अज़ीम ज़िम्मेदारी से क़ब्ल के वाक़ेयात का पता सराहत के साथ नहीं मिलता अलबत्ता आपकी इबादत गुज़ारी और आपके इख़्लाक़ी कार नामे बाज़ किताबों में मिलते हैं बहर सूरत हज़रत अली (अ.स.) के आख़री अय्यामे हयात के वाक़ेयात और इमाम हसन (अ.स.) के हालात से मुताअस्सिर होता एक लाज़मी अमर है। फिर इमाम हसन (अ.स.) के साथ तो 22- 23 साल गुज़ारे थे यक़ीनन इमाम हसन (अ.स.) के जुमला मामलात में आप ने बड़े बेटे की हैसियत से साथ दिया ही होगा लेकिन मक़सदे हुसैन (अ.स.) के फ़रोग़ देने में आपने अपने अहदे इमामत के आगा़ज़ होने पर इन्तेहाई कमाल कर दिया।

वाक़ेए करबला के सिलसिले में इमाम ज़ैनुल आबेदीन (अ.स.) का शानदार किरदार

28 रज़ब 60 हिजरी को आप हज़रत इमाम हुसैन (अ.स.) के हमराह मदीने से रवाना हो कर मक्का मोअज़्ज़मा पहुँचे चार माह क़याम के बाद वहां से रवाना हो कर 2 मोहर्रमुल हराम को वारिदे करबला हुए। वहां पहुँचते ही या पहुँचने से पहले आप अलील हो गए और आपकी अलालत ने इतनी शिद्दत एख़तियार की आप इमाम हुसैन (अ.स.) की शहादत के वक़्त इस क़ाबिल न हो सके कि मैदान में जा कर दर्जए शहादत हासिल करते। ताहम हर अहम मौक़े पर आपने जज़बाते नुसरत को बरूए कार लाने की सई की। जब कोई आवाज़े इस्तेग़ासा कान में आई आप उठ बैठे और मैदाने में कारज़ार में शिद्दते मर्ज़ के बावजूद जा पहुचने की सईए बलीग़ की। इमाम हुसैन (अ.स.) के इस्तेग़ासा पर तो आप ख़ेमे से बाहर निकल आए एक चोबा ए खे़मा ले कर मैदान का अजम कर दिया नागाह इमाम हुसैन (अ.स.) की नज़र आप पर पड़ गई और उन्होंने जंगाह से बक़ौले हज़रते ज़ैनब (स. अ.) को आवाज़ दी ‘‘ बहन सय्यदे सज्जाद को रोको वरना नस्ले मोहम्मद (स. अ.) का ख़ातमा हो जाएगा ’’ हुक्मे इमाम से ज़ैनब (स. अ.) ने सय्यदे सज्जाद (अ.स.) को मैदान में जाने से रोक लिया। यही वजह है कि सय्यदों का वजूद नज़र आ रहा है। अगर इमाम ज़ैनुल आबेदीन (अ.स.) अलील हो कर शहीद होने से न बच जाते तो नस्ले रसूल (स. अ.) सिर्फ़ इमाम मोहम्मद बाक़र (अ.स.) में महदूद रह जाती। इमाम सालबी लिखते हैं कि मर्ज़ और अलालत की वजह से आप दर्जए शहादत पर फ़ाएज़ न हो सके। (नूरूल अबसार सफ़ा 126)

