رضوی

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इमाम रज़ा अलैहिस्सलाम का पवित्र रौज़ा ईरान के पवित्र नगर मशहद में श्रद्धालुओं से भरा पड़ा है।

इमाम रज़ा अलैहिस्सलाम की शहादत के दुःखद अवसर पर लोग श्रद्धा सुमन अर्पित करने के लिए उनके पवित्र रौज़े पर जा रहे हैं। रौज़े पर जाने वालों में बूढ़े, बच्चे, जवान और महिलाएं सब शामिल हैं। इस दुःखद अवसर पर हम एक बार फिर आप सबकी सेवा में हार्दिक संवेदना प्रस्तुत करते हैं।

 

183 हिजरी क़मरी में इमाम मूसा काज़िम अलैहिस्सलाम शहीद हो गये। उस समय इमाम रज़ा अलैहिस्सलाम की उम्र 35 साल थी। अपने पिता की शहादत के बाद इमाम रज़ा अलैहिस्सलाम ने लोगों के मार्गदर्शन का ईश्वरीय दायित्व संभाला। 201 हिजरी कमरी तक वे पवित्र नगर मदीना में रहे। उसी साल एक राजनीतिक चाल के तहत अब्बासी ख़लीफा मामून ने इमाम रज़ा अलैहिस्सलाम का आह्वान किया कि वह मदीना से मर्व आ जायें। मर्व ईरान के खुरासान प्रांत का एक नगर है। उस समय वह अब्बासी शासकों की राजधानी था। इमाम रज़ा अलैहिस्सलाम की मर्व की यात्रा उनके पावन जीवन का एक महत्वपूर्ण मोड़ था। क्योंकि इस यात्रा से इमाम रज़ा अलैहिस्सलाम की आध्यात्मिक महानता और शैक्षिक स्थान अधिक स्पष्ट हो गया। इस प्रकार से कि जब मर्व और खुरासान के लोग इमाम रज़ा अलैहिस्सलाम की महानता और उनके महत्व से अगवत हो गये तो वे निकट से इमाम से मिलने और उनके ज्ञान के अथाह सागर से लाभ उठाने की अभिलाषा करने लगे। इमाम रज़ा अलैहिस्सलाम लगभग दो साल तक मर्व अर्थात प्राचीन खुरासान में रहे। उसके दो साल बाद 203 हिजरी कमरी में मामून अब्बासी ने उन्हें ज़हर दिलवा दिया जिसके कारण इमाम रज़ा अलैहिस्सलाम सफर महीने के अंतिम दिन शहीद हो गये।

                      

इमाम रज़ा अलैहिस्सलाम पैग़म्बरे इस्लाम सल्लल्लाहो अलैहि व आलिही व सल्लम और दूसरे इमामों की भांति नैतिकता और बंदगी की सही जीवन शैली के मापदंड थे। इमाम रज़ा अलैहिस्सलाम और दूसरे इमामों ने जिन कार्यों से मना किया है वह उन कार्यों की गूढ़ पहचान का नतीजा है। इमाम रज़ा अलैहिस्सलाम पवित्र कुरआन की आयतों से लाभ उठाकर और पवित्र कुरआन को अपने जीवन में उतार कर एकेश्वरवाद का बीज बोते थे। इसी प्रकार इमाम पवित्र कुरआन से लाभ उठाकर अपना और दूसरों का ध्यान महान व सर्वसमर्थ ईश्वर की ओर दिलाते थे। लोगों को मुक्ति व कल्याण का मार्ग दिखाते थे। इमाम अलैहिस्सलाम एक सुन्दर बयान में फरमाते हैं” हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम की अंगूठी पर यह दो वाक्य लिखे हुए थे जिन्हें इंजिल से लिया गया था “धन्य है वह बंदा जिसका देखना ईश्वर की याद का कारण बनता है और खेद है उस बंदे पर जिसका देखना ईश्वर के भूलने का कारण बने।“

इमाम रज़ा अलैहिस्सलाम की उम्र 55 साल थी जिसमें से 20 साल तक उन्होंने इमामत की अर्थात लोगों के मार्गदर्शन का ईश्वरीय दायित्व संभाला। यह वह समय था जब ज्ञान परवान चढ़ रहा था। उस समय इमाम रज़ा अलैहिस्सलाम विभिन्न धर्मों के विद्वानों से शास्त्रार्थ करके सबको हतप्रभ कर रहे थे। आसमानी किताबों के प्रति इमाम रज़ा अलैहिस्सलाम के ज्ञान को देखकर सब चकित हो जाते थे। इस्लामी विद्वानों का मानना है कि इमाम रज़ा अलैहिस्सलाम की जो बातें हैं वे एक प्रकार से एकेश्वरवाद, नबुव्वत, इमामत, प्रलय, ईमान और कुफ्र आदि के बारे में कुरआन की आयतों की व्याख्या हैं। वास्तव में उनकी जो नसीहतें हैं वे रज़ा अलैहिस्सलाम की जीवन शैली है। आपके कथन नैतिकता के बारे में पवित्र कुरआन की आयतों के परिचायक है और पवित्र कुरआन इमाम रज़ा अलैहिस्सलाम की कथनी, करनी और विचारों में साक्षात हुआ है।

