رضوی

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ब्रिटेन के साउथपोर्ट में हाल ही में हुई तीन लड़कियों की हत्या के बाद देश के कई हिस्सों में हिंसक विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए हैं। देश के कई शहरों में दक्षिणपंथी कार्यकर्ताओं की पुलिस और नस्लवाद विरोधी प्रदर्शनकारियों से झड़प हुई। इस हिंसक झड़प में कई ब्रिटिश पुलिस अधिकारी घायल हो गए।

जुलाई के आखिर में एक डांस क्लास में चाकू से हमला किया गया था, जिसमें तीन लड़कियों की मौत हो गई थी और कई घायल हो गई थीं। इसके बाद ब्रिटेन के ब्रिस्टल और लिवरपूल शहरों में प्रदर्शनकारी विरोध में सड़कों पर उतर आए। इस दौरान पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को पीछे धकेलने के लिए कुत्तों के साथ कई अधिकारियों की मदद ली।

 

बांग्लादेश में प्रदर्शनकारीयों ने अब तक कई सरकारी संपत्तियों में आग लगा दी, कर्फ्यू के बावजूद हालात बेकाबू ।

बांग्लादेश में प्रदर्शनकारीयों ने अब तक कई सरकारी संपत्तियों में आग लगा दी, कर्फ्यू के बावजूद हालात बेकाबू।

बांग्लादेश में हालात बेकाबू हो चुके हैं भीषण आगजनी और हिंसा के बीच खबर आ रही है कि बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने इस्तीफा दे दिया है और हेलिकॉप्टर से देश छोड़ दिया है. इस बीच सामने आए वीडियो में प्रदर्शनकारी बंगबंधु शेख मुजीबुर्रहमान की मूर्ति तोड़ते हुए भी देखे गए हैं।

बांग्लादेश से सामने आए वीडियो में प्रदर्शनकारी बंगबंधु शेख मुजीबुर्रहमान की मूर्ति पर चढ़कर उसे तोड़ते हुए नजर आ रहे हैं।

प्रदर्शनकारी इतने उग्र हो चुके हैं कि उन्होंने बांग्लादेश के राष्ट्रपिता कहे जाने वाले बंगबंधु शेख मुजीबुर्रहमान की मूर्ति पर चढ़कर हथौड़े चलाए. देशव्यापी कर्फ्यू को दरकिनार कर हजारों की संख्या में प्रदर्शनकारी लॉन्ग मार्च के लिए ढाका के शाहबाग चौराहे पर इकट्ठा हुए हैं. इससे पहले रविवार को हुई हिंसा में 100 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई चुकी है।

नाइजीरिया अपने इतिहास के सबसे गंभीर आर्थिक संकट का सामना कर रहा है। देश में गहराते आर्थिक संकट के बीच पिछले कुछ दिनों से हजारों प्रदर्शनकारी खराब शासन व्यवस्था और भ्रष्टाचार के खिलाफ लागोस की सड़कों पर उतरे हैं। इन प्रदर्शनों के दौरान प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच झड़पें हुई हैं, जिसमें एक पुलिस अधिकारी समेत कम से कम 13 लोगों की मौत हो गई और कई अन्य घायल हो गए।

प्रदर्शनकारी अपनी मुख्य मांगों में गैर-सब्सिडी वाली गैस और बिजली की बहाली, भ्रष्टाचार पर अंकुश और गरीबी उन्मूलन शामिल हैं। हालांकि, उत्तरी राज्यों में हिंसा और लूटपाट की घटनाएं भी सामने आई हैं। इस संकट के बीच, नाइजीरियाई नेतृत्व पर आम नागरिकों की जरूरतों को पूरा करने में विफल रहने का आरोप है।

नाइजीरियाई सरकारी अधिकारी अफ्रीका में सबसे अधिक वेतन पाने वालों में से हैं। साथ ही, यह देश शीर्ष तेल उत्पादकों में से एक होने के बावजूद दुनिया के सबसे गरीब और भूखे लोगों में से एक है।

 

ईरानी छात्रों की यूनियन ने राष्ट्रपति के नाम पत्र में बल देकर कहा है कि ईरान दुनिया के कमज़ोर लोगों का आश्रयस्थल है और उसे सुरक्षा व आश्रयस्थल ही बाक़ी रहना चाहिये।

ईरानी छात्रों की यूनियन ने राष्ट्रपति मसऊद पिज़िश्कियान के नाम पत्र में इस्माईल हनिया की हत्या के संबंध में और दुनिया के कमज़ोर लोगों के अधिकारों के बारे में कुछ बिन्दुओं का उल्लेख किया है और ज़ायोनी दुश्मन को उचित जवाब दिये जाने पर बल दिया है

इस पत्र में पवित्र क़ुरआन की आयतों के उल्लेख के साथ इस्माईल हनिया की हत्या का बदला लेने पर बल दिया गया है और राष्ट्रपति मसऊद पिज़िश्कियान से मांग की गयी है कि वह इस संबंध में क़दम उठायें। ईरानी छात्रों की यूनियन के पत्र में आया है कि ज़ायोनी दुश्मन प्रतिरोध के कमांडरों की हत्या करके यह संदेश देने के प्रयास में है कि ईरान और लेबनान अशांत हैं। इसी प्रकार छात्रों के पत्र में दुश्मन के हमले को ईरान की राष्ट्रीय सुरक्षा का उल्लंघन बताया गया है।

