
رضوی
मस्जिदे अक़्सा समेत कई देशों में इस्माइल हनिया की नमाज़े जनाज़ा
फिलिस्तीनियों ने, विशेष रूप से ग़ज़्ज़ा पट्टी और शरणार्थी शिविरों में, फिलिस्तीनी लोगों ने हमास आंदोलन के दिवंगत नेता को बड़े दुख के साथ याद किया और उनकी अनुपस्थिति में उनके लिए नमाज़े जनाज़ा अदा की।
मस्जिदे अक़्सा के खतीबों और इमामों ने फिलिस्तीनियों की राष्ट्रीय एकता का समर्थन करने, उनके प्रतिरोध को मजबूत करने के साथ-साथ ग़ज़्ज़ा पट्टी में सक्रिय सामाजिक भागीदारी और सभी अवसरों पर लोगों के दुःख में उनके साथ उनकी सहानुभूति और सहयोग को याद करते हुए शहीद को खिराजे अक़ीदत पेश किया।
ईरान और क़तर के साथ साथ पाकिस्तान समेत अन्य इस्लामी और अरब देशों में, शहीद हनिया की ग़ायबाना नमाज़े जनाज़ा अदा की गई, और खतीबों और उलमा ने शहीदों, मुख्लिसों और ईमानदार लोगों के गुणों और अल्लाह की नजर में जिहाद की फ़ज़ीलतें बयान की।
पाकिस्तान, जजों के काफिले पर आतंकी हमला, दो पुलिस वालों की मौत
उत्त्तर पश्चिम पाकिस्तान के अशांत प्रांत खैबर पख्तूनख्वा में आतंकवादियों ने शुक्रवार को ड्यूटी करके घर लौट रहे न्यायाधीशों के एक काफिले पर घात लगाकर हमला कर दिया। इस हमले में उनकी सुरक्षा में तैनात दो पुलिसकर्मियों की मौत हो गई। पुलिस ने जानकारी दी कि सभी तीन न्यायाधीश सुरक्षित हैं।
एक पुलिस अधिकारी ने कहा कि आतंकवादियों की ओर से घात लगाकर किये गये सशस्त्र हमले में न्यायाधीशों की रक्षा करते समय ड्यूटी के दौरान दो पुलिसकर्मी मारे गए, जबकि दो अन्य घायल हो गए। खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के डेरा इस्माइल खान में टैंक जिले की अदालतों में ड्यूटी के बाद न्यायाधीशों का काफिला जब उनके घरों की ओर जा रहा था तो कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई थी लेकिन इसके बावजूद सशस्त्र आतंकवादियों ने घात लगाकर हमला कर दिया।
क़ुम मे 5 रबी अल-अव्वल तक ज़ायरीन की ख़िदमत की जाएगी
क़ुम प्रांत सार्वजनिक और चैरिटी समिति के अधिकारी ने कहा: क़ोम प्रांत का सार्वजनिक मुख्यालय 5 सफ़र से 5 रबी अल-अव्वल तक अरबईन के दौरान ज़ायरीन की सेवा में व्यस्त रहेगा।
क़ुम प्रांत की सार्वजनिक और चैरिटी समिति के अधिकारी मेहदी घोरबानी करम ने क़ोम में अरबईन की सेवा के लिए ज़ायरीन के मुकिब के बारे में बात करते हुए कहा: ज़ायरीन को इसके लिए इमाम हुसैन की सेवा करनी चाहिए। इस अवामी कमेटी की नींव रखी गई, जो पिछले 8 वर्षों से लगातार आगंतुकों की सेवा कर रही है।
उन्होंने कहा: इस सेवा के लिए आवश्यक व्यवस्थाएं एक महीने पहले ही शुरू हो चुकी हैं, इस सार्वजनिक समिति में 108 छोटे और बड़े संगठन हैं जो एक साथ तीर्थयात्रियों की सेवा करेंगे।
उन्होंने कहा: क़ुम प्रांत का सार्वजनिक मुख्यालय 5 सफ़र से 5 रबी अल-अव्वल तक ज़ायरीन की सेवा में व्यस्त रहेगा। बाद वाला अभी भी क़ोम में मौजूद है, इसलिए इस वर्ष सेवा की यह श्रृंखला 5 रबीउल अव्वल तक जारी रहेगी।
क़ुरबानी करम ने कहा: पिछले साल हमने पूरे क़ोम शहर में विभिन्न स्थानों पर ज़ायरीन की सेवा की, ताकि जहां भी ज़ायरीन हों, हम उनकी सेवा करते रहें, ताकि किसी भी जायर को किसी भी प्रकार की समस्या का सामना न करना पड़े।
उन्होंने कहा: ईरानी ज़ायरीन इन मुकिबो में 24 घंटे और गैर-ईरानी ज़ायरीन 3 दिनों तक रह सकते हैं।
ईरान में इस्माईल हनिया की शहादत के बाद बदला लेने के लाल परचम फ़हराये जाने पर अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया
ज़ायोनी सरकार द्वारा इस्माईल हनिया को शहीद किये जाने के बाद ईरान के पवित्र नगर क़ुम में स्थित जमकरान की मस्जिद पर लाल परचम लगाकर उस पर "یالثارات الحسین" लिख दिया गया है।
