رضوی

رضوی

 

इस्लामी गणतंत्र ईरान के संस्थापक इमाम खुमैनी की 28वीं बरसी के कार्यक्रम स्थानीय समयानुसार शाम ६ बजे आरंभ हुई जिसमें भाषण देते हुए इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनई ने इमाम खुमैनी के व्यक्तित्व के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला और विश्व व ईरान के ज्वलंत मुद्दों पर अपने विचार रखे।

वरिष्ठ नेता ने कहा कि इमाम खुमैनी के बारे में जानकार लोगों ने अब तक बहुत कुछ कहा है किंतु यह बात याद रखनी चाहिए कि इमाम खुमैनी और क्रांति एक दूसरे से जुड़े हैं और इस संदर्भ में अब भी बहुत कुछ कहा जाना बाकी है।

वरिष्ठ नेता ने कहा कि इमाम खुमैनी और क्रांति एक दूसरे से अलग नहीं हो सकते और इस्लामी क्रांति, इमाम खुमैनी का सब से बड़ा कारनामा है। वरिष्ठ नेता ने कहा कि सच्चाई को बार बार दोहराना चाहिए वर्ना उसमें फेर-बदल की संभावना पैदा हो जाती है।

वरिष्ठ नेता ने कहा कि ईरान की इस्लामी क्रांति ईश्वर की कृपा से इमाम खुमैनी द्वारा सफल हुई किंतु वह वास्तव में एक राजनीतिक बदलाव नहीं था बल्कि पूरे समाज को उसकी पहचान के साथ बदलना था।

वरिष्ठ नेता ने कहा कि इमाम खुमैनी हमारे बीच से उठ गये हैं किंतु उसकी आत्मा हमारे बीच है और उनका संदेश हमारे समाज में जीवित है।

वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनई ने कहा कि बहरैन में सऊदी अरब की उपस्थिति आतार्किक है किसी दूसरे देश को बहरैन में सैनिक भेजने की क्या ज़रूरत है और वह क्यों किसी  राष्ट्र पर अपनी इच्छा थोपना चाहता है। 

वरिष्ठ नेता ने कहा कि सऊदी अरब अगर कई अरब डॅालर की रिश्वत से भी अमरीका को अपने साथ करना चाहेगा तब भी उसे सफलता नहीं मिलेगी और वह यमन की जनता के सामन जीत नहीं सकता। 

वरिष्ठ नेता ने क्षेत्रीय देशों में प्राॅक्सी वार की दुश्मनों की साज़िश का उल्लेख करते हुए कहा कि आज आतंकवादी गुट दाइश, अपनी जन्मस्थली अर्थात सीरिया और इराक़ से खदेड़ा जा चुका है और अब अफगानिस्तान, पाकिस्तान बल्कि फिलिपीन और युरोप जैसे क्षेत्रों में जा रहा है और यह वह आग है जिसे खुद उन लोगों ने भड़काया था और अब खुद उसका शिकार हो रहे हैं। 

वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनई  ने इसी प्रकार ईरान में हालिया दिनों में राष्ट्रपति चुनाव के भव्य आयोजन का उल्लेख करते हुए बल दिया कि ज़रा देखें दुश्मन किस सीमा तक दुष्ट है कि अमरीका के राष्ट्रपति एक क़बाइली व अत्याधिक गिरी हुई सरकार के साथ तलवार का नाच नाचते हैं और ईरानी जनता के चार करोड़ के वोटों पर टीका टिप्पणी करते हैं।  

 

 

अंतरराष्ट्रीय कुरान समाचार एजेंसी ख़बर «जकार्ता पोस्ट»के अनुसार, आचे में रमज़ान त्योहार अज़ान प्रतियोगिता आयोजन पर भी शामिल है।

इसी तरह कुरान पाठ और हिफ़्ज़े कुरान टूर्नामेंट भी इस क्षेत्र में आयोजित किया जाएगा।

आचे नदी के तट में रमजान के गांव की स्थापना की जा रही है और लोग इस जगह इफ्तार और सहार के लिए खाद्य पदार्थों की किस्मों को हासिल कर सकते हैं।

समारोह"ज़िक्रे अकबर", अन्य Ramazani प्रोग्राम्स से आचे में है कि भगवान की प्रशंसा में सामूहिक गीत पढ़ना है जो मस्जिदे जामे बैतुर-रहमान में आयोजित किया जाएगा।

रमजान के दौरान, आचे में शाम के समय संग्रहालयों और पर्यटन रिसॉर्ट्स पर लोग जा सकते हैं।

इफ्तार भोज, Taraweeh प्रार्थना (सुन्नियों के बीच प्रचलित प्रार्थना), कुरान पढ़ना,ज़िक्र पढ़ना,ख़त्मे क़ुरान और शबे क़द्र के समारोह अन्य कार्यक्रमों में हैं जो रमजान के दौरान आचे में आयोजित किऐ जाएंगे।

