
رضوی
ईरान की सहायता के हम आभारी हैं: हनिया
हमास के राजनीतिक मामलों के प्रभारी ने ईरान की ओर से फ़िलिस्तीनियों को दी जाने वाली सहायता पर आभार व्यक्त किया है।
फ़िलिस्तीन के इस्लामी प्रतिरोध आन्दोलन हमास के राजनीतिक मामलों के प्रभारी इस्माईल हनिया ने ईरान की इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता को पत्र भेजकर ईरान की ओर से फ़िलिस्तीनी प्रतिरोधकर्ताओं को दी जाने वाली सहायता और वरिष्ठ नेता के मार्गदर्शन की प्रशंसा की है।
अपने पत्र में इस्माईल हनिया ने बैतुल मुक़द्दस तथा फ़िलिस्तीनियों के प्रतिरोध के विरुद्ध वर्चस्ववादियों के षडयंत्र की ओर संकेत किया। उन्होंने कहा कि हमने ईश्वर की कृपा से बैतुल मुक़द्दस के संबन्ध में ट्रम्प के षडयंत्र को विफल बना दिया। उन्होंने अपने पत्र में लिखा है कि फ़िलिस्तीन के बारे में इस्लामी गणतंत्र ईरान की मूल्यवान नीति प्रशंसनीय है।
इस्माईल हनिया ने पत्र में लिखा है कि फ़िलिस्तीन के विरुद्ध षडयंत्रों को विफल बनाने का एकमात्र मार्ग, इन्तेफ़ाज़ा जनान्दोलन का जारी रहना है। उनका कहना है कि हम इसका समर्थन करते हैं और फ़िलिस्तीनियों के विरुद्ध षडयंत्र को सफल नहीं होने देंगे।
हमास के नेता ने इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता के नाम अपने पत्र में ईरान को वास्तविक रूप में वर्चस्ववाद विरोधी देश बताया। उन्होंने कहा कि फ़िलिस्तीनी जनता, ईरान की ओर से किये जा रहे उसके समर्थन का सम्मान करती है।
मस्जिद अक़्सा में फिलीस्तीनी बूढ़ी महिला के प्रवेश का निषेध
इंटरनेशनल क़ुरान न्यूज़ एजेंसी ने वफा.पीएस की न्यूज़ वेबसाइट का हवाला देते हुऐ, अमीरा अल-हाज ख़ालिद, फिलिस्तीनी बूढ़ी महिला पूर्वी क़ुद्स की निवासी ने दो हफ्ते पहले, जब उसने क़ुद्स की पहचान इजरायल की राजधानी के रूप ट्रम्प के खिलाफ रैली में भाग लिया था और फिलिस्तीनी झंडे को हाथ में उठाऐ थी ज़ियोनिस्ट पुलिस बल द्वारा गिरफ्तार हो गई थी।
गिरफ्तार होने और पूछताछ केंद्र में स्थानांतरित करने के बाद, उसे दो सप्ताह तक अल-अक़्सा मस्जिद में प्रवेश से वंचित किया गया है।
इंटरनेशनल क़ुरान न्यूज़ एजेंसी ने वफा.पीएस की न्यूज़ वेबसाइट का हवाला देते हुऐ, अमीरा अल-हाज ख़ालिद, फिलिस्तीनी बूढ़ी महिला पूर्वी क़ुद्स की निवासी ने दो हफ्ते पहले, जब उसने क़ुद्स की पहचान इजरायल की राजधानी के रूप ट्रम्प के खिलाफ रैली में भाग लिया था और फिलिस्तीनी झंडे को हाथ में उठाऐ थी ज़ियोनिस्ट पुलिस बल द्वारा गिरफ्तार हो गई थी।
गिरफ्तार होने और पूछताछ केंद्र में स्थानांतरित करने के बाद, उसे दो सप्ताह तक अल-अक़्सा मस्जिद में प्रवेश से वंचित किया गया है।
इंटरनेशनल क़ुरान न्यूज़ एजेंसी ने वफा.पीएस की न्यूज़ वेबसाइट का हवाला देते हुऐ, अमीरा अल-हाज ख़ालिद, फिलिस्तीनी बूढ़ी महिला पूर्वी क़ुद्स की निवासी ने दो हफ्ते पहले, जब उसने क़ुद्स की पहचान इजरायल की राजधानी के रूप ट्रम्प के खिलाफ रैली में भाग लिया था और फिलिस्तीनी झंडे को हाथ में उठाऐ थी ज़ियोनिस्ट पुलिस बल द्वारा गिरफ्तार हो गई थी।
गिरफ्तार होने और पूछताछ केंद्र में स्थानांतरित करने के बाद, उसे दो सप्ताह तक अल-अक़्सा मस्जिद में प्रवेश से वंचित किया गया है।
