
رضوی
इमामे जुमा तेहरान, बैतुल मुक़द्दस को इस्राईल की राजधानी के रूप में मान्यता देना, अमरीका को डुबो देगा
तेहरान के इमामे जुमा ने जुमे की नमाज़ के ख़ुतबों में कहा है कि बैतुल मुक़द्दस को इस्राईल की राजधानी के रूप में मान्यता देना, अमरीका के पतन का कारण बनेगा।
अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प द्वारा बैतुल मुक़द्दस को इस्राईल की राजधानी घोषित किए जाने की ओर संकेत करते हुए तेहरान के इमामे जुमा आयतुल्लाह मोहम्मद अली मोवह्हदी किरमानी ने कहा, ट्रम्प का पतन हो रहा है और यहां तक कि अमरीकी राष्ट्रपति के इस फ़ैसले की आलोचना ख़ुद अमरीका के घटक देश कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि विश्व समुदाय ने अमरीका के इस फ़ैसले को ख़ारिज कर दिया है।
आयतुल्लाह किरमानी का कहना था कि अमरीका के पूर्व अधिकारियों ने मध्यपूर्ण में 7 ट्रिलियन डॉलर ख़र्च किए हैं, अमरीका ने यह राशि इस्लाम, मानवता, ईरान और आज़ादी चाहने वालों लोगों को नुक़सान पहुंचाने के लिए ख़र्च की थी, लेकिन वह पूर्ण रूप से असफल रहा है।
अमेरिका ईरानी राष्ट्र से आत्म विश्वास की भावना ख़त्म करना चाहता हैः वरिष्ठ नेता
अमेरिकी क्रिया- कलापों के संबंध में एक ध्यान योग्य बिन्दु यह है कि विदित में किये जाने वाले दावे के खिलाफ अमेरिका ने कभी भी क्षेत्र से आतंकवाद को जड़ से ख़त्म करने का प्रयास नहीं किया है।
इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़्मा सैयद अली ख़ामनेई ने अधिकारियों से मुलाक़ात में भ्रांति फैलाने और ईरानी राष्ट्र से आत्म विश्वास की भावना को खत्म करने हेतु अमेरिकी प्रयासों की ओर संकेत किया और बल देकर कहा कि ईश्वर की कृपा, होशियारी और लोगों के प्रतिरोध से अतीत की भांति दुश्मनों को धूल चटायेंगे।
अमेरिका की साम्राज्यवादी प्रवृत्ति बारमबार ईरानी राष्ट्र के लिए सिद्ध हो चुकी है परंतु इस बात में कोई संदेह नहीं है कि अमेरिका की वास्तविक पहचान के संबंध में वरिष्ठ नेता ने जो बातें कहीं हैं वह क्षेत्र में अमेरिकी षडयंत्रों के बारे में वरिष्ठ नेता की गम्भीर चेतावनी है।
अमेरिकी क्रिया- कलापों के संबंध में एक ध्यान योग्य बिन्दु यह है कि विदित में किये जाने वाले दावे के खिलाफ अमेरिका ने कभी भी क्षेत्र से आतंकवाद को जड़ से ख़त्म करने का प्रयास नहीं किया है।
अमेरिका ने दाइश और दूसरे आतंकवादी गुटों, आले सऊद जैसी तानाशाही व अत्याचारी सरकारों और जायोनी शासन का समर्थन करके अपनी वास्तविक व भ्रष्ट प्रवृत्ति स्पष्ट कर दिया है।
अमेरिकी क्रिया- कलापों के दृष्टिगत दूसरा ध्यान योग्य बिन्दु यह है कि अमेरिका इस्लामी देशों विशेषकर ईरान की इस्लामी व्यवस्था का विरोधी है।
तीसरा बिन्दु सुरक्षा के साथ प्रगति है और यह चीज़ न केवल ईरान बल्कि समस्त स्वतंत्र राष्ट्रों के लिए महत्वपूर्ण है और यह वह बिन्दु है जिस पर इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने अपने संबोधन में बल दिया।
बहरहाल अमेरिका का वास्तविक लक्ष्य मतभेद व भ्रांति उत्पन्न करके क्षेत्रीय राष्ट्रों को एक दूसरे से लड़ाना है।
अमेरिका के प्रसिद्ध बुद्धिजिवी व विचारक नोअम चामस्की का कहना है कि अमेरिका ईरान को सुरक्षा के लिए सबसे बड़ा ख़तरा बताता है जबकि विश्व समुदाय का मानना है कि अमेरिका विश्व की शांति व सुरक्षा के लिए सबसे बड़ा ख़तरा है।
ईरान में सभी धर्मों को आज़ादी प्राप्त है: ईरानी आर्च बिशप
तेहरान में ईसाई धर्म के वरिष्ठ धर्मगुरू ने कहा कि इस्लामी गणतंत्र ईरान के क़ानून के तहत इस देश में हर धर्म और वर्ग के लोगों को पूरी आज़ादी और सम्मान प्राप्त है।
हज़रत ईसा के शुभ जन्म दिवस के अवसर पर राजधानी तेहरान में आयोजित इस्लामिक परिषद की 33वीं कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए आर्च बिशप “सब्वा सारकीसयान” ने कहा कि इन शुभ दिनों में मैं कामना करता हूं कि दुनिया में शांति और भाईचारा पैदा हो, जिसकी सबसे अधिक आवश्यकता है।