ईरान में लाल परचम फ़हराये जाने पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विभिन्न प्रतिक्रियायें जताई जा रही हैं। पार्सटुडे की रिपोर्ट के अनुसार अमेरिकी समाचार पत्र The Washington Examiner ने इस संबंध में लिखा कि ईरान ने बदला लेने के लिए लाल परचम को लहरा दिया है और कहा है कि वह हमास के नेता की हत्या का बदला लेगा। इस अमेरिकी समाचार पत्र ने इशारा किया है कि यह परचम बहुत कम फ़हराया जाता है और एक बार उसे जनरल क़ासिम सुलैमानी की हत्या के बाद फ़हराया गया था।
फ्रांस का एक समाचार पत्र लोमोन्ड है जो यूरोप में एक विश्वसनीय समाचार पत्र है। इस समाचार पत्र ने भी लिखा है कि बुधवार को जमकरान की मस्जिद पर प्रतिशोध लेने के प्रतीक के रूप में लाल परचम को लहरा दिया गया और यह कार्य तेहरान में हमास के नेता इस्माईल हनिया की हत्या के बाद किया गया है। इस समाचार पत्र ने लिखा है कि इस हत्या की निस्बत इस्राईल की ओर दी जा रही है। यह परचम इसी प्रकार वर्ष 2020 में जनरल क़ासिम सुलैमानी की शहादत के बाद फ़हराया गया था।
न्यू अरब संचार माध्यम ने भी इस संबंध में लिखा है कि हमास के नेता इस्माईल हनिया की हत्या के बाद ईरान ने लाल परचरम को प्रतिशोध के चिन्ह के रूप में फ़हरा दिया है चूंकि आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने इस्राईल पर हमले का आदेश जारी कर दिया है।
मिस्री समाचार पत्र"egypt independent " ने भी इस बारे में लिखा है कि इस्माईल हनिया की हत्या के बाद ईरान में लाल परचम लगाये जाने का क्या संदेश है? इस समाचार पत्र ने आगे लिखा कि ईरान ने यह परचम उस कड़े युद्ध की एक चेतावनी के रूप में लहराया है जो होने वाला है। इस समाचार पत्र ने लिखा है कि शिया मज़हब में लाल परचम उस ख़ून का प्रतीक होता है जो नाहक़ बहाया गया है और उसका मतलब प्रतिशोध लेना है। प्राचीन ईरान में लाल परचम उस घर के दरवाज़े पर लगाया जाता था जब किसी का नाहक़ ख़ून बहाया जाता था और जब तक प्रतिशोध नहीं ले लिया जाता था तब तक उसे उतारा नहीं जाता था।
एक भारतीय समाचार पत्र कश्मीरी ऑब ज़रवर ने इस ओर संकेत किया था कि ईरान ने प्रतिशोध का लाल परचम लहरा दिया है। हमास के नेता इस्माईल हनिया की हत्या के बाद ईरान की इस्लामी क्रांति के सर्वोच्च नेता ने कड़े जवाब का वादा किया है जिसके बाद प्रतिशोध का यह परचम क़ुम की बड़ी मस्जिद पर लहराया गया है। आख़िरी बार यह परचम उस समय लगाया था जब ईरान ने इस्राईल पर ड्रोन और मिसाइल से हमला किया था।
अंग्रेज़ी भाषा के एक भारतीय संचार माध्यम WION ने भी अपनी ब्रेकिन्ग न्यूज़ में इस प्रकार कहा कि ईरान ने मस्जिदे जमकरान पर लाल ध्वज को लहरा दिया है और कहा है कि इस्माईल हनिया के ख़ून का बदला लेगा।
बांग्लादेश के समाचार पत्र स्टार बिज़नेस ने भी इस संबंध में लिखा है कि ईरान ने बदला लेने का परचम लहरा दिया है ताकि इस बात का एलान कर सके कि वह जंग के लिए तैयार है।
ब्रितानी समाचार पत्र क्लोराडो पोल्टिक ने भी इस संबंध में लिखा है कि ईरान ने प्रतिशोध का चरचम लहरा दिया है और वचन दिया है कि वह हमास के नेता का बदला लेगा। इसी प्रकार इस परचम के लहराये जाने पर ज़ायोनी एकाउंट Mossad Commentary ने भी ट्वीट किया जिसने लोगों के ध्यान को अपनी ओर आकर्षित किया।
Globe Eye News ने भी इस परचम को प्रतिशोध का प्रतीक बताया है।
यह परिवर्तन ऐसी हालत में सामने आ रहे हैं जब ज़ायोनी सरकार प्रतिरोध मोर्चे के दो महत्वपूर्ण व्यक्तियों की हत्या के बाद प्रतिरोधक मोर्चे और घटकों के हमलों के भय से पूरी तरह रेड अलर्ट की स्थिति में है।.
