
رضوی
मस्जिदुल अक़्सा के बारे में दुनिया को गुमराह कर रहा है इस्राईल
फ़िलिस्तीन के विशेषज्ञों का कहना है कि ज़ायोनी शासन ने बड़े योजनाबद्ध ढंग से मस्जिदुल अक़सा की जगह क़ुब्बतुस्सख़रह का प्रचार किया है ताकि लोग मस्जिदुल अक़सा को भूल जाएं।
मस्जिदुल अक़सा और क़ुब्बतुस्सख़रह का फ़र्क़ः
फ़िलिस्तीन के वरिष्ठ पत्रकार सैफ़ुद्दीन नूफ़ेल का कहना है कि ज़ायोनी शासन ने अपनी स्थापना के शुरु से ही अपनी विस्तारवादी योजनाओं को पूरा करने के लिए युद्ध और रक्तपात के साथ ही तथ्यों में हेरफेर की नीति भी अपनाई। एसी ही नीति मस्जिदुल अक़सा के बारे में भी अपनाई गई। मस्जिदुल अक़सा के नाम से क़ुब्बतुस्सख़रह का प्रचार किया गया जो वास्तव में मस्जिदु अक़सा का एक छोटा सा भाग है। खेद की बात यह है कि बहुत से मुसलमान उसी क़ुब्बतुस्सख़रह को मस्जिदुल अक़सा समझ लेते हैं।
फ़िलिस्तीनी नेता ख़ालिद अलअज़बत ने मस्जिदुल अक़सा और क़ुब्बतुस्सख़रह के फ़र्क़ के बारे में बाताया कि अरब व इस्लामी जगत बहुत बड़ी ग़लतफ़हमी में है और इसके पीछे इस्राईल का हाथ है। इस्राईल ने तथ्यों में उलटफेर करने की बड़ी योजनबद्ध कोशिश की है।
सच्चाई यह है कि सुनहरे गुंबद वाली जो मस्जिद मस्जिदुल अक़सा के नाम से दिखाई जाती है वह मस्जिदुल अक़सा का एक भाग है और वह मस्जिदे क़ुब्बतुस्सख़रह है।
बैतुल मुक़द्दस के मामलों के विशेषज्ञ शुएब अबू सनीना ने कहा कि मुसलमानों में फैली इस ग़लत फ़हमी के दो कारण हैं। एक तो यह कि मस्जिदुल अक़सा को ज़ायोनी शासन ने अपने घेरे में ले रखा है और यह घेराबंदी 1967 से चली आ रही है।
दूसरा कारण यह है कि ज़ायोनी शासन बार बार अफ़वाहें फैलाते हैं जिसका नतीजा यह है कि लोगों से मस्जिदुल अक़सा को पहचानने में ग़लती हो जाती है। जैसे कि जब वर्ष 2000 में ज़ायोनी प्रधानमंत्री एरियल शेरोन ने 3000 सैनिकों के साथ मस्जिदुल अक़सा पर हमला किया तो वहां मौजूद नमाज़ियों ने मेज़ और कुर्सी की मदद से उनका मुक़ाबला किया और उसे मस्जिद के प्रांगड़ से बाहर निकाला। एरियल शेरोन ने कहा कि मैं शांति का संदेश लाया हूं मेरा मस्जिदुल अक़सा में प्रवेश करने का कोई इरादा नहीं है। मैं तो केवल प्रांगड़ में आया हूं। इस तरह शेरोन ने यह कहने का प्रयास किया कि प्रांगड़ मस्जिद का भाग नहीं है।
फ़िलिस्तीन के जेहादे इस्लामी संगठन के नेता फ़ुआद अर्राज़िम ने कहा कि सब को पता होना चाहिए कि मस्जिदुल अक़सा में क़ुब्बतुस्सख़रह भी शामिल है, मस्जिदे क़िबला भी शामिल है इसी प्रकार इससे लगे सभी प्रांगड़ मस्जिदुल अक़सा का हिस्सा हैं। इसके अलावा 200 से अधिक प्राचीन अवशेष भी हैं जो मस्जिदुल अक़सा से ही संबंधित हैं।
विश्व क़ुद्स दिवस पर दिल्ली में ऐतिहासिक रैली, हज़ारों की संख्या में शामिल हुए लोग
भारत की राजधानी दिल्ली शुक्रवार को इस्राईल मुर्दाबाद, अमरीका मुर्दाबाद और आले सऊदी मुर्दाबाद के नारों से गूंज उठी।
प्राप्त समाचारों के अनुसार भारत में शिया मुसलमानों की सबसे बड़ी संस्था मजिलसे ओलमाए हिन्द के आह्वान पर फ़िलिस्तीन की अत्याचारपूर्ण जनता के समर्थन में आयोजित रैली में शुक्रवार को दिल्ली के जंतर मंतर पर हज़ारों लोगों ने पहुंच कर इस्राईल के प्रति अपने विरोध को दर्ज कराया।
