
رضوی
सुप्रीम लीडर आयतुल्लाह ख़ामेनई ने ईरानी नए साल में अर्थव्यवस्था पर दिया विशेष बल।
इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने सभी ईरानियों विशेष कर शहीदों और युद्ध में घायल होने वालों को नए हिजरी शमसी साल 1396 के आरंभ पर पैग़म्बरे इस्लाम की सुपुत्री के जन्म दिवस और नौरोज़ की बधाई दी है और ईरानी जनता और दुनिया भर के मुसलमानों के लिए विभूति, सुरक्षा और संपन्नता की कामना करते हुए नए साल को "प्रतिरोधक अर्थ व्यवस्था, पैदावार और रोज़गार" का नाम दिया है।
आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने नए वर्ष के बधाई संदेश में पिछले वर्ष को ईरानी राष्ट्र के कटु व मधुर घटनाओं का साल बताया और उसमें ईरानी राष्ट्र की ख़ुशी की कुछ अहम घटनाओं का उल्लेख करते हुए कहा कि वर्ष 1395 में प्रिय ईरानी राष्ट्र के लिए सम्मान पूरी तरह से स्पष्ट रहा और शत्रुओं ने दुनिया में हर जगह ईरान की शक्ति व महानता को स्वीकार किया। उन्होंने इस्लामी क्रांति की वर्षगांठ की रैलियों में जनता की भरपूर उपस्थिति को अमरीकी राष्ट्रपति की ओर से ईरानी राष्ट्र की बेइज़्जती का जवाब और इसी तरह विश्व क़ुद्स दिवस में जनता की बेजोड़ उपस्थिति को ईरानी जनता की पहचान और उच्च लक्ष्यों का परिचायक बताया और कहा कि ईरान के पड़ोसी और क्षेत्रीय देशों में अशांति के बावजूद ईरान की सुरक्षा क्षेत्रीय व अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बड़ी अहम रही और ईरानी राष्ट्र ने पूरे साल टिकाऊ सुरक्षा का अनुभव किया।
वरिष्ठ नेता ने वर्ष 1395 को प्रयास और कार्य का नाम दिए जाने की ओर संकेत करते हुए कहा कि देश के अधिकारियों की ओर से किए जाने वाले कार्यों और जनता व वरिष्ठ नेतृत्व की अपेक्षाओं में काफ़ी अंतर रहा है और कुल मिला कर सकारात्मक और नकारात्मक आंकड़े देखे जा सकते हैं। उन्होंने प्रतिरोधक अर्थ व्यवस्था को अकेल ही प्रभावी नहीं बताया और वर्तमान स्थिति को बेहतर बनाने के उपायों के बारे में कहा कि प्रतिरोधक अर्थ व्यवस्था को अहम बिंदुओं तक पहुंचाना और इस पर अधिकारियों और जनता का ध्यान केंद्रित होना अहम है और यह अहम बिंदु आंतरिक पैदावार और रोज़गार विशेष कर युवाओं को रोज़गार प्रदान करना है।
आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने इसी आधार पर नए साल को "प्रतिरोधक अर्थ व्यवस्था, पैदावार और रोज़गार" का नाम दिया और कहा कि सभी कार्यक्रमों को जनता, अधिकारियों और वरिष्ठ नेतृत्व की इसी इच्छा पर केंद्रित होना चाहिए जिससे ध्यान योग्य उपलब्धियां प्राप्त होंगी और अधिकारियों को साल के अंत तक इस संबंध में जनता को रिपोर्ट देनी चाहिए।
अमरीका में "एक मुसलमान से मुलाक़ात"