इस्राईल में रह रहे भारतीयो के लिए एडवाइज़री जारी, 8 अगस्त तक सभी उड़ानें रद्द
भारतीय दूतावास ने पश्चिम एशिया में बढ़ते तनाव के बीच शुक्रवार को अवैध राष्ट्र इस्राईल में रह रहे सभी भारतीय नागरिकों के लिए एडवाइजरी जारी की। दूतावास ने कहा कि नागरिक सतर्क रहने के साथ स्थानीय प्रशासन की ओर से सुझाए गए सुरक्षा प्रोटोकॉल का पालन करें।
ज़ायोनी शासन के हमले में एक के बाद एक दो हमास नेताओं और हिज़्बुल्लाह के एक कमांडर के मारे जाने के बाद पश्चिम एशिया में नए सिरे से बढ़े तनाव के मद्देनजर भारतीय दूतावास ने यह परामर्श जारी किया।
अवैध राष्ट्र की इस कायरतापूर्ण और अनैतिक हरकत के बाद उसे गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी दी गई है। हनीया की शहादत से इलाके में तनाव खतरनाक स्तर पर पहुंचने की आशंका है। भारतीय दूतावास ने अपनी एडवाइज़री में कहा है कि कृपया सावधानी बरतें, देश के भीतर आवश्यक यात्रा से बचें और सुरक्षा आश्रयों के करीब रहें। दूतावास स्थिति पर बारीकी से नजर रख रहा है और अपने सभी नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए ज़ायोनी अधिकारियों के साथ नियमित संपर्क में है।
दूतावास के सभी सोशल मीडिया मंच पर पोस्ट करके अंग्रेजी, हिंदी, तेलुगु और कन्नड़ में जारी किये गए परामर्श में ईमेल पते के साथ टेलीफोन नंबर +972-547520711 और +972-543278392 जैसे संपर्क विवरण भी दिए गए हैं, जिस पर 24 घंटे मदद उपलब्ध रहेगी।
इस्राईल को बचाने मैदान में उतरा अमेरिका, मीडिल ईस्ट में तैनात किए वॉरशिप
अमेरिका के समर्थन से ग़ज़्ज़ा में पिछले 300 से अधिक दिन से जनसंहार कर रहे इस्राईल ने सीरिया और लेबनान के बाद अब ईरान में हमास चीफ की हत्या के बाद सभी सीमाएं लांघ दी हैं जिसके बाद ईरान ने हनिया का बदला लेने का ऐलान किया है।
ईरान के संभवत हमले से इस्राईल को बचाने के लिए अमेरिका अपने लाव लश्कर के साथ मैदान में उतर आया है। अमेरिका ने अवैध राष्ट्र इस्राईल को सेफगार्ड करने के लिए मिडिल ईस्ट में लड़ाकू विमान और वारशिप तैनात कर दिए हैं।
अमेरिका की ओर से जारी बयान में कहा गया कि अमेरिकी रक्षा विभाग मध्य पूर्व में एक लड़ाकू जेट स्क्वाड्रन ले जाएगा। इस इलाके में वह एक विमानवाहक पोत बनाए रखेगा। पेंटागन ने कहा कि राष्ट्रपति जो बाइडन ने ईरान के हमलों से अवैध राष्ट्र की रक्षा करने के लिए तैयारी के तहत ये कदम उठाए हैं।
अब शुरू होगा डिजिटल वॉर, रूस कड़े क़दम उठाने को तैयार
रूसी स्टेट ड्यूमा (रूसी संसद) के डिप्टी एलेक्सी डिडेन्को ने कहा है कि रूस में गूगल, गूगल एंड्रॉयड और आईओएस को जल्द ही ब्लॉक कर दिया जाएगा। रूस में सरकारी अधिकारियों और नौकरशाहों को इन प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल करने से बहुत पहले ही रोक दिया गया था। अब पुतिन इसे पूरे देश में लागू करने का प्लान है।
बंदूकों और तोपों के बाद रूस अब डिजिटल वॉर की तैयारी में लगा है। रूसी स्टेट ड्यूमा (रूसी संसद) के एक अधिकारी ने बताया कि रूस में गूगल, गूगल एंड्रॉयड और आईओएस को जल्द ही ब्लॉक कर दिया जाएगा, साथ ही लोगों से कहा गया है कि वो जल्द ही दूसरे प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल करना शुरू कर दें।
रूसी अधिकारी इसे ट्रेजेडी नहीं समझने को कहा है ऐसा इसलिए क्योंकि रूस में ऐसे कई और भी ऐप और प्लेटफार्म हैं जिनका इस्तेमाल किया जाता है।
8 अगस्त तक इसराइल के लिए भारत की तमाम उड़ने रद्द