पवित्र रमज़ान के अंतिम शुक्रवार को ईरान की इस्लामी क्रांति के संस्थापक इमाम ख़ुमैनी की पहल पर शुरू किए गए विश्व क़ुद्स दिवस के अवसर पर इस साल मजलिसे ओलमाए हिन्द के आह्वान पर पूरे भारत के लगभग 100 से अधिक शहरों में विश्व क़ुद्स दिवस मानाया गया।
दिल्ली से शमशाद काज़मी की रिपोर्ट : भारत की राजधानी दिल्ली में विश्व क़ुद्स दिवस के मौक़े पर ज़ोरदार प्रदर्शन, दिल्ली से शमशाद काज़मी की रिपोर्ट
राजधानी दिल्ली में जुमे की नमाज़ के बाद हुए विरोध प्रदर्शन में जमकर इस्राईल, अमरीका और आले सऊद के ख़िलाफ़ नारे लगाए गए साथ ही इस्राईल और अमरीका के राष्ट्रीय ध्वज को भी जलाया गया। प्रदर्शनकारी फ़िलिस्तीनी जनता के लिए इंसाफ़ की मांग कर रहे थे।
"ईरान, इराक़ में जनमत संग्रह का विरोधी, मौका मिलते ही डसेगा अमरीका, " एबादी को वरिष्ठ नेता की नसीहत
इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने आतंकवादी संगठन दाइश के खिलाफ युद्ध में सभी इराक़ी धड़ों और दलों के मध्य एकजुटता की सराहना करते हुए " जन सेना" को महत्वपूर्ण और इराक़ की शक्ति का कारण बताया है।
वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनई ने मंगलवार की शाम, इराक़ के प्रधानमंत्री " हैदर अलइबादी" से भेंट में कहाः इस्लामी गणतंत्र ईरान, एक पड़ोसी होने के नाते, इराक़ के एक भाग को उससे अलग करने के लिए जनमत संग्रह कराए जाने के लिए की जाने वाली बातों का विरोध करता है और इस विषय को उठाने वालों को, इराक की स्वाधीनता व पहचान का दुश्मन समझता है।
वरिष्ठ नेता इराक की अखंडता पर बल देते हुए कहाः अमरीकियों की ओर से आंखें खुली रखनी चाहिए और किसी भी हालत में उन पर भरोसा नहीं करना चाहिए क्योंकि अमरीका और उसके पिछलग्गू इराक की " एकता, स्वाधीनता व पहचान" के विरोधी हैं।
वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनई अमरीका और उसके पिछलग्गुओं की ओर से इराक के " स्वंय सेवी बल" या " जन सेना" के विरोध की ओर इशारा करते हुए कहा कि अमरीकी, स्वंय सेवी बल का विरोध इस लिए कर रहे हैं क्योंकि वह चाहते हैं कि इराक, अपनी शक्ति के सब से बड़े कारक से हाथ धो बैठे।
वरिष्ठ नेता ने कहा कि अमरीकियों पर किसी भी हालत में भरोसा न करना क्योंकि वह डसने के लिए मौक़े की तलाश में रहते हैं।
वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनई इराक़ में मतभेद और फूट को अमरीकी के लिए एक मौक़ा बताया और कहाः एेसा मौका अमरीकियों को नहीं दिया जाना चाहिए और इसके साथ ही ट्रेनिंग आदि जैसे बहानों से अमरीकी सैनिकों के इराक में प्रवेश पर भी अंकुश लगाया जाना चाहिए।
वरिष्ठ नेता ने एक बार फिर बल दिया कि आतंकवादी संगठन दाइश के खिलाफ अमरीका की लड़ाई में सच्चाई नहीं है।
वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनई ने कहा ः अमरीका और इलाके में उनके कुछ पिछलग्गू देश, दाइश को जड़ से उखाड़ने की कोशिश नहीं कर रहे हैं क्योंकि दाइश तो उनकी सहायता और उनके धन से पैदा हुआ है इस लिए वह चाहते हैं कि एेसा दाइश संगठन जो उनकी मुट्टी में रहे, वह यथावत इराक़ में सक्रिय रहे।
ईरान में इस्लामी व्यवस्था खत्म करने की इच्छा लिए कई अमरीकी नेता क़ब्र में सो चुके, बाकी का भी यही हाल होगा , वरिष्ठ नेता
इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने सीमा सुरक्षा बल के अधिकारियों और सीरिया में पवित्र स्थलों की रक्षा करने वालों के घरवालों से होने वाली एक भेंट में कहा कि इस्लामी गणतंत्र ईरान पूरी ताक़त से डटा हुआ है और ईरानी राष्ट्र दुश्मनों के मुंह पर तमांचा मारेगा।
वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनई ने रविवार की शाम होने वाली इस भेंट में , ईरान के खिलाफ अमरीकी अधिकारियों के हालिया धमकी भरे बयानों की ओर इशारा किया और कहा कि अमरीकी अधिकारियों ने , ईरान में इस्लामी क्रांति के आरंभ से लेकर अब तक हमेशा, इस्लामी व्यवस्था को बदलने का प्रयास किया है किंतु वह ईरानी राष्ट्र को नुक़सान नहीं पहुंचा सकते बल्कि ईरानी राष्ट्र ही उनके मुंह पर तमांचा मारेगा।
वरिष्ठ नेता ने कहा कि अमरीकी राष्ट्रपति की ओर से बड़ी-बड़ी बातें करना कोई नयी चीज़ नहीं है क्योंकि ईरान की इस्लामी क्रांति को आरंभ से ही दुश्मनों की ओर से कई तरह की साज़िशों का सामना रहा है किंतु दुश्मन ईरानी राष्ट्र का कुछ बिगाड़ नहीं पाए हैं।
वरिष्ठ नेता ने बल दिया कि जब ईरान की इस्लामी व्यवस्था, एक नया पौधा और कमज़ोर थी तब तो वह उसे नुक़सान पहुंचा नहीं पाए तो अब कि क्या बात है कि जब वह पौधा एक मज़बूत पेड़ बन चुका है।
वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनई ने अमरीकी अधिकारियों द्वारा ईरान में शासन व्यवस्था बदलने के हालिया बयान का उल्लेख करते हुए उनसे पूछ है कि पिछले 38 वर्षों में कब आप लोगों ने ईरान की इस्लामी व्यवस्था को बदलने का प्रयास नहीं किया है लेकिन हमेशा आप लोगों को मुंह की खानी पड़ी हैऔर भविष्य में भी एेसा ही होगा।
वरिष्ठ नेता ने कहा कि ईरान में इस्लामी व्यवस्था बदलने की इच्छा लिए कई अमरीकी नेता अपनी कब्र में सो चुके हैं और आगे भी एेसा ही होने वाला है।
वरिष्ठ नेता ने ईरान में शांति व सुरक्षा को सीमा सुरक्षा बलों और पवित्र स्थलों के रक्षकों के बलिदानों का परिणाम बताया और कहा कि अगर पवित्र स्थलों की रक्षा में शहीद होने वाले न होते तो आज हमें दुष्ट शैतानों और पैगम्बरे इस्लाम के परिजनों के दुश्मनों से ईरान के नगरों में लड़ रहे होते क्योंकि वह इराक़ी सीमाओं से ईरान में घुसने का इरादा रखते थे लेकिन उन्हें रोका गया और तबाह कर दिया गया और अब इराक़ और सीरिया में उन्हें जड़ से उखाड़ा जा रहा है।
पूरी दुनिया दे दें तब भी ईरान से दुश्मनी नहीं करेंगे, हैदर अलएबादी
इराक़ी प्रधान मंत्री हैदर अलएबादी ने उपराष्ट्रपति इयाद अल्लावी के बयान की आलोचना करते हुए बल दिया कि जब तक इराक़ के हित ख़तरे में नहीं पड़ते उस वक़्त तक इराक़ क्षेत्रीय झड़पों में नहीं कूदेगा और किसी को इराक़ के ज़रिए ईरान से दुश्मनी नहीं करने देगा।
समाचार एजेंसी फ़ार्स के अनुसार, हैदर अलएबादी ने शनिवार की रात एक भाषण में कहा कि इराक़ क्षेत्रीय राजनीति के बखेड़े में नहीं पड़ेगा। उन्होंने बल दिया कि बग़दाद सीरिया में सिर्फ़ इस देश की सरकार को मान्यता देता है और किसी दूसरे गुट से किसी प्रकार का सहयोग नहीं कर रहा है।