 

अंतरराष्ट्रीय कुरान समाचार एजेंसी «Rappler» समाचार साइट के अनुसार, 5 मिलियन से अधिक फिलिपिनी मुस्लिमों ने, रमज़ान के दौरान उपवास को कल 27 मई से शुरू कर दिया।

मनीला में हाल ही में बम विस्फोट और उग्रवादी ताकतों और सरकारी सैनिकों के बीच शहर Maravy में संघर्ष भी Myndanatv के मुसलमानों को रमजान के दौरान उपवास से नहीं रोक सका।

उपवास के बाद उत्सव, "Bakas 'या तंदूरी मछली रमजान में सबसे ज्यादा बिकने वाली है। फिलीपीन मुसलमान पवित्र महीने के दौरान हर सहर और इफ्तार में भोज की स्थापना ककरते हैं।

रमजान का आनंद: साधारण दिनों में फिलीपींस के लोग केवल अंडे या सार्डिन का उपयोग करते हैं, लेकिन रमज़ान के दौरान, मांस, मुर्ग़ और Bakas उनके टेबल पर पाया जाता है, यह उन लड़कियों का कहना है जो प्रार्थना के लिए इंतजार करती हैं।

इबादत: कुरान पढ़ना ऐसा काम है कि फिलीपींस में रमज़ान में मुसलमानों को उसके करने पर प्रोत्साहित किया जाता है क्या है।

इफ्तार, Taraweeh प्रार्थना मुसलमानों के बाद रमजान में अधिक प्रार्थना भी दैनिक प्रार्थना के अलावा फिलीपींस कहते हैं।

नमाज़ इज़ाफ़ी: रमजान महीने में इफ़्ततारर के बाद, फिलीपींनी मुसलमान दैनिक प्रार्थना के अलावा Taraweeh प्रार्थना भी करते हैं।

नियमित जीवन:यहां के मुसलमान दिन के दौरान खाते या पीते नहीं साल के अन्य दिनों की तरह काम करते हैं और अपने कार्य करने के लिए जाते हैं।

कम बिक्री के दिनः पिछले कुछ महीनों या रमजान से पहले दिनों की तरह कारोबार नहीं है दुकानदार अपनी बिक्री के 60 प्रतिशत कटौती की शिकायत करते हैं, उसकी दलील केवल बम विस्फोट नहीं है, बल्कि तस्करी से निपटने के लिए राष्ट्रपति की नीति ऐक बड़ा कारण है वह स्वीकार करते हैं कि बहुत से उनके धनी ग्राहक इस अवैध व्यापार में भागीदारी की ख़ातिर छिप गऐ हैं।

प्रक्रिया में: मनीला के निवासी मिंडानाओ की घटनाओं की समीक्षा में हैं और वहां की ख़बरों में लगे हैं और वे लोग अक्सर अपपने रिश्तेदारों के बारे में चिंतित हैं।

 

रविवार, 28 मई 2017 09:58

रमज़ान की पहली तारीख़

 

वर्ष 1438 हिजरी के रमज़ान मुबारक की पहली तारीख़ है, हम ईश्वर का बहुत बहुत शुक्र अदा करते हैं कि उसने हमें इस महत्वपूर्ण और मुबारक महीने में इबादतों का एक और अवसर प्रदान किया।

रमज़ान की अपनी विशेषताएं हैं, इसमें हमारी आत्मा, विवेक और चरित्र अध्यात्म का एक सुन्दर अनुभव करते हैं। रमज़ान का मुबारक महीना, ईश्वर की बंदगी के अभ्यास का बेहतरीन महीना है। रमज़ान के रूप में ईश्वर ने हमें अवसर प्रदान किया है कि हम उसके कार्यक्रम के मुताबिक़ कुछ प्राकृतिक एवं हलाल चीज़ों से भी एक निर्धारित समय के लिए परहेज़ करें और अपने ईश्वर के समक्ष नतमस्तक हो जायें।

हम आपको और विश्व के समस्त मुसलमानों को इस मुबारक महीने की बधाई प्रस्तुत करते हैं। इस महीने में हम ईश्वर के क्षमा करने की अनुकंपाओं का लाभ उठाते हैं और अपने वजूद को बुराईयों से पाक करते हैं, ताकि हमारी आत्मा ईश्वर के मार्गदर्शन के प्रकाश से प्रकाशमय हो जाए।