ईरान और इज़रायल में बढ़ते तनाव के बीच एअर इंडिया ने तेलअवीव से आने जाने वाली फ्लाइट्स 8 अगस्त तक तत्काल निलंबित कर दीं हैं कंपनी ने कहा कि हमने मध्य पूर्व के कुछ हिस्सों के मौजूदा हालातों को देखते हुए यह फैसला लिया है।
ईरान और इज़रायल में बढ़ते तनाव के बीच एअर इंडिया ने तेलअवीव से आने जाने वाली फ्लाइट्स 8 अगस्त तक तत्काल निलंबित कर दीं हैं कंपनी ने कहा कि हमने मध्य पूर्व के कुछ हिस्सों के मौजूदा हालातों को देखते हुए यह फैसला लिया है।
भारतीय दूतावास ने पश्चिम एशिया में बढ़ते तनाव के बीच शुक्रवार को अवैध राष्ट्र इस्राईल में रह रहे सभी भारतीय नागरिकों के लिए एडवाइजरी जारी की दूतावास ने कहा कि नागरिक सतर्क रहने के साथ स्थानीय प्रशासन की ओर से सुझाए गए सुरक्षा प्रोटोकॉल का पालन करें।
ज़ायोनी शासन के हमले में एक के बाद एक दो हमास नेताओं और हिज़्बुल्लाह के एक कमांडर के मारे जाने के बाद पश्चिम एशिया में नए सिरे से बढ़े तनाव के मद्देनजर भारतीय दूतावास ने यह परामर्श जारी किया।
अवैध राष्ट्र की इस कायरतापूर्ण और अनैतिक हरकत के बाद उसे गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी दी गई है। हनीया की शहादत से इलाके में तनाव खतरनाक स्तर पर पहुंचने की आशंका है।
भारतीय दूतावास ने अपनी एडवाइज़री में कहा है कि कृपया सावधानी बरतें, देश के भीतर आवश्यक यात्रा से बचें और सुरक्षा आश्रयों के करीब रहें।
दूतावास स्थिति पर बारीकी से नजर रख रहा है और अपने सभी नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए ज़ायोनी अधिकारियों के साथ नियमित संपर्क में है।
मदीने के क़रीब पहुँच कर आपका ख़ुत्बा (5 )
मक़तल अबी मख़नफ़ सफ़ा 88 में है कि एक साल तक क़ैद खा़ने शाम की सऊबत बरदाश्त करने के बाद जब अहले बैते रसूल (अ.स.) की रिहाई हुई और यह काफ़ला करबला होता हुआ मदीना की तरफ़ चला तो क़रीबे मदीना पहुँच कर इमाम (अ.स.) ने लोगों को ख़ामोश हो जाने का इशारा किया सब के सब ख़ामोश हो गये, आपने फ़रमाया:
हम्द उस ख़ुदा की जो तमाम दुनिया का परवरदिगार है, रोज़े जज़ा का मालिक है। तमाम मख़्लूक़ात का पैदा करने वाला है जो इतना दूर है बुलन्द आसमान से भी बुलन्द है और इतना क़रीब है कि सामने मौजूद है और हमारी बातों को सुनता है। हम ख़ुदा की तारीफ़ करते हैं और उसका शुक्र बजा लाते हैं। अज़ीम हादसों, ज़माने की हौलनांक गरदिशों, दर्द नाक ग़मों, ख़तरनाक आफ़तों शदीद तकलीफ़ों और क़ल्बो जिगर को हिला देने वाली मुसीबतों के नाज़िल होने के वक़्त ऐ लोगों ! खु़दा और सिर्फ़ खु़दा के लिये हम्द है। हम बड़े बड़े मसाएब में मुबतिला किए गए, दीवारे इस्लाम में बहुत बड़ा रखना (शिग़ाफ़) पड़ गया। हज़रत अबू अब्दुल्लाह हुसैन (अ.स.) और उनके अहले बैत शहीद कर दिये गये। इनकी औरतें और बच्चे क़ैद कर दिये गये और लशकरे यज़ीद ने इनके सर हाय मुबारक को बुलन्द नैज़ों पर रख कर शहरों में फिराया। यह वह मुसीबत है जिसके बराबर कोई मुसीबत नहीं। ऐ लोगों ! तुम में से कौन मर्द है जो शहादते हुसैन (अ.स.) के बाद खु़श रहे या कौन सा दिल है जो शहादते हुसैन (अ.स.) से ग़मगीन न हो या कौन सी आंख है जो आंसू को रोक सके। शहादते हुसैन (अ.स.) पर सातों आसमान रोए। समन्दर और उसकी मौजे रोईं, आसमान और उसके अरकान रोए, ज़मीन और उसके अतराफ़ रोए। दरख़्त और उसकी शाख़ें रोईं, मछलियां और समन्दर के गिरदाब रोए। मलाएक मुक़रेबीन और तमाम आसमान वाले रोए। ऐ लोगों ! कौन सा क़ल्ब है जो शहादते हुसैन (अ.