इब्राहीम बिन अब्बास इस बारे में कहता है” इमाम रज़ा अलैहिस्सलाम की बात, जवाब और बयान सबका स्रोत कुरआन होता था। वे हर तीन दिन में एक पूरा कुरआन ख़त्म कर देते और फरमाते थे” अगर मैं चाहता तो तीन दिन से पहले पूरा कुरआन खत्म कर लेता लेकिन मैं किसी आयत को पढ़कर नहीं गुज़रता किन्तु यह कि मैं उसके बारे में सोचता हैं कि वह कहां नाज़िल हुई?

इमाम रज़ा अलैहिस्सलाम के एक अनुयाई ने आप से पूछा कि क़ुरआन के बारे में आपका क्या ख़याल है? इमाम ने जवाब में फरमाया कुरआन ईश्वरीय वाणी है उसकी सीमा को पार न करो और कुरआन के प्रकाश के अलावा कहीं और पथप्रदर्शन न ढूंढ़ो। अगर कहीं और से मार्गदर्शन चाहोगे तो गुमराह हो जाओगे।“

इमाम रज़ा अलैहिस्सलाम ने अपनी इस बात से स्पष्ट कर दिया कि मार्ग दर्शन पवित्र कुरआन की शिक्षाओं में है और उससे आगे बढ़ जाना या पीछे रह जाना पथभ्रष्टता है। इमाम पवित्र कुरआन को मजबूत रस्सी और बंदों के मध्य सर्वोत्तम कानून बताते थे। क़ुरआन इंसान का मार्ग दर्शन स्वर्ग की ओर करता है और नरक से मुक्ति दिलाता है। समय बीतने से वह पुराना नहीं होगा और लोगों की जबानों पर उसके दोहराने से उसका मूल्य व प्रभाव कम नहीं होगा क्योंकि ईश्वर ने उसे किसी विशेष समय के लिए नाज़िल नहीं किया है बल्कि वह समस्त इंसानों के लिए सर्वकालिक है और उसमें किसी प्रकार असत्य प्रवेश नहीं कर सकता। वह तत्वदर्शी और प्रशसनीय ईश्वरीय की ओर से नाज़िल किया गया है।

इमाम रज़ा अलैहिस्सलाम को आले मोहम्मद के ज्ञानी की उपाधि दी गयी है। अबासल्त ने लिखा है कि इमाम मूसा काज़िम अलैहिस्सलाम अपने बेटों से कहते थे कि तुम्हारे भाई अली बिन मूसा पैग़म्बर के परिवार के ज्ञानी हैं। अपनी धार्मिक ज़रूरतों और शिक्षाओं को उनसे सीखो और उन्होंने जो कुछ तुम्हें सिखाया है उसे याद रखो।

अब्बासी खलीफा मामून इमाम रज़ा अलैहिस्सलाम की उपस्थिति में शास्त्रार्थ करवाता था। इस कार्य से वह यह नहीं चाहता था कि इमाम के ज्ञान की जो महानता है और पैगम्बरे इस्लाम के परिवार की जो सच्चाई है वह स्पष्ट हो बल्कि वह विभिन्न धर्मों व सम्प्रदायों के विद्वानों को बुलाता था और इमाम से उनका शास्त्रार्थ करवाता था ताकि उसके विचार में इस मार्ग से वह इमाम पर दबाव डाल सके। मामून जो सोचता था उसके विपरीत इस प्रकार के शास्त्रार्थों से उसे कोई लाभ नहीं पहुंचा बल्कि ज्ञान की सभाओं और शास्त्रार्थों से मामून की सरकार और उसकी खिलाफत के लिए समस्याएं उत्पन्न हो गयीं। इसी वजह से जब मामून यह समझ गया कि शास्त्रार्थों में इमाम की होशियारी भरी उपस्थिति से वह विद्वानों और लोगों के ध्यान का केन्द्र बन गये हैं और इमाम की इमामत के लिए भूमि प्रशस्त हो गयी है तो उसने इमाम को नियंत्रित करने का प्रयास किया। विद्वानों और लोगों के साथ इमाम के जो संबंध थे उसे मामून ने सीमित करने की चेष्टा की। इसी तरह उसने इमाम के साथ होने वाली बहसों और शास्त्रार्थों को प्रकाशित होने से रोकने का प्रयास किया। इसीलिए उसने मोहम्मद बिन अम्र को तूस भेजा ताकि वह लोगों को इमाम रज़ा अलैहिस्सलाम की ज्ञान की सभाओं से दूर करे।

