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फ़िलिस्तीनियों का आक्रोश दिवस, ज़ायोनियों का बर्बर हमला, एक शहीद
ग़ज़्ज़ा पट्टी में फ़िलिस्तीनियों के आक्रोश दिवस के अवसर पर निकाले गये प्रदर्शन पर इस्राईली सैनिकों की फ़ायरिंग में एक फ़िलिस्तीनी युवा शहीद हो गया।
बैतुल मुक़द्दस के बारे में अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प के फ़ैसले का विरोध करते हुए फ़िलिस्तीन जनता तीन सप्ताह से लगाकर प्रदर्शन कर रही है। प्रदर्शनकारी फ़िलिस्तीनियों और ज़ायोनी सैनिकों के बीच जार्डन नदी के पश्चिमी तट, ग़ज़्ज़ा और अवैध अधिकृत बैतुल मुक़द्दस के विभिन्न क्षेत्रों में झड़पें हुईं। सूतरों ने बताया कि उत्तरी ग़ज़्ज़ा पट्टी के जेबालिया क्षेत्र में गोली लगने से एक फ़िलिस्तीनी युवा ज़करिया कफ़ारेना शहीद और चार अन्य फ़िलिस्तीन घायल हो गये।
हज़ारों की संख्या में फ़िलिस्तीनियों ने जुमे की नमाज़ के बाद पश्चिमी तट और ग़ज़्ज़ा पट्टी के विभिन्न क्षेत्र में बैतुल मुक़द्दस को इस्राईल की राजधानी के रूप में स्वीकार करने के डोनल्ड ट्रम्प के फ़ैसले का विरोध करते हुए प्रदर्शन किए।
ज़ायोनी सैनिकों ने शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे फ़िलिस्तीनियों को तितर बितर करने के लिए रबड़ की गोलियां चलाईं और आंसू गैस के गोले फ़ायर किए।
फ़िलिस्तीन की समाचार एजेन्सी मअन ने रिपोर्ट दी है कि प्रदर्शन के दौरान बैते लहम में कई फ़िलिस्तीनी घायल हुए है जबकि सिफ़्लीत शहर में गोली लगने से दो फ़िलिस्तीनी युवा घायल हो गये।
इससे पहले फ़िलिस्तीन के स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा था कि जब से अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प ने बैतुल मुक़द्दस को ज़ायोनी राजधानी के रूप में मान्यता दी है तब से इस फ़ैसले के विरुद्ध प्रदर्शनों के दौरान होने वाली झड़पों में 11 फ़िलिस्तीनी शहीद हो चुके हैं।
फ़िलिस्तीन के स्वास्थ्य मंत्रालय के प्रवक्ता ओसामा नज्जार ने गुरुवार को कहा कि बैतुल मुक़द्दस, जार्डन नदी के पश्चिमी तट, ग़ज़्ज़ा पट्टी तथा फ़िलिस्तीन के अन्य क्षेत्रों में फ़िलिस्तीनियों और इस्राईली सैनिकों के बीच हालिया दस दिनों से जारी झड़पों में अब तक 3300 से अधिक लोग घायल हो चुके हैं।
नई दिल्ली-तेहरान संबंध दोस्ताना हैं, सुषमा स्वराज
विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने इस्लामी गणतंत्र ईरान के साथ भारत के संबंध को मैत्रीपूर्ण बताया है।
शुक्रवार को नई दिल्ली में नए साल के उपलक्ष्य में विदेशी पत्रकारों के लिए आयोजित भोज में उन्होंने कहा कि भारत-ईरान संबंध बहुत अच्छी हालत में और यह संबंध निरंतर विस्तृत हो रहे हैं।