स.) की ख़बर सुन कर फट न जाए। कौन सा क़ल्ब है जो महज़ून न हो। कौन सा कान है जो इस मुसीबत को सुन कर जिससे दीवारे इस्लाम में रखना पड़ा, बहरा न हो। ऐ लोगों ! हमारी यह हालत थी कि हम कशाँ कशाँ फिराये जाते थे। दर बदर ठुकराए जाते थे। ज़लील किए गये शहरों से दूर थे गोया हम को औलादे तुर्क दकाबिल समझ लिया गया था हालां कि न हम ने कोई जुर्म किया था न किसी की बुराई का इरतेक़ाब किया था न दीवारे इस्लाम में कोई रखना डाला था और न इन चीज़ों के खि़लाफ़ किया था जो हम ने अपने आबाओ अजदाद से सुना था, ख़ुदा की क़सम अगर हज़रत नबी (स. अ.) भी इन लोगों (लशकरे यज़ीद) को हम से जंग करने के लिये मना करते तो यह न मानते जैसे कि हज़रत नबी (स. अ.) ने हमारी वसीअत का ऐलान किया और इन लोगों ने न माना बल्कि जितना उन्होंने किया है इस से ज़्यादा सुलूक करते । हम ख़ुदा के लिये हैं और खुदा की तरफ़ हमारी बशाग़त है।
रौज़ा ए रसूल (स. अ.) पर इमाम (अ.स.) की फ़रयाद
मक़तल अबी मख़नफ़ सफ़ा 143 में है कि यह लुटा हुआ काफ़िला मदीने में दाखि़ल हुआ तो हज़रत उम्मे कुलसूम (अ.स.) गिरयाओ बुका करती हुई मस्जिदे नबवी में दाखि़ल हुईं और अर्ज़ कि, ऐ नाना आप पर मेरा सलाम हो ‘‘ अनी नाऐतहू अलैका वलदक अल हुसैन ’’ मैं आपको आपके फ़रज़न्द हुसैन (अ.स.) की ख़बरे शहादत सुनाती हूँ। यह कहना था कि क़ब्रे रसूल (स. अ.) गिरये की सदा बुलन्द हुई और तमाम लोग रोने लगे फिर हज़रत ज़ैनुल आबेदीन (अ.स.) अपने नाना की क़बे्र मुबारक पर तशरीफ़ लाए और अपने रूख़सार क़बे्र मुताहर से रगड़ते हुए यूँ फ़रयाद करने लगे।
اناجیک یاجداہ یاخیرمرسل
اناجیک محزوناعلیک موجلا
سبیناکماتسبی الاماء ومسنا
حبیبک مقتول ونسلک ضائع
اسیرا ومالی حامیا ومدافع
من الضرمالاتحملہ الاصابع
तरजुमा:
मैं आपसे फ़रयाद करता हूँ ऐ नाना, ऐ तमाम रसूलों में सब से बेहतर आपका महबूब हुसैन (अ.स.) शहीद कर दिया गया और आपकी नस्ल तबाह व बरबाद कर दी गई। ऐ नाना हम सब को इस तरह क़ैद किया गया जिस तरह लावारिस कनीज़ों को कै़द किया जाता है। ऐ नाना हम पर इतने मसाएब ढाए गए जो उंगलियों पर गिने नहीं जा सकते।
इमाम ज़ैनुल आबेदीन (अ.स.) और ख़ाके शिफ़ा
मिसबाह उल मुजतहिद में है कि हज़रत इमाम ज़ैनुल आबेदीन (अ.स.) के पास एक कपड़े में बंधी हुई थोड़ी सी ख़ाके शिफ़ा रहा करती थी। (मुनाक़िब जिल्द 2 सफ़ा 329 तबा मुलतान)
हज़रत के हमराह ख़ाके शिफ़ा का हमेशा रहना तीन हाल से ख़ाली न था या उसे तबर्रूक समझते थे या उस पर नमाज़ में सजदा करते थे या उसे ब हैसीयत मुहाफ़िज़ रखते थे और लोगों को बताना मक़सूद रहता था कि जिसके पास ख़ाके शिफ़ा हो वह जुमला मसाएब व अलाम से महफ़ूज़ रहता है और इसका माल चोरी नहीं होता जैसा कि अहादीस से वाज़े है।
इमाम ज़ैनुल आबेदीन (अ.स.) और मोहम्मदे हनफ़िया के दरमियान हजरे असवद का फ़ैसला
आले मोहम्मद (अ.स.) के मदीने पहुँचने के बाद इमाम ज़ैनुल आबेदीन (अ.स.) के चचा मोहम्मद हनफ़िया ने बरावयते अहले इस्लाम से ख़्वाहिश की कि मुझे तबर्रूकाते इमामत दे दो कि मैं बुर्ज़ग ख़ानदान और इमामत का अहल व हक़दार हूँ। आपने फ़रमाया कि हजरे असवद के पास चलो वह फ़ैसला कर देगा। जब यह हज़रत उसके पास पहुँचे तो वह ब हुक्मे ख़ुदा यूं बोला, ‘‘ इमामत ज़ैनुल आबेदीन का हक़ है ’’ इस फ़ैसले को दोनों ने तसलीम कर लिया। (शवाहेदुन नबूअत सफ़ा 176)