इमाम रज़ा अलैहिस्सलाम आध्यात्मिक और उपासना के मामलों पर विशेष ध्यान देते थे। इमाम रज़ा अलैहस्सलाम अपने काल के सबसे सदाचारी उपासक थे और समस्त सदगुणों से सुसज्जित होने के कारण उन्होंने मानवता को वास्तविक अर्थ प्रदान कर दिया था।

रज़ा बिन अबी ज़ह्हाक कहता है ईश्वर की सौगन्ध किसी को भी मैंने इमाम रज़ा से बड़ा सदाचारी, ईश्वर को याद करने वाला और उससे डरने वाला नहीं पाया। इमाम हमेशा मुसलमानों की समस्याओं पर ध्यान देते थे और उनके निदान के लिए बहुत प्रयास करते थे। बीमारों को देखने के लिए जाते और बहुत ही नम्र भाव से अतिथि सत्कार करते थे। इमाम रज़ा अलैहिस्लाम के ज्ञान के कारण इस्लामी जगत के विद्वान और महान हस्तियां उनकी सेवा में हाज़िर होती थीं। इमाम अलैहिस्सलाम ने अपनी इमामत के काल में बहुत से विद्वानों का शिक्षण -प्रशिक्षण किया। आपने पवित्र कुरआन की व्याख्या, हदीस, नैतिकता, धार्मिक आदेश और इस्लामी चिकित्सा आदि के बारे में मूल्यान रचनाएं छोड़ी हैं।

इमाम रज़ा अलैहिस्सलाम समस्याओं का समाधान करने वाली इस्लाम की शिक्षाओं को लोगों के लिए बयान करते थे। इमाम रज़ा अलैहिस्सलाम जब मदीना में थे तो उन्होंने बहुत से शिष्यों को एकत्रित कर लिया था और उनका प्रशिक्षण करते थे। जो लोग इमाम रज़ा के पास एकत्रित थे और वे इमाम के शिष्य बन गये थे वे इमाम के अथाह ज्ञान के सागर से स्वयं को तृप्त करते थे। इमाम रज़ा अलैहिस्सलाम के एक शिष्य ज़करिया बिन आदम थे जिन्हें इमाम ने ईरान के कुम नगर में अपना प्रतिनिधि बनाकर भेजा था। इमाम रज़ा अलैहिस्सलाम उनके नाम एक पत्र में लिखते हैं” ईश्वर तुम्हारी वजह से क़ुम नगर से विपत्तियों को दूर करता है जिस तरह से आपदा को इमाम मूसा काज़िम अलैहिस्सलाम के अस्तित्व के कारण बग़दाद के लोगों से दूर करता है।“

इमाम रज़ा अलैहिस्सलाम के शिष्यों की संख्या काफी अधिक है। यूनुस बिन अब्दुर्रहमान, सफवान बिन यहिया, हसन बिन महबूब और अली बिन मीसम का नाम इमाम के शिष्यों में लिया जा सकता है।

 

अहलेबैत न्यूज़ एजेंसी अबना: सुप्रीम लीडर आयतुल्लाह ख़ामेनई ने इमाम हुसैन अलै. के चेहलुम के अवसर पर भव्य और आश्चर्यजनक मार्च की सराहना, ज़ियारत के कुबूल होने की दुआ और चेहलुम मार्च के आयोजकों का आभार व्यक्त किया है।
क़ुम और पूरबी आज़रबाइजान के वरिष्ठ अधिकारियों और सांस्कृतिक क्षेत्रों में काम करने वाले लोगों के एक समुदाय को संबोधित करते हुए सुप्रीम लीडर ने इमाम हुसैन अ. के चेहलुम के विशाल पैदल मार्च को पूरे इस्लामी वर्ल्ड में, अल्लाह की राह में जेहाद की भावना को मज़बूत करने और शहादत के लिए तैय्यारी की एक निशानी बताया।
सुप्रीम लीडर ने आतंकवाद के खतरे के बाद भी पूरी दुनिया के विभिन्न देशों से लोगों की बड़े पैमाने पर शिरकत को ऐसी महान घटना बताया कि जिससे ख़ुदा के लिए जेहाद की भावना बढ़ती है और इसके लिए तैय्यार होने की सूचक है।
सुप्रीम लीडर आयतुल्लाह ख़ामेनई ने चेहलुम मार्च की इलाही और रूहानी (आध्यात्मिक) घटना को बेमिसाल बताते हुए कहा कि इराक़ी सरकार और इराक़ी जनता का आभार व्यक्त करना चाहिए जिन्होंने अत्यंत ख़ुलूस और बढ़ चढ़ कर इमाम हुसैन अ. के ज़ाएरीन की मेहमान नवाज़ी की।
सुप्रीम लीडर नें ज़ाएरीन को सिक्योरिटी दिए जाने के लिए इराक़ी सेना, पुलिस फ़ोर्स और स्वंयसेवी सैनिकों के कार्य को भी सराहा। आयतुल्लाह ख़ामेनई ने नजफ़ और कर्बला के पवित्र रौज़ों के प्रबंधकों का भी आभार व्यक्त किया और इलाही बरकतों के बढ़ने की दुआ की।  

