
رضوی
मुसलमानों के मध्य शांति प्रचलित करना इस्लामी देशों के नेताओं का दायित्व हैः रईसी
ईरान के राष्ट्रपति ने रमज़ान का पवित्र महीना आरंभ हो जाने पर इस्लामी देशों के नेताओं और लोगों को मुबारकबाद देते हुए कहा है कि मुसलमानों के मध्य शांति और बंधुत्व को प्रचलित करना इस्लामी देशों के नेताओं का दायित्व है।
राष्ट्रपति सैयद मोहम्मद इब्राहीम रईसी ने कहा कि फिलिस्तीनी मुसलमानों का संघर्ष जारी रहने और विश्व के मुसलमानों का निरंतर समर्थन जारी रहने से फिलिस्तीन, बैतुल मुकद्दस और मस्जिदुल अक्सा दोबारा इस्लामी जगत में लौट आयेंगे।
राष्ट्रपति ने बल देकर कहा कि इस्लामी राष्ट्रों के मध्य भाईचारे और बंधुत्व के संबंध के मज़बूत होने और इसी प्रकार इस्लामी देशों के मध्य संबंधों के विस्तृत व प्रगाढ़ होने से इस्लामी जगत मज़बूत होगा।
इसी प्रकार राष्ट्रपति ने कहा कि अत्याचार विशेषकर जायोनी सरकार के वर्चस्व व अपराधों के मुकाबले में इस्लामी देशों के मध्य समन्वय समस्त क्षेत्रों में मुसलमानों विशेषकर फिलिस्तीन के मज़लूम लोगों की इज्जत और सर बुलंदी का कारण बनेगा।
ज्ञात रहे है कि आज मंगलवार को ईरान में रमज़ान के पवित्र महीने की पहली तारीख है जबकि सऊदी अरब, क़तर, सीरिया, संयुक्त अरब इमारात, अफगानिस्तान, बोस्निया व हिर्ज़ोगोविना, इराक और लेबनान में कल सोमवार को रमज़ान महीने की पहली तारीख थी।
इसी प्रकार इंडोनेशिया, मलेशिया, ऑस्ट्रेलिया, ब्रुनई, सिंगापुर, इराक और लेबनान के शीयों ने आज मंगलवार को रमज़ान की पहली तारीख होने का एलान किया है।
अपनी देखभाल- 2
अपनी देख-भाल आप के बारे में पहला क़दम स्वतः ज्ञान या अपने बारे में ज्ञान बढ़ाना है।
हमने अपनी देख-भाल आप की परिभाषा का उल्लेख किया था और बताया था कि यह वह काम है जिसमें हर व्यक्ति अपने ज्ञान, दक्षता व क्षमता को एक स्रोत के रूप में इस्तेमाल करता है ताकि अपने तौर पर अपने स्वास्थ्य का ध्यान रख सके। इस आधार पर अपनी देख-भाल आप ऐसा व्यवहार है जो लोगों की अपने इरादे से स्वेच्छा के आधार पर सामने आता है और इसके अंतर्गत व्यक्ति आवश्यक ज्ञान व दक्षता प्राप्त करके अपने स्वास्थ्य की देख-भाल करने में सक्षम हो जाता है।
हममें से सभी के अपने जीवन में बहुत से दायित्व होते हैं जिनके कारण हम अपनी देख-भाल को भूल जाते हैं जबकि उचित व सही अर्थ में अपनी देख-भाल आप, अच्छे जीवन का एहसास दिलाती है और हम स्वयं को जो अहमियत देते हैं उससे दूसरों को भी अवगत कराती है। इस आधार पर अपनी देख-भाल आप का एक अहम तत्व, अपना ज्ञान बढ़ाना है। इसका अर्थ वह दक्षता हासिल करना है जो इस बात में हमारी मदद करती है कि हम अपने आपको, अपनी ज़रूरतों को, अपनी विशेषताओं को, अपनी कमज़ोरियों को, अपने मज़बूत बिंदुओं को, अपनी भावनाओं को और अपनी प्रवृत्ति को संपूर्ण ढंग से पहचान लें।