भारतीय विदेश मंत्री ने पत्रकार द्वारा उनके हालिया ईरान दौरे के बारे में पूछे गए सवाल पर कहा कि उनका तेहरान में थोड़े समय के लिए ठहरना बहुत लाभदायक रहा। भारतीय विदेश मंत्री दक्षिण-पूर्वी ईरान में स्थित चाबहार बंदरगाह के पहले फ़ेज़ के उद्घाटन समारोह में भाग लेने के लिए ईरान आयी थीं।
सुषमा स्वराज ने बल दिया कि ईरान-भारत संबंधों में विस्तार का विजन बहुत व्यापक है।
अमरीका को पाकिस्तान का जवाब, सहायता के लिए आतंकवाद के विरुद्ध युद्ध नहीं कर रहे हैं: पाकिस्तान
पाकिस्तानी सेना के जनसंपर्क विभाग के डायरेक्टर जनरल मेजर जनरल आसिफ़ ग़फ़ूर का कहना है कि पाकिस्तान, अमरीकी सहायता के लिए आतंकवाद के विरुद्ध युद्ध नहीं कर रहा है और न ही ब्रिकी के लिए है।
उन्होंने डाॅन न्यूज़ के एक कार्यक्रम में कहा कि जिस प्रकार पाकिस्तान ने आतंकवाद के विरुद्ध युद्ध किया है किसी और देश ने नहीं किया, पाकिस्तान और अमरीका के बीच अच्छे संबंध रहने चाहिए, घटक एक दूसरे को नोटिस नहीं देते, आरोप नहीं लगाते, बातचीत चाहे फ़ाॅरेन डिप्लोमेसी के माध्यम से हो या मिलिट्री डिप्लोमेसी के माध्यम से चलती रहनी चाहिए और यह चलेगी।
अमरीका की ओर से पाकिस्तान से दबाव डालने और उसकी सफलताओं को स्वीकार न करने के बारे में उन्होंने कहा कि इसका बहुत बड़ा संबंध माहौल से है, पाकिस्तान ने अपनी सीमा में आतंकवादियों के विरुद्ध कार्यवाही की और उन्हें पराजित किया, अफ़ग़ानिस्तान का अपना इतिहास, सभ्यता और भूगोल है जिनका जब विदेशी सेनाएं सामना करती हैं तो उन्हें कई चुनौतियों का सामना होता है इसलिए वहां युद्ध करना इतना आसान नहीं है। मेजर जनरल आसिफ़ ग़फ़ूर का कहना था कि अमरीका ने इस संबंध में पाकिस्तान से सहयोग मांगा जो हमने दिया।
उन्होंने कहा कि हमने अपने भाग का बहुत काम कर लिया है अब अफ़ग़ानिस्तान की बारी है, हमने अफ़ग़ानिस्तान से मिलने वाले 2 हज़ार 600 किलोमीटर के क्षेत्र में आतंकवादियों के समस्त ठिकानों को समाप्त कर दिया, कई आतंकवादी गुट अफ़ग़ान सीमावर्ती क्षेत्र में सरकारी नियंत्रण न होने के कारण फ़रार हैं जिनको समाप्त करना अफ़ग़ानिस्तान की ज़िम्मेदारी है।
मेजर जनरल आसिफ़ ग़फ़ूर का कहना था कि हम अफ़ग़ानिस्तान में अमरीका का युद्ध नहीं लड़ सकते, हम अमरीका के साथ हर प्रकार का रक्षा सहयोग करने को तैयार हैं और कर भी रहे हैं किन्तु ब्लेम गेम से कोई लाभ नहीं होगा। (AK)
दक्षिणी एशिया में परमाणु हथियार लाने वाले को नेता कहा जा रहा हैः पाकिस्तान
अमरीका के साथ जारी तनाव के बीच पाकिस्तान नेक हा है कि अमरीका की राष्ट्रीय सुरक्षा की नई रणनीति में पाकिस्तान पर अपुष्ट आरोप लगाए गए हैं, पाकिस्तान इस प्रकार के बेबुनियाद आरोपों को ख़ारिज करता है जो पाकिस्तान की आतंकवाद निरोधक कोशिशों और क़ुरबानियों का इंकार करते हैं।
मंगलवार को पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय की ओर से अमरीका की राष्ट्रीय सुरक्षा की नई रणनीति पर यह प्रतिक्रिया आई है।