 

अहलेबैत न्यूज़ एजेंसी अबना: रिपोर्ट के अनुसार सुप्रीम लीडर आयतुल्लाह ख़ामेनई ने अपने संदेश में भूकंप से प्रभावित क्षेत्रों में तत्काल मदद और राहत पहुँचाने पर बल देते हुए कहा है कि सभी सरकारी संस्थान भूकंप से प्रभावित क्षेत्रों में अपनी पूरी कोशिशों से भरपूर मदद पहुँचाने का कार्य करें।
सुप्रीम लीडर ने सेना, सैनिकों, स्वयंसेवी संस्थाओं और रेड क्रास के अधिकारियों पर बल देते हुए कहा है कि पूरी हिम्मत और ताकत के साथ मदद पहुँचाने और राहत प्रक्रिया में भाग लें और घायलों को तत्काल चिकित्सा केन्द्र तक पहुंचाऐं और उनका इलाज करवाने में कड़ी मेहनत और सूझबूझ से काम लें।
सुप्रीम लीडर ने सैन्य और गैर सरकारी संगठनों पर बल दिया है कि भूकंप से प्रभावित क्षेत्रों में राहत दल के साथ भरपूर सहयोग करें।
सुप्रीम लीडर नें भूकंप से प्रभावित लोगों के साथ संवेदना प्रकट करते हुए सरकार को संबोधित करते हुए कहा है कि वह प्रभावित क्षेत्रों में जनता की समस्याओं को कम करने के लिए तत्काल कदम उठाऐ।
ईरान और इराक के सीमावर्ती क्षेत्रों में भूकंप के परिणामस्वरूप मरने वालों की संख्या 328 तक पहुंच गई है जबकि 4000 से अधिक लोग घायल हुए हैं। भूकंप की तीव्रता 7.2 रिकॉर्ड की गई है। उधर इराक़ के कुर्दिस्तान क्षेत्र में भूकंप के बाद कई इमारतें गिर गईं जिन में सैकड़ों लोगों के घायल होने की रिपोर्ट मिली है। सीमा और दूर दराज के क्षेत्र प्रभावित होने के कारण नुकसान की सूचनाऐं धीरे धीरे सामने आ रही हैं यह भी आशंका जताई जा रही है कि मृतकों की संख्या में वृद्धि हो सकती है।

 

2 नवंबर 2017 को तेहरान में हज़ारों की संख्या में छात्रों की वरिष्ठ नेता ख़ामेनई से मुलाक़ात की तस्वीर

इस्लामी क्रान्ति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़्मा ख़ामेनई ने बल दिया कि अमरीकियों के सामने पीछे हटने से वे और दुस्साहसी होते जा रहे हैं इसलिए दृढ़ता ही उनसे निपटने का एक रास्ता है।

गुरुवार को हज़ारों की संख्या में छात्रों ने वरिष्ठ नेता से तेहरान में मुलाक़त की जिसमें उन्होंने जवान नस्ल को समाज को आगे ले जाने वाली पीढ़ी बताते हुल बल दिया यह क़ाबिल व समझदार पीढ़ी ही कठिनाइयों से पार पाते हुए प्रिय ईरान को वांछित तरक्क़ी दिलाएगी अलबत्ता इस उद्देश्य की प्राप्ति के लिए ज़रूरी है कि ईरानी राष्ट्र के मुख्य दुश्मन यानी अमरीका की पहचान ज़रूरी है जो बहुत ही नीच दुश्मन है।