ईश्वर की कृपा से हम भी इन तीस दिनों में ईश्वर का महीना नाम से एक कार्यक्रम लेकर आपकी सेवा में उपस्थित रहेंगे। इस आशा के साथ कि आपके आध्यात्मिक अनुभव में हम भी कुछ भुमिका अदा कर सकें। हमने इस कार्यक्रम की पहली कड़ी को पैग़म्बरे इस्लाम (स) के रमज़ान के स्वागत से विशेष कथन से सजाया है। पैग़म्बरे इस्लाम (स) सिफ़ारिश करते हैं, हे लोगो, ईश्वरीय महीना, बरकत, रहमत और क्षमा के साथ आन पहुंचा है। ऐसा महीना जो ईश्वर के निकट सर्वश्रेष्ठ महीना है और उसके दिन, दिनों में सर्वश्रेष्ठ हैं, उसकी रातें, रातों में सर्वश्रेष्ठ हैं और घंटे, घंटों में सर्वश्रेष्ठ हैं।

यह ऐसा महीना है, जिसमें तुम्हें ईश्वर का अतिथि बनाने के लिए आमंत्रित किया गया है और तुम्हें ईश्वरीय बंदों में गिना गया है। इस महीने में तुम्हरी सांसें, ईश्वर का नाम जपती हैं, तुम्हारी नींद इबादत होती है, तुम्हारे ज्ञान और दुआओं को स्वीकार कर लिया गया है। इस महीने में अपनी भूख और प्यास से प्रलय के दिन की भूख और प्यास को याद करो। ग़रीबों और फ़क़ीरों को दान दो, अपने बड़ों का सम्मान करो और छोटों पर कृपा करो और अपने रिश्तेदारों के साथ भलाई करो। अपनी ज़बान पर निंयत्रण रखो, हराम चीज़ों से अपनी निगाहों को बचाओं, हराम बातें मत सुनों, अनाथों से प्यार करो, ताकि तुम्हारे अनाथों पर भी लोग मोहब्बत करें। ईश्वर से अपने  पापों के लिए क्षमा मांगो, नमाज़ के समय दुआ के लिए अपने हाथों को ऊपर उठाओ, इसलिए कि यह समय सर्वश्रेष्ठ समय होता है, जब ईश्वर अपने बंदों पर रहमत की नज़र डालता है। इसलिए सच्ची नियत से और पाक दिल से अपने पालनहार से चाहो कि वह तुम्हें रोज़ा रखने और क़ुरान की तिलावत का अवसर प्रदान करे। इसलिए कि वह व्यक्ति अभाग्य है जो इस महीने में ईश्वरीय अनुकंपाओं से वंचित रहे। हे लोगो, जो कोई भी इस महीने में अपने आचरण में सुधार करेगा, प्रलय के दिन उसे इसका लाभ मिलेगा, जिन दिन पुले सिरात पर क़दम लड़खड़ायेंगे। और जो कोई भी इस महीने में बुराईयों पर निंयत्रण करेगा, ईश्वर प्रलय के दिन उससे क्रोधित नहीं होगा।

इस महीने में अच्छे संस्कारों में से क़ुरान की तिलावत करना और उसकी आयतों में विचार करना है। हमारे इस कार्यक्रम का एक भाग क़ुरान की आयतों की संक्षेप में व्याख्या करना है। सूरए बक़रा की 183वीं आयत... हे ईमान लाने वालो, तुम पर रोज़ा रखना वाजिब है, जिस तरह से तुमसे पहले वाले लोगों पर वाजिब था, ताकि अच्छा इंसान बन सको।

रमज़ान का महीना, क़ुरान के नाज़िल होने का महीना है। यह ईश्वरीय किताब उन लोगों को आदेश देती है कि जो ईमान लाए हैं कि इस महीने में रोज़ा रखें। जो आयतें रमज़ान के महीने में रोज़ा रखने पर संकेत करती हैं, क़ुरान के सूरए बक़रा में मौजूद हैं, इनमें पहली यही आयत है, जिसकी ओर हमने अभी इशारा किया है।

रोज़ा मुसलमानों की वाजिब इबादतों में से एक महत्वपूर्ण इबादत है, जो आत्मा के शुद्धिकरण में काफ़ी प्रभावी है। लेकिन दिलचस्प बिंदु यह है कि इस ईश्वरीय आदेश के पालन के लिए भूमि प्रशस्त करने के लिए आयत की शुरूआत इस प्रकार से होती है कि हे ईमान लाने वालो, ताकि इस बिंदु की ओर ध्यान आकर्षित करे कि तुम लोग तो ईमान ला चुके हो, इसलिए ईश्वर जो भी आदेश देता है, उसका पालन करो, यद्यपि उसके पालन में कुछ कठिनाईयां हों और भौतिक स्वाद से वंचित रहो और भूख व प्यास सहन करनी पड़े।