आर्च बिशप “सारकीसयान” ने कहा कि दुनिया आगर चाहती है कि इस धरती पर युद्ध न हो और शांति स्थापित हो तो सबसे पहले न्याय स्थापित करना होगा और किसी भी राष्ट्र के अधिकारों के मार्ग में रुकावट पैदा करना बंद करना होगा। ईसाई धार्मिक नेता ने कहा कि जिस दिन हम दुनिया में न्याय स्थापित कर लेंगे उस दिन इस धरती पर प्रेम, भाईचारा और राष्ट्रों के बीच अच्छे संबंध देखने को मिलेंगे।
उन्होंने कहा कि ईरान, आपसी संपर्क और राष्ट्रों के बीच एकता स्थापित करने का केंद्र है। आर्च बिशप “सारकीसयान” ने कहा कि साम्राज्यवादी शक्तियां ईरान पर तरह-तरह के आरोप लगाती हैं लेकिन दुनिया के लोग उनके झांसे में न आएं और ईरान आकर देखें कि कैसे सारे धर्म के लोग भाईचारे के साथ बिना किसी मतभेद के शांतिपूर्ण जीवन व्यतीत कर रहे हैं।
ईरान में ईसाई धर्म के वरिष्ठ धर्मगुरू ने ट्रम्प के हालिया शैतानी फ़ैसले की कड़े शब्दों में निंदा करते हुए कहा कि हमें आशा है कि फ़िलिस्तीनी जनता अपने अधिकार प्राप्त करके रहेगी। उन्होंने कहा कि बैतुल मुक़द्दस हमेशा से फ़िलिस्तीन की राजधानी था और आगे भी उसी की राजधानी रहेगा।
अमरीका इतनी उलझन का शिकार क्यों है?
पश्चिमी एशिया के क्षेत्र में जो नई स्थिति जन्म ले रही है वह हक़ीक़त में उस रसूख़ की लड़ाई का नतीजा है जो कई वर्षों से इस्लामी गणतंत्र ईरान के नेतृत्व में इस्लामी प्रतिरोधक ब्लाक और अमरीका के बीच जारी है। इस युद्ध में अमरीका के घटक उसका साथ दे रहे हैं।
वैसे तो यह लड़ाई पिछले लगभग चालीस साल से जारी है लेकिन हालिया दस वर्षों में यह लड़ाई अधिक जटिल और व्यापक हो चली है।
वर्तमान परिस्थितियां दो परिवर्तनों को रेखांकित करती हैं। एक तो अमरीका की ताक़त और रसूख़ में स्पष्ट कमी तथा दूसरी ईरान की शक्ति और प्रभाव में तेज़ वृद्धि। बहुत से विशलेषकों का मानना है कि अमरीका इलाक़े में ईरान के मुक़ाबले में बुरी तरह उलझाव और कन्फ़्युजन का शिकार है, इसी लिए उसको लगातार विफलताओं का सामना करना पड़ रहा है।
वरिष्ठ विशलेषक माइकल यांग ने दि नेशनल इंस्टीट्यूट की वेबसाइट पर प्रकाशित होने वाले अपने लेख में लिखा है कि अमरीका के पास इलाक़े में ईरान के प्रभाव का मुक़ाबला करने के लिए कोई रणनीति ही नहीं है। इसी बारे में जार्ज फ़्रेडमैन इस बात पर ज़ोर देते हुए लिखते हैं कि अमरीका इराक़ में जन्म लेने वाली इस्लामी जागरूकता की लहर की वजह से तबाह हाल हो चुका है। इसी जागरूकता के कारण इलाक़े के समीकरण अमरीका के अहित और ईरान के हित में बदल गए हैं। उन्होंने आगे लिखा कि अमरीका नए इराक़ के तथ्यों से ख़ुद को समन्वित नहीं कर पा रहा है। अमरीकी नीतियों के चलते दाइश संगठन अस्तित्व में आया इस समस्या ने ख़ुद भी ईरान के लिए इलाक़े के दरवाज़े पूरी तरह खोल दिए। वाशिंग्टन ईरान की परमाणु शक्ति में ही उलझा रहा जबकि वह इस हक़ीक़त से अनभिज्ञ रहा कि ईरान का राजनैतिक प्रभाव उसकी परमाणु शक्ति से अधिक महत्वपूर्ण है।
सेंट एंथोनी कालेज के शरमेन नरवानी ने हाल ही में एक कालम में लिखा कि अब जबकि 2017 का साल समाप्त होने वाला है तो सीरिया युद्ध में शामिल देश इस देश में न्यू आर्डर की स्थापना की ओर बढ़ रहे हैं लेकिन अमरीका इसमें कोई स्थान नहीं है। पश्चिमी एशिया में जारी बदलाव का दूसरा पहले ईरान के बढ़ते प्रभाव पर आधारित है। इस इलाक़े के संकटों के समाधान में ईरान की प्रभावी भूमिका को देखते हुए बहुत से पश्चिमी स्ट्रैटेजिस्ट भी इसे ईरान के उदय का क्षण मान रहे हैं। उनका मानना है कि इलाक़े की स्थिति अपरिहार्य दिशा में बढ़ रही है और दुनिया की कोई भी ताक़त ईरान को पीछे हटाने की क्षमता नहीं रखती।