कामिल मबरद में है कि इस वाक़िये के बाद से मोहम्मद हनफ़िया इमाम ज़ैनुल आबेदीन (अ.स.) की बड़ी इज़्ज़त करते थे। एक दिन अबू ख़ालिद काबली ने उनसे इसकी वजह पूछी तो कहा हजरे असवद ने खि़लाफ़त का इनके हक़ में फ़ैसला दे दिया है और यह इमामे ज़माना हैं यह सुन कर वह मज़हबे इमाम का क़ाएल हो गया। (मुनाक़िब जिल्द 2 सफ़ा 326)
सुबूते इमामत में इमाम ज़ैनुल आबेदीन (अ.स.) का कन्करी पर मुहर लगाना
उसूले काफ़ी में है कि एक औरत जिसकी उम्र 113 साल की हो चुकी थी एक दिन इमाम ज़ैनुल आबेदीन (अ.स.) के पास आई उसके पास वह कन्करी थी जिस पर हज़रत अली (अ.स.) इमाम हसन (अ.स.) इमाम हुसैन (अ.स.) की मोहरे इमामत लगी हुई थी। उसके आते ही बिला कहे हुये आपने फ़रमाया कि वह कन्करी ला जिस पर मेरे आबाओ अजदाद की मोहरें लगी हुई हैं उस पर मैं भी मोहर कर दूँ। चुनान्चे उस ने कन्करी दे दी। आपने उसे मोहर कर के वापस कर दी और उसकी जवानी भी पलटा दी। वह ख़ुश व खुर्रम वापस चली गई। (दमए साकेबा जिल्द 2 सफ़ा 436)
वाक़ेए करबला और इमाम ज़ैनुल आबेदीन (अ.स.) के ख़ुतबात (4 )
मारकाए करबला की ग़मगीन दास्तान तारीख़े इस्लाम ही नहीं तारीख़े आलम का अफ़सोस नाक सानेहा है। हज़रत इमाम ज़ैनुल आबेदीन (अ.स.) अव्वल से आखि़र तक इस होशरूबा और रूह फ़रसा वाक़ेए में अपने बाप के साथ रहे और बाप की शहादत के बाद खु़द इस अलमिया के हीरो बनेे और फिर जब तक ज़िन्दा रहे इस सानेहा का मातम करते रहे। 10 मोहर्रम 61 हिजरी का यह अन्दोह नाक हादसा जिसमें 18 बनी हाशिम और 72 असहाब व अनसार काम आए। हज़रत इमाम ज़ैनुल आबेदीन (अ.स.) मुदतुल उम्र घुलता रहा और मरते दम तक इसकी याद फ़रामोश न हुई और इसका सदमाए जां काह दूर न हुआ। आप यूं तो इस वाक़ेए के बाद चालिस साल ज़िन्दा रहे मगर लुत्फ़े ज़िन्दगी से महरूम रहे और किसी ने आपको बशशाशा और फ़रहानाक न देखा। इस जान का वाक़ेए करबला के सिलसिले में आपने जो जाबजा ख़ुत्बे इरशाद फ़रमाये हैं उनका तरजुमा दर्जे ज़ैल है।
कूफ़े में आपका ख़ुत्बा
किताब लहूफ़ सफ़ा 68 में है कि कूूफ़ा पहुँचने के बाद इमाम ज़ैनुल आबेदीन (अ.स.) ने लोगों को ख़ामोश रहने का इशारा किया, सब ख़ामोश हो गये, आप खड़े हुए ख़ुदा की हम्दो सना की। हज़रत बनी सालिम का ज़िक्र किया उन पर सलवात भेजी फिर इरशाद फ़रमाया, ऐ लोगों ! जो मुझे पहचानता है वह तो पहचानता ही है, जो नहीं पहचानता उसे मैं बताता हूँ। मैं अली इब्नुल हुसैन बिन अली बिन अबी तालिब (अ.स.) हूँ। मैं उसका फ़रज़न्द हूँ जिसकी बेहुरमती की गई, जिसका सामान लूट लिया गया, जिसके अहलो अयाल क़ैद कर दिये गये। मैं उसका फ़रज़न्द हूँ जो साहिले फ़ुरात पर ज़ब्हा कर दिया गया और बग़ैर कफ़न व दफ़न छोड़ दिया गया और शहादते हुसैन (अ.स.) हमारे फ़ख़्र के लिये काफ़ी है। ऐ लोगों ! मैं तुम्हे ख़ुदा की क़सम देता हूँ ज़रा सोचो तुम ने ही मेरे पदरे बुज़ुर्गवार को ख़त लिखा और फिर तुम ने ही उनको धोखा दिया, तुम ने ही उनके साथ अहदो पैमान किया और उनकी बैअत की और फिर तुम ने ही उनको शहीद कर दिया। तुम्हारा बुरा हो कि तुम ने अपने लिये हलाकत का सामान इकठ्ठा कर लिया, तुम्हारी राहें किस क़द्र बुरी हैं, तुम किन आख़ों से रसूल (स. अ.) को देखोगे। जब रसूल बाज़ पुर्स करेंगे कि तुम लोगों ने मेरी इतरत को क़त्ल किया और मेरे अहले हरम को ज़लील किया ‘‘ इस लिये तुम मेरी उम्मत से नहीं ’’।
मस्जिदे दमिश्क़ (शाम) में आपका ख़ुत्बा