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गिरफ्तार होने और पूछताछ केंद्र में स्थानांतरित करने के बाद, उसे दो सप्ताह तक अल-अक़्सा मस्जिद में प्रवेश से वंचित किया गया है।
इंटरनेशनल क़ुरान न्यूज़ एजेंसी ने वफा.पीएस की न्यूज़ वेबसाइट का हवाला देते हुऐ, अमीरा अल-हाज ख़ालिद, फिलिस्तीनी बूढ़ी महिला पूर्वी क़ुद्स की निवासी ने दो हफ्ते पहले, जब उसने क़ुद्स की पहचान इजरायल की राजधानी के रूप ट्रम्प के खिलाफ रैली में भाग लिया था और फिलिस्तीनी झंडे को हाथ में उठाऐ थी ज़ियोनिस्ट पुलिस बल द्वारा गिरफ्तार हो गई थी।
गिरफ्तार होने और पूछताछ केंद्र में स्थानांतरित करने के बाद, उसे दो सप्ताह तक अल-अक़्सा मस्जिद में प्रवेश से वंचित किया गया है।
मदरसों को लेकर वसीम रिज़वी के विवादित बयान की व्यापक निंदा, मौलाना जवाद की कड़ी चेतावनी
उत्तर प्रदेश शिया सेंट्रल वक्फ़ बोर्ड के अध्यक्ष वसीम रिज़वी भारतीय मुसलमानों के ख़िलाफ़ एक के बाद एक विवादित बयान दे रहे हैं।
रिज़वी ने अपने ताज़ा बयान में मदरसों की शिक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़ा करते हुए भारतीय प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी और यूपी के मुख्य मंत्री योगी आदित्यनाथ से मांग की है कि देश में इस्लामी तालीम देने वाले मदरसों को बंद कर दिया जाए।
वसीम रिज़वी ने अपनी यह मांग रखते हुए कहा है कि मदरसों की तालीम से बच्चे आतंकवादी बन रहे हैं।
रिज़वी ने कहा कि मदरसों से पढ़कर कोई इंजीनियर, डॉक्टर और आईएएस नहीं बनता, हां कुछ मदरसों से पढ़कर बच्चे आतंकवादी ज़रूर बने हैं।
उत्तर प्रदेश शिया सेंट्रल वक्फ़ बोर्ड के अध्यक्ष वसीम रिज़वी के इस बयान का देश भर में कड़ा विरोध हो रहा है।
इस्लामी संगठनों का कहना है कि वसीम रिज़वी ने वक्फ़ बोर्ड की संपत्तियों में बड़े बड़े घोटाले किए हैं और वह जांच से बचने के लिए बीजेपी एवं आरएसएस के नेताओं के तलवे चाट रहे हैं।
जमियते ओलमाए हिंद ने वसीम रिज़वी को एक क़ानूनी नोटिस भेजकर उनसे मदरसों और पूरे मुस्लिम समुदाय का अपमान करने के लिए स्पष्टीकरण मांगा है।
मदसरों के ख़िलाफ़ वसीम रिज़वी के विवादित बयान की शिया मुसलमान और शिया धर्मगुरू भी व्यापक पैमाने पर निंदा कर रहे हैं।
लखनऊ में वरिष्ठ शिया धर्मगुरू मौलाना कल्बे जवाद ने उत्तर प्रदेश सरकार से मांग की है कि रिज़वी को शिया सेंट्रल वक्फ़ बोर्ड के अध्यक्ष पद से तत्काल रूप से हटाया जाए।
उन्होंने चेतावनी दी है कि अगर योगी सरकार ने मुस्लिम समुदाय की इस मांग पर कान नहीं धरा तो वह सरकार के ख़िलाफ़ एक बड़ा आंदोलन शुरू करेंगे।
नेतनयाहू की यात्रा से पहले राजधानी दिल्ली में जला इस्राईली प्रधानमंत्री का पुतला
मजलिसे ओलमाए हिन्द दिल्ली ने ज़ायोनी शासन के प्रधानमंत्री की प्रस्तावित भारत यात्रा से ठीक पहले राजधानी दिल्ली में ज़बरदस्त विरोध-प्रदर्शन किया।
दिल्ली से हमारे संवाददाता की रिपोर्ट के अनुसार मजलिसे ओलमाए हिन्द की ओर से आयोजित इस विशाल विरोध-प्रदर्शन में शिया-सुन्नी मुसलमानों के साथ-साथ दूसरे धर्मों के शांतिप्रिय लोगों ने भी भाग लिया।