इसी प्रकार इस पत्र में ईरानी राष्ट्रपति से मांग की गयी है कि दुश्मन को करारा जवाब दिया जाना चाहिये ताकि उससे न केवल अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ईरान की छवि की रक्षा होगी बल्कि फ़िलिस्तीनियों के दिलों को सुकून भी मिलेगा। इसी प्रकार ईरानी छात्रों की यूनियन ने अपने पत्र में बल देकर कहा है कि ईरान को कमज़ोरों के आश्रयस्थल के रूप में बाक़ी रहना चाहिये और अपने कार्यों से प्रतिरोध के मोर्चे को मज़बूत करना चाहिये।

पूरा पत्र इस प्रकार है

مِّنَ ٱلۡمُؤۡمِنِینَ رِجَالࣱ صَدَقُواْ مَا عَٰهَدُواْ ٱللَّهَ عَلَیۡهِۖ فَمِنۡهُم مَّن قَضَیٰ نَحۡبَهُۥ وَمِنۡهُم مَّن یَنتَظِرُۖ وَمَا

जनाब आक़ाये डॉक्टर मसऊद पिज़िश्कियान, राष्ट्रपति और राष्ट्रीय सुरक्षा के उच्च परिषद के प्रमुख

सलामुन अलैकुम

ज़ायोनी दुश्मन, जो अक़्सा तूफ़ान की घटनाओं में फ़स गया है, सैनिक लड़ाई के क्षेत्र को सुरक्षा के क्षेत्र से जोड़ व मिलाकर जंग में अपनी नाकामी पर पर्दा डालना चाहता है। गत रात्रि प्रतिरोध के कमांडरों की हत्या करके रणक्षेत्र को परिवर्तित करने की कोशिश कर रहा है ताकि यह संदेश दे सके कि ईरान और लेबनान में प्रतिरोध के आश्रयस्थल अशांत हैं।

ईरान की इस्लामी व्यवस्था के शक्ति प्रदर्शन के दिन, विश्व के नेताओं और प्रतिरोध के नेताओं की उपस्थिति और राजधानी में इस्माईल हनिया की हत्या हमारी कल्पना से बाहर कटु और दुखदायी है। दुश्मन ने आज उसे शहीद कर दिया है जो ईरान की इस्लामी व्यवस्था को अपना अस्ली आश्रयस्थल समझता था।

शहीद हनिया के हाथ कल इस्लामी गणतंत्र ईरान के राष्ट्रपति के हाथ में थे और अब उन्हें हमारे घर में शहीद कर दिया गया। ईरान के राष्ट्रपति के शपथग्रहण समारोह में भाग लेने आये मेहमान की हत्या करना, हमारी राष्ट्रीय संप्रभुता का उल्लंघन करना, प्रतिरोध के मोर्चे को कमज़ोर करना और अक़्सा तूफ़ान के बाद इस्लामी जगत में ईरान की छवि को ख़राब व कमज़ोर करना दुश्मन का कार्यक्रम व लक्ष्य है जो इंशाअल्लाह अपने लक्ष्यों को हासिल करने में नाकाम रहेगा।

जनाब आक़ाये पिज़िश्कियान, दुश्मन ग़लत विश्लेषण करके फ़िलिस्तीनी प्रतिरोध के बारे में जो आपका सही और प्रशंसनीय दृष्टिकोण है उसमें विघ्न उत्पन्न करना और अक़्सा तूफ़ान के आरंभ से इस्लामी गणतंत्र ईरान की उल्लेखनीय भूमिका का जवाब देना चाहता है। गौरव उत्पन्न करने वाले "सच्चा वादा" ऑप्रेशन के बाद दुश्मन को करारे और ठोस जवाब का समय होगा। आज इस्लामी जगत और ईरानी राष्ट्र की मांग यह है कि दुश्मन की कल्पना से परे जवाब दिया जाये ताकि दुश्मन दोबारा अपनी ग़लती की आग में जले।

ईरानी राष्ट्र के भरोसेमंद और ईरान की उच्च राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के अध्यक्ष के रूप में आपसे अपेक्षा है कि ज़ायोनी दुश्मन को उचित जवाब देने की भूमि प्रशस्त करें। जैसाकि आपने बयान किया कि ऐसा जवाब दिया जायेगा जो अंतरराष्ट्रीय सतह पर ईरान की छवि की रक्षा करेगा और हर चीज़ से अधिक फ़िलिस्तीनियों के दिलों को सुकून मिलेगा और रणक्षेत्र में उनके लिए इस क्षति की वास्तविक भरपाई होगी।