इस संदर्भ में इमाम जाफ़र सादिक़ (अ) फ़रमाते हैं, हे ईमान लाने वालो के संबोधन में इतना अधिक स्वाद है कि इससे इबादत की कठिनाई और समस्या दूर हो गई है। वास्तव में पहली नज़र में रोज़े का आदेश कुछ कठिन लगता है, लेकिन इस संबोधन ने इस बेचैनी को समाप्त कर दिया है। इस वास्तविकता को बयान करने के बाद कि रोज़ा सिर्फ़ मुसलमानों से विशेष नहीं है, बल्कि इससे पहले दूसरे समुदायों में भी प्रचलित रहा है, इस बात का उल्लेख किया गया है कि यह समस्त धर्म के अनुयाईयों का कर्त्वय रहा है, इसलिए यह बात मुसलमानों को प्रेरणा देती है, इसीलिए क़ुरान कहता है कि यह इबादत केवल तुमसे ही विशेष नहीं है, बल्कि कोई भी समुदाय इससे अछूता नहीं रहा है। उसके तुरंत बाद रोज़े का कारण बयान किया गया है। वह यह है कि रोज़े से इंसान में तक़वा अर्थात सदाचार आता है। रोज़ेदार ईश्वर के लिए भौतिक स्वादों से बचता है और स्वयं पर निंयत्रण करने का अभ्यास करता है। वह एक महीने तक यह अभ्यास करता है, इसलिए उसमें पापों से बचने की ताक़त प्रबल होती है और धीरे धीरे उसका इरादा मज़बूत हो जाता है और फिर वह आसानी से पापों से बच सकता है, जैसे कि दूसरों का हराम माल हड़पना और दूसरों के अधिकारों का हनन करना। इसका अर्थ वही है, जो क़ुरान ने बयान किया है कि शायद तुम सदाचारी हो जाओ।

ख़्वाजा अब्दुल्लाह अंसारी इस आयत के संदर्भ में दिलचस्प बात कहते हैं कि अगर आपने शरीर से रोज़ा रखा है, तो वास्तविक सदाचारी दिल से रोज़ा रखते हैं, आप सुबह से शाम तक रोज़ा रखते हैं, लेकिन यह लोग उम्र की शुरूआत से अंत तक रोज़ा रखते हैं, आपका रोज़ा एक दिन का होता है, लेकिन उनका रोज़ा उम्र भर का होता है।

इस कार्यक्रम में हम रमज़ान में आपके लिए सही पोषण और आपके स्वास्थ्य की चर्चा भी करेंगे। महिलाएं पत्नी या मां होने की हैसियत से परिवार के पोषण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। आज हम रमज़ान के महीने में पोषण के बारे में एक ईरानी महिला के विचार सुनते हैं। रमज़ान के महीने का पहला दिन है और मैं इफ़तार के लिए दस्तरख़्वान लगा रही हूं। यह ऐसे क्षण होते हैं कि जो रमज़ान के अध्यात्म को दोगुना कर देते हैं और यह दुआ व इबादत के क़बूल होने का समय है। आज मैंने इस दस्तरख़्वान को काफ़ी मोहब्बत से लगाया है। मेरे पति ने भी ठीक समय पर घर पहुंचने का काफ़ी प्रयास किया है, इसलिए मुझे इसकी ख़ुशी है। हमारी दादी दस्तरख़्वान के निकट बैठी हुई इबादत में व्यस्त हैं और कमज़ोरी के कारण रोज़ा न रखने की वजह से काफ़ी चिंतित हैं।

मेरी बेटी ज़हरा ने पहला रोज़ा रखा है। वह अपनी दादी के पास बैठकर दस्तरख़्वान की ओर देख रही है और अज़ान की आवाज़ का इंतेज़ार कर रही है। दुआ की आवाज़ ने हमारे घर के आध्यात्मिक माहौल में अधिक वृद्धि कर दी है। आज मैंने चाय, रोटी, पनीर और सब्ज़ी के अलावा सूप बनाया है। रमज़ान में हमारे भोजन का कार्यक्रम कुछ बदल जाता है। डाक्टरों की सिफ़ारिश के मुताबिक़, रोज़ेदारों को इफ़्तार में गर्म पेयजलों का अधिक इस्तेमाल करना चाहिए, जैसे कि दूध और थोड़ी सी रोटी, अनाज, पनीर, अख़रोट और सूप। अधिकांश लोग इस महीने में कुछ बुरी आदतों से दूर हो जाते हैं जैसे कि धूम्रपान।

आज डाक्टर मजीद हाजी फ़र्जी ने रमज़ान में सब्ज़ी और फलों के इस्तेमाल पर काफ़ी बल दिया है और कहा है कि गर्मी के मौसम में रमज़ान आने के कारण, रोज़दारों को अधिक धैर्य से काम लेना होता है, उन्हें चाहिए कि इफ़्तार और सहरी में उचित भोजन करें, ताकि बिना किसी समस्या के इस मुबारक महीने से लाभ उठा सकें और कमज़ोरी, लो ब्लड प्रेशर, प्यास और भूख जैसी समस्याओं से ग्रस्त न हों। रमज़ान के महीने में अगर हम इन नियमों का पालन नहीं करेंगे और अधिक कैलोरी, शुगर और फ़ैट प्राप्त करेंगे तो मोटापे में वृद्धि हो सकती है। अब जबकि रमज़ान में अधिक भूख और प्यास से हमारा सामना है, सब्ज़ी के इस्तेमाल से हमारे शरीर में सही परिवर्तन उत्पन्न होता है। रमज़ान में फल और पकी हुई सब्ज़ियों के इस्तेमाल से हमारे शरीर में काफ़ी मात्रा में पानी स्टोर हो जाता है, सब्ज़ियों और फलों के इस्तेमाल से गैस भी कम बनती है।