अमरीका की नई रणनीति में पाकिस्तान से और अधिक सहयोग करने और आतंकवाद के विरुद्ध कोशिशों में तेज़ी लाने की मांग की गई है। अमरीका ने पाकिस्तान से यह भी कहा है कि यह इस बात का यक़ीन दिलाता रहे कि वह परमाणु हथियारों की संरक्षक है।
इसके जवाब में पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा है कि ज़िम्मेदार परमाणु शक्ति की हैसियत से पाकिस्तान ने अपने परमाणु केन्द्रों को सुरक्षित रखने के लिए अत्यंत उपयोगी, शक्तिशाली और केन्द्रित कमांड एंड कंट्रोल व्यवस्था स्थापित कर रखी है।
बयान में कहा गया है कि संयुक्त राष्ट्र संघ की सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों का खुले आम उल्लंघन करने वाले, दक्षिणी एशिया में परमाणु हथियार लाने वाले और आतंकवाद को सरकारी रणनीति के रूप में प्रयोग करने वाले देश को इलाक़े का अगुवा कहा जा रहा है।
बयान में कहा गया है कि अफ़ग़ानिस्तान में अमरीका की उपस्थिति के बावजूद आतंकी संगठन अफ़ग़ानिस्तान के इलाक़े पाकिस्तान के ख़िलाफ़ प्रयोग कर रहे हैं।
300 मुसलमान विद्वानों ने इसराइल के साथ संबंधों के सामान्यीकरण को निषेध किया
खबर रूसिया अलयौम द्वारा उद्धृत, 300 मुस्लिम विद्वानों ने, 36 संगठनों, यूनियनों और दुनिया भर के इस्लामी संस्थान का प्रतिनिधित्व करते हुऐ इस्तांबुल, तुर्की पत्रकार सम्मेलन में, उपस्थित होकर "उम्मते इस्लाम के विद्वानों' मन्शूर में भाग लेकर हस्ताक्षर किए जिसमें ज़ियोनिस्ट शासन के साथ किसी भी तरह के संबंधों के सामान्यीकरण को हराम किया है।
यह प्रेस सम्मेलन ज़िओनीस्ट शासन के साथ संबंधों को सामान्य बनाने के खतरे का सामना करने और इसके संबंधों का बहिष्कार करने के लिए "इस्लामी उम्मा के विद्वानो" चार्टर को पेश करने के उद्देश्य से आयोजित किया गया था।
प्रेस ब्रीफिंग ने इस बात पर जोर दिया कि इजरायल के साथ संबंधों का सामान्यीकरण फिलीस्तीनी मुद्दे और विरोध करने वाली परियोजना के लिए एक गंभीर खतरा है।
यह चार्टर 44 पैराऐ में जमा किया गया है जिन में महत्वपूर्ण मुद्दे जो प्रस्तुत हुऐ उनमें से इन "यहूदी शासन और शरई हुक्म और उनके कानून", "संबंधों को सामान्य बनाना और हाकिम का कार्य" "संबंधों को सामान्य बनाने के मुक़ाब्ले में प्रतिरोध के मूल तत्व" और " इसराइल के साथ सामान्य संबंध बनाने के मफ़ासिद और खतरे" की ओर इशारा किया जा सकता है ।
इस्लामिक उम्मा के पत्र में, यह कहा गया है कि इजरायल के साथ किसी तरह के संबंधों का सामान्यीकरण हराम है, क्योंकि यह विश्वास की आवश्यकताओं और दोस्ती और विश्वासियों के प्रति वफादारी के विरोधाभास में है।
तेहरान के इमामे जुमा ने अमरीका और इस्राईल पर आर्थिक प्रतिबंध लगाने की अपील की है
तेहरान के इमामे जुमा ने नमाज़े जुमा का ख़ुतबा देते हुए कहा है कि बैतुल मुक़द्दस की रक्षा केवल बयान जारी करके नहीं की जा सकती।