आक़ाये पिज़िश्कियान ईरान की प्रतिक्रिया ऐसी होनी चाहिये जो संतुलन व दृष्टिकोण को परिवर्तित करने के अलावा इस्लामी राष्ट्र के आत्मविश्वास में सहायता करे, ईरान दुनिया के कमज़ोर लोगों का सहारा है और इसे दुनिया के कमज़ोर लोगों के सहारे के रूप में बाक़ी रहना चाहिये और प्रतिरोध के मोर्चे को नुकसान व क्षति पहुंचने से दुनिया के विभिन्न क्षेत्रों के लोगों के दिलों को जो तकलीफ़ पहुंची है उन्हें हमारी कार्यवाही से अधिक मुत्मईन व संतोष हो जाना चाहिये कि अवैध ज़ायोनी सरकार का अंत होकर रहेगा और वे पूरे विश्वास से ईरान को पहले से अधिक कमज़ोरों का भरोसा व आश्रयस्थल समझें। अल्लाह के फ़ज़्लो करम से प्रतिरोध मोर्चे के बारे में आपका जो प्रतिष्ठित दृष्टिकोण है सच्चे वादे के रूप में दोबारा उसकी पुनरावृत्ति होगी और प्रतिरोध मोर्चे का रोब दोबारा दुश्मनों के दिलों में घुस जायेगा।

हस्ताक्षर करने वाली यूनियनों के नाम

अदालतख़ाह दानिशजूई यूनियन

दानिशजुइयान मुस्तक़िल इस्लामी यूनियन

दफ़्तरे वह्दत इस्लामी यूनियन

इस्लामी गणतंत्र ईरान कि जवाबी हमले को देखते हुए इज़रायली प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने एक आपातकालीन कैबिनेट बैठक बुलाई है।

एक रिपोर्ट के अनुसार , इस्लामिक गणराज्य ईरान के जवाबी हमले के मद्देनजर इज़राईली प्रधान मंत्री नेतन्याहू ने एक आपातकालीन कैबिनेट बैठक बुलाई हैं जिसमें युद्ध मंत्री के साथ साथ शीर्ष सैन्य अधिकारी भी शामिल हुए हैं।

अलजज़ीरा की रिपोर्ट के अनुसार, इस्लामिक प्रतिरोध आंदोलन हमास के प्रमुख इस्माइल हनीयेह पर हमले के बाद ईरान की जवाबी कार्रवाई से इजराइल में डर और दहशत का माहौल पैदा कर दिया हैं तेहरान की जवाबी कार्रवाई को लेकर कब्जे वाले ज़ायोनी अधिकारी लगातार बैठकें कर रहे हैं।

प्रधान मंत्री नेतन्याहू ने रक्षा और सैन्य अधिकारियों के साथ एक संयुक्त बैठक बुलाई, जिसमें युद्ध मंत्री गैलेंट और अन्य शीर्ष अधिकारी शामिल हुए।

इस बैठक के दौरान युद्ध मंत्री ने प्रतिभागियों को नवीनतम स्थिति के बारे में जानकारी दी और संभावित हमले के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की हैं।

इस मौके पर नेतन्याहू ने कहा कि ईरान ने हमें चारों ओर से घेर लिया हैं ईरान और प्रतिरोध संगठन अलग अलग दिशाओं से इज़राइल पर हमला कर सकते हैं।

इस बैठक में इज़राईली सेना के प्रवक्ता डैनियल हागारी ने कहा है कि सरकार ने नागरिकों को ख़तरों की जानकारी देने के लिए एक नया एप्लिकेशन पेश किया है, जिसके तहत ख़तरे की स्थिति में निवासियों के फ़ोन नंबरों से अलर्ट किया जाएगा।

हौज़ा इल्मिया क़ज़वीन प्रांत के संपादक ने कहा: शहीदों के खून के आशीर्वाद के कारण आज हम न केवल कमजोर हैं बल्कि हम अपने लक्ष्य के एक कदम और करीब हैं। ये गवाहियां दुश्मन की कमजोरी और लाचारी की निशानी हैं।

हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लेमीन इरफ़ानी ने क़ज़वीन प्रांत के छात्रों और विद्वानों के साथ आयोजित एक बैठक में इस्माइल हनिया की शहादत पर बधाई और संवेदना व्यक्त की और कहा: यह मुसलमानों और प्रतिरोध के लिए एक बड़ी क्षति है।  वैसे ही हम ईरानियों के लिए जिनके प्रिय अतिथि को उनके देश में दुश्मन ने शहीद कर दिया।

उन्होंने आगे कहा: हाज कासिम सुलेमानी और इस्माइल हनिया जैसे शहीदों के खून ने दुनिया के स्वतंत्र लोगों के बीच एकता और सद्भाव की लहर पैदा की है और अब शहीदों के खून के आशीर्वाद से सत्ता प्रणाली और वैश्विक अहंकार, विशेष रूप से इस्राईल के विनाश की उलटी गिनती शुरू हो गई है।

क़ज़्वीन प्रांत के प्रबंधक ने कहा: सभी ताकतों, मीडिया और मानसिकता को उस दिशा में जाना चाहिए जिससे एक नया अवसर पैदा हुआ है और कुद्स और फिलिस्तीन की स्वतंत्रता का मार्ग तेजी से प्रशस्त हो रहा है और इस्लामी उम्माह के पास अपने बुद्धिमान और दूरदर्शी नेता इस आंदोलन को इमाम के जोहूर की नींव के रूप में वर्णित कर सकते हैं।

उन्होंने कहा: दुनिया के सभी स्वतंत्र लोग इस्राईली अत्याचारों और आतंकवाद पर गंभीर और महान बदला लेने की प्रतीक्षा कर रहे हैं।

 

अरबईन हुसैनी के दौरान इराक़ के आसमान में रेड क्रिसेंट बचाव हेलीकॉप्टरों को उड़ान भरने की अनुमति जारी की हैं।