मैं परिजनों के स्वास्थ्य को देखते हुए इफ़्तार और रात के खाने में फ़ासला रखती हूं, लेकिन गर्मियों में रातों के छोटा होने के कारण इफ़्तार और खाने के बीच फ़ासला कम होता है, इसीलिए मेरा प्रयास होता है कि खाना बहुत सादा हो और उसमें सब्ज़ियां, प्रोटीन और अनाज शामिल हो।                   

 

 

रविवार, 28 मई 2017 09:56

फ़ारसी सीखें, 19वां पाठ

 

दो मित्र मुहम्मद और रामीन बाज़ार की मस्जिद में पवित्र क़ुरआन को सजाने, उद्घोधन और उसको प्रदीप्त करने के बारे में बात कर रहे हैं। मुहम्मद मस्जिद में रखे सुन्दर मिंबर की ओर जाता है। लकड़ी की बनी सीढ़ीदार व ऊंची कुर्सी को मिंबर कहते हैं। मिंबर में लगभग चार से पांच सीढ़ीयां होती है। मिंबर पर बैठकर धर्म गुरू लोगों को धार्मिक और शिक्षा संबंधी विषयों के बारे में बताते हैं। सामान्यतः मस्जिद में रखा हुआ मिंबर जड़ाव और प्रस्वेदक जैसी विभिन्न कलाओं से सुसज्जित रहता है। आरंभ में इस वार्ता में प्रयोग होने वाले शब्दों पर ध्यान दीजिए!

मिंबर      منبر

मस्जिद        مسجد

अनेक मस्जिद (बहु वचन)       مساجد

मनोहर या सूक्ष्म          ظريف

अति मनोहर         ظريف تر

सुंदर        زيبا

अति सुंदर       زيبا تر   

देश      كشور   

देशों       كشورها

दूसरे या अन्य     ديگر

सुन्दर       تزيين

रोचक        جالب

कला        هنر

वे कहते हैं         آنها می گويند

जड़ाव या जड़ना       منبت   

जड़ाव या जड़ने का कार्य         منبت كاری

लकड़ी           چوب   

तक्षकला या नक़्क़ाशी      كنده كاری

नक़्क़ाशी या तक्षकला करते हैं       كنده كاری مي كنيم

प्राचीन      قدیمی

फ़सा एक नगर का नाम      فسا

फ़ार्स    فارس

पांच हज़ार      پنج هزار

पांच हज़ार वर्षीय      پنج هزار ساله

मौजूद है        جود دارد

द्वार       درب

प्रस्वेदक कहते हैं     معرق ما مي گوئيم

उपकरण या माध्यम          وسيله

उपकरण या माध्यम (बहुवचन)   - تجهیزات وسایل

लकड़ी का     چوبی   

संबंधित      مربوط به   

अंतर या भिन्नता       تفاوت

अंतर या भिन्नताएं           تفاوتها   

टुकड़ा       قطعه   

तक्षकला या नक़्क़ाशी        کنده کاری

चिपकाना या जोड़ना       آنها چسبیده اند

ऐसा प्रतीत होता है        انگار

बड़ा        بزرگ   

छोटा        كوچك   

चिपकाना         چسبانده اند  

वे चिपकाते हैं या जोड़ते हैं          آنها مي چسبانند   

वे काटते हैं          آنها مي برند

टुकड़ा         تکه

रंगीन           رنگی

मुख्य            اصلی

विदित             متنوع   

रंग           رنگ   

सुन्दर         زيبا

अब हम मुहम्मद और रामीन की बातों पर एक नज़र डालते हैं। वह मिंबर और जड़ाव व प्रस्वेदक कलाओं के बारे में बातें कर रहे हैं।

मुहम्मदः रामीन, ईरान की मस्जिदों के मिंबर अन्य देशों के मिंबरों से अतिसुंदर और मनोहर होते हैं, इस मिंबर पर बहुत ही आकर्षक सजावट है, इस  कला को क्या कहते हैं।

محمد - رامین ! منبر مساجد ایران ظریف تر و زیباتر از منبر در کشورهای دیگر است . این منبر تزیین جالبی دارد ! به این هنر چه مي گويند ؟

रामीनः इस कला को जड़ाव की कला कहते हैं, अर्थात लकड़ी के ऊपर नक़्क़ाशी या तक्षकला की जाती है।

رامین - به اين هنر منبت کاری مي گوييم . یعنی روی چوب کنده کاری می کنیم .