जार्ज फ़्रेडमैन ने हफ़िंग्टन पोस्ट में एक कालम लिखा है जिसका शीर्षक है ईरान मध्यपूर्व को नया रूप दे रहा है। इस कालम में फ़्रेडमैन ने लिखा है कि मध्यपूर्व एक नई और पूरी तरह से भिन्न शक्ल प्राप्त कर चुका है। ईरान के बढ़ते प्रभाव पर ध्यान केन्द्रित करने की ज़रूरत है।
फ़ारसी सीखें-25वां पाठ
आज की चर्चा में हम आपको एक सक्रिय ईरानी युवा से परिचित कराना चाहते हैं। हुसैन अहमदी एक सफल व मेहनती युवा हैं। उन्होंने अर्थशास्त्र की पढ़ाई की है और अन्य देशों को सूखे फल निर्यात करने का काम करते हैं। श्री महदी अलवी उनके भागीदार है जिन्होंने उद्योग के क्षेत्र में इंजीनियरिंग की डिग्री ली है। दोनों ने संयुक्त रूप से पूंजीनिवेश करके फल सुखाने की कई मशीनें ख़रीदी हैं। दोनों प्रतिवर्ष उचित फ़स्लों में ईरान के विभिन्न नगरों की यात्रा करते हैं, देहातों में जाते हैं और ईरान के विभिन्न क्षेत्रों से अच्छे फल व कृषि उत्पाद ख़रीदते हैं। वे अच्छे-अच्छे फलों को ख़रीद कर उन्हें सुखाते हैं और अन्य देशों की मंडियों के लिए एक स्तरीय एवं नया उत्पाद तैयार करते हैं। सुंदर पैकिंग में रंग-बिरंगे सूखे हुए फल हर ग्राहक का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करते हैं। श्री अहमदी, रामीन के पुराने मित्रों में से एक हैं। वे कभी कभी रामीन से मिलने के लिए भी जाते हैं और उसके लिए सूखे हुए फल उपहार स्वरूप ले जाते हैं। मुहम्मद को भी यह स्वादिष्ट उत्पाद बहुत पसंद आया है और वह रामीन से श्री अहमदी की आर्थिक गतिविधियों के बारे में बात कर रहा है। तो आइये पहले दोनों की बातचीत में प्रयोग होने वाले कुछ नए शब्दों पर ध्यान दीजिए।
ترجمه و تکرار دو بار
به به वाह वाह
میوه फल
میوه ها फल (बहुवचन)
خوشمزه स्वादिष्ट
نوش جان खाइए
تولید کننده उत्पादक
صادر کننده निर्यातकर्ता
خشک सूखा
خشک شده सूखा हुआ
دوستان मित्र (बहुवचन)
قدیمی प्राचीन
شغل काम, व्यवसाय
جالب रोचक
صادرات निर्यात
چگونه किस - प्रकार
او تهیه می کند वह तैयार करता है
خودش वह - स्वयं
او می خرد वह ख़रीदता है
کشاورزها - کشاورزان किसान (बहुवचन)
شریک भागीदार, घटक
مختلف विभिन्न
کارخانه कारख़ाना
کوچک छोटा
کشور देश
دیگر अन्य
بزرگ बड़ा
ولی किंतु
کمک सहायता
محصولات उत्पाद,
ظاهرا" विदित रूप से
متنوع विविध प्रकार के,
انجیر अंजीर
سیب सेब,
گلابی नाश्पाती
خرمالوपेरसिमोन,
گیلاس चेरी
پرتقال एक प्रकार की मौसंबी
شهرها गर (बहुवचन)
درست است सही है
آنها می خرند वे ख़रीदते हैं
حالا अब, तो, अच्छा तो
کدامकौन सा
عرب अरब
حاشیه तट, किनारा
خلیج فارس फ़ार्स की खाड़ी
چند कितना, कितने
اروپایی युरोपीय
به نظر من मेरे विचार में
آنها توسعه می دهند वे विकसित करते हैं
مطمئنا" निश्चित रूप से
مردم लोग
तो आइये अब मुहम्मद और रामीन के पास चलते हैं। मुहम्मद, मेज़ पर रखे हुए सूखे फल खा रहा है। वे अत्यंत स्वादिष्ट और मनमोहक हैं। दोनों के बीच होने वाली बात चीत पर ध्यान दीजिए।
ترجمه و تکرار دو بار
محمد - بَه بَه ! چه میوه های خوشمزه ای !
मुहम्मदः वाह वाह कितने स्वादिष्ट फल हैं !
رامین - نوش جان . امروز آقای احمدی اینجا بود
रामीनः खाइये न, आज श्री अहमदी यहां थे।
محمد - آقای احمدی کیست ؟
मुहम्मदः श्री अहमदी कौन हैं ?
رامین - حسین احمدی ، تولید کننده و صادر کننده میوه های خشک است . او از دوستان قدیمی ماست .
रामीनः हुसैन अहमदी, सूखे फलों के उत्पादक व निर्यातक हैं। वे हमारे पुराने मित्रों में से हैं
محمد - چه شغل جالبی ! صادرات میوه های خشک ! چگونه این میوه های خشک تهیه می شود ؟
मुहम्मदः कितना रोचक काम है! सूखे फलों का निर्यात! ये सूखे फल किस प्रकार तैयार होते हैं ?
رامین - او میوه های مختلف را از کشاورزان می خرد و شریکش آقای علوی ، میوه ها را در کارخانه اش خشک می کند .
रामीनः वे किसानों से विभिन्न फल ख़रीदते हैं और उनके भागीदार श्री अलवी फलों को अपने कारख़ाने में सुखाते हैं।
محمد - و آقای احمدی میوه های خشک شده را به کشورهای دیگر صادر می کند .
