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ईरान का वॉरशिप डूबा, मिसाइल और राडार से था लैस
ईरानी नौसेना का एक वॉरशिप उस समय डूब गया जब उसकी होर्मुज जलडमरूमध्य के निकट एक बंदरगाह पर मरम्मत की जा रही थी। ईरान के सरकारी मीडिया ने यह जानकारी दी। समाचार एजेंसी इरना (IRNA) की रिपोर्ट में कहा गया है कि मरम्मत के दौरान 'सहंद' वॉरशिप का संतुलन इसके कई टैंक में पानी घुसने के कारण बिगड़ गया।
एजेंसी ने कहा कि पानी की गहराई कम होने के कारण विध्वंसक को दोबारा संतुलित स्थिति में लाना संभव है। एजेंसी ने बताया कि घायल लोगों को अस्पताल ले जाया गया, लेकिन इससे अधिक जानकारी नहीं दी गई। सहंद वॉरशिप का नाम उत्तरी ईरान के एक पहाड़ के नाम पर रखा गया है। इस वॉरशिप को बनाने में छह साल लगे और दिसंबर 2018 में फारस की खाड़ी में इसे समंदर में उतारा गया था।
1,300 टन वजनी सहंत वॉरशिप सतह से सतह और सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलों, विमान भेदी बैटरियों और परिष्कृत रडार और रडार से बचने की क्षमताओं से लैस था। इसके पहले जनवरी 2018 में एक नौसैनिक विध्वंसक 'दमावंद' दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद कैस्पियन सागर में डूब गया था।
इलाही नुमाइन्दे इंसान की रूहानी तरक्की के लिए आए थे । मौलाना अली अब्बास खान
लखनऊ की तारीखी शाह नजफ़ इमामबाड़े, हज़रतगंज में रात 9 बजे अशरे का इनकाद किया गया है जिसको मौलाना अली अब्बास खान साहब ख़िताब मौलाना ने फरमाया,इंसान निजाम ए इलाही को पहचाने और अपनी ज़िम्मेदारी को पहचाने इलाही नुमाइन्दे इंसान की रूहानी तरक्की के लिए आए थे, दुनियावी तरक्की इंसान खुद कर सकता है लेकिन एक अच्छा इंसान नहीं बन सकता।
हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,लखनऊ, 8 जुलाई 2024 | लखनऊ की तारीखी शाह नजफ़ इमामबाड़े, हज़रतगंज में रात 9 बजे अशरे का अनेकाद किया गया है जिसको मौलाना अली अब्बास खान साहब ख़िताब कर रहे हैं, ये अशरा पिछले 8 सालों से मौलाना ख़िताब कर रहे हैं।
अशरे की पहली मजलिस को क़ारी रजा हुसैन साहब ने तिलावत ए कुरान से आगाज़ किया और फिर मोहम्मद हुसैन साहब ने अशआर पेश किए और फिर सैयद अली शुजा साहब ने पुर दर्द मर्सिया पेश किया और मौलाना अली अब्बास खान साहब ने मजलिस को खि़ताब करते हुए फरमाया के इंसान निजाम ए इलाही को पहचाने और अपनी ज़िम्मेदारी को पहचाने।
इलाही नुमाइन्दे इंसान की रूहानी तरक्की के लिए आए थे, दुनियावी तरक्की इंसान खुद कर सकता है लेकिन एक अच्छा इंसान नहीं बन सकता, इंसान अभी तक इलाही नुमाइन्दे की सारी बातें नहीं समझ पाया आज तक अगर उसकी अक्ल समझ में आ जाएगी तो वो दुनिया के साथ साथ मानवी तरक्की करेगा। आखिर में अज़ादार इमाम हुसैन को याद करके अश्कबार हो गए।
इमाम ख़ामेनेई एक राष्ट्रपति के लिए किन विशेषताओं को पसंद करते हैं?/ शहीद रईसी की याद में
शहीद रईसी की विदेश नीति, आत्मसम्मान के साथ दुनिया के साथ सहयोग पर आधारित थी