रेड क्रिसेंट सोसाइटी के सूचना आधार के अनुसार,पीर हुसैन कौलीवंद, हमारे देश की रेड क्रिसेंट सोसाइटी के प्रमुख और अरबईन के केंद्रीय मुख्यालय में राष्ट्रपति के विशेष प्रतिनिधि ने अरबईन के केंद्रीय मुख्यालय के प्रमुख मीर अहमदी के साथ इराकी आंतरिक मंत्री से मुलाकात की और बात की और अरबईन तीर्थयात्रा की सुविधा और इराक में तीर्थयात्रियों के स्वास्थ्य के लिए नवीनतम व्यवस्था का ख्याल रखा हैं।

अरबईन हुसैनी के दिनों के संबंध में इराकी आंतरिक मंत्री के साथ की गई बैठक में व्यवस्था और मंजूरी के बारे में कौलीवंड ने कहा आज दोपहर से पहले इराकी आंतरिक मंत्री के साथ बैठक में अरबईन हुसैनी के दौरान इराक के आसमान पर रेड क्रिसेंट राहत हेलीकॉप्टरों को ऊपर से उड़ान भरने की अनुमति जारी की गई है।

कौलिवंद ने कहा,इराकी ज़मीन पर रेड क्रिसेंट एम्बुलेंस के प्रवेश की अनुमति और हुसैनी तीर्थयात्रियों को चिकित्सा सेवाएं प्रदान करने के लिए आवश्यक दवा और उपकरणों के प्रवेश की अनुमति आज की बैठक में किए गए अन्य समझौतों में से एक था।

रेड क्रिसेंट सोसाइटी के प्रमुख ने अरबईन हुसैनी के दौरान इराक़ में तीर्थयात्रियों को चिकित्सा और अस्पताल सेवाएं प्रदान करने के लिए रेड क्रिसेंट की स्वयंसेवी चिकित्सा टीमों को भेजने का जिक्र करते हुए कहा चर्चा और समझौतों के अनुसार, इराकी अस्पतालों में ईरानी डॉक्टरों का सहयोग तथा इराक के परिवहन केंद्रों में राहत टीमों को तैनात करना और समन्वय की अनुमति प्राप्त होगई है।

 

मुस्तनद तवारीख़ में है कि करबला के बेगुनाह क़त्ल ने इस्लाम में एक तहलका डाल दिया। ख़ुसूसन ईरान में एक कौमी जोश पैदा कर दिया जिसने बाद में बनी अब्बास को बनी उमय्या के ग़ारत करने में बड़ी मद्द दी चुंकि यज़ीद तारेकुस्सलात और शराबी था और बेटी बहन से निकाह करता और कुत्तों से खेलता था, उसकी मुलहिदाना हरकतों और इमाम हुसैन (अ.स.) के शहीद करने से मदीने में इस क़द्र जोश फैला कि 62 हिजरी में अहले मदीना ने यज़ीद की मोअत्तली का ऐलान कर दिया और अब्दुल्लाह बिन हनज़ला को अपना सरदार बना कर यजी़द के गर्वनर उस्मान बिन मोहम्मद बिन अबी सुफ़ियान को मदीने से निकाल दिया। सियोती तारीख़ अल ख़ुलफ़ा में लिखता है कि ग़सील उल मलायका (हनज़ला) कहते हैं कि हम ने उस वक़्त तक यज़ीद की खि़लाफ़त से इन्कार नहीं किया जब तक हमें यह यक़ीन नहीं हो गया कि आसमान से पत्थर बरस पड़ेंगे। ग़ज़ब है कि लोग मां बहनों और बेटियांे से निकाह करें, ऐलानियां शराब पियें और नमाज़ छोड़ बैठें।