हुज्जतुल इस्लाम सिद्दीक़ी का कहना था कि अमरीकी राष्ट्रपति डोन्लड ट्रम्प द्वारा बैतुल मुक़द्दस को इस्राईल की राजधान घोषित करने के मुक़ाबले में इस्लामी देशों को चाहिए कि वह अमरीकी दूतावासों को बंद करें और अमरीकी उत्पादों पर प्रतिबंध लगाएं।
नमाज़े जुमा के भाषण में उन्होंने कहा कि इस्लामी देशों को इस्राईली और अमरीकी उत्पादों पर प्रतिबंध लगाना चाहिए, ताकि अमरीका अपनी मूर्खतापूर्ण नीतियों को त्यागने पर मजबूर हो जाए।
हुज्जतुल इस्लाम सिद्दीक़ी का कहना था कि ट्रम्प का यह फ़ैसला वास्तव में अवैध ज़ायोनी शासन को वैधता प्रदान करने की कोशिश है।
हालांकि संयुक्त राष्ट्र संघ ने इससे पहले 2 प्रस्ताव पारित करके बैतुल मुक़द्दस (यरूशलम) पर इस्राईल के क़ब्ज़े की निंदा की थी और इस पर फ़िलिस्तीनियों के अधिकार को स्वीकार किया था।
स्वीडिश समाज में सह्यूनिज़्म दुश्मनी का विकास
स्वीडन में ईरानी सांस्कृतिक परामर्श के अनुसार, "हांक Bahonar" सामाजिक शोधकर्ताओं में से ऐक ने इस बारे में कहा: उच्च विद्यालय के छात्रों के बीच हुऐ सर्वे के अनुसार बताया गया है, कि छात्रों में 18 प्रतिशत लोग यहूदियों के बारे में नकारात्मक सोच रखते हैं लेकिन मुस्लिम परिवार के छात्रों के बीच यह आंकड़े 55% तक पहुंच जाते हैं।
बेशक, वह अपने सर्वे में कहता है: सफेद जातिवाद समूहों के बीच भी सह्यूनिज़्म दुश्मनी मौजूद है पोलैंड और हंगरी जैसे छोटे मुस्लिम आबादी वाले देशों में भी सह्यूनिज़्म दुश्मनी विचारधारा अधिक है।
पिछले 20 वर्षों में स्वीडिश समाज में सह्यूनिज़्म दुश्मनी एक वर्तमान मुद्दा बन गया है, और अधिकतम मध्य पूर्व के घटनाक्रम और इजरायल-फिलिस्तीन संघर्ष के विषय से संबंधित है।
ट्रम्प के फ़ैसले को अमान्य करने के लिए यूएनएससी में वोट होने जा रहा है
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद बैतुल मुक़द्दस के बारे में किसी भी एकपक्षीय फ़ैसले को क़ानूनी तौर पर अवैध क़रार देने के लिए एक प्रस्ताव लाने पर विचार कर रहा है।
मिस्र द्वारा इस प्रस्तावित मसौदे को तय्यार किया गया है और इसे शनिवार को सुरक्षा परिषद के सदस्यों के बीच बांटा गया जिस पर अगले हफ़्ते के शुरु में संभवतः मतदान होना तय है।
रोयटर्ज़ के अनुसार, इस प्रस्ताव के मसौदे में आया है, "हर उस फ़ैसले व कार्यवाही की कोई क़ानूनी हैसियत नहीं है जिसका लक्ष्य पवित्र बैतुल मुक़द्दस का दर्जा, उसकी जनांकिकी संरचना या उसकी स्थिति को बदलना है और उस फ़ैसले व कार्यवाही को सुरक्षा परिषद के संबंधित प्रस्तावों का पालन करते हुए रद्द होना चाहिए।"
इस प्रस्ताव के मसौदे में यह भी आया है, "सभी राष्ट्रों पर बल दिया जाता है कि वह सुरक्षा परिषद के 1980 में पारित हुए प्रस्ताव नंबर 478 का पालन करते हुए बैतुल मुक़द्दस में किसी तरह का कूटनैतिक मिशन क़ायम करने से दूर रहे।"