अधिकतर लोग केवल आयु, लिंग, काम की स्थिति इत्यादि जैसी अपनी मूल व साधारण विशेषताओं के बारे में बात करते हैं और अपने व्यक्तित्व और व्यवहार की विशेषताओं के बारे में पर्याप्त व संपूर्ण जानकारी नहीं रखते। उदाहरण स्वरूप उन्हें पता नहीं होता कि किन कामों को वे बेहतर ढंग से अंजाम दे सकते हैं? उनमें कौन सी नकारात्मक और असैद्धांतिक नैतिक विशेषताएं हैं? अपनै जीवन के बारे में उनकी क्या महत्वकांक्षाएं और लक्ष्य हैं? उनके जीवन की रुचियां और प्राथमिकताएं क्या हैं? और कौन सी चीज़ें उन्हें ख़ुश या दुखी करती हैं? ये सारी बातें अपने बारे में ज्ञान की कमी के कारण होती हैं।
जीवन की विशेषम्ताओं की प्राप्ति से पहले अपने बारे में जानकारी ज़रूरी है क्योंकि इस प्रकार की जानकारी रखने वाले लोग अपने बारे में अधिक सटीक पहचान रखते हैं जिससे उन्हें अपनी सुरक्षा, देख-भाल और प्रगति में काफ़ी मदद मिलती है। अलबत्ता यह नहीं सोचना चाहिए कि अपने बारे में सटीक जानकारी से सभी समस्याओं का समाधान हो जाएगा क्योंकि यह तो केवल पहला क़दम है।
अपने आपको निष्पक्ष रूप से देखना कोई सरल काम नहीं है। इसका अर्थ यह होता है कि मनुष्य इस पर ग़ौर करे कि उसके विचार क्या हैं? आस्थाएं क्या हैं? कमज़ोरियां क्या हैं? मज़बूत बिंदु क्या हैं? कौन सी चीज़ें उसे अप्रसन्न करती हैं? किन बातों से वह ख़ुश होता है? उसके जीवन में कोई लक्ष्य है भी या नहीं? और अगर है तो उस लक्ष्य का आधार क्या है?
वास्तव में अधिकांश लोग अपने जीवन में ज़्यादातर बाहरी मामलों का ज्ञान हासिल करने, उनकी वास्तविकता जानने और तकनीक प्राप्त करने की कोशिश में रहते हैं और अपने बारे में ज्ञान बढ़ाने की कोशिश नहीं करते। यह बात भी रोचक है कि कुछ लोग सोचते हैं कि आयु का एक भाग गुज़र जाने के बाद वे अपने आपको अच्छी तरह पहचान गए हैं जबकि बहुत कम ही लोग होते हैं जो अपने विचारों व आस्थाओं और अपने व्यवहार पर उनके प्रभाव के बारे में ज्ञान रखते हैं। ये लोग शायद ही कभी अपने दुखों, मान्यताओं, रुचियों और व्यवहार की समीक्षा करते हों। ये लोग अधिकतर आज वही काम करते हैं जो इन्होंने कल किए थे। चूंकि इन्हें अपने आपको पहचानने में रुचि नहीं है इस लिए ये कल भी और उसके बाद भी वही पिछले काम करते रहेंगे।
अलबत्ता इस बिंदु पर भी ध्यान रखना चाहिए कि स्वतः ज्ञान या अपने बारे में ज्ञान उसी समय हासिल होता है जब अपने बारे में व्यक्ति की सोच को सवालों के कटघरे में खड़ा किया जाए और वह व्यक्ति पूरी सच्चाई से उनका जवाब दे। “मैं कौन हूं?” इस प्रश्न का उत्तर लोग जितना सटीक और वास्तविक देंगे या दूसरे शब्दों में उनका उत्तर अपने बारे में जितना अधिक सच्चाई और ज्ञान पर आधारित होगा, उतना ही वे अपने बारे में अधिक ज्ञान के स्वामी होंगे।