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने रविवार 7 जुलाई 2024 की सुबह कार्यवाहक राष्ट्रपति मुख़बिर और तेरहवें मंत्रीमंडल के सदस्यों से मुलाक़ात की।
उन्होंने इस मुलाक़ात में, जो तेरहवें मंत्रीमंडल के सदस्यों से आख़िरी मुलाक़ात थी, तेरहवीं सरकार को "काम, उम्मीद और ऐश्कन" की सरकार बताया और कहा कि शहीद रईसी हक़ीक़त में हक़ और भविष्य के बारे में आशावान थे और निर्धारित लक्ष्य को हासिल करने के लिए ठोस इरादा रखते थे।
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने शहीद रईसी की ख़ुसूसियतों को बयान करते हुए उनके अवाम से जुड़े होने को उनकी बहुत अहम ख़ुसूसियत और सभी अधिकारियों के लिए इसे आदर्श बताया और कहा कि अज़ीज़ रईसी अवाम के बीच पहुंच कर हक़ीक़त और ज़रूरतों को क़रीब से महसूस करते थे और उन्होंने अवाम की मुश्किल को दूर करने और उनकी ज़रूरतों को पूरा करने को अपने प्रोग्रामों और योजनाओं का केन्द्र बिंदु क़रार दिया था।
उन्होंने अवाम से जुड़े होने की ख़ुसूसियत को अधिकारियों और ज़िम्मेदारों से इस्लाम का मुतालेबा बताया और जनाब मालिके अश्तर के नाम अमीरुल मोमेनीन अलैहिस्सलाम के ख़त का हवाला देते हुए कहा कि अमीरुल मोमेनीन मालिके अश्तर से बल देकर कहते हैं कि तुम्हारी नज़र में सबसे पसंदीदा काम वह होना चाहिए जो अवाम की मर्ज़ी और ख़ुशी हासिल करे। शहीद रईसी अमीरुल मोमेनीन की इस शैली को अपनाए हुए थे और इसे भी सभी के लिए आदर्श होना चाहिए।
आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने मुल्क की सलाहियतों पर गहरे विश्वास को शहीद रईसी की एक और नुमायां ख़ुसूसियत बताया और कहा कि रईसी दिल की गहराइयों से मुल्क के मसलों के हल के लिए मुल्क की सलाहियतों व क्षमताओं को इस्तेमाल करने पर यक़ीन रखते थे।
उन्होंने धार्मिक व क्रांतिकारी नज़रिए के खुलकर एलान, द्विअर्थी बातों और दूसरों की ख़ुशामद से परहेज़ को शहीद राष्ट्रपति की एक और ख़ुसूसियत बताया और कहा कि रईसी जो बात साफ़ तौर पर कहते थे, व्यवहारिक तौर पर उसकी पाबंदी भी करते थे, मिसाल के तौर पर राष्ट्रपति बनने के बाद जब उनके पहले इंटरव्यू में उनसे सवाल किया गया कि क्या आप फ़ुलां मुल्क से संबंध क़ायम करेंगे तो उन्होंने जवाब दिया थाः "नहीं" और वह आख़िर तक उसी दो टूक व स्पष्ट स्टैंड पर डटे रहे।
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने काम से न थकने को शहीद रईसी की एक और ख़ुसूसियत बताते हुए कहा कि मैं बिना रुकावट के काम जारी रखने के लिए उनसे बारंबार कहता था कि वो थोड़ा आराम कर लें तो वो कहते थे कि मुझे काम से थकन नहीं होती और वो सचमुच थकते नहीं थे।
उन्होंने आगे कहा कि राष्ट्रपति रईसी में एक और नुमायां ख़ुसूसियत थी और वह यह कि वो विदेश नीति में दो ख़ुसूसियतों की एक साथ पाबंदी करते थे, एक सहयोग और दूसरे आत्मसम्मान की रक्षा। वह सहयोग करने वाले थे लेकिन आत्म सम्मान की रक्षा के साथ, वो न तो इतनी सख़्त बहस करते थे कि संपर्क टूट जाए और न ही फ़ुज़ूल में अपने आप को कमतर ज़ाहिर करते और रिआयत देते थे।
आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने इस सिलसिले में याद दिलाया कि इज़्ज़त व आत्मसम्मान के साथ दूसरे मुल्कों ख़ास तौर पर पड़ोसी मुल्कों के साथ हमारे शहीद राष्ट्रपति का सहयोग इस बात का सबब बना की उनकी शहादत के बाद दुनिया के कई बड़े राष्ट्राध्यक्षों ने अपने सांत्वना संदेशों में उन्हें एक मामूली राजनेता नहीं बल्कि एक नुमायां हस्ती के तौर पर याद किया।
उन्होंने शहीद रईसी में अध्यात्म, अल्लाह की याद, उससे दुआ और अहलेबैत को अल्लाह से दुआ में ज़रिया क़रार देने को उनकी एक और नुमायां ख़ुसूसियत बताया।
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने कहा कि ये ख़ुसूसियतें एक आइडियल की व्याख़्या और इतिहास में उसे दर्ज करने के लिए बयान हुयीं ताकि यह पता चल सके कि एक राष्ट्रपति अनेक वैचारिक, व्यवहारिक व हार्दिक महानताओं का स्वामी हो सकता है और अपने सरकारी व व्यक्तिगत कामों के दौरान भी उनकी पाबंदी कर सकता है।
उन्होंने अपने ख़ेताब के आख़िर में एक बार फिर एक अच्छे और बिना कड़वाहट के चुनाव के आयोजन के लिए अवाम, अधिकारियों, गृह मंत्रालय, राष्ट्रीय मीडिया, पुलिस फ़ोर्स और क़ानून लागू करने वाले विभागों की कोशिशों का शुक्रिया अदा किया और कहा कि दुनिया के कुछ मुल्कों में इलेक्शन मारपीट और एक दूसरे का गरेबान पकड़े बिना नहीं होता जबकि हमारे मुल्क में चुनाव बेहतरीन तरीक़े से आयोजित हुआ।
इमाम हुसैन के रौज़े से ऐलान लंदन में आशूरा को लहराएंगे 40000 से ज़्यादा अलम
इमाम हुसैन अ.स. के रौज़े की तरफ से एक बार फिर ऐलान किया गया है कि इस बार लंदन की सड़कों पर 40000 से ज़्यादा अलम लहराएंगे जिस पर इमाम हुसैन अ.स. के रौज़े के लोगो समेत मानवाधिकार और इमाम हुसैन अ.स. से संबंधित स्लोगन होंगे।
इमाम हुसैन रौज़े के उप प्रबंधक डॉ अला ज़ियाउद्दीन ने कहा: शेख अब्दुल महदी अल-करबलाई के समर्थन से इस साल आशूरा के दिन लंदन के केंद्र में ऑक्सफोर्ड स्ट्रीट पर 40,000 अलम फहराए जाएंगे।
हिज़्बुल्लाह के एक ऐलान ने उड़ाई अवैध राष्ट्र इस्राईल की नींद
ग़ज़्ज़ा में ज़ायोनी सेना की ओर से जारी फिलिस्तीनी बेगुनाहों का जनसंहार विकराल रूप लेने से एक कदम दूर है। हाल ही में ज़ायोनी सेना और हिज़्बुल्लाह के बीच बड़े तनाव ने पूरी दुनिया को संकट में डाल दिया है। हिज़्बुल्लाह ने साफ़ शब्दों में ऐलान किया है कि वह मक़बूज़ा फिलिस्तीन के संवेदनशील ठिकानो को निशाना बनाने की क्षमता रखता है। वहीं अमेरिका ने तनाव कम करने के लिए अपने दूत को लेबनान यात्रा पर भेजा है।
ज़ायोनी हमले मे हिज़्बुल्लाह कमांडर अबुतालिब की शहादत के बाद से ही मक़बूज़ा फिलिस्तीन के नॉर्दर्न बॉर्डर पर तनाव बढ़ गया है और किसी भी वक्त यह तनाव एक बड़ी जंग का रूप ले सकता है। अपने कमांडर की मौत के कुछ ही घंटों बाद हिज़्बुल्लाह ने ज़ायोनी शासन के खिलाफ कार्रवाई करते हुए करीब 200 रॉकेटों की बरसात की थी, जिसके बाद पूरे नॉर्दन इस्राईल में डर का माहौल बन गया। ज़ायोनी सेना ने 18 जून को कहा कि ‘लेबनान ऑपरेशन प्लान’ को IDF के नॉर्दन कमांड चीफ मेजर जनरल ओरी गॉर्डिन और ऑपरेशनल चीफ ओडेड बासियुक से मंजूरी मिल गई है, जिसके बाद हिज़्बुल्लाह के खिलाफ व्यापक युद्ध छेड़ा जा सकता है। लेकिन हिज़्बुल्लाह के इस एलान के बाद ज़ायोनी सेना, उसके एयर डिफेंस, इंटेलिजेंस और सर्विलांस यूनिट से लेकर सरकार की भी नींद उड़ गई है।