वरिष्ठ नेता ने कहा कि अमरीका सही अर्थ में नीच दुश्मन है और यह बात पक्षपात या दुर्भावना के तहत नहीं बल्कि ज़मीनी सच्चाई और मामलों की समझ से हासिल अनुभव के तहत कह रहा हूं।

उन्होंने अमरीकी राष्ट्रपति ट्रम्प के हालिया बयान की ओर इशारा करते हुए, जिसमें उन्होंने ईरानी राष्ट्र को आतंकवादी कहा था, कहा कि यह मूर्खतापूर्ण बयान दर्शाता है कि अमरीकियों को सिर्फ़ ईरानी नेतृत्व व सरकार से ही नहीं बल्कि उस राष्ट्र के वजूद से दुश्मनी है जो उनके द्वेष व दुश्मनी के सामने डटा हुआ है।

आयतुल्लाहिल उज़्मा ख़ामेनई ने कई साल पहले एक अमरीकी अधिकारी के बयान का हवाला दिया कि जिसमें अमरीकी अधिकारी ने कहा था कि ईरानी राष्ट्र का जड़ से सफ़ाया करना चाहिए। वरिष्ठ नेता ने कहा कि अमरीकी अधिकारी इस सच्चाई को समझ नहीं पा रहे हैं कि जो राष्ट्र इतने उज्जवल अतीत का स्वामी हो उसे जड़ से उखाड़ा नहीं जा सकता।

उन्होंने कहा कि अमरीका ईरानी राष्ट्र से अपनी गहरी दुश्मनी के कारण अपने आंकलन व समीक्षाओं में बारंबार ग़लती करता है। उन्होंने कहा कि अमरीका उसी साज़िश को जारी रखी हुए है जो अब तक बेनतीजा रही है लेकिन वह अपनी अंधी दुश्मनी के कारण सच्चाई को नहीं समझ पा रहा है।

आयतुल्लाहिल उज़्मा ख़ामेनई ने इसी प्रकार अमरीका की ओर से जारी दुश्मनी का उल्लेख करते हुए कहा कि अमरीकी अब पूरी तरह नीचता पर उतरते हुए परमाणु वार्ता के नतीजे में होने वाले परमाणु समझौते जेसीपीओए को ख़राब करने पर तुले हुए हैं।

वरिष्ठ नेता ने एक बार फिर छात्रों से अस्ली दुश्मन यानी अमरीका को न भूलने की अनुशंसा करते हुए कहा कि यही ईरान को अच्छे भविष्य के मार्ग पर ले जाने की मुख्य शर्त है। 

 

इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने सीरिया में ईरान और रूस केअच्छे सहयोग के अनुभव की ओर संकेत करते हुए कहा कि इस सहयोग से यह सिद्ध हो गया कि तेहरान और मॅास्को, कठिन क्षेत्रों में , संयुक्त उद्देश्यों की पूर्ति कर सकते हैं।

बुधवार की शाम रूस के राष्ट्रपति विलादीमीर पुतीन ने इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सयैद अली ख़ामेनेई से  तेहरान में मुलाक़ात की। इस मुलाक़ात में वरिष्ठ नेता ने कहा कि कुछ विदेशियों के समर्थन प्राप्त तकफ़ीरी आतंकवादियों के मुक़ाबले में तेहरान और मास्को के संयुक्त रूप से डटे रहने के महत्वपूर्ण परिणाम सामने आए हैं।

वरिष्ठ नेता ने कहा कि सीरिया में आतंकवादियों के समर्थक अमरीकी गठबंधन की पराजय, अटल सच्चाई है किन्तु वे अब भी षड्यंत्र रचने में व्यस्त हैं, इस आधार पर सीरिया के मामले के संपूर्ण समाधान के लिए मज़बूत सहयोग का जारी रहना आवश्यक है।

इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने कहा कि सीरिया की जनता को ही  अपने देश के बारे में फ़ैसला करने का अधिकार है। उन्होंने कहा कि सीरिया की सरकार के बारे में समस्त समस्याएं और समस्त मामले देश के भीतर ही हल होने चाहिए तथा सीरिया की सरकार को कोई भी योजना लागू करने के लिए किसी के दबाव में नहीं आना चाहिए और उसको एेसे समाधान पेश करने चाहिए जिनसे सब सहमत हों।

इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने ईरान और रूस के विरुद्ध प्रतिबंधों से संयुक्त रूप से मुक़ाबले के लिए सहयोग को लाभदायक बताया और कहा कि देशों के संबंधों को कमज़ोर करने के लिए दुश्मनों के प्रोपेगेडों की अनदेखी करते हुए ईरान और रूस अमरीकी प्रतिबंधों को , डाॅलर  में लेन -देन  को समाप्त करके और द्विपक्षीय व बहुपक्षीय आर्थिक मामलों में राष्ट्रीय करेंसी का प्रयोग करने सहित विभिन्न शैैलियों से प्रभावहीन बना सकते हैं और अमरीका को अलग- थलग कर सकते हैं।

इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सयैद अली ख़ामेनेई ने इसी प्रकार कहा कि यमन में प्रतिदिन के अपराध सहित कुछ देशों में सऊदी अरब के रक्त रंजित हस्तक्षेप के कारण रियाज़ गहरी खाई में फंस गया है। उन्होंने कहा कि सऊदी अधिकारी यमन की अत्याचारग्रस्त जनता तक जो जानलेवा और प्राणघातक बीमारियों में ग्रस्त हैं, सहायता और दवाएं पहुंचाने की अनुमति नहीं देते।

वरिष्ठ नेता ने इस मुलाक़ात में जेसीपीओए तथा बहुपक्षीय समझौतों का सम्मान करने की आवश्यकता के बारे में रूस के राष्ट्रपति विलादीमीर पुतीन के बयान को अच्छा बताया और कहा कि खेद की बात यह है कि अमरीकी  उल्लंघन जारी रखे हुए हैं इसीलिए बुद्धि पर भरोसा करते हुए तथा सही मार्गों से लाभ उठाते हुए उनका मुक़ाबला किया जाना चाहिए।

रूस के राष्ट्रपति ने भी इस मुलाक़ात में अपनी तेहरान यात्रा और इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सयैद अली ख़ामेनेई से अपनी मुलाक़ात पर बहुत अधिक प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि हम ईरान को अपना स्ट्राटैजिक सहयोगी और महान पड़ोसी समझते हैं और समस्त क्षेत्रों में सहयोग के विस्तार के लिए हर अवसर से लाभ उठाएंगे।

रूसी राष्ट्रपति ने इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सयैद अली ख़ामेनेई के दृष्टिकोण को सीरिया में संयुक्त लक्ष्यों के व्यवहारिक होने में बहुत प्रभावी और बुद्धिमत्तापूर्ण बताया और कहा कि सीरिया सहित किसी भी देश में कोई भी परिवर्तन देश के भीतर से ही होना चाहिए।

उन्होंने कहा कि माॅस्को जेसीपीओए का समर्थन करता है और माॅस्को का यह मानना है कि अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेन्सी के मुख्य सिद्धांतों में परिवर्तन सही काम नहीं है तथा रूस रक्षा मामलों सहित दूसरे मामलों से ईरान के परमाणु कार्यक्रम को जोड़े जाने का विरोधी है।

 

हाल ही में इस्राईल ने सीरिया के दक्षिण में आतंकवादियों से लोहा ले रहे हिज़्बुल्लाह के एक कमांडर का नाम और फ़ोटो मीडिया में जारी करते हुए कहा था कि इस्लामी आंदोलन की समस्त गतिविधियों पर उसकी पैनी नज़र है।

हिज़्बुल्लाह ने इस्राईल के इस मनोवैज्ञानिक हमले एवं मीडिया वार का मुंह तोड़ जवाब देते हुए इस्राईल के कुछ रणनीतिक एवं सामरिक स्थानों की तस्वीरें जारी की हैं।

इस्राईल और हिज़्बुल्लाह की मीडिया वार में लेबनान के इस्लामी प्रतिरोधी आंदोलन द्वारा जारी की गई तस्वीरों के नीचे लिखा गया कैपशन अधिक महत्वपूर्ण है।

हिज़्बुल्लाह ने इन तस्वीरों को जारी करते हुए उनके नीचे हेब्रू एवं अरबी भाषा में लिखा है, वे लोग अवगत हो जाएं जो यह समझते हैं कि वे हमारे ऊपर नज़र रखे हुए हैं, उन्हें पीछे मुड़कर भी देखना चाहिए।

वास्तव में यह तस्वीरें इस्राईल के लिए स्पष्ट संदेश एवं खुली चुनौती है कि इस्लामी प्रतिरोध ज़मीन और आसमान में इस्राईली गतिविधियों की निगरानी कर रहा है।

केवल इतना ही नहीं, बल्कि इस सॉफ़्ट युद्ध में हिज़्बुल्लाह की नज़रों से इस्राईली अधिकारी भी नहीं बच पाए हैं। हिज़्बुल्लाह ने जो तस्वीरें जारी की हैं, उनमें इस्राईली अधिकारियों को भी देखा जा सकता है। इन अधिकारियों की यह तस्वीरें उस समय ली गई हैं, जब वे सैन्य प्रतिष्ठानों का दौरा कर रहे थे।