सैकड़ों की संख्या में एकत्रित हुए प्रदर्शनकारियों ने इस्राईली प्रधानमंत्री नेतनयाहू की प्रस्तावित भारत यात्रा के विरोध में जमकर नारे लगाए। प्रदर्शन कर रहे लोग यह मांग कर रहे थे कि भारत सरकार फ़िलिस्तीन की अत्याचारग्रस्त जनता के समर्थन में अत्याचारी ज़ायोनी शासन के प्रधानमंत्री की भारत यात्रा के कार्यक्रम को रद्द करे।
ईरान, सोमवार को आम शोक की घोषणा
ईरान के सांची नामक तेल टैंकर के पूर्वी चीन में दुर्घटनाग्रस्त होने और 32 कर्मचारियों के हताहत होने के बाद सरकार ने सोमवार 15 जनवरी को आम शोक की घोषणा की।
इस्लामी गणतंत्र ईरान की सरकार ने एक बयान जारी करके तेल टैंकर की घटना में हताहत होने वाले कर्मचारियों के परिजनों को सांत्वना देते हुए देश के तेल उद्योग के प्रयासों की सराहना की और सोमवार को आम शोक की घोषणा की।
ज्ञात रहे कि 6 जनवरी को चीन का एक मालवाहक जहाज़ इस देश के पूर्वी तट पर ईरान के एक तेल टैंकर से टकराया था। यह टक्कर, ईरानी तेल टैंकर में आग लगने और विस्फोट का कारण बनी। ईरानी तेल टैंकर सांची पर 32 कर्मचारी सवार थे जिनमें 2 बांग्लादेशी थे। इससे पहले किये जाने वाले प्रयास के परिणाम स्वरूप तीन लोगों के शव प्राप्त किये जा सके जो ईरानी हैं।
ईरान के जहाज़रानी व बंदरगाह विभाग ने इससे पहले पुष्टि की थी कि ईरान का एक तेल टैंकर, चीन के तट पर डूब गया जिसमें 32 कर्मचारी भी थे। जहाज़रानी विभाग के अनुसार इस तेल टैंकर में आग लग गई थी। सांची तेल टैंकर की स्थिति की जानकरी लेने चीन पहुंचे मुहम्मद रासताद ने रविवार को शंघाई में बताया कि तेल टैंकर में आग इतनी ज़्यादा भड़क चुकी थी कि उसमें प्रवेश करना असंभव हो चुका था। उन्होंने बताया कि तेल टैंकर में फैली आग के कारण उस पर सवार लोगों में से किसी के जीवित बचने की कोई आशा नहीं रही थी।
इस्लामी गणतंत्र ईरान के राष्ट्रपति डाक्टर हसन रूहानी ने रविवार को एक संदेश में विदेशमंत्रालय, तेल मंत्रालय और परिवहन मंत्रालय सहित संबंधित संबंधित संस्थाओं से घटना की जांच के आदेश दिए और भविष्य में इस प्रकार की घटनाओं को रोकने की मांग की है।
हम अमरीका से नहीं डरते, क्षेत्र और ईरान से अमरीका को हमने खदेड़ाः वरिष्ठ नेता
इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने कहा है कि एक बार फिर ईरानी जनता ने पूरी शक्ति के साथ अमरीका और ब्रिटेन को मुंह तोड़ उत्तर दिया हे और उन्हें स्पष्ट संदेश दे दिया है कि इस बार भी तुम कुछ नहीं कर सके और आगे भी कुछ नहीं कर सकोगे।
क़ुम के हज़ारों लोगों ने 19 दय बराबर 9 जनवरी 1978 में क़ुम की जनता के क्रांतिकारी आंदोलन की वर्षगांठ के अवसर पर मंगलवार को इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता से मुलाक़ात की।
इस अवसर पर संबोधित करते हुए वरिष्ठ नेता ने कहा कि इस्लामी क्रांति ने ईरान में दुश्मनों की जड़ें काट कर फेंक दी इसीलिए दुश्मन निरंतर क्रांति से बदला लेने का प्रयास करता है और हर बार उसको विफलता का मुंह देखना पड़ता है और ईरानी जनता के प्रतिरोध और संघर्ष से वह आगे भी कुछ नहीं कर सकेगा।
इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने इस्लामी व्यवस्था और क्रांति के मूल्यों के समर्थन में पिछले कुछ दिनों के दौरान ईरानी जनता द्वार निकाली गयी भव्य रैलियों की ओर संकेत करते हुए कहा कि ईरानी जनता ने इस बार भी अमरीका, ब्रिटेन और लंदन में बैठे हुए तत्वों को पूरी शक्ति के साथ मुंह तोड़ जवाब दिया और यह संदेश दे दिया कि इस बार भी तुम कुछ नहीं कर सकोगे।
आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने कहा कि दुश्मन के षड्यंत्रो के मुक़ाबले में ईरानी जनता की ओर से इस प्रकार की निकाली गयी व्यवस्थित, तत्वदर्शी और भव्य रैलियों का दुनिया में कहीं भी उदाहरण नहीं मिलता और ईरानी जनता की इस प्रकार की भव्य रैलियों का क्रम पिछले चालीस वर्षों से जारी है।
उन्होंने कहा कि यह एक साल, दो साल और पांच साल की बात नहीं है बल्कि ईरान की जनता का युद्ध ईरानी राष्ट्र के दुश्मनों से है, ईरान की जंग, ईरान के विरोधियों से है, इस्लाम का युद्ध, इस्लाम के दुश्मनों से है और यह क्रम जारी है।
इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने पिछले दिनों कुछ शहरों में जनता की वैध मांगों को लेकर किए गये प्रदर्शनों और बाद में इन प्रदर्शनों में कुछ अराजक तत्वों के शामिल हो जाने और उपद्रवी कार्यवाही अंजाम दिए जाने का उल्लेख करते हुए कहा कि जनता की क़ानूनी और वैध मांगों में, और हंगामे तथा पवित्र स्थालों का अनादर करने वालों की कार्यवाहियों में अंतर है।
उन्होंने कहा कि कुछ लोग अपनी वैध मांगों को लेकर प्रदर्शन करें , रैलियां करें, इसमें कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता किन्तु कुछ लोग इन प्रदर्शनों से ग़लत लाभ उठाकर पवित्र स्थलों का अनादर करें, राष्ट्रीय ध्वज को आग लगाएं, मस्जिदों को नुक़सान पहुंचाएं, यह अलग विषय है और दोनों को आपस में नहीं मिलाया जात सकता और अपनी वैध मांगों के संबंध में प्रदर्शन करने वालों ने भी तुरंत स्वयं को इन तत्वों से अलग कर दिया।
वरिष्ठ नेता ने कहा कि इन हंगामों के पीछे एक त्रिकोण लिप्त है। उन्होंने कहा कि अमरीका, ज़ायोनी शासन, फ़ार्स की खाड़ी के आसपास की एक मालदार सरकार और आतंकवादी गुट एमकेओ ने इन हंगामों की योजना तैयार की िी और इस का सारा ख़र्चा इसी मालदार सरकार ने ही उठाया क्योंकि जब तक यह सरकारें हैं अमरीका पैसे ख़र्च नहीं कर सकता।
उन्होंने ईरान से अमरीकी अधिकारियों की दुश्मनी और अप्रसन्नता का उल्लेख करते हुए कहा कि अमरीका, ईरानी जनता और सरकार से इसके लिए बहुत अधिक नाराज़ है कि उसको इस्लामी क्रांति और ईरानी जनता से पराजय हुई है। उन्होंने ईरान की इस्लामी व्यवस्था को जनव्यवस्था क़रार देते हुए कहा कि ईरान की सरकार अपनी जनता पर ही भरोसा करती है क्योंकि यह सरकार ईरानी जनता की अपनी निर्वाचित और बनाई हुई सरकार है।
इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने अमरीकी अधिकारियों के इस प्रकार के बयान को निर्लज्जता बताते हुए कि जिनमें वह कहते हैं कि ईरान, अमरीका की शक्ति से डरता है, कहा कि यदि तुमसे डरते तो 1970 के दशक के अंत में हमने तुम्हें ईरान से कैसे निकाल दिया और अभी कुछ वर्षों में तुम्हें पूरे क्षेत्र से कैसे निकाल दिया?