फ़ुरात न्यूज़ के अनुसार, इराक़ी प्रधान मंत्री ने अपने भाषण में सबसे पहले ईरान व क़तर के ख़िलाफ़ इयाद अल्लावी के बयान की आलोचना करते हुए कहा कि उपराष्ट्रपति का बयान स्वीकार्य नहीं है और इराक़ की आड़ में क्षेत्रीय देशों के ख़िलाफ़ दृष्टिकोण अपनाना सही नहीं है। उन्होंने कहा कि मुझे लगता है अल्लावी ने क़तर की आलोचना के ज़रिए मिस्र को ख़ुश करने की कोशिश की लेकिन कुछ इराक़ी हल्क़े चाहते हैं कि हम क़तर के मुक़ाबले में सऊदी अरब का समर्थन करें या इसके विपरीत क़दम उठाएं लेकिन यह ग़लत है और इस मामले में इराक़ को कोई फ़ायदा नहीं पहुंचेगा।
इराक़ी प्रधान मंत्री ने ईरान, सऊदी अरब और कुवैत के अपने दौरे के बारे में कहा कि उनका यह दौरा तीन दिवसीय है जो रविवार से शुरु हो रहा है।
इसी प्रकार उन्होंने बल दिया कि उनके इस दौरे का सऊदी और क़तर के बीच पैदा हुए संकट से कोई लेना-देना नहीं है बल्कि यह दौरा पहले से तय था। इराक़ी प्रधान मंत्री ने बताया कि सऊदी अरब के दौरे में आतंकवाद के ख़िलाफ़ संघर्ष और सऊदी अरब के साथ बहुआयामी संबंध में विस्तार के बारे में सऊदी अधिकारियों से विचार विमर्श होगा। उन्होंने बताया कि ईद के बाद भी वह कई विदेशी दौरे पर जाएंगे।
इराक़ी प्रधान मंत्री ने आगे कहा कि वह इस बात की इजाज़त नहीं देंगे कि इराक़ ईरान और अमरीका के बीच झड़प का मैदान बने या इराक़ की भूमि ईरान से दुश्मनी का ज़रिया बने। हैदर अलएबादी ने कहा कि अगर पूरी दुनिया का नेतृत्व हमे दें या इराक़ के फ़्री पुनर्निर्माण का वादा करें तब भी हम ईरान से दुश्मनी नहीं करेंगे।
उन्होंने इसी प्रकार अपने भाषण में अमरीकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रम्प को राजनेता नहीं बल्कि एक व्यापारी व्यक्ति बताते हुए कहा कि जिस समय ट्रम्प राष्ट्रपति बने तो इस बात का डर था कि कहीं फ़ार्स खाड़ी में जंग शुरु न हो जाए लेकिन ट्रम्प की टीम ने इस डर को कम कर दिया है।
इराक़ के सशस्त्र बल के कमान्डर हैदर अलएबादी ने इसी प्रकार इराक़ी फ़ोर्सेज़ की सीरिया की सीमा तक प्रगति की सराहना की और साथ ही अमरीका की ओर से एसडीएफ़ फ़ोर्सेज़ को समर्थन की आलोचना करते हुए कहा कि इस समर्थन के कारण सीरिया का बटवारा हो सकता है।
इराक़ी प्रधान मंत्री ने इराक़-सीरिया के बीच संयुक्त क्षेत्रों और वलीद पास की आज़ादी की पुष्टि और निकट भविष्य में अन्ह, रावह और अलक़ाएम इलाक़ों की आज़ादी की ख़बर देते हुए उम्मीद जतायी कि अमरीका इराक़ से मिली सीरिया की सीमा पर मौजूद नहीं रहेगा।
रामपुर, हज़रत अली और इमाम जाफ़र सादिक़ के हाथ से लिखे क़ुरआन पहली बार प्रदर्शनी के लिए रखे गए, लोगों का बंधा तांता
रामपुर की ऐतिहासिक रज़ा लाइब्रेरी ने पवित्र रमज़ान के महीने में क़ुरआन के नवीनतम संग्रह की प्रदर्शनी का आयोजन किया है।
इस प्रदर्शनी को देखने के लिए आम लोगों से लेकर विद्वानों तक का तांता लगा हुआ है। रज़ा लाइब्रेरी दक्षिण एशिया में प्राचीन हस्तलिपियों के संग्रह के लिए प्रसिद्ध है।
लाइब्रेरी के प्रमुख प्रोफ़ैसर सैय्यद हसन अब्बास का कहना है कि लाइब्रेरी ने पहली बार अपने क़ुरआन संग्रह का प्रदर्शन किया है और वह भी रमज़ान के महीने में।