अमरीका में इस्लाम के बारे में सही जानकारी लोगों तक पहुंचाने के लिए राष्ट्रव्यापी प्रचार का आयोजन किया गया है जिसका शीर्षक है, "एक मुसलमान से मुलाक़ात"।
अमरीका के मुस्लिम युवाओं के संगठन ने इस्लाम के बारे में आम लोगों को सही जानकारी पहुंचाने के उद्देश्य से एक कार्यक्रम निरधारित किया है। इस कार्यक्रम के अंतर्गत सप्ताह में एक दिन राष्ट्रव्यापी प्रचार के ज़रिए पूरे अमरीका में लोगों तक इस्लाम धर्म की सच्चाई और उसकी सही जानकारी पहुंचाई जा रही है।
"एक मुसलमान से मुलाक़ात" नामक इस देशव्यापी प्रचार में अमरीका के 50 से अधिक शहरों में 124 स्थानों पर स्वेच्छा से सैकड़ों की संख्या में मुसलमान इकट्ठे होते हैं। इस कार्यक्रम में शामिल लोग इस्लाम के बारे में सवालों के जवाब देते हैं। इस प्रचार का उद्देश्य इस्लाम और मुसलमानों के बारे में अमरीकियों को सही जानकारी प्रदान करना और मुसलमानों के ख़िलाफ़ बढ़ती नफ़रत और हिंसा को रोकना है।
"MEET A MUSLIM" नामक इस राष्ट्रव्यापी प्रचार के अवसर पर अमरीका के विभिन्न शहरों में सैकड़ों मुसलमानों ने एक विशाल मार्च भी निकाला जिसमें बड़ी संख्या में मुसलमानों सहित अन्य धर्मों के लोगों ने भी भाग लिया।
अमरीका की एफ़बीआई पुलिस की रिपोर्ट के अनुसार 2015 में मुसलमानों के ख़िलाफ़ हुई हिंसक घटनाओं में बहुत तेज़ी से वृद्धि हुई है। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि हाल के महीनों, विशेषकर ट्रम्प के सत्ता में आने के साथ ही अमरीका में मुसलमानों और उनकी मस्जिदों पर हमलों में तेज़ी से वृद्धि हुई है।
नेतनयाहू लगता है इतिहास नहीं जानते, ईरानी राष्ट्र ने 3 बार यहूदियों को बचाया, ज़रीफ़
ईरानी विदेश मंत्री जवाद ज़रीफ़ ने कहा है कि ज़ायोनी प्रधान मंत्री बिनयामिन नेतनयाहू ने ईरान के ख़िलाफ़ इल्ज़ाम लगाने के लिए तौरैत को झुठलाने और झूठे इतिहास का सहारा लिया है।
उन्होंने रविवार को अपने ट्वीटर पेज पर नेतनयाहू के उस दावे की प्रतिक्रिया में यह बात कही जिसमें नेतनयाहू ने कहा कि ईरान 2500 साल से “यहूदियों को तबाह करने की” कोशिश कर रहा है।
जवाद ज़रीफ़ ने कहा, “एक राष्ट्र के ख़िलाफ़ कि जिसने यहूदियों को तीन बार बचाया, धर्मान्धता से प्रेरित झूठे प्रचार के लिए नेतनयाहू ने आदत के तहत झूठे इतिहास और तौरैत को झुठलाने का सहारा लिया। एक बार फिर बिनयामिन नेतनयाहू ने आज न सिर्फ़ सच बात को विकृत कर दिया बल्कि यहूदियों के ग्रंथ सहित विगत की सच्चाई को भी तोड़ मरोड़ दिया। यह अफ़सोस की बात है कि धर्मान्धता इस हद तक पहुंच गयी है कि एक पूरे राष्ट्र के ख़िलाफ़ इल्ज़ाम लगाया जा रहा है जिसने इतिहास में 3 बार यहूदियों को बचाया।”