यज़ीद ने मुस्लिम बिन अक़बा को जो ख़ूं रेज़ी की कसरत के सबब (मुसरिफ़) के नाम से मशहूर है फ़ौजे कसीर दे कर अहले मदीना की सरकोबी को रवाना किया। अहले मदीना ने बाब अल तैबा के क़रीब मक़ामे ‘‘ हुर्रा ’’ पर शामियों का मुक़ाबला किया। घमासान का रन पड़ा, मुसलमानों की तादाद शामियों से बहुत कम थी इस के बावजूद उन्होंने दादे मरदानगी दी मगर आखि़र शिकस्त खाई। मदीने के चीदा चीदा बहादुर रसूल अल्लाह (स. अ.) के बड़े बड़े सहाबी, अन्सार व महाजिर इस हंगामे आफ़त में शहीद हुए। शामी घरों में घुस गये। मज़ारात को उनकी ज़ीनत और आराईश की ख़ातिर मिसमार कर दिया। हज़ारों औरतों से बदकारी की। हज़ारों बाकरा लड़कियों का बकारत (बलात्कार) कर डाला। शहर को लूट लिया। तीन दिन क़त्ले आम कराया दस हज़ार से ज़्यादा बाशिन्दगाने मदीना जिन में सात सौ महाजिर और अन्सार और इतने ही हामेलान व हाफ़ेज़ाने क़ुरआन व उलेमा व सुलोहा मोहद्दिस थे इस वाक़िये में मक़्तूल हुए। हज़ारों लड़के लड़कियां गु़लाम बनाई गईं और बाक़ी लोगों से बशर्ते क़ुबूले ग़ुलामी यज़ीद की बैयत ली गई। मस्जिदे नबवी और हज़रत के हरमे मोहतरम में घोड़े बंधवाये गए। यहां तक कि लीद का अम्बार लग गए। यह वाक़िया जो तारीख़े इस्लाम में वाक़ेए हर्रा के नाम से मशहूर है 27 ज़िलहिज 63 हिजरी को हुआ था। इस वाक़िये पर मौलवी अमीर अली लिखते हैं कि कुफ़्र व बुत परस्ती ने फिर ग़लबा पाया। एक फ़िरंगी मोवरिख़ लिखता है कि कुफ्ऱ का दोबारा जन्म लेना इस्लाम के लिये सख़्त ख़ौफ़ नाक और तबाही बख़्श साबित हुआ। बक़ीया तमाम मदीने को यज़ीद का ग़ुलाम बनाया गया। जिसने इन्कार किया उसका सर उतार लिया। इस रूसवाई से सिर्फ़ दो आदमी बचे ‘‘ अली बिन हुसैन (अ.स.) और अली बिन अब्दुल्लाह इब्ने अब्बास ’’ इन से यज़ीद की बैयत भी नहीं ली गई। मदारिस शिफ़ाख़ाने और दीगर रेफ़ाहे आम की इमारतें जो ख़ुल्फ़ा के ज़माने में बनाई गईं थीं बन्द कर दी गईं या मिस्मार कर दी गईं और अरब फिर एक वीराना बन गया। इसके चन्द मुद्दत बाद अली बिन हुसैन (अ.स.) के पोते जाफ़रे सादिक़ (अ.स.) ने अपने जद्दे माजिद अली ए मुर्तुज़ा (अ.स.) का मक़तब फिर मदीना में जारी किया मगर यह सहरा में सिर्फ़ एक ही सच्चा नख़लिस्तान था इसके चारों तरफ़ जु़ल्मत व ज़लालत छाई हुई थी। मदीना फिर कभी न संभला। बनी उमय्या के अहद में मदीना ऐसी उजडी़ बस्ती हो गया कि जब मन्सूरे अब्बासी ज़्यारत को मदीने में आया तो उसे एक रहनुमा की ज़रूरत पड़ी। हवास को वह मकानात बताए जहां इब्तेदाई ज़माने के बुर्ज़ुगाने इस्लाम रहा करते थे। (तारीख़े इस्लाम जिल्द 1 सफ़ा 36, तारीख़े अबुल फ़िदा जिल्द 1 सफ़ा 191, तारीख़ फ़ख़्री सफ़ा 86, तारीख़े कामिल जिल्द 4 सफ़ा 49, सवाएक़े मोहर्रेक़ा सफ़ा 132)

वाक़ेए हुर्रा और आपकी क़याम गाह

तवारीख़ से मालूम होता है कि आपकी एक छोटी सी जगह ‘‘मुन्बा’’ नामी थी जहां खेती बाड़ी का काम होता था। वाक़ेए हुर्रा के मौक़े पर शहरे मदीना से निकल कर अपने गाँव चले गये थे। (तारीख़े कामिल जिल्द 4 सफ़ा 45) यह वही जगह है, जहाँ हज़रत अली (अ.स.) ख़लीफ़ा उस्मान के अहद में क़याम पज़ीर थे। (अक़दे फ़रीद जिल्द 2 सफ़ा 216)

 

ख़ानदानी दुश्मन मरवान के साथ आपकी करम गुस्तरी

वाक़ेए हुर्रा के मौक़े पर जब मरवान ने अपनी और अपने अहलो अयाल की तबाही और बरबादी का यक़ीन कर लिया तो अब्दुल्लाह इब्ने उमर के पास जा कर कहने लगा कि हमारी मुहाफ़ज़त करो। हुकूमत की नज़र मेरी तरफ़ से भी फिरी हुई है मैं जान और औरतों की बेहुरमती से डरता हूँ। उन्होंने साफ़ इन्कार कर दिया। उस वह इमाम ज़ैनुल आबेदीन (अ.स.) के पास आया और उसने अपनी और अपने बच्चों की तबाही व बरबादी का हवाला दे कर हिफ़ाज़त की दरख़्वास्त की हज़रत ने यह ख़्याल किए बग़ैर कि यह ख़ानदानी हमारा दुश्मन है और इसने वाक़ेए करबला के सिलसिले में पूरी दुश्मनी का मुज़ाहेरा किया है। आपने फ़रमाया बेहतर है कि अपने बच्चों को मेेरे पास बमुक़ाम मुनबा भेज दो, जहां पर मेेरे बच्चे रहेंगे तुम्हारे भी रहेंगे। चुनान्चे वह अपने बाल बच्चों को जिन में हज़रत उसमान की बेटी आयशा भी थी आपके पास पहुँचा गया और आपने सब की मुकम्मल हिफ़ाज़त फ़रमाई। (तारीख़े कामिल जिल्द 4 सफ़ा 45)