लाइब्रेरी में 13वीं शताब्दी में बग़दाद के प्रसिद्ध सुलेखक याक़ूत मुसतासेमी द्वारा लिखा गया क़ुरआन भी मौजूद है। यह क़ुरआन सोने और अनमोल लापीस लाजुली (lapis lazuli) से जड़ा हुआ है।
प्रदर्शनी के लिए रखी गई कुछ हस्तलिपियां अरबी सुलेखन के सबसे पुराने नमूनों में से हैं।
सातवीं शताब्दी में हज़रत अली के हाथ से चमड़े पर लिखा गया एक क़ुरआन भी इस प्रदर्शनी में रखा गया है। इस अनमोल क़ुरआन की ज़ियारत के लिए लोगों को लम्बी लम्बी लाईनों में लगना पड़ रहा है।
इसके अलावा आठवीं शताब्दी से संबंधित इमाम जाफ़र सादिक़ (अ) के हाथ से लिखा हुआ क़ुरआन भी प्रदर्शनी के लिए रखा गया है, यह इमाम जाफ़र सादिक़ (अ) की अद्वितीय शिल्पकला का नमूना है।
अमीरूल मोमिनीन हज़रत अली अ. की वसीयत।
बिस्मिल्लाह हिर्रहमानिर्हीम
हज़रत अली अ0 की वसीयत
जब आप पर इबने मुल्जिम ज़रबत लगा चुका तो आपने इमाम हसन अ0 और इमाम हुसैन अ0 से फ़रमायाः
• मैं तुम दोनो को वसीयत करता हूँ कि अल्लाह से डरते रहना।
• दुनिया के इच्छुक ना होना, अगरचे वह तुम्हारे पीछे लगे।
• और दुनिया की किसी ऐसी चीज़ पर न कुढ़ना जो तुमसे रोक ली जाए।
• जो कहना हक़ के लिए कहना।
• और जो करना सवाब के लिए करना।
• ज़ालिम के दुश्मन और मज़लूम के मददगार बने रहना।
• मैं तुमको (इमाम हसन अ0 और इमाम हुसैन अ0 को)....अपनी तमाम संतानों को....अपने परिवार को....और जिन जिन तक (रहती दुनिया तक) मेरी यह वसीयत पहुँचे सब को वसीयत करता हुँ कि अल्लाह से डरते रहना।
• अपने मामलात दुरुस्त और आपस के सम्बंध सुलझाए रखना क्योंकि मैंने तुम्हारे नाना रसूल अल्लाह स0 को फ़रमाते सुना है कि आपस की दूरियों को मिटाना आम नमाज़ रोज़े से अफ़ज़ल है।
• देखो यतीमों के बारे में अल्लाह से डरते रहना, उनके फ़ाक़े की नौबत न आये......और तुम्हारी मौजूदगी में.....वह तबाह व बरबाद न हो जाएँ।
• अपने पड़ोसियों के बारे में अल्लाह से डरते रहना..... क्योंकि उनके बारे में पैग़म्बर स0 ने बराबर हिदायत की है और आप इस हद तक उनके लिए सिफ़ारिश फऱमाते रहे कि हम लोगों को ये गुमान होने लगा कि आप उन्हें भी विरासत दिलाएँगे।
• क़ुर्आन के बारे में अल्लाह से डरते रहना..... ऐसा ना हो दूसरे इस पर अमल करने में तुम पर सबक़त ले जाएँ।
• नमाज़ के बारे में अल्लाह से डरते रहना।
• क्योंकि ये तुम्हारे दीन का सुतून है।
• अपने परवरदिगार के घर के बारे में अल्लाह से डरते रहना.....और उसे जीते जी ख़ाली न छोड़ना।
• क्योंकि अगर ये ख़ाली छोड़ दिया गया, तो फिर (अज़ाब से) मोहलत ना पाओगे।
• जान व माल और ज़बान से अल्लाह की राह में जिहाद को न भूलना।
• और तुम पर लाज़िम है कि आपस में मेल मुलाक़ात रखना।
• और एक दूसरे की तरफ़ से पीठ फेरने और तअल्लुक़ात तोड़ने से परहेज़ करना।
हज़रत अली अलैहिस्सलाम का शहादत दिवस, शोक में डूबे श्रद्धालु
हज़रत अली अलैहिस्सलाम के शहादत दिवस के अवसर पर पैग़म्बरे इस्लाम और उनके परिजनों से गहरी श्रद्धा रखने वाले मुसलमान शोक में डूब गए हैं।
इस्लमी गणतंत्र ईरान में मंगलवार की रात से ही नौहा और मजलिस का सिलसिला शुरू हो गया जो लगातार जारी है। पवित्र नगर मशहद में जहां पैग़म्बरे इस्लाम के पौत्र हज़रत इमाम अली रज़ा अलैहिस्सलाम का मज़ार है, इसी प्रकार पवित्र नगर क़ुम में जहां इमाम अली रज़ा अलैहिस्सलाम की बहन का मज़ार है, मस्जिदों, इमाम बारगाहों तथा धार्मिक स्थलों में शोक सभाएं जारी हैं जिनमें हज़रत अली अलैहिस्सलाम की जीवनशैली तथा उन पर इब्ने मुल्जिम नामक दुष्ट व्यक्ति के हमले की घटना को बयान किया जा रहा है।