अब सवाल यह उठता है कि स्वतः ज्ञान का अपनी देख-भाल आप से क्या संबंध है? और इसका इस विषय में कितना महत्व है? अपनी देख-भाल आप के लिए जो कुछ हम हैं, जो कुछ हम बनना चाहते हैं और इस उद्देश्य के लिए हमारे जो तर्क हैं उनके बारे में हमारा स्पष्ट दृष्टिकोण होना चाहिए और फिर हमें सक्षम होना चाहिए ताकि हम पूरे ज्ञान व सक्रियता के साथ, जो कुछ हम चाहते हैं, उसे वास्तविकता में बदल दें। आप सोचिए कि आप एक गलियारे में चल रहे हैं और एक कमरे की ओर जाते हैं, दरवाज़ा खोलते हैं और अचानक ही कमरे का बल्ब बुझ जाता है। आपके अस्तित्व में घबराहट भर जाती है, आप धीरे-धीरे और छोटे-छोटे क़दम उठाते हैं, सहसा ही आपका शरीर किसी चीज़ से टकराता है और एक आवाज़ सुनाई देती है, आप और डर जाते हैं। उसी क्षण बल्ब जल उठता है और आप देखते हैं कि एक साधारण सा कमरा है और आप एक मेज़ से टकराए थे जिसके कारण एक पेन नीचे गिर गया था। वस्तुतः जब बल्ब जलता है तो आप निश्चितं व संतुष्ट हो जाते हैं और आपकी घबराहट दूर हो जाती है। ठीक इसी तरह अगर आप, अपने आपको सही ढंग से नहीं जानते और पहचानते हैं तो मानो आप एक अंधेरे कमरे में घुस गए हैं।
अब एक सवाल और उठता है और वह यह कि स्वतः ज्ञान में दक्षता किस तरह हासिल की जा सकती है या उसे किस तरह बढ़ाया जा सकता है? इस सवाल का पहला जवाब ज्ञान है यानी जो व्यक्ति अपने ज्ञान में वृद्धि करता है वह बेहतर ढंग से विभिन्न अवसरों व स्थानों पर अपने व्यवहार के कारण की समीक्षा कर सकता है। यह ज्ञान, उसे उन चीज़ों को बदलने का अवसर देता है जो उसे पसंद नहीं हैं और वह अपने जीवन को अपनी इच्छाओं और परिस्थितियों के अनुकूल ढाल कर उससे आनंदित हो सकता है। अपने आपके बारे में ज्ञान रखे बिना, अपने आपको स्वीकार करना और बदलना असंभव होगा। हम क्या हैं? और क्या बनना चाहते हैं और इसी तरह इन बातों के लिए हमारा तर्क क्या है? इसके बारे में अगर हमारे विचार और हमारा दृष्टिकोण पूरी तरह से सटीक और स्पष्ट होगा तो इससे हमें अपनी इच्छाओं को पूरा करने में बहुत मदद मिलेगी और इसी तरह इससे हम अपनी बेहतर देख-भाल कर सकेंगे।
अनमोल बातें - 2
ईश्वर की उपासना का अर्थ उसका आज्ञापालन और उसकी प्रसन्नता की दिशा में क़दम उठाना है।
ईश्वर की उपासना मुक्ति की सीढ़ी, उससे प्रेम का तरीक़ा और सौभाग्य की प्राप्ति का सबसे ठोस दस्तावेज़ है। ईश्वर की उपासना उससे संपर्क बनाने का साधन, उसके आज्ञापालन का एलान और उसके सामने नत्मस्तक होना है।
इमाम जाफ़र सादिक़ अलैहिस्सलाम फ़रमाते हैं कि ईश्वर कहता हैः हे मेरे प्रिय बंदो! इस तुच्छ भौतिक दुनिया के जीवन में मेरी उपासना की अहमियत को समझो। इस नेमत की क़द्र करो।