मक़तल अबी मख़नफ़ सफ़ा 135, बेहारूल अनवार जिल्द 10 सफ़ा 233, रियाज़ुल कु़द्स जिल्द 2 सफ़ा 328 और रौज़ातुल अहबाब वग़ैरा में है कि जब हज़रत ज़ैनुल आबेदीन (अ.स.) अहले हरम समेत दरबारे यज़ीद में दाखिल किये गये और उनको मिम्बर पर जाने का मौक़ा मिला तो आप मिम्बर पर तशरीफ़ ले गये और अम्बिया की तरह शीरी ज़बान में निहायत फ़साहत व बलाग़त के साथ ख़ुत्बा इरशाद फ़रमाया। ऐ लोगों ! जो मुझे पहचानता है वह तो पहचानता ही है, जो नहीं पहचानता उसे मैं बताता हूँ कि मैं कौन हूँ सुनो मैं अली बिन हुसैन बिन अली इब्ने अबी तालिब (अ.स.) हूँ। मैं उसका फ़रज़न्द हूँ जिसने हज किये हैं उसका फ़रज़न्द हूँ जिसने तवाफ़े काबा किया है और सई की है। मैं पिसरे ज़मज़म व सफ़ा हूँ मैं फ़रज़न्दे फ़ात्मा ज़हरा (स. अ.) हूँ मैं उसका फ़रज़न्द हूँ जो पसे गरदन से ज़िब्हा किया गया। मैं उस प्यासे का फ़रज़न्द हूँ जो प्यासा ही दुनिया से उठा। मैं उसका फ़रज़न्द हूँ जिस पर लोगों ने पानी बन्द कर दिया हालां कि तमाम मख़लूक़ात पर पानी जायज़ क़रार दिया। मैं मोहम्मदे मुस्तफ़ा (स. अ.) का फ़रज़न्द हूँ। मैं उसका फ़रज़न्द हूँ जो करबला में शहीद किया गया। मैं उसका फ़रज़न्द हूँ जिसके अनसार ज़मीन में आराम की निन्द सो गये मैं उसका पिसर हूँ जिसके अहले हरम क़ैद कर दिये गये। मैं उसका फ़रज़न्द हूँ जिसके बच्चे बग़ैर जुर्मों ख़ता ज़िब्हा कर डाले गये। मैं उसका बेटा हूँ जिसके ख़ेमों में आग लगा दी गई। मैं उसका फ़रज़न्द हूँ जो ज़मीने करबला पर शहीद कर दिया गया। मैं उसका फ़रज़न्द हूँ जिसको न ग़ुस्ल दिया गया और न कफ़न। मैं उसका फ़रज़न्द हूँ जिसका सर नोके नैज़ा पर बुलन्द किया गया। मैं उसका फ़रज़न्द हूँ जिसके अहले हरम की करबला में बेहुरमी की गई। मैं उसका फ़रज़न्द हूँ जिसका जिस्म ज़मीने करबला पर छोड़ दिया गया और सर दूसरे मक़ामात पर नोके नैज़ा पर बुलन्द कर के फिराया गया। मैं उसका फ़रज़न्द हूँ जिसके इर्द गिर्द सिवाए दुश्मन के कोई और न था। मैं उसका फ़रज़न्द हूँ जिसके अहले हरम को क़ैद कर के शाम तक फिराया गया। मैं उसका फ़रज़न्द हूँ जो बे यारो मददगार था। फिर इमाम (अ.स.) ने फ़रमाया लोगों ख़ुदा ने हम को पाँच चीजो से फ़ज़ीलत बख़्शी है। 1. ख़ुदा की क़सम हमारे ही घर से फ़रिश्तों की आमदो रफ़्त रही और हम ही मादने नबूवत व रिसालत हैं। 2. हमारी ही शान में क़ुरआन की आयतें नाज़िल कीं और हम ने लोगों की हिदायत की। 3. शुजाअत हमारे ही घर की कनीज़ है, हम कभी किसी की क़ुव्वत व ताक़त से नहीं डरे और फ़साहत हमारा ही हिस्सा है। जब फ़सहा (ज्ञानी) फ़क़रो मुबाहात करे। 4. हम ही सिरातल मुस्तक़ीम और हिदायत का मरकज़ हैं और इसके लिये इल्म का सर चश्मा हैं जो इल्म हासिल करना चाहे और दुनियां के मोमेनीन के दिलों में हमरी मोहब्बत है। 5. हमारे ही मरतबे आसमानों और ज़मीनों में बुलन्द हैं। अगर हम न होते तो ख़ुदा दुनिया ही को पैदा न करता। हर फ़ख़्र हमारे फ़़ख़्र के सामने पस्त है। हमारे दोस्त रोज़े क़यामत सेरो सेराब होंगे और हमारे दुश्मन रोज़े क़यामत बद बख़्ती में होंगे। जब लोगों ने इमाम ज़ैनुल आबेदीन (अ.स.) का कलाम सुना तो चीख़ मार कर रोने और पीटने लगे और उनकी आवाज़ें बे साख़्ता बुलन्द होने लगीं। यह हाल देख कर यज़ीद घबरा उठा कि कहीं कोई फ़ितना न खडा़ हो जाये। इसके लिये उसने रद्दे अमल में फ़ौरन मोअजि़्ज़न को हुक्म दिया कि अज़ान शुरू कर के इमाम के ख़ुत्बे को मुन्क़ता कर दे। जब मोअजि़्ज़न गुलदस्ता ए अज़ान पर गया और कहा ‘‘ अल्लाहो अकबर ’’ (ख़ुदा की ज़ात सब से बुज़ुर्ग व बरतर है) इमाम (अ.