तेहरान के इमाम ख़ुमैनी इमामबाड़े में मजलिस हुई जिसमें इस्लामी क्रान्ति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़्मा सैयद अली ख़ामेनई ने भी भाग लिया देश के वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित हुए।
इराक़ में पवित्र नगर नजफ़ और उससे लगे कूफ़ा शहर में श्रद्धालुओं का बहुत बड़ा मजमा लगा हुआ है। लोग हज़रत अली अलैहिस्सलाम के रौज़े पर पहुंचे हैं जबकि श्रद्धालुओं की संख्या लगातार बढ़ रही है। पवित्र नगर कर्बला, काज़मैन, अलबलद और सामर्रा में भी हज़रत अली अलैहिस्सलाम के सिर पर नमाज़ की हालत में होने वाले हमले की बर्स के उपलक्ष्य में शोक सभाओं का आयोजन किया गया है और अंजुमनें मातमी जुलूस निकाल रही हैं।
लेबनान, सीरिया तथा अन्य अरब देशों इसी प्रकार पश्चिमी देशों में हज़रत अली अलैहिस्सलाम के शहादत दिवस पर शोक सभाओं का सिलसिला जारी है।
भारत और पाकिस्तान से हमारे संवाददाताओं ने रिपोर्ट दी है कि सभी छोटे बड़े शहरों और गावों में हज़रत अली अलैहिस्सलाम की याद में शोक सभाओं का आयोजन किया गया है और मातमी जुलूस निकाले गए हैं। लखनऊ से हमारे संवाददाता ने बताया कि गेलीम का ताबूत निकाला गया जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने भाग लिया।
पाकिस्तान में कराची, इस्लामाबाद, लाहौर, सहित छोटे बड़े शहरों में शोक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया है।
भारत में भी मुंबई, दिल्ली, लखनऊ, हैदराबाद और कोलकाता सहित लगभग सभी छोटे बड़े शहरों में जुलूस निकाले गए।
मंगलवार की रात को लोगों ने क़द्र की रात की विशेष उपसानाएं कीं और दुआएं पढ़ी साथ ही हज़रत अली अलैहिस्सलाम का शोक मनाया जिन्हें 19 रमज़ान की सुबह नमाज़ की हालत में हमला करके इब्ने मुलजिम नामक दुष्टि व्यक्ति ने घायल कर दिया और 21 रमज़ान की सुबह हज़रत अली अलैहिस्सलाम शहीद हो गए।
मौलाना कल्बे जवाद नकवीः हमें उम्मीद है कि हमारी कौम को उसके अधिकार दिए जाऐंगे।
मुसलमानों के सामने आने वाले नए राजनीतिक और सामाजिक मुश्किलों को देखते हुए आज मौलाना सैयद कल्बे जवाद नकवी ने एक बयान जारी करके कहा कि हमें देखना चाहिए कि कैसे पैग़म्बर हज़रत मोहम्मद स. ने मक्का और मदीना में जीवन बिताया है, मक्के और मदीने की राजनीतिक- सामाजिक स्थिति अलग थी और पैग़म्बरे इस्लाम हजरत मोहम्मद स. ने उसी स्थिति के अनुसार जीवन बिताया, हमारे इमामों अ. की जीवनशैली भी यही रही है क्योंकि सभी सरकारें उनकी विरोधी होती थीं इसलिए हमें कठिन परिस्थितियों में रसूले इस्लाम हजरत मोहम्मद स. और इमामों अ. के जीवन से सबक लेना चाहिए। मौलाना ने कहा कि धैर्य, सहनशीलता और अल्लाह पर भरोसा ही हर मुसीबत से नजात का रास्ता है। मौलाना ने कहा कि हमें उम्मीद है कि हमारी कौम पर जो जुल्म और अत्याचार पिछली सरकार में हुए हैं वह इस सरकार में नहीं होंगे। हमें उम्मीद है कि हमें हमारे अधिकार दिए जाएंगे।