शहादते इमाम हुसैन (अ.स.) के बाद जब खेमों में आग लगाई तो आप उन्हीं ख़ेमों में से एक ख़ेमे में बदस्तूर पड़े हुए थे। हमारी हज़ार जानें क़ुर्बान हो जायें हज़रत ज़ैनब बिन्ते अली (अ.स.) पर कि उन्होंने अहद फ़राएज़ की अदाएगी के सिलसिले में सब से पहला फ़रीज़ा इमाम ज़ैनुल आबेदीन (अ.स.) के तहफ़्फ़ुज़ का अदा फ़रमाया और इमाम को बचा लिया। अलग़रज़ रात गुज़री और सुबह नमूदार हुई, दुश्मनों ने इमाम ज़ैनुल आबेदीन (अ.स.) को इस तरह झिंझोड़ा कि आप अपनी बिमारी भूल गये। आपसे कहा गया कि नाक़ों पर सब को सवार करो और इब्ने ज़्याद के दरबार में चलो। सब को सवार करने के बाद आले मोहम्मद (अ.स.) का सारेबान फूफियों, बहनों और तमाम मुख़द्देरात को लिये दाखि़ले दरबार हुआ। हालत यह थी कि औरतें और बच्चे रस्सीयों में बंधे हुए और इमाम लोहे में जकड़े हुए दरबार में पहुँच गये। आप चूंकि नाक़े की बरैहना पुश्त पर संभल न सकते थे इस लिये आपके पैरों को नाक़े की पुश्त से बांध दिया गया था। दरबारे कूफ़ा में दाखि़ल होने के बाद आप और मुख़द्देराते अस्मत क़ैद ख़ाने में बन्द कर दिये गये। सात रोज़ के बाद आप सब को लिये हुए शाम की तरफ़ रवाना हुए और 19 मंज़िले तय कर के तक़रीबन 36 यौम (दिनों) में वहां पहुँचे।

कामिल बहाई में है कि 16 रबीउल अव्वल 61 हिजरी को आप दमिश्क़ पहुँचे हैं। अल्लाह रे सब्रे इमाम ज़ैनुल आबेदीन (अ.स.) बहनों और फुफियों का साथ और लबे शिकवा पर सकूत की मोहर हुदूदे शाम का एक वाक़ेया यह है आपके हाथों में हथकड़ी, पैरों में बेड़ी और गले मे ख़ारदार तौक़े आहनी पड़ा हुआ था, इस पर मुस्तज़ाद यह कि लोग आप पर आग बरसा रहे थे। इसी लिये आपने बाद वाक़ेय करबला एक सवाल के जवाब में ‘‘ अश्शाम, अश्शाम, अश्शाम ’’ फ़रमाया था। (तहफ़्फ़ुज़े हुसैनिया अल्लामा बसतामी)

शाम पहुँचने के कई घन्टों या दिनों के बाद आप आले मोहम्मद (अ.स.) को लिये हुए सरहाय शोहदा समेत दाखि़ले दरबार हुए फिर क़ैद ख़ाने में बन्द कर दिये गये। तक़रीबन एक साल क़ैद की मशक़्क़तें झेलीं। क़ैद खा़ना भी ऐसा था कि जिसमें तमाज़ते आफ़ताबी की वजह से इन लोगों के चेहरों की खालें मुताग़य्यर हो गई थी। लहूफ़ मुद्दते क़ैद के बाद आप सब को लिये हुए 20 सफ़र 62 हिजरी को वारिदे करबला हुए। आपके हमराह सरे हुसैन (अ.स.) भी कर दिया गया था।

 आपने उसे पदरे बुजु़र्गवार के जिस्में मुबारक से मुलहक़ किया (नासिख़ुल तवारीख़) 8 रबीउल अव्वल 62 हिजरी को आप इमाम हुसैन (अ.स.) का लुटा हुआ काफ़िला लिए हुए, मदीने मुनव्वरा पहुँचे, वहां के लोगों ने आहो जा़री और कमालो रंज से आपका इस्तेक़बाल किया। 15 शाबाना रोज़ नौहा व मातम होता रहा। (तफ़सीली वाक़ेआत के लिये कुतुब मक़ातिल व सैर मुलाहेज़ा किजिए)