मुहम्मदः और श्री अहमदी सूखे हुए फलों को अन्य देशों को निर्यात करते हैं।
رامین - البته آنها کارخانه بزرگی ندارند ، ولی با کمک کشاورزان ، محصولات خوبی را تولید می کنند.
रामीनः हां किंतु उनका कारख़ाना बड़ा नहीं है पर वे किसानों की सहायता से अच्छे उत्पाद तैयार करते हैं।
محمد - ظاهرا" محصولاتشان متنوع است . انجیر ، سیب ، گلابی ، خرمالو ، گیلاس ، پرتقال
मुहम्मदः विदित रूप से उनके उत्पादों में विविधता भी है, अंजीर, सेब, नाश्पाती, चेरी, ख़ुर्मालू और मौसंबी
رامین - درست است . آنها از شهرهای اردبیل ، مشهد ، اصفهان و ورامین میوه می خرند .
रामीनः सही है , वे अर्दबील, मशहद, इस्फ़हान और वरामीन जैसे नगरों से फल ख़रीदते हैं।
محمد - حالا این محصولات خوشمزه را به کدام کشورها صادر می کنند ؟
मुहम्मदः अच्छा तो वे इन स्वादिष्ट फलों को किन देशों को निर्यात करते हैं ?
رامین - به کشورهای عربی حاشیه خلیج فارس و چند کشور اروپایی .
रामीनः फ़ार्स की खाड़ी के तटवर्ती कुछ अरब और कुछ युरोपीय देशों को ।
محمد - به نظر من آنها باید کارشان را توسعه دهند . مطمئنا" مردم همه کشورها از این میوه ها خوششان می آید .
मुहम्मदः मेरे विचार में उन्हें अपने काम को बढ़ाना चाहिए। निश्चित रूप से सभी देशों के लोग इन फलों को पसंद करेंगे।
आइये रामीन और मुहम्मद की बातचीत पर फिर एक दृष्टि डालते हैं किंतु इस बार बिना अनुवाद के।
بدون ترجمه و تکرار یک بار
محمد - بَه بَه ! چه میوه های خوشمزه ای ! رامین - نوش جان . امروز آقای احمدی اینجا بود . محمد - آقای احمدی کیست ؟ رامین - حسین احمدی ، تولید کننده و صادر کننده میوه های خشک است . او از دوستان قدیمی ماست . محمد - چه شغل جالبی ! صادرات میوه های خشک ! چگونه این میوه های خشک تهیه می شود ؟ رامین - او میوه های مختلف را از کشاورزان می خرد و شریکش آقای علوی ، میوه ها را در کارخانه اش خشک می کند . محمد - و آقای احمدی میوه های خشک شده را به کشورهای دیگر صادر می کند . رامین - البته آنها کارخانه بزرگی ندارند ، ولی با کمک کشاورزان ، محصولات خوبی را تولید می کنند . محمد - ظاهرا" محصولاتشان متنوع است . انجیر ، سیب ، گلابی ، خرمالو ، گیلاس ، پرتقال .رامین - درست است . آنها از شهرهای اردبیل ، مشهد ، اصفهان و ورامین میوه می خرند . محمد - حالا این محصولات خوشمزه را به کدام کشورصادر می کنند ؟ رامین - به کشورهای عربی حاشیه خلیج فارس و چند کشور اروپایی . محمد - به نظر من آنها باید کارشان را توسعه دهند . مطمئنا" مردم همه کشورها از این میوه ها خوششان می آید .
मुहम्मद और रामीन ने सूखे फल खाते हुए श्री अहमदी की कार्य शैली के बारे में बात की। रामीन ने बताया कि वे बड़े ही परिश्रमी व्यक्ति हैं। उन्होंने अपने परिश्रम और कई शिक्षित युवाओं के सहयोग से यह कार्य आरंभ किया। कृषि के क्षेत्र में पढ़ाई करने वाले कुछ युवा इस समय सफल किसान हैं और अच्छे फल उपलब्ध कराने में श्री अहमदी की सहायता करते हैं। श्री अलवी और कुछ अन्य युवा फलों को सुखाने और उनकी पैकिंग करने में श्री अहमदी से सहयोग करते हैं। फलों की पैकिंग अत्यंत विकसित, विविध एवं उच्च कोटि की होती है। कुल मिला कर उनके उत्पादों का स्तर बहुत ऊंचा होता है। मुहम्मद कहता है कि श्री अहमदी को अन्य लोगों के पूंजीनिवेश से भी लाभ उठा कर अपने व्यापार को बढ़ाना चाहिए तथा अधिक देशों में अपने फलों को निर्यात करना चाहिए। उनका यह काम निश्चित रूप से सफल रहेगा क्योंकि उच्च कोटि और ऊंचे स्तर के उत्पादों का ख़रीदार सदैव ही स्वागत करते हैं।
हज़रत ईसा मसीह का शुभ जन्म दिवस
सलाम हो ईश्वर का संदेश लाने वालों पर, सलाम हो उन पर जो ईश्वरीय दया की वर्ष की तरह प्यासी आत्माओं पर बरसते हैं और इंसान की मुरझाई हुई आत्मा को, उच्चतम ईश्वरीय शिक्षाओं की बारिश से प्रफुल्लित करते हैं।