मौलाना ने कहा कि हमारी कौम को किसी भी सरकार से भीख नहीं चाहिए बल्कि अपना हक चाहिए, हमारी वक्फ संपत्तियां, हुसैनाबाद ट्रस्ट, इमामबाड़े और हमारी अन्य संपत्तियां हमें वापस कर दी जाएँ, मौलाना ने कहा कि कौम के बेईमान व्यक्तियों, सरकारों और प्रशासन की मिली भगत से ही कौमी धरोहरें ,कौमी संपत्तियों को नुकसान पहुंचा है। मौलाना ने समाजवादी सरकार की ज्यादतियों और अन्याय की निंदा करते हुए कहा कि इमाम का कथन है कि यदि अत्याचारी को सजा मिलने में देर हो तो घबराना नहीं क्योंकि सजा देने में वह जल्दी करता है जिसे अपराधी के भाग जाने का डर हो। अल्लाह ने जालिम सरकार को सजा दी है और हमें इस चुनाव में कम से कम ये लाभ हुआ कि जो आरोप हमारी कौम पर लगते थे अब वो इलजाम नही लगेंगे।
फ़ारसी सीखें, 21वां पाठ
ईरान में लकड़ी के हस्तकला उद्योगों में से एक क़लमकारी भी है जो बहुत ही सूक्ष्म कला है। आज की चर्चा में हम आपको क़लमकारी से परिचित कराएंगे। क़लमकारी में क़लमकार, अनेक प्रकार की लकड़ियों, हाथी के दांत, हड्डी और सीप को प्रयोग करता है। इन वस्तुओं को त्रिभुज से लेकर दसभुजाओं के आकार में काटा जाता है। इन्हें बहुत ही छोटे आकार में काटा जाता है और हर भुजा से कई भुजाएं निकलती हैं जो दो से पांच मिलीमीटर की होती हैं। इन टुकड़ों को एक दूसरे से मिलाकर चिपकाया जाता है जिससे बहुत ही सुंदर आकार अस्तित्व में आता है। क़लमकार कई भुजाओं वाले टुकड़ों को बड़ी दक्षता के साथ चिपकाता है और उन्हें सान देता है ताकि एक जैसे दिखाई दें। इस विषय पर मोहम्मद और सईद के बीच बातचीत से पूर्व इससे जुड़े मुख्य शब्दों पर ध्यान दीजिए।
बीता हुआ कल ديروز
बाज़ार की मस्जिद مسجد بازار
कला هنر
तक्षणकला منبت
लकड़ी पर चित्रकारी معرق
मैं परिचित हुआ من آشنا شدم
हस्तकला उद्योग صنايع دستي
लकड़ी का چوبي
वे हैं آنها هستند
बहुत بسيار
सूक्ष्म ظريف
सुंदर زيبا
ठीक है या सही है درست است
किन्तु ولي
अधिक सूक्ष्म ظريفتر
हमारे पास है ما داريم
नाम اسم
क़लमकारी या जड़ाउ का काम خاتم كاري
कलाकार هنرمند
ईरानी या ईरान का ايراني
लकड़ी چوب
लकड़ियां چوبها
छोटा کوچک
कई कोणीय چند ضلعي
वह चिपकाता है او مي چسباند
जैसे مثل
त्रिकोण مثلث
एक साथ मिला कर كنار هم
लगाए जाते हैं آنها قرار مي گيرند
सब همه
सतह سطح
उसे छिपा देते हैं آنها مي پوشانند
किन स्थानों पर چه جاهايي
उसे प्रयोग किया जाता है آن به کار مي رود
छोटा बक्सा صندوقچه
क़लमदान قلمدان
दूसरी वस्तुएं چيزهاي ديگر
इमारत ساختمان
संसद مجلس
राष्ट्रीय ملي
ढका हुआ پوشيده از
वास्तव में واقعا
क्या ऐसा नहीं है اين طور نيست ؟
वह है او است
उसे होना चाहिए او بايد باشد
इसके साथ ही या इसके अतिरिक्त ضمنا
हाल سالن
आधार بنا
दीवार ديوار
छत سقف
अन्य ساير
उपकरण, औज़ार, وسايل
सुंदर زيبا
और अब आइए एक नज़र डालते हैं दोनों की बातचीत पर
मोहम्मदः कल बाज़ार की मस्जिद में तक्षणकला और लकड़ी पर चित्रकारी की कला से परिचित हुए। محمد - ديروز در مسجد بازار با هنرهای منبت و معرق آشنا شدم .
सईदः तक्षणकला और लकड़ी पर चित्रकारी ईरान के हस्तकला उद्योग में हैं।
سعيد - منبت و معرق از صنايع دستي چوبی ايران هستند .
मोहम्मदः ये कलाएं बहुत की सूक्ष्म व सुंदर हैं। محمد - آنها بسيار ظريف و زيبا هستند .