यह प्रस्तावित मसौदा, अमरीकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रम्प के 6 दिसंबर 2017 को बैतुल मुक़द्दस को ज़ायोनी शासन की राजधानी के रूप में मान्यता देने और अमरीकी दूतावास को तेल अविव से बैतुल मुक़द्दस स्थानांतरित करने के एलान के ख़िलाफ़ लाया गया है।
यह मसौदा "सभी राष्ट्रों से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के बैतुल मुक़द्दस से संबंधित प्रस्तावों का पालन करने और इन प्रस्तावों के ख़िलाफ़ किसी भी कार्यवाही को मान्यता न देने की मांग करता है।"
इन्डोनेशिया, दस दिनों से प्रदर्शन जारी, अमरीकी उत्पादों के बाॅयकाॅट की अपील
इन्डोनेशिया के हज़ारों लोगों प्रदर्शन करके अमरीकी उत्पादों के बाॅयकाॅट की मांग की है।
जकार्ता से एसोशिएटेड प्रेस की रिपोर्ट के अनुसार इंडोनेशिया में लगभग 80 हज़ार लोगों ने रविवार को एक बार फिर बैतुल मुक़द्दस के बारे में अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प के फ़ैसले की निंदा करते हुए प्रदर्शन किए।
अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प के फ़ैसले के बाद से इन्डोनेशिया में दस दिनों से निरंतर प्रदर्शन हो रहे हैं।
जकार्ता पुलिस के प्रवक्ता ने भी कहा है कि प्रदर्शनकारियों के हाथ में एेसे प्ले कार्ड थे जिन पर फ़िलिस्तीन के समर्थन में नारे लिखे हुए थे। प्रदर्शनकारियों ने नेश्नल म्यूज़ियम के पार्क से अमरीकी दूतावास तक तीन किलोमीटर की यात्रा तय की।
ज्ञात रहे कि बैतुल मुक़द्दस के बारे में अमरीकी राष्ट्रपति के फ़ैसले के बाद से पूरी दुनिया में प्रदर्शनों का क्रम जारी है।
इस्लामी देश अमरीका से अपने राजदूतों को वापस बुलाएंः तलाल
इस्राईल की संसद में अरब प्रतिनिधि ने मांग की है कि इस्लामी देशों को चाहिए कि अपने राजदूतों को वे अमरीका से वापस बुलाएं।
तसनीम समाचार एजेन्सी के अनुसार इस्राईल की संसद में अरब प्रतिनिधि तलाल अबूअरार ने कहा है कि ट्रम्प के हालिया फैसले पर विरोध स्वरूप इस्लामी देशों को चाहिए कि वे अपने राजदूतों को अमरीका से वापस बुलवा लें।
उन्होंने इस्तांबोल में में बोलते हुए कहा कि इस्लामी देशों को चाहिए कि वे अपने राजदूतों को वापस बुलाकर अमरीका पर दबाव डालें ताकि ट्रम्प के फैसले को वापस करवााय जा सके। उन्होंने कहा कि बैतुल मुक़द्दस के बारे में अरब जगत की प्रतिक्रिया वैसी नहीं थी जैसी होनी चाहिए थी। तलाल अबूअरार ने कहा कि अमरीकी राष्ट्रपति के फैसले की जितनी निंदा की जाए वह कम है। तलाल ने कहा कि बैतुल मुक़द्दस, फ़िलिस्तीन की राजधानी है जहां पर अमरीकी दूतावास के लिए कोई स्थान नहीं है।
उल्लेखनीय है कि अमरीकी राष्ट्रपति ने बैतुल मुक़द्दस को इस्राईल की राजधानी के रूप में मान्यता की घोषणा की है जिसका व्यापक स्तर पर विरोध किया जा रहा है।