ईश्वर का सलाम हो ईसा मसीह पर जिन्होंने मरे हुए लोगों को जीवित और सोए हुए लोगों को जागृत किया। सलाम हो उनकी महान माता पर जिन्होंने न्याय व शांति की प्यासी मानवता को इस प्रकार के इंसान का तोहफ़ा दिया और सलाम हो हज़रत ईसा के सच्चे अनुयाइयों पर जो उनकी और अन्य ईश्वरीय दूतों की उच्च शिक्षाओं व विचारों का प्रचार करते हैं।
25 दिसम्बर ईश्वरीय पैग़म्बर हज़रत ईसा मसीह का शुभ जन्म दिवस है, वे ऐसे पैग़म्बर थे जो संसार के सभी लोगों को प्रेम और ईश्वरीय खोज की शुभ सूचना देने वाले थे। उन्होंने ईश्वर के आदेश पर झूले से ही बात करना शुरू कर दी और निश्चेत लोगों को इस प्रकार संबोधित कियाः मैं ईश्वर का बंदा हूं, उसने मुझे (आसमानी) किताब दी है और मुझे पैग़म्बर बनाया है। मैं जहां भी रहूं मुझे बरकत वाला बनाया है और जब तक मैं जीवित हूं मुझे नमाज़ और ज़कात की सिफ़ारिश की है। (ईश्वर का) सलाम हो मुझ पर जिस दिन मैंने जन्म लिया, जिस दिन मैं मरूंगा और जिस दिन पुनः उठाया जाऊंगा।
हज़रत ईसा मसीह उस काल में दुनिया में आए जब विभिन्न यहूदी गुटों के बीच अपने धर्म के बारे में अत्यधिक मतभेद फैला हुआ था। सेडूसीज़ और फ़ैरीसीज़ जैसे दो मुख्य गुटों का लोगों की आस्थाओं पर गहरा प्रभाव था। सेडूसीज़ गुट में अधिकतर धन संपन्न लोग और धर्मगुरू थे जो अपनी धार्मिक परंपराओं की रक्षा के लिए रोम साम्राज्य से सहयोग करते थे और यूनानी संस्कृति से उनका कोई टकराव नहीं था क्योंकि उनका मानना था कि ईश्वर ने अपनी पवित्र किताब के आचरण और शिष्टाचार ग़ैर यहूदियों में भी प्रसारित किए हैं।
इसके मुक़ाबले में फ़ैरीसीज़ गुट था जिसमें अधिकतर साधारण लोग थे जो धर्मगुरू तो न थे लेकिन उनका प्रभाव सेडूसीज़ से अधिक था। उनका मानना था कि यहूदी जाति को अन्य लोगों से अलग होना चाहिए, उन्हें दूसरों का अनुसरण नहीं करना चाहिए और उनके साथ घुल मिल कर नहीं रहना चाहिए। उनका कहना था कि यहूदियों को अपने धर्म व संस्कृति के मूल्य पर धन व सत्ता हासिल करने की कोशिश नहीं करनी चाहिए। फ़ैरीसीज़ गुट फ़िलिस्तीन में हर जगह मौजूद था और उन्होंने उन उपासना स्थलों पर भी अपना नियंत्रण जमा लिया था जो यहूदियों ने बैतुल मुक़द्दस के बाहर बनाए थे और जहां वे अध्ययन और उपासना के लिए एकत्रित होते थे।
इन दो गुटों के अलावा यहूदियों में सामेरी और ज़िलोट्स जैसे कुछ अन्य गुट भी मौजूद थे। सामेरियों को अन्य मत के लोग काफ़िर मानते थे जबकि ज़िलोट्स युद्धक गुट था जो रोमियों के हाथों फ़िलिस्तीन के अतिग्रहण के ख़िलाफ़ आतंकवाद का सहारा लेता था। यह गुट न केवल रोम वालों को बल्कि अपने विचार में पर्याप्त धर्म परायणता न रखने वाले अपने हमवतन यहूदियों को हमलों का निशाना बनाता था।
हज़रत ईसा मसीह अलैहिस्सलाम इस प्रकार के वातावरण में पैदा हुए। यहूदी जाति के विद्वानों को, अपनी प्राचीन किताबों और भविष्यवाणियों के माध्यम से उनकी विशेषताओं का ज्ञान था लेकिन उन्होंने आरंभ में ही उन सभी बातों की अनदेखी कर दी और इस ईश्वरीय पैग़म्बर के मुक़ाबले में उठ खड़े हुए। उन्होंने पहले क़दम के तौर पर हज़रत ईसा मसीह की माता पर व्यभिचार का आरोप लगाया ताकि मां और बेटे दोनों को लोगों की नज़रों से गिरा दें। लेकिन हज़रत ईसा मसीह अलैहिस्सलाम ने झूले में ही यह कह कर उनके सभी षड्यंत्रों को विफल बना दिया कि मैं ईश्वर का बंदा हूं, उसने मुझे किताब अर्थात इंजील दी है और मुझे पैग़म्बर बनाया है। इस प्रकार मां और बेटा दोनों शत्रुओं के षड्यंत्रों से सुरक्षित रहे।