सईदः ठीक है। किन्तु तक्षकणकला और लकड़ी पर चित्रकारी से भी अधिक सूक्ष्म कलाएं मौजूद हैं। سعيد - درست است . ولي از منبت و معرق ، هنر ظريفتری هم داريم .
मोहम्मदः इस कला का क्या नाम है ? محمد - اسم اين هنر چيست ؟
सईदः क़लमकारी, इस कला में ईरानी कलाकार बहुत ही छोटी व कई कोणीय आकार में कटी हुयी लकड़ियों को एक साथ चिपकाते हैं।
سعيد - هنر خاتم کاري . در اين هنر ، هنرمند ايرانی چوبهای بسيار کوچک و چند ضلعی را به هم مي چسباند
मोहम्मदः लकड़ी पर चित्रकारी की भांति محمد - مثل معرق ؟
सईदः नहीं। क़लमक़ारी में बहुत ही छोटे छोटे त्रिकोण एक के बाद एक इस प्रकार एक साथ चिपकाए जाते हैं कि पूरी सतह छिप जाती है।
سعيد - نه . در خاتم کاری ، مثلثهای بسيار کوچک کنار هم قرار مي گيرند و همه ی سطح کار را می پوشانند .
मोहम्मदः इस सूक्ष्म कला को कहां कहां प्रयोग किया जाता है ?
محمد - اين هنر ظريف در چه جاهايی به کار مي رود ؟
सईदः छोटे छोटे बक्सों, क़लमदानों सहित दूसरी वस्तुओं पर। ईरान की राष्ट्रीय संसद की इमारत पर क़लमकारी की गयी है।
سعيد - در صندوقچه ها ، قلمدانها و چيزهای ديگر . ساختمان مجلس ملی ايران پوشيده از خاتم کاری است.
सईदः जी हां। इस इमारत के हाल की दीवारों के साथ ही, छत सहित अन्य सुंदर वस्तुओं पर क़लमकारी की गयी है।
سعيد - بله . ضمنا" در سالن اين بنا ، خاتم كاری ديوارها ، سقف و ساير وسايل زيبا است
मोहम्मदः वास्तव में यह इमारत तो बहुत बड़ी होगी ? क्या ऐसा नहीं है ?
محمد : واقعا" ؟ اين ساختمان بايد بزرگ باشد . اين طور نيست ؟
मोहम्मद और सईद के बीच फ़ारसी वार्तालाप पर एक बार फिर नज़र डालते हैं,
محمد - ديروز در مسجد بازار با هنرهای منبت و معرق آشنا شدم . سعيد - منبت و معرق از صنايع دستي چوبی ايران هستند . محمد - آنها بسيار ظريف و زيبا هستند . سعيد - درست است . ولی از منبت و معرق ، هنر ظريفتری هم داريم . محمد - اسم اين هنر چيست ؟ سعيد - هنر خاتم کاری . در اين هنر ، هنرمند ايرانی چوبهای بسيار کوچک و چند ضلعی را به هم می چسباند . محمد - مثل معرق ؟ سعيد - نه . در خاتم کاری ، مثلثهای بسيار کوچک کنار هم قرار مي گيرند و همه ی سطح کار را مي پوشانند . محمد - اين هنر ظريف در چه جاهايی به کار مي رود ؟ سعيد - در صندوقچه ها ، قلمدانها و چيزهای ديگر . ساختمان مجلس ملی ايران پوشيده از خاتم کاری است . محمد : واقعا" ؟ اين ساختمان بايد بزرگ باشد . اين طور نيست ؟ سعيد - بله . ضمنا" در سالن اين بنا ، خاتم كاری ديوارها ، سقف و ساير وسايل زيبا است .
क़लमकारी बहुत ही प्रशंसनीय कला है। इस सूक्ष्म कला का इतिहास ईरान में बहुत पुराना है। उदाहरण के लिए इस्फ़हान की अतीक़ जामा मस्जिद का मिंबर जिस पर क़लमकारी की गयी है, एक हज़ार से अधिक पुराना है। इस मस्जिद के मुख्य बरामदे की पूरी छत पर क़लमकारी की गयी जो कम से कम 600 वर्ष पुरानी है। क़लमकारी में अनेक प्रकार के रंगों का प्रयोग किया है। इसी प्रकार सीप हाथी दांत, हड्डी, धात के तारों की इस प्रकार प्रयोग किया गया है कि इस कला में चार चांद लग गया है। अच्छी क़लमकारी उसे कहा जाता है जिसमें छोटे आकार के चित्र चित्र हों और शीराज़, इस्फ़हान व तेहरान को इस कला का केन्द्र समझा जाता है।अलबत्ता तेहरान में अधिकांश क़लमकार शीराज़ और इस्फ़हान के हैं।