रोहंग्गियाइयों के नियमित क्लियरेंस के व्यवस्थित संरचना की पुष्टि
रिपोर्ट ढाका ट्रिब्यून न्यूज एजेंसी के अनुसार, इस्लामी सहयोग संगठन के स्थायी मानवाधिकार आयोग ने कल 6 जनवरी को रोहिंगया मुस्लिमों के मानवाधिकारों के बड़े पैमाने पर व्यवस्थित उल्लंघन से संबंधित ऐक बयान जारी करने के साथ अपना विरोध व्यक्त किया।
इस आयोग ने अपने बयान में कहा: रोहिंगया मुसलमानों की स्थित एक संगठित जातीय सफाई को दर्शाती है, जो अंतरराष्ट्रीय कानून के अनुसार मानवता के खिलाफ अपराध है और किसी भी तरह इसे रोकना चाहिए।
यान में कहा गया है कि रोहिंगया मुसलमान जो नस्ल, धर्म और मूल के लिए बलि चढ़ रहे हैं, दुनिया में मानव जाति के खिलाफ अपराधों और नस्लीय सफाई का सबसे बुरा उदाहरण है।
इस्लामी सहयोग संगठन के मानव अधिकारों के स्थायी आयोग ने इस बयान में म्यांमार सरकार से मांग की है कि वह रोहंग्या मुसलमानों के खिलाफ हिंसा को तुरंत समाप्त करने और अपराधों के अपराधियों को दंडित करने के लिए निर्णायक कदम उठाए।
इसी तरह रोहिंग्या मुसलमानों के खिलाफ भेदभावपूर्ण नीतियों को बदलने और मानवीय सहायता तक उनकी पहुंच को मुम्किन बनाने पर जोर दिया।
ओआईसी के स्थायी मानवाधिकार आयोग ने इसी तरह अंतरराष्ट्रीय समुदाय से सामान्य और ओआईसी सदस्य देशों से ख़ास तौर पर आग्रह किया है कि म्यांमार पर दबाव के साथ इस देश की सरकार को रोहिंग्या मुसलमानों के बारे में अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार कानून का पालन करने के लिए मजबूर करें।
नेतनयाहू की भारत यात्रा का खुलकर विरोध करेंगेः महमूद मदनी
जमीअते ओलमाए हिंद के महासचिव ने घोषणा की है कि उनका संगठन, नेतनयाहू की भारत यात्रा का खुलकर विरोध करेगा।
भारत के पूर्व सांसद और जमीअते ओलमाए हिंद के महासचिव का कहना है कि ज़ायोनी शासन के प्रधानंत्री की भारत यात्रा का पुरज़ोर विरोध किया जाएगा।
महमूद मदनी ने शुक्रवार को देवबंद में अपने निवास पर संवाददाताओं से बात करते हुए कहा कि भारत ने सदैव ही फ़िलिस्तीन, का समर्थन किया है और फ़िलिस्तीन आरंभ से ही भारत का मित्र रहा है। उन्होंने कहा कि जमिअते ओलमाए हिंद, प्रधानमंत्री मोदी से मांग करता है कि वे नेतनयाहू को भारत आने से रोकें। मदनी ने कहा कि नेतनयाहू के भारत आने से देश के मुसलमानों को ग़लत संदेश जाएगा। महमूद मदनी ने कहा कि भारत की विदेश नीति में बदलाव नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि देश की विदेश नीति सदैव फ़िलिस्तीन के हित में रही है।