ग़ौरतलब है कि नेतनयाहू ने गुरुवार को रूसी राष्ट्रपति व्लादमीर पूतिन से मॉस्को में मुलाक़ात में यह दावा किया। उनका उस दन्तकथा की ओर इशारा था जिसे यहूदी प्यूरिम त्योहार के अवसर पर याद करते हैं। प्यूरिम त्योहार इस्राईल में शनिवार की रात शुरु हुआ।
ऐसी हालत में जब विद्वान प्यूरिम कहानी की सच्चाई से सहमत नहीं है, नेतनयाहू ने दुनिया के अनेक नेताओं से मुलाक़ात में अपने ईरान विरोधी तर्क में इस दन्तकथा को आधार बनाकर पेश किया।
इससे पहले रविवार को ईरानी संसद सभापति अली लारीजानी ने कहा कि नेतनयाहू ने इस्लाम से पहले के ईरान के इतिहास का ग़लत हवाला दिया और तथ्यों को उलट पलट दिया।
उन्होंने कहा, “ऐसा लगता है कि वह न तो इतिहास जानते हैं और न ही उन्होंने तौरैत पढ़ी है।”
ईरान की इस्लामी लोकतांत्रिक व्यवस्था को मिल रहे चौतरफ़ा समर्थन से तिलमिला उठा है अमरीका
ईरान की इस्लामी क्रान्ति के वरिष्ठ आयतुल्लाहिल उज़्मा सैयद अली ख़ामेनई ने विशेषज्ञ एसेंबली के सदस्यों मुलाक़ात में कहा कि अंतर्राष्ट्रीय साम्राज्यवाद और अत्याचार से मुक़ाबला तथा ईमान रखने वालों पर अपना वर्चस्व जताने की नास्तिकों की कोशिशों पर अंकुश इस्लामी लोकतांत्रिक व्यवस्था के अनिवार्य आयाम हैं।
इस्लामी क्रान्ति के वरिष्ठ नेता ने गुरुवार को होने वाली इस मुलाक़ात में कहा कि ईरान में शुद्ध इस्लाम के लागू होने होने के नतीजों में बड़ी शक्तियों पर निर्भरता से देश की मुक्ति तथा इन ताक़तों के लिए ईरान के दुरुपयोग का रास्ता बंद हो जाना है। आयतुल्लाहिल उज़्मा ख़ामेनई ने ईरान से विश्व की विस्तारवादी शक्तियों की दुशमनी का हवाला देते हुए कहा कि अमरीका और ज़ायोनी शासन की दुशमनी बहुत भीषण और व्यवहारिक रूप में नज़र आने वाली है लेकिन शक्तियां एसी हैं जो ज़बान और व्यवहार से अपनी दुशमनी इस तरह ज़ाहिर नहीं करते।
इस्लामी क्रान्ति के वरिष्ठ नेता ने अपने भाषण में कहा कि संस्कृति के मैदान में व्यापक मगर ख़ामोश हमला और आर्थिक दबाव दुशमन मोर्चे की गतिविधियों और योजनाओं का केन्द्रीय बिंदु है। उन्होंने कहा कि उनका लक्ष्य जनता को ईरान की इस्लामी लोकतांत्रिक व्यवस्था से निराश करना है।
आयतुल्लाहिल उज़्मा सैयद अली ख़ामेनई का कहना था कि दुशमनों की साज़िशों और योजनाओं को विफल बनाने का बुनियादी रास्ता तर्क पर आधारित मज़बूत और आक्रमक मुक़ाबला है। उन्होंने कहा कि मानवाधिकार, आतंकवाद और युद्ध अपराध सहित हर मामले में पश्चिम के मुक़ाबले में आक्रामक रुख़ अपनाने की ज़रूरत है।
इस्लामी क्रान्ति के वरिष्ठ नेता ने ईरान में होने वाले चुनावों के बारे में अमरीका की हालिया टिप्पणी को ख़ारिज करते हुए कहा कि अमरीका जो क्षेत्र की सबसे दुष्ट और सबसे अमानवीय सरकार से सहयोग कर रहा है और जिसने अपने हालिया चुनावों में भारी निर्लज्जता दिखाई, वह ईरानी जनता के चुनावों पर उंगली उठा रहा है!