इस अज़ीम वाक़ेया का असर यह हुआ की ज़ैनब (अ.स.) के बाल इस तरह सफ़ेद हो गये थे कि जानने वाले उन्हें पहचान न सके। (अहसन अलक़सस सफ़ा 182 तबा नजफ़) रूबाब ने साय में बैठना छोड़ दिया, इमाम ज़ैनुल आबेदीन (अ.स.) गिरया फ़रमाते रहे। (जलालुल ऐन सफ़ा 256) अहले मदीना यज़ीद की बैअत से अलाहेदा हो कर बाग़ी हुए बिल आखि़र वाक़ेए हर्रा की नौबत आ गई।

 

 

 

हज़रत आयतुल्लाह मज़ाहिरी ने अपने एक संदेश में इस्माइल हनिया की शहादत पर शोक व्यक्त किया है।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी इस्फ़हान की रिपोर्ट के मुताबिक, शिया मरजा तकलीद हजरत आयतुल्लाह हुसैन मजाहिरी ने एक संदेश में इस्माइल हनिया की शहादत पर अपनी संवेदना व्यक्त की है। उनके संदेश का पाठ इस प्रकार है:

बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्राहीम

"इन्ना लिल्लाहे वा इन्ना इलैहे राजेऊन"

तेहरान में हुई भयावह आतंकवादी घटना में इस्लामी गणतंत्र ईरान के मेहमान, मुजाहिद और अथक फ़िलिस्तीनी नेता श्री इस्माइल हनिया की शहादत ने एक बार फिर ज़ायोनी शासन के बुरे स्वभाव, बुरे चेहरे और खूनी हाथों को दुनिया के सामने स्पष्ट कर दिया।

मैं इस बहादुर मुजाहिद और फिलिस्तीन और गाजा के सभी शहीदों की शहादत के लिए उत्पीड़ित फिलिस्तीनी राष्ट्र और स्थानीय मोर्चे के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त करता हूं और बहुत जल्द फिलिस्तीनियों की जीत होगी और उत्पीड़ित फिलिस्तीन और गाजा को अत्याचारों से मुक्ति मिलेगी।

मन्नस्रो इल्ला मिन इंदिल्लाहे अल अज़ीज़िल हकीम

हुसैन अल-महारी

26/मुहर्रम अल हरम/1446 हिजरी

 

इस्लामी गणतंत्र ईरान के सशस्त्र बलों के जनरल स्टाफ के प्रमुख ने कहा है कि हम अपने मेहमान की शहादत का बदला ज़रूर लेंगे। ईरान और हमारी सेना बदला लेने के तरीके पर विचार कर रहे हैं, खून का बदला खून से लिया जाएगा।

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक़ ईरानी सशस्त्र बलों के चीफ ऑफ स्टाफ मेजर जनरल मोहम्मद बाक़ेरी ने इस्लामी प्रतिरोधी आंदोलन हमास के राजनीतिक कार्यालय के प्रमुख इस्माइल हनीयह की शहादत पर ईरान की प्रतिक्रिया और बदले के बारे में कहा है कि बदला लेने के तरीके पर विचार किया जा रहा है खून का बदला खून से लिया जाएगा।

ईरानी सशस्त्र बलों के जनरल स्टाफ के प्रमुख ने शहीद इस्माइल हनिया के खून का बदला लेने पर जोर देते हुए कहा कि विभिन्न उपाय किए जाने चाहिए और ज़ायोनी शासन को निश्चित रूप से अपनी इस हरकत पर पछतावा होगा।

 

ईरान की राष्ट्रीय युवा वॉलीबॉल टीम ने दक्षिण कोरिया को हराकर एशियाई वॉलीबॉल चैंपियनशिप जीत ली है।

024  एशियाई अंडर-20 मेन्स वॉलीबॉल चैम्पियनशिप, आठ दिनों तक इंडोनेशिया के सुराबाया शहर में आयोजित की गई थी।