 

फ़िलिस्तीन के इस्लामी प्रतिरोध आन्दोलन हमास ने एेलान किया है कि वह किसी भी स्थिति में अवैध ज़ायोनी शासन को मान्यता नहीं देगा।

हमास के राजनैतिक मामलों के प्रभारी सालेह अलआरूरी ने कहा है कि न तो हम इस्राईल को मान्यता देंगे और न ही उसके विरूद्ध संघर्ष को रोकेंगे।  उन्होंने कहा कि अवैध ज़ायोनी शासन के विनाश तक इस्राईल के विरुद्ध संघर्ष जारी रहेगा।

हमास के राजनैतिक मामलों के प्रभारी सालेह अलअआरूरी ने यह बात तेहरान में अलआलम टीवी चैनेल को दिये अपने साक्षात्कार में कही।  उन्होंने कहा कि ईरान, वास्तविक रूप में हमास और फ़िलिस्तीनियों का समर्थन करता है।  सालेह अलआरूरी ने कहा कि क्षेत्र के प्रभावी देश के रूप में ईरान, सदैव फ़िलिस्तीनी जतना के साथ रहा है और उसने हर प्रकार से फ़िलिस्तीनियों की सहायता की है।  उन्होंने कहा कि ईरान के साथ हमास के संबन्ध अधिक विस्तृत होंगे।

उल्लेखनीय है कि हमास के राजनैतिक मामलों के प्रभारी सालेह अलआरूरी के नेतृत्व में हमास का एक प्रतिनिधिमण्डल ईरान आया है।  

 

 

इराक़ी कुर्दिस्तान क्षेत्र का एक प्रतिनिधिमंडल आयतुल्लाह अली सीस्तानी से मुलाक़ात के लिए पवित्र नगर नजफ़ गया है।

स्काई प्रेस ने जानकार सूत्रों के हवाले से बताया कि इस प्रतिनिधिमंडल में तग़यीर दल और कुर्दिस्तान पेट्रयॉटिक यूनियम दल के सदस्य शामिल हैं। यह प्रतिनिधिमंडल इराक़ी कुर्दिस्तान क्षेत्र के हालिया संकट के बारे में बातचीत के लिए गुरुवार को नजफ़ रवाना हुआ।

इस जानकार सूत्र के अनुसार, कुर्द प्रतिनिधिमंडल इसी तरह इराक़ के सद्र दल के नेता मुक़्तदा सद्र से भी भेंटवार्ता करेगा।

ग़ौरतलब है कि इराक़ी कुर्दिस्तान में इस क्षेत्र के प्रमुख मसऊद बारेज़ानी के आग्रह पर 25 सितंबर को रेफ़्रेन्डम के आयोजन और कर्कूक में पीशमर्गा फ़ोर्सेज़ की ग़ैर क़ानूनी तैनाती के कारण बग़दाद-अर्बील के बीच तनाव पैदा हो गया था।

इराक़ी सेना ने सोमवार को देश के उत्तरी भाग में पीशमर्गा फ़ोर्स के नियंत्रण वाले क्षेत्रों से इस फ़ोर्स को निकालने के लिए कार्यवाही शुरु की और कर्कूक सहित कुछ दूसरे क्षेत्रों का नियंत्रण अपने हाथ में ले लिया। 

 

 

विश्व मीडिया ने अमेरिकी राष्ट्रपति के भाषण पर इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता के बयान को व्यापक कवरेज दी है।

समाचार एजेंसी तसनीम के अनुसार अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के पिछले दिनों ईरान विरोधी बयान पर इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़्मा सैयद अली ख़ामनेई द्वारा दिए गए बयान को विश्व मीडिया ने विशेष कवरेज दी है।

समाचार एजेंसी रोएटर्ज़ ने वरिष्ठ नेता के इस बयान को "अगर अमेरिका ने परमाणु समझौते को फाड़ दिया तो हम उसके टुकड़े-टुकड़े कर देंगे" अपना शीर्षक करार दिया और लिखा कि ईरान के सर्वोच्च नेता का बयान अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा ईरान और परमाणु समझौते के ख़िलाफ़ दिए गए भाषण के पाँच दिन बाद सामने आया है।

रोएटर्ज़ ने यह भी लिखा है कि "अयातुल्लाह ख़ामेनई ने यूरोपीय स्टैंड का स्वागत किया है लेकिन साथ ही यह भी कहा है केवल बयान पर्याप्त नहीं हैं।"