नमाज़ ईश्वर की बहुत बड़ी उपासना है। रोज़ा, ज़कात और ख़ुम्स नामक विशेष कर और हज ईश्वर की अनुकंपा है। इन उपासनाओं का हमारे लिए अनिवार्य होना नेमत की तरह है। ईश्वर कहता है कि दुनिया में मेरी उपासना को अहम समझो। उपासना को अपने लिए बोझ न समझो, बल्कि ईश्वर की ओर से मिलने वाली नेमत समझो।
जहां तक मुमकिन हो धर्मपरायण बंधु के मुंह से निकली बात को सही मानो। अगर हम सिर्फ़ इसी उसूल को अपने जीवन में चरितार्थ कर लें तो बहुत सी दुश्मनियां और अफ़वाहें कम हो जाएंगी।
जिस समय कोई धर्मपरायण भाई कोई बात कहे तो उसमें दो संभावनाएं मौजूद होती हैं एक अच्छी और दूसरी बुरी। जब तक मुमकिन हो उसके नकारात्मक आयाम को अहमियत न दीजिए बल्कि अच्छे आयाम को अहमियत दीजिए। यह मूल नियम और नैतिक सिद्धांतों में है जिससे सामाजिक संबंध मज़बूत होते हैं। क्योंकि समाज की अखंडता बहुत अहम है। अगर समाज में लोगों के बीच संबंध मज़बूत हों तो उनके अपने लक्ष्य तक पहुंचने की संभावना अधिक है न कि फूट की स्थिति में।
जब आपका धर्मपरायण भाई कोई बात कहे तो उस वक़्त तक उसकी बात का बुरा अर्थ न निकालिए जब तक उसकी बात में अच्छाई का पहलू निकल सकता हो। अगर अच्छा अर्थ निकल सकता है कि उससे अच्छा ही अर्थ निकालिए।
यमन में मारा गया भगोड़ा आतंकी सरग़ाना
आतंकवादी गुट अलक़ाएदा का एक आतंकी सरग़ना ख़ालिद बातरफ़ी, यमन में मारा गया।
ईरान प्रेस के अनुसार अलक़ाएदा के सूत्रों ने बताया है कि उसका एक वरिष्ठ कमांडर, यमन में मारा गया। इन सूत्रों ने कहा है कि ख़ालिद बातरफ़ी की मौत के बाद अब उसके स्थान पर साद बिन आतिफ़ अलऔलक़ी को लाया जाएगा।
जेल से फ़रार ख़ालिद को सन 2020 के आरंभ में क़ासिम अर्रीमी की हत्या के बाद अलक़ाएदा की ओर से यमन के लिए अलक़ाएदा प्रमुख नियुक्त किया गया था। यमन के तटवर्ती नगर मलका की जेल पर सन 2015 में अलक़ाएदा के आतंकियों के हमले में इस जेल से लगभग 150 आतंकवादी निकल भाग थे।
जेल से फरार आतंकवादियों में ख़ालिद बातरफ़ी भी था जो बाद में यमन में अलक़ाएदा प्रमुख बनाया गया। इस आतंकवादी की मौत के बारे में अभी बहुत सी बातें स्पष्ट नहीं हैं।
आंध्र प्रदेश में भाजपा का टीडीपी और जेएसपी से गठबंधन
भारतीय जनता पार्टी ने आगामी लोकसभा और आंध्र प्रदेश विधानसभा चुनावों के लिए जो एक साथ होंगे तेलुगु देशम पार्टी और जन सेना पार्टी के साथ गठबंधन की घोषणा की है।
एक संयुक्त बयान में तीनों पार्टियों ने कहा कि साथ आने से आंध्र प्रदेश के लोगों की आकांक्षाओं पर खरा उतरने में मदद मिलेगी।
बयान में कहा गया कि भाजपा और टीडीपी का बहुत पुराना रिश्ता है। टीडीपी 1996 में एनडीए में शामिल हुई और अटल बजी और नरेंद्र मोदी जी की सरकार में सफलतापूर्वक साथ काम किया। 2014 में टीडीपी और भाजपा ने लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनाव साथ मिलकर लड़ा था। जेएसपी ने आंध्र प्रदेश में 2014 के आम चुनाव और विधानसभा चुनावों में समर्थन दिया था।