उल्लेखनीय है कि भारत के कुछ अन्य इस्लामी संगठनों ने भी घोषणा की है कि अगर नेतनयाहू भारत दौरे पर आते हैं तो वे उनको काले झंड़े दिखाएंगे। नेतनयाहू को काला झंड़ा दिखाने की चेतवानी देने वाले संगठनों के अनुसार हम फ़िलिस्तीन की जनता के प्रति अपना समर्थन और एकजुटता दिखाने के लिए एसा करेंगे। ज्ञात रहे कि कार्यक्रम अनुसार ज़ायोनी शासन के प्रधानमंत्री नेतनयाहू 14 जनवरी को भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निमंत्रण पर भारत की यात्रा पर आने वाले हैं।
नई दिल्ली पुस्तक मेले में ईरानी बुक स्टाल्स पर भारतीयों की भीड़
भारत की राजधानी नई दिल्ली के प्रगति मैदान पर चल रहे अंतर्राष्ट्रीय पुस्तक मेले में ईरानी प्रकाशकों ने बढ़चढ़कर भाग लिया।
प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार, इस अंतर्राष्ट्रीय पुस्तक मेले में ईरानी प्रकाशकों ने 1200 पुस्तकें पेश कीं। रिपोर्ट में बताया गया है कि ईरानी प्रकाशकों के तीन बुक स्टाल है जिन पर क्लासिकल साहित्य, कला, उपन्यास, धार्मिक, बाल्य, इस्लामी और ईरानी जैसे अनेक विषयों पर पुस्तकें पेश की गयी थीं।
ईरानी प्रकाशकों ने इसी पवित्र प्रतिरक्षा, समकालीन शायरों के दीवान तथा ईरानी व इस्लामी संस्कृति व सभ्यता की पहचान के लिए उर्दू, अंग्रेज़ी और फ़ारसी भाषा की पुस्तकें किताब मेले में पेश कीं।
इस अंतर्राष्ट्रीय पुस्तक मेले में दुनिया के चालीस देशों के प्रकाशक भाग ले रहे हैं। इस पुस्तक मेले का मुख्य विषय, पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन है और इस पुस्तक मेले में इस विषय पर 500 से अधिक किताबें पेश की गयी हैं।
ईरान, भारत से 60 करोड़ डॉलर मूल्य के लोकोमोटिव ख़रीदेगा
ईरान और भारत ने माल गाड़ी के इंजन या लोकोमोटिव की ख़रीदारी के एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं।
ईरान की रेलवे कंपनी एवं परिवहन योजना के उप निदेशक और भारत की रेलवे कंपनी राइट्स लिमिटेड के प्रबंधकों ने लोकोमोटिव की ख़रीद के समझौते पर हस्ताक्षर किए।
शुक्रवार को प्राप्त रिपोर्ट के मुताबिक़, इस समझौते के मुताबिक़ भारत की राइट्स लिमिटेड कंपनी ईरान की रेलवे कंपनी को 60 करोड़ डॉलर मूल्य के 200 लोकोमोटिव उपलब्ध कराएगी।
ईरान के सड़क एवं शहरी विकास मंत्री अब्बास आख़ूंदी ने इस संदर्भ में कहा है कि "इस समझौते के मुताबिक़, कुछ लोकोमोटिव का उत्पादन ईरान में ही किया जाएगा।"
उन्होंने कहा कि लोकोमोटिव की ख़रीद का समझौता, ईरान और भारत के बीच एक महत्वपूर्ण औद्योगिक सहकारिता होगी।
आख़ूंदी का कहना था कि भारतीय रेलवे में 13 लाख कर्मचारी काम करते हैं और यह देश लोकोमोटिव के उत्पादन में आधुनिक तकनीक का प्रयोग करता है।
ईरान के सड़क एवं शहरी विकास मंत्री बुधवार को दिल्ली में आयोजित भारत-ईरान व्यापार सहयोग सम्मेलन में भाग लेने के लिए नई दिल्ली पहुंचे थे।