स.) ने फ़रमाया तुने एक बड़ी ज़ात की बढ़ाई बयान की एक अज़ीमुश्शान ज़ात की अज़मत का इज़हार किया और जो कुछ कहा हक़ कहा । फिर मोअजि़्ज़न ने काह ‘‘ अश हदोअन ला इलाहा अल्लल्लाह ’’ (मैं गवाही देता हूँ कि नहीं कोई माबूद सिवाए अल्ला के) इमाम (अ.स.) ने फ़रमाया कि मैं भी इस मक़सद की हर गवाह के साथ गवाही देता हूँ और हर इन्कार करने वाले के खि़लाफ़ इक़रार करता हूँ। फिर मोअजि़्ज़न ने कहा ‘‘ अश हदो अन्ना मोहम्मदन रसूल अल्लाह ’’ (मैं गवाही देता हूँ कि मोहम्मद मुस्तफ़ा (स. अ.) अल्लाह के रसूल हैं) ‘‘ फ़बका अलीउन ’’ यह सुन कर हज़रत अली बिन हुसैन (अ.स.) रो पड़े और फ़रमाया ऐ यज़ीद मैं तुझे ख़ुदा का वास्ता दे कर पूछता हूँ बता हज़रत मोहम्मद मुस्तफ़ा (स. अ.) मेरे नाना थे या तेरे? यज़ीद ने कहा आपके। आपने फ़रमाया, फिर क्यों तूने उनके अहले बैत को शहीद किया? यज़ीद ने कोई जवाब नहीं दिया और अपने महल में यह कहता हुआ चला गया ‘‘ ला हाजतः ली बिल सलवातः ’’ मुझे नमाज़ से कोई वास्ता नहीं है। इसके बाद मिन्हाल बिन उमर खड़े हुए और कहा ऐ फ़रज़न्दे रसूल (अ.स.) आपका क्या हाल है? फ़रमाया ऐ मिन्हाल ऐसे शख़्स का क्या हाल पूछते हो जिसका बाप निहायत बे दर्दी से शहीद कर दिया गया। जिसके मद्दगार ख़त्म कर दिये गये हों, जो अपने चारों तरफ़ अहले हरम को क़ैद देख रहा हो जिनका न परदा रह गया न चादरें रह गई, जिनका न कोई मद्दगार है। तुम तो देख ही रहे हो कि मैं मुक़य्यद हूँ, ज़लील रूसवा किया गया हूँ, ना कोई मेरा नासिर है न मद्दगार मैं और मेरे अहले बैत लिबासे कुहना में मलबूस हैं, हम पर नये लिबास हराम कर दिये गये हैं। अब जो मेरा हाल पूछते हो तो मैं तुम्हारे सामने मौजूद हूँ तुम देख ही रहे हो हमारे दुश्मन हमंे बुरा भला कहते हैं और हम सुब्हो शाम मौत का इन्तेज़ार करते हैं। फिर फ़रमाया अरब व अजम इस पर फ़ख्र करते हैं कि हज़रत मोहम्मद मुस्तफ़ा (स. अ.) इन में से थे और क़ुरैश अरब पर इस लिये फ़ख़्र करते हैं कि आं हज़रत (स.अ.) क़ुरैश थे और हम इन के अहले बैत हैं लेकिन हम को क़त्ल किया गया, हम पर ज़ुल्म किया गया, हम पर मुसीबतों के पहाड़ टूट गये और हम को क़ैद कर के दर बदर फिराया गया गोया हमारा हसब बहुत गिरा हुआ है और बहुत ज़लील है, गोया हम इज़्ज़तों की बुलन्दी पर नहीं चढ़े और बुज़ुर्गियों के फ़रश पर जलवा अफ़रोज़ नहीं हुए। आज गोया तमाम यज़ीद और इसके लशकर का हो गया आले मुस्तफ़ा (स.अ.) यज़ीद की अदना ग़ुलाम हो गई है। यह सुनना था कि हर तरफ़ से रोने पीटने की सदाए बुलन्द हो गईं। यज़ीद बहुत ख़ाएफ़ हुआ कि कोई फ़ितना न खड़ा हो जाए इसने इस शख़्स से कहा जिसने इमाम को मिम्बर पर तशरीफ़ ले जाने को गया था, ‘‘ वयहका अरदत बसअव दह ज़वाली मलकी ’’ तेरा बुरा हो तू इनको मिम्बर पर बिठा कर मेरी सलतनत ख़त्म करना चाहता है। इसने जवाब दिया, ब खु़दा मैं यह न जानता था कि यह लड़का इतनी बुलन्द गुफ़्तुगू करेगा। यज़ीद ने कहा ‘‘ क्या तू नहीं जानता कि यह अहले बैते नबूवत और मादने रिसालत की एक फ़रद है ’’ यह सुन कर मोअजि़्ज़न से न रहा गया और उसने कहा कि ऐ यज़ीद ! ‘‘ अज़कान कज़ालका फ़लम्मा क़लत अबाह ’’ जब तू यह जानता था तो तूने इनके पदरे बुज़ुर्गवार को क्यों शहीद किया? मोअजि़्ज़न की गुफ़्तुगू सुन कर यज़ीद बरहम हो गया ‘‘ फ़मर बज़र अनक़ह ’’ और मोअजि़्ज़न की गरदन मार देने का हुक्म दिया।