हालांकि गठबंधन पर मुहर लग चुकी है लेकिन सीट-बंटवारे की व्यवस्था की औपचारिक घोषणा होना बाकी है। भाजपा ने कहा कि एक-दो दिन में तौर-तरीकों पर विचार किया जाएगा।
गठबंधन पर मुहर लगने के बाद संवाददाताओं को संबोधित करते हुए नायडू ने कहा कि आंध्र प्रदेश में हम सभी सीटें जीतेंगे।
उन्होंने कहा कि आंध्र प्रदेश बुरी तरह बर्बाद हो गया है, भाजपा और टीडीपी का एक साथ आना देश और राज्य के लिए शुभ संकेत है।
ज्ञात रहे कि आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा देने से मोदी सरकार के इनकार के बाद टीडीपी 2018 में एनडीए से बाहर हो गई थी।
इसके बाद, टीडीपी ने ‘धर्म पोरातम’ या ‘न्याय के लिए लड़ाई’ शुरू की और एनडीए सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव भी लाया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ‘आतंकवादी’ करार देते हुए नायडू ने उन पर अपनी पत्नी को ‘छोड़ने’ का भी आरोप लगाया था।
हालांकि टीडीपी को 2019 के चुनावों में अभूतपूर्व हार का सामना करना पड़ा, जब उन्हें वर्तमान मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी की वाईएसआर कांग्रेस पार्टी ने सत्ता से बाहर कर दिया।
नायडू तब से एनडीए में लौटने के इच्छुक थे, जिन्होंने जून 2023 में पांच साल में पहली बार शाह से मुलाकात की थी।
अमेरिका को इस्राईल का समर्थन मंहगा पड़ा, बाइडन की बोलती बंद
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के चुनाव प्रचार के दौरान एक फ़िलिस्तीन समर्थक कार्यकर्ता ने ज़ोरदार विरोध प्रदर्शन किया।
अरब मीडिया के मुताबिक अमेरिकी शहर अटलांटा में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के भाषण के दौरान फ़िलिस्तीन के समर्थन में नारे लगाए गए।
फ़िलिस्तीन समर्थक कार्यकर्ता ने नारा लगाते हुए कहा कि राष्ट्रपति जो बाइडेन आप एक तानाशाह हैं, फिलिस्तीन में नरसंहार हो रहा है और आप न केवल चुप हैं बल्कि इसका समर्थन भी कर रहे हैं।
विदेशी मीडिया के मुताबिक, राष्ट्रपति जो बाइडन का भाषण शुरू होने के कुछ ही देर बाद एक प्रदर्शनकारी चिल्लाया, "आप क्या करने जा रहे हैं? हज़ारों फिलिस्तीनियों ने अपनी जान गंवा दी है।
इस्राईल के लिए हथियारों की सप्लाई तत्काल रोक दी जाएः सेंडर्स
सेंडर्स कहते हैं कि ग़ज़्ज़ा के बच्चों के नरसंहार में अमरीका को भागीदार नहीं बनना चाहिए।
अमरीकी डेमोक्रेट सेनेटर बर्नी सेंडर्ज़ ने इस्राईल के लिए हथियारों की सप्लाई को तत्काल रोकने की मांग की है।