ईरान की राष्ट्रीय युवा वॉलीबॉल टीम ने इस प्रतियोगिता के अंतिम दिन लगातार छह जीत दर्ज करते हुए दक्षिण कोरिया का मुक़ाबला किया और प्रतिद्वंदी टीम को 3-0 के स्कोर से हराकर एशिया की चैंपियन बन गई।

ईरान की राष्ट्रीय युवा वॉलीबॉल टीम के कोच ग़ुलाम रज़ा मोमेनी मुक़द्दम के शिष्यों ने इस प्रतियोगिता के लगातार तीन सेटों में 25-12, 25-18 और 25-22 प्वाइंट्स के साथ जीत हासिल की और पिछले दो सीज़न में लगातार सातवीं जीत हासिल करते हुए इस प्रतियोगिता के चैंपियन बनकर हैट्रिक बनाने में कामयाबी हासिल की।

रैंकिंग मुक़ाबले में जापान और इंडोनेशिया का आमना-सामना हुआ जिसमें जापान ने अपने प्रतिद्वंदी टीम इंडोनेशिया को 3-1 से हरा कर तीसरी पोज़ीशन हासिल कर ली।

ईरान की युवा वॉलीबॉल टीम ने इस वर्ष इन प्रतियोगिताओं में अपनी 18वीं भागीदारी दर्ज की। इस आयु वर्ग की ईरान की राष्ट्रीय टीम के खिलाड़ियों ने पिछले सत्रह वर्षों में सात स्वर्ण, तीन रजत और दो कांस्य पदक सहित 12 पदक जीते हैं जबकि इस वर्ष की चैंपियनशिप के साथ  22वां कप तेहरान को दिलाने में कामयाबी हासिल की जो एशिया में ईरानी वॉलीबॉल के इस आयु वर्ग की आठवीं चैंपियनशिप है।

गाज़ा शहर के एक स्कूल पर इज़राईली सरकार के हवाई हमले में अब तक 13 बच्चे शहीद हो चुके हैं।

एक रिपोर्ट के अनुसार , गाज़ा युद्ध के आज़ 300 दिन पूरे हो गए हैं फिलिस्तीनी सूत्रों ने गाजा शहर में अलशुजाई नामक पड़ोस में एक स्कूल पर बमबारी की घोषणा की, जहां सैकड़ों लोग विस्थापित हुए लाइव और हालिया हमले के दौरान 13 बच्चे शहीद हो गए हैं और कई घायल हुए हैं।

इस बीच गाज़ा के अस्पताल के सूत्रों ने अलजज़ीरा को बताया कि ज़ायोनी सरकार के हमलों में आज सुबह से गाजा के विभिन्न इलाकों में 36 लोग मारे गए हैं।

पिछले 24 घंटों के दौरान इज़राईल शासन द्वारा किए गए अधिकांश हमले गाजा पट्टी के मध्य में, विशेष रूप से अलमुग़ाज़ी शिविर और अलज़ायतून के दक्षिण में हुए हैं।

ताजा आंकड़ों के मुताबिक गाज़ा में 49,480 लोग मारे गए हैं और 91,128 घायल हुए हैं और 10,000 से ज़्यादा लोग लापता हैं।

लेबनान के लोकप्रिय जनांदोलन हिज़्बुल्लाह के महासचिव सय्यद हसन नसरुल्लाह ने बेरूत के दक्षिणी उपनगरीय इलाके में सय्यदुश-शोहदा कॉम्प्लेक्स में शहीद कमांडर फुआद शुकर के अंतिम संस्कार समारोह में अपने भाषण की शुरुआत में इस्माइल हनीया की शहादत का उल्लेख करते हुए हमास के राजनीतिक कार्यालय, इस दल, फिलिस्तीनी प्रतिरोध समूहों, फिलिस्तीनी राष्ट्र और सभी अरब देशों को उनकी शहादत की तसलियत और बधाई देते हुए उन्हें प्यारा भाई और इस हत्या को खतरनाक दुस्साहस बताया।