हज़रत ईसा मसीह सन तीस ईसवी के आस-पास पैग़म्बरी के पद पर नियुक्त हुए। जैसा कि इंजील से पता चलता है उन्होंने लोगों के बीच अपनी पैग़म्बरी की घोषणा की। उन्होंने लोगों को अपने अनुसरण का निमंत्रण दिया और कोशिश की कि यहूदियों के बीच प्रचलित हो जाने वाली पथभ्रष्टताओं का मुक़ाबल करें। उन्होंने यहूदियों के बीच वर्जित व वैध बातों को लेकर जो मतभेद थे उन्हें स्पष्ट किया और कुछ चीज़ें जो उनके लिए वर्जित हो गई थीं, उन्हें वैध घोषित किया। मत्ता की इंजील में लोगों को संबोधित करते हुए उनका जो पहला वाक्य लिखा हुआ है वह यह है कि हे लोगो! तौबा व प्रायश्चित करो कि आकाश का राज्य निकट है।
हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम लोगों के मार्गदर्शन के साथ ही रोगियों को भी स्वस्थ कर देते थे। वह जन्मजात अंधे को आंखें प्रदान कर देते थे, कोढ़ियों को ठीक कर देते थे और मर जाने वालों को जीवित कर देते थे। वे मिट्टी से पक्षी बनाते और उसमें फूंक मारते थे तो ईश्वर की आज्ञा से उसमें जान पड़ जाती थी। हज़रत ईसा मसीह वंचितों और कमज़ोरों के सहायक थे और बच्चों व महिलाओं के साथ अत्यधिक भलाई करते थे लेकिन इसी के साथ वे कुछ फ़ैरीसीज़ की कड़ाइयों और कट्टरपंथी ज़िलोट्स के अतिवाद के विरोधी थे।
हज़रत ईसा मसीह अलैहिस्सलाम ने लोगों के मार्गदर्शन और यहूदियों को सही मार्ग पर लाने में अत्यधिक कठिनाइयां सहन कीं। इन कठिनाइयों और दुखों के दौरान उन्हें यह समझ में आया कि बनी इस्राईल के कुछ लोग, जो उनके विरोध और पाप पर आग्रह कर रहे हैं, अपनी पथभ्रष्टता नहीं छोड़ेंगे। इस लिए वे लोगों के बीच गए और उनसे पूछा कि ईश्वर के मार्ग में कौन मेरी मदद करेगा? कुछ ही लोगों ने उनकी बात का सकारात्मक जवाब दिया। ये वे पवित्र लोग थे जिन्हें ईश्वर ने क़ुरआने मजीद में "हवारी" कहा है। हवारियों ने हज़रत ईसा मसीह अलैहिस्सलाम की हर तरह की मदद करने के लिए अपनी तैयारी की घोषणा की और कहा कि हम ईश्वर के (धर्म) के सहायक हैं। हम ईश्वर पर ईमान लाए हैं और हे ईसा! आप भी गवाह रहिए कि हम ईश्वर के प्रति समर्पित हैं। प्रभुवर! जो कुछ तूने उतारा है हम उस पर ईमान लाए और हमने तेरे पैग़म्बर का अनुसरण किया अतः हमें उन लोगों की पंक्ति में रख जिन्होंने (हज़रत ईसा की पैग़म्बरी की) गवाही दी।
हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम हवारियों के साथ फ़िलिस्तीन के उत्तरी क्षेत्रों में पहुंचे और उन्होंने लोगों को ईश्वर के वास्तविक धर्म से परिचित कराया। हज़रत ईसा लोगों को जो ईश्वरीय शिक्षाएं देते थे उनसे लोग आश्चर्यचकित जबकि समाज पर राज करने वाले क्रोधित हो जाते थे क्योंकि हज़रत ईसा यहूदी धर्म के प्रतिष्ठित लोगों के ऐश्वर्य में डूबने और भोग विलास का कड़ा विरोध करते थे। हज़रत ईसा के लिए किसी भी प्रकार के अपराध का कोई औचित्य नहीं है, इसी लिए अधिकतर लोग उनके विरोधी हो गए और उनकी हत्या की साज़िशें रची जाने लगीं। उन लोगों ने अपने इस निंदनीय लक्ष्य को पूरा करने के लिए रोम के शासक को उकसाया और उससे कहा कि अगर यह स्थिति जारी रही तो तुम्हारा शासन समाप्त हो जाएगा अतः तुम्हारे पास अपने शासन को बचाने के लिए ईसा की हत्या करने के अलावा कोई मार्ग नहीं है।
हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम को उनके षड्यंत्र की सूचना मिल गई और वे हवारियों के साथ एक बाग़ में चले गए और वहीं पर छिप कर रहने लगे लेकिन यहूदा नाम के एक व्यक्ति ने उनके ठिकाने के बारे में शासक को बता दिया। सरकारी कारिंदों ने रात में वहां पर हमला किया और हवारियों को घेर लिया। हवारियों ने जब अपने को ख़तरे में देखा तो हज़रत ईसा को अकेले छोड़ दिया लेकिन उन ख़तरनाक क्षणों में ईश्वर ने उन्हें अकेला नहीं छोड़ा और उनकी मदद की। उसने उनके अस्तित्व को लोगों की नज़रों से ओझल कर दिया। इसी के साथ उसने यहूदा के चेहरे को, जो हमेशा हज़रत ईसा की चुग़ली किया करता था और उनके ठिकाने के बारे में सरकारी कारिंदों को बता दिया करता था, हज़रत ईसा जैसा बना दिया। इसके बाद सरकारी कारिंदों ने उसे हज़रत ईसा की जगह गिरफ़्तार कर लिया। यहूदा क्रोध व भय के कारण कुछ बोल ही नहीं पाया और जब वह बोलने योग्य हुआ तो किसी ने भी उसकी बात स्वीकार ही नहीं की और उसे सूली पर लटका दिया गया। देखने वालों को लगा कि हज़रत ईसा मार दिए गए लेकिन क़ुरआने मजीद के शब्दों में न उन्होंने ईसा की हत्या की और न ही उन्हें सूली पर लटकाया बल्कि बात उनके लिए संदिग्ध हो गई।