हिज़्बुल्लाह ने एक वीडियो जारी की है, जिसमें उसके ड्रोन को मक़बूज़ा फिलिस्तीन के आसमान पर उड़ता दिखाया गया है। 9 मिनट की इस फुटेज में टोही ड्रोन को किरयात शमोना, नहरिया, सफद, कारमील, अफुला कस्बों से लेकर हैफा पोर्ट तक उड़ते हुए दिखाया गया है। इन फुटेज में ज़ायोनी सेना की कई संवेदनशील साइट्स को भी मार्क किया गया है। ज़ायोनी शासन के लिए चिंता की बात यह भी है कि यह ड्रोन बिना उसकी रडार में आए वापस लेबनान भी लौट गया है। ड्रोन ने उस रडार को चकमा दिया है, जिसको इस्राईल दुनिया का सबसे अच्छा एयर डिफेंस सिस्टम बताता है।
हज के दौरान शिर्क, साम्राज्यवाद और शोषणकारी शक्तियों से बराअत का इज़हार और गहरा हो
अहले बैत वर्ल्ड इस्लामिक असेंबली के जनरल सेक्रेटरी आयतुल्लाह रज़ा रमज़ानी ने कहा कि हज का असली अर्थ और उसकी आत्मा तौहीद और शिर्क से बेज़ारी के साथ गूँधा हुआ है। अगर हम हज के रहस्यों पर घोर करें तो पाएंगे कि वह अंदरूनी और बाहरी शिर्क से मुक़ाबला करना है।
इस्राईल के अत्याचारी चेहरा एक बार फिर दुनियया के सामने बेनक़ाब हो चुका है। फिलिस्तीनी लोगों की मज़लूमियत और ज़ायोनी शासन के अत्याचारों के कारण इस साल का हज हज्जे बराअत के नाम से मशहूर हो गया।
अहले बैतियन एक्टिविस्ट ने हज कांग्रेस के नाम आयतुल्लाह ख़ामेनेई के पैग़ाम और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर उसके प्रभाव के शीर्षक से अहले बैत वर्ल्ड इस्लामिक असेंबली की सहायता से अबना में एक वेबिनार का आयोजन किया गया।
अहले बैत वर्ल्ड इस्लामिक असेंबली के जनरल सेक्रेटरी आयतुल्लाह रज़ा रमज़ानी ने कहा कि हज एक तरह से अल्लाह की बंदगी का अभ्यास है। हज एक अंतर्राष्ट्रीय सम्मलेन है जिसमे हर साल दुनियाभर से अलग अलग नस्ल और समाज के मुसलमान शामिल होते हैं। यह बेहतरीन अवसर हैं जहाँ हम अपने मामलात और दुनिया के बारे में फैसला ले सकते हैं।
आयतुल्लाह रज़ा रमज़ानी ने कहा कि हज में शिर्क और मुशरेकीन से बराअत, प्रभुत्ववाद, साम्राज्यवाद और उपनिवेशवाद से बेज़ारी का रंग गहरा होना चाहिए।
उन्होंने कहा कि हज का एक बेहतरीन तोहफा उम्मते इस्लामी का इत्तेहाद है। अगर मुसलमानों के बीच सही अर्थों में एकजुटता और इत्तेहाद हो जाए तो दुनिया में सबसे बड़ी आर्थिक, राजनीतिक, सुरक्षा, सांस्कृतिक और सामाजिक स्थिति मुसलमानों की होगी, जो हम सभी की इच्छाओं और आशाओं का हिस्सा है।
रूसी लोगों ने आयतुल्लाह ख़ामेनेई के बयान का स्वागत किया