इमाम ज़ैनुल आबेदीन (अ.स.) और मुस्लिम बिन अक़बा

अल्लामा मसूदी लिखते हैं कि मदीने के इन हंगामी हालात में एक दिन मुस्लिम बिन अक़बा ने इमाम ज़ैनुल आबेदीन (अ.स.) को बुला भेजा। अभी वह पहुँचे न थे कि उसने अपने पास के बैठने वालों से आपकी ख़ानदानी बुराई शुरू की और न जाने क्या क्या कह डाला लेकिन अल्लाह रे आपका रोब व जलाल कि ज्यों ही आप उसके पास पहुँचे वह ब सरो क़द ताज़ीम के लिये खड़ा हो गया। बात चीत के बाद जब आप तशरीफ़ ले गये तो किसी ने मुस्लिम से कहा कि तूने इतनी शानदार ताज़ीम क्यो कि उसने जवाब दिया, मैं क़सदन व इरादतन ऐसा नहीं किया बल्कि उनके रोब व जलाल की वजह से मजबूरन ऐसा किया है।

(मरूजुल ज़हब मसउदी बर हाशिया तारीख़े कामिल जिल्द 6 सफ़ा 106)

इमाम ज़ैनुल आबेदीन (अ.स.) से बैअत का सवाल न करने की वजह

मुवर्रेख़ीन का इत्तेफ़ाक़ है कि वाक़ेए हर्रा में मदीने का कोई शख़्स ऐसा न था जो यज़ीद की बैअत न करे और क़त्ल होने से बच जाए लेकिन इमाम ज़ैनुल आबेदीन (अ.स.) बैअत न करने के बावजूद महफ़ूज़ रहे, बल्कि उसे यूं कहा जाए कि आप से बैअत तलब ही नहीं की गई। अल्लामा जलालउद्दीन हुसैनी मिसरी अपनी किताब ‘‘ अल हुसैन ’’ में लिखते हैं कि यज़ीद का हुक्म था कि सब से बैअत लेना। अली इब्नुल हुसैन को (अ.स.) को न छेड़ना वरना वह भी सवाले बैअत पर हुसैनी किरदार पेश करेंगे और एक नया हंगामा खड़ा हो जायेगा।

दुश्मने अज़ली हसीन बिन नमीर के साथ आपकी करम नवाज़ी

मदीने को तबाह बरबाद करने के बाद मुस्लिम बिन अक़बह इब्तिदाए 64 हिजरी में मदीने से मक्का को रवाना हो गया। इत्तेफ़ाक़न राह में बीमार हो कर वह गुमराह, राहिए जहन्नम हो गया मरते वक़्त उस ने हसीन बिन नमीर को अपना जा नशीन मुक़र्रर कर दिया। उसने वहां पहुँच कर ख़ाना ए काबा पर संग बारी की और उस में आग लगा दी, उसके बाद मुकम्मिल मुहासरा कर के अब्दुल्लाह बिन ज़ुबैर को क़त्ल करना चाहा। इस मुहासरे को चालीस दिन गुज़रे थे कि यज़ीद पलीद वासिले जहन्नम हो गया। उसके मरने की ख़बर से इब्ने ज़ुबैर ने ग़लबा हासिल कर लिया और यह वहां से भाग कर मदीना जा पहुँचा।

मदीने के दौरान क़याम में इस मलऊन ने एक दिन ब वक़्ते शब चन्द सवारों को ले कर फ़ौज के ग़िज़ाई सामान की फ़राहमी के लिये एक गाँव की राह पकड़ी। रास्ते में उसकी मुलाक़ात हज़रत इमाम ज़ैनुल आबेदीन (अ.स.) से हो गई, आपके हमराह कुछ ऊटँ थे जिन पर ग़िज़ाई सामान लदा हुआ था। उसने आप से वह ग़ल्ला ख़रीदना चाहा, आपने फ़रमाया कि अगर तुझे ज़रूरत है तो यूं ही ले ले हम इसे फ़रोख़्त नहीं कर सकते (क्यों कि मैं इसे फ़ुक़राए मदीना के लाया हूँ) उसने पूछा की आपका नाम क्या है? आपने फ़रमाया ‘‘ अली इब्नुल हुसैन ’’ कहते हैं। फिर आपने उससे नाम दरयाफ़्त किया तो उसने कहा मैं हसीन बिन नमीर हूँ। अल्लाह रे आपकी करम नवाज़ी, आपने यह जानने के बावजूद कि यह मेरे बाप के क़ातिलों में से है उसे सारा ग़ल्ला दे दिया (और फ़ुक़रा के लिये दूसरा बन्दो बस्त फ़रमाया) उसने जब आपकी यह करम गुस्तरी देखी और अच्छी तरह पहचान भी लिया तो कहने लगा कि यज़ीद का इन्तेक़ाल हो चुका है आपसे ज़्यादा मुस्तहक़े खि़लाफ़त कोई नहीं। आप मेरे साथ तशरीफ़ ले चलें मैं आपको तख़्ते खि़लाफ़त पर बैठा दूंगा। आप ने फ़रमाया कि मैं ख़ुदा वन्दे आलम से अहद कर चुका हूँ कि ज़ाहिरी खि़लाफ़त क़बूल न करूंगा। यह फ़रमा कर आप अपने दौलत सरा को तशरीफ़ ले गये। (तरीख़े तबरी फ़ारसी सफ़ा 644)