मुहम्मदः क्या ईरान की प्राचीन कलाओं में से एक प्रस्वेदक भी है ?

محمد - منبت هم یک هنر قدیمی ایران است ؟

रामीनः हां, फ़ार्स प्रांत के फ़सा नगर में पांच हज़ार वर्षों से जड़ाव का कार्य हो रहा है।

رامین - بله . در شهر فسا در فارس ، منبت كاري پنج هزار ساله وجود دارد .

मुहम्मदः इस मस्जिद के द्वार पर भी जड़ाव का काम किया गया है ?

محمد - درب این مسجد هم منبت كاري شده است ؟

रामीनः नहीं, इस कला को प्रस्वेदक कहते हैं, प्रस्वेदक कला भी लकड़ी के उपकरणों से संबंधित कला है।

رامین - نه . به این هنر معرق می گوییم . معرق هم هنري مربوط به وسایل چوبی است .

मुहम्मदः प्रस्वेदक और जड़ाव की कलाओं में क्या अंतर है

محمد - منبت و معرق چه تفاوتی دارند ؟

रामीनः जड़ाव, एक बड़ी सी लकड़ी के टुकड़े पर नक़्क़ाशी है।

رامین - منبت ، کنده کاری روی یک قطعه چوب بزرگ است .

मुहम्मदः ऐसा लगता है कि प्रस्वेदक में इन छोटी लकड़ियों को एक दूसरे से जोड़ा गया है।

محمد - ولی انگار در معرق این چوبهای کوچک را به هم چسبانده اند .

रामीनः हां, लकड़ी के एक छोटे से रंगीन टुकड़े को काटते हैं और मुख्य लकड़ी पर चिपकाते हैं।

رامین - بله . تکه چوبهای رنگی کوچک را می برند و روی چوب اصلی می چسبانند .

मुहम्मदः इन लकड़ियों के रंग विदित और सुंदर हैं।

محمد - رنگ این چوبها هم متنوع و زيبا است .

मुजरीः एक बार फिर बिना अनुवाद के मुहम्मद और रामीन की वार्ता सुनते हैं।

محمد - رامین ! منبر مساجد ایران ظریف تر و زیباتر از منبر در کشورهای دیگر است . این منبر تزیین جالبی دارد ! به این هنر چه مي گويند ؟ رامین - به اين هنر منبت کاری مي گوييم . یعنی روی چوب کنده کاری می کنیم . محمد - منبت هم یک هنر قدیمی ایران است ؟ رامین - بله . در شهر فسا در فارس ، منبت كاري پنج هزار ساله وجود دارد . محمد - درب این مسجد هم منبت كاري شده است ؟ رامین - نه . به این هنر معرق می گوییم . معرق هم هنري مربوط به وسایل چوبی است . محمد - منبت و معرق چه تفاوتی دارند ؟ رامین - منبت ، کنده کاری روی یک قطعه چوب بزرگ است . محمد - ولی انگار در معرق این چوبهای کوچک را به هم چسبانده اند . رامین - بله . تکه چوبهای رنگی کوچک را می برند و روی چوب اصلی می چسبانند . محمد - رنگ این چوبها هم متنوع و زيبا است .

जड़ाव का काम, लकड़ी के बड़े से टुकड़े पर नक़्क़ाशी है। लकड़ी को छीलना और लकड़ी पर विभिन्न प्रकार की शक्लें बनाना और उभरे व नीचे की ओर गये सुन्दर बेल और बूटों से उसका श्रंगार करना है। जड़ाव के कार्य में एक लकड़ी का चयन करते हैं और उसके ऊपर नक़्क़ाशी की जाती है। यह नक़्क़ाशी विभिन्न प्रकार की शक्लों में हो सकती है किन्तु प्रस्वेदक इससे भिन्न है। प्रस्वेदक में एक आरंभिक डिज़ाइन या नक़्क़ाशी होती है और इस डिज़ाइन को बहुत छोटे-2 भागों में विभाजित किया जाता है और प्रत्येक भाग को पतली व नाज़ुक लकड़ी से छीला जाता है। छीले गये टुकड़े को मुख्य लकड़ी पर चिपकाते हैं ताकि डिज़ाइन और नक़्क़ाशी उभरी हुई दिखने लगे। प्रस्वेदक कला ईरान की एक सूक्ष्म कला है जो मिंबरों, मस्जिद व हवेलियों के दरवाज़ों, लकड़ी के बक्सों व बैनरों जैसे महत्त्वपूर्ण स्थानों पर की जाती है।

प्रत्येक दशा में ईरानी कलाओं में प्रत्येक चीज़ों व स्थलों को सुसज्जित किया जाता है। विशेषकर मस्जिदें और तीर्थस्थल जैसे आध्यात्मिक स्थलों पर ईरानी कलाएं चरम सीमा पर होती हैं। मित्रो आप ईरान की यात्रा करें और ईरानी कला के प्रदर्शन को निकट से देखें और प्रस्वेदक कला से बने सुदरतम और मूल्यवान बैनरों को अपने प्रिय जनों को उपहार दें।