रूस के दागेस्तान स्टेट यूनिवर्सिटी के सहायक प्रोफेसर डॉ. नूरी मोहम्मदज़ादेह ने भी कहा: हज तौहीद का प्रतीक है और शिर्क और उत्पीड़न से मुक्ति का प्रतीक भी। इसलिए, इस वर्ष के हज संदेश में आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने बराअत पर इतना ज़ोर दिया। उन्होंने कहा कि हमने रूसी ज़बान में आयतुल्लाह ख़ामेनेई के पैग़ाम को सोशल मीडिया की सहारे वायरल करने की भरपूर कोशिश की है। जिसका सकारात्मक जवाब भी मिला।
हाजियों पर जमी हैं फिलिस्तीनी लोगों की निगाहें
अर्जेंटीना के ब्यूनस आयर्स मस्जिद के इमाम शेख अब्दुलकरीम पाज़ ने हज कांग्रेस को एक महत्वपूर्ण अवसर बताते हुए कहा कि हज सभी मुसलमानों के लिए ईश्वर की ओर से एक महत्वपूर्ण कर्तव्य है और यह एक महान अवसर भी है जिसका हमें लाभ उठाना चाहिए।
उन्होंने इस साल के हज सीज़न में शिर्क से बराअत के मुद्दे को अतीत से अलग माना और कहा कि आज ग़ज़्ज़ा में बहुत बड़ा और भयानक नरसंहार हो रहा है। पिछले वर्षों में हज के दौरान सऊदी अरब में फ़िलिस्तीन की आज़ादी के नारे पर प्रतिबंध लगा दिया गया था, लेकिन इस साल वह चाह कर भी ऐसा नही कर सकते और हाजियों को चुप रहने पर मजबूर नहीं कर पाएंगे।
साइप्रस को हिज़्बुल्लाह की धमकी, इस्राईल को हवाई अड्डे दिए तो अंजाम भुगतना होगा
लेबनान के लोकप्रिय जनांदोलन और देश के प्रभावी राजनैतिक दल हिज़्बुल्लाह के चीफ सय्यद हसन नसरुल्लाह ने यूरोपीय द्वीप देश साइप्रस को साफ़ सन्देश देते हुए कहा कि अगर लेबनान इस्राईल युद्ध के बीच उसने अपने अड्डे इस्राईल को दिए तो हम उस पर भी जवाबी कार्रवाई करेंगे।
बता दें कि साइप्रस यूरोपीय संघ का सदस्य है और लेबनान की सीमा से लगभग 200 किलोमीटर दूर है। ज़ायोनी शासन और हिज़्बुल्लाह के बीच तनाव बढ़ता ही जा रहा है। ज़ायोनी सेना के मुताबिक उसने लेबनान में बड़े ऑपरेशन शुरू करने के लिए प्लान तैयार कर लिया और इसको ज़ायोनी प्रशासन की ओर से मंजूरी भी मिल गई है।
हसन नसरुल्लाह ने अपने बयान में कहा, “साइप्रस ने अगर अपने हवाई अड्डे और सैन्य ठिकानों को ज़ायोनी बलों के लिए खोला, तो वह भी इस युद्ध का हिस्सा होगा। हम साइप्रस पर भी हमला करेंगे।” हिज़बुल्लाह चीफ का यह बयान अवैध राष्ट्र की चेतावनी के ठीक एक दिन बाद आया है। इस बयान के बाद क्षेत्र में जंग फैलने के आसार बढ़ गए हैं।
न सरनेम और न माथे पर तिलक स्कूलों में छात्रों के लिए नए नियम लागू करेगी सरकार
तमिलनाडु में छात्र तिलक लगाकर और हाथ में बैंड पहनकर स्कूल नहीं जा सकेंगे। न ही कोई छात्र अपने नाम के साथ अपनी जाति जोड़ सकेगा। अगर ऐसा करते हुए कोई छात्र पाया जाएगा तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। सरकार इन नियमों पर जल्द ही अपनी मुहर लगाने जा रही है।
मुख्यमंत्री एमके स्टालिन राज्य के स्कूलों में जाति विवाद को लेकर सख्त नियम बनाने जा रहे हैं। इसकी तैयारी पूरी की जा चुकी है। इस मामले को लेकर एक वर्ष पहले गठित की गई समिति ने अपनी जांच रिपोर्ट पूरी कर ली है।
बीते वर्ष अगस्त के महीने में नांगुनेरी, तिरुनेलवेली के एक स्कूल में अनुसूचित जाति समुदाय के भाई-बहन की जोड़ी को जाति भेदभाव के कारण स्कूल के दूसरी जाति के छात्रों ने हमला कर दिया था। इस मामले के बाद समिति का गठन किया गया था और इसके समाधान पर योजना बनाने को कहा था।