इमाम ज़ैनुल आबेदीन (अ.स.) और फ़ुक़राऐ मदीना की किफ़ालत

अल्लामा इब्ने तल्हा शाफ़ेई लिखते हैं कि हज़रत ज़ैनुल आबेदीन (अ.स.) फ़ुक़राए मदीना के 100 घरों की किफ़ालत फ़रमाते थे और सारा सामान उन के घर पहुँचाया करते थे। उनमे बहुत ज़्यादा ऐसे घराने थे जिनमें आप यह भी मालम न होने देते थे कि यह सामान ख़ुरदोनोश रात को कौन दे जाता है। आपका उसूल यह था कि बोरियाँ पुश्त पर लाद कर घरों में रोटी और आटा वग़ैरा पहुँचाते थे और यह सिलसिला ता बहयात जारी रहा। बाज़ मोअज़्ज़ेज़ीन का कहना है कि हमने अहले मदीना को यह कहते सुना है कि इमाम ज़ैनुल आबेदीन (अ.स.) की ज़िन्दगी तक हम ख़ुफ़िया ग़िज़ाई रसद से महरूम नहीं हुए। (मतालेबुल सुवेल सफ़ा 265, नुरूल अबसार सफ़ा 126)

 

यह तथ्य दिन की तरह स्पष्ट है कि कर्बला के बाद इस दुनिया में, जहां भी सही आंदोलन का जन्म होता है, कर्बला की दानशीलता उसकी चेतना में होती है, क्योंकि यह त्रासदी मानवता की धड़कन में धड़कती है।

यह तथ्य दिन की तरह स्पष्ट है कि कर्बला के बाद इस दुनिया में जहां भी नेक आंदोलन का जन्म हुआ है, उसकी चेतना में कर्बला की दानशीलता है, क्योंकि यह त्रासदी मानवता की धड़कन के साथ धड़क रही है।

यदि किसी स्वतंत्रता सेनानी की कलम और भाषा जुल्म के खिलाफ निडर होकर बोलती या लिखती है, तो उसके साहस की ताकत नीनवे की देन है, पैगंबर की जोरदार जवानी की शहादत एक प्रकाशस्तंभ नहीं होती।

कोई भी ग़ाज़ी और मुजाहिद मैदान में ख़ुशी से नहीं चल पाता अगर कर्बला के शशमाहे ने तब्सुम का ख़ैरात उतार कर उम्मत की मांग में न डाल दिया होता।

एक बहादुर आदमी को मौत की शेरनी का एहसास नहीं होता अगर शांति के राजकुमार, गर्म नीनवे पर शांति के उत्तराधिकारी, ने तकलम का सार बिखेर दिया होता और मौत को मार डाला होता। मेरे लिए मौत शहद से भी मीठी है, अफ़सोस की बात है कि यह नारा पूरी दुनिया के उर्दू वर्ग के शियाओं की ज़बान से आया है, हुसैन ज़िनबाद बद यज़ीद मर्दा बद इसकी गूंज एशियाई देशों से लेकर बड़े-बड़े शहरों तक सुनाई दे रही है। कुछ ऐसी बीमारियाँ हैं जिनके कारण आँख रंगों में अंतर नहीं कर पाती और नाक में सूंघने की क्षमता नहीं रह जाती। भगवान करे कि जाकिर इस बीमारी से जल्दी ठीक हो जाएँ प्रसिद्धि की लालसा इस लोक और परलोक में सबको नष्ट कर देगी। समर्थकों को अपनी कलम नहीं उठानी चाहिए।

कर्बला हमारी बौद्धिक पूंजी तो है ही, हर विचारक की धुरी और केंद्र भी है।

बिना पानी और वनस्पति के इस घाटी ने सदियों को लम्हों की उंगलियां पकड़ कर जीना सिखाया है, यहां के मुजाहिदों ने अपनी जिंदगी की किताब के आखिरी पन्ने पर लिखे मौत शब्द को ताकत और धैर्य से कुरेदा है, और जिंदगी का यह सबक आंखों में बसा है आज हर क्रांतिकारी के सामने है

यदि आज फ़िलिस्तीन के युवा धैर्य की भूमि पर बिना किसी डर या खतरे के सत्य के मार्ग पर खड़े हैं, तो निश्चिंत रहें कि यह पाठ ख़ैबर के भगोड़ों की पीढ़ियों द्वारा नहीं सिखाया गया है पानी-पानी हैं, जिन्होंने घर की चेतना को इस तरह भर दिया।

ज़ुल्म और ज़बरदस्ती की नींद हराम होने लगी, हर ज़माने का ज़ालिम सल्तनत के महल में एक कैदी की घंटी सुनता है और बेचैन हो जाता है, फिर वह कर्बला के लक्ष्यों को पलटने के लिए अपने तलवे चाटने वाले नौकर और खतीब खरीद लेता है कर्बला की चेतना पर इसका असर न दिखे, इसके लिए दौलत की दहलीज को खोल दिया जाता है, कर्बला को चंद कर्मकांडों के बंधन में बांधकर उससे फैलने वाले ज्ञान, जागरूकता, आंदोलन और क्रांति की रोशनी को कैद करने की उम्मीद नहीं की जा सकती। एक नेक इंसान से, सिवाय इसके कि शैतान और इबलीस ने उसके शिकार को धोखे में डाल दिया और उसे समय का बेटा बना दिया, कर्बला विश्वास की गर्मी है जो क्रूरता और अत्याचारियों से नफरत इस भूमि का पहला सबक है जो नहीं कर सकती बिना भूले बक्सों में सजाएँ।