हसन नसरुल्लाह ने कहा कि हम इस दुख, गुस्से, लड़ाई और जीत हासिल करने और प्रतिरोध के कमांडरों की शहादत के सम्मान में भी साझीदार हैंऔर इंशाल्लाह जीत हमारी ही होगी।

सय्यद हसन नसरुल्लाह ने कहा कि जाहिया पर हवाई हमले में दुश्मन का लक्ष्य मूल रूप से सय्यद मोहसिन शुकर की हत्या करना था और इस हमले में ईरानी नागरिक मीलाद बेदी भी शहीद हो गए। मैं इस घटना में शहीद हुए सभी प्रियजनों के परिवारों को बधाई देता हूं और उनके प्रति अपनी संवेदना व्यक्त करता हूं।

सय्यद हसन नसरुल्लाह ने कहा कि जाहिया में जो हुआ वह सिर्फ हत्या और टारगेट किलिंग ही नहीं नहीं, बल्कि जघन्य आक्रमण था। उन्होंने नागरिक इमारतों को निशाना बनाया और आम नागरिकों को मार डाला। दुश्मन ने नागरिकों से भरी एक इमारत को निशाना बनाया।

हिज़्बुल्लाह लेबनान के महासचिव ने कहा कि क्षेत्र में जो कुछ हो रहा है वह हमारे क्षेत्र के खिलाफ ज़ायोनी-अमेरिकी युद्ध का हिस्सा है, और आंतरिक और विस्तृत जांच ने इस बात को साबित कर दिया कि मजदल शम्स पर हमला करने वाली मिसाइल हिज़्बुल्लाह की नहीं थी।

 मैं फिर से जोर देता हूं, इस लक्ष्य के लिए हिजबुल्लाह पर आरोप लगाना क्रूरता और झूठा प्रोपैगंडा है। इस्राईल की एयर डिफेंस मिसाइल ने मजदल शम्स पर हमला किया है और इस बात के कई सबूत हैं। इससे पहले, कई ज़ायोनी वायु रक्षा मिसाइलों ने एका और हैफ़ा पर हमला किया था और कई ज़ायोनीवादियों को घायल कर दिया था।

सय्यद ने कहा कि बेरूत के दक्षिणी उपनगरों पर ज़ायोनी शासन का हवाई हमला सिर्फ एक आतंकवादी अभियान नहीं था, बल्कि एक सैन्य आक्रमण था। सबसे पहले यह हमला राजधानी के दक्षिणी उपनगरीय इलाके में हुआ। दूसरा, यह नागरिक इमारतें थीं जिन्हें निशाना बनाया गया और सैन्य अड्डे को निशाना नहीं बनाया गया। तीसरा, इस हमले में, महिलाओं और बच्चों सहित नागरिकों को निशाना बनाया गया, और चौथा, प्रतिरोध के एक वरिष्ठ सैन्य कमांडर को निशाना बनाया गया। यह उल्लंघन है और इसका जवाब दिया जाना चाहिए।

तहरीक हमास के नेता शहीद इस्माइल हनियेह को दोहा में दफनाया गया।

कतर के अमीर शेख तमीम बिन हमद, खालिद मशाअल, इस्माइल हनीयेह के बेटे फिलिस्तीनी संगठन, अलफतह इस्लामिक जिहाद और दुनिया भर के विभिन्न लोगों ने शहीद इस्माइल हनीयेह की अंतिम संस्कार किया और उनके लिए दुआ की।हमास नेता शहीद इस्माइल हनियेह को दोहा के लुसील कब्रिस्तान में दफनाया गया।

एक रिपोर्ट के मुताबिक इस्माइल हनियेह का अंतिम संस्कार शुक्रवार की नमाज़ के बाद इमाम मुहम्मद बिन अब्दुल वहाब मस्जिद में किया गया।