हज़रत ईसा मसीह को ईश्वर ने आसमान पर पहुंचा दिया जिसके बाद हवारियों ने उनके मार्ग को आगे बढ़ाने की ज़िम्मेदारी संभाली। हवारियों में से पीटर या शमऊन को, जो हज़रत ईसा पर सबसे पहले ईमान लाए थे, लोगों के मार्गदर्शन का दायित्व सौंपा गया। उन्होंने हवारियों को हज़रत ईसा के आदेश के अनुसार बनी इस्राईल की विभिन्न जातियों और संसार के विभिन्न स्थानों पर भेजा ताकि वे हर जगह इंजील का संदेश पहुंचा दें।
एक दिन हज़रत ईसा हवारियों के पास गए और कहा कि मेरी एक इच्छा है, अगर तुम लोग वादा करो कि उसे पूरा करोगे तो मैं तुम्हें बताऊं। उन्होंने कहा कि हे ईश्वर के पैग़म्बर आप जो भी आदेश देंगे, हम पूरा करेंगे। हज़रत ईसा अपने स्थान से उठे और उनके पैरों की ओर झुके। फिर उन्होंने उन सबके पैर धोने शुरू किए। हवारियों को बड़ी शर्म आई लेकिन चूंकि वे वादा कर चुके थे इस लिए वे ख़ामोश रहे। जब वे सबके पैर धो चुके तो हवारियों ने पूछाः हे ईश्वरीय पैग़म्बर! आप हमारे गुरू हैं, उचित तो यह था कि हम आपके पैर धोते, आपने हमारे पैर क्यों धोए? हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम ने कहाः मैंने यह इस लिए किया ताकि तुम्हें यह समझा सकूं कि लोगों की सेवा के लिए सबसे उचित व्यक्ति, ज्ञानी है। मैंने यह विनम्रता दर्शाने के लिए किया ताकि तुम लोग विनम्रता सीखो और मेरे बाद, जब लोगों के मार्गदर्शन का दायित्व संभालो तो विनम्रता का मार्ग अपनाओ। मूल रूप से तत्वदर्शिता घमंड और अहंकार में नहीं बल्कि विनम्रता के बिस्तर पर फलती फूलती है जिस प्रकार से कि पौधा, न रेगिस्तान में और न पथरीली ज़मीन में बल्कि नर्म मिट्टी में उगता है।
फ़िलिस्तीनी विदेश मंत्रालय ने ग्वाटेमाला के दूतावास को बैतुल मुक़द्दस स्थानांतरित करने की निंदा की है
फ़िलिस्तीन के विदेश मंत्रालय ने ग्वाटेमाला द्वारा अपना दूतावास बैतुल मुक़द्दस (येरूशलम) स्थानांतरित करने के फ़ैसले की कड़ी निंदा की है।
सोमवार को एक बयान जारी करके फ़िलिस्तीन के विदेश मंत्रालय ने ग्वाटेमाला के राष्ट्रपति जिम्मी मोरेल्स द्वारा अपने देश का दूतावास तेल-अवीव से बैतुल मुक़द्दस स्थानांतरित करने को एक ग़ैर क़ानूनी क़दम बताया है।
फ़िलिस्तीनी विदेश मंत्रालय के बयान में उल्लेख किया गया है कि ग्वाटेमाला का यह फ़ैसला बैतुल मुक़द्दस के ईसाई नेताओं की मांग के विरुद्ध एवं संयुक्त राष्ट्र संघ महासभा द्वारा गुरुवार को पारित किए गए प्रस्ताव का उल्लंघन है।
संयुक्त राष्ट्र महासभा ने गुरुवार को अमरीका द्वारा बैतुल मुक़द्दस को इस्राईल की राजधानी घोषित किए जाने के फ़ैसले को 9 के मुक़ाबले 128 वोटों से रद्द कर दिया था।
ग़ौरतलब है कि विश्व समुदाय के व्यापक विरोध के बावजूद, वाशिंग्टन के नक़्शे क़दम पर चलते हुए ग्वाटेमाला ने भी अपना दूतावास बैतुल मुक़द्दस स्थानांतरित करने की घोषणा की है।
अमरीका के बाद मध्य अमरीकी देश ग्वाटेमाला ऐसा दूसरा देश है, जिसने अपना दूतावास बैतुल मुक़द्दस स्थानांतरित करने का फ़ैसला किया है।
6 दिसम्बर को अमरीकी राष्ट्रपति ने बैतुल मुक़द्दस को इस्राईल की राजधानी घोषित किया था और कहा था कि वाशिंग्टन अपनी राजधानी तेल-अवीव से बैतुल मुक़द्दस स्थानांतरित करेगा।
वर्तमान में बैतुल मुक़द्दस में किसी भी देश का कोई दूतावास नहीं है।
रोहिंग्या मुसलमानों को बसाने के लिए भारत की म्यांमार सरकार को सहायता
भारत के विदेशमंत्रालय ने रोहिंग्या मुसलमानों की राख़ीन प्रांत वापसी के लिए म्यांमार सरकार को 2 करोड़ 50 लाख डाॅलर की सहायता की सूचना दी है।