समिति ने अपनी सिफारिशों में स्कूल परिसर में छात्रों को जाति सूचक कलाई में बैंड, अंगूठी, माथे के निशान (तिलक) करने पर रोक लगाने का प्रस्ताव रखा है। समिति ने जाति संबंधी चित्र छपी साइकिलों पर प्रतिबंध करने की सिफारिश की है। रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर छात्र इन नियमों का पालन नहीं करते हैं तो उनके खिलाफ आवश्यक कार्रवाई की जाए और उनके मां-बाप या अभिभावकों को इसकी जानकारी दी जाए।
ठाकरे ने NEET विवाद पर PM मोदी पर कसा तंज क्या अब परीक्षा पे चर्चा होगी
शिवसेना नेता आदित्य ठाकरे ने यूजीसी-नेट को रद्द करने को लेकर केंद्र सरकार पर कटाक्ष करते हुए पूछा कि क्या छात्रों के साथ 'परीक्षा पे चर्चा' का सत्र आयोजित किया जाएगा, जिन्हें फिर से परीक्षा देनी होगी।
इन दिनों देश में नीट में धांधली को लेकर विवाद चल रहा है। इसी बीच केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने बुधवार को यूजीसी-नेट को रद्द करने का आदेश दिया, क्योंकि उन्हें इस बात की जानकारी मिली थी कि परीक्षा की सत्यनिष्ठा से समझौता किया गया है, और मामले की जांच के लिए सीबीआई को सौंप दिया।
शिवसेना (यूबीटी) नेता आदित्य ठाकरे ने एक्स पर पोस्ट किया। उन्होंने कहा कि केंद्र द्वारा खुद को बचाने के लिए उठाए गए कदम से लगभग नौ लाख छात्रों को नुकसान होगा। इन छात्रों के प्रयास और पैसे बर्बाद हो गए। इन छात्रों को अब जिन्हें फिर से परीक्षा देनी होगी। उन्होंने इस बात को लेकर पीएम मोदी पर तंज कसा। उन्होंने कहा कि "इससे बड़ी विडंबना क्या हो सकती है कि 'परीक्षा पे चर्चा' आयोजित करने वाले लोग बिना गड़बड़ी किए परीक्षा आयोजित नहीं कर सकते।"
जारी वर्ष में ईरान की सिपाहान तेल कंपनी के निर्यात में असाधारण वृद्धि
ईरान की सिपाहान तेल कंपनी के निर्यात में पिछले साल की अपेक्षा इस वर्ष लगभग 695 अरब तूमान की वृद्धि हुई है।
Industrial Oil के उत्पादन के क्षेत्र में ईरान की तेल कंपनियों ने हालिया वर्षों में असाधारण प्रगति की है इस प्रकार से कि ये कंपनियां देश की ज़रूरतों को पूरा करने के अलावा बाहरी बाज़ारों की ज़रूरतों को भी पूरा कर रही हैं।
पार्सटुडे की रिपोर्ट के अलावा जो वित्तीय आंकड़े प्रकाशित हुए हैं वे इस बात के सूचक हैं कि वित्तीय वर्ष के आरंभ से लेकर फ़ार्सी महीने उर्दीबहिश्त की समाप्ति तक अर्थात 20 जून तक ईरान की सिपाहान तेल कंपनी का निर्यात लगभग दो हज़ार 153 अरब तूमान था जो पिछले वर्ष की तुलना में लगभग 695 अरब तूमान की वृद्धि का सूचक है।
देश से बाहर निर्यात के साथ देश के अंदर भी सिपाहान तेल कंपनी की बिक्री अधिक हो गयी है।
जारी आंकड़े इस बात के सूचक हैं कि इस तेल कंपनी ने वित्तीय वर्ष के आरंभ से 20 जून तक एक हज़ार 682 अरब तूमान का तेल देश के अंदर बेचा है जबकि यह बिक्री पिछले वर्ष मात्र एक हज़ार 286 अरब तूमान रही है।