पारा चिनार

दुश्मन जानता है कि शिया राष्ट्र की महत्वाकांक्षाओं को मिटाना संभव नहीं है, उनकी एकता और प्रेम को तोड़ा नहीं जा सकता है, इसलिए वह हर तरह के अत्याचारों के पहाड़ तोड़ रहा है, लेकिन हिंदुओं की पीढ़ियां भूल जाती हैं कि हमजा का बेटा ही परिपक्व है यह लीवर का मालिक है

आले सुफियान यह भूल जाते हैं कि आले इमरान की पीढ़ियाँ बलिदान और शहादत में कभी पीछे नहीं रहीं।

 

सुफियान और हिंदा की पीढ़ियां अपने पूर्वजों के चरित्र पर प्रकाश डालेंगी।

हमने एक एम्बुलेंस की तस्वीर देखी, शव पारा चनार के पीड़ितों के शव थे और उसके चारों ओर पत्थर बिखरे हुए थे, हमें एक और दृश्य याद आया जब पैगंबर (PBUH) के पोते को पास में दफनाने के लिए लाया गया था पैगंबर (PBUH) की कब्र पर एक शापित महिला ने रास्ता रोक दिया और पैगंबर के बेटे के अंतिम संस्कार में गोली मार दी गई। भगवान का शुक्र है कि उसने इस क्रूर शापित महिला को मां नहीं बनाया, लेकिन फिर भी, उसके पारंपरिक कार्यों को देखने के बाद वंशजों को यह समझना चाहिए कि पेड़ों का अपना प्रभाव होता होगा आइए देखें, शायद यही कारण है कि वे कहते हैं कि बबूल के पेड़ पर गुलाब के फूल नहीं खिलते।

अगर हम पेड़ों से पेड़ों की सादृश्यता स्वीकार करें तो सुफियान और हिंदा की पीढ़ी से वही उम्मीद की जा सकती है जो पारा चिनार में हो रही है, जिसे भूमि विवाद कहा जाता है, अंतरात्मा की लड़ाई के बजाय तथाकथित नरसंहार। मुस्लिम कहे जाने वाले शियाओं की लड़ाई एक ज़मीनी विवाद है, जबकि ये धरती की आड़ में धर्म और ज़मीर की लड़ाई है, इसमें जीत निश्चित तौर पर धर्म और ज़मीर की होगी, क्योंकि लड़ने वाले लोग हैं हुसैन स्वभाव और दूसरी ओर यज़ीदी स्वभाव, और इमाम हुसैन (अ.स.) ने पहले दिन घोषणा की कि "मेरी तरह, तुम्हारी तरह, मैं मेरी तरह तुम्हारे प्रति निष्ठा नहीं रख सकता। का अपमान करना मेरी बुद्धि से परे है।" बौद्धिक गधों से यजीदियत, सभी यजीद की पीढ़ी से हैं, जिनके खिलाफ खड़ा होना हर हुसैन विचारधारा वाले व्यक्ति की जिम्मेदारी है, लेकिन अफसोस की बात है कि इस सार्वभौमिक संदेश में भी लोग अब हमारे सलाम को नहीं समझते हैं ग़ाज़ियों और मुजाहिदों और पारा चिनार के शहीदों के लिए उनके जुनून, उनके साहस, उनके मजबूत इरादे और उनके हैं

ईमान और इकान पर हमारा सलाम, भगवान उन्हें हर मोर्चे पर धैर्य और साहस प्रदान करें और क्रूर हत्यारों को अविश्वास के बिंदु पर लाएँ।

पारा चनार के शहीदों के लिए सूरह फातिहा की दरख्वास्त की जाती है।

लेखक: मौलाना गुलज़ार जाफरी

 

 

 

 

मरकाज़ी जमीयत अलहदीस पाकिस्तान के डिप्टी और इस्लामिक आइडियोलॉजिकल काउंसिल के सदस्य ने कहा कि फिलिस्तीनी स्वतंत्रता आंदोलन पहले से अधिक तीव्रता और ताकत के साथ जारी रहेगा और इज़राइल को अपनी नाकामी का सामना करना पड़ेगा ।

एक रिपोर्ट के अनुसार,मरकाज़ी जमीयत अलहदीस पाकिस्तान के डिप्टी और इस्लामिक आइडियोलॉजिकल काउंसिल के सदस्य डॉ अब्दुल ग़फूर रशीद ने कहां, कि जो त्रासदी हुई उसमें हमास के राजनीतिक प्रमुख इस्माइल हनियेह की शहादत हुई है तेहरान में यह एक बड़ी त्रासदी है, इसके कारण उम्मते मुस्लिमा शोक और चिंता की स्थिति में है।

उन्होंने कहा कि हमें यकीन है कि फिलिस्तीनी स्वतंत्रता आंदोलन पहले से अधिक तीव्रता और ताकत के साथ जारी रहेगा और फिलिस्तीनी स्वतंत्रता आंदोलन पहले से अधिक तीव्रता और ताकत के साथ जारी रहेगा और इज़राइल को अपनी नाकामी का सामना करना पड़ेगा।