इर्ना की रिपोर्ट के अनुसार भारत के विदेशमंत्रालय ने शुक्रवार को बताया कि नई दिल्ली ने म्यांमार सरकार के साथ समझौता किया है कि पांच साल के दौरान 2 करोड़ 50 लाख डाॅलर म्यांमार को दिया जाएगा ताकि वह राख़ीन प्रांत में रोहिंग्या मुसलमानों की वापसी के लिए आधार भूत ढांचा तैयार करे।
इस सहमति के आधार पर भारत की ज़िम्मेदारी होगी कि वह रोहिंग्या पलायनकर्ताओं की आवश्यकताओं को तुरंत दूर करने के लिए राख़ीन प्रांत में घरों का निर्माण करे और इस प्रांत में विकास की योजनाओं को शुरु करे।
ज्ञात रहे कि म्यांमार के रोहिंग्या मुसलमान वर्षों से अपने मूल अधिकारों से वंचित हैं और इस देश की सरकार इनको अपना नागरिक स्वीकार करने को तैयार है।
25 अगस्त 2015 अब तक बड़ी संख्या में रोहिंग्या मुसलमान, म्यांमार की कट्टरपंथी सेना और बौद्ध चरमपंथियों के हमलों से अपनी जान बचाने के लिए बांग्लादेश फ़रार हो गयी है।
देश के अधिकारी नमाज़ के निमंत्रण के लिए व्यापक संभावनाएं उपलब्ध कराएं: वरिष्ठ नेता
इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने 26वें देश व्यापी नमाज़ सम्मेलन के नाम अपने संदेश में नमाज़ के निमंत्रण के लिए सभी संभावनाओं के इस्तेमाल की आवश्यकता पर बल दिया है।
आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने गुरुवार को अपने इस संदेश में कहा है कि नमाज़ के वार्षिक सम्मेलन के आयोजक इस ईश्वरीय सामर्थ्य का मूल्य समझें और इस सीधे रास्ते पर आग्रह करके यह जान लें कि ईश्वर धैर्य व प्रतिरोध करने वालों के साथ है। उन्होंने कहा है कि नमाज़ का निमंत्रण, जीवन के सुंदरतम जलवों का निमंत्रण है क्योंकि नमाज़ जीवन का एक अध्याय है जिसमें अपने रचयिता और सभी अच्छाइयों व सौंदर्य के मालिक के सामने प्रेमपूर्ण ज़रूरतों को अभिव्यक्त करता है और अपने मन व मस्तिष्क की सुंदरता व भलाई में वृद्धि करता है। उन्होंने क़ुरआने मजीद और हदीसों में नमाज़ की सिफ़ारिश के लिए प्रभावी भाषा को नमाज़ के निमंत्रण की इसी विशेषता का चिन्ह बताया और कहा कि ईश्वर के पवित्र व नेक बंदों को अपने लिए एक पाठ समझना चाहिए और नमाज़ का निमंत्रण देना चाहिए।
ज्ञात रहे कि 26वां देश व्यापी नमाज़ सम्मेलन गुरुवार से ईरान के सरकारी अधिकारियों, सांस्कृतिक हस्तियों और शिया व सुन्नी धर्मगुरुओं की उपस्थिति में दक्षिणी ईरान के बंदर अब्बास शहर में शुरू हुआ है।
ईरान से यमन को मिसाइल दिए जाने का दावा झूठा
तेहरान की केन्द्रीय नमाज़े जुमा के इमाम आयतुल्लाह मुहम्मद इमामी काशानी ने कहा कि यमन को मिसाइल देने का ईरान के ख़िलाफ़ अमरीका का आरोप निराधार है और इस आरोप का कोई सुबूत नहीं है।
आयतुल्लाह मुहम्मद इमामी काशानी ने नमाज़े जुमा के ख़ुतबों में कहा कि यमन के भीतर मिसाइलों के निर्माण में ईरान का हाथ नहीं रहा है और न ही ईरान से यमन मिसाइल की सप्लाई का कोई साक्ष्य है।
तेहरान की केन्द्रीय नमाज़े जुमा के इमाम ने कहा कि अमरीका तो आले सऊद शासन को अरबों डालर के हथियार बेच रहा है क्षेत्र में संकट बना रहे और यमन पर बमबारी जारी रहे लेकिन कोई भी देश इस पर आपत्ति नहीं जता रहा है।
आयतुल्लाह मुहम्मद इमामी काशानी ने कहा कि अमरीका के राष्ट्रपति ट्रम्प ईरान के ख़िलाफ़ निराधार आरोप इलाक़े में अपनी विफलताओं पर पर्दा डालने के लिए लगा रहे हैं। उन्होंने कहा कि ट्रम्प ने अमरीकी राष्ट्र को अपमानित करके रख दिया है। आयतुल्लाह मुहम्मद इमामी काशानी ने कहा कि बैतुल मुक़द्दस को व्यवहारिक रूप से इस्राईल की राजधानी बना पाना असंभव है।
तेहरान की केन्द्रीय नमाज़े जुमा के इमाम ने कहा कि अमरीका ने हमेशा इस्लाम के ख़िलाफ़ काम किया है और उसने सऊदी अरब के साथ मिलकर दाइश का गठन किया लेकिन उसकी यह साज़िश भी नाकाम हो गई।