सीबीएस टीवी चैनेल के साथ बात करते हुए उन्होंने ग़ज़्ज़ा संकट को अभूतपूर्व संकट बताया। सेंडर्स ने वाइट हाउस से मांग की है कि इस्राईल के लिए हथियारों की आपूर्ति को बिना किसी विलंब के रोक दिया जाना चाहिए।
इस अमरीकी सेनेटर का कहना था कि नेतनयाहू के भीतर इस्राईल के संचालन की क्षमता नहीं है। उनका कहना था कि अमरीका को किसी भी स्थति में ग़ज़्ज़ा के बच्चों की हत्या में भागीदार बनना नहीं चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि फ़िलिस्तीनियों की हत्या करने में नेतनयाहू की जंगी मशीन के लिए एक पैसा भी नहीं ख़र्च किया जाए।
इसी बीच स्टाकहोम अन्तर्राष्ट्रीय शांति अनुसंधान संस्था एसआईपीआरआई की ताज़ा रिपोर्ट बताती है कि ग़ज़्ज़ा युद्ध के एक क्षेत्रीय संकट में परिवर्तित होने की प्रबल संभावना के बावजूद अमरीका और यूरोपीय संघ के देश, पश्चिमी एशिया में इस्राईल के लिए अधिक हथियार भेज रहे हैं।
इसी संस्था द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार सन 2019 से 2023 तक पश्चिम एशिया के लिए संयुक्त राज्य अमरीका, फ्रांस, इटली और जर्मनी ने लगभग 81 प्रतिशत हथियार निर्यात किये हैं। दूसरी ओर ख़बर मिली है कि ग़ज़्ज़ा में तत्काल संघर्ष विराम की मांग को लेकर अमरीका के सिनेमा जगत से जुड़े लोगों ने हालीवुड में विरोध प्रदर्शन किये हैं।
ग़ज़्ज़ा के साथ ही रफ़ह पर हमले के लिए तैयार इस्राईली सेना
अतिग्रहणकारी ज़ायोनी शासन के मीडिया सूत्रों ने घोषणा की है कि इस्राईली अधिकारी ग़ज़्ज़ा और विशेष रूप से दक्षिणी ग़ज़्ज़ा के रफ़ह पास के खिलाफ युद्ध जारी रखने पर सहमत हुए हैं।
ज़ायोनी शासन की हमलावर सेना ने ग़ज़्ज़ा और रफ़ह के खिलाफ हमलों को मंजूरी दे दी है और ज़ायोनी अधिकारियों ने ग़ज़्ज़ा और विशेष रूप से रफ़ह के ख़िलाफ़ जो ग़ज़्ज़ा के दक्षिण में स्थित है, युद्ध जारी रखने पर सहमति व्यक्त की है।
इस्राईली सेना के प्रवक्ता ने यह भी घोषणा की कि इस्राईल के सेना प्रमुख, इस्राईल के आंतरिक सुरक्षा संगठन शाबाक, दक्षिणी ग़ज़्ज़ा पट्टी के इस्राईली सैन्य कमांडर, शाबक के उप प्रमुख और कई अन्य इस्राईली सैन्य कमांडर युद्ध जारी रखने पर सहमत हुए हैं।
इस संबंध में संयुक्त राष्ट्र संघ के मानवाधिकार आयुक्त के प्रवक्ता का कहना है कि अगर इस्राईल रफ़ह पर हमला करता है तो वह अमानवीय अपराधों का दोषी माना जाएगा।
ग़ज़्ज़ा में अमरीका की मानवीय सहायता, दिखावटी नाटकःकनआनी
ग़ज़्ज़ा के लिए अमरीका की ओर से भेजी जाने वाली मानवीय सहायता को विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने हास्यास्पद और दिखावटी बताया है।