इस्लामी क्रान्ति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहि उज़्मा ख़ामेनई ने दुनिया और विशेष रूप से पश्चिमी एशिया में इस्लामी गणतंत्र ईरान के रणनैतिक प्रभाव को हालिया चार दशकों की बहुत बड़ी उपलब्धि बताया और कहा कि ईरान के बढ़ते हुए प्रभाव और इस्लामी व्यवस्था के लिए राष्ट्रों की ओर से बढ़ते समर्थन के कारण अमरीका तिलमिलाया हुआ है।
ज्ञात रहे कि गुरुवार को विशेषज्ञ एसेंबली ने अपनी बैठक समाप्त होने के बाद इस्लामी क्रान्ति के वरिष्ठ नेता से मुलाक़ात की।
अगला युद्ध इस्राईल के लिए आख़िरी युद्ध होगाः हिज़्बुल्लाह
लेबनान के इस्लामी प्रतिरोध आंदोलन हिज़्बुल्लाह के उप महासचिव शैख़ नईम क़ासिम ने कहा कि अतीत में जब इस्राईल किसी को धमकी देता था तो वह धमकी के माध्यम से अपना काम निकाल लेता था और यह शासन अब भलिभांति यह समझ चुका है कि जो भी युद्ध छेड़ेगाा उसमें लज्जाजनक पराजय का सामना करना पड़ेगा।
हिज़्बुल्लाह के उप महासचिव नईम क़ासिम ने अपने बयान में कहा कि इस्राईल के अतिक्रमण का समय समाप्त हो चुका है और इस शासन को इसकी क़ीमत भलि भांति पता चल चुकी है।
अलअहद वेबसाइट की रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने कहा कि एेसा प्रतीत हो रहा है कि धीरे धीरे हम यह भूल ही जाएंगे कि इस्राईली नामक हमारा कोई वास्तविक शत्रु है और यह शासन अत्याचारग्रस्त होने का नारा देकर अरब देशों, विश्व मीडिया, सुरक्षा परिषद में पैठ बना रहा है, वह हमेशा हिज़्बुल्लाह, ईरान और फ़िलिस्तीनी प्रतिरोध को निशाना बनाता है कि यह नहीं चाहते कि इस्राईल चैन से बैठे, मानो इस्राईल को यह अधिकार है कि वह दूसरों की धरती पर क़ब्ज़ा करके बैठ जाए। उनका कहना था कि खेद की बात यह है कि कुछ देश है जिनमें अरब देश भी शामिल हैं, इस्राईल के साथ सहयोग कर रहे हैं, हमको धैर्य से काम लेना होगा और फिर वास्तविकता सब पर स्पष्ट होगी।
शैख़ नईम क़ासिम ने कहा कि इस्राईल अतिक्रमणकारी है, वह वही है जिसने तीस वर्ष पहले से अब तक क्षेत्र में युद्ध की आग भड़का रखी है, हमारे क्षेत्र के समीकरण को तबाह करके रख दिया है। दाइश और नुस्रा फ़्रंट तथा सीरिया की बर्बादी के पीछे इस्राईल का हाथ है। मैं यहां पर यह घोषण करने जा रहा हूं कि इस्राईल वही समस्या है, अतिग्रहण वही समस्या है, इस मामले में तनिक भी परिवर्तन नहीं हुआ है। उनका कहना था कि प्रतिरोध न होता तो लेबनान स्वतंत्र न होता और तकफ़ीरियों को निराशा को भागना न पड़ता।
यरूशलेम में अज़ान प्रसारण पर प्रतिबंध इस्लाम की मौजूदगी से इनकार करना बताया है
तुर्की के धार्मिक मामलों के प्रमुख "मोहम्मद Gvrmaz" ने बताया कि यरूशलेम में अज़ान प्रसारण पर प्रतिबंध इस्लाम की मौजूदगी से इनकार करना बताया है।
तुर्की के धार्मिक मामलों के प्रमुख "मोहम्मद Gvrmaz" ने शेख़ शामिल मस्जिद के उद्घाटन समारोह में कहा कि इजरायल Knesset द्वारा यरूशलेम में अज़ान पर प्रतिबंध लगाने दुर्भाग्य है और से यरूशलेम में प्रार्थना पर प्रतिबंध लगा दिया "शेख शामिल हैं" । प्रतिबंध फिलीस्तीनी राज्य क्षेत्र में इस्लाम और यह मुसलमानों की मौजूदगी से पूरी तरह इनकार करना है।