 

ईरान की शिपिंग कंपनी ने चाबहार बंदरगाह और भारत की कांडला बंदरगाह के बीच त्वरित और सीधे परिवहन का सिलसिला आरंभ करने के लिए एक सीधा संपर्क स्थापित किया है।

ईरान की नौवहन कंपनी के दो जहाज़ों के माध्यम से भारत की कांडला और मुंद्रा बंदरगाहों से माल लोड करके उसे ईरान की चाबहार बंदरगाह लाया जा रहा है। प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार ईरान के आरज़ू नामक समुद्री मालवाहक जहाज़ ने पहले चरण में भारत की कांडला बंदरगाह से 300 कंटेनर और ईरान के ही यारारेन जहाज़ ने पहले चरण में भारत की मुंद्रा बंदरगाह से 141 कंटेनर चाबहार बंदरगाह स्थानांतरित किया है।

दक्षिण पूर्वी ईरान की चाबहार बंदरगाह और भारत की कांडला बंदरगाह के बीच यतायात का सीधा सिलसिला शुरू होने से दोनों देशों के बीच यतायात के लिए आवश्यक समय का दूरी अब दो दिन से भी कम हो गई है।

उल्लेखनीय है कि भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कुछ दिन पहले ही कहा था कि गुजरात की कांडला बंदरगाह जल्द ही ईरान के चाबहार बंदरगाह से जुड़ जाएगी और यह क़दम न केवल भारत के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को बढ़ावा देने का कारण बनेगा बल्कि दुनिया में भारत की इस बंदरगाह की स्थिति भी बेहतर होगी।  

 

 

27 मई 2017 को तेहरान में पवित्र क़ुरआन की सभा में वरिष्ठ नेता बोलते हुए

इस्लामी क्रान्ति के वरिष्ठ नेता ने सऊदी शासन को अयोग्य क़रार देते हुए कहा है कि ये शासन न सिर्फ़ यह कि क़ुरआन पर आस्था का ढोंग करता है बल्कि व्यवहारिक रूप से पवित्र क़ुरआन की शिक्षाओं के ख़िलाफ़ क़दम उठाता है।

आयतुल्लाहिल उज़्मा सय्यद अली ख़ामेनई ने शनिवार को तेहरान में पवित्र क़ुरआन की तिलावत की विशेष सभा में यह बात कही। उन्होंने कहा कि खेद की बात है कि इस्लामी समाज दूसरे समाजों की तरह समस्याओं में घिरा हुआ है और इस्लामी समाजों का भविष्य सऊदी सरकार की तरह अयोग्य व्यक्तियों के हाथ में है।

उन्होंने कहा कि ये लोग पवित्र क़ुरआन पर आस्था का ढोंग करते हैं, यहां तक कि क़ुरआन की लाखों प्रतिंया छपवाते हैं लेकिन अमल में नास्तिकों से दोस्ती बढ़ाते हैं जो पवित्र क़ुरआन के आदेश के ख़िलाफ़ है।

वरिष्ठ नेता ने यमन और बहरैन में जारी धर्म विरोधी कृत्यों की भर्त्सना करते हुए कहा कि मुसलमानों के ख़िलाफ़ जो लोग ऐसा कर रहे हैं वे असत्य पर हैं और उनका पतन होकर रहेगा क्योंकि यह क़ुरआन का वादा है। उनके पतन का समय मुसलमानों की कोशिशों पर निर्भर है। अगर मुस्लिम जगत सही तरह क़दम उठाए तो उनके पतन की प्रक्रिया तेज़ हो जाएगी।

आयतुल्लाहिल उज़्मा ख़ामेनई ने कहा कि कुछ रूढ़ीवादी देश इस भ्रम में पड़े हुए हैं कि वे पैसों से इस्लाम दुश्मनों को दोस्त बना सकते हैं लेकिन सच्चाई यह है कि इस तरह की निकटता नहीं हो सकती जैसा कि ख़ुद अमरीकियों ने कहा है कि वे उनका दोहन करेंगे और फिर अंत में उन्हें अपने पास से भगा देंगे। 

 

 

अंतरराष्ट्रीय कुरान समाचार एजेंसी समाचार साईट «आज ऑनलाइन», इस सॉफ्टवेयर कार का नाम«Traore" है जो उत्पादन के अंतिम चरण में है और रमजान की पूर्व संध्या पर इस सप्ताह के शुक्रवार को अनावरण किया जाऐगा।

इस सॉफ्टवेयर का उपयोग करके जो लोग मस्जिद जाने का इरादा रखते हैं, कार नंबर, मॉडल और कार के रंग और समय और जगह के लिए अपने इस कदम की घोषणा कर सकते हैं।