नासिर कनआनी ने सोमवार को साप्ताहिक संवाददाता सम्मेलन में ज़ायोनियों के हाथों ग़ज़्ज़ा में फ़िलिस्तीनी बच्चों और महिलाओं की हत्याओं की ओर संकेत किया। उन्होंने कहा कि यह काम अमरीका के खुले समर्थन से जारी है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने बताया कि संयुक्त राष्ट्रसंघ के महिला आयोग से अवैध ज़ायोनी शासन का निष्कासन, मानवाधिकारों का दावा करने वाले देशों के लिए बड़ी परीक्षा है। उन्होंने बोर्ड आफ गवर्नस की हालिया बैठक की ओर संकेत करते हुए कहा कि अन्तर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेन्सी के साथ ईरान की सहकारिता जारी है। कनआनी ने कहा कि ग़ैर तकनीकी और निराधार आरोप, तेहरान के फैसलों को प्रभावित नहीं कर पाएंगे।
ईरान के प्रवक्ता ने मानवाधिकारों के बारे में पश्चिमी देशों के दोहरे व्यवहार की आलोचना करते हुए बताया कि विशेष प्रकार के बीमारों के उपचार के लिए आवश्यक दवाओं पर रोक के बावजूद अमरीकी यह दावा कर रहे हैं कि ईरानी राष्ट्र के विरुद्ध प्रतिबंध नहीं लगाए गए हैं। यह बात सफेद झूट है।
इसी के साथ कनआनी ने स्वीडन की जेल में बंद ईरानी नागरिक हमीद नूरी के संदर्भ में कहा कि उनके बारे में न्यायालय के पुनर्विचार के फैसले को अस्वीकार्य मानते हैं।
दुनिया के संकटग्रस्त शियाओं की उम्मीदें ईरान और क़ुम से जुड़ी हैं
अंतर्राष्ट्रीय धर्म प्रचारक ने कहा: भारत के कुछ हिस्सों में शिया अपने बौद्धिक और सांस्कृतिक संकट के चरम पर हैं और उनकी नज़र ईरान पर है, क्योंकि दुनिया के संकटग्रस्त शियाओं की उम्मीद ईरान और क़ुम से जुड़ी हैं।
हौज़ा न्यूज़ एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, हुज्जतुल-इस्लाम वल-मुस्लेमीन हाशमी हमदानी ने बिहार और असदाबाद के छात्रों और विद्वानों की एक बैठक को संबोधित करते हुए कहा: छात्रों और विद्वानों को पता होना चाहिए कि आज की दुनिया में कई कौशल, क्षमताएं हैं और काम करने के तरीके। अवसर और क्षेत्र हैं और हम इन अवसरों का उपयोग शियावाद के विकास और प्रगति के लिए कर सकते हैं।
उन्होंने कहा: एक धार्मिक विद्वान की गतिविधियाँ और दिनचर्या इस्लाम और शियावाद के विस्तार के लिए समर्पित हैं। इसलिए शिया धर्म की प्रगति के लिए और अधिक संघर्ष करने की जरूरत है।
होजतुल इस्लाम हमदानी ने कहा: कुछ देशों में शिया बौद्धिक और सांस्कृतिक रूप से बहुत परेशान हैं और उनकी नजरें ईरान पर हैं क्योंकि दुनिया के परेशान शियाओं की उम्मीद ईरान और क़ोम हैं। दुर्भाग्य से, कुछ क्षेत्रों में वहाबियों ने बहुत काम किया है और लोगों का ब्रेनवॉश किया है।
इस अंतर्राष्ट्रीय उपदेशक ने कहा: हमारी सभी गतिविधियाँ लोगों की सेवा से संबंधित हैं। हालाँकि, एक सफल गतिविधि को प्राप्त करने के लिए ज्ञान और समझ बढ़ाने की आवश्यकता होती है ताकि लोग आप पर भरोसा करें और आपका सहयोग करें और यह केवल अनुसंधान और प्रयास के माध्यम से ही प्राप्त किया जा सकता है।