उन्होने मुसलमानों के बीच यरूशलेम की स्थिति का मक्का और मदीना महान प्रतीकों के बाद जिक्र किया है।
हिज़्बुल्लाह के विरुद्ध इस्राईल से कोई समझौता नहीं हुआः रूस
रूस के क्रिमलन हाउस के प्रवक्ता दिमेत्री पेस्कोव ने हिज़्बुल्लाह आंदोलन के विरुद्ध ज़ायोनी शासन से रूस की सहमति पर आधारित अल जज़ीरा टीवी चैनल के दावे को रद्द कर दिया।
उन्होने गुरुवार को क़तर के इस टीवी चैनल के दावे को रद्द कर दिया है कि मास्को ने इस्राईल को इस बात की अनुमति दी है कि वह हिज़्बुल्लाह को निशाना बनाने के लिए सीरिया की वायु सीमा का प्रयोग कर सकता है। उनका कहना था कि अलजज़ीरा टीवी चैनल की यह रिपोर्ट और दावा पूरा तरह निराधार है।
रूस के राष्ट्रपति विलादीमीर पुतीन के प्रवक्ता के हवाले से इतारतास न्यूज़ एजेन्सी ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि उनका कहना था कि मैं इस समाचार के बारे में इससे अधिक कुछ नहीं कह सकता और केवल इस बात पर बल देता हूं कि इसका वास्तविकता से कोई लेना देना नहीं है। उनका कहना था कि इस विषय पर बात ही नहीं हुई और यह मुद्दा उठा ही नहीं।
ज्ञात रहे कि अलजज़ीरा टीवी चैनल ने बिनयामीन नितिनयाहू के निकटवर्ती सूत्र के हवाले से दावा किया था कि मास्को ने इस्राईल को अनुमति दी है कि वह हिज़्बुल्लाह के विरुद्ध हमला करने के लिए सीरिया की हवाई सीमा प्रयोग कर सकता है।
ज़ायोनी प्रधानमंत्री नितिनयाहू ने मास्को में रूस के राष्ट्रपति विलादीमीर पुतीन से गुरुवार को भेंटवार्ता की और बताया गया है कि इस मुलाक़ात में सीरिया के मुद्दे पर भी चर्चा की गयी है।
ईरान ने एस-300 का परीक्षण कर, उड़ाईं दुश्मनों की नींदे।
एस-300 मीज़ाइल सिस्टम के ईरान में सफल परीक्षण के बाद इसको ऑप्रेशनल बना दिया गया और दूसरे एयर डिफ़ेंस सिस्टम के साथ शामिल कर लिया गया है।
एस-300 मिसाइल सिस्टम के परिक्षण के दौरान (जिसे शनिवार को अपनी सैन्य क्षमता का अनुमान लगाने के लिए अंजाम दिया गया) बैलेस्टिक मिज़ाइलों और ड्रोन विमानों का पीछा करके उन्हें नष्ट किया गया।
ख़ातेमुल अंबिया एयर डिफ़ेंस हेडक्वार्टर के अध्यक्ष ब्रिगेडियर फडरज़ाद इस्माईल ने शनिवार को प्रेस रिपोर्टर से बातचीत में इस बात का ज़िक्र करते हुए कि एस-300 मीज़ाईल सिस्टम ईरान का हक़ था और उसने यह हक़ हासिल किया उन्होंने आगे कहा कि ऐस-300 मीज़ाइल सिस्टम भी आज ईरान द्वारा तय्यार किए गए मेरसाद और तलाश जैसे शक्तिशाली मीज़ाइल सिस्टम के साथ हर तरह की कार्यवाही के लिए तैय्यार है।
उन्होंने इस बात का ज़िक्र करते हुए कि दुश्मन की धमकियों का जवाब युद्ध के मैदान में देंगे कहा कि एस-300 मिज़ाइल सिस्टम का परीक्षण खुद ईरानी विशेषज्ञों ने संभावित खतरों और परियोजनाओं के तहत अंजाम दिया है और आगे भी कोई दूसरा व्यक्ति इस सिस्टम को ऑप्रेशनल करने में शामिल नहीं होगा।
बिग्रेडियर फ़रज़ाद इस्माईली ने कहा कि ईरान का बनाया हुआ एस-300 भी जल्द ही बावर-373 के नाम से टेस्ट किया जाएगा। उनका कहना था कि ईरान में तैय्यार किया जाने वाला एस-300 सिस्टम ईरानी टेक्नॉलॉजी के द्वारा तैय्यार किया जा रहा है जो रूसी एस-300 से भी अधिक विकसित है।