जो लोग मस्जिद जाने के लिए कार चाहते हैं, उन कारों के साथ जिन्हों ने अपनी आमादगी की घोषणा की और उनके पास हैं, पहचान कीकरें और उनके साथ जा सकते हैं।

400 यात्रियों और चालकों ने रमजान के दौरान मस्जिदों में जाने के लिए पंजीकृत किया है।

यह सॉफ्टवेयर Android फोन पर स्थापित और इस्तेमाल किया जा सकता है कल "लम्स रमज़ान" जश्नों के अवसरर पर मलेशिया में अनावरण किया गया।

कार (carpooling) एक निजी यात्री कार साझा करने के लिए कहा जाता है,इस तरह कि एक समय में एक से अधिक व्यक्ति उस कार का इस्तेमाल कर सकते हैं, और शहर में ऐक सवार वाहनों की संख्या को कम करने के लिए सबसे अच्छा तरीकों में से एक यह है।

 

इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने बल दिया है कि रक्षा काल का एक स्थायी पाठ यह रहा है कि अगर ईश्वर पर भरोसा व्यवहारिक रूप से और दिलो व जान से हो तो निश्चित रूप से सभी बाधाओं और चुनौतियों का सामना आस्था के साथ किया जा सकता है।

वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनई ने बुधवार की शाम सेना के कुछ कमांडरों, सैनिकों और कलाकारों से भेंट में अपने भाषण के दौरान, आठ वर्षीय रक्षा काल की घटनाओं के वर्णन और इन घटनाओं को कलात्मक और नये तरीक़ों से नयी पीढ़ी तक पहुंचाने को महत्वपू्र्ण काम बताया। 

वरिष्ठ नेता ने बल दिया कि रक्षा काल, मानवीय व भौतिक नुकसान का कारण रहा है किंतु उसके साथ ही वर्तमान और भविष्य के लिए बहुत अच्छे परिणाम भी सामने आए हैं और इससे समाज में क्रांतकारी विचारों की रक्षा हुई। 

वरिष्ठ नेता ने कहा कि अगर समाज में सत्ता व संसार लोभ से दूरी  और आध्यात्मिक लक्ष्य  की भावना न हो तो तो निश्चित रूप से बाधाएं अधिक होंगी और एेसे समाज में व्यवहारिक रूप से ईश्वर पर भरोसा और बाधाओं को पार करने की शक्ति बहुत महत्वपूर्ण है। 

वरिष्ठ नेता ने कहा कि आज ईरान सभी चुनौतियों के सामने विजय का दावा कर सकता है क्योंकि उसके पास रक्षा काल के दौरान अत्याधिक बाधाओं को पार करने का अनुभव है। 

वरिष्ठ नेता ने कहा कि  रक्षा काल के दौरान अमरीका, नेटो, सोवियत संघ और क्षेत्र के रूढ़िवादियों सहत सभी शक्तियां इस्लामी गणतंत्र ईरान के सामने खड़ी थीं, लेकिन इन हालात में भी ईरान इन सभी शक्तियों के सामने विजयी रहा।  

 

अंतरराष्ट्रीय कुरान समाचार एजेंसी ने खबर "अल-वतन समाचार"द्वारा उद्धृत किया कि यह कुरान "अबु वारदा" के नाम से रंग़ीन और कवर पर फूलों के साथ छपा है।

यह कुरान इस समय मिस्र के बाजार में आए हैं जिन की अल अजहर ने देश के बाजारों में विरोध किया है

और इस पर अल अजहर के इस्लामी अनुसंधान परिषद ने 2015 में बिक्री पर प्रतिबंध लगाया था

यह "अबु वारदा" कुरान काहिरा की मस्जिद "अल-हुसैन" के पीछे अलमारियों में स्थित है और छोटे संस्करण की कीमत(मिस्री मुद्रा)40 पाउंड है और बड़े संस्करण की 70 पाउंड है।

इस जग़ह बेचने वाले अब्दुल वहाब बताते हैं कि लोग इस आकर्षक रूप वाले कुरआन को दोस्त रख़ते हैं और रमजान की पूर्व संध्या पर खरीद कर उपहार देते है।

उन्होंने अल-वतन के साथ एक साक्षात्कार में कहा कुरान अबु वारदा के कुरआन के पास अल अजहर का लाइसेंस है इस बयान की तस्दीक़ के लिए पृष्ठ के अंत में अल अजहर के लाइसेंस है जो साबित करता है

यह इस हाल में है कि अल अजहर के इस्लामी अनुसंधान परिषद के एक सदस्य मोहम्मद अल शोहात अल-जुन्दी ने कहा कि यह लाइसेंस नकली है और हमने कुरान की नई व्यवस्था के लिए मिस्र के आंतरिक मंत्रालय को सुचना दिया है