ब्रिटिश समाचार पत्र ऐज यूके ने लिखा कि "ट्रम्प द्वारा शुक्रवार को दिए गए भाषण ने वाशिंगटन को परमाणु समझौते में शामिल सभी देशों विशेषकर यूरोपीय देशों के मुक़ाबले में ला खड़ा किया है"  इन देशों ने बल दिया है कि वॉशिंगटन अकेले ईरान के साथ हुए परमाणु समझौते से बाहर नहीं निकल सकता है।

यूरो न्यूज़ ने भी वरिष्ठ नेता के बयान को ब्रेकिंग न्यूज़ के रूप में कवरेज दी और अपने शीर्षक में लिखा कि "ट्रम्प की बेहूदा बातों का जवाब देने की ज़रूरत नहीं है।"

इस्राईली समाचार पत्र हारेत्स ने लिखा कि वरिष्ठ नेता के बयान का हवाला देते हुए लिखा है कि "अमेरिका, ज़ायोनी शासन का एजेंट और दाइश को अस्तित्व देने वाला है इसलिए दुख और ग़ुस्से से पीड़ित है कि तेहरान ने लेबनान, इराक़ और सीरिया में उसकी सारी साज़िशों से पर्दा उठाकर दुनिया के सामने अमेरिका का असली चेहरा पेश कर दिया है।"

इकोनॉमिक टाइम्स ने इस बारे में लिखा है कि "ईरान के सर्वोच्च नेता ने ट्रम्प के बेहूदा और नकारात्मक भाषण को ख़ारिज कर दिया"।

बीबीसी लंदन ने भी इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता के बयान की ओर इशारा किया और लिखा कि आयतुल्लाह ख़ामनेई ने अमेरिकी राष्ट्रपति के शुक्रवार को दिए गए भाषण पर तीव्र प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा है कि "वे नहीं चाहते कि अमेरिका के बदज़बान और असभ्य राष्ट्रपति के बेहूदा और नकारात्मक भाषण का जवाब देकर अपने समय को ख़राब किया जाए।"

एसोसिएटेड प्रेस ने लिखा था कि "ईरान के सुप्रीम लीडर ने यूरोप से परमाणु समझौते के समर्थन में केवल बातचीत न करके प्रभावी क़दम उठाने का आग्रह किया है।"

फ्रांस की समाचार एजेंसी ने लिखा कि "ईरान के वरिष्ठ नेता ने ट्रम्प भाषण के संबंध मे कहा है कि “अनुचित व्यक्ति का बेहूदा भाषण।"

इसके अलावा दुनिया भर के सैकड़ों समाचार पत्रों और समाचार चैनलों ने वरिष्ठ नेता के बयान को विशेष स्थान दिया है। दैनिक इंडिपेंडेंट, सीएनबीसी, दैनिक हिंदुस्तान टाइम्स, सोवियत टाइम्स और अन्य समाचार एजेंसियों ने भी ईरान की इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़्मा ख़ामेनई के बयान को कवरेज दी है।

 

 

अंतरराष्ट्रीय कुरान समाचार एजेंसी समाचार एजेंसी «andaluspress.com» ؛ के मुताबिक, दो ब्राज़ीलियाई गायकों ने हाल ही में वीडियो क्लिप के रूप में एक गीत का निर्माण किया है जिसमें कुरानिक आयतों का इस्तेमाल किया गया है।

इस वीडियो क्लिप में, जिसमें नृत्य दृश्य और अनुचित चित्र शामिल हैं, अपमान जनक रूप से कुरानिक आयतों का इस्तेमाल किया गया है कि अरबी और इस्लामी देशों में उसके प्रकाशन से मुसलमानों द्वारा बड़े पैमाने पर प्रतिक्रिया का सामना करना पड़ रहा है।

इस वीडियो को यूट्यूब पर मुस्लिमों द्वारा बड़े पैमाने पर विरोध के बाद बंद कर दिया गया था, लेकिन एक अन्य सामाजिक नेटवर्क पर "ऐसा गीत जिसने मुस्लिमों को वर्ग़ला दिया"के शीर्षक से प्रसारित किया गया है।

यह ध्यान देने योग्य है कि यूट्यूब पर वीडियो के निषेध के बाद भी, दो ब्राजीली गायकों की ओर से इस इस्लाम और मुसलमानों का अपमान करने वाले गीत का निर्माण करने के लिए कोई औचित्य तर्कसंगत नहीं बताया गया है।

यह ध्यान देने योग्य है कि इटली, ग्रीस, आयरलैंड, फिनलैंड, जर्मनी और ... जैसे कुछ यूरोपीय देशों में मुक़द्दसान का अपमान करना ऐक अपराध माना जाता और कानूनी दंड भी है।