जिसमें कतर के अमीर शेख तमीम बिन हमद कतर के अमीर के पिता, हमास नेता खालिद मीशाल, बेटे शामिल हुए इस्माइल हनियेह हमास, फिलिस्तीनियों के प्रतिनिधियों और दुनिया भर के महत्वपूर्ण लोगों ने भाग लिया।

अंतिम संस्कार में बड़ी संख्या में लोग ग़म शोक संतप्त लोग शामिल हुए उनके हाथ में हमास नेता शहीद इस्माइल हनिया की तस्वीरें थीं और फिलिस्तीनी का झंडा था।

गौरतलब है कि शहीद इस्माइल हानिया का जनाज़ा पिछले दिनों तेहरान में इस्लामिक क्रांति के सर्वोच्च नेता के नेतृत्व में अदा कि गई थी।

 

 

 

 

 

बिस्मिल्लाहि-र्रहमा-निर्रहीम

 इन्ना लिल्लाहे व इन्ना इलैहे राजे'ऊन

 बहादुर और विख्यात फिलिस्तीन मुजाहिद नेता जनाब इस्माईल हनिया कल रात फज्र के वक्त अल्लाह की बारगाह में हाज़िर हुए और रेज़िस्टेंस ग्रुप उनके शोक में अज़ादार है। अपराधी और दहशतगर्द ज़ायोनी शासन ने हमारे प्यारे मेहमान को हमारे घर में शहीद करके हमें ग़मज़दा कर दिया लेकिन उसने अपने लिए सख्त अज़ाब का रास्ता भी खोल लिया है। शा

शहीद हनिया अपने अमूल्य जान को हथेली पर रखकर कई वर्षों तक ससम्मान मैदान में हाज़िर थे और हमेशा ही शहादत के लिए तैयार थे। इस रास्ते में उन्होंने अपनी औलाद और प्यारों की कुर्बानियां भी दीं। वह अल्लाह की राह में शहीद होने वाले और अल्लाह के बंदों की रक्षा करने में बिल्कुल भी नहीं डरते थे।

 हम इस्लामी ईरान की सर ज़मीन पर होने वाली इस दर्दनाक और मुश्किल घटना के बाद उनका इंतक़ाम लेना अपना कर्तव्य समझते हैं। मैं इस्लामी उम्मत, रेजिस्टेंस ब्लॉक और फिलिस्तीन की बहादुर और सम्मानित क़ौम खासकर शहीद हनिया और उनके साथी के शोकाकुल परिवार और संबंधियों को ताज़ियत पेश करता हूं और अल्लाह से दुआ है कि उन्हें सब्रे जमील अता करे और उनके दरजात बुलंद करे।

सय्यद अली ख़ामेनेई

25 मोहर्रम 1446 हिज्री

हज़रत इमाम ज़ैनुल आबेदीन अलैहिस्सलाम तीन किरदार अदा कर रहे थे दो किरदार उनके और बाक़ी इमामों के बीच कॉमन हैं। इस्लाम और इस्लामी समाज के सिलसिले में अपनी इमामत के 250 साल के दौर में सारे इमाम जो अहम फ़रीज़ा अदा कर रहे थे, उनमें से एक इस्लामी ज्ञान, इस्लामी ज्यूरिसप्रूडेंस का प्रचार और इस्लाम पर थोपी जाने वाली ख़ुराफ़ातों से उसकी रक्षा थी।

हज़रत इमाम ज़ैनुल आबेदीन अलैहिस्सलाम तीन किरदार अदा कर रहे थे दो किरदार उनके और बाक़ी इमामों के बीच कॉमन हैं।