इस्राईल ने मस्जिदुल अक़सा का बंटवारा कर दिया
फ़िलिस्तीन में इस्लामी सहयोग संगठन के प्रतिनिधि ने मस्जिदुल अक़सा ज़ायोनी शासन की हालिया कार्यवाहियों की ओर संकेत करते हुए कहा कि इस शासन ने मस्जिदुल अक़सा को बांटने का काम आरंभ कर दिया है।
फ़िलिस्तीन में इस्लामी सहयोग संगठन के प्रतिनिधि अहमद रोवैज़ी ने मस्जिदुल अक़सा के विरुद्ध इस्राईल की हालिया कार्यवाहियों के ख़तरों की ओर से सचेत करते हुए कहा कि यह कार्यवाहियां, मस्जिदुल अक़सा के यहूदीकरण के नये षड्यंत्रों के क्रियान्वयन का आरंभ है।
उन्होंने ख़लीज आन लाइन वेब साइट से बात करते हुए कहा कि इस्राईली अधिकारियों ने मस्जिदुल अक़सा के प्रांगड़ में एक शीशे का कमरा बनाकर मस्जिदुल अक़सा के विभाजन का काम आरंभ कर दिया है।
रोवैज़ी ने बल दिया कि मस्जिदुल अक़सा के प्रांगड़ में बने शीशे के कमरे का उद्देश्य, मस्जिदुल अक़सा को स्थान के हिसाब से बांटना है और यह कार्यवाही समय के हिसाब से बांटने के बाद अंजाम दी गयी है। इस योजना के अंतर्गत एक निर्धारित समय पर ज़ायोनी कट्टरपंथी मस्जिद अक़सा पर धावा बोलते हैं।
मस्जिदुल अक़सा के सुरक्षा कर्मियों की गिरफ़्तारी, खुदाई का जारी रहना, आए दिन मस्जिद अक़सा पर धावा बोलना, इस्लामी वक्फ़ बोर्ड को शीशे के कमरे के पास अपने दायित्वों के निर्वाह से रोकना, यह वह कार्यवाहियां हैं जो इस्राईल ने मस्जिद अक़सा के विभाजन के लिए आरंभ कर दी हैं।
संयुक्त धर्म, ईरान व आज़रबाइजान गणराज्य की जनता के मध्य निकट संबंध की वजह है, वरिष्ठ नेता
इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने कहा है कि संयुक्त धर्म, ईरान व आज़रबाइजान गणराज्य की जनता और अधिकारियों के मध्य निकट संबंध की वजह है।
वरिष्ठ नेता आतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनई ने रविवार को तेहरान में आज़रबाइजान के राष्ट्रपति इलहाम अलीयोफ से भेंट में ईरान विशेष कर ईरान के परमाणु मामले में आज़रबाइजान के रुख़ को अत्याधिक अच्छ बताया और कहा कि आज़रबाइजान गणराज्य की सरकार राजनीतिक गलियारों में हमेशा ईरान के साथ रही है और यह सकारात्मक रुख दोनों देशों के मध्य अधिक से अधिक निकटता का कारण बना है।
वरिष्ठ नेता ने ईरान और आज़रबाइजान गणराज्य के मध्य निकट संंबंध से दुश्मनों की अप्रसन्नता का उल्लेख करते हुए कहा कि दुष्ट ज़ायोनी शासन हर दुश्मन से अधिक ईरान और आज़रबाइजान गणराज्य के मध्य भाईचारे को कमज़ोर करने का प्रयास करता है इस लिए उसके मुक़ाबले में दोनों देशों के मध्य घनिष्टता की रक्षा की जानी चाहिए।
वरिष्ठ नेता ने कहा कि आज़रबाइजान गणराज्य की सरकार की भलाई, जनता की धार्मिक भावनाओं पर ध्यान देने में है।
इस भेंट में आज़रबाइजान गणराज्य के राष्ट्रपति इलहाम अलीयोफ ने भी कहा कि दोनों देशों के संबंध उच्च स्तर पर हैं और ईरान व आज़रबाइजान गणराज्य के मध्य दूरी पैदा करने की कोशिश कामयाब नहीं होगी।
उन्होंने कहा कि दोनों देशों के मध्य व्यापार तीन साल पहले की तुलना में 70 प्रतिशत बढ़ा है।