इस्लाम और इस्लामी समाज के सिलसिले में अपनी इमामत के 250 साल के दौर में सारे इमाम जो अहम फ़रीज़ा अदा कर रहे थे, उनमें से एक इस्लामी ज्ञान, इस्लामी ज्यूरिसप्रूडेंस का प्रचार और इस्लाम पर थोपी जाने वाली ख़ुराफ़ातों से उसकी रक्षा थी और दूसरा इस्लामी समाज के गठन के लिए रास्ता समतल करना था, एक ऐसा समाज जिसे अलवी हुकूमत के तहत चलाया जाए।

हज़रत इमाम ज़ैनुल आबेदीन अलैहिस्सलाम पर अपनी इमामत के दौरान दूसरा फ़रीज़ा करबला की घटना की याद को ज़िन्दा रखने का भी था और यह भी एक पाठ है। करबला का वाक़या, ऐसा वाक़या था जो इसलिए घटा ताकि इतिहास, आने वाली नस्लें और आख़िरी ज़माने तक के मुसलमान इससे सबक़ हासिल करें।

 

 

 

 

ईरान के राष्ट्रपति ने हमास के राजनीतिक कार्यालय के डिप्टी के साथ बातचीत में कहा: ईरानी नेतृत्व, राष्ट्र और सरकार प्रतिरोध का समर्थन करने से थोड़ा भी पीछे नहीं हटेंगे और उत्पीड़ित फ़िलिस्तीनी लोगों का विशेष रूप से फिलिस्तीन और गाजा के उत्पीड़ित लोगो का समर्थन करना जारी रखेंगे।

ईरान के राष्ट्रपति मसूद अल-पिज़िश्कियान ने हमास के अरब संचार मामलों के प्रमुख और गाजा में आंदोलन के राजनीतिक कार्यालय के डिप्टी "खलील अल-हिया" से फोन पर बात की (जो अपनी यात्रा के दौरान शहीद हनियेह के साथ थे। बातचीत में फिलिस्तीन के इस्लामी प्रतिरोध आंदोलन के राजनीतिक कार्यालय के प्रमुख और महान मुजाहिद इस्माइल हनियेह ने शहादत पर संवेदना और बधाई व्यक्त की और कहा: हमारे प्रिय भाई शहीद इस्माइल हनियेह राष्ट्रपति के आधिकारिक अतिथि थे। और इस्लामी गणतंत्र ईरान की सरकार और इसलिए उनकी शहादत की प्रभावशीलता हमारे लिए दोगुनी हो गई है।

उन्होंने कहा: ज़ायोनी शासन अपनी सभी आपराधिक नीतियों में बुरी तरह विफल रहा है, और अब ज़ायोनी ऐसे आतंकवादी कृत्यों के कारण गतिरोध में फंस गए हैं।

ईरानी राष्ट्रपति ने कहा: ईरान के राष्ट्रपति ने हमास के राजनीतिक कार्यालय के डिप्टी के साथ बातचीत में कहा: ईरानी नेतृत्व, राष्ट्र और सरकार प्रतिरोध का समर्थन करने से थोड़ा भी पीछे नहीं हटेंगे और उत्पीड़ित फ़िलिस्तीनी लोगों का विशेष रूप से फिलिस्तीन और गाजा के उत्पीड़ित लोगो का समर्थन करना जारी रखेंगे।

खलील अल-हिया ने इस टेलीफोनिक बातचीत में ईरान के राष्ट्रपति के शोक संदेश के लिए भी आभार व्यक्त किया और अपने शपथ ग्रहण भाषण के दौरान उन्होंने फिलिस्तीन मुद्दे के संबंध में निश्चित और सैद्धांतिक स्थिति के लिए श्रद्धांजलि अर्पित की और ईरान को इस्लामी गणराज्य कहा। प्रतिरोध की धुरी ने एक सच्चा समर्थक घोषित किया और कहा: तेहरान में हज इस्माइल हानियेह की शहादत एक बार फिर से प्रतिरोध धुरी के सदस्यों की एक-दूसरे के साथ एकता और संगति दिखाने के लिए ईश्वर की बुद्धिमत्ता और उपयुक्तता थी।